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“मैं तेरी हीर” – 17

Main Teri Heer – 17

Main Teri Heer
Main Teri Heer

मुन्ना ने गौरी का दिल तोड़ दिया साथ ही वह काशी पर भी चिल्ला उठा और इस बात का मुन्ना को बेहद दुःख था। मुन्ना समझ नहीं पा रहा था इस स्तिथि को कैसे सम्हाले ? वह वंश को हर्ट नहीं करना चाहता था लेकिन गौरी का दिल तोड़ दिया। कुछ वक्त के लिए ही सही मुन्ना स्वार्थी हो गया। वंश की ख़ुशी के लिए उसने एक बार भी गौरी के बारे में नहीं सोचा। मुन्ना अपना सर पकडे बिस्तर पर बैठा रहा , वह समझ नहीं पा रहा था की ऐसे में वह क्या करे ? कुछ देर बाद उसके लेपटॉप पर एक नोटिफिकेशन आया। मुन्ना उठा और लेपटॉप के सामने आ बैठा। नोटिफिकेशन एक मेल का था। मुन्ना ने मेल खोला उसमे कुछ जानकारी थी जो मुन्ना पीछे एक हफ्ते से ढूंढने में लगा था। जैसे ही मुन्ना ने वो मेल खोला उसकी आँखे फ़ैल गयी। उसे एक झटका सा लगा , उसने कभी सोचा नहीं था ऐसा भी कुछ हो सकता है। उसने अपनी कोहनी टेबल पर टिकाई और उंगलियों को अपने होंठो से लगा लिया। मुन्ना के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया , उसकी आँखों के सामने सब धीरे धीरे करके किसी फिल्म की तरह चलने लगा। अब उसे समझ आ रहा था की किशोर ने शक्ति को “सर” क्यों कहा था। मुन्ना ने तुरंत इंटरनेट पर शक्ति की दूसरी जानकारी निकालने की कोशिश की लेकिन जो जानकारी मेल में थी उनमे से एक भी चीज मुन्ना को इंटरनेट पर नहीं मिली,,,,,,,,,,,,,ये चीज मुन्ना के लिए और ज्यादा उलझाने वाली थी। खैर मुन्ना ये तो जान चुका था की शक्ति असल है कौन अब बस उसे शक्ति से मिलना था। मुन्ना तैयार हुआ और घर से निकल गया।

काशी मुन्ना के कमरे से निकलकर बाहर चली आयी। मुन्ना की बातो से आहत होकर काशी घर से निकल आयी। वह घर के लॉन से होकर मेन गेट की तरफ जा रही थी की सामने से आते किशोर ने काशी को देखा तो उसके सामने चला आया और कहा,”काशी हमे तुमसे कुछ बात करनी ह,,,,,,,,,,,,,,शक्ति के बारे में”
शक्ति का नाम सुनकर काशी हैरानी से किशोर को देखने लगी और कहा,”आप शक्ति को कैसे जानते है ?”
“इस वक्त हम तुम्हारे सवालो का जवाब नहीं दे सकते , हमे तुम्हे बस ये बताने को कहा गया है की शक्ति तुमसे मिलना चाहता है ,, आज शाम रीवा घाट पर वो तुम्हारा इंतजार करेगा तुम उस से मिल लेना”,कहकर किशोर आगे बढ़ गया क्योकि सामने से मुरारी चला आ रहा था और किशोर उसी से मिलने आया था। काशी को शक्ति का ख्याल आया वह शक्ति से मिलने के लिए बैचैन हो गयी। काशी जैसे ही जाने लगी तो मुरारी ने कहा,”अरे काशी बिटिया रुको हम ड्राइवर भेज देते है उह घर छोड़ देगा तुम्हे”
काशी ने हामी भर दी तो मुरारी ने अपने ड्राइवर से कहकर काशी को घर छोड़ने को कहा। काशी पहले से बीमार थी और मुन्ना की बातो से वह और ज्यादा टेंशन में आ गई। गाड़ी में पिछली सीट पर बैठी काशी ने गौरी को फोन लगाया। कुछ देर बाद गौरी ने फोन उठाया तो काशी ने कहा,”गौरी मुन्ना भैया ने जो कुछ भी कहा तुम , तुम उस बारे में ज्यादा मत सोचना। हम नहीं जानते इस वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा है ? लेकिन हम जानते है गौरी मुन्ना भैया भी तुमसे बहुत प्यार करते है। तुम प्लीज उनकी बातो से अपसेट होकर कोई गलत कदम मत उठा लेना”
“काशी तुम्हे क्या मैं इतनी डम्ब लगती हूँ ? उस मुन्ना को तो मैं छोडूंगी नहीं जब मन किया प्यार किया , जब मन किया छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,वो खुद को समझता क्या है ? उसे लगता है वो ऐसा कुछ कहेगा और मैं छोटी बच्ची की तरह उसकी हर बात मान लुंगी बिल्कुल नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उसे बताउंगी गौरी शर्मा कौन है ? मैं बनारस आ रही हूँ वो भी बहुत जल्द”,गौरी ने कहा
“क्या तुम बनारस आ रही हो ? गौरी हमारी बात सुनो मुन्ना भैया अभी बहुत गुस्से में है बहुत परेशान भी है , ऐसे में तुम यहाँ आयी तो बात और बिगड़ जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,जरूर कोई ऐसी बात है जो मुन्ना भैया हम सबसे छुपा रहे है वरना वो ऐसे बिल्कुल नहीं है”,काशी ने गौरी को समझाते हुए कहा
“काशी मुन्ना तुम्हारा भाई है इसलिए तुम उसकी तरफदारी कर रही हो”,गौरी ने थोड़ा सख्त होकर कहा
“नहीं गौरी हम तो खुद उनसे नाराज है और जब तक वो बताएँगे नहीं उन्होंने तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया हम उनसे बात नहीं करेंगे”,काशी ने कहा
“क्या वो ठीक है ?”,गौरी को एकदम से मुन्ना की परवाह होने लगी
“नहीं वो ठीक नहीं है , वो बहुत परेशान है गौरी,,,,,,,,,,,,आज वो पहली बार हम पर चिल्लाये थे , तुम उन्हें समझने की कोशिश करना प्लीज”,काशी ने कहा
“हम्म्म मैं कोशिश करुँगी”,गौरी ने कहा और कुछ देर बाद फोन काट दिया। पहले उसे मुन्ना पर गुस्सा आ रहा था लेकिन अब उसे मुन्ना की चिंता होने लगी थी वह महादेव से मुन्ना के लिए दुआ करने लगी। दिनभर मुन्ना शक्ति के बारे में पता लगाता रहा लेकिन शक्ति उसे कही नहीं मिला। मुन्ना ने किशोर से मिलने की कोशिश की लेकिन किशोर भी बिजी होने की वजह से उस से नहीं मिल पाया। शाम को थक्कर मुन्ना दशाश्वमेध घाट चला आया। मुन्ना को यकीन था की शक्ति कही मिले ना मिले यहाँ जरूर मिलेगा। मुन्ना सीढ़ियों से होते हुए नीचे चला आया। गंगा आरती में अभी समय था , सूरज भी पश्चिम में चमक रहा था। मुन्ना ने चारो और देखा लेकिन शक्ति उसे कही दिखाई नहीं दिया। मुन्ना सामने पानी खड़ी नौका में चला आया और चलने को कहा।
“कहा चलना है मुन्ना भैया ?”,नाविक ने पूछा जो की मुन्ना को जानता था
“कही भी चलो बस चलो”,मुन्ना ने बुझे मन से कहा
“ठीक है भैया”,नाविक ने कहा और अपनी पतवार उठाकर लड़के से रस्सी खोलने को कहा
नाविक नाव लेकर चल पड़ा मुन्ना काफी उदास था , उसे गौरी का दिल तोड़कर बहुत हो रही थी। उदास सा बैठा वह गंगा के पानी को निहारने लगा। नौका पर फैली शांति को तोड़ने के लिए नाविक धीरे धीरे गुनगुनाने लगा। उसके गाने के शब्द मुन्ना के कानो में पड़ने लगे जिसने मुन्ना के दुःख को और बढ़ा दिया
“कौन जाने माझी का , मिटटी से का मेल रे
मिलना बिछड़ना सब , किस्मत का खेल रे
चलो रे चलो सखी ले चल उस पार मोरे पीया का है देश,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सूना तो उसका मन बैचैन हो उठा उसे गौरी याद आने लगी वह समझ नहीं पा रहा था आखिर वह क्यों खुद को और गौरी को इतना हर्ट कर रहा था ?
“क्या हुआ ? परेशान हो ?”,एक मधुर और शांत आवाज मुन्ना के कानो में पड़ी मुन्ना ने हैरानी से अपने बगल में देखा साक्षात् महादेव का अक़्स दिखाई दे रहा था। मुन्ना एकटक उन्हें देखने लगा उनके चेहरे पर तेज था , आँखों में सुकून और होंठो पर मुस्कुराहट। वे सामने देखते हुए कहने लगे – मनुष्य जीवन में ऐसे कई मुश्किल पल आते है जब फैसले लेना आसान नहीं होता है मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,जो हो रहा है और जो होने वाला है उसके लिए खुद को दोषी मत समझो ये सब पहले से तय है। मुश्किल घडिया हमारे जीवन में इसलिए आती है ताकि हम देख पाए हम कितने मजबूत है। वर्तमान में होने वाला घटनाक्रम भविष्य में होने वाले कार्यो का ही अंश है इनसे सीखो और अपने लिए बेहतर फैसले लो। अंत में सब ठीक होगा,,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सुना तो अपनी आँखे मूँद ली। उसकी आँखों के सामने गौरी के साथ बिताये पल आने लगे , अगले ही पल वंश के साथ बिताये पल आने लगे। मुन्ना ने आँखे खोली तो पाया की उसके बगल में कोई नहीं था लेकिन मुन्ना का मन अब शांत था,,,,,,,,,,,जो बेचैनी उसके मन में थी वो अब खत्म हो चुकी थी। मुन्ना खाली आँखों से गंगा के पानी को निहारने लगा।

शाम में काशी शक्ति से मिलने रीवा घाट पहुंची। वह बहुत मुश्किल से घर से बहाना बनाकर निकली थी वह दीना को अपने साथ ले आयी। दीना चला रहा था और काशी उसके बगल में बैठी थी , उसने कपडे भी नहीं बदले थे वह घर के कपड़ो में ही थी। उसने पटियाला सलवार और बॉटनेक कुर्ता पहना था।
“काशी बिटिया मालिक को पता चलेगा तो हमे बहुते डांट पड़ेगी”,दीना ने कहा
“आप खामखा डर रहे है , पापा के घर आने से पहले हम वापस आ जायेंगे”,काशी ने कहा
“लेकिन हम जा कहा रहे है ?”,दीना ने पूछा
“घाट”,काशी ने कहा
“काशी बिटिया अभी अभी तुमरी तबियत ठीक हुई है ऐसे बाहर घूमना ठीक नहीं है बेटा”,दीना ने कहा
“ओह्ह दीना भैया आप भी माँ की तरह बात करने लगे , एक हफ्ते से हम घर में ही थे ना इसलिए जा रहे है हम जल्दी वापस चलेंगे”,काशी ने कहा
“ठीक है”,दीना ने कहा क्योकि सबकी तरह वह भी काशी को बहुत दुलार करता था।
गाड़ी रीवा घाट के बगल वाली गली से कुछ पहले आकर रुकी। काशी गाड़ी से उतरी और जल्दी वापस आने का कहकर वहा से चली गयी। शाम के वक्त इस घाट पर लोग कम आते जाते थे। काशी सीढ़ियों से होते हुए नीचे चली आयी। शक्ति वही कुछ दूर खड़ा दिवार से पीठ लगाए हाथ बांधे खड़ा था। काशी को देखते ही वह उसके पास चला आया। दोनों ने एक दूसरे को देखा , शक्ति के माथे पर बेंडेज लगा थे काशी ने देखा तो पूछा,”कैसे हो शक्ति ? उस दिन अचानक से हमे जाना पड़ा और फिर हम तुमसे मिल ही नहीं पाए”
“हम ठीक है तुम ठीक हो ?”,कहते हुए शक्ति ने जैसे ही काशी के गाल को छूआ उसने महसूस किया काशी को बुखार था। शक्ति ने काशी का ललाट छूकर देखते हुए कहा,”तुम्हे बुखार है ? ऐसी हालत में तुम यहाँ क्यों चली आयी ? क्या तुमने दवा ली ?”
“हमे तुमसे मिलना था और तुम्हे बहुत कुछ बताना भी था”,काशी ने मासूमियत से कहा
“वो सब बाद में बताना पहले ये पहनो तुम,,,,,,,,,,,,,तुम्हे अपनी ज़रा भी परवाह नहीं है ,, यहाँ पानी है हवा भी चल रही है ऐसे में तुम और बीमार हो जाओगी”,कहते हुए शक्ति ने अपना जैकेट निकाला और काशी ओढ़ा दिया। एक सुकून काशी के चेहरे पर उतर आया उसने शक्ति का हाथ अपने दोनों हाथो में लिया और कहा,”जब तक तुम हमारे साथ हो हमे कुछ नहीं होगा , अब बताओ हमे यहाँ क्यों बुलाया ?”
“तुम्हे देखने का मन था इसलिए , तुम कुछ बताने वाली थी”,शक्ति ने कहा तो काशी उसके साथ वही सीढ़ियों पर आ बैठी। काशी ने शक्ति को उस रात के बारे सब बता दिया , उसने शक्ति को राजन के कोमा में जाने की बात बताई तो शक्ति ने गुस्से से कहा,”उस राजन को हम ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे , उसने तुम्हे छूकर बहुत बड़ी गलती की है”
“शक्ति,,,,,,,,,,,,,,,तुम फिर गुंडों की तरह बात कर रहे हो। राजन के पापा उसे लेकर हमेशा हमेशा के लिए बनारस छोड़कर जा चुके है। अब हमारे बीच कोई नहीं आयेगा”,काशी ने शक्ति की बाँह थामकर अपना सर उसके कंधे पर रखते हुए कहा।
शक्ति ने अपने होंठो से काशी के सर को छूआ और कहा,”हमारे होते हुए तुम्हे डरने जरूरत नहीं है काशी ,, क्या तुम्हे हम पर भरोसा है ?”
“ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?”,काशी ने पूछा
“अगर हम कभी बुलाये तो तुम हमारे साथ आओगी ?”,शक्ति ने फिर सवाल किया
काशी ने अपना सर शक्ति के कंधे से हटाया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”आज तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो ?”
शक्ति ने काशी के चेहरे को अपने हाथो में थामा और कहने लगा,”क्योकि हम तुम्हे खोना नहीं चाहते। तुम्हारे सिवा हमारा कोई नहीं है , हम तुम्हे यहाँ से बहुत दूर ले जाना चाहते है अपने साथ,,,,,,,,,,,,,,,,हमेशा हमेशा के लिए,,,,,,,,,,,क्योकि बनारस में हमारा वक्त बस इतना ही था”
“क्या हुआ है शक्ति तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो ?”,काशी ने चिंता जताते हुए कहा
“बस इतना जान लो काशी हमे यहाँ से जाना होगा लेकिन जाने से पहले हम तुमसे जानना चाहते है क्या तुम हमारे साथ चलोगी ?”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए पूछा
काशी ने एक बार फिर शक्ति के हाथ को अपने हाथ में थामा और अपना सर शक्ति के कंधे पर टिकाते हुए कहा,”जहा शक्ति रहेगा काशी भी वही रहेगी”
शक्ति ने सूना तो मुस्कुरा उठा और सामने बहते गंगा के पानी को देखते हुए मन ही मन फैसला किया की वह कल सुबह काशी को अपने बारे में सब सच बता देगा। कुछ देर बाद काशी उठी और कहा,”अब हमे जाना होगा”
“हम तुम्हे घर तक छोड़ देते है”,शक्ति ने भी उठते हुए कहा
“नहीं दीना भैया आये है वो बाहर गाडी में है उन्हें नहीं पता हम तुमसे मिलने आये है। हम चले जायेंगे”,काशी ने कहा
“ठीक है अपना ख्याल रखना”,शक्ति ने कहा तो काशी उसके गले आ लगी और कहा,”बिल्कुल नहीं अगर हम अपना ख्याल रखने लगे तो हम अपने लिए तुम्हारी परवाह नहीं देख पाएंगे , इसलिए अब से तुम ही हमारा ख्याल रखोगे समझे”
काशी की बात सुनकर शक्ति मुस्कुरा उठा और उसे गले लगाते हुए अपनी आँखे मूँद ली। शक्ति और काशी एक दूसरे को गले लगाए खड़े थे की बगल वाले घाट पर कुछ आदमियों के साथ खड़े शिवम् की नजर उन दोनों पर पड़ी। शिवम् ने जैसे ही काशी को शक्ति के साथ इस हालत में देखा उसका खून खौल गया और आँखों में गुस्सा उतर आया। शिवम् की मुट्ठिया भींच गयी लेकिन इस वक्त वह सबके सामने काशी को कुछ कहना शिवम् को ठीक नहीं लगा और वो वहा से चला गया।

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