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“मैं तेरी हीर” – 74

Main Teri Heer – 74

Main Teri Heer
Main Teri Heer

मुरारी ने दवा मिलाकर अपने लिए जो पानी का ग्लास रखा था उसे मुन्ना ने पी लिया और ऊपर अपने कमरे में चला आया। मुन्ना काफी थक चुका था। आज बहुत कुछ हुआ था जिस वजह से मुन्ना कुछ समझ नहीं पा रहा था। वह अपने कमरे में आया दरवाजा बंद किया और कपडे बदलकर हाथ मुँह धोने बाथरूम की तरफ चला आया। उसने अपने हाथ धोये और मुंह धोते हुए गौरी के बारे में सोचने लगा। आज जो गौरी ने उस से कहा उस बारे में सोचकर मुन्ना का दिल धड़क उठा। मुन्ना शीशे में देखने लगा , उसे अपनी आँखों में गौरी के भावनाये साफ नजर आ रही थी। मुन्ना ने रॉ पर टंगा तौलिया लिया और मुँह पोछते हुए बाथरूम से बाहर चला आया। ड्रेसिंग के सामने आकर मुन्ना अपना मुँह पोछने लगा और जैसे ही उसने शीशे में खुद को देखा उसके हाथ रुक गए और गौरी का ख्याल आ गया। उसके कानो में गौरी के कहे शब्द गूंजने लगे
“ये शहर सच में बहुत खूबसूरत है मान और जानते हो इस शहर की सबसे खूबसूरत बात ये है की यहाँ तुम रहते हो”
“आज जब सब जलसे में मौजूद थे और तुम नहीं थे मेरी नजरे बस तुम्हे ढूंढते रही ,, और उस पल समझ आया की कुछ तो है जो मुझे तुमसे जोड़े हुए है , ऐसे अहसास जो इस वक्त सिर्फ तुम और मैं महसूस कर रहे है”
“आई लव यू”
“कोई जल्दी नहीं है तुम अपना जवाब बाद में भी दे सकते हो”
“आज की रात की मैं कभी नहीं भूलूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करुँगी”
जैसे ही मुन्ना को आखरी बात याद आयी उसे महसूस हुआ की उसने गौरी के इजहार पर कोई जवाब ही नहीं दिया था। वह बिस्तर की तरफ आया और अपना फोन उठाया। उसने याद आया की उसके पास गौरी का फोन नंबर तक नहीं है। मुन्ना बेचैनी में अपने कमरे में यहाँ से वहा घूमने लगा। कुछ देर सोचने के बाद उसने उसने एक गहरी साँस ली और काशी का नंबर डॉयल कर दिया। मुन्ना को ये भी ध्यान नहीं रहा की इस वक्त रात के 2 बज रहे थे।
प्रिया वाशरूम जाने के लिए उठी थी उसने काशी का फोन वायब्रेट होते देखा तो उठाया और नींद में कहा,”हैल्लो”
“हैलो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा उसे समझ नहीं आया फोन किसने उठाया है
“हेलो कौन बोल रहा है इतनी रात में फोन क्यों किया है ? तुम पागल वागल हो क्या ?”,प्रिया ने कहा इस बार उसकी आवाज सुनते ही मुन्ना समझ गया की फोन प्रिया ने उठाया है। उसने कहा,”प्रिया हम बोल रहे है मुन्ना,,,,,,,,,,काशी वहा है क्या ?”
“काशी सो रही है उसे उठाऊ क्या ?”,प्रिया ने ऊंघते हुए कहा
“नहीं,,,,,,,,उसे सोने दो हम सुबह फोन करते है”,मुन्ना ने कहा और फोन काट दिया। प्रिया ने भी फोन रखा और आकर बिस्तर पर लेट गयी। मुन्ना गौरी से बात करना चाहता था लेकिन उसकी गौरी से बात नहीं हो पायी। उसने फोन रखा और बिस्तर पर आकर लेट गया। बिस्तर पर लेटे लेटे वह गौरी के बारे में ही सोच रहा था। गौरी के साथ बिताये वो खूबसूरत पल उसकी आँखों के सामने घूमने लगे। उसके हाथ में बिस्तर के बगल में लगे लैम्प का स्विच था जिसे वह कभी ऑन करता कभी ऑफ,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ देर बाद उसे गहरी नींद आ गयी।

अगली सुबह शिवम् ने घर की गाडी को इंदौर भेजना तय किया जिस से बच्चो को कोई परेशानी ना हो और वे आराम से वापस जा सके। हालाँकि वंश साथ जाना चाहता था लेकिन शिवम् ने मना कर दिया। गौरी , ऋतू , प्रिया और काशी अपने अपने सामान के साथ तैयार खड़ी थी। शिवम् और सारिका ने गौरी , ऋतू और प्रिया को खूब सारे तोहफे भी दिए और फिर से बनारस आने को भी कहा। ऋतू और प्रिया जाने से पहले सबके साथ सेल्फी ले रही थी वही गौरी और काशी अपने आप में परेशान,,,,,,,,,,काशी शक्ति को लेकर परेशान थी जिस तरह मुन्ना ने कल उसे मारा था सोचकर ही उसे शक्ति के लिए बुरा लग रहा था वह शक्ति से मिलना चाहती थी लेकिन उसे मुन्ना से किया वादा याद आ गया। शक्ति की सलामती लिए उसका उस से दूर रहना बहुत जरुरी था। शक्ति ने पहली बार भले काशी का दिल तोडा हो लेकिन काशी के दिल में शक्ति के लिए भावनाये अभी भी मौजूद थी।
गौरी मुन्ना का इंतजार कर रही थी। जबसे उसने मुन्ना को आई लव यू कहा था तबसे मुन्ना की उस से बात तक नहीं हुई ना ही मुन्ना ने उसके सवाल का जवाब दिया। गौरी कुछ कदम चलकर घर के मेन गेट की तरफ जाती और परेशान सी वापस चली आती। शिवम् ने देखा तो गौरी से पूछ लिया,”गौरी,,,,,,,,बेटा कोई आने वाला है क्या ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,नहीं अंकल वो अनु आंटी और मुरारी अंकल नहीं आये ना इसलिए सोचा जाने से पहले क्यों ना उनसे भी मिल लेते”,गौरी ने बहाना बनाते हुए कहा
“मिलना क्या है बेटा हम ड्राइवर से कह देंगे आप सब लोग उनके घर होते हुए चले जाना”,शिवम् ने कहा
गौरी ने जैसे ही सूना उसके चेहरा खिल उठा। अब जाने से पहले वह मुन्ना से मिल पायेगी सोचकर ही उसके मन में तितलियाँ सी उड़ने लगी और उसने कहा,”हाँ ये ठीक रहेगा”
“इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी”,वंश ने गौरी के पास आकर कहा
“वो क्यों ?”,गौरी ने हैरानी से पूछा तो वंश ने गौरी का सर गेट की तरफ घुमा दिया जहा से मुरारी की गाड़ी चली आ रही थी। गाड़ी में अनु मुरारी के साथ मुन्ना भी होगा गौरी का दिल धड़कने लगा। गाड़ी आकर साइड में रुकी गौरी आसभरी नजरो से उधर ही देख रही थी लेकिन ये क्या गाडी से सिर्फ मुरारी और अनु उतरे थे। मुन्ना उनके साथ नहीं आया। अनु और मुरारी मुस्कुराते हुए सबकी तरफ चले आये

” अनु मौसी मुन्ना भैया कहा है ? वो नहीं आये आपके साथ ?”,गौरी का सवाल काशी ने पूछ लिया। गौरी उनसे कुछ ही दूर खड़ी थी।
“मुन्ना सो रहा था , रात में देर से घर आया था और काफी थका हुआ भी था तो मैंने उसे नहीं उठाया”,अनु ने कहा
“ओह्ह फिर कोई बात नहीं,,,,,,,,,,!!”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा और अनु मुरारी से बातें करने लगी। गौरी ने जब सूना की मुन्ना सो रहा है तो वह खुद में ही बड़बड़ाने लगी,”हाँ,,,,,,,,,,क्या कहा सो रहा है ? मैं सुबह से उसका वेट कर रही हूँ और वो सो रहा है,,,,,,,,,,इस लड़के में पक्का कुछ गड़बड़ है गौरी,,,,,,,,कल जब मैंने इसे सामने से आई लव यू कहा तब भी इसने कोई जवाब नहीं दिया,,,,,,,,,,,,,कही ये सोचकर की एक लड़की ने उसे पहले प्रपोज किया है , उसके भाव तो नहीं बढ़ गए। ये तुमने क्या किया गौरी,,,,,,,,,,? ,, उसे लग रहा होगा तुम एक मॉर्डन सोच की लड़की हो जिसने बिना किसी फिलिंग के उसे आई लव यू कह दिया,,,,,,,,,,,,,,,,इसलिए वो कल चुप था और आज भी नहीं आया। तुम एक नंबर की स्टुपिड हो तुम्हे इतनी जल्दी उसे आई लव यू नहीं बोलना था,,,,,,,पागल , डम लड़की तुमने तो खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली,,,,,,,,,,,,,,वो कितना अजीब है मैं वापस जा रही हूँ और वो मुझसे मिलने तक नहीं आया,,,,,,,,,,मैंने उसे सामने से प्रपोज क्यों किया ? आह्ह्ह्ह!!”
खुद में बड़बड़ाते हुए गौरी ने आखिर में अपने बाल नोच लिए , वह मुन्ना को पसंद करती थी और मुन्ना को लेकर उसके दिल में भावनाये भी थी पर बिना मुन्ना के दिल की बात जाने उसने सीधा उसे प्रपोज कर दिया और मुन्ना ने अभी तक उसे कोई जवाब नहीं दिया
“ए गौरी तुम अपने बाल क्यों नोच रही हो ?”,वंश ने देखा तो उसके बगल में खड़े होकर कहा
“समझता क्या है अपने आप को ? क्यूट सा चेहरा बनाकर लोगो को अपनी और अट्रेक्ट करता है और बाद में ऐसे इग्नोर करता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं,,,,,,,मैं ही पागल हूँ जो उसका वेट कर रही हूँ , वो नहीं आएगा , कभी नहीं आएगा,,,,,,,,,,,आह्ह”,गौरी ने बड़बड़ाते हुए अपनी आँखो पर आये बालो को होंठो से फूंक मारकर उड़ाते हुए कहा लेकिन वो बाल वापस उसकी आँखों पर चले आये। वंश ने देखा तो अपनी ऊँगली से उसके बालों को साइड करते हुए कहा,”इतना गुस्सा क्यों आ रहा है तुम्हे ? कुछ हुआ है क्या ?”
गौरी वंश की तरफ पलटी और कहा,”पता है तुम्हे लेकर मैं पहले बहुत गलत थी , तुम अच्छे इंसान हो,,,,,,,,तुम्हारे दिल में जो होता है वो तुम साफ साफ बोल देते हो,,,,,,,,,,,,तुम , तुम और लोगो की तरह अच्छे होने का दिखावा नहीं करते,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हारी तबियत तो ठीक है न ? मतलब तुम मेरी तारीफ कर रही हो”,वंश ने गौरी के माथे को छूकर देखते हुए कहा
“मैं बिल्कुल ठीक हूँ”,गौरी ने उसका हाथ नीचे करते हुए कहा तो वंश मुस्कुराया और कहा,”तुम ठीक ही अच्छी लगती हो , चलो अब मुस्कुरा भी दो”
वंश ने रिक्वेस्ट की तो गौरी मुस्कुरा दी लेकिन अभी भी उसकी आंखे इस उम्मीद में गेट की तरफ चली गयी की लास्ट मोमेंट पर ही सही पर शायद मुन्ना आ जाये।
“अच्छा इंदौर जाकर तुम मुझे याद करने वाली हो क्या ?”,वंश ने एकदम से कहा
“नहीं बिल्कुल नहीं , तुमने मुझे सबसे ज्यादा तंग किया है इसलिए मैं तुम्हे बिल्कुल याद नहीं करने वाली हूँ”,गौरी ने अपने बालो को सही करते हुए कहा
“लेकिन मैं करूंगा,,,,,,,,,,हाँ ये सच है मैंने अब तक बहुत लड़कियों से बाते की है , उनके साथ घुमा फिरा हूँ लेकिन तुम सबसे अलग हो गौरी,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे लिए दिल में एक खास जगह हमेशा रहेगी। तुम भले मुझे याद ना करो लेकिन मैं तुम्हे बहुत मिस करने वाला हूँ”,वंश गौरी को देखते हुए बड़बड़ाया
“अब तुम क्या बड़बड़ा रहे हो ? चलो चलते है”,गौरी ने कहा तो उसकी नजर वंश के बालो पर चली गयी जहा कुछ लगा हुआ था। वंश की हाईट गौरी से ज्यादा थी इसलिए गौरी ने अपनी ऐड़िया उठायी और वंश के बालो को सही करते हुए कहा,”हम्म्म अब ठीक है”
कहकर गौरी चली गयी लेकिन वंश वही खड़ा रह गया। आज से पहले कोई लड़की उसके इतना करीब नहीं आयी थी। वंश के मन में गौरी को लेकर भावनाये पनपने लगी थी। वह गौरी को पसंद करने लगा था। जब से गौरी बनारस आयी थी उसका बाहर जाना कम हो गया , ना ही वह ज्यादा फोन इस्तेमाल करता। ये बदलाव उसमे कब होने लगे वंश खुद नहीं जानता था। मुस्कुराते हुए वह भी बाकि सबकी तरफ चला आया।
शिवम् ने देखा की जाने का समय हो रहा है तो उसने गौरी , ऋतू , प्रिया और काशी को गाड़ी में बैठने को कहा। उनका सामान दीना ने पहले ही डिग्गी में रख दिया था। भारी मन से काशी गाड़ी में आ बैठी। गौरी आगे ड्राइवर के बगल में बैठ गयी और बाकि तीनो पीछे। सबने अपना हाथ हिलाते हुए उन चारो को बाय बोला और गाड़ी वहा से निकल गयी। वंश गौरी को देखकर हाथ हिलाते रहा , जैसे जैसे गाड़ी जा रही थी वंश के चेहरे की मुस्कराहट भी कम हो गयी। वह अंदर गया और दौड़कर छत पर चला आया यहाँ से एक बार फिर उसने जाती हुई गाडी को देखा और अगले ही पल उसे महसूस हुआ की उसकी आँखों में नमी उतर आयी है और उसका दिल जोरो से धड़क रहा है। वंश जाती हुई गाड़ी को देखकर हाथ हिलाता रहा और कुछ देर बाद गाड़ी उसकी आँखों से ओझल हो गयी।

“मुझे लगा शक्ति तुमसे मिलने आएगा”,काशी के बगल में बैठी ऋतू ने कहा
“इतने अपमान के बाद वो हमसे मिलने क्यों आएगा ? और अच्छा है वो हमसे ना मिले,,,,,,,,,,हम फिर से उसकी जान को दाव पर नहीं लगा सकते”,काशी ने बुझे स्वर में कहा
“लेकिन इसमें तुम्हारी भी गलती है काशी तुम्हे एटलीस्ट उसकी बात तो सुननी चाहिए थी”,प्रिया ने कहा
गौरी ने सूना तो उसे अच्छा नहीं लगा और उसने पीछे गर्दन करते हुए कहा,”ऋतू प्रिया , तूम दोनों उसे परेशान मत करो। हम सब वापस इंदौर जा रहे है इसलिए यहाँ जो कुछ भी हुआ है उसे यही छोड़ देंने में सबकी भलाई है , एक महीने बाद सबके एग्जाम्स है बेहतर होगा हम उन पर ध्यान दे”
मुन्ना का गुस्सा गौरी ने इन दोनों पर निकाल दिया और फिर खीजते हुए गर्दन घुमा ली। ड्राइवर सब सुन रहा था लेकिन उसने उनकी बातो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। काशी का मन उदास हो गया उसने अपने हाथो को खिड़की पर रखा और अपना मायूस चेहरा वहा टिका लिया।

“शक्ति भैया काशी दीदी वापस बड़े शहर जा रही है”,मंदिर की संध्या आरती में रोज शाम डमरू बजाने वाले कान्हा ने आकर कहा
शक्ति जो की पंडित जी के कमरे में बिस्तर पर लेटा हुआ था उसने जैसे ही सूना उठा और तेजी से वहा से निकल गया। काशी को सच बताये बिना वह जाने नहीं दे सकता था। पंडित जी स्नान करके वापस अपने कमरे की तरफ जा ही रहे थे की उन्होंने जब शक्ति को जाते देखा तो उसे रोकने के लिए उसके पीछे आये और कहा,”शक्ति,,,,,,,,,,शक्ति कहा जा रहे हो ? अभी तक तुमरे जख्म भरे नही है,,,,,,,शक्ति हमरी बात सुनो”
शक्ति ने कुछ नहीं सूना और वहा से चला गया। पंडित जी ने देखा तो मंदिर की तरफ देखकर हाथ जोड़ते हुए कहा,”उसकी रक्षा करना महादेव”
उसके सर और हाथ पर पट्टी बंधी थी , आँखों के नीचे मार के निशान थे और वह काफी बीमार भी दिख रहा था। शक्ति को बस किसी भी हाल में काशी को रोकना था इसलिए वह उस रास्ते की तरफ दौड़ पड़ा जिधर से उनकी गाडी को निकलना था। एक पल तो ऐसा आया की गाड़ी बिल्कुल शक्ति के सामने से ही निकली लेकिन शक्ति देख नहीं पाया भागने की वजह से उसके हाथ में लगी चोट से खून बहने लगा था और उसी को देखने के लिए उसने गर्दन घुमा ली और गाड़ी वहा से निकल गयी लेकिन जैसे ही गाड़ी दूसरी तरफ मुड़ी शक्ति को खिड़की से सर लगाये काशी का चेहरा दिखा और वह उस तरफ दौड़ पड़ा लेकिन उसकी किस्मत उधर से लोगो की भीड़ निकली और शक्ति आगे नहीं जा पाया गाड़ी वहा से निकल गयी। शक्ति के पास एक ही रास्ता था वह उस रस्ते पर बने घाट के मंदिर की छत पर चला आया और खड़ा होकर उस गाड़ी को देखने लगा। महादेव् ने उसकी सुन ली और उसे काशी दिखाई दी। शक्ति उस वक्त तकलीफ में था लेकिन काशी को देखकर मुस्कुरा उठा। उसकी आँखों में काशी के लिए प्यार साफ नजर आ रहा था।
खिड़की से अपना चेहरा लगाए काशी शक्ति के बारे में ही सोच रही थी तभी ऋतू ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”काशी,,,,,,,,,,,शक्ति,,,,,,,,वो वहा”
काशी ने ऋतू की बतायी दिशा की तरफ देखा तो पाया की शक्ति वहा खड़ा है और उसे ही देख रहा है। काशी की आँखों में आँसू भर आये गाड़ी बढ़ गयी लेकिन काशी शक्ति को देखते रही। गाड़ी एक बार फिर गली में मुड़ गयी और शक्ति उसकी आँखों से ओझल हो गया। जैसे ही गाड़ी मुड़ी शक्ति छत की दीवारों पर भागते हुए उस तरफ आया जिस तरफ से गाड़ी को गुजरना था। काशी को एक बार फिर शक्ति नजर आया और इस बार उसकी आँखों में ठहरे आँसू बह गए उसने खिड़की बंद कर दी और अपना सर अंदर सीट से लगा लिया। गाड़ी वहा से निकल गयी लेकिन इस बार शक्ति उस गाड़ी के पीछे नहीं गया बल्कि उसने अपनी आँख से गिरने वाले आँसुओ को अपनी बाजु से पोछा पर वापस जाने के लिए पलट गया।

“राजन भैया जे तुमरे साथ सही नहीं हो रहा , मतलब घर में तुम अपने पिताजी से दब के रहो , कॉलेज में साला उह वंश मुन्ना से डरके रहो , और तो और एक ठो लड़की पसंद किये रहे उह भी ससुरा उह शक्तिया ले गया। हमको तो ना बहुते तरस आ रहा है तुम पर”,भूषण ने राजन की खटिया के पास पड़ी कुर्सी पर बैठे बैठे कहा
“तो हम का करे भूषण तुमने सूना ना पापा का कहे रहे”,प्रताप ने दातुन को मुँह से नोचते हुए कहा
“अरे तुम्हरे पापा है एक नंबर के डरपोक,,,,,,,,,,,,शिवम् गुप्ता और विधायक के नाम से ही फटती है उनकी,,,,,,,,,,पर तुमको का हो गया ? तुमहू साला अपने पहिले पियार को ऐसे चले जाने दोगे”,भूषण ने आग में घी डालते हुए कहा
“बात तुमरी ठीक है भूषण पापा की शिवम् गुप्ता से दुश्मनी है तो उह खुद निपटे , साला उनके चक्कर में हम अपने प्यार की क़ुरबानी काहे दे बे ?”,राजन ने कहा तो भूषण मुस्कुराया और कहा,”यही तो हम कहना चाह रहे , शक्ति से कैसे निपटना है जे अब आप देख लो ?”
कहकर भूषण वहा से चला गया। प्रताप के घर में काम करने वाले नौकर ने सूना तो कहा,”ए भूषण तुम राजन भैया को का उलटी सीधी पट्टी पढ़ा रहे हो ?”
“देखो बेटा ऐसा है तुमहू ना हमरे से रहो दूर , और मुंह में दही जमा लो वरना इतनी कुटाई करेंगे तुम्हारी बनारस में दिखोगे नहीं”,भूषण ने कहा और वहा से चला गया।
“जो जितना करीबी होता है उह उतना ही बड़ा धोखा देता है , काश जे बात राजन भैया जल्दी समझ जाये,,,,,,,,,!”,नौकर ने कहा और वहा से चला गया !

Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74 Main Teri Heer – 74

क्या वंश मुन्ना को बताएगा अपनी फीलिंग्स के बारे में ? शक्ति कैसे कम करेगा अपनी तकलीफे काशी के बिना ? आखिर क्या है भूषण के इरादे ? जानने के लिए सुनते रहिये “मैं तेरी हीर”

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