“मैं तेरी हीर” – 35
Main Teri Heer – 35
Main Teri Heer – 35
अंजलि और काशी शक्ति के बारे में बाते कर ही रही थी की तभी सारिका वहा आयी और कहा,”काशी तुमने अपना सामान पैक कर लिया ना बेटा ?”
“हाँ माँ हो चुका”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“ठीक है , हमने खाना लगा दिया है चलो दोनों चलकर खा लो , हम वंश को बुलाकर लाते है”,सारिका ने कहा
“माँ आप चलिए हम लोग आते है,”काशी ने कहा तो सारिका वहा से चली गयी। सारिका के जाने के बाद काशी सोच में डूब गयी आज से पहले उसने सारिका से कभी कोई बात नही छुपाई थी लेकिन कल मार्किट में जो हुआ वह बताकर वह अपनी माँ को परेशान करना नहीं चाहती थी।
“तो क्या सोच तुमने ?”,अंजलि ने काशी को सोच डूबा देखकर पूछा
“हम शक्ति से मिलने जायेंगे अंजलि अगर नहीं मिले तो शायद खुद में ही उलझकर रह जायेंगे”,काशी ने कहा तो अंजलि मुस्कुरा उठी। दोनों खाना खाने बाहर चली आयी तब तक शिवम् भी आ चूका था। शिवम् को देखते ही काशी उसके पास आयी और कहा,”पापा , तो फिर कल आप हमे छोड़ने इंदौर जा रहे है ना ?”
“हां लेकिन उस से पहले आपको हमसे एक वादा करना होगा”,शिवम् ने प्यार से काशी की तरफ देखते हुए कहा
“ठीक है वादा”,काशी ने कहा
“अरे ! बिना सुने ही आपने हमे वादा दे दिया”,शिवम् ने कहा
“क्योकि हमे अपने पापा पर पूरा भरोसा है”,काशी ने शिवम् की बांह थामते हुए कहा जैसे वह अक्सर बचपन में किया करती थी
“तो फिर ठीक है इस बार इंदौर जाओ तो थोड़ा जल्दी वापस आना , आपकी बहुत याद आती है घर सूना सूना लगता है”,शिवम् ने कहा
“पापा हम कोई ससुराल थोड़े ना जा रहे है , पढाई करने जा रहे है बस लेकिन कोशिश करेंगे जल्दी आप सबसे मिलने आये”,काशी ने कहा
“मेरी प्यारी राजकुमारी चलो आओ खाना खाते है”,शिवम् ने काशी के ललाट को चूमते हुए कहा
काशी , शिवम् , अंजलि तीनो खाना खाने के लिए आ बैठे ,, शिवम् ने आई को भी बुला लिया। सारिका ऊपर वंश के कमरे में आयी देखा वंश आज सोने के बजाय अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ा खोया हुआ सा बाहर देख रहा था। सारिका को थोड़ी हैरानी हुई की हमेशा सोया रहने वाला वंश आज ऐसे वह वंश के पास आयी और प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”वंश ! क्या हुआ बेटा तुम यहाँ क्यों खड़े हो ?”
“माँ , आप कब आयी ?”,वंश ने सारिका को वहा देखकर चौंकते हुए कहा जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो
“हम तुम्हे बुलाने आये है नीचे खाने पर सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है , आओ चलो”,सारिका ने कहा
“माँ हमारा मन नहीं है”,वंश ने कहा
सारिका उसके पास आयी सर को छूकर देखा और कहा,”क्या हुआ तबियत तो ठीक है ना तुम्हारी ?”
“माँ मैं ठीक हूँ , अच्छा माँ मैं बहुत ज्यादा गुस्सा करता हूँ क्या ?”,वंश ने एकदम से पूछा
“ये हम कैसे बता सकते है हमने तो कभी तुम्हे गुस्से में देखा ही नहीं”,सारिका ने प्यार से कहा
वंश प्यार से सारिका के चेहरे को देखने लगा। वंश को अपनी ओर देखता पाकर सारिका ने कहा,”क्या हुआ ?”
“आप बहुत प्यारी हो माँ , चलो खाना खाने चलते है”,वंश ने सारिका की बांह थामते हुए कहा
“अभी तो तुम कह रहे थे भूख नहीं है”,सारिका ने कहा
“अब इतनी प्यारी माँ को मना कोई मना कैसे कर सकता है ?”,वंश ने साथ चलते हुए कहा तो सारिका हसने लगी। दोनों नीचे आये सभी खाना खाने बैठ चुके थे। सारिका ने सबके लिए परोसा तो आई ने कहा,”बिटिया तुम भी खा लो”
“नहीं हम बाद में खा लेंगे”,सारिका ने कहा
“अरे आज तो तुम्हारे बाबा भी नहीं है जिनके बराबर तुम बैठ ना पाओ , चलो बैठो”,आई ने कहा तो सारिका शिवम् की तरफ देखने लगी। शिवम् ने सारिका को बैठने का इशारा किया तो सारिका भी सबके साथ बैठकर खाना खाने लगी। खाना खाकर शिवम् अपने कमरे में चला गया। सारिका दूसरे कामो में लग गयी और काशी आई के साथ बैठी बातें कर रही थी। बचे अंजलि वंश तो वो दोनों झगड़े के सिवा और कर ही क्या सकते थे ? दोनों बाहर सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे और रिमोट के लिए लड़-झगड़ रहे थे। जब झगड़ा बढ़ने लगा तो सारिका ने टीवी बंद करते हुए कहा,”वंश ऊपर अपने कमरे में जाओ और अंजलि तुम हमारे साथ चलो” दोनों चुपचाप उठकर चले गए।
उसी शाम , सिटी हॉस्पिटल
प्रताप ICU के बाहर बैठा राजन के होश में आने का इंतजार कर रहा था। सुबह से एक बार भी उसे होश नहीं आया था ऊपर से CM सर के साथ जो मीटिंग थी उसमे भी वह सफल नहीं हो सका।
राजन के दोस्त और उसका खास आदमी भूषण भी वहा मौजूद था। भूषण को शक था की हो ना हो वंश ने ही राजन को पीटा है लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं था बाकि सबके साथ वह भी डॉक्टर के आने की राह देख रहा था। कुछ देर बाद डॉक्टर आया और कहा,”राजन को होश आ गया है आप लोग जाकर उस से मिल सकते है”
प्रताप उठा और अंदर चला आया। राजन को होश आ चुका था हाथ-पैर में प्लास्टर बंधा था , सर पर पट्टी बंधी थी और चेहरे पर मार के लाल काले निशान देखकर प्रताप जैसे कठोर आदमी का दिल भी पसीज गया। वह आकर अपने बेटे के पास बैठा और कहने लगा,”जिसने भी तुम्हारी जे हालत की है उसको हम छोड़ेंगे नहीं बिटवा ,, एक एक को काट कर रख देंगे”
राजन ने कुछ नहीं कहा वह बस अपने पापा को देख रहा था। उसने देखा भूषण भी वही खड़ा है। भूषण को भी बहुत दुःख हो रहा था अपने दोस्त को ऐसी हालत में देखकर। प्रताप कुछ देर बैठा रहा और फिर भूषण को राजन के पास रुकने का इशारा करके वहा से बाहर चला चला गया। बाहर आकर प्रताप डॉक्टर से मिलने चला गया। भूषण आकर कुर्सी पर बैठा उसने राजन को देखा और कहा,”अच्छा हुआ आप बच गए भैया जिस कमीने ने आपका ये हाल किया है उसे हम छोड़ेंगे नहीं”
राजन ने अपने मुंह पर लगा ऑक्सीजन मास्क हटाया और धीरे से कहा,”मुन्ना इलेक्शन फॉर्म भरना नहीं चाहिए”
“आप चिंता मत करो भैया हम सब देख लेंगे , आप बस अच्छे से अपना ख्याल रखो”,भूषण ने कहा
राजन ने कुछ नहीं कहा ऑक्सीजन मास्क फिर से मुंह पर लगाया और आँखे मूँद ली। भूषण जो की दिमाग से थोड़ा पैदल था और गुस्सैल भी वह ICU से बाहर आया और अपने आदमियों से कहा,”गाडी निकालो बे उस वंश गुप्ता और मुन्ना मिश्रा को उनकी औकात हम दिखाते है”
प्रताप डॉक्टर से मिलकर वापस आ रहा था की उसने ये सुन लिया और भूषण के पास आकर कहा,”कोई कही नहीं जाएगा , तुम सबके इन झगड़ो की वजह से ही आज हमरा बिटवा हिया है। बिना हमसे पूछे या हमे बताये कोई भी ऐसा वैसा कदम नहीं उठाएगा”
“तो आप का चाहते है उन लौंडो को ऐसे ही छोड़ दे जिन्होंने हमारे राजन भैया को पीटा है”,भूषण ने गुस्से में कहा
“तुमको का लगता है हमको इस बात का दुःख नहीं है , अरे खून हमारा भी खौल रहा है लेकिन जे सही वक्त नहीं है। इह बख्त पावर भी उनके हाथ में है और सपोर्ट भी , मामले को थोड़ा ठंडा होने दो उसके बाद राजन खुद इन सबका बदला लेगा,,,,,,,,,,जबान देते है हम”,प्रताप ने कहा
भूषण ने आगे कुछ नहीं कहा इस वक्त उसने शांत रहना ही ठीक समझा और अपने आदमियों के साथ वहा से चला गया।
शीशे के सामने खड़ी काशी उलझन में थी उसके हाथ में दो सूट थे एक नीले रंग का हरे दुप्पटे के साथ और दूसरा लाल रंग का सफ़ेद दुप्पट्टे के साथ ,, उसे समझ नहीं आ रहा था कोनसा पहने ? तभी अंजलि आयी और घड़ी देखते हुए कहा,”और कितना टाइम लगेगा तुम्हे चलो देर हो जाएगी ? अरे ! ये क्या अभी तक तुम तैयार क्यों नहीं हुई ?”
“हमे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा की क्या पहनकर जाये ?”,काशी ने कहा
“ओह्हो तुम तो ऐसे तैयार हो रही हो जैसे तुम्हारी आज ही उस से शादी होने वाली हो , कुछ भी पहन लो क्या फर्क पड़ता है ?”,अंजलि ने कहा तो काशी उसे घूरने लगी। अंजलि ने देखा तो कहा,”अच्छा सॉरी , एक काम करो तुम ना ये नीला वाला पहन लो , लड़को को वैसे भी नीला रंग बहुत पसंद होता है”
काशी ने लाल वाले को साइड रखा और नीले वाले को लेकर बाथरूम की ओर चली गयी। कुछ देर बाद वापस आयी और तैयार होने लगी आज उसने बालो की चोटी नहीं बनाई उन्हें खुला ही रहने दिया। खुले बालो में काशी और भी सुंदर लग रही थी। आँखों में काजल लगाया , होंठो पर हल्की लिपस्टिक , आज उसने सूट के मैचिंग के झुमके भी पहने और हाथो में चुडिया। अंजलि वही शीशे के पास खड़ी बड़े प्यार से उसे तैयार होते देख रही थी। काशी ने देखा तो भँवे उचकाई अंजलि ने साइड होकर कहा,”आज तुम्हारे चेहरे पर एक अलग ही चमक है”
“कुछ भी कहती है , अब चल देर हो जाएगी”,काशी ने कहा दोनों कमरे से बाहर चली आयी सारिका ने देखा तो कहा,”काशी अंजलि तुम दोनों कही जा रही हो क्या ?”
“मर गए अब माँ से कैसे झूठ कहे ?”,काशी बड़बड़ायी वह सारिका को जवाब देती इस से पहले ही अंजलि बोल पड़ी,”हाँ बड़ी मामी वो हम दोनों अस्सी घाट की तरफ जा रहे है , कल काशी चली जाएगी ना इसलिए सोचा क्यों ना जाने से पहले दर्शन कर आये”
“ये तो अच्छी बात है अंजलि , तुम दोनों को जरूर जाना चाहिए। काशी यहाँ आओ”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“हाँ माँ”,काशी ने सारिका के सामने आकर कहा
“खुले बाल तुम पर बहुत अच्छे लगते है , एक मिनिट”,कहते हुए सारिका ने अपनी आँख के किनारे से काजल निकाला और काशी के कान के पीछे लगाते हुए कहा,”ध्यान से जाना और हां अपना और अंजलि का ख्याल रखना”
“ठीक है माँ हम आते है”,कहकर काशी अंजलि को लेकर वहा से चली गयी। घर से बाहर आकर काशी ने कहा,”पता है आज पहली बार माँ से बात छुपाई है हमने बहुत अजीब लग रहा है”
“काशी तू भी ना अब हर बात तो मम्मी पापा को नहीं बता सकते ना , अब चलो”,अंजलि ने कहा तो दोनों हसते मुस्कुराते अस्सी घाट की और जाने वाले रास्ते पर चल पड़ी। जैसे जैसे घाट करीब आते जा रहा था काशी के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी। दोनों घाट की सीढ़ियों पर चली आयी। संध्या आरती होने में अभी वक्त था। दोनों आकर सीढ़ियों पर खड़ी हो गयी और शक्ति को ढूंढने लगी लेकिन शक्ति उन्हें कही दिखाई नहीं दिया। काशी उदास हो गयी और अंजलि की तरफ देखकर कहा,”उसने तो कहा था की वो यही मिलेगा”
“हम्म्म्म उसने तुम्हे बेवकूफ बनाया , मुझे तो वह कही दिखाई नहीं दे रहा”,अंजलि ने भी दूर तक नजर दौड़ाते हुए कहा
“अब क्या करे ?”,काशी ने मासूमियत से कहा
“तुम ना एक नंबर की डफ्फर हो , जब उस से मिली थी तो उसका नंबर क्यों नहीं लिया ?”,अंजलि ने घूरते हुए कहा
“हम क्यों माँगे नंबर ?”,काशी ने कहा
“दुनिया की आधी से ज्यादा लव स्टोरी इसलिए अधूरी रह जाती है क्योकि हम लड़किया सोचती है लड़का है पहले बात वो शुरू करेगा , या नंबर वो मांगेगा। खैर कोई नहीं वापस चलते है”,अंजलि ने कहा
“थोड़ी देर रुकते है ना क्या पता गंगा आरती के समय वो यहाँ आये”,काशी ने कहा
“ठीक है चलो वहा नीचे की तरफ चलते है”,कहते हुए अंजलि काशी को लेकर नीचे चली आयी। गंगा आरती के लिए लोग इकट्ठा होने लगे थे और भीड़ बढ़ने लगी थी लेकिन शक्ति उनमे नहीं था। काशी की नजरे बस उसी को ढूंढ रही थी। अंजलि ने काशी को देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा , किसी अनजान लड़के के लिए काशी को इतना बैचैन उसने कभी नहीं देखा था उसने काशी के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”तुम अपने महादेव को बहुत मानती हो ना तो फिर उनसे अपने मन की बात कहो देखना वो जरूर सुनेंगे”
काशी ने अपने हाथ जोड़े , आँखे बंद की और मन ही मन अपने महादेव से प्रार्थना करने लगी। गंगा आरती शुरू हो चुकी थी उस पावन माहौल में काशी अपनी सारी परेशानिया भूल चुकी थी। कानों में पड़ती महादेव और गंगा आरती की गूंज , माहौल में गूंजता शंखनाद मिलकर काशी के मन को सुकून से भर रहा था। पहली बार उसका दिल किया की वह बनारस छोड़कर ना जाये। आरती खत्म हुई , काशी ने देखा घाट के बांयी ओर कोई खड़ा था , काशी ने भीड़ से झाँकते हुए उसे देखने की कोशिश की और सहसा ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
काशी अंजलि को वही छोड़ सीढ़ियों से भागते हुए उस तरफ चली गयी जिस तरफ वो शख्स खड़ा था। भीड़ से तन्हा अपने ही ख्यालो में डूबा उसे शायद ये भी अहसास नहीं था की कोई पिछले एक घंटे से उसकी राह देख रहा है। काशी उसके सामने आकर रुकी और हाँफते हुए कहा,”अच्छा हुआ तुम मिल गए , पता है कबसे ढूंढ रहे थे तुम्हे”
शक्ति ने काशी को वहा देखा तो उसका दिल धड़कने लगा। काशी उस से मिलने आएगी उसने सोचा भी नहीं था। वैसे शक्ति हमेशा इस घाट पर सबके जाने के बाद आता था लेकिन आज किसी खास वजह से आया था और काशी उसे मिल गयी। शक्ति को खोया हुआ देखकर काशी ने कहा,”हाय हमारा नाम काशी है”
काशी ने शक्ति की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
शक्ति काशी से हाथ मिलाने के बजाय वहा से आगे बढ़ गया।
Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35
शक्ति ने काशी को इग्नोर क्यों किया ? क्या काशी अपने दिल की बात शक्ति से कह पायेगी ? क्या मुन्ना कॉलेज इलेक्शन फॉर्म भर पायेगा ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 36
Read More – “मैं तेरी हीर” – 34
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संजना किरोड़ीवाल
अंजलि और काशी शक्ति के बारे में बाते कर ही रही थी की तभी सारिका वहा आयी और कहा,”काशी तुमने अपना सामान पैक कर लिया ना बेटा ?”
“हाँ माँ हो चुका”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“ठीक है , हमने खाना लगा दिया है चलो दोनों चलकर खा लो , हम वंश को बुलाकर लाते है”,सारिका ने कहा
“माँ आप चलिए हम लोग आते है,”काशी ने कहा तो सारिका वहा से चली गयी। सारिका के जाने के बाद काशी सोच में डूब गयी आज से पहले उसने सारिका से कभी कोई बात नही छुपाई थी लेकिन कल मार्किट में जो हुआ वह बताकर वह अपनी माँ को परेशान करना नहीं चाहती थी।
“तो क्या सोच तुमने ?”,अंजलि ने काशी को सोच डूबा देखकर पूछा
“हम शक्ति से मिलने जायेंगे अंजलि अगर नहीं मिले तो शायद खुद में ही उलझकर रह जायेंगे”,काशी ने कहा तो अंजलि मुस्कुरा उठी। दोनों खाना खाने बाहर चली आयी तब तक शिवम् भी आ चूका था। शिवम् को देखते ही काशी उसके पास आयी और कहा,”पापा , तो फिर कल आप हमे छोड़ने इंदौर जा रहे है ना ?”
“हां लेकिन उस से पहले आपको हमसे एक वादा करना होगा”,शिवम् ने प्यार से काशी की तरफ देखते हुए कहा
“ठीक है वादा”,काशी ने कहा
“अरे ! बिना सुने ही आपने हमे वादा दे दिया”,शिवम् ने कहा
“क्योकि हमे अपने पापा पर पूरा भरोसा है”,काशी ने शिवम् की बांह थामते हुए कहा जैसे वह अक्सर बचपन में किया करती थी
“तो फिर ठीक है इस बार इंदौर जाओ तो थोड़ा जल्दी वापस आना , आपकी बहुत याद आती है घर सूना सूना लगता है”,शिवम् ने कहा
“पापा हम कोई ससुराल थोड़े ना जा रहे है , पढाई करने जा रहे है बस लेकिन कोशिश करेंगे जल्दी आप सबसे मिलने आये”,काशी ने कहा
“मेरी प्यारी राजकुमारी चलो आओ खाना खाते है”,शिवम् ने काशी के ललाट को चूमते हुए कहा
काशी , शिवम् , अंजलि तीनो खाना खाने के लिए आ बैठे ,, शिवम् ने आई को भी बुला लिया। सारिका ऊपर वंश के कमरे में आयी देखा वंश आज सोने के बजाय अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ा खोया हुआ सा बाहर देख रहा था। सारिका को थोड़ी हैरानी हुई की हमेशा सोया रहने वाला वंश आज ऐसे वह वंश के पास आयी और प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”वंश ! क्या हुआ बेटा तुम यहाँ क्यों खड़े हो ?”
“माँ , आप कब आयी ?”,वंश ने सारिका को वहा देखकर चौंकते हुए कहा जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो
“हम तुम्हे बुलाने आये है नीचे खाने पर सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है , आओ चलो”,सारिका ने कहा
“माँ हमारा मन नहीं है”,वंश ने कहा
सारिका उसके पास आयी सर को छूकर देखा और कहा,”क्या हुआ तबियत तो ठीक है ना तुम्हारी ?”
“माँ मैं ठीक हूँ , अच्छा माँ मैं बहुत ज्यादा गुस्सा करता हूँ क्या ?”,वंश ने एकदम से पूछा
“ये हम कैसे बता सकते है हमने तो कभी तुम्हे गुस्से में देखा ही नहीं”,सारिका ने प्यार से कहा
वंश प्यार से सारिका के चेहरे को देखने लगा। वंश को अपनी ओर देखता पाकर सारिका ने कहा,”क्या हुआ ?”
“आप बहुत प्यारी हो माँ , चलो खाना खाने चलते है”,वंश ने सारिका की बांह थामते हुए कहा
“अभी तो तुम कह रहे थे भूख नहीं है”,सारिका ने कहा
“अब इतनी प्यारी माँ को मना कोई मना कैसे कर सकता है ?”,वंश ने साथ चलते हुए कहा तो सारिका हसने लगी। दोनों नीचे आये सभी खाना खाने बैठ चुके थे। सारिका ने सबके लिए परोसा तो आई ने कहा,”बिटिया तुम भी खा लो”
“नहीं हम बाद में खा लेंगे”,सारिका ने कहा
“अरे आज तो तुम्हारे बाबा भी नहीं है जिनके बराबर तुम बैठ ना पाओ , चलो बैठो”,आई ने कहा तो सारिका शिवम् की तरफ देखने लगी। शिवम् ने सारिका को बैठने का इशारा किया तो सारिका भी सबके साथ बैठकर खाना खाने लगी। खाना खाकर शिवम् अपने कमरे में चला गया। सारिका दूसरे कामो में लग गयी और काशी आई के साथ बैठी बातें कर रही थी। बचे अंजलि वंश तो वो दोनों झगड़े के सिवा और कर ही क्या सकते थे ? दोनों बाहर सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे और रिमोट के लिए लड़-झगड़ रहे थे। जब झगड़ा बढ़ने लगा तो सारिका ने टीवी बंद करते हुए कहा,”वंश ऊपर अपने कमरे में जाओ और अंजलि तुम हमारे साथ चलो” दोनों चुपचाप उठकर चले गए।
उसी शाम , सिटी हॉस्पिटल
प्रताप ICU के बाहर बैठा राजन के होश में आने का इंतजार कर रहा था। सुबह से एक बार भी उसे होश नहीं आया था ऊपर से CM सर के साथ जो मीटिंग थी उसमे भी वह सफल नहीं हो सका।
राजन के दोस्त और उसका खास आदमी भूषण भी वहा मौजूद था। भूषण को शक था की हो ना हो वंश ने ही राजन को पीटा है लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं था बाकि सबके साथ वह भी डॉक्टर के आने की राह देख रहा था। कुछ देर बाद डॉक्टर आया और कहा,”राजन को होश आ गया है आप लोग जाकर उस से मिल सकते है”
प्रताप उठा और अंदर चला आया। राजन को होश आ चुका था हाथ-पैर में प्लास्टर बंधा था , सर पर पट्टी बंधी थी और चेहरे पर मार के लाल काले निशान देखकर प्रताप जैसे कठोर आदमी का दिल भी पसीज गया। वह आकर अपने बेटे के पास बैठा और कहने लगा,”जिसने भी तुम्हारी जे हालत की है उसको हम छोड़ेंगे नहीं बिटवा ,, एक एक को काट कर रख देंगे”
राजन ने कुछ नहीं कहा वह बस अपने पापा को देख रहा था। उसने देखा भूषण भी वही खड़ा है। भूषण को भी बहुत दुःख हो रहा था अपने दोस्त को ऐसी हालत में देखकर। प्रताप कुछ देर बैठा रहा और फिर भूषण को राजन के पास रुकने का इशारा करके वहा से बाहर चला चला गया। बाहर आकर प्रताप डॉक्टर से मिलने चला गया। भूषण आकर कुर्सी पर बैठा उसने राजन को देखा और कहा,”अच्छा हुआ आप बच गए भैया जिस कमीने ने आपका ये हाल किया है उसे हम छोड़ेंगे नहीं”
राजन ने अपने मुंह पर लगा ऑक्सीजन मास्क हटाया और धीरे से कहा,”मुन्ना इलेक्शन फॉर्म भरना नहीं चाहिए”
“आप चिंता मत करो भैया हम सब देख लेंगे , आप बस अच्छे से अपना ख्याल रखो”,भूषण ने कहा
राजन ने कुछ नहीं कहा ऑक्सीजन मास्क फिर से मुंह पर लगाया और आँखे मूँद ली। भूषण जो की दिमाग से थोड़ा पैदल था और गुस्सैल भी वह ICU से बाहर आया और अपने आदमियों से कहा,”गाडी निकालो बे उस वंश गुप्ता और मुन्ना मिश्रा को उनकी औकात हम दिखाते है”
प्रताप डॉक्टर से मिलकर वापस आ रहा था की उसने ये सुन लिया और भूषण के पास आकर कहा,”कोई कही नहीं जाएगा , तुम सबके इन झगड़ो की वजह से ही आज हमरा बिटवा हिया है। बिना हमसे पूछे या हमे बताये कोई भी ऐसा वैसा कदम नहीं उठाएगा”
“तो आप का चाहते है उन लौंडो को ऐसे ही छोड़ दे जिन्होंने हमारे राजन भैया को पीटा है”,भूषण ने गुस्से में कहा
“तुमको का लगता है हमको इस बात का दुःख नहीं है , अरे खून हमारा भी खौल रहा है लेकिन जे सही वक्त नहीं है। इह बख्त पावर भी उनके हाथ में है और सपोर्ट भी , मामले को थोड़ा ठंडा होने दो उसके बाद राजन खुद इन सबका बदला लेगा,,,,,,,,,,जबान देते है हम”,प्रताप ने कहा
भूषण ने आगे कुछ नहीं कहा इस वक्त उसने शांत रहना ही ठीक समझा और अपने आदमियों के साथ वहा से चला गया।
शीशे के सामने खड़ी काशी उलझन में थी उसके हाथ में दो सूट थे एक नीले रंग का हरे दुप्पटे के साथ और दूसरा लाल रंग का सफ़ेद दुप्पट्टे के साथ ,, उसे समझ नहीं आ रहा था कोनसा पहने ? तभी अंजलि आयी और घड़ी देखते हुए कहा,”और कितना टाइम लगेगा तुम्हे चलो देर हो जाएगी ? अरे ! ये क्या अभी तक तुम तैयार क्यों नहीं हुई ?”
“हमे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा की क्या पहनकर जाये ?”,काशी ने कहा
“ओह्हो तुम तो ऐसे तैयार हो रही हो जैसे तुम्हारी आज ही उस से शादी होने वाली हो , कुछ भी पहन लो क्या फर्क पड़ता है ?”,अंजलि ने कहा तो काशी उसे घूरने लगी। अंजलि ने देखा तो कहा,”अच्छा सॉरी , एक काम करो तुम ना ये नीला वाला पहन लो , लड़को को वैसे भी नीला रंग बहुत पसंद होता है”
काशी ने लाल वाले को साइड रखा और नीले वाले को लेकर बाथरूम की ओर चली गयी। कुछ देर बाद वापस आयी और तैयार होने लगी आज उसने बालो की चोटी नहीं बनाई उन्हें खुला ही रहने दिया। खुले बालो में काशी और भी सुंदर लग रही थी। आँखों में काजल लगाया , होंठो पर हल्की लिपस्टिक , आज उसने सूट के मैचिंग के झुमके भी पहने और हाथो में चुडिया। अंजलि वही शीशे के पास खड़ी बड़े प्यार से उसे तैयार होते देख रही थी। काशी ने देखा तो भँवे उचकाई अंजलि ने साइड होकर कहा,”आज तुम्हारे चेहरे पर एक अलग ही चमक है”
“कुछ भी कहती है , अब चल देर हो जाएगी”,काशी ने कहा दोनों कमरे से बाहर चली आयी सारिका ने देखा तो कहा,”काशी अंजलि तुम दोनों कही जा रही हो क्या ?”
“मर गए अब माँ से कैसे झूठ कहे ?”,काशी बड़बड़ायी वह सारिका को जवाब देती इस से पहले ही अंजलि बोल पड़ी,”हाँ बड़ी मामी वो हम दोनों अस्सी घाट की तरफ जा रहे है , कल काशी चली जाएगी ना इसलिए सोचा क्यों ना जाने से पहले दर्शन कर आये”
“ये तो अच्छी बात है अंजलि , तुम दोनों को जरूर जाना चाहिए। काशी यहाँ आओ”,सारिका ने बड़े प्यार से कहा
“हाँ माँ”,काशी ने सारिका के सामने आकर कहा
“खुले बाल तुम पर बहुत अच्छे लगते है , एक मिनिट”,कहते हुए सारिका ने अपनी आँख के किनारे से काजल निकाला और काशी के कान के पीछे लगाते हुए कहा,”ध्यान से जाना और हां अपना और अंजलि का ख्याल रखना”
“ठीक है माँ हम आते है”,कहकर काशी अंजलि को लेकर वहा से चली गयी। घर से बाहर आकर काशी ने कहा,”पता है आज पहली बार माँ से बात छुपाई है हमने बहुत अजीब लग रहा है”
“काशी तू भी ना अब हर बात तो मम्मी पापा को नहीं बता सकते ना , अब चलो”,अंजलि ने कहा तो दोनों हसते मुस्कुराते अस्सी घाट की और जाने वाले रास्ते पर चल पड़ी। जैसे जैसे घाट करीब आते जा रहा था काशी के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी। दोनों घाट की सीढ़ियों पर चली आयी। संध्या आरती होने में अभी वक्त था। दोनों आकर सीढ़ियों पर खड़ी हो गयी और शक्ति को ढूंढने लगी लेकिन शक्ति उन्हें कही दिखाई नहीं दिया। काशी उदास हो गयी और अंजलि की तरफ देखकर कहा,”उसने तो कहा था की वो यही मिलेगा”
“हम्म्म्म उसने तुम्हे बेवकूफ बनाया , मुझे तो वह कही दिखाई नहीं दे रहा”,अंजलि ने भी दूर तक नजर दौड़ाते हुए कहा
“अब क्या करे ?”,काशी ने मासूमियत से कहा
“तुम ना एक नंबर की डफ्फर हो , जब उस से मिली थी तो उसका नंबर क्यों नहीं लिया ?”,अंजलि ने घूरते हुए कहा
“हम क्यों माँगे नंबर ?”,काशी ने कहा
“दुनिया की आधी से ज्यादा लव स्टोरी इसलिए अधूरी रह जाती है क्योकि हम लड़किया सोचती है लड़का है पहले बात वो शुरू करेगा , या नंबर वो मांगेगा। खैर कोई नहीं वापस चलते है”,अंजलि ने कहा
“थोड़ी देर रुकते है ना क्या पता गंगा आरती के समय वो यहाँ आये”,काशी ने कहा
“ठीक है चलो वहा नीचे की तरफ चलते है”,कहते हुए अंजलि काशी को लेकर नीचे चली आयी। गंगा आरती के लिए लोग इकट्ठा होने लगे थे और भीड़ बढ़ने लगी थी लेकिन शक्ति उनमे नहीं था। काशी की नजरे बस उसी को ढूंढ रही थी। अंजलि ने काशी को देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा , किसी अनजान लड़के के लिए काशी को इतना बैचैन उसने कभी नहीं देखा था उसने काशी के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”तुम अपने महादेव को बहुत मानती हो ना तो फिर उनसे अपने मन की बात कहो देखना वो जरूर सुनेंगे”
काशी ने अपने हाथ जोड़े , आँखे बंद की और मन ही मन अपने महादेव से प्रार्थना करने लगी। गंगा आरती शुरू हो चुकी थी उस पावन माहौल में काशी अपनी सारी परेशानिया भूल चुकी थी। कानों में पड़ती महादेव और गंगा आरती की गूंज , माहौल में गूंजता शंखनाद मिलकर काशी के मन को सुकून से भर रहा था। पहली बार उसका दिल किया की वह बनारस छोड़कर ना जाये। आरती खत्म हुई , काशी ने देखा घाट के बांयी ओर कोई खड़ा था , काशी ने भीड़ से झाँकते हुए उसे देखने की कोशिश की और सहसा ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
As always superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb superb part 👌👌👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌👌 behtreen story 👌👌👌👌👌
Very nice
Bhut hi shasndaar part tha
acha lga part mam
dekhte h aage kya kya hona baki h munna ke sath kya krega rajan
Ye kmine log munna ko election ladne denge k nhi… Nhi mera mtlb hh form bhi bhrega, ldega or jeetega bhi pr in gadho ki kitnii haddiya tutegi ye inko kon smjhayee….chle hh shanpati krne😏😏😏
Ye shakti ne kashi ko ignore kyu kr Diya 🙄🙄
Wow akhir kashi ki mulakat ho hi gayi shakti se, lekin aab munna k form bharne me kya problem ati h dekhna h, i hope vansh kuch galat hone nhi dega.
WAW
Nice story
Nice part