“मैं तेरी हीर” – 5
Main Teri Heer – 5
Main Teri Heer – 5
अस्सी घाट की सीढ़ियों पर बैठा मुन्ना घाट के पानी को देखता रहा। अपने मन की बात वह बहुत कम शेयर किया करता था। उसकी अपनी एक अलग दुनिया थी जिसमे उसके सपने थे , उसके खूबसूरत ख्याल थे। कुछ देर वहा बैठे रहने के बाद वह उठा और सीढ़ियों से ऊपर चला आया। अपनी बाइक स्टार्ट कर वह घर जाने लगा। अभी कुछ दूर ही चला था की उसकी नजर सड़क पर खड़ी लड़की पर गयी। मुन्ना ने घडी में वक्त देखा काफी रात हो चुकी थी वह बाइक लेकर लड़की के पास आया देखा ये वही लड़की थी जो मुन्ना से बार में मिली थी और फिर कॉलेज में मुन्ना के ग्रुप के साथ साफ़ सफाई भी की थी।
“इतनी रात में यहाँ क्या कर रही हो ?”,मुन्ना ने औपचारिकता से पूछा
“सर आप , सर वो मैं ऑटो का इंतजार कर रही हूँ लेकिन ऑटो तो कही मिल ही नहीं रहा”,लड़की ने कहा
“कहा रहती हो ?”,मुन्ना ने सवाल किया
“जगतगंज”,लड़की ने कहा
“उस तरफ के लिए तो इस वक्त कोई रिक्शा नहीं मिलेगा , बैठो हम छोड़ देते है”,मुन्ना ने बिना लड़की की तरफ देखे कहा
लड़की ने सूना तो मन ही मन खुश हो गयी। पहले दिन से ही मुन्ना उसे बहुत पसंद था और आज तो वह खुद उसे अपनी बाइक पर बैठने को कह रहा है। लड़की ख़ुशी ख़ुशी आकर मुन्ना के पीछे आ बैठी। मुन्ना ने बाइक आगे बढ़ा दी , लड़की को लगा रास्ते में वह मुन्ना से बात करेगी उस से जान पहचान बढ़ाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मुन्ना ख़ामोशी से बाइक चला रहा था और लड़की भी पीछे खामोश बैठी थी। कुछ देर बाद ही बाइक जगतगंज पहुंची। लड़की ने रुकने को कहा तो मुन्ना ने बाइक रोक दी लड़की नीचे उतरी और मुन्ना के सामने आकर कहा,”थेंक्यू सो मच सर”
“हमे गलत मत समझना लेकिन इतनी रात में ऐसे अकेले घर से बाहर घूमना सही नहीं है। आपके घरवालों ने आपको जो आजादी दी है उसका सही जगह इस्तेमाल करे”,कहकर मुन्ना वहा से आगे बढ़ गया और लड़की उसे बस जाते हुए देखते रही।
बाइक लेकर मुन्ना जब घर की तरफ जा रहा था तो नजर नुक्कड़ पर खड़ी पुलिस की जीप पर पड़ी जहा किशोर ने किसी लड़के को बाइक समेत रोक रखा था। मुन्ना को भी उधर से ही निकलना था उसे देखते ही हवलदार ने उसे नहीं रोका उलटा नमस्ते की लेकिन किशोर तो मुन्ना से खुन्नस खाकर बैठा था इसलिए अपना पुलिस वाला डंडा उसकी बाइक के आगे करके कहा,”इतनी रात में कहा से आ रहे हो ?”
“दोस्त के यहाँ से”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“दोस्त के यहाँ से ? फिर तो पार्टी भी हुई होगी ,, मुंह खोलो जरा”,किशोर ने मुन्ना के पास आकर कहा
“सर ये विधायक जी के लड़के है”,हवलदार ने धीरे से कहा
“तो ? विधायकों के लौंडो के लिए क्या अलग से रूल बनेंगे ? चेक करो इसे”,किशोर ने थोड़ी तेज आवाज में कहा लेकिन मुन्ना शांत रहा और सहजता से कहा,”हम शराब नहीं पीते है”
“अभी चेक कर लेते है”,कहते हुए किशोर ने मुन्ना को मीटर में लगे पाइप पर फूंक मारने को कहा। किशोर ने देखा मुन्ना सच बोल रहा था। उसने मीटर साइड में रखा और मुन्ना के थोड़ा करीब आकर कहा,”कोई नशा तो करते ही होंगे , तुम्हारी ये आँखे जिनसे हर वक्त एक गुस्सा टपकता है कोई तो वजह होगी ?”
“अगर आपका काम हो गया हो तो हम जाये ?”,मुन्ना ने कहा
“हां,,,,,,,,हां जाओ”,किशोर ने कहा और साइड हो गया। मुन्ना ने अपनी बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ गया। किशोर के कहे शब्द उसके कानो में गूंज रहे थे और उन शब्दों से मुन्ना को किशोर की अपने पापा के लिए नफरत साफ महसूस हो रही थी। मुन्ना घर पहुंचा हाथ पर बंधी घडी में देखा आज फिर लेट हो चुका था। उसने बाइक साइड में लगाई और अंदर चला आया गनीमत था दरवाजा अनु ने खोला और मुस्कुराते हुए कहा,”आ गए तुम चलो फटाफट हाथ मुंह धो लो मैं खाना लगा देती हूँ”
मुन्ना ने अंदर आते हुए देखा मुरारी नहीं है उसने राहत की साँस ली और वाशरूम की तरफ चला आया।
मुन्ना हाथ मुंह धोकर वापस आया और आकर डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी खिसकाकर बैठ गया। अनु ने किशन को खाना गर्म करने को कह दिया था वह खाने के बर्तन लाकर टेबल पर रख रहा था। कुछ देर बाद अनु आकर बैठ गयी और मुरारी भी चला आया उन्हें देखकर मुन्ना ने कहा,”आप दोनों ने अभी तक खाना नहीं खाया ?”
“यही तो एक वक्त है जिसमे पूरा परिवार साथ होता है , ,पहले चाचा चाची के साथ तो कभी आई के यहाँ खाना खाते थे अब तुम दोनों के साथ ,, अनु खाना परोसो यार हमारा मुंह का देख रही हो ?”,मुरारी ने कुर्ते की बाजु चढ़ाते हुए कहा
“हाँ एक मिनिट,,,,,,,,,,,(कहते हुए किशन की तरफ पलटी और कहा) किशन इन दोनों को खाना मैं परोस दूंगी तूम जाओ जाकर खाना खा लो”,अनु ने कहा
“जी भाभी”,कहकर किशन वहा से चला गया। किशन के जाने के बाद अनु ने मुरारी और मुन्ना दोनों की थाली में खाना परोसा और खुद भी उनके साथ बैठकर ही खाने लगी।
“शिवम् भैया से मिले आज ?”,मुरारी ने मुन्ना से पूछा
“हां कॉलेज के बाद गए थे उनके घर”,मुन्ना ने बिना मुरारी की तरफ देखे खाना खाते हुए कहा
“तो का कह रहे थे भैया ?”,मुरारी ने पूछा
“अगले हफ्ते से दिवाली की छुट्टियां है तो बड़े पापा चाहते है की हम इंदौर जाकर काशी को लेकर आये”,मुन्ना ने कहा
“क्या कहा काशी आ रही है ? ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है मैं कल ही किशन से कहकर उसकी पसंद के सब स्नेक्स और मिठाई बनवाती हूँ”,अनु ने ख़ुशी से भरकर कहा
“अरे अनु सब्र रखो यार अगले हफ्ते आ रही है वो कल नहीं , हां तो मुन्ना कैसे जा रहे हो ? हम तो कहते है गाडी ले जाओ , वंश भी साथ में जा रहा होगा ?”,मुरारी ने पूछा
“हाँ हम और वंश दोनों ही जा रहे है”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है , आने से पहले तीनो अपने नाना नानी से भी मिलते हुए आना उन्हें अच्छा लगेगा।”,मुरारी ने खाते हुए कहा
“और हम सब कब जायेंगे इंदौर ? पिछले साल मम्मी पापा की एनिवर्सरी पर गए थे तबसे बस फोन पर ही बात होती है”,अनु ने थोड़ा उदास होकर कहा
“अरे जब दिवाली की छुट्टियों के बाद काशी वापस जाएगी तब इस बार उसे छोड़ने हम लोग चलेंगे। तुम कुछ दिन वही रुक जाना अपने मम्मी पापा के पास”,मुरारी ने कहा
“फिर ठीक है , इस बार काशी आएगी तो मैं सारिका दी और जीजाजी से कह दूंगी की वो मेरे पास ही रहेगी , कल ही किशन से कहकर उसके लिए कमरा साफ करवा देती हूँ। उसकी जरूरत की सारी चीजे उसके कमरे में होनी चाहिए की नहीं चाहिए। पता नहीं हॉस्टल में रहने की क्या सूझी उस लड़की को ? जल्दी से उसकी पढाई खत्म हो और बस वो यहाँ आ जाये”,अनु ने कहा
मुन्ना और मुरारी ने सूना तो दोनों मुस्कुराने लगे। सब जानते थे की अनु और काशी में बहुत पटती थी। अनु मुरारी से काशी के बारे में बात कर रही थी और मुन्ना चुपचाप अपना खाना खा रहा था।
“आज शाम अस्सी घाट की सीढ़ियों पर बैठे का कर रहे थे तुम ?”,मुरारी ने एकदम से कहा तो मुन्ना खाते खाते रुक गया और फिर धीरे से कहा,”वो बस ऐसे ही टहलने निकले थे तो उस तरफ चले गए”
“देखो बेटा ऐसा है हम जिस पोजिशन पर है ना उसमे कब कौन हमारा दुश्मन बन जाये कुछो कहा नहीं जा सकता ? वक्त बेवक्त ऐसे बाहर घूमना ठीक नहीं है थोड़ा ख्याल रखो”,मुरारी ने मुन्ना को समझाते हुए कहा
“जी ध्यान रखेंगे”,मुन्ना ने कहा। उसने अपना खाना खत्म किया और उठकर वाशबेसिन की ओर चला आया। हाथ धोते हुए मुन्ना मन ही मन कहने लगा,”पापा की विधायकी के चक्कर में हम कभी अपने मन का कर ही नहीं पाते। पापा और इनके नियम अब क्या घाट पर भी ना जाये ? वंश के बाद महादेव ही तो है जिनसे हम अपने दिल की बात कह सकते है”
मुन्ना हाथ धोकर ऊपर अपने कमरे में चला आया। जितना शानदार मुरारी का घर था उतने ही शानदार इस घर के कमरे थे। 8 कमरों के इस घर में रहने वाले सिर्फ 4 लोग मुरारी , अनु , मुन्ना और उनका नौकर किशन जिसे मुरारी ने किचन से लगकर बना कमरा दे रखा था। नीचे एक कमरा मुरारी और अनु का था। एक कमरा चाचा चाची के लिए रखा था जब भी वे लोग आते अपने ही कमरे में रुकते। एक कमरा मुरारी का अलग था जहा बैठकर वह मिलने वाले लोगो से मीटिंग रखता था। एक गेस्ट रूम था और एक स्टोर रूम। बाकि दो कमरे ऊपर थे जिनमे से एक मुन्ना का था और दूसरा कमरा भी आने जाने वाले मेहमानो के लिए। मुरारी ने अपने चाचा वाले पुराने घर को हटवाकर जमीन के बीचो बीच घर बनवाया था और बाकि एरिया को गार्डिंग में रख दिया जो की देखने में काफी खूबसूरत भी लगता है। मुन्ना ऊपर अपने कमरे में आया , इस पुरे घर में अगर सबसे खूबसूरत कुछ है तो वो है मुन्ना का कमरा। कमरे में बिल्कुल बिस्तर लगकर एक बड़ी सी खिड़की है जहा खड़े होकर सामने बहती नदी को देखा जा सकता है। बिस्तर के एक तरफ दिवार पर कबर्डस बने है जिनमे मुन्ना के कपडे और उसकी जरूरतों का सामान रखा था। बिस्तर के दूसरी तरफ कोने में एक टेबल था जहा मुन्ना का लेपटॉप , और दूसरी चीजे बहुत ही सलीके से रखी हुई थी टेबल से लगकर जो दिवार थी उस पर अंग्रेजी के बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था “LEADER” जो की देखने में काफी अच्छा भी लग रहा था। उसी टेबल से लगकर एक बुक रैंक था जिसमे ढेर सारी किताबे रखी हुई थी। और उस से कुछ आगे एक खिड़की और उसी खिड़की में बैठने की जगह भी थी जो की टेबल जैसे दिवार में ही फिट करके बनाई हुई थी। यहाँ से घर का मेन गेट साफ दिखता था। दोनों खिड़कियों पर हल्के हरे और गहरे हरे रंग के डबल पर्दे लगे हुए थे। कमरे का रंग भी हल्का हरा था। एक दिवार पर फैमिली फोटो लगा हुआ था तो दूसरी दिवार पर एक बहुत ही खूबसूरत महादेव की बड़ी सी पेंटिंग थी जिसमे महादेव ध्यान की मुद्रा में थे। कमरे में अटैच बाथरूम था , मुन्ना ने कबर्ड से कपडे लिए और बदलकर वापस अपने कमरे में चला आया। उसने टेबल के पास पड़ी अपनी कुर्सी खिसकाई और आकर उसपर बैठ गया। सामने पड़े लेपटॉप को ऑन किया और उस पर अपना काम करने लगा। इस डिजिटल ज़माने में भी मुन्ना सोशल मिडिया का इस्तेमाल बहुत कम करता था। अगर उसे किसी को मैसेज करना होता तो वह टेक्स्ट मैसेज करता या फिर मेल इस्तेमाल करता , मुन्ना का मानना था की ये सोशल मीडिआ सिर्फ यूथ का वक्त बर्बाद करने के लिए बना है जो की किसी हद तक सच भी था।
कुछ दिन यू ही निकल गए और कॉलेज की छुट्टिया शुरू हो गयी। मुन्ना घर आया तो शिवम ने फोन करके सुबह इंदौर के लिए निकल जाने को कहा।
वंश तो बहुत खुश था उसने रात में ही अपनी पैकिंग कर ली। कितने दिनों बाद उसे बनारस से बाहर जाने को मिल रहा था वह तो ये सोचकर ही खुश था। ख़ुशी के मारे सारी रात वह सो भी नहीं पाया। मुन्ना सुबह जल्दी उठ गया , अब जैसा शिवम् ने उस से कहा था अपना हुलिया सुधारने के लिए मुन्ना ने अपना दिल कड़ा करके खुद से कहा,”कोई बात नहीं ‘मान’ दाढ़ी ही तो है फिर आ जाएगी लेकिन बड़े पापा की बात नहीं टालनी”
मुन्ना ने ट्रिमर उठाया और अपनी दाढ़ी हटा दी बस हल्की हल्की दाढ़ी मुछे रखी। बाल उसके थोड़े लम्बे थे लेकिन उन्हें वैसा ही रहने दिया। मुन्ना नहाने चला गया नहाकर वापस आया जब शीशे में खुद को देखा तो खुद को ही शर्म आ रही थी पहली बार उसने अपनी दाढ़ी हटाई थी। शीशे के सामने खड़ा मुन्ना खुद से ही नजरे मिलाने से शरमा रहा था। दाढ़ी में जो मुन्ना 27-28 का लगता था दाढ़ी हटाने के बाद वही अब 20-22 का खूबसूरत नौजवान लग रहा था। उसके बाल बिल्कुल सीधे और मुलायम थे उसने बालो में हाथ घुमाया। कबर्ड से कपडे निकाले और पहनकर एक बार फिर शीशे के सामने था। ब्लैक शर्ट , लाइट क्रीम कलर फॉर्मल पेंट , शर्ट को पेंट में दबा रखा था साथ ही बेल्ट लगाया हुआ था। इन कपड़ो में मुन्ना बिल्कुल सीधा साधा लग रहा था। तैयार होकर अपना बैग उठाये वह नीचे आया उसे देखते ही अनु का मुंह खुला का खुला रह गया , उसे चक्कर आने लगे उसने डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी खिसकाई और सर पकड़ कर बैठ गयी। मुन्ना ने देखा तो जल्दी से उसके पास आया और कहा,”क्या हुआ माँ ? आप ठीक है ना ?”
अनु ने मुन्ना के गाल और सर को छूकर देखा और कहा,”तुम्हारी तबियत तो ठीक है न बेटा , तुम तो कुछ ज्यादा ही चेंज हो गए”
“क्या माँ आप भी ? बड़े पापा ने कहां की काशी को लेने जाना है तो ढंग से जाना इसलिए हमने”,मुन्ना कहते कहते रुक गया तो अनु ख़ुशी से उठी और उसका चेहरा थामते हुए कहा,”अरे जिंदगी में पहली बार बहुत सही काम किया है तुमने बेटा , कितने प्यारे लग रहे हो हाय नजर ना लगे तुम्हे किसी की,,,,,,,,,,!!!”
”मुन्ना तैयार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(कहते हुए मुरारी की नजर जैसे ही मुन्ना पर पड़ी वह भी हैरान रह गया और कहा) कुछ ज्यादा ही तैयार दिख रहे हो , अपने लिए लड़की देखने जा रहे हो ?”,मुरारी ने कहा
“कैसी बातें कर रहे है आप ? इसलिए हम दाढ़ी नहीं हटा रहे थे”,मुन्ना ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा
“अरे कतई जहर लग रहे हो , इंदौर की लड़किया पगला जाएगी तुम्हे देख के,,,,,,,,,,,,,क्यों अनु ?”,मुरारी ने अनु के पास आकर कहा तो अनु में मुरारी को घूरते हुए कहा,”मेरे बेटे के लिए लड़की मैं पसंद करुँगी”
मुन्ना ने सूना तो अपना बैग उठाकर पीठ पर टांगते हुए कहा,”माँ पापा हमे देर हो रही है वंश हमारा इंतजार कर रहा है , हम चलते है”
“हां बेटा और हां ध्यान से जाना नानू को फोन कर देना वो आजायेंगे दोनो को लेने”,अनु ने मुन्ना के साथ साथ चलते हुए कहा
बाहर आकर मुरारी ने अपनी नयी गाड़ी की चाबी मुन्ना की ओर बढाकर कहा,”ज्यादा स्पीड में मत चलाना”
मुन्ना की नजर जैसे ही गाड़ी पर पड़ी उसका मन बुझ गया। गाड़ी के आगे बोनट पर लगी प्लेट पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा था “चाचा विधायक है हमारे”
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संजना किरोड़ीवाल
Chacha vidhayak hai humare ye line gaadi pe likhwane ka concept bhut hi unique or funny hai.
mast part hai… mam us ladki ka naam to bata do jo munna se mili…
🤩🤩🤩🤩🤩
Very nice and interesting
Bhut hi khoobsurat part tha
🤣🤣🤣🤣 chacha vidhayak hai hmaree🤣🤣🤣 katai raid peet dii murari ne munna k mood ki😂😂😂
Dadi ktwa dii munna ki.. bichara sharma gyaaa🤩🤩🤩
ब्लैक शर्ट में तो वाकई जहर लग रहा होगा मुन्ना🤩 अब अनु भी तो थी कतई खूबसूरत तो उसका बेटा तो हैंडसम तो होगा ही…मुन्ना तो अपने बड़े पापा को बात को नहीं टाला और अपनी दाढ़ी उड़ा दी नहीं तो आजकल के लड़के तो अपने पिता जी के कहने पर भी नहीं मानते so sweet na… अब वंश और मून्ना का ये बनारस से इंदौर का सफर कैसे बीतेगा कोई होगी जो उसका इंतजार तो कर रही होगी..कुछ तो होगा इनके सफर में …
Chacha vidhayak hai hamare mam kuch baat toh hai is line mai khair woh toh aage pata chal hi jayega awesome part mam 😂😂Maza aa gaya 😊
Ye glt bat h yrrrr ek hi bar puri khani q nhi de dete h.. Or pdhne ka mn kr rha.. Plzzz thoda lambi khani likhiye na plzzzz 😞😞😞😞
Very beautiful
murari ne chacha ji ke jhande nahi chhodo wah kamal ho murari ji jiyo mja aaya part pdke nice
ye kishore ji ko kya dikkat h bhai sahab chain se saas v na lene doge ka babua chalo jo v ho mja bda aata h story me thank u mam wait for next
Nice story
Kya hame akshat or mira milenge indore me .
Mam isme character toh bahut acha hai lekin main lead kaun hai isme Munna vansh ya kaashi
Padte padhte aisa lgta h bss padhte hi chale jaye but chhotta likhti h sanjana kirodiwal ji😍😍🤩🤩
Murari jese pahle baat karta tha usme majja aata tha padke ab wesa majja ni aara baki kahani acchi lag rahi h
Chahe jo kahiye…aap aur apki stories bahute unique hoti hain….
Beautiful part
Gzb ka part bole toh bawal hai
Yaar munna ko padhkar Shivam ki yaad aa rhi h…Shivam be esa he tha…Par Munna thoda zyada seedha h…But pyaara h.
Superb bahutai sundar story