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मनमर्जियाँ – S81

Manmarjiyan – S81

Manmarjiyan Season 2

Manmarjiyan – S81

गुड्डू को गोलू और पिंकी के रिश्ते का सच पता चल चुका था और वह इस बात पर गोलू से बहुत नाराज भी था। सुबह गुड्डू जब शोरूम जाने लगा तो गोलू अपनी शादी का कार्ड लेकर उसके घर आया लेकिन गोलू ने कार्ड लेने के बजाय उसे फाड़कर वापस गोलू को ही दे दिया। गुड्डू वहा से चला गया गोलू उदास चेहरा लिए अंदर चला आया उसके हाथ में कार्ड के टुकड़े देखकर शगुन ने कहा,”क्या हुआ गोलू जी आप इतना अपसेट क्यों है ? गुड्डू जी भी कल से बहुत चुप चुप है ना खाना खाया ना किसी से बात की ,, आप दोनों के बीच झगड़ा हुआ है क्या ? और ये आपके होंठ पर चोट कैसी ? गोलू जी बोलिये ना मेरा मन बहुत घबरा रहा है क्या हुआ है उन्हें ?”
“गुड्डू भैया को हमाये और पिंकिया के बारे में सब पता चल गया है , हमारे बताने से पहले किसी और ने उन्हें बता दिया और गुड्डू भैया हमसे बहुते नाराज है और इसलिए उन्होंने जे कार्ड,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने अपना हाथ शगुन के सामने कर दिया। शगुन ने कार्ड के टुकड़े देखे तो कहने लगी,”जिसका डर था वही हुआ गोलू जी इसलिए मैं बार बार आपसे कहती रही की गुड्डू जी को सच बता दीजिये , पता नहीं इस वक्त उन पर क्या बीत रही होगी ? वो कितना परेशान होंगे”
“हमने गुड्डू भैया का भरोसा और दिल तोड़ा है भाभी हमे माफ़ कर दो”,गोलू ने कहा
“तुम काहे माफ़ी मांग रहे हो गोलू ? ये सच तो एक दिन गुड्डू के सामने आना ही था। तुम और पिंकी एक दुसरे को पसंद करते हो ये बात गुड्डू को समझनी होगी तुम अपना दिल छोटा मत करो”,मिश्रा जी ने आते हुए कहा
“चचा हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा आज से पहिले गुड्डू भैया हम से इतना नाराज कभी नहीं हुए है। गुस्सा आया तो दो थप्पड़ मार लिए लेकिन इस तरह नजरअंदाज नहीं किया। उनके बिना हमहू जे शादी करने का सोच भी नहीं सकते”,कहते हुए गोलू रोने लगा।
“अरे यार गोलू जे का हमे लगा तुम बड़े हो गए हो , तुम्हायी शादी हो रही है और तुमहू हो की बच्चे की तरह रो पड़े। माना के गुड्डू तुमसे नाराज है लेकिन ऐसा थोड़े है की तुम्हायी शादी में नहीं आएगा , उह तुम्हायी शादी में भी आएगा और नाचेगा भी”,मिश्रा जी ने गोलू के गले लगाकर चुप कराते हुए कहा।
वो गोलू जो हर बार मिश्रा जी से डांट सुनता था या फिर पीटता रहता था आज उसी गोलू को मिश्रा जी गले लगाकर सांत्वना दे रहे थे। शगुन ने देखा तो कहा,”मैं आप लोगो के लिए चाय ले आती हूँ”
“आओ बैठो”,मिश्रा गोलू को बैठने का इशारा करते हुए कहा
मिश्रा जी के कहने पर गोलू उनके साथ आ बैठा। मिश्रा जी ने गोलू को देखा और कहने लगे,”देखो गोलू एक ना एक दिन तो गुड्डू को जे सब के बारे में पता चलना ही था लेकिन किसी और से पता चला इस पर गुड्डू का नाराज होना भी जायज है। तुम गुड्डू की चिंता छोडो और अपनी शादी पर ध्यान दो ,, गुड्डू को हम सम्हाल लेंगे”
“लेकिन गुड्डू भैया शादी में नहीं आएंगे तो हमारा शादी करना बेकार है , जे सच है हमने गुड्डू भैया का बहुते दिल दुखाया है”,गोलू ने उदास होकर कहा
“गोलू इस कहानी में किसी ना किसी का दिल तो टूटना ही था , रही बात गुड्डू की तो पहला प्यार भले अधूरा रह जाये लेकिन आदमी भूलता नहीं है”,मिश्रा जी ने कहा
“काहे आपने भी किया था ?”,गोलू ने एकदम से कहा
“गुड्डू ने तुमको मारा था का ?”,मिश्रा जी ने जवाब के बजाय सवाल किया
“हां तीन-चार घुसे”,गोलू ने मासूमियत से कहा
“थोड़ा और मारना चाहिए था , साले हम यहाँ तुम्हारा घर बसाने की बाते कर रहे है और तुम हो के हमारे गड़े मुर्दे उखाड रहे हो”,मिश्रा जी ने भड़क कर कहा
“अरे चाचा हमे लगा वो उस दिन रमेशवा को मारे थे ना तो वैसे ही आपका भी कोई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने खिंसियाते हुए कहा
“देखो बेटा ऐसा है ज्यादा चौधरी ना बनो वरना यही पटक के पेल देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,हमसे बकैती करने चले है”,मिश्रा जी ने गोलू को घूरते हुए कहा तो गोलू सहम गया और कहा,”सॉरी”
“अब सुनो हमायी बात बार बार गुड्डू के सामने जाकर माफ़ी मागोगे तो उसे लगेगा सारी गलती तुम्हायी है , इसलिए कुछ दिन उसे उसके हाल पर छोड़ दो उह ज्यादा दिन तुमसे नाराज नहीं रह सकता देखना शादी में खुद ब खुद चला आएगा। गुड्डू को ये बात समझने की जरूरत है ना की तुम्हे”,मिश्रा जी ने कहा
“पापा जी चाय”,शगुन ने मिश्रा जी की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए कहा
“हां बिटिया , गुड्डू के लिए टिफिन पैक करवा देना जाते हुए हम ले जायेंगे”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन गोलू को चाय देकर वहा से चली गयी।
चाय पीने के बाद गोलू उठा और कहा,”कल से हमायी शादी के कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे , गुड्डू भैया के बिना कुछो अच्छा नहीं लगेगा हमे”
“एक काम करो गुड्डू से ही शादी कर लो,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा तो गोलू उनका मुंह ताकने लगा ये देखकर मिश्रा जी ने कहा,”अरे तुम निकलो यार”
गोलू वहा से चला गया तो मिश्रा जी भी नहाने चले गए , मिश्रा जी ने नाश्ता किया और फिर गुड्डू के लिए टिफिन लेकर शोरूम के लिए निकल गए। गुड्डू की जिंदगी में चल रही परेशानियों को लेकर मिश्रा जी भी चिंतित थे कही गुस्से गुस्से में गुड्डू फिर कोई गड़बड़ ना कर दे। मिश्रा जी शोरूम पहुंचे लेकिन जब वहा गुड्डू को काम करते देखा तो उनकी चिंता थोड़ी कम हो गयी और वे अपने केबिन में चले आये। दिवाली के बाद काम काफी बिखरा हुआ था गुड्डू उसे ही सेट करवा रहा था। जो माल कम बिक रहा था उसे शोरूम के 1st फ्लोर पर सेल के तौर पर लगा दिया। 12 बजने को आये लेकिन गुड्डू वैसे ही काम में लगा हुआ था वह जान बुझकर खुद को बिजी रखे हुए था ताकि गोलू के बारे में ना सोचे।
मिश्रा जी ने गुड्डू को खाने के लिए बुलाया तो गुड्डू चुपचाप आकर खाना खाने लगा। पहली बार गुड्डू की ख़ामोशी मिश्रा जी को खल रही थी वे जानना चाहते थे की आखिर गुड्डू के मन में चल क्या रहा है ? उन्होंने गुड्डू की तरफ देखा और कहा,”गोलू सुबह घर आया था बता रहा था उसकी शादी है अगले हफ्ते”
गुड्डू ने सुना तो खाते खाते रुक गया और फिर वापस खाने लगा और कहा,”तिवारी जी से कहकर पिछले हफ्ते के सारे आर्डर पुरे करवा दिए है , डिटेल्स भी उन्हें दे दी है आप पूछ लीजियेगा”
गुड्डू के जवाब से मिश्रा जी समझ गए की गुड्डू इस बारे में कोई बात करना नहीं चाहता है। मिश्रा जी दूसरे काम में लग गए और गुड्डू खाना खाकर वहा से चला गया। गोलू के झूठ से गुड्डू हर्ट तो था और ये उसके चेहरे से साफ साफ दिखाई दे रहा था। दिनभर गुड्डू काम में व्यस्त रहा। शाम में मिश्रा जी उसके पास आये और उस से कहा,”जे कुछ रूपये है मिश्राइन को देने है , तुम चलो हम थोड़ी देर में आते है”
“ठीक है”,गुड्डू ने कहा और वहा से चला गया। आज गुड्डू अपनी बाइक से आया था उसने पैसे जेब में रखे और वहा से निकल गया। सुबह से गुड्डू का मन बहुत उदास था हमेशा हसने मुस्कुराने वाले गुड्डू के चेहरे से आज मुस्कान गायब थी। गुड्डू घर आया रूपये मिश्राइन को दिए और वाशबेसिन के सामने आकर हाथ मुंह धोने लगा शगुन ने देखा गुड्डू घर आ चुका है तो हमेशा की तरह वह उसके लिए चाय ले आयी। हाथ मुंह पोछते हुए गुड्डू साइड में आया तो शगुन उसके सामने आयी और मुस्कुरा कर चाय उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा,”गुड्डू जी चाय”
गुड्डू ने एक नजर शगुन को देखा और बिना चाय लिए ही वहा से चला गया। गुड्डू उदास था और इस वक्त उसका किसी से भी बात करने का मन नहीं कर रहा था। गुड्डू को इस हाल में देखकर शगुन को भी अच्छा नहीं लग रहा था , दो दिन पहले ही गुड्डू कितना खुश था और आज अचानक से सब बदल गया। शगुन चाय से भरा कप वापस किचन में ले आयी वेदी ने देखा तो शगुन के पास आकर कहा,”हम समझते है भाभी गुड्डू भैया को परेशान देखकर आपको भी अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन हम सबने गुड्डू भैया के साथ अच्छा नहीं किया। हम सब सच्चाई जानते थे फिर भी गुड्डू भैया से छुपाये रखा”
“हाँ वेदी तुम सही कह रही हो लेकिन उस वक्त हालात ऐसे थे की गुड्डू जी को सच बताना सही नहीं था”,शगुन ने कहा
“मुझे तो बस आपके और गुड्डू भैया के रिश्ते की फ़िक्र है भाभी कही जे सब की वजह से आप दोनों के रिश्ते में कोई दरार ना आ जाये”,वेदी ने उदास होकर कहा
“हट पगली कैसी बातें कर रही है ? उनके और मेरे रिश्ते की डोर इतनी भी कच्ची नहीं है,,,,,,,,,,,,,भले गुड्डू जी को हमारा रिश्ता याद ना हो लेकिन कही ना कही उन्हें अहसास जरूर है”,शगुन ने कहा
“बस भाभी गुड्डू भैया के लिए आपका प्यार हमेशा यु ही बना रहे और देखना जिस दिन गुड्डू भैया के सामने ये सच आएगा ना वो आपसे इतना प्यार करेंगे इतना प्यार करेंगे की आप खुद पर नाज करेंगी”,वेदी ने खुश होकर शगुन के हाथो को थामते हुए कहा
“चाहे कैसी भी परिस्तिथि आये उनके लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा वेदी”,शगुन ने कहा
दोनों साथ साथ किचन में रात के खाने की तैयारी करने लगी। गुड्डू खाना खाने नीचे आया चुपचाप खाना खाया और उठकर चला गया। गुड्डू की ख़ामोशी से आज पूरा घर सूना सूना सा लग रहा था। शगुन से जब नहीं रहा गया तो वह गुड्डू से बात करने ऊपर चली आयी लेकिन जैसे ही ऊपर आयी गुड्डू के कमरे का दरवाजा बंद देखकर हताश मन से वापस लौट आयी। मिश्राइन ने शगुन को आते देखा तो उसे अपने पास बुलाकर कहा,”बिटिया अभी उह परेशान है , गुस्से में है उसे थोड़े वक्त के लिए अकेला छोड़ दो। का सही है का गलत उसे अभी कुछो समझ में नहीं आ रहा है , उसे लगता है गोलू ने उसे धोखा दिया है लेकिन वो धोखा नहीं सच्चाई है जो एक ना एक दिन गुड्डू को स्वीकार करनी होगी और जे बात समझने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा।”
“हम्म्म , पर माजी उन्हें ऐसे चुप चुप देखकर अच्छा नहीं लग रहा”,शगुन ने उदास भाव से कहा
“आओ बैठो”,कहते हुए मिश्राइन शगुन के साथ आँगन की सीढ़ियों पर आ बैठी और कहने लगी,”जब गुड्डू 5 साल का था तबसे ही गोलू उसका दोस्त है तबसे लेकर आज तक दोनों में कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ है। दोनों ने बहुत वक्त साथ गुजारा है , साथ खेलना , साथ पढ़ना , साथ खाना हमने सब देखा है। गुड्डू जितना गोलू से प्यार करता था गोलू भी गुड्डू को उतना ही मानता है। आज पहली बार दोनों में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ है सुलह होने में थोड़ा वक्त लगेगा। गुड्डू पिंकिया को पंसद करता था जे बात सभी जानते है पर पिंकिया सिर्फ गुड्डू को टहला रही थी , जब उसने पिंकी से शादी करने की बात कही तो हमने केशव पंडित को गुड्डू की कुंडली दिखाई जिसमे प्रेम विवाह का योग नहीं था। गुड्डू का पहला प्रेम अधूरा रहेगा जे बात पंडित जी ने हमे पहिले ही बता दी थी इहलिये मिश्रा जी गुड्डू और पिंकी की शादी के खिलाफ थे और उन्होंने तुम्हे पंसद किया। तुम गुड्डू के लिए सही थी , तुम्हारी सादगी और तुम्हारा व्यवहार हमे बहुत भाया बिटिया और हमने तुम्हे इस घर की बहू बनाने का फैसला कर लिया। तुम्हाये साथ रहकर गुड्डू ने समझा की रिश्ते का होते है , भावनाये का होती है , प्रेम का होता है,,,,,,,,,,,,,,,,,आज उसकी चुप्पी पर सबसे ज्यादा तकलीफ तुम्हे हो रही है जे उसके लिए तुम्हारा प्रेम ही है बिटिया,,,,,,,,,,,,,,,थोड़ा वक्त लगेगा उसे खुद को सम्हालने में , तुम्हे का लगता है गोलू से नाराज होकर वह खुश है नहीं अंदर ही अंदर उसे भी बहुते तकलीफ हो रही है , उसकी और गोलू की दोस्ती में पिंकी कभी दरार नहीं बन सकती बिटिया,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकी के लिए उसका प्रेम सिर्फ आकर्षण था जे बात उसे अब समझ आ जाएगी।”
“गुड्डू जी पिंकी से शादी करना चाहते थे ये बात उन्होंने शादी की पहली रात ही मुझे बता दी थी माजी”,.शगुन ने कहा तो मिश्राइन ने हैरानी से शगुन की तरफ देखा तो शगुन ने उनकी तरफ देखकर कहा,”हां माजी , उन्होंने मुझसे सच्चाई नहीं छुपाई , उस रात के बाद से हम दोनों एक कमरे में जरूर रहे है पर कभी पति पत्नी बनकर नहीं सिर्फ दोस्त बनकर”
पहली बार शगुन ने मिश्राइन के सामने अपने और गुड्डू के रिश्ते का जिक्र किया जिसे सुनकर मिश्राइन का दिल पीड़ा और तकलीफ से भर उठा और उन्होंने कहा,”मतलब आज तक हमने जो देखा उह सब झूठ था , तुम्हाये और गुड्डू के बीच कोई रिश्ता नहीं है”
“रिश्ता है माजी उनके साथ इस घर में रहते हुए मैंने हमेशा अपना पत्नीधर्म निभाया है , उनसे शादी होने के बाद मेरे मन में कभी पराये मर्द का ख्याल तक नहीं आया है , मैंने अपनी हर पूजा पाठ में उन्ही को याद रखा है”
“हमे माफ़ कर दो बिटिया , इतने महीनो से तुमहू अकेले जे सब झेलते रही और हमे अहसास तक नहीं हुआ। गुड्डू की मर्जी के बिना उसकी शादी तुमसे की और बदले में उसने कभी तुम्हे पत्नी का दर्जा दिया ही नहीं,,,,,,,,,,, हमसे बहुते बड़ी गलती हो गयी बिटिया , अनजाने में हमने तुम्हारा दिल दुखाया,,,,,,,,,,,हमे माफ़ कर दो”,कहते हुए मिश्राइन सुबकने लगी
शगुन ने देखा तो वह उनके पास आयी और कहा,”माजी इसमें आपकी कोई गलती नहीं है , आप खुद को दोष मत दीजिये,,,,,,,,,,,,,,,भले गुड्डू जी ने मुझे कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया लेकिन उन्होंने मुझे खुद से प्रेम करने की वजह दी है ,, इस घर में आपके साथ रहकर मुझे कभी अपने पापा की कमी महसूस नहीं हुई , पापाजी ने हमेशा मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार और सम्मान दिया,,,,,,,वेदी हमेशा मेरी दोस्त बनकर रही और आप,,,,,,,,,,,,,,आपको पाकर तो लगा जैसे अपनी माँ को फिर से पा लिया,,,,,,,,,,जिस घर में किसी बहू को इतना प्यार और मान सम्मान मिले उसका दिल भला कैसे दुःख सकता है ? और रही बात गुड्डू जी की तो मुझे भरोसा है अपने महादेव पर वो हमे जरूर मिलाएंगे”
शगुन की बाते सुनकर मिश्राइन की आँखों में नमी तैर गयी। उन्होंने शगुन का हाथ थामा और कहने लगी,”तुम बहुते अच्छी हो शगुन शायद इहलिये महादेव तुम्हायी इतनी परीक्षाएं ले रहे है पर तुम डटे रहना बिटिया हम तुम्हाये साथ है”
“मुझे बस इस घर में खुशिया चाहिए और कुछ नहीं”,शगुन ने अपना दूसरा हाथ मिशरयीन के हाथ पर रखते हुए कहा

“अरे आज सास बहू यहाँ एक साथ,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने अंदर आते हुए कहा
“आ गए आप , आज बड़ी देर कर दी”,मिश्राइन ने कहा
“हां वो गोलू के पिताजी के साथ शर्मा जी से मिलना था शादी की तैयारियों के बारे में कुछो बात करनी थी तो उसी में देर हो गयी,,,,,,,,,,,,गुड्डू घर आ गया ?”,मिश्रा जी ने हाथ मुंह धोते हुए कहा
“हां आ गया और खाना खाकर सो भी गया , थोड़ा उदास है”,मिश्राइन ने हाथ पोछने वाला तौलिया मिश्रा जी की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“हम्म्म , गुप्ता जी कह रहे थे कल सुबह में गोलू की हल्दी है तो आप और शगुन वेदी चली जाईयेगा”,मिश्रा जी ने कहा
“गुड्डू और गोलू के बीच जो हुआ उसके बाद वहा जाना सही रहेगा ?”,मिश्राइन ने कहा
“मिश्राइन बच्चो जैसी बात काहे कर रही हो ? नहीं जाओगी तो गोलू को बुरा लगेगा ? उस की खुशियों में शामिल होने के लिए जे मत सोचो की गुड्डू का सोचेगा ? तुम सब कल जा रही हो जे हमारा आदेश है”,मिश्रा जी ने कहा
“पापा जी खाना लगा दिया है”,शगुन ने आकर कहा
“आते है बिटिया”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी। मिश्रा जी ने खाना खाया और फिर अपने कमरे में चले गए। मिश्राइन ने शगुन को सुबह गोलू की हल्दी में जाने की बात कही तो शगुन ने भी मिश्रा जी की बात पर सहमति जताते हुए कहा,”पापा जी सही तो कह रहे है माजी , अगर हम लोग नहीं गए तो गोलू जी को लगेगा की वो गलत है फिर तो वो कभी इस गिल्ट से नहीं निकल पाएंगे”
“ठीक है हम सब चलेंगे , अब तुम जाकर आराम करो”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन अपने कमरे में चली गयी। अगली सुबह मिश्राइन और शगुन ने पीले रंग की साड़ी पहनी और वेदी ने पीले रंग का कुर्ता पहन लिया। गुड्डू तैयार होकर नीचे आया उन्होंने सबको तैयार देखा तो कहा,”आप सब लोग कही जा रहे हो ?”
“गुड्डू भैया आज गोलू भैया की हल्दी की रस्म है ना हम सब वही जा रहे है , आप भी चलो”,वेदी ने खुश होकर कहा
गुड्डू ने सूना तो एक नजर शगुन को देखा और फिर वहा से चला गया। मिश्रा जी शोरूम चले गए और बाकि सब गोलू के घर। अपने घर के आँगन में गोलू बैठा था और घर की औरते उसे हल्दी लगा रही थी। मिश्राइन को देखते ही गोलू का चेहरा खिल उठा उसे लगा गुड्डू भी आया है। मिश्राइन और वेदी ने गोलू को हल्दी लगायी और जैसे ही शगुन उसके सामने आयी गोलू ने कहा,”गुड्डू भैया दिखाई नहीं दे रहे”
शगुन के पास कहने को शब्द नहीं थे उसने अपने हाथो पर हल्दी ली और गोलू को लगाते हुए ना में गर्दन हिला दी। गोलू समझ गया की गुड्डू नहीं आया है , उसके चेहरे की ख़ुशी अगले ही पल उदासी में बदल गयी

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