Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S68

Manmarjiyan – S68

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S68

गुड्डू की मदद करने गोलू बरेली आ पहुंचा वहा आकर उसने गुड्डू को शगुन के हाथ से बना आलू का भरता दिया तो गुड्डू शगुन के प्रति अपनी नाराजगी भूल गया। ये देखकर गोलू को अच्छा लगा और फिर वह गुड्डू के साथ काम में लग गया। सितम्बर का महीना जिसमे शादी होने के चांस ना के बराबर होते है लेकिन बरेली में शादी थी और गोलू गुड्डू इसका अरेजमेंट देख रहे थे। कुछ देर बाद एक बाद एक बड़ा सा पोस्टर आया जिस पर दूल्हा दुल्हन का नाम लिखा हुआ था। अब स्टाफ में सबसे लंबा था गुड्डू इसलिए उसे कुर्सी पर चढ़कर उस पोस्टर को लगाना पड़ा गुड्डू पोस्टर लगाकर नीचे उतरा और नाम देखकर कहा,”सिम्मी वेड्स भोजराज , अबे ऐसा नाम कौन रखता है बे भोजराज ?”
“अरे भैया भोज राज हो चाहे भोगराज हो हमे का चलो बहुत काम बाकि है”,कहते हुए गोलू गुड्डू को अपने साथ लेकर वहा से चला गया। शादी दोपहर में ही होनी थी इसलिए गुड्डू गोलू ने सारे अरेजमेंट्स किये और फिर तैयार होकर आ गए और घर के गेट से कुछ दूर खड़े होकर बाते करने लगे। बातो बातो में गुड्डू ने कहा ,”यार गोलू लड़की वालो ने खर्चा तो खूब किया है”
“अरे सब दिखावा है भैया और इनके दिखावे की वजह से हम जैसो की दुकान चलती है”,गोलू ने किसी सधे हुए व्यापारी की तरह कहा।
“जे भी सही है पर जे सारे दरवाजे पर खड़े होकर कर का रहे है ?”,गुड्डू ने कहा
“दूल्हे का इंतजार कर रहे है , जैसे किसी रियासत का राजकुमार हो”,गोलू ने कहा तभी एक लड़कियों का झुंड गोलू और गुड्डू की तरफ आया। उनमे से एक लड़की ने आगे बढ़कर गुड्डू को गुलाब का फूल दिया और कहा,”ये आपके लिए”
“हमाये लिए काहे ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
लड़की थोड़ा सा खिलखिलाई और कहा,”वो आप ना मुझे बहुत अच्छे लगे और आप बहुत क्यूट भी हो” कहते हुए उसने गुड्डू का गाल पकड़कर खींच दिया
बेचारा गुड्डू अपना गाल सहलाने लगा बस फिर क्या था लड़कियों में गुलाब देने सी मच गयी। दूसरी लड़की ने गुड्डू को गुलाब देकर जैसे ही उसका गाल खींचना चाहा गुड्डू ने पीछे हटते हुए कहा,”ना ना ना जे सब नहीं , हमे ना पसंद कोई परायी लड़की हमे ऐसे छुए”
गोलू गुड्डू की तरफ झुका और धीरे से फुसफुसाते हुए कहा,”अरे ले लो भैया आज तक हमे किसी ने गोभी का फूल ना दिया , तुमको गुलाब तो मिल रहा है”
गोलू की बात सुनकर गुड्डू ने उसे घुरा तो गोलु दूसरी तरफ देखने लगा। गुड्डू लड़कियों के पास आया और उनके हाथो से फूल लेते हुए कहने लगा,”बहुत बहुत शुक्रिया लेकिन तुम सबसे तो हमहू शादी नहीं कर सकते , और अगर तुम में से किसी एक से कर ली तो बाकी सबका दिल टूट जाएगा ,, इसलिए हम किसी का दिल नही तोड़ना चाहते। तुम सबका दिल रखने के लिए जे फूल हम रख लेते है”
गुड्डू की बात सुनकर बेचारी लड़कियों का मुंह उतर गया। गुड्डू ने उनसे लिए फूल गोलू को थमाए और वहा से चला गया। गुड्डू को जाता देखकर एक लड़की ने कहा,”यार ये इतना सख्त क्यों है ?”
“सख्त नहीं है शादी हो चुकी है उनकी , और हमारी भी सगाई हो चुकी है तो हम पे तो ट्राय मारने की सोचना भी मत”,गोलू ने लड़कियों के सामने इतराते हुए कहा
“थू,,,,,,,,,,,,,,,,,,शक्ल देखी है अपनी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम पर ट्राय मारेंगे इतने भी बुरे दिन नहीं आये है हमारे। चलो लड़कियों”,एक लड़की ने आगे आकर गोलू को घूरते हुए कहा और लड़कियों को वहा से लेकर चली गयी। गोलू ने जेब से फोन निकाला और फ्रंट कैमरा ऑन कर खुद को देखते हुए कहा,”दिख तो अच्छे रहे है , लगता है जल गयी हमसे”
तभी दुल्हन का बाप वहा आया और गोलू का फोन नीचे करते हुए कहा,”अरे भई सेल्फी बाद में ले लेना , बारात आने वाली है जाकर खाने बंदोबस्त देखो”
उसकी बात सुनकर गोलू वहा से चला गया। बारात आ चुकी थी और भरी दोपहरी में शादी भी शुरू हो चुकी थी। किसी काम से गुड्डू गोलू को ढूंढते हुए मंडप के सामने से गुजरा ,,जैसे ही उसकी नजर दुल्हन के बगल में बैठे दूल्हे पर गयी गुड्डू की आँखे फटी की फटी रह गयी और मुंह खुला रह गया। गुड्डू वहा से आगे नहीं बढ़ पाया। कुछ देर बाद गोलू उसे ढूंढते हुए वहा आया और गुड्डू को देखकर कहा,”का हुआ पुतला बनके काहे खड़े हो ?”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस गोलू का चेहरा मंडप की तरफ घुमा दिया। गोलू की नजर दुल्हन पर पड़ी तो वह मुस्कुराया और फिर जैसे ही उसके बगल में दूल्हे की जगह कुत्ते को बैठे देखा तो उछलकर गुड्डू में गिरा और कहा,”अरे गंगा मैया जे का देख लेओ”
“अबे गोलू उठो का कर रहे हो ?”,गुड्डू ने उसे उठाते हुए कहा। गोलू उठा और जोर जोर से हसने लगा। गोलू को हँसता देखकर सबकी नजरे उस पर चली गयी। गुड्डू ने देखा तो गोलू का मुंह बंद किया और सबसे माफ़ी मांगते हुए उसे वहा से ले गया। गोलू को साइड में लाकर गुड्डू ने कहा,”सबके सामने ऐसे दाँत काहे फाड् रहे हो बे ?”
गोलू ने मुश्किल से अपनी हंसी रोकी और कहा,”अरे भैया बहुते गजब बात सुनो यही वो लड़किया होती है जिनके पीछे मोहल्ले के लौंडे दिन रात इनके घर के चक्कर काटते है और जब पुरे दिल से अपनी फीलिंग्स का इजहार करते है तो जे लड़किया पता है का कहती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जे लड़किया कहती है की किसी काले कुत्ते से ब्याह कर लेगी पर हमसे ना करेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज जे लड़की को देख के बहुतो की याद आ गयी”
गुड्डू ने सूना तो पहले तो ख़ामोशी से गुड्डू को देखता रहा और फिर उसके साथ मिलकर हंसने लगा।
कुछ देर बाद लड़की की भुआ उधर से गुजरी उसे देखकर गुड्डू उनके पास आया और कहा,”अरे भुआ जी एक ठो बात बताओ जे का माजरा है , लड़की की सादी एक कुत्ते से काहे कर रहे है ?”
भुआजी ने गुड्डू को देखा और कहने लगी,”अब का बताये लल्ला , पिछले जन्म में हमाये भैया-भौजी कोनो बुरे कर्म किये रहय जो इह बिटिया पैदा हुई , जे पे गरीबी में गिला आटा हुई के मांगलिक निकली। अब बिटिया के कुंडली में दोष है तो उह उतारन खातर या तो कोनो पेड़ पौधा से फेरा पड़वाओ या फिर कोनो जनावर के साथ”
“ये तो बहुते बुरा हुआ उस बेचारी के साथ , पर एक ठो बात बताओ जब जनावर से ही शादी करनी थी तो फिर जे खर्चा काहे ?’,गुड्डू ने कहा
“का बताये लल्ला बिटिया की जिद भई के ओह की पहली शादी है तो धूमधाम से होगी फिर चाहे जनावर से ही काहे ना हो , वैसे लल्ला तुमहू भी हट्टे कट्टे दिखने में बांके नौजवान हो ,, तुमहू कर ल्यो हमयी भतीजी से सादी”,भुआ जी ने जी आसभरी नजरो से गुड्डू को देखते हुए कहा तो गुड्डू हक्का बक्का रह गया क्या कहे कुछ समझ नहीं आया तो जल्दबाजी में कह गया,”हमायी शादी तो कबकी हो चुकी है ? आप कोई दूसरा लड़का देख ल्यो”
“अरे लल्ला हमको तो तुमहू देखते पसंद आ गए”,भुआ जी ने कहा
“हां पर हमायी शादी तो कबकी हो चुकी है ना भुआ जी ,, उधर लड़की वाले आपको बुला रहे है”,गुड्डू ने पीछा छुड़ाने के लिए कहा तो भुआजी वहा से चली गयी कुछ कदम चलकर वापस आयी और गुड्डू से कहा,”देख लेओ कोनो गुंजाइश हो तो ?”
गुड्डू ने सूना तो गोलू से कहा,”तुम्ही सम्हालो इनको”
गुड्डू चला गया तो गोलू भुआ जी के पास आया और कहा,”उधर डेरे में ना गर्मागर्म जलेबी कोफ्ता मिल रहा है जाकर उह खाओ , किसका ब्याह किस से होना है जे पंचायती ना लगाओ”
“अरे हम तो उसके अच्छे की कह रहे थे”,भुआ जी ने कहा
“अच्छा तुमहाओ ब्याह हो गवो ?”,गोलू ने पूछा
“हमाओ ब्याह तो 40 साल पहले हो गवो”,भुआ जी ने कहा
“तो जब तुमहाओ ब्याह हो गवो तो काहे दुसरो की जिंदगी में बत्ती लगाय रही हो , जीवे दो आराम से”,गोलू ने कहा
“बड़े बकलोल हो तुम तो”,भुआ जी ने चिढ़ते हुए कहा
“का करे बकैती करने की आदत है”,कहकर गोलू वहा से चला गया

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू के लिए उसकी पसंद का खाना भेजकर शगुन को अच्छा लग रहा था। वह खुश थी की धीरे धीरे ही सही गुड्डू पहले जैसा हो रहा है और अपनी जिम्मेदारियां भी समझ रहा है। शगुन किचन में काम कर रही थी वेदी उठकर आयी और अपने लिए चाय बनाने लगी। वेदी को चाय बनाते देखकर शगुन ने कहा,”अरे वेदी मैं बना देती हूँ”
“नहीं भाभी आप अपना काम कर लीजिये जे हम बना लेंगे , थोड़ी आप भी लेंगे ना ?”,वेदी ने पूछा
“ठीक है ले लेंगे , वैसे भी तुम्हारे हाथ से बनी चाय कभी कभी नसीब होती है”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा तो वेदी भी मुस्कुरा उठी। वेदी चाय बनाने लगी।
“अच्छा भाभी आपसे एक बात पूछे”,वेदी ने कहा
“हाँ पूछो”,शगुन ने कहा
“अमन बनारस में ही है ?”,वेदी ने झिझकते हुए पूछा
“हाँ अभी तो बनारस में ही है क्यों क्या हुआ ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे है , वो कल प्रीति से बात हो रही थी तो ऐसे ही पूछ लिया”,वेदी ने नजरे चुराते हुए कहा
“पापा बता रहे थे की दिवाली के 25 दिन बाद प्रीति की शादी कर देंगे , प्रीति की शादी के 2 दिन बाद पारस की भी शादी है तभी बनारस जाना होगा , तुम चलोगी ना ?”,शगुन ने पूछा
“हाँ चलेंगे ना हम क्यों नहीं जायेंगे ?”,वेदी ने चाय का कप शगुन की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
“चलना इस बार चलेंगे तो कुछ दिन वही रुकेंगे”,शगुन ने कहा
“हां भाभी जरूर लेकिन उस से पहले आपके और गुड्डू भैया के बीच सब ठीक हो जाये बस , उसके बाद हम सब साथ चलेंगे”,वेदी ने कहा
दोनों ने चाय पी उसके बाद शगुन किचन से बाहर चली गयी और वेदी वही प्लेटफॉर्म के पास खड़ी होकर अमन के बारे में सोचने लगी। उसे शालू की कही बाते याद आने लगी तो उसने खुद से ही कहा,”ये आज हमे क्या हो गया है ? हम क्यों उसके बारे में इतना सोच रहे है ? शालू तो बकलोल है कुछ भी कहती रहती है हम क्यों उसकी बातो को सच मान ले। ऐसा कुछ होता तो अमन हमे जरूर बताता लेकिन बनारस से आने के बाद उसने ना हमे कभी फोन किया ना ही कभी कोई मेसेज किया। हो सकता उह हमे भूल गया हो ,, हम भी ना कुछ भी सोचे जा रहे है”
वेदी इस बारे में सोच ही रही थी की तभी मिश्राइन ने आवाज दी,”वेदी बिटिया ज़रा देखना दरवाजे पर कौन है ?”
“आयी अम्मा”,कहते हुए वेदी ने खाली कप सिंक में रखा और बाहर चली आयी उसने दरवाजा खोला तो सामने खड़े अमन को देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया। कुछ देर पहले ही वेदी अमन के बारे में सोच रही थी और अमन उसके सामने खड़ा था।

वेदी को खामोश देखकर अमन ने उसके सामने हाथ हिलाया और कहा,”हेलो वेदी क्या हुआ कोई भुत देख लिया क्या ?”
वेदी जैसे नींद से जागी और कहा,”तुम , तुम , तुम सच में हो ?”
“अरे वेदी मैं हूँ अमन , बनारस से , शगुन दीदी का भाई , भूल गयी क्या ?”,अमन ने बड़े प्यार से वेदी के हाथ को अपने हाथ से छूकर कहा तो वेदी को अहसास हुआ की अमन सच में है। अगले ही पल मिश्राइन वहा आयी और कहा,”वेदी कौन है ?”
जैसे ही उन्होंने अमन को देखा खुश हो गयी और कहा,”अरे अमन बेटा तुम हो आओ आओ अंदर आओ”
कहते हुए मिश्राइन अमन का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गयी और वेदी अभी भी सच और सपने में फंसी दरवाजे पर ही खड़ी थी। मिश्राइन ने आवाज लगाई तो वेदी अंदर चली आयी। अमन अंदर आकर बैठा शगुन ने उसे देखा तो खुश होकर उसके पास चली आयी और कहा,”तू कब आया ?”
“बस दी अभी अभी”,कहते हुए अमन ने शगुन के पैर छुए और कहा,”जीजाजी कहा है ?”
“गुड्डू बरेली गया हुआ है किसी काम से परसो तक आ जाएगा”,मिश्राइन ने कहा
“अच्छा पहले तो ये बताओ तुम क्या लोगे चाय , कॉफी या ठंडा ?”,शगुन ने पूछा
“भाभी आप बैठो हम बनाकर लाते है”,वेदी ने कहा और किचन की तरफ चली गयी। शगुन और मिश्राइन बैठकर अमन से बातें करने लगी।
“अच्छा अमन आज ऐसे अचानक कानपूर कैसे आना हुआ ?”,शगुन ने पूछा तो अमन के चेहरे के भाव बदल गए फिर उसने कहा,”दीदी वो कानपूर में एक दोस्त है मेरा उसके पापा हॉस्पिटल में एडमिट थे तो उसे कुछ मदद की जरूरत थी इसलिए आना पड़ा , फिर सोचा जब कानपूर आ ही गया हूँ तो आपसे और जीजू से भी मिलता चलू”
“अरे वाह ये तो बहुत अच्छा किया तूने शादी के बाद तू पहली बार आया है”,शगुन ने कहा
“हाँ बेटा अब गुड्डू के आने तक यही रहना , गुड्डू से मिलकर ही जाना”,मिश्राइन ने कहा
“नहीं आंटी जी आज ही वापस जाना होगा फिर पढाई के लिए वापस भी जाना है”,अमन ने कहा
“तो क्या प्रीति की शादी में भी नहीं आओगे ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं दी नहीं आ पाऊंगा”,अमन ने कहा तो शगुन थोड़ा उदास हो गयी। वेदी चाय लेकर आयी और अमन के सामने पड़ी टेबल पर रख दी। अमन ने वेदी को देखा और मन ही मन कहा,”जाने से पहले तुम्हे देख लिया अब ख़ुशी ख़ुशी जा पाऊंगा” और वेदी मासूमियत से अमन को देखकर मुस्कुराती रही

गुड्डू की मदद करने गोलू बरेली आ पहुंचा वहा आकर उसने गुड्डू को शगुन के हाथ से बना आलू का भरता दिया तो गुड्डू शगुन के प्रति अपनी नाराजगी भूल गया। ये देखकर गोलू को अच्छा लगा और फिर वह गुड्डू के साथ काम में लग गया। सितम्बर का महीना जिसमे शादी होने के चांस ना के बराबर होते है लेकिन बरेली में शादी थी और गोलू गुड्डू इसका अरेजमेंट देख रहे थे। कुछ देर बाद एक बाद एक बड़ा सा पोस्टर आया जिस पर दूल्हा दुल्हन का नाम लिखा हुआ था। अब स्टाफ में सबसे लंबा था गुड्डू इसलिए उसे कुर्सी पर चढ़कर उस पोस्टर को लगाना पड़ा गुड्डू पोस्टर लगाकर नीचे उतरा और नाम देखकर कहा,”सिम्मी वेड्स भोजराज , अबे ऐसा नाम कौन रखता है बे भोजराज ?”
“अरे भैया भोज राज हो चाहे भोगराज हो हमे का चलो बहुत काम बाकि है”,कहते हुए गोलू गुड्डू को अपने साथ लेकर वहा से चला गया। शादी दोपहर में ही होनी थी इसलिए गुड्डू गोलू ने सारे अरेजमेंट्स किये और फिर तैयार होकर आ गए और घर के गेट से कुछ दूर खड़े होकर बाते करने लगे। बातो बातो में गुड्डू ने कहा ,”यार गोलू लड़की वालो ने खर्चा तो खूब किया है”
“अरे सब दिखावा है भैया और इनके दिखावे की वजह से हम जैसो की दुकान चलती है”,गोलू ने किसी सधे हुए व्यापारी की तरह कहा।
“जे भी सही है पर जे सारे दरवाजे पर खड़े होकर कर का रहे है ?”,गुड्डू ने कहा
“दूल्हे का इंतजार कर रहे है , जैसे किसी रियासत का राजकुमार हो”,गोलू ने कहा तभी एक लड़कियों का झुंड गोलू और गुड्डू की तरफ आया। उनमे से एक लड़की ने आगे बढ़कर गुड्डू को गुलाब का फूल दिया और कहा,”ये आपके लिए”
“हमाये लिए काहे ?”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
लड़की थोड़ा सा खिलखिलाई और कहा,”वो आप ना मुझे बहुत अच्छे लगे और आप बहुत क्यूट भी हो” कहते हुए उसने गुड्डू का गाल पकड़कर खींच दिया
बेचारा गुड्डू अपना गाल सहलाने लगा बस फिर क्या था लड़कियों में गुलाब देने सी मच गयी। दूसरी लड़की ने गुड्डू को गुलाब देकर जैसे ही उसका गाल खींचना चाहा गुड्डू ने पीछे हटते हुए कहा,”ना ना ना जे सब नहीं , हमे ना पसंद कोई परायी लड़की हमे ऐसे छुए”
गोलू गुड्डू की तरफ झुका और धीरे से फुसफुसाते हुए कहा,”अरे ले लो भैया आज तक हमे किसी ने गोभी का फूल ना दिया , तुमको गुलाब तो मिल रहा है”
गोलू की बात सुनकर गुड्डू ने उसे घुरा तो गोलु दूसरी तरफ देखने लगा। गुड्डू लड़कियों के पास आया और उनके हाथो से फूल लेते हुए कहने लगा,”बहुत बहुत शुक्रिया लेकिन तुम सबसे तो हमहू शादी नहीं कर सकते , और अगर तुम में से किसी एक से कर ली तो बाकी सबका दिल टूट जाएगा ,, इसलिए हम किसी का दिल नही तोड़ना चाहते। तुम सबका दिल रखने के लिए जे फूल हम रख लेते है”
गुड्डू की बात सुनकर बेचारी लड़कियों का मुंह उतर गया। गुड्डू ने उनसे लिए फूल गोलू को थमाए और वहा से चला गया। गुड्डू को जाता देखकर एक लड़की ने कहा,”यार ये इतना सख्त क्यों है ?”
“सख्त नहीं है शादी हो चुकी है उनकी , और हमारी भी सगाई हो चुकी है तो हम पे तो ट्राय मारने की सोचना भी मत”,गोलू ने लड़कियों के सामने इतराते हुए कहा
“थू,,,,,,,,,,,,,,,,,,शक्ल देखी है अपनी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम पर ट्राय मारेंगे इतने भी बुरे दिन नहीं आये है हमारे। चलो लड़कियों”,एक लड़की ने आगे आकर गोलू को घूरते हुए कहा और लड़कियों को वहा से लेकर चली गयी। गोलू ने जेब से फोन निकाला और फ्रंट कैमरा ऑन कर खुद को देखते हुए कहा,”दिख तो अच्छे रहे है , लगता है जल गयी हमसे”
तभी दुल्हन का बाप वहा आया और गोलू का फोन नीचे करते हुए कहा,”अरे भई सेल्फी बाद में ले लेना , बारात आने वाली है जाकर खाने बंदोबस्त देखो”
उसकी बात सुनकर गोलू वहा से चला गया। बारात आ चुकी थी और भरी दोपहरी में शादी भी शुरू हो चुकी थी। किसी काम से गुड्डू गोलू को ढूंढते हुए मंडप के सामने से गुजरा ,,जैसे ही उसकी नजर दुल्हन के बगल में बैठे दूल्हे पर गयी गुड्डू की आँखे फटी की फटी रह गयी और मुंह खुला रह गया। गुड्डू वहा से आगे नहीं बढ़ पाया। कुछ देर बाद गोलू उसे ढूंढते हुए वहा आया और गुड्डू को देखकर कहा,”का हुआ पुतला बनके काहे खड़े हो ?”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस गोलू का चेहरा मंडप की तरफ घुमा दिया। गोलू की नजर दुल्हन पर पड़ी तो वह मुस्कुराया और फिर जैसे ही उसके बगल में दूल्हे की जगह कुत्ते को बैठे देखा तो उछलकर गुड्डू में गिरा और कहा,”अरे गंगा मैया जे का देख लेओ”
“अबे गोलू उठो का कर रहे हो ?”,गुड्डू ने उसे उठाते हुए कहा। गोलू उठा और जोर जोर से हसने लगा। गोलू को हँसता देखकर सबकी नजरे उस पर चली गयी। गुड्डू ने देखा तो गोलू का मुंह बंद किया और सबसे माफ़ी मांगते हुए उसे वहा से ले गया। गोलू को साइड में लाकर गुड्डू ने कहा,”सबके सामने ऐसे दाँत काहे फाड् रहे हो बे ?”
गोलू ने मुश्किल से अपनी हंसी रोकी और कहा,”अरे भैया बहुते गजब बात सुनो यही वो लड़किया होती है जिनके पीछे मोहल्ले के लौंडे दिन रात इनके घर के चक्कर काटते है और जब पुरे दिल से अपनी फीलिंग्स का इजहार करते है तो जे लड़किया पता है का कहती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जे लड़किया कहती है की किसी काले कुत्ते से ब्याह कर लेगी पर हमसे ना करेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज जे लड़की को देख के बहुतो की याद आ गयी”
गुड्डू ने सूना तो पहले तो ख़ामोशी से गुड्डू को देखता रहा और फिर उसके साथ मिलकर हंसने लगा।
कुछ देर बाद लड़की की भुआ उधर से गुजरी उसे देखकर गुड्डू उनके पास आया और कहा,”अरे भुआ जी एक ठो बात बताओ जे का माजरा है , लड़की की सादी एक कुत्ते से काहे कर रहे है ?”
भुआजी ने गुड्डू को देखा और कहने लगी,”अब का बताये लल्ला , पिछले जन्म में हमाये भैया-भौजी कोनो बुरे कर्म किये रहय जो इह बिटिया पैदा हुई , जे पे गरीबी में गिला आटा हुई के मांगलिक निकली। अब बिटिया के कुंडली में दोष है तो उह उतारन खातर या तो कोनो पेड़ पौधा से फेरा पड़वाओ या फिर कोनो जनावर के साथ”
“ये तो बहुते बुरा हुआ उस बेचारी के साथ , पर एक ठो बात बताओ जब जनावर से ही शादी करनी थी तो फिर जे खर्चा काहे ?’,गुड्डू ने कहा
“का बताये लल्ला बिटिया की जिद भई के ओह की पहली शादी है तो धूमधाम से होगी फिर चाहे जनावर से ही काहे ना हो , वैसे लल्ला तुमहू भी हट्टे कट्टे दिखने में बांके नौजवान हो ,, तुमहू कर ल्यो हमयी भतीजी से सादी”,भुआ जी ने जी आसभरी नजरो से गुड्डू को देखते हुए कहा तो गुड्डू हक्का बक्का रह गया क्या कहे कुछ समझ नहीं आया तो जल्दबाजी में कह गया,”हमायी शादी तो कबकी हो चुकी है ? आप कोई दूसरा लड़का देख ल्यो”
“अरे लल्ला हमको तो तुमहू देखते पसंद आ गए”,भुआ जी ने कहा
“हां पर हमायी शादी तो कबकी हो चुकी है ना भुआ जी ,, उधर लड़की वाले आपको बुला रहे है”,गुड्डू ने पीछा छुड़ाने के लिए कहा तो भुआजी वहा से चली गयी कुछ कदम चलकर वापस आयी और गुड्डू से कहा,”देख लेओ कोनो गुंजाइश हो तो ?”
गुड्डू ने सूना तो गोलू से कहा,”तुम्ही सम्हालो इनको”
गुड्डू चला गया तो गोलू भुआ जी के पास आया और कहा,”उधर डेरे में ना गर्मागर्म जलेबी कोफ्ता मिल रहा है जाकर उह खाओ , किसका ब्याह किस से होना है जे पंचायती ना लगाओ”
“अरे हम तो उसके अच्छे की कह रहे थे”,भुआ जी ने कहा
“अच्छा तुमहाओ ब्याह हो गवो ?”,गोलू ने पूछा
“हमाओ ब्याह तो 40 साल पहले हो गवो”,भुआ जी ने कहा
“तो जब तुमहाओ ब्याह हो गवो तो काहे दुसरो की जिंदगी में बत्ती लगाय रही हो , जीवे दो आराम से”,गोलू ने कहा
“बड़े बकलोल हो तुम तो”,भुआ जी ने चिढ़ते हुए कहा
“का करे बकैती करने की आदत है”,कहकर गोलू वहा से चला गया

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू के लिए उसकी पसंद का खाना भेजकर शगुन को अच्छा लग रहा था। वह खुश थी की धीरे धीरे ही सही गुड्डू पहले जैसा हो रहा है और अपनी जिम्मेदारियां भी समझ रहा है। शगुन किचन में काम कर रही थी वेदी उठकर आयी और अपने लिए चाय बनाने लगी। वेदी को चाय बनाते देखकर शगुन ने कहा,”अरे वेदी मैं बना देती हूँ”
“नहीं भाभी आप अपना काम कर लीजिये जे हम बना लेंगे , थोड़ी आप भी लेंगे ना ?”,वेदी ने पूछा
“ठीक है ले लेंगे , वैसे भी तुम्हारे हाथ से बनी चाय कभी कभी नसीब होती है”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा तो वेदी भी मुस्कुरा उठी। वेदी चाय बनाने लगी।
“अच्छा भाभी आपसे एक बात पूछे”,वेदी ने कहा
“हाँ पूछो”,शगुन ने कहा
“अमन बनारस में ही है ?”,वेदी ने झिझकते हुए पूछा
“हाँ अभी तो बनारस में ही है क्यों क्या हुआ ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे है , वो कल प्रीति से बात हो रही थी तो ऐसे ही पूछ लिया”,वेदी ने नजरे चुराते हुए कहा
“पापा बता रहे थे की दिवाली के 25 दिन बाद प्रीति की शादी कर देंगे , प्रीति की शादी के 2 दिन बाद पारस की भी शादी है तभी बनारस जाना होगा , तुम चलोगी ना ?”,शगुन ने पूछा
“हाँ चलेंगे ना हम क्यों नहीं जायेंगे ?”,वेदी ने चाय का कप शगुन की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
“चलना इस बार चलेंगे तो कुछ दिन वही रुकेंगे”,शगुन ने कहा
“हां भाभी जरूर लेकिन उस से पहले आपके और गुड्डू भैया के बीच सब ठीक हो जाये बस , उसके बाद हम सब साथ चलेंगे”,वेदी ने कहा
दोनों ने चाय पी उसके बाद शगुन किचन से बाहर चली गयी और वेदी वही प्लेटफॉर्म के पास खड़ी होकर अमन के बारे में सोचने लगी। उसे शालू की कही बाते याद आने लगी तो उसने खुद से ही कहा,”ये आज हमे क्या हो गया है ? हम क्यों उसके बारे में इतना सोच रहे है ? शालू तो बकलोल है कुछ भी कहती रहती है हम क्यों उसकी बातो को सच मान ले। ऐसा कुछ होता तो अमन हमे जरूर बताता लेकिन बनारस से आने के बाद उसने ना हमे कभी फोन किया ना ही कभी कोई मेसेज किया। हो सकता उह हमे भूल गया हो ,, हम भी ना कुछ भी सोचे जा रहे है”
वेदी इस बारे में सोच ही रही थी की तभी मिश्राइन ने आवाज दी,”वेदी बिटिया ज़रा देखना दरवाजे पर कौन है ?”
“आयी अम्मा”,कहते हुए वेदी ने खाली कप सिंक में रखा और बाहर चली आयी उसने दरवाजा खोला तो सामने खड़े अमन को देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया। कुछ देर पहले ही वेदी अमन के बारे में सोच रही थी और अमन उसके सामने खड़ा था।

वेदी को खामोश देखकर अमन ने उसके सामने हाथ हिलाया और कहा,”हेलो वेदी क्या हुआ कोई भुत देख लिया क्या ?”
वेदी जैसे नींद से जागी और कहा,”तुम , तुम , तुम सच में हो ?”
“अरे वेदी मैं हूँ अमन , बनारस से , शगुन दीदी का भाई , भूल गयी क्या ?”,अमन ने बड़े प्यार से वेदी के हाथ को अपने हाथ से छूकर कहा तो वेदी को अहसास हुआ की अमन सच में है। अगले ही पल मिश्राइन वहा आयी और कहा,”वेदी कौन है ?”
जैसे ही उन्होंने अमन को देखा खुश हो गयी और कहा,”अरे अमन बेटा तुम हो आओ आओ अंदर आओ”
कहते हुए मिश्राइन अमन का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गयी और वेदी अभी भी सच और सपने में फंसी दरवाजे पर ही खड़ी थी। मिश्राइन ने आवाज लगाई तो वेदी अंदर चली आयी। अमन अंदर आकर बैठा शगुन ने उसे देखा तो खुश होकर उसके पास चली आयी और कहा,”तू कब आया ?”
“बस दी अभी अभी”,कहते हुए अमन ने शगुन के पैर छुए और कहा,”जीजाजी कहा है ?”
“गुड्डू बरेली गया हुआ है किसी काम से परसो तक आ जाएगा”,मिश्राइन ने कहा
“अच्छा पहले तो ये बताओ तुम क्या लोगे चाय , कॉफी या ठंडा ?”,शगुन ने पूछा
“भाभी आप बैठो हम बनाकर लाते है”,वेदी ने कहा और किचन की तरफ चली गयी। शगुन और मिश्राइन बैठकर अमन से बातें करने लगी।
“अच्छा अमन आज ऐसे अचानक कानपूर कैसे आना हुआ ?”,शगुन ने पूछा तो अमन के चेहरे के भाव बदल गए फिर उसने कहा,”दीदी वो कानपूर में एक दोस्त है मेरा उसके पापा हॉस्पिटल में एडमिट थे तो उसे कुछ मदद की जरूरत थी इसलिए आना पड़ा , फिर सोचा जब कानपूर आ ही गया हूँ तो आपसे और जीजू से भी मिलता चलू”
“अरे वाह ये तो बहुत अच्छा किया तूने शादी के बाद तू पहली बार आया है”,शगुन ने कहा
“हाँ बेटा अब गुड्डू के आने तक यही रहना , गुड्डू से मिलकर ही जाना”,मिश्राइन ने कहा
“नहीं आंटी जी आज ही वापस जाना होगा फिर पढाई के लिए वापस भी जाना है”,अमन ने कहा
“तो क्या प्रीति की शादी में भी नहीं आओगे ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं दी नहीं आ पाऊंगा”,अमन ने कहा तो शगुन थोड़ा उदास हो गयी। वेदी चाय लेकर आयी और अमन के सामने पड़ी टेबल पर रख दी। अमन ने वेदी को देखा और मन ही मन कहा,”जाने से पहले तुम्हे देख लिया अब ख़ुशी ख़ुशी जा पाऊंगा” और वेदी मासूमियत से अमन को देखकर मुस्कुराती रही

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संजना किरोड़ीवाल

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