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मनमर्जियाँ – S44

Manmarjiyan – S44

Manmarjiyan – S44

गुड्डू ने जब दीपक को किसी और लड़की के साथ देखा तो उसका खून खौल गया। वह अपनी छत की दिवार फांदकर सीधा ही बगल वाली छत पर जा कूदा , कुछ दिन पहले ही गुड्डू का पैर ठीक हुआ था लेकिन उसे अपने पैर की परवाह नहीं थी दीवारे फाँदकर वह वंदना की छत पर आया और दीपक का कंधा थपथपा दिया। दीपक ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा गुड्डू को देखकर थोड़ा परेशान और हैरान हो गया। गुड्डू ने उस से कुछ नहीं पूछा और सीधा एक घुसा उसके मुंह पर मारते हुए कहा,”और कितनी लड़कियों को बेवकूफ बना रखा है तुमने ?”
दीपक का दांत उसके होंठ पर लग गया जिस से उसके मुंह से खून आने लगा वह गुड्डू की तरफ पलटा और कहा,”गुड्डू भैया हम समझाते है आपको”
लेकिन गुड्डू ने उसकी बात नहीं सुनी और गुस्से से कहा,”हमहू ना कुछो नहीं समझना है , खुद को बहुते बड़ा खिलाडी समझते हो ,, लड़कियो को पागल बनाकर टहला रहे हो सिर्फ”
“देखिये आपको कोई ग़लतफ़हमी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़की ने गुड्डू के पास आकर कहा तो गुड्डू से गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा,”तुमहू बीच में ना बोलो समझी”
“तमीज से गुड्डू ये हमारी वाइफ है”,दीपक ने कहा। गुड्डू के कानो में जैसे ही ये शब्द पड़े वह हैरान हो गया और उसकी आँखों के सामने एकदम से वेदी का चहेरा आ गया और उसकी आवाज कानो में पड़ी,”दीपक और मैं एक दूसरे को बहुत पसंद करते है भैया अब पिताजी को हमायी शादी के लिए आप ही मनाना”
वेदी के ये शब्द और दीपक के आखरी शब्द एक एक करके उसके कानो में गूंजने लगे। अगले ही पल गुड्डू को अहसास हुआ की दीपक ने वेदी के साथ साथ उस लड़की को भी धोखा दिया है जिस से उसने शादी की है। गुड्डू का गुस्सा और बढ़ गया उसने दीपक की कॉलर पकड़ी और उसे पीटते हुए कहा,”जानते भी हो कितना गलत किया है तुमने हमायी बहन के साथ ? जब शादी इनसे करनी थी तो वेदी के साथ प्यार का झूठा नाटक क्यों किया ?”
दीपक को पीटता देखकर उसकी पत्नी घबरा गयी। गुड्डू और दीपक आपस में उलझ पड़े लेकिन गुड्डू तो गुड्डू ठहरा और यहाँ बात थी उसकी बहन की तो गुस्सा होना जायज भी था उसने दीपक की कोलर पकड़ी और घसीटते हुए उसे सीढ़ियों से नीचे ले आया। वंदना और उसके पति भी उठकर बाहर चले आये। उन्होंने गुड्डू और दीपक को अलग करने की कोशिश की लेकिन दोनों ही किसी की नहीं सुन रहे थे। शोर सुनकर आस पास के लोग जाग गए। मोहल्ले में से किसी ने आकर मिश्रा जी को खबर दी , वे जल्दी से वंदना के घर आये और गुड्डू को दीपक से दूर करते हुए कहा,”गुड्डू जे का तमाशा लगा रखे हो हिया ?”
“पिताजी जे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहना चाहा तभी वंदना आगे आयी और कहा,”देख लीजिये इतनी रात में मेरे घर आकर कैसे गुंडा-गर्दी कर रहा है ये , कितना मारा है मेरे भतीजे को पूछो इसे की ऐसा क्यों किया ?”
मिश्रा जी वंदना को अच्छे से जानते थे इसलिए उसके मुंह लगना नहीं चाहते थे। उन्होंने देखा मोहल्ले की आधे से ज्यादा लोग वहा जमा हो गए है। मिश्रा जी गुड्डू के पास आये और उसकी बांह पकड़कर अपनी तरफ करते हुए कहा,”का है जे सब ? और इति रात में हिया का कर रहे हो तुम ? जवाब दो गुड्डू काहे झगड़ा किया इस लड़के से ?”
“पिताजी इसने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू कहते कहते रुक गया उसे वेदी का ख्याल आ गया और इस तरह वह सबके सामने अपनी बहन का नाम नहीं उछाल सकता था।
“इसने का गुड्डू ?,,,,,,,,,,,,,,,,पहिले तुमहू बाहर झगड़ते थे अब घर में ही शुरू कर दिया , माफ़ी मांगों इन सब से”,मिश्रा जी ने गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा
“हम माफ़ी नहीं मांगेगे पिताजी”,कहकर गुड्डू गुस्से में वहा से चला गया। मिश्राजी ने बाकि लोगो की तरफ देखा और कहा,”आप सब अपने अपने घर जाईये”
“देखी अपने बेटे की अकड़ एक तो मेरे भतीजे पर हाथ उठाया और ऊपर से माफ़ी भी नहीं मांगी ,, उसे तो मैं छोडूंगी नहीं पुलिस में जाऊँगी मैं”,वंदना ने कहा
“गुड्डू ने जो किया उसके लिए हम माफ़ी चाहते है , वो ऐसे किसी पर हाथ नहीं उठाता बात का हुई जे एक बार अपने भतीजे से भी पूछ लेना”,मिश्रा जी ने दीपक को देखकर कहा तो उसने नजरे झुका ली।
“वो क्या कहेगा उसे तो बेवजह कितना मारा है आपके गुड्डू ने”,वंदना ने कहा
“बस करो वंदना ,, खामखा बात को आगे बढ़ा रही हो तुम”,कहते हुए वंदना के पति आगे आये और मिश्रा जी से कहा,”आप माफ़ी मत मांगिये भाईसाहब , दोनों बच्चो में कोई गलतफ़हमी हो गयी होगी , फिर दोनों ही जवान है गुस्से वाले है ,, बेहतर होगा हम इस बात को यही खत्म करे”
“हम्म्म्म हम गुड्डू को समझाते है”,कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए

मिश्रा जी के जाने के बाद वंदना के पति दीपक की ओर पलटे और कहा,”कल सुबह अपनी पत्नी के साथ यहाँ से चले जाना , मिश्रा जी की इस मोहल्ले में बहुत इज्जत है ,, तुम्हारे और वेदी के रिश्ते से हम अनजान नहीं है। गुड्डू भी इसी वजह से गुस्सा था और हम नहीं चाहते की बात आगे बढे। सुबह होते ही यहाँ से चले जाना”
“ये क्या बकवास कर रहे है आप ? उस गुड्डू के लिए आप मेरे भतीजे के को यहाँ से जाने के लिए बोल रहे है”,वंदना ने कहा तो उसके पति ने उसे घूरते हुए कहा,”जो ये सब हो रहा है ना उसके पीछे वजह तुम ही हो , अपने भतीजे को सम्हाल नहीं पाई और दुसरो पर इल्जाम लगा रही हो। ये दोनों कल यहाँ से जायेंगे और अगर तुम्हे बुरा लग रहा है तो तुम भी इनके साथ चली जाओ,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर वंदना के पति वहा से चले गए। वंदना भी गुस्से में पैर पटकते हुए वहा से चली गयी और उसके पीछे पीछे दीपक की पत्नी भी। दीपक को अहसास हो रहा था की वेदी से सच छुपाकर उसने बहुत बड़ी गलती की है। भले वह किसी और से शादी करता लेकिन कम से कम एक बार वेदी को बता देना चाहिए था। दीपक अंदर चला गया उसने अपनी पत्नी से बात करने की कोशिश की तो उसने आँखों में आंसू भरकर कहा,”अगर आप किसी और से प्यार करते थे तो फिर मुझसे शादी क्यों की ? उस लड़की के साथ साथ अपने मुझे भी धोखा दिया है , मेरे मन को ठेस पहुंचाई है। मैं आपकी पत्नी हूँ आपको माफ़ भी कर दूंगी पर उस लड़की का क्या ? वो आपको कभी माफ़ नहीं कर पायेगी”
अपनी पत्नी की शब्दों से दीपक का मन छलनी हो गया उसे अपने किये पर बहुत पछतावा हो रहा था।

मिश्रा जी घर आये और अंदर आकर आवाज लगाईं,”गुड्डू , गुड्डू , गुड्डू”
कुछ देर बाद ही गुड्डू उनके सामने हाथ बांधे खड़ा था मिश्रा को गुड्डू पर बहुत गुस्सा आ रहा था उन्होंने उसे घूरते हुए कहा,”कब अक्ल आएगी तुम्हे गुड्डू , जे मार-पिटाई का है जे सब ? कानपूर के गुंडे हो तुम जो हर वक्त झगडे फसाद में उलझे रहते हो। हमायी बनी बनाई इज्जत को काहे मिटटी में मिलाने पर तुले हो तुम,,,,,,,,,,,,,सच कहे तो हमहू ना थक चुके है तुमसे , तुम्हायी हरकतों से , जे रोज रोज के झगड़ो से , अगर ऐसा ही चलता रहा ना तो किसी दिन हिया सीने में दर्द उठेगा हमाये और चल बसेंगे हम”
“ऐसा मत कहिये पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू ने मिश्रा जी के मुंह से जाने की बात सुनकर बेचैनी से कहा
“बस गुड्डू अब और नहीं समझा पाएंगे तुम्हे , आज के बाद तुम्हे जो करना है करो हम तुम्हे कुछो नहीं कहेंगे”,कहते हुए मिश्रा जी आँखों में बेबसी नजर आने लगी जिसे गुड्डू साफ देख पा रहा था। मिश्रा जी वहा से चले गए और गुड्डू उदास सा सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया

बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह सुबह शगुन तैयार होकर मंदिर जाने के लिए निकल गयी। अस्सी घाट का शिव मंदिर पास में ही था इसलिए शगुन पैदल ही चल पड़ी। रास्तेभर उसे जो भी जान-पहचान वाले मिल रहे था सब गुड्डू की तबियत के बारे में पूछ रहे थे , शगुन को अच्छा लगा की सब गुड्डू को कितना चाहते है। शगुन मुस्कुराते हुए शिव मंदिर चली आयी और गुड्डू की यादास्त वापस आ जाने की प्रार्थना करने लगी। पूजा करके शगुन वापस आयी तो उसे सामने से आता पारस दिखाई दिया। उसे देखकर शगुन रुक गयी , पारस मुस्कुराते हुए शगुन के पास आया तो शगुन ने कहा,”कैसे हो पारस ?”
“मैं ठीक हूँ तुम कानपूर से कब आयी ?”,पारस ने पूछा
“कल ही आयी हूँ , प्रीति की सगाई है ना उसमे”,शगुन ने कहा
“गुड्डू कैसा है ?”,पारस ने पूछा तो शगुन के चेहरे पर उदासी घिर आयी और उसने धीरे से कहा,”वो पहले से ठीक है अब”
“और उनकी यादास्त ?”,पारस ने पूछा तो शगुन उसके चेहरे की तरफ देखने लगी और फिर मुस्कुराते हुए कहा,”पता नहीं महादेव ने मेरी जिंदगी में क्या लिखा है ? मैं जितना किसी के करीब जाने की कोशिश करती हु वह इंसान मुझसे उतना ही दूर चला जाता है”
शगुन की आँखों में बेबसी और मुस्कराहट में दर्द पारस बखूबी देख सकता था उसे अंदर ही अंदर काफी तकलीफ भी हुई की शगुन की जिंदगी में इतनी परेशानिया क्यों ? पारस शगुन के चेहरे को देखता रहा तो शगुन ने कहा,”अच्छा छोडो ये सब बाते , मेरी शादी में तो नहीं आये थे प्रीति की सगाई में तो आओगे ना ?”
“हां बिल्कुल , और इस बार मैं ही नहीं बल्कि माँ और पापा भी आ रहे है प्रीति की सगाई में , और,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते पारस ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी
“और ? कोई और भी आने वाला है ?”,शगुन ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“हां और मैं चाहता हूँ सबसे पहले तुम उस से मिलो”,पारस ने कहा
“अहममम अहम्म्म्म तो ये बात है तभी तुम थोड़ा बदले बदले से नजर आ रहे हो , ठीक है उसे सगाई में जरूर लेकर आना मैं उस से वही मिल लुंगी”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“हम्म ठीक है”,पारस ने कहा
“अच्छा अब मैं चलती हूँ , घर में बहुत काम है और सगाई की तैयारियां भी करनी है”,शगुन ने जाते हुए कहा। अभी दो कदम ही चली होगी की पारस ने कहा,”शगुन”
“हाँ,,,,,,,,,!!”,शगुन ने पलटते हुए कहा
“महादेव ने तुम्हारी किस्मत में बहुत अच्छा लिखा , जल्द ही तुम्हे वो सब मिलेगा”,पारस ने मुस्कुरा कर कहा तो शगुन भी मुस्कुरा उठी और वहा से चली गयी

घर आकर शगुन तैयारीओ में लग गयी। वेदी और प्रीति भी नहा-धोकर नीचे चली आयी। शगुन सबके लिए नाश्ता बना चुकी थी। गुप्ता जी भी बाहर से गरमा-गर्म जलेबिया लेकर आ गए थे। गुप्ता जी के कोई दोस्त आये थे तो उन्होंने अपना नाश्ता अपने कमरे में ही मंगवा लिया। शगुन वेदी और प्रीति बाहर हॉल में बैठकर नाश्ता करने लगी नाश्ता करते हुए प्रीति ने कहा,”अच्छा दी मैंने ना टेलर को आपके लहंगे वाला ब्लाउज भी दे दिया है उन्होंने कहा है सगाई वाले दिन सुबह भिजवा देगा तो आप लहंगा ही पहनना ठीक है”
“वो तो ठीक है लेकिन तुम्हारी सारी तैयारी हो गयी ना , लास्ट टाइम पर मत बोलना ये नहीं हुआ वो नहीं हुआ”,शगुन ने कहा।
“अरे दी रोहन मुझे ऐसे ही ले जाने को तैयार है”,वेदी ने हँसते हुए कहा
“बेचारा मुझे तो उस पर अभी से तरस आ रहा है”,शगुन ने कहा तो वेदी और प्रीति हंस पड़ी कुछ देर बाद वेदी ने कहा,”भाभी प्रीति कितनी किस्मत वाली है ना जिस से इसने प्यार किया उसी से इसकी सगाई हो रही है और फिर शादी हो जाएगी”
“अच्छा तुम नहीं हो क्या किस्मत वाली ?”,शगुन ने शरारत से वेदी की ओर देखकर कहा तो प्रीति ने बीच में कूदते हुए कहा,”एक मिनिट एक मिनिट मुझसे क्या छुपाया जा रहा है ?”
“कुछ भी तो नहीं है ना भाभी ?”,वेदी ने कहा
“हाँ हां कुछ भी तो नहीं”,शगुन ने प्रीति को चिढ़ाने के लिए कहा
“बताओ ना यार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कही वेदी भी तो,,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह तेरी मुझे तो किसी ने बताया ही नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,तुम तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली”,प्रीति ने वेदी की बगल में बैठते हुए कहा। शगुन अपना नाश्ता कर चुकी थी इसलिए उठी और अपनी प्लेट लेकर वहा से चली गयी। प्रीति ने वेदी से पूछा तो उसने उसे दीपक के बारे में बता दिया। दोनों सहेलिया खिलखिला रही थी गुप्ता जी अपने दोस्त के साथ वहा से गुजरे उन्होंने दोनों की हँसते मुस्कुराते देखा तो मुस्कुरा उठे और चले गए।
बाते करते हुए प्रीति ने अचानक से वेदी से कहा,”अच्छा वेदी तुम्हारे भैया मतलब मेंरे जीजाजी वो मेरी सगाई में आएंगे या नहीं ?”
“अभी कुछ दिन पहिले ही गुड्डू भैया ने कांड किया था पिताजी बहुते नाराज है उनसे हमे नहीं लगता उन्हें आने देंगे और फिर यहाँ आये तो और कन्फ्यूज हो जायेंगे क्योकि यहाँ तो सबको पता है उनकी और भाभी की शादी के बारे में”,वेदी मासूमियत से कहा
“हम्म लेकिन मैं चाहती हूँ वो मेरी सगाई में आये , इकलौते जीजू है मेरे वो नहीं आएंगे तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा”,प्रीति ने उदास होकर कहा
“फिर तो गोलू भैया ही कुछ करके पिताजी को मना सकते है , तुम उनसे बात करो ना”,प्रीति ने कहा तो वेदी ने खुश होकर गोलू को फ़ोन लगाया। एक दो रिंग जाने के बाद गोलू ने फोन उठाया और बड़े ही प्यार से कहा,”हाँ जी प्रीति जी”
“गोलू जी सुनिए ना , आपको तो पता ही है मेरी सगाई है और सगाई बार बार नहीं होती , मैं चाहती हूँ की मेरे जीजू यहाँ आये और उन्हें आप ही ला सकते हो ,, बस मेरी इतनी सी विश पूरी कर दो प्लीजजजजजजजजज”,प्रीति ने प्लीज पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए कहा
पुराना गोलू होता तो अब तक पिघल चुका होता लेकिन इस गोलू को अक्ल आ चुकी थी उसने कहा,”प्रीति जी आप कहोगी कुए में कूद जाओ तो हमहु बेशक कूद जायेंगे लेकिन मिश्रा जी से पंगा नहीं लेंगे ,, का है पिछली बार ना बहुते तबियत से सुताई की है उन्होंने हमायी और गुड्डू भैया की ,, इहलीये जे विश तो पूरी नहीं कर पाएंगे हम”
“क्या यार गोलू इतना भी नहीं कर सकते ?”,प्रीति ने नाराज होकर कहा
“गोलू जी से सीधा गोलू , सही है प्रीति जी,,,,,,,,,,,,,,आपको ना शायद अपने प्यार जीजाजी के बारे में एक ठो बात नहीं मालूम हम बताते है ,, गुड्डू भैया के पास मुसीबत नहीं आती है गुड्डू भैया खुद मुसीबत के पास जाते है इहलीये समझो यार हमायी परेशानी”,गोलू ने कहा।
प्रीति ने थोड़ा सोचा और फिर इमोशनल होकर कहा,”ठीक है गोलू मुझे लगा जीजू यहाँ आएंगे तो दी के साथ उन्हें थोड़ा वक्त बिताने को मिलेगा और क्या पता इस से उन दोनों की दूरिया भी कम हो जाये , लेकिन शायद आप नहीं चाहते”
गोलू प्रीति की बातो में आ गया और उसने कहा,”अच्छा अच्छा जे बात थी,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने इतना ही कहा की बगल वाली चाय की दुकान पर बजा,,,,,,,,,,,,,,,ए फंसा,,,,,,,,,,,,,,
गोलू ने हाथ में पकड़ी पानी की खाली बोतल फेंककर कहा,”अबे बंद करो बे,,,,,,,,,,,,,,,,,हां हाँ प्रीति जी हमहू कह रहे थे , करते है कुछो जुगाड़”
प्रीति मुस्कुरायी और फोन काट दिया !

क्रमश – Manmarjiyan – S45

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