मनमर्जियाँ – S26
Manmarjiyan – S26
मनमर्जियाँ – S26
शगुन और रोहन साथ बैठे थे , शगुन के साथ सहज होकर रोहन ने अपनी फीलिंग्स शगुन को बता दी। रोहन प्रीति को बहुत पसंद करता था लेकिन ये बात वह प्रीति से कह नहीं पा रहा था लेकिन शगुन ने इसे आसान कर दिया। खाना खाने के बाद शगुन ने रोहन से कहा,”रोहन अभी तुम जाओ मैं प्रीति से इस बारे में बात करुँगी”
“ठीक है दी एंड थैंक्यू सो मच”,रोहन ने कहा और वहा से चला गया। गोलू और प्रीति खाना खाकर शगुन के पास चले आये। गोलू ने कुर्सी खिसकाई और बैठते हुए कहा,”भाभी सब तैयारी हो चुकी है कल सुबह में सारे मेहमान आ जायेंगे , शाम को शादी। आप नहीं होती ना तो हमहू तो जे डेस्टिनेशन वेडिंग कर ही नहीं पाते , वैसे एक ठो बात पूछे भाभी आपके दिमाग में जे आईडीया आया कहा से ?”
“गोलू जी हमारी दी को ना बनारस बहुत ज्यादा पसंद है , मतलब ये तो चाहती थी इनकी शादी बनारस में ही हो जाये लेकिन इनकी किस्मत तो आपके गुड्डू भैया से जुडी थी तो ये चली गयी कानपूर और इनका बनारस में शादी करने का सपना , सपना ही रह गया इसलिए इन्होने आपको यहाँ का आइडिआ दिया ताकि आपका काम भी हो जाये और इनका सपना भी पूरा हो,,,,,,,,,,,,,,,,,हैं ना दी ?”,प्रीति ने ऐसे ही कोई कहानी बनाते हुए कहा
“सच में भाभी ?”,गोलू ने प्रीति की बातो पर यकीन भी कर लिया और हैरानी से शगुन से कहा
“गोलू जी वो ऐसे मजाक कर रही है ऐसा कुछ भी नहीं है , गुड्डू जी से शादी हमने इसलिए की क्योकि वो हमे बहुत अच्छे लगे थे”,शगुन ने कहा तो प्रीति गोलू को देखकर खी खी करके हसने लगी। गोलू ने मुंह बनाते हुए कहा,”बहुते शैतान हो यार तुम मतलब हम जैसे शरीफ लौंडे को भी अपनी बातो के जाल में फंसा लिया”
“शरीफ और आप ? अच्छा जोक है आपके और जीजू के नए नए कर्म कांडो के बारे में हमे सब पता है”,प्रीति ने पोल खोलते हुए कहा
“का ? कौन है जो हमायी लंका लगा रहा है नाम बताओ ज़रा”,गोलू ने कहा
“हम अपनी दोस्त वेदी का नाम क्यों बताएँगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे !!”,बातो बातो में प्रीति ने नाम बता दिया तो गोलू ने कहा,”तुम्हाये पेट में कुछो पचता कहा है , उनसे तो हम कानपूर जाकर निपट लेंगे , अभी घर चलते है भाभी”
“हाँ गोलू जी मैं भी यही कह रही थी पापा घर पर ही होंगे थोड़ा उनके साथ वक्त बिता लू”,शगुन ने उठते हुए कहा
“हाँ दी चलते है अब”,प्रीति भी उठ खड़ी हुई तो गोलू दोनों के साथ घर जाने के लिए निकल गया।
पारस अपने ऑफिस रूम में बैठा काम कर रहा था लंच टाइम में उनके पास बैठे मोहन जी ने कहा,”अरे भई पारस जी आज लंच करने का मूड नहीं है क्या ?”
“बस मोहन जी थोड़ा सा काम और है वो खत्म कर लू उसके बाद आप लोग कीजिये”,पारस ने कीबोर्ड पर उंगलिया चलाते हुए कहा
“ठीक है हम जा रहे है , चलिए तिवारी जी”,कहते हुए मोहन जी उठे और वहा से चले गए। पारस अकेला था , आज उसे सभी डाटा एंट्री कम्प्लीट करनी थी। पारस अपने काम को लेकर बहुत ही ईमानदार था , वह वक्त पर अपने सभी काम करता था और यही वजह थी की कॉलेज में प्रिंसिपल सर का सबसे चहेता था। पारस अपने काम में लगा हुआ था की तभी सोनिया आयी और कहा,”अरे पारस जी आप लंच नहीं कर रहे ?”
“सोनिया वो थोड़ा सा काम में बिजी था , मैं बाद में कर लूंगा”,पारस ने कहा तो सोनिया उसकी तरफ आयी और कहा,”वक्त पर खाना नहीं खाएंगे तो काम कैसे करेंगे ? चलिए उठिये आपको भूख लगे ना लगे मुझे बहुत भूख लगी है और आज मैं टिफिन भी नहीं लायी हूँ”
“आप मेरे टिफिन में से खा लीजिये”,पारस ने उठते हुए कहा
“नहीं , मुझे तिवारी जी ने बताया था की यही कॉलेज के बाहर एक छोले-भठूरे वाला है , उसके पास बड़े ही टेस्टी छोले मिलते है चलिए ना वो खाते है”,सोनिया ने कहा
“सोनिया जी मैं बाहर का नहीं खाता”,पारस शायद सोनिया के साथ जाने में थोड़ा हिचकिचा रहा था
“ये क्या पारस जी ? आपका शहर है आप इसके बारे में मुझसे बेहतर जानते होंगे सोचकर मैं आपके पास आयी थी लेकिन आप तो जाना ही नहीं चाहते , खैर कोई बात नहीं मैं चलती हूँ”,कहकर सोनिया वहा से जाने लगी
“सोनिया जी”,पारस ने उन्हें रोकते हुए कहा
“जी”,सोनिया ने पलटकर कहा
“आज मेरा भी छोले खाने का मन है चलिए बाहर चलते है”,पारस ने कहा तो सोनिया मुस्कुरा दी और पारस के साथ कॉलेज से बाहर चली आयी। चलते हुए पारस उसे कॉलेज के बारे में बताते जा रहा था। कॉलेज के बगल में ही एक छोले भठूरे की छोटी सी दुकान थी। पारस ने आकर दो प्लेट लगाने को कहा। जब तक प्लेट तैयार हो रही थी पारस सोनिया को बनारस के बारे में बताने लगा। सोनिया बस ख़ामोशी से पारस के चेहरे को देखे जा रही थी।
‘ये लीजिये भैया”,दुकान वाले ने पारस की और दो प्लेट बढाकर कहा। पारस ने एक प्लेट सोनिया को दी और दूसरी खुद ले ली। दोनों बातें करते हुए खाने लगे सोनिया ने एक निवाला खाया और कहा,”उम्म्म्म तिवारी जी ने सच कहां था बहुत ही टेस्टी है”
“अचार के साथ लीजिये और भी अच्छा लगेगा”,पारस ने कहा और खाने लगा। खाते खाते अचानक पारस की नजर सोनिया पर चली गयी , खाते हुए वह किसी मासूम बच्ची की तरह लग रही थी। पारस को अपनी ओर देखता पाकर सोनिया ने इशारो में पूछा तो पारस ने ना में गर्दन हिला दी और अपना ध्यान खाने में लगा लिया। कुछ देर बाद सोनिया ने देखा खाते हुए हल्का सा खाना पारस के गाल पर लग गया है तो सोनिया ने ऊँगली से इशारा करके समझाया लेकिन पारस को कुछ समझ नहीं आया। सोनिया पारस के थोड़ा सा करीब आयी और अपनी ऊँगली से उसका गाल साफ कर दिया। एक खूबसूरत अहसास जो आज से पहले पारस को कभी नहीं हुआ था शायद ,, वह खामोशी से सोनिया को देखता रहा। सोनिया मुस्कुराते हुए उसका गाल साफ़ करने लगी , पारस भी मुस्कुरा उठा
गोलू की गाडी का उस वक्त उधर से गुजरना हुआ की शगुन की नजर वहा खड़े पारस पर पड़ी। शगुन ने पारस को पहली बार ऐसे किसी लड़की के साथ देखा तो प्रीति से कहा,”प्रीति वो पारस ही है ना ?”
“हां दी है तो वो ही पर ये यहाँ कर रहे है ? वो भी लड़की के साथ ?”.प्रीति ने पारस और सोनिया को देखते हुए कहा
“का हुआ भाभी गाड़ी रोके का ?”,गोलू ने कहा
“नहीं गोलू चलिए”,शगुन ने कहा गाड़ी आगे निकल गयी , साइड मिरर में शगुन को पारस और सोनिया एक दूसरे के करीब खड़े नजर आ रहे थे। शगुन उन्हें साथ देखकर मुस्कुरा दी और सर सीट से लगा लिया।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू सुबह उठा तो देखा मिश्रा जी शोरूम जा चुके है , आजकल गुड्डू फिर अपनी पहले वाली सी जिंदगी जीने लगा था देर से उठना , देर से सोना। गुड्डू उबासियाँ लेते हुए उठकर बाहर आया। मिश्राइन आँगन में बैठी अम्मा के बालो में तेल लगा रही थी ,, गुड्डू ने वहा आकर मिश्राइन से कहा,”अम्मा चाय चाहिए हमें”
“ए बिटिया जाओ जाकर भैया के लिए चाय बनाओ तब तक हम अम्मा के बालो में तेल मल दे”,मिश्राइन ने कहा तो वेदी उठकर चाय बनाने चली गयी। गुड्डू वहा से गेट की सीढ़ियों पर आकर बैठ गया और आते जाते लोगो को देखने लगा। कुछ देर बाद वेदी उसके लिए चाय लेकर आयी और रखकर जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”ए वेदी सुनो”
“का ?”,वेदी ने पलटकर कहा
“अरे यार बइठो बात करनी है कुछ”,गुड्डू ने कहा तो वेदी उसकी बगल में आकर बैठ गयी और कहा,”हम्म्म कहो का बात है”
“अगर हम तुमको एक ठो नया ड्रेस दिलाये तो तुमहू हमायी बात मानोगी ?”,गुड्डू ने वेदी को लालच देते हुए कहा
“नहीं”,वेदी समझ गयी की गुड्डू उस से कुछ जानकारी लेना चाहता है और बदले में सब करेगा , इसलिए वह भाव खाने लगी
“अच्छा दो ड्रेस दिलाये तब ?”,गुड्डू ने थोड़ा लालच और दिया
“सोचूंगी”,वेदी ने इतराते हुए कहा
“अच्छा ठीक है दो ड्रेस साथ में एक बैग भी दिला देंगे तुम्हायी पसंद का , अब मान जाओ यार इतने ही पैसे है हमाये पास”,गुड्डू ने रिक्वेस्ट की तो वेदी ने कहा
“अच्छा ठीक है बताओ का पूछना चाहते है आप ?”
“हम जे पूछ रहे थे की शगुन काहे चली गयी ? मतलब हमायी वजह से गयी है तो हमे बता दो हम माफ़ी मांग लेंगे ,, पता है दो दिन से ठीक से सोये नहीं है जे सोचकर की हमायी वजह से उनको बुरा लगा और वो चली गयी”,गुड्डू ने कहा
वेदी ने गुड्डू की बात सुनी तो उसे गुड्डू पर दया आने लगी और उसने कहा,”अरे भैया हम तो ऐसे मजाक कर रहे थे आपसे , वो न किसी काम से अपने पापा के घर गयी है कल तक वापस आ जाएगी , फिर यही रहेंगी हमारे साथ”
गुड्डू ने सूना तो पहले तो वेदी को घुरा और फिर कहा,”दुई ड्रेस तो का हमहू तुमको एक ठो रूमाल नहीं देंगे , हमे पागल समझी हो ,, वो तो हम पहिले ही जानते थे की उह हमायी वजह से नहीं गयी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,चलो निकलो यहाँ से”
“हुंह,,,,,,,,,,,,,,पिताजी को आने दो सब बताते है”,वेदी मुंह बनाते हुए उठी और चली गयी।
“हाँ हाँ बता देना हम नहीं डरते किसी से”,गुड्डू ने ऊँची आवाज में कहा और फिर पास रखा चाय का कप उठाकर चाय पीते हुए मन ही मन खुद से कहने लगा,”का गुड्डू तुमहू भी ना वेदी की बातो में आ गए और ना जाने का का सोच लिया , तुमहू यार सब कर सकते हो पर ऐसी गलत हरकत ना करोगे”
बनारस , उत्तर-प्रदेश
शगुन और गोलू आज सुबह जल्दी ही गेस्ट हॉउस निकल गए। मेहमान आने शुरू हो गए थे सभी गोलू और शगुन के अरेजमेंट से बहुत खुश थे। कम बजट में ही शगुन ने सारी सुविधाएं रखी थी और इसकी वजह थी बनारस में शगुन का लोगो से अच्छा संबंध , उसी के चलते सबने शगुन को कम से कम पैसो में भी अच्छा काम करके दिया। शादी शाम में थी और चुकी डेस्टिनेशन वेडिंग थी तो वरमाला का प्रोग्राम अस्सी घाट पर रखा गया। सभी औरतो , लड़कियों ने बनारसी साड़ी पहनी थी और सभी मर्दो ने कुरता पजामा। ये सारा आइडिआ शगुन का था और सबको बहुत पसंद भी आ रहा था। वरमाला शाम को सूरज ढलने से पहले नाव पर सवार होकर करनी थीं। दूल्हा दुल्हन तो इसके लिए बहुत एक्साइटेड थे। शगुन गोलू की मदद करने प्रीति और रोहन भी चले आये। प्रीति ने भी बनारसी साड़ी पहनी हुई थी और पारस ने कुरता पजामा। दोनों किसी दूल्हा दुल्हन से कम नहीं लग रहे थे लेकिन प्रीति की नाराजगी शायद अभी भी कम नहीं हुई थी। खैर रोहन गोलू के पास चला आया और उसके कहे कहे सब चीजे देखने लगा। वही प्रीति शगुन की तरफ चली आयी।
वरमाला शुरू हुयी तो सभी जोड़े पर फूलो की बारिश करने लगे। गोलू तो कुछ ज्यादा ही खुश था , दूल्हा दुल्हन की जगह वह खुद को और पिंकी को देख रहा था मन में कितनी ही तितलियाँ उड़ रही थी। शुभ समय पर वरमाला खत्म हुई उसके बाद सभी दूल्हा दुल्हन आकर एक रथ पर सवार हुए , उनके आस पास लाइट्स लगी थी। आगे बेंड बाजे वाले , उनके आस पास नाच रहे मेहमान ,, कुछ रथ के पीछे चल रहे थे। शगुन घाट पर स्टाफ के लड़को को कुछ समझा रही थी। रोहन भी वही काम कर रहा था , प्रीति ने देखा तो कहा,”दी आप जाईये यहाँ का सब काम मैं करवा देती हूँ ,, वहा आपकी जरूरत होगी”
“थैंक्यू प्रीति तुम ये सब करवाकर ना जल्दी से आ जाना”,शगुन ने जाते हुए कहा
शगुन जैसे ही रथ के पास पहुंची अपना सर पीट लिया गोलू बारातियो में शामिल होकर नाच रहा था और पैसे लूट रहा था। शगुन उसके पास गयी और उसे साइड में लाते हुए कहा,”गोलू जी ये क्या कर रहे है आप ?”
“अरे भाभी बहुत दिनों से किसी शादी में पैसे नहीं लुटे ना इसलिए थोड़ा हाथ साफ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बेशर्मी से कहा
“हद करते है आप , ये शादी आप ही अरेंज कर रहे है और आप ही पैसे लूट रहे है ,, अब चलिए आगे और भी काम है”,शगुन ने कहा तो गोलू उसके साथ चल पड़ा और थोड़ा सलीके से क्योकि साथ में शगुन थी गुड्डू भैया नहीं।
शगुन और गोलू को बाकि लोगो के साथ भेजक्र प्रीति वही घाट पर ही रुक गयी। रोहन भी वही था रोहन ने जब देखा प्रीति वहा है तो वह उसके पास चला आया और कहा,”प्रीति”
“हाँ हाँ मालूम है अब तुम कहोगे की उस दिन जो कुछ भी हुआ वो सब तुमने जान बुझकर नहीं किया। मुझे तुम्हे एक मौका देना चाहिए , तुम्हे माफ़ कर देना चाहिए। गलती तो इंसान से ही होती है। बला बला बला”,प्रीति ने कहा
“नहीं मैं ये कहने आया हूँ की कल मैं अपने घर जा रहा हूँ हमेशा हमेशा के लिए , जाने से पहले तुमसे कुछ कहना चाहता था”,रोहन ने सीरियस होकर कहा
“क्या ? पर तुम्हारी जॉब ? तुम्हारा ऑफिस ? ऐसे अचानक ?”,प्रीति ने हैरानी से कहा
रोहन ने एक नजर प्रीति को देखा और कहने लगा,”प्रीति याद होगा दो साल पहले तुम अपने पापा के साथ लखनऊ आयी थी किसी रिश्तेदार के यहा शादी में , उस दिन मैंने तुम्हे पहली बार देखा था और देखते ही तुम मेरे मन को भा गयी। मैं तुमसे बात करना चाहता था पर तुम उसी शाम वापस बनारस चली आयी। मुझे ना तुम्हारा नाम पता था न ही तुम्हारे बारे में कुछ पता था , पूछता भी तो किस से ? मैं हमेशा तुम्हारे बारे में सोचा करता था तुम्हे याद किया करता था। हर लड़की में तुम्हे ढूंढा करता था पर तुम नहीं मिली। दो साल बाद यहाँ नौकरी लगी बनारस में और यहाँ आकर मैंने महादेव से बस एक ही दुआ की के तुम मिल जाओ। महदेव ने मेरी सुन ली उस दिन पहली बार तुम मुझे उस ट्रेफिक में मिली ,, दिल तो किया मिलते ही तुम्हे सब बता दू लेकिन तुम्हारे गुस्से वाले तेवर को देखकर लगा की तुम्हे मेरी बातो पर विश्वास नहीं होगा। उसके बाद तो तुमसे मुलाकाते होती रही। तुम्हारे बारे में पता लगाया तो पता चला की तुम तो मेरे किसी रिश्तेदार के दोस्त की ही बेटी हो। उनसे कहकर मैं तुम्हारे घर रहने आया ताकि तुम्हे और अच्छे से जान सकू। तुमसे प्यार तो दो साल पहले ही हो चुका था पर तुम्हारे साथ रहते हुए ये इतना बढ़ जाएगा मैंने सोचा नहीं था। उस दिन ऑफिस में भी यही सब बाते हो रही थी क्योकि मेरे दोस्तों को पता था मैं तुम्हे ढूंढता हुआ आया हूँ और तुमने उन बातो का गलत मतलब निकाल लिया। तुम्हारी गलती नहीं है तुम्हारी जगह कोई भी होता तो शायद यही समझता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं ये नहीं कहता की मैं तुम्हारे लिए परफेक्ट हूँ पर हां तुम्हे खुश रखूंगा हमेशा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या तुम जिंदगी भर मेरे साथ झगड़ना पसंद करोगी ?”
रोहन ने प्रीति को अपना सच बताते हुए आखिर में बहुत ही प्यार से कहा। सब सुनकर प्रीति की आँखों में नमी तो पहले ही आ चुकी थी। उसने कुछ नहीं कहा बस आगे बढ़कर रोहन के गले आ लगी और कहा,”स्टुपिड पहले क्यों नहीं बोला ये सब ?”
“तुमने मौका ही नहीं दिया , तो मैं तुम्हारी हाँ समझू ?”,रोहन ने कहा
प्रीति उस से दूर हटी और कहा,”अब भी तुम्हे शक है , आई लव यू आई लव यू सो मच”
रोहन ने सूना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा उसका पहला प्यार उसे मिल चुका था और ये सच बताने की हिम्मत उसे शगुन से मिली थी। शगुन ने ही उसे कहा था की वो पुरे दिल से प्रीति को सारी सच्चाई बता दे। रोहन बहुत खुश था एक बार फिर वह प्रीति के गले आ लगा तो प्रीति ने कहा,”वापस जाना जरुरी है”
“हम्म्म्म पर मैं जल्द ही वापस आऊंगा”,रोहन ने कहा तो दोनों वही सीढ़ियों पर बैठ गये और सामने अस्सी घाट के शांत पानी को देखने लगे। रोहन ने प्रीति का हाथ अपने हाथ में लिया और सामने देखने लगा। प्रीति मुस्कुराई और कहा – दी ना सही कहती है बनारस सिर्फ शहर नहीं है इश्क़ है , यहाँ किसी की मोहब्बत न अधूरी नहीं रहती”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S27
Read More – manmarjiyan-s25
Follow Me On – facebook
Follow Me On – instagram
Listen My Story – youtube
संजना किरोड़ीवाल
मैम महाशिवरात्रि की बहुत शुभकामनाएं आपकों…हर हर महादेव🙏🙏 मैम आज तो रोहन को प्रीति का साथ मिल गया…तो इधर पारस को भी सोनिया का साथ अब अच्छा लगने लगा…सही हैं…एकसाथ कई जोड़ी तैयार हो गई इश्क में डुबकी लगाने कों.😊 Behtreen part👌👌👌👌👌
वाह शगुन ने कमाल कर दिया और रोहन ने धमाल कर दिया… अब रोहन-प्रीति साथ है…महादेव ने इनका काम बना दिया.।।अब देखते है कि महादेव कानपुर में किसका मिलन करवाते है
finally priti or rohan mil gaye..bas shagun or guddu bhi mil jaye..by the ajj mhaa shivratri h or ek jodi ko milwa diye hai to guddu or shagun ko bhi milwa dijye..happy mahashivratri..har hra mahadev🕉🙏
nice part..
har har mahadev
owsem part mam thank u
Bahut acha part tha …..aur aaj display picture bhi changed yeh pic wala banda koi serial ya movie mein vekhiya lagda haan..naam nahi yaad aa raha..aur golu bhaisahab toh kamal the koi keh sakta hai ki en zindagi ki lanka lagi goye haan apni arrange karwaye shadi mein naach rahe haan😁😁beindass banda hai ve golu…
Awesome superb
Superb osm mind blowing part 👌👌👌👌
Very beautiful
Awesome blossom mam
Aree wahh mahadev ne aj priti or rohan ko mila diyaa…. ❤️❤️❤️❤️
👌👌👌👌👌
Superb…mazaa aa gaya
Wao
Are wah Aaj mahashivratri pr priti or rohan ki to misunderstanding dur hui or dono ne pyar kabul lia or udher paras or sonia bhi close aa rahe hai, kya baat
Jabardast part
Excellent lovely beautiful part 💖
Beautiful part
Nice
Very nuce
Sanjana ji hum Shagun or guddu ki nok jhok miss kar rahe hai pls jaldi shagun ko vapas guddu k pass bhej do
Oho banaras mei ek aur jodi ko apna pyar mil gaya… Bahut acha lag raha hai har kahani mei banaras ki koobsurat hi ehsas karne mei😍😍😍