मनमर्जियाँ – 84
Manmarjiyan – 84
मनमर्जियाँ – 84
मिश्रा जी बहुत ही सुलझे हुए इंसान है लेकिन इन दिनों उनका एक नया ही रूप देखने को मिला। मिश्रा जी जानते थे की शगुन ने उस दिन झूठ कहा और गुड्डू बेकसूर है लेकिन फिर भी उन्होंने गुड्डू से माफ़ी मंगवाई पर जब उन्होंने वेदी और शगुन की बातें सुनी तो कन्फर्म हो गया की ये सब रायता रमेश का फैलाया हुआ है और वे पहुँच गए रमेश के अड्डे पर , वही गोलू भी रमेश से खार खाकर बैठा था इसलिए उसे सबक सिखाने पहुंच गया और यहाँ उसकी मुलाकात हुयी मिश्रा जी , जिन्होंने गोलू के साथ मिलकर रमेश को धूल चटा दी और दोनो घर निकल गए।
सब सही था रमेश भी समझ चुका था की अब गुड्डू को नुकसान पहुँचाना उसके लिए मुसीबत बन सकता है इसलिए डरकर उसने गुड्डू का ख्याल दिमाग से निकाल दिया। मिश्रा जी बेफिक्र थे , गोलू ख़ुशी ख़ुशी अपनी दुकान पर , पिंकी से गुड्डू का पीछा छूट चुका था और वेदी भी निश्चिन्त थी बस कुछ सही नहीं था तो वो गुड्डू और शगुन के बीच। गुड्डू शगुन से नाराज था और शगुन ने हर कोशिश कर ली उसे मनाने की लेकिन गुड्डू तो गुड्डू ठहरा इतनी जल्दी थोड़ी मानेगा। घर से निकले हुए 4 घंटे गुजर चुके थे गुड्डू को अब चाय की तलब लगने लगी उसने आगे जाकर गाड़ी साइड में लगाई और शगुन की और देखा वो मस्त सो रही थी। मासूम चेहरा , बालो की लट गालों को छू रही थी। गुड्डू एकटक शगुन को देखता रहा उसे अहसास हुआ की उसने शगुन पर कुछ ज्यादा ही गुस्सा कर दिया था। शगुन को सोया हुआ देखकर गुड्डू का उसे जगाने का मन नहीं हुआ। उसने अपनी कोहनी सीट से लगाई और सर हथेली पर टीकाकर सोती हुयी शगुन को देखता रहा। शगुन ने नींद में गर्दन घुमाई और चेहरा गुड्डू की और कर लिया। उसकी सांसे गुड्डू के चेहरे से टकरा रही थी। पसीने की बुँदे शगुन के माथे पर झलक आयी थी जिन्हे देखकर गुड्डू ने शगुन के माथे पर फूंक मारी। हवा से शगुन के चेहरे पर एक सुकून उतर आया। गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”हमे परेशान करके कैसे आराम से सो रही है ?”
गर्मी होने की वजह से गुड्डू ने शगुन के साइड वाले कांच को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन खिड़की खुली नहीं। गुड्डू को शगुन के थोड़ा नजदीक होना पड़ा और जैसे ही खिड़की खुली शगुन की आँख भी खुल गयी और गुड्डू को अपने इतना करीब पाकरशगुन ने कहा,”ये ये क्या कर रहे है आप ?”
“बस ऐसे ही हमारा मूड बन रहा है तुम्हे देखकर”,गुड्डू ने आँखों में नशा उमड़ते हुए कहा
“क्या ? ये कै कैसी बातें कर रहे है आप ?”,शगुन ने थोड़ा असहज होते हुए कहा
गुड्डू उसके थोड़ा और करीब आया और धीमी आवाज में कहने लगा,”वैसी बातें जैसी आज तक नहीं की तुमसे,,,,,,,,,,,,,,,तुम हो हम है सुनसान रास्ता है बोलो क्या ख्याल है ?”
शगुन ने सूना तो उसका दिल धड़क उठा आज से पहले गुड्डू ने उस से इस तरह की बातें तो कभी नहीं की थी , ये सब सुनकर शगुन का दिल धड़क उठा उसने पीछे खिसकते हुए कहा,”देखिये ! जो जो भी ख्याल है ना बिल्कुल सही नहीं है , आप आप हटिये प्लीज”
गुड्डू चुपचाप शगुन को देखता रहा और फिर दूर हटकर कहा,”चाय पीनी है तो बाहर आ जाओ”
गुड्डू गाडी से उतरकर ढाबेवाले के पास चला गया। शगुन ने चैन की साँस ली और सामने पड़ी बोतल से दो घूंठ पानी पीकर गला तर किया। शगुन गाड़ी से उतरी और गुड्डू की और बढ़ते हुए खुद से कहने लगी,”ये गुड्डू जी को भी पता नहीं क्या हो जाता है ? कभी कभी बहुत अजीव बिहेव करते है”
शगुन आकर गुड्डू से कुछ दूरी बनाकर खड़ी हो गयी उसे देखकर गुड्डू ने लड़के से एक और चाय देने को कहा। लड़के ने शायद पहले की पड़ी चाय गुड्डू को दे दी गुड्डू ने एक घूंठ पीया और उसी चाय से हाथ धोकर कहा,”इस से अच्छा तो पानी दे देते”
“सॉरी भैया दूसरी बनाते है”,लड़के ने डरते हुए कहा
“मेरा गुस्सा उस पर क्यों निकाल रहे है आप ?”,शगुन को गुड्डू की ये हरकत नागवार गुजरी
गुड्डू शगुन के पास आया और कहा,”अगर तुमहू चाहती हो तुम्हारा गुस्सा किसी और पर ना निकले तो जे बताओ की सच का है ? रमेश को बचाने के लिए तो तुमहू झूठ बोली नहीं होगी पिताजी के सामने,,,,,,,,,,,,,,कुछ बात तो है जो तुम हमसे छुपा रही हो”
शगुन ने सूना तो गुड्डू से नजरे बचाते हुए कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं है गुड्डू जी”
“अबे तुम चाय दोगे या दे एक कंटाप तुमको”,शगुन का जवाब सुनकर गुड्डू ने लड़के को डांटते हुए कहा
“लीजिये भैया”,लड़के ने जल्दी से चाय गुड्डू की और बढ़ा दी गुड्डू ने चाय ली और जाकर कुर्सी पर बैठ गया। लड़के ने शगुन को चाय दी तो शगुन ने धीरे से लड़के को कहां,”सॉरी भैया वो थोड़ा गुस्से में है , आप उनकी बात का बुरा मत मानियेगा”
जवाब में लड़का हल्का सा मुस्कुरा दिया शगुन चाय लेकर गुड्डू के सामने आकर बैठ गयी और कहा,”ये कैसा व्यवहार है आपका छोटो के साथ ?”
“देखो शगुन गुप्ता बात ऐसी है पता तो हम लगा लेंगे की बात का है लेकिन तुमहूँ दोस्त कही थी न हमे,,,,,,,,,,,,,,,बहुते अच्छी दोस्ती निभा रही हो तुम”,गुड्डू ने कहा
“ये क्या शगुन गुप्ता शगुन गुप्ता लगा रखा है अापने ?”,शगुन ने चिढ़ते हुए कहा
“हमायी मर्जी हम तुम्हे शगुन बुलाये या फिर शगुन गुप्ता , तुमहू न बात को घुमाओ मत”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा
“पता है गोलू भैया सही कहते है , आप बहुत ही जिद्दी इंसान है”,कहते हुए शगुन उठती है और दूसरी टेबल के पास जाकर बैठ जाती है
“गोलू तो एक नंबर का बैल है और जबसे तुम्हायी संगत में आया है ना तबसे उह भी हमसे बातें छुपाने लगा है , दोनों ने मिलकर हमायी जिंदगी की बत्ती लगा रखी है”,गुड्डू बड़बड़ाया जो की शगुन को साफ सुनाई दे गया। शगुन ने वही बैठे बैठे जवाब दिया,”गोलू जी बैल है पर आप तो समझदार होंगे ना , फिर क्यों बहस कर रहे है ?”
“का है की हमको आदत पड़ चुकी है ना तुम्हाये लेक्चर सुनने की मास्टरनी जो ठहरी तुम”,गुड्डू ने भी इस मीठी नोक झोक को आगे बढ़ाते हुए कहा
“हां तो मास्टरनी बनना भी कोई बुरी बात नहीं है”,शगुन को इस बार गुस्सा आ गया
बात कहा से शुरू हुई थी और अब कहा आ चुकी थी , गुड्डू कहा रुकने वाला था उसने भी जवाब में कह दिया,”हां तो हमे ना सिखाओ की हम का है”
शगुन ने गुस्से से दूसरी और मुंह कर लिया चाय वाला लड़का काफी देर से दोनों की प्यारभरी बहस देख रहा था। वह गुड्डू के पास आया और कहा,”भैया नाराज काहे होते हो ? इन्ही झगड़ो से तो प्यार बढ़ता है”
गुड्डू जो की अपने आप में ही बवाल है उसने लड़के की और देखा और कहा,”बेटा ऐसा है तुमहू ना जियादा चौधरी ना बनो , जाकर बिल लेकर आओ”
बेचारा लड़का आज तो तय था की गुड्डू का सारा गुस्सा उस बेचारे पर ही निकलना था। गुड्डू ने बिल दिया और वापस ने एक चिप्स का पैकेट भी ले लिया। शगुन गुड्डू से पहले ही आकर गाड़ी में बैठ गयी और मुंह घुमा लिया। गुड्डू जान बूझकर शगुन को गुस्सा दिला रहा था ताकि वह गुस्से में आकर ही सही उसे सच बता दे।
लेकिन गुड्डू की तरकीब काम नहीं आयी वह आकर गाड़ी में बैठा और चिप्स का पैकेट शगुन की और बढ़ा दिया। शगुन अब गुड्डू से गुस्सा थी तो उसे लगा गुड्डू उसे मनाने के लिए चिप्स लेकर आया है तो उसने उसे वापस गुड्डू की और बढाकर रूखे स्वर में कहा,”मुझे नहीं चाहिए”
“हां तो तुम्हाये लिए है भी हमहू अपने लिए लेकर आये है , खोलो और खिलाओ हमे”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उसकी और देखने लगी
शगुन को अपनी और देखता पाकर गुड्डू ने गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ाते हुए कहा,”घूर का रही हो हम गाड़ी चला रहे है खुद से नहीं न खा पाएंगे इसलिए बोल रहे है खिलाओ”
शगुन जो की कुछ देर पहले गुड्डू से गुस्सा थी उसकी मासूमियत देखकर उसका मन फिर से पिघल गया उसने पैकेट खोला और एक चिप्स निकालकर उसकी और बढ़ा दी। गुड्डू मुस्कुरा उठा और खा लिया ये पहली बार था जब शगुन उसे अपने हाथो से खिला रही थी। आधे चिप्स खाने के बाद गुड्डू ने कहा,”इह तुम खा लो”
शगुन को भूख नहीं थी उसने पैकेट को बंद किया और सामने रख दिया। शगुन और गुड्डू दोनों चुप , गुड्डू तो चाहता था की शगुन उस से बात करे लेकिन शगुन नहीं चाहती थी की उसकी गुड्डू से फिर कोई बहस हो इसलिए चुप बैठी थी। ख़ामोशी तोड़ने के लिए गुड्डू ने वापस म्युजिक सिस्टम ऑन कर दिया। सिस्टम पर कोई पंजाबी गाना बजने लगा जो की शगुन को बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था लेकिन गुड्डू इंजॉय कर रहा था। जैसे गुड्डू था उसकी पसंद भी थोड़ी अजीब ही थी , गाना कुछ यु था
“हो रौनक हो जू घट वे
चल मेले नू चलिये
मल्ला कद कुर्ते डा वट वे
चल मेले नू चलिये
आह लाई फरह कुंजिया ते
सामले तिजोरिया
खसमा नू खांदा तेरा घर वे
चल मेले नू चलिये”
गाना सुनकर शगुन हैरानी से गुड्डू को देख रही थी तो गुड्डू ने उसकी और देखकर कहा,”का हुआ समझ नहीं आया ?”
“आप इतने अजीब क्यों हो ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“अब हमने का किया ?”,गुड्डू ने पूछा
“मतलब ऐसे अजीबो गरीब गाने कौन सुनता है ?”,शगुन ने कहा जिसे गाना बिल्कुल समझ नहीं आया था
“अमरिंद्र गिल जी का गाना है पंजाब में फेमस है और लौंडो की ना गानो में पहली पसंद पंजाबी गाने होते है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन सामने देखते हुए कहने लगी,”सॉरी मैं भूल गयी थीं आप तो गुड्डू जी द ग्रेट है ना”
“का मजाक उड़ा रही हो ?”,गुड्डू ने शगुन को घूरते हुए कहा
“नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने स्माइल करके कहा तो गुड्डू ने कहा,”तुम्हायी पसंद इतनी ही अच्छी है तो तुम चला लो दुसरा गाना”
शगुन ने सूना तो गाना देखने लगी और चला दिया पर इस बार गाना काफी रोमांटिक था
“के तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लू ,
आँखों से तेरे सच सभी , सब कुछ अभी जान लू
के तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लू”
गुड्डू ने सूना तो उसे उस बारिश वाली शाम की याद आ गयी जब शगुन बड़े प्यार से अपनी साड़ी के दुपट्टे से उसके गीले बालो को पोंछ रही थी उसने सामने देखते हुए कहा,”हम्म्म पसंद अच्छी है तुम्हायी”
“हां पता है”,शगुन ने सहजता से कहा
“कैसे ?”,गुड्डू ने पूछा
“खुद को ही देख लीजिये , आप भी तो मेरी ही पसंद है”,शगुन धीरे से बड़बड़ाई लेकिन गुड्डू ने सुन लिया
“चलो इस बात पर हमने तुम्हे माफ़ किया”,गुड्डू ने कहा तो शगुन प्यार से उसके चेहरे की और देखने लगी। गुड्डू ने देखा तो उसे थोड़ी शर्म आ गयी और उसने कहा,”ऐसे मत देखो हमे शर्म आ रही है”
मुस्कुराकर शगुन दूसरी और देखने लगी और फिर मन ही मन खुद से कहने लगी,”मुझे गुड्डू जी से वो बात छुपानी नहीं चाहिए , रमेश के बारे में इन्हे बता देना चाहिए”
“गुड्डू जी”,शगुन ने गुड्डू की और पलटकर कहा
“हम्म्म”,गुड्डू ने कहा
“मुझे आपको कुछ बताना है”,शगुन ने कहा
“हम्म्म कहो”,गुड्डू ने गाड़ी चलाते हुए कहा। शगुन ने हिम्मत करके सारी बाते गुड्डू को बता दी। गुड्डू के चेहरे के भाव बदल गए उसने गाड़ी रोकी और शगुन की और पलटकर कहा,”इह बात अगर घर में बता देती तो रमेश का किस्सा ही खत्म कर देते हम”
“यही तो मैं नहीं चाहती , मैं नहीं चाहती आप इन सब झमेलों में पड़ो और वो रमेश आपको फिर से कोई नुकसान पहुंचाए”,शगुन ने परेशान होकर कहा
“तुमहू ना हमे जानती नहीं हो रमेश बहुते बार पिटा है हमसे आगे भी पिटेगा लेकिन आगे से ऐसा झूठ मत बोलना , हमहू ना यार सब बर्दास्त कर सकते है चाहो तो तुमहू दो थप्पड़ मार लो हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सबके सामने नहीं मतलब अकेले में पर का हैं की हमहू अपनी पिताजी को हर्ट नहीं देख सकते”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू जी मैंने आपके वेदी के लिए झूठ कहा जब पापाजी को पता चलेगा तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा।”,शगुन ने कहा
गुड्डू ने सूना तो मुस्कुराते हुए कहा,”हमे अच्छा लगा की तुम्हे हमाये पिताजी की इज्जत की इतनी परवाह है , हम तुमसे नाराज नहीं है”
“थैंक्यू !”,शगुन ने सुकून के साथ कहा क्योकि अब तक गुड्डू की नाराजगी देख देख कर वह परेशान हो चुकी थी और दुखी भी
“अच्छा एक ठो बात बताओ , वेदी के लिए झूठ बोला ठीक है लेकिन हमाये लिए काहे ?”,गुड्डू ने शगुन की और देखते हुए कहा
“क्योकि मैं नहीं चाहती वो रमेश आपको फिर से चोट पहुंचाए”,शगुन ने गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा
“और ऐसा काहे नहीं चाहती आप शगुन गुप्ता ?”,गुड्डू ने शगुन की आँखों में देखते हुए कहा
“क्योकि मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते कहते शगुन रुक गयी , गुड्डू का उसकी आँखों में देखना उसके दिल को धड़का रहा था। गुड्डू थोड़ा सा शगुन के करीब आया और धीरे कहा,”का प्यार व्यार हो गया है का हमसे ?”
शगुन ने सूना तो उसके मुंह से कोई आवाज ही नही निकली वह बस गुड्डू को देखती रही शगुन को चुप देखकर गुड्डू पीछे हटा और हँसते हुए कहा,”अरे मजाक कर रहे है , चलते है वरना बनारस पहुँचने में देर हो जाएगी” कहकर गुड्डू ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। शगुन खामोश से सामने देखने लगी उसका दिल अब भी धड़क रहा था क्या सच में गुड्डू ने उसकी आँखों में उस प्यार को देख लिया था जिसे वह अब तक उस से छुपाते आ रही थी। गुड्डू ने गाने की आवाज और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी गाने के बोल शगुन के कानो में पड़े और वह बड़ी ही प्यार भरी नजरो से गुड्डू को देखने लगी जो की गाड़ी चलाने में मस्त था
“तू होगा ज़रा पागल , तूने मुझको है चुना
तू होगा जरा पागल , तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा , तूने अनकहा सब सूना
तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!
क्रमश – Manmarjiyan – 85
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संजना किरोड़ीवाल
wahhh…ishq age badh raha he dhire dhire….beautiful……
Guddu ka gussa khatam ho gaya y achcha hua, nahi to banaras m b dono ladte rakhte😊😊
Woww… They are cuties😍😍😍
मैम आपको बनारस से प्यार हैं…इसीलिए तो गुड्डू शगुन की हुई मीठी तकरार हैं…क्योंकि अस्सीघाट पर होना इनके इश्क का इजहार हैं😊 lovely beautiful part👌👌👌👌👌
superb part..
Bhut hi badiya part tha chlo acha h guddu ki narazagi khatam ho gyi
Very beautiful
Such a cute couple..love themm accha hua misunderstanding dur hui guddu ki
Wooooooo
Supup part
Waoo mam super part and I also banaras lover 😋😋💜💜😍😍
Wao finally guddu ji maan gye of sagun ne sach bhi bata diya….or banaras pohochne se pehle sb thik ho gya …..inki pyar bhari nokjhok hay🥰🥰🥰😍😍sachi gajab hai ….bas jaldi sd dono ko ek dusre ke pyar ehsas ho jaye🤞🤞🤞😍😍
Superb
So romantic part
Lovely couple ❤️
बहुत ही बढ़िया। अच्छा ही हुआ जो आज शगुन ने गुड्डू को सब कुछ बता दिया अब उनकी बीच नाराज़गी भी खत्म हो गई । और उनके बीच प्यार कि शुरुवात ….🌷🌷🌷🌹🌹
Wow nice part ❤️❤️❤️❤️
Beautiful part, kitne aache or cute moments hote hai ye