मनमर्जियाँ – 73
Manmarjiyan – 73
मनमर्जियाँ – 73
शुक्ला जी ने जो व्यवहार गुड्डू के साथ किया वो कही ना कही मिश्रा जी को पसंद नहीं आया और उन्होंने शुक्ला जी को अकेले में बुलाकर खूब लताड़ा। उनकी बातो से साफ़ दिखाई दे रहा था की हो ना हो कही ना कही कानपूर में पहले मिश्रा जी का दबदबा रह चुका है। खैर मिश्रा जी ने शुक्ला जी की चाय पिलाई और जविदा किया। गुड्डू के काम से मिश्रा जी बहुत खुश थे लेकिन उन्होंने गुड्डू को शाबासी नहीं दी वे नहीं चाहते थे गुड्डू में पहले परिवर्तन आये और वह अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों को समझ ले। मिश्रा जी सिर्फ गुड्डू के सामने कठोर बनते थे जबकि वे गुड्डू से बहुत प्यार भी करते थे लेकिन कभी दिखाया नहीं। मिश्रा जी एक बार फिर अपने काम में लग गए।
गुड्डू सुबह देर तक सोता रहा। 11 बजे शगुन चाय लेकर गुड्डू को उठाने आयी , गुड्डू के साथ साथ वह अपने लिए भी चाय ले आयी। शगुन ने ट्रे रखी और गुड्डू को उठाया गुड्डू किसी छोटे बच्चे की तरह आँख मसलते हुए उठकर बैठ गया और कहा,”पिताजी गए ?”
“हां वे तो सुबह ही निकल गए थे”,शगुन ने गुड्डू को चाय का कप दिया और ड्रेसिंग पर पड़ा सामान ज़माने लगी। गुड्डू ने एक घूंठ चाय पीया और उसकी नजर दूसरे कप पर गयी जो की शगुन का था गुड्डू ने देखा तो उठा और चुपके से शगुन के कप की जगह अपना कप रख दिया। उसे आज ना जाने क्यों शगुन की जूठी चाय पिने का मन हुआ। गुड्डू चाय पिता इस से पहले ही शगुन पलटी और कहा,”गुड्डू जी , ऊपर रखा वो सूटकेस उतार देंगे प्लीज”
“हां क्यों नहीं”,कहते हुए गुड्डू ने अपनी चाय रखी और सूटकेस उतारने चला गया।
शगुन ने जब पीने के लिए अपनी चाय का कप उठाया सहसा ही उसकी नजर गुड्डू वाले कप पर चली गयी और उसने अपने कप को रखकर गुड्डू का कप उठा लिया। गुड्डू ने सूटकेस उतारकर नीचे रख दिया और अपनी चाय लेकर पिने लगा। शगुन और गुड्डू दोनों ही बार बार छुपकर एक दूसरे को देख रहे थे और मन ही मन खुश थे की दोनों एक दूसरे की जूठी चाय पी रहे है जबकि ऐसा कुछ नहीं था दोनों अपनी अपनी चाय ही पि रहे थे। चाय पीकर शगुन गुड्डू के धुले हुए कपडे प्रेस करने लगी और गुड्डू नहाने चला गया। नहाकर आया तो कबर्ड से कपडे निकालने लगा जहा अब पहले जितने कपडे नहीं थे। बस 8-10 शर्ट और कुछ पेंट्स थी। ये गुड्डू में पहला बदलाव था , जहा 50 शर्ट उसकी कबर्ड में होते थे आज वहा सिर्फ कुछ ही थे और गुड्डू उनमे ही खुश था। उसने पेंट शर्ट लिए और चेंज करने बाथरूम की और चला गया। गुड्डू शर्ट को इन करते हुए वापस आया तब तक शगुन उसके दूसरे कपड़ो को प्रेस करके रखकर जा चुकी थी। गुड्डू शीशे के सामने आकर बाल बनाने लगा एक प्यारी सी मुस्कान उसके होंठो पर दिखाई दे रही थी। उसने जल्दी से बाल बनाये , परफ्यूम लगाया और अपना ब्रासलेट पहनने लगा जिसे पहनते हुए नजर शगुन के दिए कड़े पर पड़ी जो की गुड्डू के दूसरे हाथ में था। गुड्डू ने बड़े प्यार से उसे छूकर देखा। जिस कड़े को अपने हाथ से निकालने के लिए गुड्डू पहले परेशान रहता था आज वही उसे अपने हाथ में अच्छा लग रहा था। गुड्डू नीचे चला आया नाश्ता किया और उसके बाद अपने दुकान निकल गया। नुक्क्ड़ से गुजरते हुए गुड्डू की नजर नवरतन की दुकान पर खड़ी पिंकी पर चली गयी लेकिन गुड्डू ने उसे एक नजर देखा और आगे बढ़ गया। पिंकी को लेकर गुड्डू के दिल में अब कोई भावनाये नहीं बची थी जो बची थी उसे शगुन ने आकर खत्म कर दिया। असल मायनो में गुड्डू ने कभी पिंकी के प्यार को ठीक से महसूस ही नहीं किया , वह बस आकर्षण था जो वक्त के साथ कम होता गया। गुड्डू दुकान पहुंचा गोलू पहले से वहा मौजूद था और काउंटर पर बैठा ना जाने किसके ख्यालों में खोया हुआ था उसके हाथ में चाय का कप था जो की कुछ देर पहले ही लड़का देकर गया था। गुड्डू अंदर आया लेकिन गोलू इतना खोया हुआ था की उसने गुड्डू पर ध्यान ही नहीं दिया। गुड्डू गोलू के पास आया और कहा,”बाबू टाइम कितना हुआ है ?”
“12 बजे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने जैसे ही हाथ पलटा उसके हाथ में पकड़ी चाय नीचे जा गिरी। गोलू का मुंह देखने लायक था गुड्डू ने एक चपत गोलू को लगाई और कहा,”अबे तो तुम्हारी शक्ल पर 12 काहे बजे है बे ?”
“कुछ नहीं भैया तुम,,,,,,,,तुमहू कब आये ?”,गोलू ने होश में आते हुए कहा
“बस अभी आये है उह रात में देर से सोये ना तो लेट उठे है , अच्छा उह शुक्ला जी पेमेंट के लिए बोले थे भेजा के नहीं ?”,गुड्डू ने कहा
“नहीं भैया अभी तक तो नहीं आये है बाकि हमारे पास कुछ थे तो उह हम लड़को को देकर फ्री कर दिए”,गोलू ने कहा
“सही है गोलू जिम्मेदारी ले ली तुमने इतनी जल्दी , अच्छा हम यह कह रहे थे की जून में लखनऊ में हमाये दोस्त की बहन की शादी है उस से बात करे का कॉन्ट्रेक्ट के लिए”,गुड्डू ने डायरी में हिसाब किताब लिखते हुए कहा
“हां भैया पूछ लो अब तो वैसे भी जितनी मार्केटिंग करेंगे उतना ही काम मिलेगा हमे , वैसे मैंने ना कॉलेज में भी बात की है आये दिन वहा कुछ ना कुछ फंक्शन होता रहता है वहा का कॉन्ट्रेक्ट भी हमे मिल गया तो काम और अच्छा हो जाएगा नई”,गोलू ने कहा
“क्या बात है गोलू तुम तो हमसे भी फ़ास्ट निकले ,,,,,,,,,,,,अच्छा चलो चाय पीला दो यार तब तक हम कल के खर्चे का हिसाब लगा ले”,गुड्डू ने कहा तो गोलू वहा से बाहर चला गया।
गोलू बाहर चाय वाले के पास आया और चाय बनाने को कहा। गोलू वही खड़ा यहाँ वहा देख रहा था की नजर सामने ऑटो से उतरती पिंकी पर चली गयी। गुलाबी रंग के सूट पर हरे रंग का दुपट्टा लगाए पिंकी अपनी सहेली के साथ उतरी और ऑटो वाले को पैसे देकर चली गयी। पिंकी को देखते ही वो थप्पड़ वाला सीन गोलू की आँखों के सामने आ गया। ख्याल तब टुटा जब चाय वाले ने कहा,”भैया आपकी चाय”
गोलू ने चाय ली और पैसे खाते में लिखने का कहकर वापस चला आया। गुड्डू हिसाब किताब कर चुका था गोलू ने उसे चाय दी और खुद भी आकर बैठ गया। गुड्डू अभी चाय पि ही रहा था की एक लड़का बाइक पर आया और दुकान में आकर कहा,”गुड्डू किसका नाम है ?”
“हम है गुड्डू”,गुड्डू ने लड़के की और देखकर कहा
“जे शुक्ला जी ने भेजा है आपके लिए”,कहते हुए लड़के ने एक लिफाफा गुड्डू को थमा दिया और चला गया। गुड्डू ने लिफाफा खोला उसमे पैसे थे और एक कागज भी जिस पर लिखा था “तुम्हारा काम बहुते पसंद आया गुड्डू , पूरी पेमेंट भेज रहे है”
गुड्डू ने देखा तो खुश होकर गोलू से कहा,”गोलू देखो शुक्ला जी को हमारा काम पसंद आया”
गोलू ने पैसे गिने पुरे थे उसने सारे पैसे गुड्डू को देकर कहा,”जे लो भैया अपनी पहली कमाई”
“हम दोनों की गोलू तुमहू भी तो पार्टनर हो बे”,गुड्डू ने कहा
50000 का कॉन्ट्रेक्ट था जिसमे से 5000 पहले ही मिल चुके थे बाकि 45 बचे थे। गुड्डू ने खर्चा निकालकर देखा तो 30 हजार खर्च हुए और बाकि 20000 मुनाफे में बचा। गुड्डू ने वो 20000 गोलू को देते हुए कहा,”जे तुम्हारे है गोलू”
“अरे भैया लेकिन सारे हमे दे दोगे तो तुम्हारे पास का बचेगा ? एक ठो काम करो आधे आधे रखते है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने रोक दिया और कहा,”नहीं गोलू हमे पता दूसरी बार में जो अरेंजमेंट हुआ है वो तुमने किया है इसलिए कल जाकर अपनी सोने की चैन वापस ले लेना सुनार से”
गुड्डू की बात सुनकर गोलू की आँखों में नमी आ गयी तो गुड्डू ने उसके पास आकर कहा,”एक बात कहे गोलू तुमसे जियादा प्यार ना हमसे कोई नहीं कर सकता , हमाये लिए साले तुमने अपनी चैन गिरवी रख दी ,,,,,,,पगलेट कही के”
गोलू गुड्डू के गले लगा और कहा,,”सॉरी भैया उस वक्त ना कुछो समझ नहीं आ रहा था और फिर हमसे आपका दुःख देखा नहीं गया”
“आज के बाद ऐसा कुछो नहीं करना समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने गोलू की पीठ थपथपाते हुए कहा
गोलू दूर हटा जो पैसे थे उनमे से 8000 अपने पास रखे और बाकि गुड्डू को देकर कहा,”इह आप रखो आपके काम आएंगे”
“लेकिन गोलू,,,,,,,,,,,,,,!”,हमायी कसम रख लो , हमे जरूरत होगी तो हम अगली बार ले लेंगे”,गोलू ने कहा तो गुड्डू को मजबूरन लेना पड़ा। दोनों खुश थे उनकी जिंदगी की ये पहली कमाई थी गुड्डू ने 12000 में से 10000 अलग करके एक लिफाफे में डाले और रख दिए। दोपहर बाद गुड्डू घर आया और खाना खाने के बाद शगुन से आकर कहा,”उह हमे कुछो काम है मार्किट में तुमहू चलोगी साथ ?”
“मैं क्यों ?”,शगुन ने हैरानी से पूछा
“उह कुछो लेना है इसलिए”,गुड्डू ने कहा
“किसके लिए ? और आप खुद भी ले सकते है”,शगुन ने अपना काम करते हुए कहा
“हमायी एक दोस्त है उसके लिए एक तोहफा लेना है अब लड़कियों की पसंद हम कैसे जान सकते है ?”,गुड्डू ने प्लेटफॉर्म से पीठ लगाते हुए कहा तो शगुन के हाथ काम करते हुए एकदम से रुक गए। उसका दिल धड़क उठा जब गुड्डू ने किसी दोस्त का जिक्र किया। पिंकी के अलावा गुड्डू की अब कौन दोस्त हो सकती है सोचकर शगुन उलझन में पड़ गयी। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”चलो ना यार हमाये लिए इतना तो कर ही सकती हो”
शगुन ने गुड्डू की और देखा उसके चेहरे से टपकती मासूमियत देखकर शगुन ने साथ चलने की हामी भर दी। गुड्डू खुश हो गया और शगुन कपडे बदलने ऊपर कमरे में चली आयी। कपडे बदलने के बाद शीशे के सामने खड़ी शगुन के मन में ना जाने कितने ही विचार चल रहे थे। वह मन ही मन कहने लगी,”अब कौन लड़की इनकी जिंदगी में दोस्त बनकर आ गई है जिसके लिए तोहफे खरीदे जा रहे है। होगी कोई चुड़ैल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
लेकिन सबको गुड्डू जी ही क्यों चाहिए ? ये भी अजीब है ना किसी को भी अपना दोस्त बना लेते है और तो और तोहफे भी देने लगे है,,,,,,,,,,,,मुझे तो आज तक फूल तक नहीं दिया। खैर साथ तो जाना ही होगा क्या पता जिसके लिए तोहफा खरीदा जा रहा हो उस से मिलना हो जाये,,,,,,,,,मैं होती ना तो मुंह तोड़ देती उसका,,,,,,,,,,,,,,,,,और आप गुड्डू जी पुरे कानपूर की लड़किया आपको दिखती है बस मैं नहीं,,,,,,,,,,,!!”
शगुन को होश तब आया जब गुड्डू ने कमरे में आकर कहा,”शगुन चलो ना देर हो जाएगी”
“हां हां”,शगुन ने कहा और मन ही मन,”देखा कितनी जल्दी है इन्हे तोहफा खरीदने की” शगुन मन ही मन खीजते हुए गुड्डू के साथ चल पड़ी। मिश्राइन को बाहर जाने का बोलकर गुड्डू शगुन के साथ घर से बाहर चला आया। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और शगुन को बैठने का इशारा किया। शगुन गुड्डू के पीछे आ बैठी लेकिंन खुन्नस की वजह से गुड्डू के कंधे पर हाथ नहीं रखा गुड्डू को अजीब लगा लेकिन गुड्डू तो ठहरा गुड्डू उसने बाइक को आगे बढ़कर अचानक से ब्रेक लगाया तो शगुन और उसका हाथ दोनों गुड्डू के कंधे पर आ गए। गुड्डू ने मुस्कुराते हुए शर्ट से अपना चश्मा निकाला और लगाकर बाइक आगे बढ़ा दी। दोनों खामोश कोई बात नहीं हुई। गुड्डू खुश था की पहली बार वह शगुन के लिए कुछ खरीदने जा रहा था और शगुन थोड़ी चिढ़ी हुई थी की गुड्डू अब किस दोस्त के लिए तोहफे खरीद रहा है। अभी कुछ दूर ही आये थे की बादल घिर आये और बारिश होने लगी। उस पर सोने पे सुहागा ये की गुड्डू की बाइक भी अचानक से खराब हो गयी। शगुन और गुड्डू नीचे उतरे बारिश हल्की फुलकी थी इसलिए गुड्डू किक मारकर बाइक स्टार्ट करने लगा लेकिन बाइक स्टार्ट नहीं हुई। बारिश एकदम से तेज होने लगी तो गुड्डू ने बाइक को स्टेण्ड पर रखा और शगुन के साथ पास ही बनी चाय की टपरी पर चला आया। इत्तेफाक से ये वही टीन की दुकान थी जहा गुड्डू और शगुन सगाई के बाद पहली बार मिले थे। गुड्डू थोड़ा थोड़ा भीग चुका था और उसके बाल भी जिनसे उसे बहुत प्यार था। दुकान पर चायवाला था और एक लड़का था जो की चाय बनाने का काम कर रहा था बाकि गुड्डू और शगुन थे इसलिए दोनों को बारिश से बचने का मौका मिल गया। शगुन ने देखा गुड्डू अपने गीले बालो को सही कर रहा है लेकिन भीगा हुआ है ,,,शगुन जिसे अब तक गुड्डू पर खीज आ रही थी अब एकदम से उसके चेहरे पर मासूमियत नजर आने लगी। शगुन गुड्डू की और पलटी अपनी साड़ी का पल्लू हाथ में लिया जो की एक साइड से सूखा था और गुड्डू से कहा,”मैं साफ़ कर देती हूँ”
गुड्डू ने सूना तो हाथ नीचे कर लिया शगुन बड़े ही प्यार से उसके बालो को अपनी साड़ी के पल्लू से पोछ रही थी। पास ही टपरी के रेडिओ पर गाना चल रहा था
और गुड्डू बस एकटक शगुन के चेहरे की और देखे जा रहा था।
“तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा , तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना
तू दिन सा है , मैं रात आना दोनों मिल जाये शामों की तरह
ये मोह मोह के धागे ,, तेरी उंगलियों से जा उलझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
गाने की लाइन उस वक्त गुड्डू के दिल का हाल बयां कर रही थी। शगुन ने उसके बालो को पोछा और साइड हो गयी। बारिश अभी भी तेज ही थी और अब पानी बहकर गुड्डू और शगुन के पैरो में आने लगा था। दुकानवाले ने देखा तो कहा,”गुड्डू भैया अंदर आ जाओ”
गुड्डू ने देखा टपरी में थोड़ी सी जगह थी तो उसने कहा,”अरे नहीं चचा ठीक है यही”
“चाय पि हो ?”,आदमी ने फिर पूछा
“पीला दीजिये”,गुड्डू ने कहा तो आदमी ने चाय मिटटी के दो कुल्हड़ में छानी और गुड्डू की और बढ़ा दी। गुड्डू ने एक खुद लिया और दुसरा शगुन की और बढ़ा दिया। दोनों ने चाय पि , चाय पीते हुए शगुन सामने बहते पानी को देख रही थी और गुड्डू कभी चाय को तो कभी शगुन को , बारिश में भीगने के बाद वह और खूबसूरत लग रही थी। चाय खत्म करके दोनों कुछ देर वही रुके ,, बारिश अब कम हो चुकी थी गुड्डू और शगुन वापस बाइक के पास आये , गुड्डू ने एक दो बार सेल्फ से ट्राय किया और फिर किक से , उपरवाले को भी उस पर दया आ गयी होगी इसलिए आख़िरकार बाइक स्टार्ट हो ही गयी। गुड्डू ने शगुन से बैठने को कहा और वहा से मार्किट की और निकल गया। प्रकृति की हर चीज गुड्डू और शगुन को करीब लाना चाहती थी
क्रमश – manmarjiyan-74
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संजना किरोड़ीवाल
Very nice part…🌷🌷🌷🌷
Oooo so lovely..kitne pyaare hai…lagta hain ab golu.or pinkiya ka bhi love chalu hoga
Bhut hi pyaara part tha guddu ko bhi shagun ss pyaar hone lga h mazaa aa gya
गुड्डू अब बदल रहा है….शगुन के प्यार का असर
nice part..
Nice part
Beautiful 🥰 now guddu is changed❤️
मैम गुड्डू गोलू की दोस्ती शिवम मुरारी की दोस्ती की तरह अमर हैं….शगुन को जब गुड्डू सरप्राइज देगा…तो शगुन की खुशी और बढ़ जायेगी… तब तक ये मोह मोह के धागे में बंध रहें हैं😊 khubsurat part👌👌👌👌👌
Bahut badiya part 👌👌
Very beautiful
Lovely ❤️
Are yaar sanjana ji kabhi to pi lene do juthi chai jab dekho tb badal lete hai dono.
Oh ho….so romantic itna pyara part……pass wo aane lage zara zara….dil ko dhadkane lage zara zara…..
Guddu or shagu ki situation or ye khubsurat gaana..wah wah ….wah wah
Nice
Sanjana ji please next parth daliye…main kabse wait kr ri hun
Mai bhi
Next part please
Awesome part or jealousy bhi kya chiz hai, yaar ye guddu Kitna sidha or bhola hai