Pasandida Aurat – 55

Pasandida Aurat – 55

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

रात 2 बजे ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी। सिद्धार्थ ने अवनि से उतरने को कहा और दोनों ट्रेन से नीचे उतर आये। स्टेशन पर बहुत कम लोग थे , कुछ लॉबी में अपने अपने सामान के साथ सो रहे थे। अवनि की आँखे रोने की वजह से सूज चुकी थी और चेहरा उतरा हुआ था। सुबह वह जितना खुश थी अब उतनी ही उदास और दुखी नजर आ रही थी। सिद्धार्थ से उसने कोई बात नहीं की ना ही सिद्धार्थ ने कुछ कहा बस दोनों ख़ामोश स्टेशन से बाहर चले आये। इतनी सुबह अवनि को अकेले ना जाने देकर सिद्धार्थ ने कैब बुक की और अवनि के साथ उसमे आ बैठा।

अवनि खामोश थी वह बस समझने की कोशिश कर रही थी कि एकदम से ये क्या हुआ और क्यों हुआ ? सिद्धार्थ जो उस पर जान छिड़कता था एकदम से उसमे ये बदलाव कैसे आ गया ?
कैब अपार्टमेंट के बाहर आकर रुकी सिद्धार्थ ने कैब को अपने घर के लिए भी बुक कर रखा था इसलिए उसने ड्राइवर से रुकने को कहा और खुद अवनि के साथ गाड़ी से उतर गया। अवनि ने सिद्धार्थ से कुछ नहीं कहा और चुपचाप जाने लगी तो सिद्धार्थ ने कहा,”अवनि ! मैं तुम्हे फोन करूंगा,,,,,,,!!”


अवनि ने कुछ नहीं कहा और अंदर चली गयी। अवनि के जाने के बाद सिद्धार्थ वापस गाड़ी में आ बैठा और वहा से निकल गया। थके कदमो से अपना बैग सम्हाले अवनि लिफ्ट से ऊपर चली आयी।
उसकी आँखों में थकान के साथ आँसू भरे हुए थे। अवनि अंदर आयी दरवाजा बंद किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी। चलते चलते कंधे से उतरकर बैग नीचे गिर गया लेकिन अवनि ने ध्यान नहीं दिया।

वह थके कदमो से चलकर अपने कमरे में आयी और बिस्तर पर आ गिरी। आँखों में ठहरे आँसू बह गए और अवनि ने अपनी आँखे बंद कर ली। सिद्धार्थ ने जो किया वो अवनि को रह रह कर याद आ रहा था और ये बाते अब उसे ठेस पहुंचा रही थी।

आनंद निलय अपार्टमेंट , मुंबई
शाम में क्रिकेट खेलने की वजह से पृथ्वी थककर जल्दी सो गया था। सुबह के 2 बज रहे थे और पृथ्वी की आँखे खुल गयी। ना उसने कोई बुरा सपना देखा था ना ही उसे प्यास लगी थी बल्कि उसने अजीब सी बेचैनी महसूस की। पृथ्वी उठकर बैठ गया। उसका दिल धड़क रहा था और सांसे भी गहरी हो चुकी थी। पृथ्वी ने अपना फोन उठाकर उसमे समय देखा तो पाया सुबह के 2 बज रहे थे। पृथ्वी ने देखा साइड टेबल पर रखे बोतल में पानी नहीं है तो वह उठा और बोतल लेकर किचन में चला आया उसने फ़िल्टर से बोतल में पानी भरा और पीते हुए किचन से बाहर चला आया।

पृथ्वी की नींद उड़ चुकी थी बेचैनी अब भी उसे घेरे हुयी थी। वह बोतल मुँह से लगाए बालकनी में चला आया तो नजर आसमान में चमकते चाँद पर चली गयी। पृथ्वी वही बालकनी के पास खड़े होकर खाली आँखों से एकटक उस चाँद को देखने लगा। लोगो के सामने पृथ्वी अक्सर खुद को कठोर , समझदार ,शांत और कभी कभी बोरिंग दिखाता था पर अकेले में वह बहुत ही प्यारा और मासूम लड़का था जिसे अपने घर की बालकनी में खड़े होकर चाँद को निहारना पसंद था , अकेले में गुनगुनाना पसंद था , बारिश में भीगना पसंद था ,

जिसे फूल पसंद थे और अपने मन में अनगिनत काल्पनिक कहानिया बनाना पसंद था पर पृथ्वी की ये पर्सनालिटी आज तक कोई देख नहीं पाया था। चाँद को देखने के बाद भी पृथ्वी का मन शांत नहीं हुआ तो वह वही बालकनी में पड़ी कुर्सी पर आ बैठा और खुद से कहने लगा,”ये आज मेरा मन इतना बेचैन क्यों है ? ठीक वैसे ही जैसे किसी अपने के साथ बुरा होते देखकर होता है , जैसे कोई अपना तकलीफ में हो,,,,,,,

आई बाबा और लक्षित से तो आज रात ही मिला था और सब बहुत खुश थे , फिर कौन ? नकुल , नहीं वो तो इतना खुशमिजाज और मस्तमौला लड़का है वो परेशान क्यों होगा ? तो फिर कौन हो सकता है ? इन लोगो के अलावा तो मैं किसी से इतना करीब नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,,तो क्या अवनि ?  हो सकता है ये मेरे मन का वहम हो , वो भला परेशान क्यों होगी ? और अगर परेशान होगी भी तो मुझे अहसास क्यों होगा हम तो अभी तक एक दूसरे को जानते तक नहीं,,,,,,,,,,,,पर क्या वो भी मेरी तरह अपने शहर में , अपने घर की बालकनी में खड़ी होकर चाँद को देखती होगी।

जैसी कहानिया वो लिखती है उस से तो यही समझ आता है कि वो बहुत ही रोमांटिक और सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की है,,,,,पर चाँद को देखना अह्ह्ह मुझे नहीं लगता वो ऐसा कुछ करती होगी। मैं तो ये भी नहीं जानता कि उसकी जिंदगी में कोई है या नहीं , नहीं है तो अच्छा है पर अगर हुआ तो,,,,,,,,,,,,,तो , नहीं उसकी जिंदगी में अगर कोई होता तो मैं उस से क्यों टकराता ? हो सकता है कोई तो कही न कही बैठकर हमारी कहानी लिख रहा हो,,,,,,,,पर क्या हम कभी मिलेंगे अवनि ? क्या कभी हमारी बात होगी ?

क्या मैं कभी तुम्हे बता पाऊंगा कि मैंने तुम्हारी लिखी एक किताब को आज भी सम्हालकर उतने ही प्यार से अपने पास रखा है जितने प्यार से कभी तुमने उसे लिखा होगा। तुम जब कहानिया लिखती होगी तो कैसी दिखती होगी ? बहुत ज्यादा गंभीर या फिर अपनी ही दुनिया में खोयी हुई , हाह ! यकीनन खूबसूरत ,, संघर्ष करती हुई लड़किया , अपने सपनो को पूरा करती लड़किया , अपने लिए जीती लड़किया हमेशा खूबसूरत लगती है,,,,,,,,,,,तुम भी उनमे से ही एक हो,,,,,,,,,,,,खूबसूरत”


अवनि वहा मौजूद नहीं थी फिर भी पृथ्वी खुद से ही अवनि की बाते कर रहा था। कोई उसे इस वक्त देखे तो जरूर उसे पागल करार दे देगा लेकिन पृथ्वी को इस से फर्क नहीं पड़ता उसका मानना था इस दुनिया में अगर आपके पास बात करने के लिए सबसे बेहतर इंसान कोई है तो वो हो आप खुद,,,,,,,,,क्योकि आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता।

कुछ देर बाद पृथ्वी ने महसूस किया कि अवनि के बारे में सोचने के बाद उसका मन अब शांत है , ना उसे वो बेचैनी हो रही है ना ही दिल धड़कने तेज है तो क्या पृथ्वी की बेचैनी की वजह अवनि थी ? या सच में अवनि किसी मुसीबत में थी ? ये सोचते हुए पृथ्वी को उबासी आने लगी और वह उठकर अपने कमरे में चला आया। वह बिस्तर पर आ गिरा और आँखे मूँद ली आँखों के सामने बनारस और अवनि का चेहरा घूमने लगा , जो उसने बस कुछ पल के लिए देखा था।

सिरोही , राजस्थान
सुबह अवनि देर तक सोती रही बाहर हॉल में पड़े उसके बैग में रखा फोन काफी देर से बजे जा रहा था। फोन की आवाज से अवनि की नींद खुली और वह उठकर बाहर आयी उसने देखा कि बैग में रखा उसका फोन लगातार बज रहा है तो उसने बैग से फोन निकाला। फोन बैंक से उसके मैनेजर का था अवनि ने हॉल में लगी घडी में समय देखा तो पाया सुबह के 11 बज रहे थे। अवनि ने मैनेजर से बात की और तबियत खराब होने का बहाना बनाकर बैंक से छुट्टी ले ली।

अपने अपने बैंक में सबसे सिंसियर और समय पर काम करने वाली एम्प्लॉय थी इसलिए मैनेजर ने भी उसकी छुट्टी पर कोई आपत्ति नहीं जताई और उसे आराम करने को कहा।
अवनि ने मैनेजर से थैंक्यू कहा और फोन काट दिया। अवनि ने देखा सिद्धार्थ का न कोई मैसेज था न ही कोई फोन और ये देखकर अवनि और उदास हो गयी। उसने फोन टेबल पर रखा और किचन की तरफ चली आयी।

अवनि ने मुंह धोया और फ्रीज में रखा दूध निकालकर अपने लिए चाय चढ़ा दी। अवनि का उदास चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था कि वह सिद्धार्थ के बर्ताव से काफी हर्ट थी और सिद्धार्थ को जैसे इस बात का अहसास तक नहीं था।

अवनि ने चाय छानी और कप में डालकर हॉल में चली आयी। उसने चाय पीते हुए एक बार फिर अपना फोन उठाया और देखा लेकिन अभी भी सिद्धार्थ का कोई मैसेज नहीं था। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि सिद्धार्थ ऐसी कोई गलती करे और अवनि से बात न करे। छोटे मोटे झगडे दोनों में अक्सर होते रहते थे लेकिन ऐसा झगड़ा दोनों में आज पहली बार हुआ था। अवनि ने सिद्धार्थ के लिए एक मैसेज छोड़ा तो कुछ देर बाद सिद्धार्थ का जवाब आया,”इस बारे में हम बैठकर बात करेंगे अवनि , मैं तुम्हारे सारे सवालो का जवाब दूंगा”


सिद्धार्थ के मैसेज को देखकर अवनि को थोड़ी तसल्ली मिली कि कम से कम सिद्धार्थ को इस बात का अहसास तो है कि ऐसी कुछ बात है जिस पर बात करने की जरूरत है। अवनि ने बैंक से छुट्टी ली थी इसलिए वह नहाने चली गयी और फिर अपने लिए खाना बनाने लगी , उसने कुछ घर के काम किये और दिनभर सोती रही। शाम में सिद्धार्थ ने उसे फोन किया और इधर उधर की बातें करने के बाद फोन काट दिया। अवनि से उसने अपने बर्ताव को लेकर बात की ही नहीं

देखते ही देखते 2 हफ्ते गुजर गए और अवनि सिद्धार्थ में बदलाव महसूस कर रही थी। वह अगर सिद्धार्थ से इस बारे में बात करना चाहती तो सिद्धार्थ बात बदल देता या फिर दोनों में बहस होती और बात बंद , कुछ दिन ऐसे ही निकलते और सिद्धार्थ बहला फुसलाकर अवनि से फिर बात करने लगता। सिद्धार्थ अब भी अवनि को अपना लकी चार्म मानता था , उस से शादी करना चाहता था लेकिन वह अवनि से अब पहले की तरह बात ना करके उसके साथ बहुत ही कोल्ड बिहेव करता , वह बाते अधूरी छोड़ देता ,

किसी बात को क्लियर नहीं करता , खुद परेशान होता तो अवनि से बात करके उसे सब बताता लेकिन जब अवनि परेशान होती तो सिद्धार्थ बिजी होने का बहाना बना देता और अवनि अकेले ही अपनी परेशानियों और ओवरथिंकिंग से झुंझती रहती। अवनि समझ ही नहीं पायी और धीरे धीरे सिद्धार्थ ने उसके दिमाग से खेलना शुरू कर दिया। अवनि को लगने लगा शायद सिद्धार्थ के बदलने की वजह है , अवनि दिनभर उदास रहती , बेमन से सब काम करती , रातभर सो नहीं पाती , वह हर वक्त किसी सोच में डूबी रहती ,

बहुत परेशान होती तो रोने लगती और इन सब के चलते वह चिढ़चिढ़ी होने लगी थी। सुरभि से उसने बात करना बंद कर दिया। कितनी ही बार सिद्धार्थ के सामने अपने मन की तकलीफ बताते हुए रो पड़ी लेकिन सिद्धार्थ उसे समझने के बजाय उसे और कन्फ्यूजन में डाल रहा था और वह ऐसा क्यों कर रहा था अवनि नहीं समझ पायी ? देखते ही देखते 2 महीने निकल गए अवनि अब पूरी तरह बदल चुकी थी। उसने कितनी ही बार सिद्धार्थ से इस बारे में बात करने की कोशिश की लेकिन सिद्धार्थ ने हर बार चीजों को वक्त पर डाल दिया।

अवनि समझ नहीं पा रही थी आखिर उसकी गलती क्या है ? सिद्धार्थ ने उसे ऐसा फंसा रखा था कि ना अवनि उसके साथ रह सकती थी ना ही उसे छोड़कर जा सकती थी। अवनि अब इस रिश्ते में घुट घुट के जी रही थी , ना उसकी किसी से बात होती थी ना ही वह किसी से अपनी परेशानी बाँट सकती थी क्योकि सिद्धार्थ को अपने लिए उसने खुद चुना था और अब वह लोगो के सामने अपना मजाक बनवाना नहीं चाहती थी

इसलिए ये रिश्ता जैसा चल रहा था उसने चलने दिया बस तकलीफ की बात ये थी कि जब अवनि को सिद्धार्थ से प्यार हुआ तो सिद्धार्थ का बर्ताव बदलने लगा या यू कहो सिद्धार्थ अब अवनि को लेकर बेफिक्र था कि अवनि उसे छोड़कर कही नहीं जाएगी।

एक सुबह किसी बात को लेकर सिद्धार्थ और अवनि में झगड़ा हुआ और आज अवनि पहली बार सिद्धार्थ पर चिल्ला दी और कहा,”आखिर ये सब क्या है सिद्धार्थ ? आप चाहते क्या है ? आपको मेरी बातो का जवाब नही देना हर चीज को वक्त पर छोड़ देना है,,,,,,,,,आखिर ये सब क्यों ?”
“अवनि फ़िलहाल मुझे कोई बात नहीं करनी , मैं तुम्हे बाद में फोन करता हूँ”,सिद्धार्थ ने गुस्से से कहा
“लेकिन मुझे करनी है , कब तक ऐसे ही चलता रहेगा ? मैं आपके घर आ रही हूँ वही आकर आपसे बात करती हूँ”,अवनि ने गुस्से से कहा


“मेरे घर आकर तमाशा करने की जरूरत नहीं है अवनि”,सिद्धार्थ ने गुस्से से कहा
“तो फिर आप ये सब क्यों कर रहे है सिद्धार्थ ?”,अवनि कहते कहते रो पड़ी , उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह पूरी तरह टूट चुकी थी  
“मैं थोड़ी देर में तुम से मिलता हूँ तब तक तुम भी अपना मूड ठीक कर लो”,कहकर सिद्धार्थ ने फोन काट दिया और अवनि अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी।

अवनि बेबस हो चुकी थी , उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , उसने अपने लिए सिद्धार्थ को चुना और सिद्धार्थ ने उसे इतना कमजोर बना दिया कि अवनि सिद्धार्थ के अलावा अब कुछ सोच ही नहीं पा रही थी।  वह उसके बिना ना अपनी जिंदगी को आगे बढ़ता देख पा रही थी ना ही खुद को खुश ,, वह एक ऐसे वहम में थी कि सिद्धार्थ ही उसकी असली ख़ुशी है।

दोपहर बाद सिद्धार्थ की गाड़ी अपार्टमेंट के बाहर आकर रुकी। सिद्धार्थ के फोन करने पर अवनि नीचे चली आयी। सिद्धार्थ ने उसे गाड़ी में बैठने को कहा और आगे बढ़ गया। अवनि खामोश थी और उदास भी , सिद्धार्थ ने अवनि का हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा,”अच्छा छोडो , जो हुआ उसे भूल जाओ हम फिर से शुरू करते है,,,,,,,,,मंदिर चलते है फिर वहा से किसी अच्छे रेस्टोरेंट में चलेंगे”


“मुझे आपसे बात करनी है सिद्धार्थ”,अवनि ने सिद्धार्थ की तरफ देखकर थोड़ा कठोरता से कहा
“हाँ तो करेंगे न , इसलिए तो मंदिर के बाद रेस्त्रो जा रहे है ताकि बैठकर मैं आराम से तुम्हारी बात सुन सकू,,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने मुस्कुरा कर कहा
अवनि हैरान थी कुछ देर पहले यही इंसान पागलो की तरह उस पर चिल्ला रहा था और अब ऐसे बात कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

सिद्धार्थ अवनि को लेकर पास ही के एक शिव मंदिर पहुंचा। दोनों गाड़ी से नीचे उतरे और अंदर चले आये। आज पहली बार अवनि को सिद्धार्थ के साथ मंदिर आकर घुटन और बेचैनी का अहसास हो रहा था। सिद्धार्थ अवनि को साथ लेकर मंदिर के अंदर आया और जल लेकर चढाने लगा तो अवनि को साथ आने का इशारा किया लेकिन आज पहली बार अवनि का दिल नहीं किया कि वह सिद्धार्थ के साथ मिलकर जल अर्पित करे। उलझे हुए मन के साथ अवनि मंदिर से बाहर चली आयी।

सिद्धार्थ को देखकर लग ही नहीं रहा था कि वह अवनि से नाराज है या उसके और अवनि के बीच चीजे गड़बड़ है , मंदिर के बाहर आकर दोनों बेंच पर आ बैठे सिद्धार्थ ने जूते पहने और मजाक में अवनि के गाल पर हल्का सा मारकर कहा,”क्या हुआ है तुम्हे ये मुंह क्यों फुला रखा है ?”


अवनि को सिद्धार्थ पसंद था लेकिन उसका यू सबके सामने उसे मारना अच्छा नहीं लगा और उसने कहा,”दोबारा मत करना , मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कोई ऐसा करे”
सिद्धार्थ ने अवनि की बात पर ध्यान नहीं दिया और फिर वही हरकत की और अवनि ने थोड़ा गुस्से से कहा,”सिद्धार्थ मत करो , मुझे अच्छा नहीं लग रहा”


“अच्छा बाबा सॉरी नहीं कर रहा”,कहकर सिद्धार्थ उठा और जाते जाते एक बार फिर धीरे से अवनि के गाल पर चपत लगा दी और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया। मंदिर में और लोग भी मौजूद थे अवनि को ये अच्छा नहीं लगा वह उठी और सिद्धार्थ के पीछे आयी उसने भी सिद्धार्थ के मजाक का जवाब देने का सोचकर उसकी पीठ पर मारने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया सिद्धार्थ घूम गया और अवनि का हाथ उसकी आँख पर जा लगा जिस से सिद्धार्थ का चश्मा नीचे जा गिरा


सिद्धार्थ का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा उसने अवनि को देखा और अपना चश्मा लेकर वहा से चला गया।
अवनि घबरा गयी और साथ ही खुद पर गुस्सा भी हुई कि ये उसे क्या हो गया है जबकि उसने सिद्धार्थ को मारने के इंटेंशन से हाथ नहीं उठाया था। अवनि सिद्धार्थ के पीछे आयी तब तक वह गाड़ी में बैठ चुका था। अवनि चुपचाप बैठी और सिद्धार्थ ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। गुस्से से सिद्धार्थ की आँखे जल रही थी और चेहरा लाल हो चुका था। अवनि ने देखा तो कहा,”मैंने आपको जान बूझकर नहीं मारा आप एकदम से पलटे तो मेरा हाथ,,,,,,,,,,,,,!!”


“वो जानबूझकर ही था अवनि , मैं सब बर्दास्त कर सकता हूँ लेकिन अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट गिरते नहीं देख सकता,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने गुस्से से कहा और इसी के चलते उसने गाड़ी की स्पीड भी तेज कर दी।
“लेकिन मैंने जान बुझकर नहीं किया , मैं बार बार आपको मना कर रही थी उसके बाद भी आपने वो हरकत की और जब मैंने जवाब दिया तो,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहना चाहा लेकिन सिद्धार्थ चिल्ला उठा और अवनि सहम गयी। वह पहली बार सिद्धार्थ का गुस्सा देख रही थी


“आप अपनी गलती क्यों नहीं देख रहे सिद्धार्थ ? आपको मेरी इंटेंशन दिख गयी लेकिन आप जो पिछले दो महीने से मेरे साथ कर रहे है वो क्यों नहीं देख पा रहे आप ?”,अवनि ने हिम्मत करके रोआँसा होकर कहा
सिद्धार्थ ने सुना तो गुस्से से भरकर अपना हाथ स्टेयरिंग पर दे मारा और चिल्लाया,”अरे किया क्या है मैंने ?”


सिद्धार्थ ने अपना हाथ इतना जोर से मारा कि अवनि ने घबराकर अपने दोनों हाथो को अपने कानो से लगा लिया , वह काँप रही थी , उसकी आँखों में डर और चेहरे पर तकलीफ के भाव थे ,, उसने महसूस किया जो हाथ आज सिद्धार्थ ने गाड़ी के स्टेयरिंग पर मारा है वो उस पर भी उठ सकता था। अवनि सिद्धार्थ का ये गुस्सा देखकर अंदर तक सहम गयी।

( क्या सिद्धार्थ और अवनि के बीच दूर होगी ये गलतफहमियां ? क्या पृथ्वी को होने लगा है महसूस अवनि का दर्द ? क्या अवनि निकल पाएंगे सिद्धार्थ के बुने जाल से बाहर या रह जाएगी हमेशा के लिए सिद्धार्थ के पास ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल 

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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