Manmarjiyan Season 3 – 98
Manmarjiyan Season 3 – 98

रामनगर की पहाड़ी पर अब थोड़ी शांति थी , होती भी क्यों नहीं भसड़ फ़ैलाने वाले सारे लग तो खाई में लटक रहे थे। गुप्ता जी , मंगल फूफा , यादव जी और उनका पैर पकडे गोलू , गुप्ता जी मुश्किल से पत्थर को पकडे टिके रहने की कोशिश कर रहे थे। जब देखा गोलू भी नीचे आ टपका है तो गुस्से से चिल्लाये,”अबे गोलू ! तुमको लटकने के लिए और कोई जगह नाही मिली ? अकेले काहे चले आये बाकि सबको भी साथ ले आते हिया झूला झूल रहे है ना हम,,,,,,,!!”
“राम राम राम राम राम राम,,,,,,,हे राम बचा ले”,गोलू ने नीचे देखा और आँखे बंद कर बड़बड़ाया। ना उसने गुप्ता जी की बातो पर ध्यान दिया वह तो बेचारा जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था।
गुप्ता जी का घर , कानपूर
“माजी ! बात हुई पापा जी से , कहा है वे लोग और गोलू कहा है ?”,पिंकी ने चिंतित स्वर में गुप्ताइन से पूछा
“कहा बात हुई हमरी पूरी बात सुने पहले ही फोन काट दिये रहय उह्ह,,,,,,कह रह थे रामनगर की पहाड़ी पर फंसे है मिश्रा जी और बाकी सबके साथ,,,,,,,उम्र हो गयी गोलुआ के पिताजी की भी पर रंगबाजी नाही छूट रही,,,,,,,पड़े होंगे उनके साथ वहा”,गुप्ताइन ने कहा
पिंकी ने जैसे ही रामनगर की पहाड़ी सुना उसे याद आया कि वह इलाका तो काफी सुनसान और खतरनाक है उसने गुप्ताइन से कहा,”माजी ! कही ऐसा तो नहीं वे लोग किसी मुसीबत में हो , आप एक बार और पापाजी को फोन लगाकर देखिये ना”
गुप्ताइन ने गुप्ता जी को फोन लगाया लेकिन फोन बंद , आदर्श फूफा को लगाया लेकिन उनका फोन भी बंद अब तो गुप्ताइन को भी चिंता होने लगी। उन्होंने पिंकी की तरफ देखा और कहा,”तभी गोलू के पिताजी इत्ता घबराये हुए थे और सरसो का तेल लाने से भी इंकार कर दिया”
पिंकी ने सुना तो अपना सर पीट लिया क्योकि सिर्फ गोलू और उसके पिताजी ही नहीं बल्कि गुप्ताइन भी बकैती में आगे थी।
“माजी ! हमे गोलू और पिताजी को बचाना होगा और पता नहीं उनके साथ गुड्डू और मिश्रा अंकल भी मुसीबत में हो ,, हमे वहा जाना चाहिए”,पिंकी ने घबराहटभरे स्वर में कहा
“अरे पिंकिया ! हम दोनों इतने लोगो को कैसे बचाएंगे ? एक ठो काम करो मिश्राइन और शगुन को भी फोन करके बुला लो सब साथ चलते है और देखते है माजरा क्या है ?”,गुप्ताइन ने कहा
“हाँ ये सही रहेगा मैं अभी शगुन को फोन करती हूँ”,पिंकी ने कहा और फोन लगाकर शगुन को सारी बात बताकर उसे चौराहे पर मिलने को कहा।
“माजी मैंने शगुन से कह दिया है वह मिश्राइन आंटी को लेकर चौराहे पर आती ही होगी हम लोग भी चलते है लेकिन हम इतने सारे लोग जायेंगे कैसे ?”,पिंकी ने गुप्ताइन के साथ घर से बाहर आते हुए कहा
“जे तो दुविधा हो गयी”,गुप्ताइन ने कहा तभी उनकी नजर अपने पडोसी के टुकटुक पर पड़ी और गुप्ताइन की आँखे चमक उठी। वे पिंकी को लेकर रिक्शा की तरफ बढ़ी। रिक्शा वाला चाबी वही छोड़कर बगल की दुकान से बीड़ी गुटखा लेने गया था इतने में गुप्ताइन आगे आ बैठी और पिंकी को पीछे बैठने का कहकर रिक्शा चालू कर आगे बढ़ा दिया।
“माजी आप और रिक्शा ?”,पिंकी ने हैरानी से कहा
“अरे कानपूर की महिलाये हेलीकॉप्टर चला ले रिक्शा कौनसी बड़ी बात है ? आराम से पकड़कर बइठो”,गुप्ताइन ने स्पीड बढाकर कहा और बेचारी पिंकी को उनकी बात सुनकर चक्कर आने लगे धीरे धीरे उसे समझ आ रहा था शर्मा जी क्यों उसका रिश्ता गोलू के घर करने से मना कर रहे थे ?
मिश्रा जी का घर , कानपूर
पिंकी से बात कर शगुन जैसे ही पलटी पीछे खड़ी राजकुमारी भुआ से टकराई तो भुआ जी ने कहा,”का बात है शगुन किसका फोन था ?”
शगुन ने भुआ जी को सारी बात बताई क्योकि अब तक शगुन समझ चुकी थी कि ये भसड़ ऐसे नहीं सुलझने वाली सबको सब पता होना जरुरी है तभी कोई हल निकल पायेगा।
“अगर ये बात है तो फिर गुड्डू के फूफा भी उनके साथ ही होंगे , हमको पता ही था जे एक दिन होना ही है। एक काम करते है हम भी तुम्हरे साथ चलते है”,भुआजी ने कहा
“अरे भुआजी आप क्यों खामखा परेशान हो रही है ? आप यहाँ माजी के पास रुकिए मैं जाती हूँ”,शगुन ने कहा
“जे हालत मा तुमको अकेले तो बिल्कुल नाही जाने देंगे हम समझी , अरे जे घर की बिटिया है हमरा भी कुछो फर्ज बनता है हम भी साथ जायेंगे कह दे रहे है ,, भाभी के पास कोमल और वेदिया है उह्ह सम्हाल लेगी सब,,,,,,,,अब चलो जल्दी”,कहकर भुआजी ने शगुन का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ लेकर घर से निकल गयी।
मिश्राइन को अभी तक ये सब के बारे में कुछ नहीं पता था उन्हें लगा शगुन ऊपर अपने कमरे में आराम कर रही है और भुआ जी कही बाहर गयी होंगी , वे घर आने जाने वालो से मिल रही थी बस और कोमल वेदी अपने अपने कामो में लगी थी।
शगुन और भुआ जी घर से निकलकर चौराहे की तरफ चल पड़ी। चलते चलते भुआजी ने अपना फोन निकाला और किसी का नंबर डॉयल करने लगी ये देखकर शगुन ने पूछा,”आप किसे फोन कर रही है भुआजी ?”
“अरे हमायी पहचान के पुलिसवाले है शुक्ला , ओह्ह का फोन कर रहे है का पता रामनगर की पहाड़ी पर कौनसी मुसीबत हो। पूरी तैयारी के साथ चलते है ना”,भुआ जी ने कहा और फोन कान से लगा लिया
एक दो रिंग के बाद किसी ने फोन उठाया और भुआ जी ने रौब के साथ कहा,”ए शुक्ला जी ! अपने दुइ चार थानेदार के साथ जरा रामनगर की पहाड़ी पर तो पहुंचो,,,,,,,एक ठो इमरजेंसी है और टाइम से नहीं ना पहुंचे तो तुम्हरे ही डंडे से डांडिया खेलेंगे तुम्हरे साथ याद रखना”
शुक्ला जी ने कुछ कहा होगा और भुआ जी ने फोन काट दिया। शगुन हैरानी से उन्हें देखने लगी और कहा,”भुआ जी आप और ये सब ?”
“अरे थोड़ी थोड़ी गुंडई कानपूर के सब लोगो मा होती है शगुन,,,,,,,,,अब चलो”,भुआ जी ने कहा
शगुन ने सुना तो खुश होकर उन्हें साइड हग किया और कहा,”ओह्ह्ह भुआजी ! यू आर टू गुड”
“का अंग्रेजी मा कोनो गाली वाली तो नाही दे रही हो ?”,भुआ जी ने कहा तो शगुन ने उनके गाल पर एक चुम्मा देकर कहा,”बिल्कुल नहीं”
दोनों चौराहे चली आयी और गुप्ताइन को रिक्शा चलाते देखकर शगुन एक बार फिर हैरान थी लेकिन अगले ही पल उन्हें भुआजी की कही बात याद आ गयी और वह भुआजी को लेकर पीछे रिक्शा में आ बैठी और चारो वहा से निकल गयी।
मिश्रा जी पेड़ के पास बैठे थे , शर्मा जी और बिंदिया उनके साथ थी लेकिन अपने पिताजी को मार खाते देखकर उसने मिश्रा जी से कहा,”बाबूजी ! लवली से कहिये ना पिताजी को छोड़ दे”
मिश्रा जी ने देखा कुछ ही दूर लवली मंगेश को मार रहा है तो वे चिल्लाये,”लवली ! मंगेश को छोड़ दयो तुम्हे हमायी कसम है”
लवली ने जैसे ही सुना उसका हाथ हवा में ही रुक गया और मंगेश निढाल होकर नीचे जा गिरा। गुड्डू ने देखा कि मिश्रा जी की कसम सुनकर लवली रूक गया है तो वह मुस्कुराया। लवली और वह मिश्रा जी के ही बेटे है ये जानकर गुड्डू को एक राहत मिली।
भुआजी के एक फोन का इतना असर हुआ कि पुलिस की गाडी वहा आकर रुकी और इंस्पेक्टर शुक्ला अपने साथियो के साथ सबके बीच आये। पुलिस के आदमियों ने मंगेश और लल्लन के आदमियों को पकड़ लिया , साथ ही मंगेश और लल्लन को भी गिरफ्तार कर लिया। आदर्श फूफा को गुंडा समझकर जब उन्हें भी हथकडिया पहनाने लगे तो गुड्डू ने कहा,”अरे अरे इंस्पेक्टर साहब जे हमाये फूफा है,,,,,,!!”
“राजकुमारी के घरवाले ?”,शुक्ला जी ने पूछा
“हाँ हाँ राजकुमारी भुआ के पति , इन्होने कुछो नाही किया इन्हे छोड़ दीजिये”,गुड्डू ने कहा
शुक्ला ने फूफा को अजीब नजरो से देखा और कहा,”ठीक है ठीक है,,,,,,,,,!!”
शुक्ला जी के मुंह से राजकुमारी का नाम सुनकर फूफा ने चिढ़कर कहा,”तुम हमरी राजकुमारी को कैसे जानते हो बे ?”
ये सुनकर शुक्ला जी के होंठो पर मुस्कान तैर गयी उन्हें मुस्कुराते देखकर फूफा और चिढ गया और कहा,”अबे शरमा का रहे हो ?”
“हम क्यों बताये ?”,शुक्ला जी ने कहा और बड़ी सी स्माइल देकर लल्लन की तरफ चले गए ताकि उसकी खबर ले सके।
गुड्डू मिश्रा जी की तरफ आया और उन्हें सम्हाला , लवली भी उनके सामने आया और गुस्से से कहा,”आपने हमे उसे मारने से काहे रोका हम ओह्ह का जान से मार देंगे उसने हमाये पिताजी को मार डाला , उन्हें हमेशा हमेशा के लिए हमसे दूर कर दिया”
“शांत हो जाओ लवली , मंगेश ने जो किया तुम भी वही करोगे तो तुम में और उसमे का फर्क रह जाएगा”,मिश्रा जी ने कहा
अभी मिश्रा जी लवली को समझा ही रहे थे कि तभी रिक्शा आकर रुका और उसमे से शगुन , पिंकी , भुआ और गुप्ताइन नीचे उतरी ये देखकर गुड्डू और बाकी सब हैरान और मिश्रा जी ने सर पीट लिया कि इन लोगो को यहाँ किसने बुलाया ?
शगुन को देखकर गुड्डू उसके पास आया और कहा,”शगुन , शगुन तुम हिया का कर रही हो ? और तुम्हे यहाँ के बारे में किसने बताया ?”
गुड्डू को लगी चोटें देखकर शगुन की आँखो में आँसू भर आये और उसने गुड्डू के चेहरे को हाथ लगाकर कहा,”ये क्या हाल कर दिया इन लोगो ने आपका गुड्डू जी , आपके उस हमशक्ल को तो मैं छोडूंगी नहीं,,,,,,,,,,!!”
कहकर शगुन जैसे ही लवली की तरफ जाने लगी गुड्डू ने शगुन को रोक लिया और उसे सब बताया तो शगुन की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। अब तक वह जिसे गुड्डू का हमशक्ल समझ रही थी वह गुड्डू का बड़ा भाई था। शगुन बेचैनी से गुड्डू को देखने लगी तो गुड्डू ने कहा,”हाँ शगुन यही सच है और पूरा सच का है जे पिताजी बताएँगे”
शगुन लवली की तरफ देखने लगी तो पाया लवली भी उसे ही देख रहा है। शगुन लवली की तरफ बढ़ी लेकिन उस से पहले उसकी नजर मिश्रा जी पर पड़ी और वह उनके पास चली आयी।
भुआ जैसे ही मिश्रा जी की तरफ जाने लगी आदर्श फूफा ने उन्हें रोककर कहा,”जे शुक्ला के साथ तुम्हारा का चक्कर है ?”
“हमरा चक्कर उह्ह भी शुक्ला से ? ए कोमलिया के पिताजी तुमहू शराब पीते हो जानते है पर अब का दिन मा भी नशा करने लगे,,,,,,,,अरे हम काहे रखे है उह्ह नासपीटे शुक्ला के साथ कोनो रिश्ता ?”,भुआजी ने भड़ककर कहा
“अच्छा तो फिर उह्ह तुम्हरा नाम लेके हमरे सामने मुस्कुराया काहे ?”,फूफा ने भी भड़ककर कहा
भुआ ने सुना तो पहले मुस्कुराई और फिर कहा,”अरे वो तो इहलीये कि हम कहे रहे सालों पहिले ओह्ह से कि इह राजकुमारी के लिए तो कोनो राजकुमार ही आएगा , अब तुमको देखा के हंसी आ गयी होगी ओह्ह्ह का,,,,,,,,,तुमहू भी ना और जे का हाल बना रखो है अपनों जाओ मुंह धोकर आओ”
भुआ ने कहा और मिश्रा जी की तरफ बढ़ गयी
शगुन और भुआ को तो उनके पति मिल चुके थे लेकिन पिंकी को गोलू कही नजर नहीं आया ना ही गुप्ताइन को गुप्ता जी। पिंकी और गुप्ताइन उन्हें ढूंढते हुए खाई की तरफ आयी और जैसे ही पिंकी की नजर खाई में लटके गुप्ता जी पर पड़ी वह चिल्लाई,”माजी ! ये रहे पापाजी”
गुप्ताइन वहा आयी और गुप्ता जी को खाई में लटका देखकर कहा,”वाह ! हम हुआ घर मा सरसो के तेल की राह देख रहे ताकि तेल आये तो चोखा मा मिलाये और आप हिया झूला झूल रहे है”
गुप्ता जी ने सुना तो गुस्से और अफसोस से अपना सर पत्थर पर दे मारा ये देखकर गुप्ताइन ने कहा,”अब माथा काहे फोड़ रहे है ?”
“अरे मंदबुद्धि ! झूला नाही झूल रहे है खाई मा गिर गए है , निकालो हमे हिया से”,गुप्ता जी गुस्से से चिल्लाये
“पापाजी गोलू जी कहा है ?”,पिंकी ने घबराकर कहा
गोलू के नाम पर तो गुप्ता जी और चिढ गए और कहा,”अरे नाम नाही ल्यो उह्ह ससुरे का हमरे सामने जे सारे फसाद की जड़ ना उह गोलू ही है एक बार हमका हिया से बाहिर निकलने दयो , ओह्ह्ह खाल उधेड़ के भूसा नहीं ना भरा हमरा नाम भी गज्जू गुप्ता नाही”
गुप्ता जी को गुस्से में देखकर बेचारी पिंकी तो पीछे ही हट गयी और गुप्ताइन ने गुप्ता जी की तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो पिंकी ने टोका,”माजी ये क्या कर रही है आप ? ऐसे तो आप पापा जी को खींचने के चक्कर में नीचे गिर जाएँगी,,,,,,,!!:
“तो फिर का करे पिंकिया ?”,गुप्ताइन ने कहा
“कही से रस्सी का इंतजाम करना होगा माजी , उसी से पापाजी को ऊपर खींचेंगे”,पिंकी ने कहा
“अब हिया रस्सी कहा से आएगी”,कहते हुए गुप्ताइन ने इधर उधर देखा तभी उनकी नजर लल्लन पर पड़ी जिसने लंबा और ढीला ढाला कुर्ता पहन रखा था। गुप्ताइन ने पिंकी को रुकने का इशारा किया और लल्लन के पास आयी। लल्लन और सारे गुंडे पुलिस वालो के साथ एक तरफ खड़े थे गुप्ताइन उसके पास आयी तो लल्लन ने हैरानी से उसे देखा। गुप्ताइन मुस्कुराई तो लल्लन ने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा,”नमस्ते”
“नमस्ते,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा और एक ही झटके में लल्लन का कुर्ता फाड़कर ले गयी। लल्लन अब खाली पजामे में खड़ा था उसे समझ ही नहीं आया हुआ क्या ?
शुक्ला जी मामले को समझने की कोशिश करने लगे लेकिन सब एक साथ कुछ न कुछ बोल रहे थे तो उन्हें ठीक से समझ नहीं आया।
गुप्ताइन ने लल्लन के कुर्ते की रस्सी बनायीं और खाई में लटका दी गुप्ता जी ने रस्सी को पकड़ा लेकिन भारी इतना कि गुप्ताइन से खींचा ना जाए। गुप्ताइन ने पिंकी से कहा,”अरे पिंकी जाकर किसी को लेकर आओ हमहू अकेले तो नाही खींच पाए है जे का”
पिंकी गयी उसने लवली को गुड्डू समझ लिया और उसे अपने साथ लाते हुए कहा,”पापाजी खाई में गिर गए है गुड्डू माजी के साथ मिलकर उन्हें वहा से निकालो प्लीज,,,,,,,,,,!!!”
लवली पिंकी के साथ खाई के पास आया और गुप्ताइन के हाथ से रस्सी लेकर खींचने लगा उस बेचारे को भी बहुत मेहनत करनी पड़ी। जैसे तैसे करके गुप्ता जी ऊपर आये और लवली के पास आकर कहा,”शुक्रिया गुड्डू”
“अरे हम गुड्डू,,,,,,,,,,,!!”,लवली ने कहा तो गुप्ता जी ने लवली का गाल थपथपाया और कहा,”हां हाँ पता है अर्पित मिश्रा नाम है तुमहाओ,,,,,,,,,अभी उह्ह्ह तीन यमराज नीचे और लटके है ओह्ह का भी निकाल ल्यो”
कहकर गुप्ता जी गुप्ताइन की तरफ चले गए और लवली ने फिर रस्सी को खींचना शुरू कर दिया इस बार मंगल फूफा बाहर आये और हाँफते हुए लवली के बगल से निकल गया।
लवली ने फिर रस्सी खींची तो इस बार थोड़ी काम मेहनत हुई और यादव जी बाहर आये जिन्हे लवली नहीं जानता था , बाहर आकर उन्होंने कहा,”अरे उह्ह भंड गोलू भी है नीचे ओह्ह का भी निकाल ल्यो”
“अच्छा गोलू है ! उसको बचाकर क्या करेंगे जाने दो ससुरे को,,,,,,,,ना रहेगा गोलू भांड ना होंगे काण्ड”,कहकर लवली ने रस्सी छोड़ दी।
पिंकी ने देखा तो लवली की तरफ आयी और उसकी बांह पर मारते हुए कहा,”पगला गए हो ! अरे गोलू तुम्हारा दोस्त है का नहीं किया उसने तुम्हरे लिए और तुम उसको ही मरने के लिए छोड़ दिए,,,,,,,,,गुड्डू हमायी कसम है बचाओ उसे”
पिंकी की मासूमियत देखकर लवली भागा और रस्सी गिरने से पहले उसका छोर पकड़ लिया और सबकी तरह गोलू को भी ऊपर खींच लिया। ऊपर आकर गोलू ने जब देखा कि उसे बचाने वाले उसके गुड्डू भैया है तो मारे ख़ुशी के उछलकर लवली की गोद में चढ़ गया और एक जबरदस्त चुम्मा उसके गाल पर देकर कहा,”अरे हम जानते ही थे गुड्डू भैया हमको बचाने आप ही आएंगे”
लवली ने पिंकी की तरफ देखते हुए अपना गाल पोछा और दाँत पीसकर कहा,”बस जे ही वास्ते नाही बचा रहे थे जे का”
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संजना किरोड़ीवाल

