Pasandida Aurat – 36
Pasandida Aurat – 36

आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
सुबह के 5 बज रहे थे और पृथ्वी जाग रहा था या यू कहे कि वह पूरी रात सोया ही नहीं था , जबसे उसे अवनि का प्रोफाइल मिला था वह उसकी लिखी कहानिया पढ़ रहा था। किताबों में दिलचस्पी ना रखने वाला पृथ्वी रातभर जागकर अवनि की लिखी कहानी पढता रहा और उसमे इतना खो गया कि सुबह कब हुई उसे पता ही नहीं चला ? 5 बजते बजते उसकी आँखे मूंदने लगी और फोन उसके सीने पर आ लगा। पृथ्वी सो गया और जब उठा तो 8 बज रहे थे।
पृथ्वी ने टाइम देखा आज वह फिर ऑफिस के लिए लेट होने वाला था इसलिए जल्दी से घर भागा। घर आकर पृथ्वी नहाकर तैयार हुआ और डायनिंग टेबल की तरफ चला आया। रवि जी , लक्षित भी नाश्ते के लिए बैठे थे। लता ने सबके लिए नाश्ता लाकर रखा और चाय लेने किचन में चली गयी।
“दादा ( भैया ) इस सैटरडे इवनिंग मेरे कॉलेज में फंक्शन है तो आप आएंगे ?”,लक्षित ने पूछा
“नहीं , मेरे ऑफिस में काम करने वाले लड़के की शादी है तो मुझे वहा जाना होगा”,पृथ्वी ने खाते हुए कहा
“चलो ना दादा , मेरे सब फ्रेंड्स भी आपसे मिलना चाहते है”,लक्षित ने रिक्वेस्ट की
“मैं जरूर आता लेंकिन,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी कर पाता इस से पहले लता ने उसके सामने चाय का कप रखते हुए लक्षित से कहा,”लेकिन तुम्हारे दादा को तो शादी में जाना है , हाह ! पता नहीं अपनी शादी में सबको कब बुलाएगा ये ?”
“आई आप फिर शुरू हो गयी,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा
“नहीं नहीं मैं कहा शुरू हो रही हूँ , और अभी कौनसा तुम्हारी शादी की उम्र है तुम 20-22 साल बाद आराम से कर लेना”,लता ने पृथ्वी को ताना मारकर कहा
पृथ्वी ने मायूसी से रवि जी को देखा तो उन्होंने कहा,”मेरी तरफ मत देखो मैंने 18 साल की उम्र में तुम्हारी आई से शादी कर ली थी”
“हाँ तो आपको अच्छी बाईको मिली है इसका मतलब ये नहीं मुझे भी मिले , अब बाईको मिलने में वक्त तो लगेगा न”,पृथ्वी ने कहा
“अच्छा मतलब मैंने जो लड़किया देखी वो अच्छी नहीं है , तो तू ही बता दे तुझे कैसी लड़की चाहिए ?”,लता ने अपनी प्लेट लेकर बैठते हुए कहा
पृथ्वी ने सुना तो खाते खाते रुक गया और लता को देखकर कहा,”ऐसी जो आपकी तरह मेरा ख्याल रखे बस इस से ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा”
“आई फिर तो लगता है दादा की शादी कभी नहीं होगी,,,,,,,,,,क्योकि आप जैसी लड़की तो मुंबई में नहीं मिलेगी उसके लिए तो भोपाल जाना पडेगा”,लक्षित ने कहा तो रवि जी दबी आवाज में हसने लगे।
लता ने रवि जी को घूरकर देखा तो उन्होंने हंसी रोककर कहा,”हाँ लता वैसे तुम पूछो ना अपनी आई से उनके आस-पास कोई और तुम्हारे जैसी लड़की हो तो देखने चलते है”
पृथ्वी ने सुना तो समझ गया कि लक्षित और रवि जी मिलकर लता को छेड़ रहे है। वह चुपचाप उठा और वाशबेसिन की तरफ बढ़ गया क्योकि जानता था इसके बाद लता का लेक्चर चालू होने वाला है और वही हुआ। पृथ्वी तो अपना बैग और टिफिन लेकर वहा से निकल गया लेकिन रवि जी और लक्षित फंस गए। लक्षित और रवि जी ने भी जल्दी जल्दी अपना नाश्ता किया और चले गए। लता भुनभुनाते हुए दरवाजा बंद करने आयी तभी सामने खड़ी पृथ्वी की भुआजी नीलम ने कहा,”क्या बात है भाभी आज ये बिजलिया किस पर गिरा रही हो ?”
“अरे नीलम दीदी आप , आईये ना आज आप ऑफिस नहीं गयी ?”,लता ने नीलम से अंदर आने को कहा
“हाँ आज ऑफिस की छुट्टी है तो सोचा आज का नाश्ता आपके यहाँ कर लेती हूँ,,,,,,!!”,नीलम ने अंदर आते हुए कहा
“अरे आईये ना इसमें क्या सोचना ? आप बैठिये मैं अभी लेकर आती हूँ,,,,,!!”,कहते हुए लता किचन की तरफ चली आयी
नीलम डायनिंग के पास आ बैठी , लता प्लेट में नाश्ता लेकर आयी और नीलम के सामने रखते हुए कहा,”आज मैंने ‘भरली वांगी’ और सादा पराठे बनाये , साथ में ये आलू प्याज की सब्जी,,,,,,,,,,आप खाओ मैं आपके लिए चाय चढ़ाकर आती है”
( भरली वांगी नारियल, प्याज, गुड़ और मराठी मसाला से भरे बैंगन या छोटे बैंगन पकाने का यह एक लोकप्रिय तरीका है। बैंगन वैसे तो कभी किसी की पसंदीदा सब्ज़ी नहीं रही। लेकिन महाराष्ट्र का यह “भरली वांगी” इस नीरस सब्ज़ी में जान डालने की क्षमता रखता है। )
“अरे वाह ! मेरा बहुत दिनों से दिल कर रहा था आपके हाथ से बना “भरली वांगी” खाने का पर ये साथ में आलू प्याज की सब्जी किसलिए ?”,नीलम ने एक निवाला तोड़कर खाते हुए पूछा
“अरे ! वो है ना मेरा पृथ्वी उसके खाने में बहुत नखरे है , उसको ये बैंगन , लौकी , फली , करेला नहीं जमता उसके लिए बनाया”,लता ने किचन से ही ऊँची आवाज में कहा
चाय बन चुकी थी इसलिए लता अपने और नीलम के लिए चाय लेकर बाहर चली आयी और कुर्सी पर आ बैठी। नीलम ने चाय का कप उठाया एक घूंठ भरा और कहा,”भाभी ! आप पृथ्वी का इतना ख्याल रखती हो पर क्या पृथ्वी आपका ख्याल रखता है ?”
“मैं कुछ समझी नहीं,,,,,,,,,,!!”,लता ने कहा
“अरे कहा सुनी उसने आपकी बात ? शादी की बात फिर टाल दी न उसने,,,,,,,,,,मुझे तो लगता है ये लड़का हम सब से कुछ छुपा रहा है”,नीलम ने कहा
“नहीं नीलम दीदी मेरा पृथ्वी मुझसे कुछ नहीं छुपाता”,लता ने कहा
“अरे भाभी क्या पता उसे कोई पसंद हो और वो घर में बताने में झिझक रहा हो , आपने कभी जानने की कोशिश की ?”,नीलम ने कहा
“नहीं ऐसा होता तो वह जरूर बताता”,लता ने कहा
“अरे भाभी ! हिमांशु ने भी कहा बताया था वो तो सीधा शादी करके अपनी बाइकों को घर ले आया था , उसके बाद कितना हंगामा हुआ याद है ना आपको,,,,,और वैभव उसने भी यही किया था उसके टाइम तो दादा को पुलिस स्टेशन तक जाना पड़ा था। इन लड़को का कोई भरोसा नहीं है कब क्या कर दे ? आप भी पृथ्वी पर थोड़ा ध्यान दो”,नीलम ने कहा
“नहीं नहीं मेरा पृथ्वी ऐसा नहीं है मुझे उस पर पूरा विश्वास है , अगर ऐसी कोई बात होती तो वो मुझे जरूर बताता”,लता ने कहा जिन्हे अपने पृथ्वी पर कुछ ज्यादा ही विश्वास था।
“अच्छा मैंने आपको जो अपनी फ्रेंड की बेटी के बारे में बताया था उसके बारे में क्या सोचा ? पृथ्वी से बात की आपने ?”,नीलम ने उठकर वाशबेसिन की तरफ जाते हुए कहा
“हाँ मैंने उस से कहा था लेकिन अभी उसने थोड़ा टाइम मांगा है , कल ही उसका ऑफिस में प्रमोशन हुआ है और जिम्मेदारी भी बढ़ गयी है , वैसे भी दीदी मुझे लगता है बार बार बोलने से कही वो एकदम ही मना ना कर दे इसलिए मैंने ये फैसला भी उस पर छोड़ दिया है”,लता ने मायूस होकर कहा
“वो तो ठीक है भाभी पर कही ऐसा न हो हिमांशु और वैभव की तरह पृथ्वी भी इस घर में अपनी पसंद से लड़की ले आये”,नीलम ने कहा
“मुझे अपने बेटे पर पूरा विश्वास है दीदी वो ऐसा कुछ नहीं करेगा , अच्छा मैंने कुछ नयी साड़िया मंगवाई है आईये आपको दिखाती हूँ”,लता ने कहा और नीलम का हाथ पकड़कर उसे अपने कमरे में ले गयी।
पृथ्वी अपना बैग सम्हाले सोसायटी के गेट की तरफ जा ही रहा था कि नकुल चलते हुए उसके बगल में आया और कहा,”ऑफिस जा रहे हो ?”
“नहीं तुम्हारी शादी की शॉपिंग करने जा रहा हूँ”,पृथ्वी ने अपने गुस्से को दबाकर बहुत ही शांत स्वर में कहा
“मेरी शादी ? अह्ह्ह्ह छोडो ये सब क्या तुमने मेरे बैग से कोई किताब ली थी ?”,नकुल ने पूछा
“कैसी किताब ?”,पृथ्वी ने पूछा
“अरे वही किताब जिसमे बनारस के बारे में लिखा था,,,,,,,,मुझे वो किताब नहीं मिल रही , मुझे याद है बनारस से आते वक्त मैंने उस अपने बैग में रखा था”,नकुल ने उलझन भरे स्वर में कहा
नकुल के मुँह किताब का नाम सुनकर पृथ्वी को याद आया कि उसकी किताब तो उसके पास है उसने कहा,” वैसे तुम उस किताब को क्यों ढूंढ रहे हो , तुम तो उसे पढ़ चुके हो न ?”
“अरे मैं उस Writer को ढूंढ रहा था लेकिन मुझे उसका नाम याद नहीं आ रहा। जिसने इतनी सुन्दर किताब लिखी है वो खुद कितनी सुन्दर दिखती होगी यार मुझे बस यही देखना है”,नकुल ने कहा
नकुल की बात सुनकर ना जाने क्यों पृथ्वी को मीठी सी चुभन का अहसास हुआ लेकिन उसने अपने भाव चेहरे पर नहीं आने दिए और कहा,”जब तुम्हे उस किताब के Writer का नाम ही याद नहीं है तो फिर इसका मतलब तुमने उसे दिल से नहीं पढ़ा , मैं चलता हूँ मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है”
पृथ्वी जैसे ही जाने लगा नकुल ने कहा,”क्या वो तुम्हारे पास है ?”
पृथ्वी पलटा और कहा,”मैं ऐसी बोरिंग किताबे नहीं पढता,,,,,,,,,,अब मैं जाऊ ?”
“जाओ,,,,,,,,,,,!!”,नकुल ने मुंह बनाकर कहा तो पृथ्वी आगे बढ़ गया और अगले ही पल नकुल की आवाज उसके कानो में पड़ी जो कि चिल्लाकर कह रहा था,”लेकिन जिसने भी मेरी किताब को चुराया है देखना उसे इसका फल जरूर मिलेगा”
नकुल की बात भगवान् ने इतनी जल्दी सुनी कि चलते चलते पृथ्वी लड़खड़ाया और बेचारा गिरते गिरते बचा। उसने नकुल को देखकर अफ़सोस में सर हिलाया और वहा से चला गया।
***** बैंक , सिरोही
कंप्यूटर के सामने बैठी अवनि अपना काम कर रही थी। पुरे एक हफ्ते की छुट्टी के बाद अवनि आज ऑफिस आयी थी और इस वजह से उसके पास काम भी ज्यादा था। सुबह से दोपहर तक वह व्यस्त रही लंच टाइम में अपना टिफिन लेकर लंच करने बैठी तो हॉस्टल का खाना देखकर उसका मन खराब हो गया। खाने में आज कद्दू की रस्सेवाली सब्जी थी , साथ में गाढ़ी दाल जिसमे ना तड़का था न ही ढंग का छौंक , चावल थे और साथ में 4 पतली और सूखे आटे से भरी चपाती जो कि इतनी पतली थी कि दोपहर होते होते कड़क हो चुकी थी।
अवनि ने दो चार निवाले खाये लेकिन उस से खाया नहीं गया और उसने टिफिन बंद कर दिया। वह जैसे ही जाने लगी बैंक में साथ काम करने वाली उसकी कलीग दिव्या ने कहा,”अरे अवनि मैडम क्या हुआ, आपने इतनी जल्दी लंच कर लिया ?”
“मन नहीं है”,अवनि ने छोटा सा जवाब दिया।
“इतना काम करने के बाद खाना खाने का मन ना हो तो इसके दो ही कारण हो सकते है या तो आप परेशान है या फिर खाना अच्छा नहीं है”,दिव्या ने अपनेपन से कहा
“टिफिन में आज कद्दू आया है और मुझे कद्दू पसंद नहीं”,अवनि ने कहा
“अच्छा तो ये बात है , जब पसंद नहीं तो क्यों खाना मेरे साथ नीचे चलिए बैंक के बगल में बहुत ही टेस्टी छोले भठूरे मिलते है चलकर वो खाते है , आप बस एक मिनिट रुकिए मैं ये फाइल सर को देकर आती हूँ”,दिव्या ने कहा
अवनि उसे रोकती इस से पहले दिव्या वहा से चली गयी। अवनि ने टिफिन अपने बैग के साथ टेबल के नीचे रख दिया तब तक दिव्या भी वहा चली आयी। अवनि ने मना किया लेकिन दिव्या उसे लेकर बैंक से बाहर चली आयी।
दोनों बैंक के बगल मे चले आये जहा कुछ टेबल लगे थे दिव्या ने अवनि से बैठने को कहा और खुद अपने और अवनि के लिए आर्डर देने चली गयी। दिव्या आर्डर देकर आयी तो अवनि ने कहा,”दिव्या जी ! ये सब की क्या जरूरत थी मैं हॉस्टल जाकर खा लेती”
“अवनि मैडम ! हम लोग एक हफ्ते की छुट्टी के बाद आये है तो हफ्ते भर का काम करने के लिए एनर्जी तो चाहिए ना और छोले भठूरे से अच्छी एनर्जी भला और कहा मिलेगी ?”,दिव्या ने खुशमिजाज तरीके से कहा और अपने साथ लायी बोतल से पानी पीने लगी।
अवनि मुस्कुरा उठी उसे दिव्या कुछ कुछ सुरभि जैसी लगी , खुशमिजाज और हसंमुख
दिव्या ने बोतल साइड में रखा और कहा,”वैसे आप क्या हॉस्टल में रहती है ?”
“हाँ,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“अरे यार ! हॉस्टल का खाना तो बिल्कुल अच्छा नहीं होता मैं खुद अजमेर 2 साल रहकर आयी हूँ , खाने में रोज आलू और टिंडे मिलते थे और जब हॉस्टल वाले ज्यादा मेहरबान हो जाते थे तब चने की दाल में लौकी मिक्स कर देते थे”,दिव्या ने हॉस्टल के खाने की तारीफ करते हुए कहा
अवनि ने सुना तो हंस पड़ी और उसे अपने हॉस्टल के खाने को याद करके कहा,”हम्म्म क्या कर सकते है , अब हॉस्टल में रहना है तो ये सब तो खाना ही पडेगा”
“आप फ्लेट या घर में क्यों नहीं रहती ? जितना हॉस्टल में देती है उतने में तो आपको रेंटेड फ्लेट या घर मिल जाएगा”,दिव्या ने कहा
“मैं ढूंढ रही हूँ जैसे ही मिलेगा शिफ्ट हो जाउंगी”,अवनि ने कहा
वेटर दोनों के लिए दो प्लेट रख कर चला गया और दोनों बातें करते हुए छोले भठूरे खाने लगी। दो चार निवालो के बाद ही अवनि ने महसूस किया कि उसे सच में बहुत भूख लगी थी
खाना खाकर अवनि और दिव्या बैंक चली आयी और अपने अपने कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करने लगी। शाम में अवनि हॉस्टल के लिए निकल गयी। रास्ते में उसने अपने लिए कुछ फल खरीदे तो नजर पास ही कि एक दूकान पर चली गयी जहा से मठरी की बहुत अच्छी खुशबु आ रही थी।
अवनि ने अपने लिए थोड़ी मठरी भी ले ली। वह हॉस्टल चली आयी और फ्रेश होकर आराम करने लगी। रात का खाना खाने अवनि हॉस्टल के मेस में आयी तो खाने में आज फिर वही लौकी चना बना था। अवनि ने जैसे तैसे खाना खाया और मेस से सीधा रिसेप्शन पर चली आयी। वहा बैठी वार्डन ने जब अवनि को देखा तो कहा,”क्या हुआ ?”
“आप लोग हॉस्टल के खाने की क्वालिटी क्यों नहीं बढ़ाते ? रोज रोज एक जैसा खाना कोई कैसे खा पायेगा ?”,अवनि ने कहा
“ये हॉस्टल है तुम्हारा घर नहीं जो रोज रोज यहां तुम्हारे लिए नए नए पकवान बनाये जायेंगे,,,,,,,,,बाकि सब भी तो खा रही है उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तुम क्या आसमान से उतरी अप्सरा हो,,,,,,,,जो बना है वो खाओ वरना बाहर जाकर खा लो”,वार्डन ने बहुत ही बदतमीजी से कहा
“अगर बाहर ही खाना है तो फिर इस हॉस्टल में खाने के पैसे क्यों लिए जा रहे है ?”,अवनि ने गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा
“इतनी ही दिक्कत है तो फ्लेट या घर में जाकर रहो और बनाकर खाओ तो समझ आएगा , अरे रोज दो वक्त 300 लड़कियों का खाना बनेगा तो ऐसा ही बनेगा न “,वार्डन ने भी गुस्से से कहा
अवनि उनकी बदतमीजी बर्दास्त नहीं कर पायी और कहा,”ऐसा है तो फिर मैं इसी आपके हॉस्टल का कमरा खाली कर दूंगी”
“इस महीने नहीं इसी हफ्ते खाली करो और निकलो यहाँ से,,,,,,,3 दिन के अंदर मुझे कमरा खाली चाहिए समझी तुम , बड़ी आयी मुझसे जबान लड़ाने वाली”,वार्डन ने गुस्से से कहा और रजिस्टर में अपना काम करने लगी
अवनि ने सुना तो उसे बहुत बुरा लगा , अनजान शहर में अपने साथ होता ऐसा बर्ताव देखकर अवनि को दुःख हुआ उसकी आँखों में नमी उभर आयी और वह वहा से चली गयी। अपने कमरे में आकर अवनि बिस्तर पर आ बैठी और इस नयी समस्या के बारे में सोचने लगी। 3 दिन में उसे रहने के लिए नयी जगह भला कहा और कैसे मिलेगी ? वह तो यहाँ किसी को इतना जानती भी नहीं है। अवनि के जहन में कौशल चाचा से मदद लेने का ख्याल आया लेकिन साथ ही उसे सुरभि की कही बात याद आ गयी।
वह उठकर खिड़की के पास चली आयी और बाहर आसमान में चमकते चाँद को देखकर अपने हाथ जोड़े और नम आँखों के साथ महादेव को याद किया। उसके होंठो ने कुछ बुदबुदाया और जैसे ही पलटी उसकी नजर टेबल पर रखे उस विजिटिंग कार्ड पर चली गयी जो उसे सिद्धार्थ ने दिया था।
( क्या नीलम की बातो में आकर लता करेगी पृथ्वी से शादी की जिद ? नकुल के मुंह से किताब का जिक्र सुनकर आखिर क्यों हुआ पृथ्वी को चुभन का अहसास ? क्या नया घर ढूंढने में अवनि लेगी सिद्धार्थ की मदद ? जानने के लिए पढ़े “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल


Ohhhooo…. Avni aaj khud pe kabu nhi rakha pai aur hostal ki vardan ko suna Diya to vardan ne bhi usko 3 din kamra khali krne ka altimatm de diya…ab Avni 100% Siddharth ko call karengi aur usko apni preshani batayegi…. Siddarth to Avni k call ka wait kar Raha tha…dekha lena…wo usko ya to apne ghar m ya fir ghar k ass pass room dilwa dega…taki wo roz Avni se mil sake… idhar Prithvi ko bhi Avni se pyar hona suru ho chuka hai, bas usko abhi iss baat ka ehsaas nhi hai…tabhi to usse Nakul ki baat se jalan Hui… mujhe to Prithvi ki dadi maa ka wait hai…ji Prithvi se sabse zyada pyar krti hai…wo zarur Prithvi k liye koi ladki dekhengi ya fir kya pta Prithvi hee unko Avni k bare m bta de….lakin yeh tab hoga na jab Prithvi ki Avni se mulakat hogi…dono ek dusre se bahut door hai…dekho Mahadev kya chahate hai
Mam next plzz