Pasandida Aurat – 24

Pasandida Aurat – 24

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

अवनि , सुरभि , सिद्धार्थ , नकुल और पृथ्वी पाँचो “काल-भैरव” मंदिर के लिए निकल गए। इनकी आपस में मुलाकात होगी भी या नहीं ये इनमे से कोई नहीं जानता था। सिद्धार्थ का ऑटो चौराहे पर पहुंचा , चूँकि सिद्धार्थ तो यहाँ पहले भी आ चुका था इसलिए उसे सब जगह के बारे में पता था। उसने ऑटोवाले को पैसे दिए और दांयी तरफ काल-भैरव मंदिर के रास्ते पर चल पड़ा। कुछ देर बाद अवनि और सुरभि वाला ऑटो भी आकर रुका और दोनों नीचे उतरकर मंदिर के लिए आगे बढ़ गयी। सबसे आखिर में पृथ्वी और नकुल वाला ऑटो आकर रुका।

दोनों नीचे उतरे और पृथ्वी ने ऑटोवाले को किराया देकर आस पास देखा। पृथ्वी को लग रहा था जैसे वह किसी गाँव के बाजार में आ गया है उस पर इतना ट्रेफिक कि गाड़ी एक बार फंसे तो फंसी ही रह जाए। पृथ्वी इस वक्त नकुल के साथ एक चौराहे पर खड़ा था जिसके उत्तर दिशा में था “काल-भैरव” मंदिर जाने का रास्ता और दक्षिण में था “महा-मृत्युंजय मंदिर” का रास्ता लेकिन जहा किधर है ये न पृथ्वी जानता था ना ही नकुल , नकुल ने गूगल मैप निकाला और सर्च करके कहा,”पृथ्वी ! यहाँ से राइट जाना है और 2 मिनिट का रास्ता है बस”


ऑटोवाले ने सूना तो गर्दन बाहर निकालकर पान चबाते हुए कहा,”ए भैया ! जे काशी है महादेव के भरोसे चलता है गूगल मैप के नाही , गूगल मैप के भरोसे जाही हो तो कही का कही पहुँच जाही हो,,,,,,,,,,जे से बढ़िया है कोनो लोकल आदमी से पूछकर घूमो तो सुविधा रही है,,,,,महादेव”
“मेरा नाम नकुल है महादेव नहीं,,,,,,,,!!”,नकुल ने चिढ़कर कहा
“अबे का लंठ हो बे , महादेव बोल रहे है,,,,,, !!”,ऑटोवाला नकुल पर भड़क गया


“अह्ह्ह भैया ! आप जाईये , थैंक्यू”,पृथ्वी ने कहा और नकुल को लेकर साइड में चला आया और कहा,”तू वेडा आहेस का ? ( तुम्हारा दिमाग खराब है क्या ? जब तुम्हे यहाँ कि लेंग्वेज नहीं पता तो ज्यादा बात क्यों कर रहे हो ?”
“हाँ समझ गया,,,,,चलो चलते है,,,,,हमे इसी रस्ते जाना है ,, वो किताब मेरे पास होती तो आसान हो जाता”,नकुल ने चलते चलते कहा
“सबसे पहले मैं तुम्हारी उस किताब को ही आग लगाऊंगा”,पृथ्वी ने कहा


“क्या यार पृथ्वी ? वैसे भी उस किताब में लिखा है कि इस शहर में  तुम कभी प्लानिंग करके नहीं आ सकते क्योकि कब किस मोड़ पर तुम्हारे साथ कुछ रोमांचक हो जाए तुम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते”,नकुल ने पृथ्वी के साथ चलते हुए कहा
“फिर तो जरूर इस किताब को लिखने वाला या तो पागल है या फिर उसने इस शहर के अलावा दुनिया देखी नहीं,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा


“वाला नहीं वाली,,,,,,,वो किताब एक फीमेल राइटर ने लिखी है , उसका नाम है अव,,,,,,,!!”,नकुल ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी करता इस से पहले पृथ्वी चलते चलते रुका और उसकी तरफ पलटकर कहा,”ना तो मुझे तुम्हारी उस किताब में कोई दिलचस्पी है ना ही उसकी राइटर में,,,,,,अब चले ?”
“हम्म्म,,,,,,,,,,!!”,नकुल ने हार मानकर कहा और पृथ्वी के साथ एक बार फिर आगे बढ़ गया।

नकुल तो बनारस आकर बहुत खुश था पर पृथ्वी ने महसूस किया कि वह जब से यहाँ आया है चिड़चिड़ा हो गया है और हर बात पर कुछ ज्यादा ही रिएक्ट कर रहा है। उसने चलते चलते गहरी साँस ली और खुद को सामान्य किया। मंदिर से कुछ पहले पहुंचकर नकुल ने दोनों के लिए एक प्रशाद की टोकरी ली और उसमे रखे तेल को पृथ्वी के सर से वारने लगा तो पृथ्वी ने कहा,”ये क्या कर रहा है ?”


“कहते है इस से हर बुरी नजर उतर जाती है और फिर ये तेल मंदिर में दिया जाता है। महादेव तुझे हर बुरी नजर से बचाये”,कहते हुए नकुल ने तेल का छोटा सा बोतल वापस टोकरी में रख लिया। पृथ्वी ने सुना तो मुस्कुराया और कहा,”सॉरी”
नकुल ने सूना तो हैरानी से उसे देखने लगा , पृथ्वी ने उसे आगे धकिया कर कहा,”चलो”


नकुल मुस्कुराया और आगे बढ़ गया , आगे दो बहुत लम्बी लाइन लगी थी नकुल और पृथ्वी भी एक लाइन में आ लगे और आगे बढ़ने लगे। पृथ्वी ने देखा वहा मौजूद सब लोगो के साथ में प्रशाद की टोकरिया है , सबके माथे पर चंदन मला हुआ है , कुछ ने तो उस चंदन पर लाल रंग से महादेव का नाम और उनके निशान भी बनवा रखे है।

संकरी गलियों में आगे बढ़ते हुए पृथ्वी सब पहली बार ही देख रहा था और हर चीज बहुत ध्यान से देख रहा था। दोनों जैसे ही मंदिर के सामने पहुंचे नकुल ने अपने जेब से 100 रूपये निकालकर टोकरी में रख लिए पृथ्वी को ये थोड़ा अजीब लगा लेकिन वह नकुल की भावनाओ की रिस्पेक्ट करता था इसलिए चुपचाप उसके साथ चलता रहा।  

सिद्धार्थ मंदिर में दर्शन करके बहुत पहले ही निकल चुका था जबकि अवनि और सुरभि मंदिर के अंदर थे। पृथ्वी अवनि से 20 कदम ही दूर था लेकिन इस भीड़ में ना अवनि ने पृथ्वी को देखा ना ही पृथ्वी ने अवनि को , अवनि और सुरभि दर्शन करके आगे निकल गयी तब पृथ्वी और नकुल “काल-भैरव” के सामने पहुंचे नकुल ने टोकरी पंडित जी की तरफ बढ़ा दी , वही पृथ्वी की नज़रे जैसे ही “काल-भैरव” की नजरो से मिली उसे अपने पुरे बदन में एक सिहरन सी महसूस हुई , वह अपलक उन्हें देखता रहा और उसका मन एकदम शांत हो गया।

मंदिर के बाहर जो चिढ़चिढ़ापन था वो एक पल में गायब हो गया ,, नकुल ने देखा पृथ्वी ऐसे ही खड़ा है तो उसने पृथ्वी से हाथ जोड़ने का इशारा किया। पृथ्वी ने हाथ जोड़े और जैसे ही सर झुकाया अंदर बैठे पुजारी की फेंकी फूलो की एक पतली सी माला उसके हाथो में आ गिरी। धक्का लगने की वजह से पृथ्वी वहा से आगे बढ़ गया और मंदिर से नीचे आकर एक तरफ खड़ा हो गया। बरामदे में कई रंग बिरंगे धागे लिए लोग बैठे थे पृथ्वी को देखकर एक महिला ने कहा,”ले बच्चा ! भैरव बाबा का धागा बंधवा ले”


“शुक्रिया”,पृथ्वी ने ना में गर्दन हिलाकर कहा
“का नास्तिक हो ?”,महिला ने कहा तो पृथ्वी वहा से दूसरी तरफ चला आया। कुछ देर बाद नकुल ख़ुशी ख़ुशी पृथ्वी के पास आया उसके गले में हरे पत्तो वाली बड़ी सी माला थी। उसने पृथ्वी के साथ आगे बढ़ते हुए कहा,”देखा “भैरव बाबा” ने अपना आशीर्वाद भी दे दिया”
पृथ्वी मुस्कुराया और कहा,”ये आशीर्वाद भैरव बाबा ने नहीं तेरे उस 100 के नोट ने दिया है जो तूने अपने प्रशाद के साथ रखा था”


“ऐसा कुछ नहीं है , तू चल”,नकुल ने कहा और पृथ्वी को लेकर मंदिर से बाहर चला आया पर पृथ्वी ने जो कहा वो भी गलत नहीं था। कुछ देर पहले ही वह इस सच को अपनी आँखों से देखकर जो आ रहा था। दूकान पर आकर उन्होंने प्रशाद को एक बैग में डाला और जूते पहनकर पैदल ही निकल गए।

सुरभि और अवनि काल भैरव दर्शन करने के बाद महामृत्युंजय मंदिर पहुंची। काशी (वाराणसी) में मृत्युंजय महादेव मंदिर दारानगर इलाके में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और जीवन की परेशानियों, अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने और बीमारियों के उपचार के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में एक धनवंतरी कूप है, जिसके जल से रोग-दोष दूर होने की मान्यता है।  मंदिर के बाहर से अवनि और सुरभि ने एक लोटा जल और पूजा करने के लिए कुछ बेलपत्र और फूल खरीदे जिन्हे दुकानवाले ने एक टोकरी में सजाकर दे दिया।

दोनों मंदिर आयी और सबसे पहले महादेव का जलाभिषेक करके उनके दर्शन किये और आगे बढ़ गयी। उसी मंदिर में हनुमान जी का छोटा सा मंदिर भी था अवनि और सुरभि ने उनके दर्शन भी किये और फिर दांयी तरफ बने शिवलिंग का दर्शन करने चली आयी।

नकुल लोकल लोगो से पूछते पाछते पृथ्वी को लेकर “महामृत्युंजय” मंदिर पहुंचा और उसे अंदर चलकर महादेव का अभिषेक करने को कहा लेकिन उसी वक्त पृथ्वी के ऑफिस से फोन आ गया और उसने नकुल से कहा,”तू चल मैं आता हूँ”
नकुल आगे बढ़ गया , उसने शिवलिंग पर दूध और जल का अभिषेक किया और हनुमान जी के दर्शन करने आगे बढ़ गया। नकुल पृथ्वी को भूल गया और दर्शन करते करते मंदिर के दांयी तरफ बने “धन्वंतरि कूप” की तरफ चला आया।


कूप का मतलब होता है कुआ , कहा जाता है द्वापर युग में राजा धन्वंतरि ने काशी में आयुर्वेद का प्रसार किया और जब वे पृथ्वी पर अपने अवतार के अंतिम चरण में थे, तब उन्होंने अपनी चमत्कारी औषधियों को इस कुएं में डाल दिया था। धन्वंतरि कूप का जल असाधारण औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस जल को पीने से व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है।

नकुल ने देखा हर कोई उस कुए से पानी निकालकर पी रहा है तो वह भी उस तरफ चला आया और जब उसने उस कुए का नाम सुना तो उसे याद आया कि जिस किताब को पढ़कर वह बनारस आया है उसमे इस कुए का जिक्र किया हुआ है। नकुल ने भी ख़ुशी ख़ुशी पानी पीया और उसे पृथ्वी की याद आयी उसने देखा पृथ्वी आस पास नहीं है तो वह जल्दी जल्दी सामने वाले रास्ते की तरफ बढ़ गया। जल्दी जल्दी में नकुल सामने खड़ी अवनि से टकरा गया और अवनि के हाथ में जो टोकरी थी वो नीचे जा गिरी , फूल और प्रशाद नीचे जा गिरा।

नकुल ने देखा तो जल्दी जल्दी सब उठाया और अवनि की तरफ बढाकर कहा,”आई ऍम सो सॉरी ! वो मैंने देखा नहीं”
“कोई बात नहीं , आप ठीक है ना ?”,अवनि ने सहज भाव से कहा
अवनि की सहजता और सरलता देखकर नकुल काफी हैरान हुआ और कहा,”हाँ , मैं ठीक हूँ,,,,,,सॉरी”
“कोई बात नहीं आप जाईये,,,,,और जरा सम्हलकर वहा आगे सीढ़ियों पर पानी फैला है”,अवनि ने कहा तो नकुल मुस्कुरा कर वहा से चला गया


नकुल के जाते ही सुरभि आयी और कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ? उन्होंने कहा है 10 मिनिट बाद वो पूजा करवा देंगे , लाओ ये फूल और प्रशाद मुझे दो इस से काम हो जाएगा”
“अह्ह्ह्ह सुरभि ये नहीं,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“क्यों इसे क्या हुआ ?”,सुरभि ने पूछा
 “अभी थोड़ी देर पहले एक लड़का जल्दी में था और टकराने से ये सब नीचे गिर गया , तुम रुको मैं दुसरा ले आती हूँ”,अवनि ने कहा


“अंधा था क्या ? तुमने एक चांटा नहीं मारा उसको,,,,,,,,ये आजकल के लड़के भी ना बस टकराने के बहाने ढूंढते है। तुम्हे उसे ऐसे नहीं जाने देना चाहिए था अवनि”,सुरभि ने गुस्सा होकर कहा
“छोड़ ना यार बेचारा परेशान था , हम लोग चलकर दुसरा ले लेते है”,अवनि ने कहा और सुरभि को लेकर आगे बढ़ गयी
“तुम्हारी ये अच्छा बनने की आदत ना किसी दिन तुम्हे बड़ी मुसीबत में डाल देगी अवनि”,सुरभि ने कहा जिसे कभी कभी अवनि के अच्छेपन से डर लगता था

अवनि से टकराने के बाद नकुल एक बार फिर मंदिर के सामने आया तो देखा पृथ्वी अभी भी मंदिर के बाहर ही खड़ा है ये देखकर नकुल ने उसके पास आकर कहा,”भाई क्या लड़की थी यार ! पहली बार देखा कोई लड़की इतनी सिम्पल और मासूम भी हो सकती है”
“तू किसकी बात कर रहा है ?”,पृथ्वी ने पूछा


“अरे वो लड़की जिस से मैं अभी टकराया था,,,मैंने उसका प्रशाद गिरा दिया और उसने गुस्सा करने के बजाय उलटा मुझसे ही ध्यान से जाने को कहा , शी इज सच अ स्वीटहार्ट यार”,नकुल ने अवनि को याद करके कहा
“तुम यहाँ लड़किया देख रहे हो बताऊ रिया को ?”,पृथ्वी ने कहा
“छी छी कैसी बाते कर रहे हो मैं बस बता रहा हु कि वो सच में हम्बल लड़की थी। बाय द वे तुम अंदर क्यों नहीं आये ? पता है अंदर एक मेजिकल कूप है उसका पानी पीने से सब बीमारिया दूर हो जाती है”


“कूप ?”,पृथ्वी ने पूछा
“अरे मतलब पानी का कुआ , तू यहाँ क्यों खड़ा अंदर जा ना और ये जल लेकर जा , एंड हाँ वो कूप राइट साइड है मंदिर क्रॉस करके”,नकुल ने पृथ्वी को अंदर धकिया कर कहा और बेचारा पृथ्वी मन ना होते हुए भी अंदर चला गया।

पृथ्वी को अंदर भेजकर नकुल जैसे ही पलटा अवनि और सुरभि उसके सामने आ गयी। अवनि को अपने सामने देखकर नकुल ने खुश होकर कहा,”अरे आप ? मैं अभी अपने दोस्त को आपके ही बारे में बता रहा था”
अवनि कुछ कहती इस से पहले सुरभि ने कहा,”किसलिए ? आपके दोस्त से इनका रिश्ता करवाने वाले है आप ?”
“अरे नहीं नहीं कैसी बातें कर रही है मैं तो बस,,,,,,,,,!!!”,नकुल ने कहा


“क्या नहीं नहीं ? भगवान् ने इतनी बड़ी बड़ी आँखे दी है देखकर नहीं चल सकते , हम लोग पूजा के लिए जा रहे थे और तुमने मेरी दोस्त का सारा सामान गिरा दिया , बद्तमीज कही के और ऊपर से यहाँ खड़े होकर अपने दोस्त को इसके बारे में बता रहे हो,,,,,,,,,,वो भी तुम्हारे जैसा ही होगा अंधा”,सुरभि ने नकुल की तरफ बढ़कर गुस्से से कहा
“सुरभि क्या कर रही हो ?”,अवनि ने उसे रोका
“आपकी दोस्त तो बहुत ही बद्तमीज है”,नकुल ने सुरभि को घूरकर कहा


“अच्छा और तुमने जो किया वो क्या था ?”,सुरभि ने फिर कहा
“अरे वो मैं जल्दी में था इसलिए टकरा गया और मैंने इनको सॉरी भी बोला”,नकुल ने रोआँसा होकर कहा
“वाह वाह वाह सॉरी बोलकर बहुत बड़ा अहसान कर दिया ना तुमने,,,,,,,,,और जो प्रशाद गिराया उसके पैसे कौन भरेगा ?”,सुरभि ने अपने दोनों हाथो को कमर पर रखा और अपनी आँखों को छोटा करके नकुल को घूरते हुए कहा


“मैं दूसरा खरीद देता हूँ”,नकुल ने कहा और दुकानवाले से प्रशाद की एक नयी टोकरी देने को कहा। अवनि को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था उसने मायूसी से नकुल को देखा तो नकुल ने आँखे बंद कर हामी में अपनी गर्दन हिलायी और अवनि को आश्वासन दिया।
“अवनि मैंने तुम्हे वो जल लेने को कहा था तुमने लिया ?”,सुरभि ने प्रशाद की नयी टोकरी हाथो में उठाकर कहा
“हाँ लेकिन वो मैं वही भूल गयी कूप के पास”,अवनि ने कहा


“ठीक है तुम ये लेकर अंदर चलो पंडित जी इन्तजार कर रहे हो होंगे मैं जल लेकर उस तरफ से आती हूँ”,कहकर सुरभि ने टोकरी अवनि को थमाई और वहा से चली गयी। सुरभि के जाने के बाद अवनि नकुल की तरफ पलटी और कहा,”माफ़ करना वो थोड़ी शार्ट टेम्पर्ड है,,,,,,,,,!!”
“अरे इट्स ओके ! आप जाईये”,नकुल ने मुस्कुरा कर कहा तो अवनि भी मुस्कुरा कर आगे बढ़ गयी।


नकुल वही खड़े होकर पृथ्वी का इन्तजार करने लगा। सुरभि कूप वाले रास्ते से अंदर गयी और जल्दी जल्दी में सामने से आते पृथ्वी से टकरा गयी। सुरभि जैसे ही गिरने को हुई पृथ्वी ने अपनी मजबूत बांह में उसे थाम लिया। उसके बाल बिखरकर ललाट पर आ गए और सुरभि एकटक उसे देखने लगी।

( क्या पृथ्वी और अवनि इसी मंदिर में एक दूसरे से टकराएंगे या रह जाएगी इनकी मुलाकात अधूरी ? सिद्धार्थ और नकुल की तरह क्या अब पृथ्वी भी बनने वाला है सुरभि के गुस्से का शिकार ? क्या सुरभि ही है वो लड़की जिस से पृथ्वी को होगा प्यार ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” )

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संजना किरोड़ीवाल  

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