Manmarjiyan Season 3 – 85

Manmarjiyan Season 3 – 85

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू के पास फिर एक नया प्लान था और वह लुंगी पकडे दाँत फाड़कर गुड्डू को देख रहा था। गुड्डू ने गोलू को देखा और कहा,”अब जे दाँत दिखाना बंद करो और बताओ का पिलान है ?”
गोलू गुड्डू के पास आया और बहुत ही सस्पेंस के साथ कहने लगा,”गुड्डू भैया ! इह तो हम लोग जान ही चुके है कि बृजेश यादव मिश्रा जी का खास दोस्त है और  लवली उसका लड़का है और इसी के साथ हमे ये भी पता चल गया है कि लवली जो है वो चकिया चंदौली से है तो,,,,,,,,,,,,,,!!”


“तो ?”,गुड्डू ने पूछा और इस बात पर गोलू ने बुरा सा मुंह बनाया क्योकि गुड्डू ने उस बेचारे के सस्पेंस का फ्लो जो तोड़ दिया था।
“तो हम जे कह रहे है कि लवली इह बख्त आपकी जगह लेकर मिश्रा जी के घर मा है तो क्यों ना हम चकिया चंदौली चले और वहा चलकर आप लवली की जगह ले ले,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा


“हमको तो लगता है उह्ह थूक वाला पोहा तुम्हाये दिमाग की नसों मा चढ़ गवा है , अरे हम चकिया काहे जायेंगे ? तुमहू साले हमे लबली के साथ घर घर खेलने को कह रहे हो,,,,,,,,,,सीधा चलते है पिताजी के पास और उन्हें सब सच बता देते है ओह्ह के बाद पिताजी खुद देख लेंगे लवली को”,गुड्डू ने भड़क कर कहा  


“गुड्डू भैया बात को समझो , जिंदगी भर का पिताजी के भरोसे ही बैठे रहोगे अरे कबो कुछ खुद के दम पर भी करो यार,,,,,,,,,और मिश्रा जी के सामने जाकर का कहेंगे ओह्ह के उह्ह्ह लवली ना चार नाही सोलह कदम आगे है हमाये से , आप हुआ जाकर मिश्रा जी को सच बताएँगे और उह्ह कोई न कोई तिकड़म लगाकर हमे ही जूते पड़वा देगा डेमो देख चुके है हम पहिले भी,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“तो अब हम का करे ?”,गुड्डू ने हताश होकर कहा


“हम तो कहते है सीधा चलते है चकिया चंदौली लवली के घर वहा से उसके खिलाफ कुछ न कुछ सबूत तो मिल ही जाएगा,,,,,,,और जे बृजेशवा का का मेटर उह्ह भी पता चल जाएगा”,गोलू ने एक बार फिर गुड्डू के साथ नया गड्ढा खोदते हुए कहा
गुड्डू उलझन में पड़ गया करे तो क्या करे ? गुड्डू को उलझन में देखकर गोलू ने कहा,”जियादा सोचिये मत गुड्डू भैया ! जब जब आप जियादा सोचते है गड़बड़ होती है,,,,,,,महादेव का नाम लेकर चकिया चंदौली निकल पड़ते है”


“उह्ह सब तो ठीक है गोलू पर पैसा कहा है ? इह बख्त हमायी जेब मा 10 रूपये नाही है चकिया पहुंचेंगे कैसे ?”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“गुड्डू भैया इह दिमाग मा अगर आइडिआ आया है न तो जे दिमाग पैसे का जुगाड़ भी कर ही देगा”,गोलू ने सोचते हुए कहा और साइकिल पर बैठकर गुड्डू से पीछे बैठने का इशारा किया और वहा से निकल गया।

गुप्ता जी का घर ,कानपूर
गोलू को सब जगह ढूंढने के बाद गुप्ता जी खाली हाथ अकेले घर पहुंचे ये देखकर मंगल फूफा उनकी तरफ आये लेकिन बीच में ही लड़खड़ा गए और गुप्ता जी की बांहो में आ गिरे। गुप्ता जी गोलू को लेकर एक तो पहले ही परेशान थे मंगल फूफा को देखकर और चिढ गए और उन्हें साइड में फेंककर कहा,”का इमरान हाशमी की फिल्मे देखकर पैदा हुए हो जब देखो तब किसी न किसी की बांहो में झूलते रहते हो,,,,,,,,,,,ए गुप्ताइन जे तुम्हरे फूफा अभी तक हिया का कर रहे है , बिदाई करो इनकी वरना दुनिया से विदा कर देंगे इनको हम,,,,,,,,,!!”


कहते हुए गुप्ता जी अंदर चले , मंगल फूफा पोधो के बीच गिरे हक्के बक्के से गुप्ता जी को देख रहे थे तभी फुलवारी किसी काम से वहा आयी उसे देखते ही फूफा जल्दी से खड़े हुए और एक गुलाब का फूल डंडी समेत तोड़कर फुलवारी के सामने आकर उसकी तरफ बढाया और शरमाकर साइड में देखते हुए कहा,”जे फूल तुम्हाये लिए,,,,,!!


“फूल कहा है ?”,फुलवारी की जगह यादव जी की जी आवाज फूफा के कानों में पड़ी तो उन्होंने सामने देखा फुलवारी के साथ यादव जी भी खड़े थे और फूफा को घूर रहे थे तो फूफा बड़बड़ाये,”ओह्ह्ह तो फूल के साथ गमला भी आया है”
फूफा ने सामने देखा और बिना फूल वाली डंडी यादव जी के हाथ में थमाकर कहा,”जे का गमला मा लगाओगे तो फुल भी आ ही जायेंगे,,,,,,,,,बस अपनी भैंसिया के दूध की जगह रोज पानी देना है,,,,,,,,,,!!”


इतना कहकर फूफा वहा से चले गए और फुलवारी खीं खीं करके हसने लगी ये देखकर यादव जी ने चिढ़कर कहा,”तुम का ओह्ह की बात पर दांत दिखा रही हो तुम्हरे मामा का लड़का लगता है उह्ह , घर चलो हमहू गुप्ता जी से बात करके आते है”
फुलवारी ने मुंह बनाया और वहा से चली गयी। मंगल भी अपने दोनों आदमियों के पास चला आया और कहा,”ए कानपूर का चप्पा चप्पा छान मारो और पता करो गोलू कहा है ? और बिना गोलू के घर आये ना तुम्हरी बत्ती बना देंगे समझे”


“ठीक है बॉस,,,,,,,!!”,दोनों आदमियों ने कहा और वहा से चले गए उन्हें जाते देखकर मंगल फूफा खुद में ही बड़बड़ाये,”जे गोलू आखिर गया कहा ? कही अपनी बकैती के चक्कर मा किसी मुसीबत मा तो नाही फंस गवा ? पता लगाना पडेगा इसी चक्कर मा यहाँ कुछ दिन और रुकने को मिल जाएगा,,,,,,,,!!”

मिश्रा जी का घर , कानपूर
लवली से मार खाकर भुआ अपने गाल से हाथ लगाए नीचे आयी मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”का हुआ ? मुँह से हाथ काहे लगायी है आप , दांत मा दर्द है का ?”
भुआ कुछ बोलने की हालत में नहीं थी तो हामी में गर्दन हिलायी और अपने कमरे की तरफ चली गयी। मिश्रा जी चुपचाप उन्हें जाते देखते रहे और फिर उठकर आँगन में चहलकदमी करने लगे। अम्मा को गुजरे आज 5 दिन हो चुके थे और 5 दिन में ही इस घर में कितना कुछ हो चुका था।

मिश्रा जी ये जान चुके थे कि गुड्डू घर में नहीं हैं और उसकी जगह जो घर में है वो गुड्डू नहीं है , उन्हें गुड्डू की चिंता थी लेकिन साथ ही इस बात की तसल्ली भी थी कि गुड्डू और गोलू साथ ही होंगे और जहा भी होंगे सही सलामत ही होंगे , उन्हें ढूंढने से पहले उन्हें गुड्डू के रूप में घर आयी मुसीबत को सबक सीखाना था और ये पता करना था आखिर इस घर में आने का इसका मकसद क्या है ? मिश्रा जी गुड्डू के कमरे में जाने के लिए जैसे ही सीढ़ियों की तरफ जाने लगे सीढ़ियों से नीचे उतरकर लवली उन्हें नजरअंदाज कर जैसे ही जाने लगा मिश्रा जी ने कहा,”कहा जा रहे हो ?”


मिश्रा जी के टोकने पर लवली का मुंह बन गया और उसने पलटकर कहा,”जे हम आपको बताना जरुरी नाही समझते,,,,,,,,,!!”
मिश्रा जी ने कुछ नहीं कहा वे बस ख़ामोशी से लवली की आँखों में देखते रहे। मिश्रा जी का यू आँखों में देखना लवली को बैचैन कर गया और उसने कहा,”कुछ कहेंगे आप या हम जाए ?”


“हाँ , हाँ , अगर बाहिर जा ही रहे हो तो जे एक ठो लिफाफा है शोरूम पर अपने जो मैनेजर है गिरधर जी उन्हें दे देना और कहना हम से बात कर ले”,मिश्रा जी ने कुर्ते की जेब से लिफाफा निकालकर लवली की तरफ बढ़ा दिया
लवली ने लिफाफा लिया और बाइक स्टार्ट कर वहा से चला गया , अब जब वह गुड्डू की जगह ले ही चुका है तो क्यों ना उसकी तरह जिया भी जाए सोचकर लवली तेज स्पीड में बाइक लेकर वहा से निकला उसे जाते देखकर मिश्रा जी मुस्कुराये और कहा,”जाओ बेटा जाओ उह्ह लिफाफा तुम्हरी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक साबित नाही हुआ ना तो हमरा भी नाम आनंद मिश्रा नाही,,,,,,,,,,,!!”


अब कुछ भी कहो आखिर मिश्रा जी है तो गुड्डू के बाप ही,,,,,,,,लवली ने अपनी चाल चली तो उन्होंने भी अपनी चाल चल दी और मुस्कुराते हुए अंदर चले गए  

भुआ अपने कमरे में आयी , फूफा ने भुआ को देखा तो मुस्कुरा उठे और कहा,”मिल गयी परसादी,,,,,,,हमहू कहे थे गुडडुआ के पास ना जाओ लेकिन तुमहू हमायी बात नाही सुनी , अब आयी ना मुंह मा पान दबा के,,,,,,,,!!”
“अरे कौन जन्म का बदला लिए रहय तुमहू हम से , एक बार कह देते कि उह्ह गुड्डू पगला गवा है तो हमहू ओह्ह के पास नाही जाते,,,,,,,,हाय का मारा है उह्ह्ह हमका,,,,,,!!”,भुआ ने फूफा के बगल में बैठते हुए कहा


“अरे हम कहे थे पर तुमहू सुनी नाही,,,,,,,,,,ए राजकुमारी ! तुमको नाही लगता जे अपना गुड्डू नाही है , का है कि जोन गुड्डू को हम जानते है उह्ह गुस्से मा आकर हमको गरिया सकता है लेकिन कबो हाथ नाही उठाएगा”,फूफा ने कहा
फूफा की बात सुनकर भुआ को याद आया और उन्होंने फूफा को देखकर हैरानी से कहा,”अरे भगवान् हमहू तो आपको जे बताना ही भूल गए , आप लोगन जब बनारस गए रहय ना तब गुड्डू का हमशक्ल इह घर मा आये रहा , हमको तो लगता है इह वही है,,,,,,,,,!!”


भुआ की बात सुनकर के कान खड़े हो गए और उन्होंने भुआ को देखकर कहा,”गुड्डू का हमशक्ल ? तुमने जे बात किसी को बताई तो नहीं ?”
“गोलू गुड्डू को पता है”,भुआ ने कहा
“और उह्ह दोनों घर से गायब है,,,,,,,इह का मतलब बृजेशवा ने जो कहा उह्ह कर दिखाया”,फूफा ने सोचते हुए कहा


“जे सब मा बृजेश कहा से आ गवा ?”,भुआ ने हैरानी से कहा
“अरे धीरे बोलो तुम्हरे भैया ने सुन लिया ना तुमको और हमको उठा के घर से बाहिर फेंक देंगे , जानती नाही आखरी बार का हुआ था ?”,फूफा ने भुआ का मुंह बंद करते हुए कहा
भुआ को बीते दिनों की याद आ गयी तो उन्होंने हामी में सर हिला दिया। सिर्फ गुप्ता जी , शर्मा जी ही नहीं बल्कि भुआ और फूफा को भी बृजेश यादव के बारे में कुछो ऐसा पता था जिसे मिश्रा जी ने अब तक सब से छुपाया हुआ था।  

गोलू गुड्डू को लेकर पैसो का जुगाड़ करने अपनी दूकान पर आ पहुंचा। हालाँकि दादी के गुजर जाने पर तिये तक दुकान बंद रही लेकिन उसके बाद गोलू के कहने पर लड़को ने दूकान खोलना शुरू कर दिया क्योकि गोलू के लिए आर्डर भी तो पुरे करने थे। गोलू गुड्डू के साथ अंदर आया तो देखा लड़का सोफे पर बैठा मस्त फोन चला रहा है तो गोलू उसके पास आया और कहा,”तुमको तनख्वाह हमहू का फ़ोन चलाने की देते है ?”
गोलू की आवाज सुनकर लड़के ने सर उठाकर उसे देखा और फोन जेब में डालकर जल्दी से उठकर कहा,”अरे गोलू भैया आप हिया ?”


“नहीं हिया तो हमाओ भूत खड़ो है गोलू तो अमेरिका मा है”,गोलू ने कहा
“का गोलू भैया का मजाक कर रहे है ?”,लड़के ने झेंपते हुए कहा तो गोलू ने लड़के के सर पर एक चपत लगायी और कहा,”तुमहू का हमायी साली लगे हो जो मजाक करेंगे,,,,,,,शुक्ला वाला बुकिंग किये कि नाही ?”
“हाँ कर दिए ना सामान भी भिजवा दिए है , शुक्ला जी एडवांस देकर गए थे हमने काउंटर में रखा है,,,,,,,,,,,गुड्डू भैया चाय मंगवा दे आपके लिए ?”,लड़के ने गोलू को जानकारी दी और गुड्डू की तरफ पलटकर पूछा


गोलू ने लड़के की गुद्दी पकड़ कर उसे अपनी तरफ किया और कहा,”का बे ? जीजा लगे है इह तुम्हाये , साले हमको एक ठो गिलास पानी तक नाही पूछे और गुड्डू भैया से सीधा चाय,,,,,,,,भूलो मत बेटा हमहू भी जे दुकान मा मालिक ही है , भाग के जाओ और दुई चाय और समोसा लेकर आओ फटाफट,,,,,,,,,,!!”
लड़का दुकान से बाहर चला गया। गुड्डू गोलू के पास आया तो गोलू ने कहा,”ल्यो गुड्डू भैया पैसो का इंतजाम तो हुई गवा , अब जल्दी से कपडे बदल ल्यो हाथ मुंह धो ल्यो फिर चाय समोसा खाकर निकलते है,,,,,,,,,,!!”


“गोलू चकिया जाना जरुरी है का ? हमाओ मतलब बृजेश यादव और ओह्ह्ह की पत्नी तो इह दुनिया मा रहे नाही और ओह्ह्ह का बेटा लवली हिया कानपूर मा है तो हम चकिया जाकर का करेंगे ? हम तो सोच रहे है पिताजी को,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने इतना ही कहा कि गोलू भड़क गया और उछलते हुए कहा,”पिताजी को का ? अरे आप अपने पिताजी को जानते नहीं है का गुड्डू भैया ? अरे उह्ह आदमी पूछता बाद में है मारता पहिले है , और आप चाहते है कि हमहू शेर के मुँह मा अपनी गर्दन डालकर ओह्ह से जे पूछे कि शिकार किसने किया ?

ज़िंदा निगल जायेंगे उह्ह हमको,,,,,,,,,,,,गुड्डू भैया जरा ठन्डे दिमाग से सोचो अब तक कांड हमने और आपने किये है पर इह बार कांड करने वाला कोई और है और भुगत हम रहे है , अब असल में जे काण्ड किया किसने है और जे के पीछे असली वजह कौन है जे जानने के लिए हमे लवली और बृजेश का बैकग्राउंड जानना ही होगा और ओह्ह के लिए चकिया जाना ही होगा”


गुड्डू के पास गोलू की बात मानने के अलावा अब और कोई चारा नहीं था इसलिए बेचारा चुपचाप कपडे बदलने चला गया। गोलू ने भी वहा पड़े अपने पुराने कपडे उठाये और उन्ही में से पेंट शर्ट पहनकर काउंटर की तरफ चला आया और उसमे रखा एडवांस निकालकर जेब में रख लिया और सोफे पर आ बैठा। लड़का तब तक तीन चाय और 5-6 समोसे ले आया। गोलू ने चाय ली और साथ में समोसा भी ले लिया तब तक गुड्डू भी चला आया। चाय समोसा देखकर गुड्डू को भी भूख लगी और खा पीकर वह गोलू के साथ बस स्टेण्ड के लिए निकल गया।   

लवली मिश्रा जी को बिना बताये घर से निकल गया उसे गुड्डू की चिंता नहीं थी क्योकि वह लल्लन की कैद में था और गोलू गुड्डू को यहाँ वहा ढूंढ रहा होगा। लवली को डर था कही उसे ढूंढते ढूंढते लल्लन अपने आदमियों के साथ चकिया उसके घर ना पहुँच जाए और वहा रहने वाली लवली की सबसे बिंदिया कही उनकी नजरो में ना आ जाये।

लवली बस स्टेण्ड जाने के लिए निकला लेकिन मिश्रा जी का दिया लिफाफा उसे याद आया और उसने शोरूम के सामने बाइक रोककर जेब से लिफाफा निकाला और उसे देखकर कहा,”उह्ह मिश्रा ने जे लिफाफा शोरूम में मैनेजर को देने को काहे कहा ? ऐसा तो का ही हो सकता है इह मा ? खोलकर देखते है”
लवली ने लिफाफा खोला और देखा उसमे 500-500 के नोटों की एक नयी और ताजा गड्डी रखी थी।

लवली ने उसे निकाला और हिलाकर कहा,”शोरूम मा जे पैसे देने की का जरूरत पड़ गयी हुआ तो पहिले से इतना पैसा है,,,,,,,,,,जे हम रख लेते है जरूर मिश्रा की इह मा कोई चाल है,,,,,,!!”
लवली ने वो पैसे अपनी जींस की जेब में रख लिए और बस स्टेण्ड जाने के लिए निकल गया। कुछ दूर चलते ही बाइक बंद हो गयी , लवली ने देखा बाइक के टायर में हवा कम है तो उसने आस पास नजर दौड़ाई कुछ ही दूर एक पंचर वाला दिखा

लवली बाइक लेकर उसके पास आया और टायर में हवा भरने को कहा इत्तेफाक से मंगल के आदमी गोलू को ढूंढते हुए उसी दुकान के सामने से गुजरे तो उनमे से एक की नजर लवली पर पड़ी।
“अरे सुनो ! वो गोलू का दोस्त गुड्डू है न , उसको पूछते है गोलू कहा है ?”,एक आदमी ने कहा
“अरे उसको कैसे पता होगा ? उस के घर तो गुप्ता जी सुबह गए थे ना उसे नाही पता होगा चलो”,दूसरे आदमी ने कहा


“अरे यार ! तुमने देखा नहीं कल गोलू कैसे गुड्डू भैया गुड्डू भैया कर रहा था और इसे बचाने के लिए हम से भीड़ गया था। गोलू और गुड्डू दोनों पक्के दोस्त है हमको तो लगता है गोलू कहा है इसे पता होगा ?”,पहले आदमी ने कहा
“और इसने कहा इसे नहीं पता तो ?”,दूसरे आदमी ने कहा
“तो हम इसे उठाकर बॉस के पास ले चलेंगे फिर वो खुद उगलवायेंगे कि गोलू कहा है ?”,पहले आदमी ने कहा
“ये ठीक है एक काम करते है इस से कुछ पूछते नहीं है सीधा लेकर ही चलते है”,दूसरे आदमी ने कहा


“ठीक है लेकिन लेकर जायेंगे कैसे ?”,पहले आदमी ने पूछा
“अरे वो देखो उसकी फटफटिया उसी से लेकर जायेंगे , तुम मुझे बेहोशी वाली दवा दो”,कहते हुए दूसरे आदमी ने अपना रुमाल निकाला और पहले वाले ने उसमे बेहोशी की दवा डाली और दोनों लवली की तरफ चले आये।

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संजना किरोड़ीवाल  

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