Pasandida Aurat – 20

Pasandida Aurat – 20

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सिद्धार्थ का ऑफिस , सिरोही
सिद्धार्थ ने जैसे ही सुना कि उसकी जगह प्रमोशन उसकी जूनियर दीपाली को मिला है तो उसका दिल टूट गया और आँखों में नमी तैर गयी। इस प्रमोशन के लिए उसने बहुत मेहनत की थी लेकिन अपनी मेहनत का फल किसी और को मिलता देखकर सिद्धार्थ ये बात बर्दास्त नहीं कर पाया। ऑफिस में सभी दीपाली को मुबारकबाद दे रहे थे लेकिन सिद्धार्थ ने उसे कोई मुबारकबाद नहीं दी और सीधा बॉस के केबिन में चला आया।

सिद्धार्थ को सामने देखकर बॉस ने मुस्कुराकर कहा,”सिद्धार्थ ! मैं तुम्हारे पास ही आने वाला था , कम्पनी ने इस साल तुम्हारी सैलरी 10 प्रतिशत बढ़ा दी है , कोन्ग्रेचुलेशन,,,,,,,,!!”
“आपने मेरा प्रमोशन दीपाली को क्यों दे दिया सर ? शी इज माय जूनियर और आप भी जानते है इस प्रमोशन के लिए मैं कम्पनी में दिन रात मेहनत की है इसके बाद भी आपने उसे ब्रांच मैनेजर की पोस्ट दे दी , आप ऐसा कैसे कर सकते है ?”,सिद्धार्थ ने गुस्से लेकिन धीमे स्वर में कहा


सिद्धार्थ की बात सुनकर बॉस उसकी तरफ आये और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”सिद्धार्थ ! एक प्रमोशन के लिए तुम इतना परेशान क्यों हो रहे हो ? अगले महीने कम्पनी के शेयर होल्डर्स से बात करके मैं तुम्हे नयी पोस्ट दे दूंगा,,,,,और रही प्रमोशन की बात तो अगले महीने मैं उसके लिए भी कोशिश करूंगा”
बॉस की चिकनी चुपड़ी बात सुनकर सिद्धार्थ ने अपने कंधे से उनका हाथ हटाया और कहा,”वैसे ही जैसे आपने आज की , जो पोस्ट और प्रमोशन मैं डिजर्व करता था वो आपने दीपाली को दे दिया , इस ऑफिस की एक मामूली सी ऑपरेटर को क्योकि वो आपका पर्सनल मामला है इसलिए,,,,,,,,!!”


बॉस ने सुना तो उनकी आँखों में गुस्से के भाव झिलमिलाने लगे और उन्होंने कहा,”सिद्धार्थ ! तुम हद से ज्यादा आगे बढ़ रहे हो”
“हद पार तो आपने की है सर,,,,,,,,आप भी जानते है कि दीपाली इस प्रमोशन की हकदार नहीं थी लेकिन फिर भी आपने उसे ये पोस्ट दी क्योकि वो आपकी,,,,,,,,,,ऑफिस की नयी इंटर्न्स के साथ आपके जो रिश्ते है उनसे ना मैं अनजान हूँ ना ही इस ऑफिस के लोग , लेकिन अपनी पर्सनल लाइफ के चलते आप दुसरो की प्रोफेशनल लाइफ बर्बाद नहीं कर सकते,,,,,,,सब जानते है इस प्रमोशन का असली हकदार कौन है ? पर मुझे आपसे ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी सर”,सिद्धार्थ ने नफरत भरे स्वर में कहा


कम्पनी का मामूली से मैनेजर को अपने लिए ऐसी बाते करते देखकर बॉस का खून खौल उठा और उसने कहा,”ओह्ह्ह तो तुम्हे लगता है , इस कम्पनी में तुम से बेहतर एम्प्लॉय नहीं है। अरे किया क्या है तुमने इस कम्पनी के लिए ? जो 14-14 घंटे की जो नौकरी तुम कर रहे हो उसके लिए कम्पनी तुम्हे एक मोटा पैकेज आलरेडी दे रही है तो तुम इस कम्पनी और मुझ पर कोई अहसान नहीं कर रहे हो। किसी भी एम्प्लॉय का प्रमोशन मेरे अकेले के हाथ में नहीं है सबकी रजामंदी और मीटिंग्स के बाद ही ये फैसला होता है कि किसे प्रमोशन देने की जरूरत है।

प्रमोशन सिर्फ हार्ड वर्क देखकर नहीं दिया जाता सिद्धार्थ उसमे सब मेटर करता है , तुम्हारा बिहेवियर , तुम्हारे एफ्फोर्ट्स , वर्क परफॉर्मेंस एंड एवरीथिंग,,,,,,,,,और ये जो तुम ऑफिस की इंटर्न्स के साथ मेरा नाम जोड़ रहे हो बहुत ही घटिया सोच है तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,आई ऍम मैरिड , मेरे पास एक बहुत प्यार करने वाली वाइफ और दो प्यारे बच्चे है समझे तुम,,,,,,,,अब मैं तुम्हे कहता हूँ जाओ और एक महीने के अंदर अपने लिए दूसरी नौकरी ढूंढ लो क्योकि इस कम्पनी में ये आखरी महीना है,,,,,,,,,नाउ गेट आउट”


सिद्धार्थ ने सुना तो अवाक सा बॉस को देखने लगा , इस कम्पनी के लिए उसने कितनी मेहनत की कितनी लगन से काम किया और आज उसे ये सुनने को मिल रहा था। सिद्धार्थ ने बॉस को देखा और अकड़कर कहा,”मुझे ऐसी घटिया नौकरी की जरूरत भी नहीं है जहा मेरी मेहनत की कोई वैल्यू ना हो ,, आप क्या मुझे इस कम्पनी से निकालेंगे मैं खुद आपकी इस कम्पनी को लात मारता हूँ और एक महीना तो बहुत है सर मैं आज और अभी से ये नौकरी छोड़ रहा हूँ,,,,,,,गुड बाय”


बॉस के गुस्से का जवाब सिद्धार्थ ने भी गुस्से में ही दिया और नौकरी छोड़ दी। बॉस को लगा सिद्धार्थ उसके सामने नौकरी से ना निकालने के लिए रोयेगा गिड़गिड़ायेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटा सिद्धार्थ ने अपने आत्मसम्मान के लिए  खुद ही नौकरी छोड़ दी और केबिन से बाहर निकल गया। अपने डेस्क पर आकर उसने अपना जरुरी सामान समेटा और गत्ते के एक बॉक्स में डालने लगा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जबकि अंदर ही अंदर वह गुस्से की आग में जल रहा था।

सिद्धार्थ के टीम मेंबर उसे सामान समेटते देख रहे थे लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उस से कुछ पूछे। सिद्धार्थ ने सब सामान पैक किया , ऑफिस का लेपटॉप , सिम कार्ड , फ़ोन और आई डी जमा करवाया और अपना बैग और सामान से भरा बॉक्स लेकर वहा से बाहर निकल गया। सिद्धार्थ अपनी गाडी के पास आया और सामान पिछली सीट पर रखकर ड्राइवर सीट पर आ बैठा और घर के लिए निकल गया।
गाडी स्टार्ट कर सिद्धार्थ जैसे ही आगे बढ़ा उसकी बाँयी आँख से आँसू की एक बूंद निकलकर गाल पर बह गयी। ये दुःख के आँसू थे , दुःख इतना काबिल होने के बाद भी असफल होने का,,,,,,,,,,,,,,,!!”

गर्ल्स हॉस्टल , सिरोही
ड्यूटी खत्म होने के बाद अवनि पैदल ही बैंक से हॉस्टल के लिए निकल गयी उसने रास्ते में कुछ फल और सामान खरीदा और जैसे ही हॉस्टल आयी रिसेप्शन पर बैठी वार्डन ने कहा,मिस अवनि मालिक तुम से मिलने कोई आया है
अवनि ने सुना तो उसकी उदास आँखे चमक उठी और चेहरा खिल उठा। आज पुरे एक महीने बाद वार्डन ने उसे इतना खुश देखा था इसलिए वे मुस्कुराई और कहा,”वेटिंग एरिया में है जाओ मिल लो”


अवनि जल्दी जल्दी वेटिंग एरिया की तरफ बढ़ गयी इस उम्मीद में कि विश्वास जी उस से मिलने आये होंगे। ख़ुशी से भरी अवनि वेटिंग एरिया में आयी तो वहा खड़ी सुरभि ने पलटकर कहा,”सप्राइज,,,,,,,,,,,!!”
सुरभि को देखकर अवनि फिर उदास हो गयी , उसे लगा उसके पापा आये है लेकिन वो नहीं आये थे। अवनि को हैरानी परेशान देखकर सुरभि उसके पास आयी और कहा,”क्या हुआ ? मुझे लगा पुरे दो महीने बाद मुझे यहाँ देखकर तुम खुश हो जाओगी लेकिन तुम तो परेशान हो गयी,,,,,,,,,,तुम खुश नहीं हो क्या अवनि ?”


सुरभि की बात सुनकर अवनि की तंद्रा टूटी और उसने उदासी भरे स्वर में कहा,”मुझे लगा पापा मुझसे मिलने आये है,,,,,,,,,,!!”
“मतलब तुम्हे मेरे आने की ख़ुशी नहीं है ठीक है फिर मैं चलती हूँ”,कहकर सुरभि जैसे ही जाने लगी अवनि ने उसके पीछे आकर उसे रोका और गले लगाकर कहा,”पागल हो क्या ? तुम्हारे अलावा मेरा है ही कौन बस अचानक तुम्हे यहाँ देखकर मैं अपनी ख़ुशी जाहिर नहीं कर पायी,,,,,,,,,थैंक्यू सुरभि यहाँ आने के लिए , मैं बहुत खुश हु”  


सुरभि ने सुना तो मुस्कुरा उठी और अवनि से दूर होकर कहा,”खुश हो तो फिर मुस्कुरा कर दिखाओ”
अवनि ने अपने चेहरे पर बड़ी सी स्माइल लाकर कहा,”अब ठीक है ?”
“हम्म्म्म अब अच्छी लग रही हो , अब जल्दी से चलो मुझे तुम से बहुत सारी बाते करनी है”,सुरभि ने एक हाथ से अवनि का हाथ थामे और दूसरे हाथ में अपना सूटकेस और बैग लेकर आगे बढ़ते हुए कहा। अवनि ने देखा तो उसके हाथ से बैग खुद ले लिया और कहा,”वो सब तो ठीक है लेकिन तुम अचानक यहाँ और तुमने आने से पहले मुझे बताया भी नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”


“अरे बताती तो तुम प्लान केंसल नहीं कर देती”,सुरभि ने कहा
“कैसा प्लान ?”,अवनि ने साथ चलते हुए कहा
“अपने कमरे में चलो सब बताती हूँ”,कहकर सुरभि वार्डन के पास आयी और 2 दिन अवनि के साथ रहने की परमिशन मांगी। वार्डन को भला इस से क्या दिक्कत होती उसने हामी भर दी तो अवनि और सुरभि ऊपर अवनि के कमरे में चली आयी।

कमरे में आकर उसने अपना सामान एक तरफ रख दिया। अवनि ने भी अपना बैग रखा और हाथ मुंह धोने बाथरूम में चली गयी। अवनि वापस आयी और कुर्सी खिसकाकर उस पर आ बैठी क्योकि सुरभि पहले ही आलथी पालथी मारकर बिस्तर पर बैठी थी और उसके हाथ में ट्रेन का टिकट था। अवनि कुछ कहती या पूछती इस से पहले सुरभि ने खुद ही वह टिकट अवनि की तरफ बढ़ा दिया। अवनि को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसने टिकट लिया और देखकर कहा,”ये तो जोधपुर to वाराणसी की टिकट है , लेकिन ये तुम मुझे क्यों दिखा रही हो ?”


सुरभि मुस्कुराई और कहा,”क्योकि हम बनारस जा रहे है तुम्हारी फेवरेट जगह,,,,,,,और सिरोही से डायरेक्ट कोई ट्रेन नहीं थी तो मुझे जोधपुर से बुक करनी पड़ी परसो शाम की ट्रेन है तो हम परसो सुबह जल्दी हम जोधपुर के लिए निकल जायेंगे और फिर वहा से सीधा बनारस ,,, अह्ह्ह्ह मैं तो इस ट्रिप के लिए बहुत एक्साइटेड हूँ”
अवनि ने सुना तो हैरानी से सुरभि को देखने लगी ये सब प्लानिंग उसने कब और कैसे कर ली उसे बताया तक नहीं ? उसने सुरभि की तरफ देखा और कहा,”लेकिन , मैं कैसे जा सकती हूँ सुरभि ?”

“बिल्कुल जा सकती हो गोवेर्मेंट हॉलिडे की वजह से तुम्हारी बैंक की 3 दिन की छुट्टी है और उसके अगले दिन सन्डे है तो तुम्हारे पास पुरे 4 दिन है बनारस जाकर वापस आने के लिए और जरूरत पड़ी तो तुम एक दिन सिक लिव डाल देना कौनसा तुम्हारे बिना तुम्हारे बैंक का काम रुक जाएगा,,,,,,,,देखो अवनि मैंने सब प्लान कर लिया है अब बस तुम ना मत कहना,,,,,,,!!”,सुरभि ने आस भरे स्वर में कहा  


अवनि ने सुना तो सोच में पड़ गयी उसे सोच में डूबा देखकर सुरभि ने इमोशनल होकर कहा,”ये सब मैंने तुम्हारे लिए किया है अवनि , पिछले 2 महीने से तुम यहाँ हो जानती हूँ कितनी ही सारी बाते सोच सोच कर खुद को परेशान करती होगी , कुछ दिन बाहर जाओगी तो वो सब भूलने में आसानी होगी और फिर तुम ही तो कहती हो ना कि बनारस जाकर बड़े से बड़ा गम भुलाया जा सकता है। सोचो मत अवनि हाँ कह दो प्लीज वैसे भी बनारस मैं सिर्फ तुम्हारे लिए जा रही हूँ”


अवनि ने सुना तो मुस्कुराई और कहा,”अच्छा ! वरना तुम कहा जाती ?”
सुरभि ने अपने हाथो को फैलाकर बिस्तर पर रखा और पीछे झुककर आराम से बैठते हुए कहा,”मैं तो गोआ जाती,,,,,,,,हाह गोआ के खूबसूरत बीच पर बिकनी पहनकर नहाती , जिंदगी में पहली बार बीयर का स्वाद चखती , विदेशी लड़को को ताड़ती , बीच पर मॉर्निंग वाक् , रात में Dj पार्टी आह्ह मजा ही आ जाता”
“तुम मुझसे बिल्कुल अलग हो,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा


“तभी तो हम इतने अच्छे दोस्त है,,,,,,,अच्छा अब ये बताओ तुम चल रही हो ना ?”,सुरभि ने गंभीर स्वर में कहा
अवनि ने सुना तो हामी में गर्दन हिला दी , आखिर वह बनारस के लिए भला ना कैसे बोल सकती थी। सुरभि ने सुना तो उसके गले आ लगी और कहा,”थैंक्यू , थैंक्यू , थैंक्यू सो मच”
“लेकिन कल मुझे बैंक जाना होगा तो तुम यहाँ अकेले रह लोगी ना ?”,अवनि ने पूछा


“उसकी टेंशन तुम मत लो तुम आराम से अपने बैंक जाना और मैं अकेले ये शहर घूमकर आ जाउंगी , इन्फेक्ट हम दोनों के लिए छोटी मोटी शॉपिंग भी कर लुंगी,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने अपना जैकेट उतारकर बिस्तर पर रखते हुए कहा
“ठीक है,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा और फिर दोनों के बीच शुरू हुई बातें , दो महीने अवनि ने नए शहर में क्या क्या किया ? कैसे खुद को नए शहर के माहौल में ढाला ये सब वह सुरभि को बताने लगी और वही सुरभि उसे उदयपुर के बारे में बताने लगी।  

पृथ्वी के घर की सोसायटी , मुंबई
शाम का समय था और पृथ्वी ऑफिस से सीधा सोसायटी चला आया क्योकि उसे नकुल से मिलना था। पृथ्वी की फुटपाथ के डिवाइडर पर बैठा था और पिछले 5 मिनिट से नकुल उसके सामने यहाँ से वहा घूम रहा था। उसे देखकर पृथ्वी ने कहा,”क्या हुआ ? बोलोगे कुछ ? तुमने टिकट्स बुक तो किये है ना ?”
नकुल रुका और पृथ्वी की तरफ देखकर कहा,”हाँ हाँ वो तो मैंने एक हफ्ते पहले ही बुक कर दिए थे”
“तो फिर इतना परेशान क्यों है ? तुम्हारी शॉपिंग बाकी है या तुमने पैकिंग नहीं की ?”,पृथ्वी ने पूछा


“अहा ! वो सब तो मैंने आज सुबह ही कर ली”,नकुल ने कहा
“अरे तो फिर हुआ क्या है ? अंकल आंटी ने जाने से मना किया है ?”,पृथ्वी ने धड़कते दिल से पूछा क्योकि कितने दिनों बाद वह नकुल के साथ बाहर जा रहा था और वह नहीं चाहता था ट्रिप केंसल हो।
“नहीं उनसे परमिशन तो मैंने एक महीने पहले ही ले ली,,,,,,!!”,नकुल ने कहा
पृथ्वी ने सुना तो गुस्से से नकुल को देखा और उखड़े स्वर में कहा,”अरे तो फिर तुम्हे हुआ क्या है ? जब सब शार्ट है तो तुम परेशान क्यों हो ?”


नकुल ने पृथ्वी की तरफ देखा और अपने नाख़ून चबाते हुए मन ही मन खुद से कहने लगा,”अब मैं इसे कैसे बताऊ कि मैंने जहा का टिकट बुक किया है वहा ये सपने में भी नहीं जाना चाहेगा ? और अगर बता दिया तो ये मुझे इतना मारेगा कि मैं ट्रिप पर जाने की हालत में रहूंगा नहीं , एक काम करता हूँ इसे बताता ही नहीं हूँ कल स्टेशन जाकर ही इसे सच बताऊंगा हाँ यही सही रहेगा”


“नकुल कुछ बोलोगे या मैं जाऊ ?”,पृथ्वी ने गंभीर स्वर में कहा
नकुल की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह कुछ नहीं मैं बस लोकेशन के बारे सोच रहा था कि तुझे वो पसंद आएगी या नहीं”
पृथ्वी ने सुना तो मुस्कुराया और उठते हुए कहा,”अरे इसमें पसंद की क्या बात है आई नो तूने गोआ के टिकट्स बुक किये होंगे , वैसे भी बहुत दिन हो गए हमने मजे नहीं किये। गोआ जायँगे तो वहा मस्त बीच पर बैठकर सनसेट देखेंगे , सी फ़ूड खाएंगे , पार्टी , Dj  अपनी मस्ती में मस्त लोग और हाँ मैं ड्रिंक नहीं करता लेकिन मैं वहा तुझे ड्रिंक करने से भी नहीं रोकूंगा,,,,,,,,,,,!!”


“अरे बाप रे ! ये तो कुछ और ही सोच रहा है लेकिन इस बेचारे को नहीं पता मैं इसका प्लान गोआ के उसी बीच पर डुबोने वाला हूँ जहा जाने के सपने ये देख रहा है”,नकुल ने मन ही मन कहा और मुस्कुराया
 नकुल की मुस्कराहट का पृथ्वी ने गलत अंदाजा लगाया और कहा,”तेरी स्माइल बता रही है तूने ऐसा ही कुछ प्लान किया है तो कब की है ट्रेन ?”
“परसो सुबह 7 बजे,,,,,,,,,,!!”,नकुल ने कहा


“हम्म्म ठीक है,,,,,, तो मैं तुझे परसो सुबह मिलता हूँ , कल मुझे आई के साथ किसी काम से बाहर जाना रहेगा”,पृथ्वी ने कहा और अपना बैग लेकर जैसे ही जाने लगा नकुल ने कहा,”अह्ह्ह्ह पृथ्वी,,,,,,,,,!!”
“हाँ बोल ना,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने पलटकर कहा
“वो जो दिवाली पर तूने कुर्ता पजामा पहना था ना वो अच्छा लग रहा था , तो मैं क्या कह रहा था कि उसे भी पैकिंग में रख लेना”,नकुल ने कहा


पृथ्वी ने सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा और उसने कहा,”तू वेडा आहेस का ? ( क्या तुम पागल हो ? )”
“नाही ! मी विचार केला, यावेळी काहीतरी नवीन करून पाहू का नये ? ( मैंने सोचा क्यों ना इस बार कुछ नया ट्राय किया जाये )”,नकुल ने कहा
“अह्ह्ह्ह ठीक है मैं रख लूंगा,,,,,,बाय”,पृथ्वी ने कहा और वहा से आगे बढ़ गया। उसे जाते देखकर नकुल ने हाथ हिलाकर कहा,”बाय पृथ्वी”

सिद्धार्थ का घर , सिरोही
सुबह का ऑफिस से निकला सिद्धार्थ शाम में घर आया। इस वक्त वह काफी उदास और टुटा हुआ महसूस कर रहा था। जगदीश जी और गिरिजा को अपनी जॉब छोड़ने के बारे में बताकर सिद्धार्थ उन्हें परेशान करना नहीं चाहता था  
सिद्धार्थ अंदर आया उसे देखकर गिरिजा ने कहा,”अरे सिद्धार्थ ! क्या हुआ आज तुम ऑफिस से जल्दी आ गए ?”
“हाँ मम्मी ! आज ऑफिस में काम कम था इसलिए,,,,,,,,मैं चेंज करके आता हूँ”,सिद्धार्थ ने कहा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।


“हाँ तब तक मैं तेरे लिए खाना लगा देती हूँ,,,,,,,,आज मैंने तेरी पसंद की सब्जी बनायीं है”,गिरिजा ने कहा और किचन की तरफ चली गयी।
अपने कमरे में आकर सिद्धार्थ ने दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर आ बैठा। उसने अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया और फफक कर रो पड़ा। उसकी  जिंदगी में सब अच्छा चल रहा था लेकिन उसने सोचा नहीं था कभी ऐसा भी कुछ होगा। वह काफी देर तक वैसे ही बैठा रहा और फिर उठकर नहाने चला गया।

गर्म पानी से नहाने के बाद उसे अब कुछ अच्छा लग रहा था। उसने ट्राउजर-टीशर्ट पहना , अपने गीले बालों को सुखाया और कंघी करके कमरे से बाहर चला आया। उसके अंदर जो चल रहा था वह उसने अपने चेहरे पर आने नहीं दिया। खाना खाने के बाद सिद्धार्थ ने कुछ देर टीवी देखा और फिर उठकर अपने कमरे में चला आया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे उसे क्या करना है ? कहा जाना है ? कहा से और कैसे नयी शुरुआत करनी है ? वह बस अपने ही विचारो में उलझा था की तभी पंडित जी की कही बात उसके जहन में आयी।


“”इस साल के अंत में तुम्हारे जीवन में एक बहुत अच्छी लड़की आएगी और उसी के साथ और भाग्य से तुम आने वाले साल में बहुत तरक्की करने वाले हो। अगर वक्त मिले तो इस साल दीपावली के बाद एक बार बनारस जाकर “काशी विश्वनाथ” दर्शन करके आना , सब अच्छा होगा””
पंडित जी की बात याद आते ही सिद्धार्थ को एक रास्ता दिखा और वो था “बनारस” उसने अपना लेपटॉप उठाया और टिकट्स देखने लगा ,

सिरोही से बनारस डायरेक्ट कोई ट्रेन नहीं थी इसलिए उसने स्लीपर बस का टिकट बुक किया और साथ ही वहा रुकने के लिए होटल भी बुक कर दिया जो कि गंगा किनारे था। सिद्धार्थ ने सब प्लानिंग की और ये फैसला किया कि बनारस से वापस आकर वह गिरिजा और जगदीश को अपनी नौकरी छोड़ने के बारे में बता देगा। सिद्धार्थ ने लेपटॉप साइड में रखा और बिस्तर पर आकर लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी

उसे नौकरी जाने का दुःख था और अगले ही पल उसकी आँखों के सामने आया उदयपुर स्टेशन का वो पल जब उसने पहली बार अवनि को देखा था। अवनि का चेहरा याद आते ही सिद्धार्थ का मन एकदम से हल्का होने लगा। उसकी आँखों के सामने बार बार वो लम्हे आ रहे थे और सिद्धार्थ अवनि की तरफ खींचा चला जा रहा था ये अवनि के लिए प्यार था या आकर्षण ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।  

( क्या बनारस में मिलेगा अवनि को उसका प्यार ? क्या बनारस में होगी सिद्धार्थ और अवनि की पहली मुलाकात ? आखिर नकुल गोआ के बजाय कहा ले जाना चाहता है पृथ्वी को ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” )

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संजना किरोड़ीवाल  

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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