Pasandida Aurat – 19
Pasandida Aurat – 19

उदयपुर रेलवे स्टेशन पर सिद्धार्थ को वह लड़की दिखी जिसने इन दिनों उसकी नींदे उड़ा रखी थी। सिद्धार्थ खोया हुआ सा अपलक अवनि के चेहरे की तरफ देखते हुए बढे जा रहा था। ट्रेन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और सिद्धार्थ अवनि में इतना खोया हुआ था कि उसे इस बात का अहसास भी नहीं था। अवनि ने घबराकर बाहर देखा दूर से उसे पानी की बोतल हाथ में उठाये सुरभि आती दिखी लेकिन सुरभि अवनि तक पहुँच पाती इस से पहले वह भागते हुए किसी से टकराई और नीचे जा गिरी। सुरभि जिस से टकराई वह कोई और नहीं बल्कि सिद्धार्थ था।
अवनि ने देखा तो रोआँसा हो गयी तभी खिड़की के पास चलते कौशल चाचा उसे दिखे और अवनि ने चिन्ताभरे स्वर में कहा,”चाचाजी आप यहाँ”
“हाँ अवनि ! बहुत रोका खुद को लेकिन दिल नहीं माना और मैं चला आया , देख तू यहाँ की बिल्कुल भी चिंता मत करना यहाँ सब ठीक है बस तू अपना ख्याल रखना और हाँ किसी तरह की परेशानी हो तो मुझे जरूर फोन करना मैं हूँ तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,और खाने का सामान रखा तुमने साथ में ?”,कौशल जी ने ट्रेन के साथ चलते हुए कहा
“हाँ , सुरभि लेकर आयी थी घर से सब है चाचाजी”,अवनि ने नम आँखों के साथ कहा
“फिर ठीक है और सिरोही में मैंने अपने दोस्त से बात कर ली है तुझे जब भी कोई जरूरत हो तू उसे से कह देना , देख अकेले वहा ज्यादा परेशान मत होना,,,,,,,और हाँ ये ये रख”,कहते हुए कौशल जी ने जेब से एक लिफाफा निकालकर अवनि की तरफ बढ़ा दिया
अवनि ने लिफाफा लिया और हैरानी से कहा,”चाचाजी ये,,,,,,,,,,!!
“इसमें कुछ रूपये है बेटा , तुम्हारे काम आएंगे और भाईसाहब की चिंता मत करना हम सब है उनके साथ,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना और खुश रहना बेटा”,कहते हुए कौशल जी खिड़की से पीछे रह गए क्योकि ट्रेन ने गति पकड़ ली थी और आगे बढ़ चुकी थी।
अवनि कौशल को देखकर नम आँखों के साथ तब तक अपना हाथ हिलाती रही जब तक वे आँखों से ओझल नहीं हो गए। कौशल ने जाती हुई अवनि को देखा और अपनी आँखों के किनारो पर आये आंसुओ को उंगलियों पर लेकर बड़ी बेपरवाही से हवा में उछालकर कहा,”हाह ! इस शहर से जाने का फैसला करके तुमने मेरा काम और आसान कर दिया अवनि , अच्छा हुआ तुम जा रही हो वैसे भी मैं ये अच्छे बनने का नाटक करते करते बोर हो चुका था,,,,,,,,,,,गुड बाय अवनि खुश रहना और वापस यहाँ मत आना”
ट्रेन जा चुकी थी और इसी के साथ कौशल जी भी वहा से निकल गए।
सिद्धार्थ से टकराने के बाद सुरभि उठी और जाती हुई ट्रेन को देखकर कहा,”मुझे माफ़ करना अवनि इस गधे की वजह से मैं तुम्हे गुड बाय भी नहीं बोल पायी”
सुरभि गुस्से में पलटी और ऊँगली दिखाकर सिद्धार्थ से कहा,”ए मिस्टर,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह तो ये तुम हो , तुम से मैं देखकर चलने की उम्मीद भला कैसे कर सकती हूँ ? लेकिन तुम्हारी वजह से मैं अपनी दोस्त को बाय नहीं बोल पायी और वो चली गयी। तुम सच में एक पनोती हो,,,,,,,,!!”
“तुम भी किसी पनोती से कम नहीं हो , जब से मिली हो बस प्रॉब्लम क्रिएट कर रही हो। तुम्हारी वजह से मेरी ट्रेन चली गयी,,!!”,सिद्धार्थ ने उखड़े स्वर में कहा
अब सुरभि किसी की अकड़ सह ले ऐसा भला कैसे हो सकता है वह सिद्धार्थ की तरफ बढ़ी और उसके मुंह के सामने चुटकी बजाकर कहा,”भूलो मत बेटा उदयपुर में हो , दो मिनिट लगेंगे तुम्हे उठवाने में , कहा गायब हुए पता भी नहीं चलेगा घरवालों को,,,,,,,,,और ट्रेन निकल गयी तो इसमें मैं क्या करू ? आवारा के जैसे स्टेशन पर घूम रहे हो जाकर ट्रेन में बैठना था ना,,,,,,,!!”
सिद्धार्थ ख़ामोशी से सुरभि को घूरते हुए उसकी बाते सुन रहा था। उसने सुरभि की बदतमीजी का कोई जवाब नहीं दिया और नीचे गिरा अपना बैग उठाकर बेंच की तरफ बढ़ गया। सुरभी ने देखा तो खुश होकर खुद में ही बड़बड़ाई,”लगता है डर गया”
सुरभि ने नीचे गिरा पानी का बोतल उठाया और उसका ढक्कन खोलकर खुद ही पीने लगी और पानी पीते हुए बेंच की तरफ आयी जहा सिद्धार्थ बैठा था।
सिद्धार्थ की ट्रेन जा चुकी थी साथ ही वह लड़की भी जिसे सिद्धार्थ ने देखा था। सिद्धार्थ को उदास देखकर सुरभि ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा,”चचचचचच तुम्हारे साथ तो ये होना ही चाहिए था बिकॉज यू डिजर्व डेट , तुम से मिलकर अच्छा लगा”
सिद्धार्थ ने सुरभि को देखा और कहा,”बट मुझे तुमसे मिलकर बिल्कुल अच्छा नहीं लगा , इन्फेक्ट इस जिंदगी में मैं दोबारा कभी तुम से मिलना नहीं चाहूंगा”
“हाँ मैं तो जैसे तुमसे मिलने के लिए मरी जा रही हूँ,,,,,,आई हॉप ये हमारी आखरी मुलाकात हो और आज के बाद मुझे तुम्हारी ये शक्ल देखने को ना मिले , गुड बाय”,कहकर सुरभि ने जान बुझकर बोतल का पानी सिद्धार्थ पर गिरा दिया तो वह जल्दी से उठा और कहा,”आर यू मेड ?”
सिद्धार्थ भुनभुनाते रह गया और सुरभि वहा से चली गयी , उसे सिद्धार्थ के साथ ये सब करके एक अलग ही सुकून मिला था। सिद्धार्थ ने भी अपने कपडो पर गिरे पानी को झटका और बेंच पर बैठकर दूसरी ट्रेन के आने का इन्तजार करने लगा
खाली पटरियों को देखते हुए सिद्धार्थ मन ही मन खुद से कहने लगा,”अभी कुछ देर पहले वो लड़की मेरी आँखों के सामने थी , वो बिल्कुल किसी किताब के किरदार जैसी ही थी मासूम और बेइंतहा खूबसूरत,,,,,,,,,,आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ , किसी को देखकर ये दिल इस कदर नहीं धड़का , आज से पहले ये नजरे ऐसे किसी पर नहीं ठहरी थी , सब धुंधला नजर आ रहा था और साफ सिर्फ वो लड़की नजर आ रही थी , ऐसा क्यों हुआ ? क्या मेरी किस्मत उस से जुडी है या मुझे अपनी किस्मत को उस से जोड़ लेना चाहिए ,
क्या ये वही लड़की है जो मेरी जिंदगी में आकर मेरी किस्मत बदल सकती है ? अगर मैं वो ट्रेन पकड़ लेता तो अब तक उसके साथ होता , वो मेरे सामने होती और मैं जीभर कर उसे देख पाता,,,,,,,,,,,,,हाह ! पर लगता है उसे मिलने के लिए मुझे फिर किसी शहर में उस से टकराना होगा”
सिद्धार्थ अपने ही ख्यालो में खोया अवनि के बारे में सोचता रहा और उधर अवनि खिड़की से अपना सर लगाये उदास आँखों से पीछे छूटते अपने शहर को देखे जा रही थी। वो शहर जहा अवनि ने अपनी जिंदगी के 29 साल जिए थे,,,,,,,,,,,!!”
पृथ्वी का घर , मुंबई
पृथ्वी तैयार होकर ऑफिस जाने के लिए जैसे ही निकलने को हुआ लता ने उसके पास आकर कहा,”सोसायटी में 11 दिन के लिए बप्पा आये है , ऑफिस जाने से पहले उनके दर्शन करके जाना और कल की तरह लंच खाना मत भूल जाना”
“ठीक है मैं खा लूंगा”,पृथ्वी ने टिफिन लेकर बैग में रखते हुए कहा और वहा से निकल गया।
सोसायटी में बड़े से गणपति जी बैठाये गए थे , पृथ्वी ने उनके दर्शन किये और जैसे ही वहा से जाने लगा नकुल उसके पास आया और कहा,”ए पृथ्वी ! आज शाम सोसायटी में प्रोग्राम है तू आ रहा है न”
“सोसायटी के प्रोग्राम में मेरा क्या काम है ?”,पृथ्वी ने चलते चलते कहा
नकुल भी उसके साथ चल पड़ा और कहा,”क्या काम है मतलब ? अरे शाम में सोसायटी की तरफ से मस्त खाना होगा , डांस होगा , सोसायटी की लड़किया होगी , लड़के होंगे,,,,,,,,मजा आएगा यार”
“नो थैंक्यू ! मेरे पास ये सब के लिए टाइम नहीं है,,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा और आगे बढ़ गया
“तू इतना बोरिंग कब से हो गया यार ? रुषाली तेरी जिंदगी से चली गयी है इसका मतलब ये तो नहीं कि तू खुश रहना ही छोड़ दे”,नकुल ने चिढ़कर कहा
पृथ्वी ने सुना तो रुक गया और पलटकर नकुल के सामने आकर कहा,”किसी लड़की के आने या चले जाने से मैं अपने जीने का तरीका नहीं बदल सकता नकुल , और आज के बाद अगर तूने रुषाली का नाम लिया या उस से जुडी कोई बात मुझसे की तो मै तेरा मुंह तोड़ दूंगा,,,,,,,,,,,,,,!!”
“मेरा वो मतलब नहीं था यार,,,,,,,,,!!”,नकुल ने कहा
पृथ्वी ने नकुल के कंधे पर हाथ रखा और गंभीर स्वर में कहा,”रुषाली मेरी जिंदगी से जा चुकी है और अपनी जिंदगी में खुश है , मैं भी अपनी जिंदगी में खुश हूँ बस पहले से थोड़ा ज्यादा व्यस्त हो गया हूँ क्योकि दिवाली के बाद ऑफिस में मेरे प्रमोशन के चांस है और मुझे उसी के लिए थोड़ी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। ये सोसायटी के प्रोग्राम ये सब मुझ जैसे बोरिंग इंसान के लिए नहीं है,,,,,,,,,,,,मैं लक्षित से कह दूंगा वो तुझे ज्वाइन कर लेगा,,,,,,,,,,,अभी मैं चलता हूँ ऑफिस के लिए देर ह रही हो रही है।”
कहकर पृथ्वी आगे बढ़ गया चलते चलते वह रुका और पलटकर कहा,”और सुन दिवाली के बाद का अपना ट्रिप कन्फर्म है , बॉस ने मेरी छुट्टी अप्रूव कर दी,,,,,,,,,,,तो अब कोई अच्छी लोकेशन ढूंढना तेरा काम है”
“चिंता मत कर इस बार ऐसी जगह लेकर जाऊंगा तुझे तेरी जिंदगी ही बदल जाएगी,,,,!!”,नकुल ने खुश होकर कहा तो पृथ्वी मुस्कुराया और वहा से चला गया
नकुल उसे जाते हुए देखता रहा और खुद में ही बड़बड़ाया,”तू मुझसे कितना भी छुपा ले पृथ्वी लेकिन जब से रुषाली तेरी जिंदगी से गयी है तू बदल गया है , तुझे ट्रिप की नहीं बल्कि हीलिंग की जरूरत है और इस बार मेरे पास तेरे लिए एक बहुत सही जगह है जहा जाकर तू सच में बदल जाएगा,,,,,,,,,!!”
नकुल भी वहा से चला गया और घर आकर दिवाली के बाद वाली ट्रिप की प्लानिंग करने लगा
सिरोही पहुंचकर अवनि सीधा अपने हॉस्टल पहुंची उसे वहा एक पर्सनल कमरा रहने के लिए मिल गया। अवनि ने हॉस्टल की सभी फॉर्मेलिटी पूरी की और अपना सामान लेकर कमरे में चली आयी। अवनि बिस्तर पर आ बैठी , उसे घर की बहुत याद आ रही थी लेकिन अब उसे इसी शहर में रहकर खुद को मजबूत बनाना था। आज गणेश चतुर्थी थी और हॉस्टल में गणपति स्थापना थी हॉस्टल की कुछ लड़किया आयी और अवनि को भी अपने साथ लेकर चली गयी। बप्पा के दर्शन करके अवनि को थोड़ा अच्छा लगा और हंसी ख़ुशी के माहौल में वह कुछ देर के लिए अपना अतीत भूल गयी।
सिद्धार्थ भी अगली ट्रेन से सिरोही पहुंचा , आज और कल ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए सिद्धार्थ इन दो दिनों में बस आराम करना चाहता था ताकि बीते दिनों की थकान दूर कर सके और कम्पनी के प्रमोशन के लिए खुद को तैयार कर सके।
पृथ्वी इन दिनों अंदर ही अंदर काफी परेशान था लेकिन बाहर से सबके सामने खुद को सामान्य दिखा रहा था। उसने लता से कह तो दिया कि वह शादी कर लेगा लेकिन धीरे धीरे पृथ्वी इन सब भावनाओ से दूर होते जा रहा था। जयदीप पृथ्वी के काम से बहुत खुश था और इस दिवाली के बाद उसने पृथ्वी की सैलरी बढ़ाने और उसे प्रमोशन देने का विचार मन ही मन बना लिया था।
देखते ही देखते एक महीना गुजर गया और दिवाली आ गयी। पृथ्वी खुश था क्योकि दिवाली के बाद वह नकुल के साथ एक बढ़िया ट्रिप पर जाने वाला था। एक हफ्ता ही सही कम से कम उसे ऑफिस और ऑफिस के कामो से छुट्टी मिलेगी। सिद्धार्थ खुश था क्योकि दिवाली के बाद वह अपनी कम्पनी में जूनियर मैनेजर से सीधा ब्रांच मैनेजर बनने वाला था। वही अवनि दुखी थी क्योकि नए शहर में एक महीना बीत गया लेकिन घर से किसी ने भी उसे फोन नहीं किया ना ही घर आने को कहा , दिवाली उसके लिए खुशिया नहीं बल्कि दर्द और तकलीफ लेकर आ रही थी।
दिवाली की रात सिद्धार्थ अपने मम्मी पापा के साथ दिए जला रहा था और बहुत खुश था , आज उसने नया कुर्ता पजामा पहना था और बहुत ही हेंडसम लग रहा था। पृथ्वी नकुल लक्षित और अपने सोसायटी वाले दोस्तों के साथ मिलकर ग्राउंड में पटाखे , रॉकेट और अनार जला रहा था। नकुल और पृथ्वी ने मिलकर इतने पटाखे जलाये कि पूरी सोसायटी में धुँआ ही धुँआ हो गया लेकिन उन्हें तो बहुत मजा आ रहा था।
पूरा हॉस्टल खाली था बस अवनि ही अकेली हॉस्टल के अपने कमरे में बैठी थी। उसका चेहरा उदासी से घिरा हुआ था और आँखों में आँसू थे। सबके होते हुए भी आज अवनि अकेली थी। बाहर से आती पटाखों की आवाजे अवनि के कानो में पड़ रही थी। उसने तकिये में अपना मुँह छुपा लिया और फफक कर रो पड़ी।
दिवाली के एक हफ्ते बाद
शाम का समय था और सिद्धार्थ ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। आज उसने सफ़ेद शर्ट और लाइट ब्लू जींस पहनी थी। उसने जेल लगाकर बालों को सेट किया , चेहरे पर क्रीम लगाया , महंगा परफ्यूम अपने चारो तरफ छिड़ककर उसने खुद को एक नजर शीशे में देखा और मुस्कुराया। पिछले कई महीनो से सिद्धार्थ जिस प्रमोशन के लिए मेहनत कर रहा था आज वो दिन सिद्धार्थ की जिंदगी में आ चुका था। सिद्धार्थ बैग लेकर अपने कमरे से बाहर आया और गाड़ी की चाबी लेकर घर से निकल गया।
उसने अपना बैग गाडी में रखा और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा। सिद्धार्थ ऑफिस के लिए निकल गया। रास्ते में शिव मंदिर देखकर उसने गाडी रोकी और उतरकर मंदिर की तरफ चल पड़ा। मंदिर के बाहर से प्रशाद का डिब्बा खरीदा और अंदर आकर उसमे पर्स से 200 का नोट निकालकर रखा और मंदिर के पंडित जी की तरफ बढ़ा दिया। पंडित जी ने खुश होकर डिब्बा लिया और प्रशाद भगवान को चढ़ाकर डिब्बा सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिया साथ ही उन्होंने भगवान् पर चढ़ी एक फूलों की माला उतारकर सिद्धार्थ के गले में डाल दी और माथे पर तिलक लगा दिया।
सिद्धार्थ ने मंदिर की परिक्रमा की और वहा से बाहर चला आया। चलते चलते उसने गले से माला निकालकर हाथ में ले ली। सिद्धार्थ जैसे ही अपनी गाड़ी के पास आया एक छोटे गरीब लड़के ने आकर उस से कहा,”भैया , भैया कुछ दे दो ना खाना खाना है”
” भीख माँगते शर्म नहीं आती , चल भाग यहाँ से,,,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने उखड़े स्वर में कहा और गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर आ बैठा।
लड़का उसके पास चला आया और शीशा खटखटाने लगा लेकिन सिद्धार्थ ने उस पर ध्यान नहीं दिया और वहा से निकल गया।
सिद्धार्थ ऑफिस पहुंचा। उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि आज वह कितना खुश था। सिद्धार्थ अपनी डेस्क पर आया , आज से उसे इस डेस्क पर नहीं बल्की अपने पर्सनल केबिन में बैठना था। उसने अपनी डेस्क का सब सामान समेटकर बॉक्स में रखना शुरू किया तभी उसका बॉस आया और कहा,”अटेंशन गाइज मैं एक बड़ी अनाउंसमेंट करने जा रहा हूँ सो प्लीज सब आ जाईये”
बॉस की बात सुनकर सिद्धार्थ भी बाकी सबके साथ वहा चला आया। बॉस ने सबको एक नजर देखा और कहा,”गाइज आप सब इस कपनी के लिए बहुत मेहनत कर रहे है जिसके लिए मैं आप सबका आभारी हूँ लेकिन आप सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने इस कम्पनी को यहां से वहा पहुंचा दिया। जिन्होंने इस कम्पनी में एंप्लॉय बनकर नहीं बल्कि फॅमिली बनकर काम किया है और बहुत ही कम समय में अपनी काबिलियत को प्रूव भी किया है।”
बॉस की बाते सुनकर सिद्धार्थ मन ही मन ख़ुशी से भरा जा रहा था कि तभी बॉस ने कहा,”सो गाइज ! मीट आवर न्यू ब्रांच मैनेजर “दीपाली शाह” वेलकम हर विथ अपलोज”
भीड़ से निकलकर दीपाली सबके बीच आयी और सभी उसके लिए तालिया बजाने लगे। सिद्धार्थ ने जैसे ही सुना उसके चेहरे का रंग उड़ गया और उसे महसूस हुआ जैसे किसी ने उसे बहुत गहरी खाई में धक्का दे दिया है
( नकुल पृथ्वी को लेकर कौनसी जगह जाने वाला है ? क्या इस नए शहर में अवनि बना पायेगी खुद को मजबूत या पड़ जाएगी कमजोर ? आखिर बॉस ने क्यों किया सिद्धार्थ के साथ इतना बड़ा धोखा ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” )
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संजना किरोड़ीवाल
Halaki bolna to nhi chahiye…but Siddharth k sahi hua…wo aaj pramotion ka soch kar mandir aaya aur bhagwan se prathana ki…kya usse yeh bhi nhi pta hai ki jab koi shub kaam hone wala ho to usme agar koi kuch mange to usse dena chahiye aur yaha to ek bachcha kuch paise maang Raha tha, lakin Siddharth ne usse bhaga diya…thik waise hee bhagwan ne usko bhaga diya promotions se…ab sochta rha ki uske sath kya hua…aur bhaisahab yeh Kaushal Chacha to Siddharth chodo Mayank chacha aur Meenakshi chachi se bhi kamine aur dhokebaaz nikle…yeh dono pati-patni ji hai samne hai, lakin yeh Kaushal Chacha to peeth peeche wae krne wale nikle…ab to esa lag raha hai ki Vishvas ji ki zindagi pe sankat hai…yeh Kaushal Chacha unko chain se nhi Rahane dege…hey bhagwan ab to Prathvi hee Avni ko samaj sakta hai
Hmm sahi sidharth ki galti ki saza h par shayd aage sudhar le.Avni k sath jo horha h bahot bura hua and aage…..
Manmarijiya upload kijiye