Pasandida Aurat – 17
Pasandida Aurat – 17

सुख विलास , उदयपुर
सुबह से शाम हो गयी लेकिन अवनि अपने कमरे से बाहर नहीं आयी। ना उसने सुबह का नाश्ता किया ना ही दोपहर का खाना खाया। सबके सामने उसने ये कह तो दिया कि वह घर छोड़ देगी लेकिन क्या सच में उसके लिए ये घर छोड़ना इतना आसान था। शाम में कौशल जी घर आये तो उन्हें पता चला कि अवनि ने सुबह से कुछ नहीं खाया है तो वे उसके लिए एक कप चाय और एक प्लेट में एक पराठा लेकर उसके कमरे के बाहर चले आये। अवनि अपने लेपटॉप के सामने बैठी कीबोर्ड पर कुछ टाइप कर रही थी।
कौशल जी ने अवनि के कमरे का दरवाजा खटखटाया और कहा,”अवनि ! मैं हूँ कौशल , अंदर आ जाऊ ?”
अवनि की उंगलिया रुक गयी वह अपनी जगह से उठी और दरवाजा के सामने आकर बाहर खड़े कौशल जी से कहा,”आईये ना चाचाजी ! पापा और मयंक चाचा की तरह क्या आपने भी मुझे पराया कर दिया है ?”
कौशल जी अंदर आये और कहा,”कैसी बाते करती हो अवनि ? मेरे लिए तुम आज भी वही अवनि हो जो दो हफ्ते पहले थी , मेरे लिए कुछ नहीं बदला है बेटा”
अवनि ने सुना तो आँखों में आँसू भर आये। वह साइड में चली आयी। कौशल जी अवनि के बिस्तर के पास पड़ी सिटिंग बेंच पर आ बैठे और हाथ में पकड़ा चाय का कप और प्लेट रखकर कहा,”बैठो अवनि”
अवनि कौशल जी के पास कप प्लेट के दूसरी तरफ आ बैठी। कौशल ने एक नजर अवनि को देखा और कहा,”दीपिका ने बताया कि तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है। अवनि भाईसाहब के गुस्से की सजा तुम खुद को क्यों दे रही हो ? दीपिका ने मुझे और भी बहुत कुछ बताया जो आज सुबह हुआ ,
तुमने इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया ? अरे मयंक और भाईसाहब तो इस वक्त अपनी झूठी शान में है लेकिन तुम , तुम तो समझदार हो न बेटा। भाईसहाब कहेंगे तो क्या तुम ये घर छोड़कर चली जाओगी ? क्या मैं तुम्हारा कुछ नहीं लगता ? क्या इस घर के लोग तुम्हारे अपने नहीं है,,,,,,,,,,,!!
कौशल की बात सुनकर अवनि नम आँखों से उन्हें देखने लगी और कहा,”आप किन लोगो की बात कर रहे है चाचाजी ?
आप भी जानते है कि इस घर में सिर्फ आप , कार्तिक और दीपिका है जिसे मेरी तकलीफ से फर्क पड़ता है। मेरे अपने पापा मेरा दुःख नहीं समझ पाए , बड़ी चाची सीधे मुंह कुछ नहीं कहती लेकिन उनकी बातें तीर की तरह चुभती है , मयंक चाचा के शब्द पत्थर से भी ज्यादा कठोर होते है और मीनाक्षी चाची उन्होंने तो कभी मुझसे प्यार से बात की ही नहीं , सलोनी मुझे देखकर ऐसे मुंह बनाती है जैसे मैं कोई परायी हूँ , नितिन अंशु से मैं क्या ही कहू वो दोनों तो मेरे लिए बच्चे जैसे है,,,,,,,,!!
एक भुआ जी थी जिनके साथ मैं अपना दुःख बाँट लिया करती थी तो वो भी मुझे छोड़कर चली गयी। चाची के डर से दीपिका और कार्तिक मुझसे बात करने से कतराते है। अब आप ही बताईये इस घर में कौन है मेरा ? सिर्फ आप तो मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आप भी सबकी नफरत के शिकार हो जाए,,,,,,,,,,,,मेरा इस घर से चले जाना ही सही होगा चाचाजी , कम से कम मुझे इस घर में देखकर पापा को तकलीफ तो नहीं होगी”
अवनि का एक एक शब्द कौशल के दिल पर हथोड़े की तरह पड़ रहा था सिर्फ वही थे जो अवनि की तकलीफ को समझ पा रहे थे।
अवनि से कुछ और कहकर वे उसके दर्द को और बढ़ाना नहीं चाहते थे इसलिए चाय का कप उठाकर अवनि की तरफ बढाकर कहा,”छोडो ये सब और पहले ये चाय पीओ और हाँ ये पराठा भी खाओ”
“मुझे भूख नहीं है चाचाजी”,अवनि ने अपनी आँखों के किनारे साफ करके कहा
“देख अवनि अब अगर तू ऐसे करेगी ना तो मैं रो दूंगा , मेरा दिल तेरे जितना मजबूत नहीं है। घर में सबने खाया लेकिन किसी को तेरा ख्याल नहीं आया इस से बुरी बात और क्या हो सकती है ?
इस घर से जाने का तेरा फैसला सही है बेटा , कम से कम इस घर से दूर रहकर तू अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी पायेगी , इस घर के लिए नौकरानियों की तरह काम नहीं करना पड़ेगा , तुझे दिन-रात किसी के ताने नहीं सुनने पड़ेंगे , तू बेशक इस घर से चली जाना बेटा लेकिन जाने से पहले मेरी ये बात मान ले बेटा , दो निवाले खा ले,,,,,,,,अपने लिए ना सही अपने इस चाचा के लिए खा ले”,कहते कहते कौशल जी रो पड़े
अवनि उन्हें रोते हुए नहीं देख पायी इसलिए उनके हाथ से कप लिया और होंठो से लगा लिया। उसने पराठे से एक निवाला तोड़ा और खा लिया। बरबस ही उसकी आँखों से आँसू बह गए। अवनि ने पूरा पराठा खाया , चाय पी और अपने आँसू पोछकर अपने दुपट्टे से कौशल जी के आँसू पोछे और कहा,”कितने पागल है आप , अपने साथ साथ मुझे भी रुला रहे है और वैसे भी मैं ये घर हमेशा के लिए छोड़कर थोड़ी जा रही हूँ,,,,,,,,,,मेरी नौकरी लग गयी है और मुझे दूसरे शहर जाना होगा।
वहा मैं अपनी नयी जिंदगी शुरू करुँगी और देखना आप , पापा मुझे माफ़ भी कर देंगे और खुद इस घर में लेकर भी आएंगे,,,,,,,तब तक आप मुझसे एक वादा करेंगे”
कौशल ने हामी में सर हिलाया तो अवनि ने उनका हाथ अपने हाथ पर रखकर कहा
मैं जानती हूँ अभी पापा मुझसे नाराज है इसलिए वे किसी की बात नहीं सुनेंगे तो क्या आप मेरे जाने के बाद उनका ख्याल रखेंगे प्लीज”
अवनि की बात सुनकर कौशल की आँखों में फिर आँसू भर आये और उन्होंने दुखी स्वर में कहा,”आखिर किस मिटटी की बनी हो तुम अवनि , तुम्हे अभी भी भाईसाहब की चिंता हो रही है। अरे उनका ख्याल रखने वाले , उनकी चिंता करने वाले इतने लोग है इस घर में लेकिन तुम्हारा क्या ?”
नम आँखों के साथ अवनि मुस्कुराई और कहा,”मेरा ख्याल रखने के लिए मेरे महादेव है ना , उन्होंने रास्ता दिखाया है मंजिल भी वही देंगे”
कौशल ने एक बार फिर हामी में गर्दन हिलायी और कहा,”नौकरी के किस शहर जाने वाली हो ?”
“सिरोही,,,,,,परसो सुबह जॉइनिंग है , कल सुबह सिरोही के लिए निकल जाउंगी”,अवनि ने बुझे स्वर में कहा
“चलो ये अच्छा है सिरोही यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है , सिरोही में मेरे दोस्त का घर है वहा अपने बीवी बच्चो के साथ रहता है मैं उस से बात करता हूँ तुम उसके यहाँ पेइंग गेस्ट रह जाना”,कौशल ने कहा
“नहीं चाचाजी ! पापा को पता चला तो वे आपसे गुस्सा होंगे , मैंने वहा के हॉस्टल में बात कर ली है बैंक से 2 किलोमीटर की दूरी पर है। मैं वहा रुक जाउंगी आप परेशान मत होईये”,अवनि ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,अभी मैं चलता हूँ और जो हो रहा है उस बारे में ज्यादा सोचना मत अवनि,,,,,,,तुम्हे बहुत आगे जाना है”,कौशल ने अवनि के सर पर हाथ रखकर कहा और फिर वहा से चले गए और अवनि अपना बैग पैक करने लगी।
उदयपुर रेलवे स्टेशन
शाम के 7.30 बज रहे थे सिद्धार्थ ट्रेन से नीचे उतरा और अपना बैग पीठ पर लादे स्टेशन से बाहर चला आया। बाहर आकर उसने देखा कुछ ही दूर ऑफिस की गाड़ी खड़ी थी। सिद्धार्थ जैसे ही आगे बढ़ा उसका फोन बजा। सिद्धार्थ ने फोन निकालकर देखा , फोन गिरिजा का था उस से बात करते हुए सिद्धार्थ गाड़ी की तरफ बढ़ा। फोन पर बात करते हुए सिद्धार्थ ने ध्यान नहीं दिया और रोंग साइड चलने लगा तभी सामने से आती स्कूटी पर बैठी लड़की ने एकदम से सिद्धार्थ के सामने आकर ब्रेक लगाया
लड़की के कानो में भी ईयर फोन लगा था और वह शायद किसी से बात कर रही थी उसने कहा,”अवनि तू एक मिनिट रुक पहले इस आशिक़ की अकल ठिकाने लगाने लगाती हूँ”
सिद्धार्थ ने देखा स्कूटी लगभग उसके पैर को लग चुकी है तो वह चिल्लाया और कहा,”अंधी हो दिखाई नहीं देता ?”
लड़की जो कि कोई और नहीं बल्कि अवनि की दोस्त सुरभि थी स्कूटी से नीचे उतरी और सिद्धार्थ के सामने आकर कहा,”अबे ओह्ह आशिक़ की छठी औलाद , फोन कान से लगाए रोंग साइड से तू आ रहा है मैं नहीं , और अंधी किसे बोल रहा है ? एक घुसा मारके मुंह तोड़ दूंगी तेरा समझा,,,,,,,,,!!”
सिद्धार्थ का सामना पहली बार ऐसी लड़की से हुआ जो इतनी बद्तमीज और मुंहफट थी। उसने गर्दन घुमाकर आसपास देखा तो पता चला कि लड़की जो कह रही थी वह सही था।
सिद्धार्थ रोंग साइड से आ रहा था लेकिन सुरभि की बदतमीजी का उसे कोई तो जवाब देना ही था इसलिए उसने कहा,”मैं रोंग साइड से आ रहा हूँ तो क्या , तुम तो देखकर चला सकती हो ना , तुम लड़कियों को जब ड्राइविंग आती ही नहीं है तो स्कूटी लेकर सड़क पर उतरती क्यों हो , आराम से घर में बैठो ना”
“वाह एक तो रोंग साइड से आ रहे हो ऊपर से तेवर दिखा रहे हो , बेटा अभी यहा भीड़ इक्क्ठा कर दी ना तो फटेहाल घर जाओगे समझे,,,,,,,,,,,चुपचाप सॉरी बोलो और निकलो यहाँ से”,सुरभि ने कहा
“सॉरी माय फुट,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने गुस्से से सुरभि को घूरकर कहा
“ओह्ह्हो अंग्रेजी ! पढ़े लिखे हो लेकिन तमीज नाम की चीज नहीं है , लगता है डिग्री घूस देकर ली है,,,,,,,,,,सॉरी बोलोगे या इकट्ठा करू लोगो को कि तुम मुझे छेड़ रहे हो,,,,,,सोच लो उसके बाद तुम्हारा क्या हाल होगा ?”,सुरभि ने सिद्धार्थ को धमकाते हुए कहा
सिद्धार्थ ने देखा आस पास खड़े लोग उसे ही देख रहे है तभी उसका फोन बजा फोन फिर गिरिजा का ही था , सिद्धार्थ ने फोन उठाते हुए सुरभि से कहा,”सॉरी”
सिद्धार्थ फोन कान से लगाकर आगे बढ़ गया और कहा,”हाँ माँ,,,,,,,,क्या कह रही थी ?”
“किसे सॉरी बोल रहे हो ?”,गिरिजा ने पूछा
“थी एक बद्तमीज लड़की,,,,,,,,,,उसे छोड़िये आप बताईये क्या कह रही थी”,सिद्धार्थ ने ऑफिस की गाडी के पास पहुंचकर गाड़ी में बैठते हुए कहा और वहा से निकल गया।
सुरभि अपनी स्कूटी पर आ बैठी और वहा से निकल गयी। स्कूटी पार्किंग में लगाकर स्टेशन टिकट लिया और अंदर चली आयी। सुरभि अपने किसी रिश्तेदार को लेने आयी थी लेकिन ट्रेन एक घंटा लेट थी। सुरभि बेंच पर आ बैठी तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फोन उठाकर कान से लगा लिया। दूसरी तरफ अवनि थी उसने कहा,”क्या हुआ सुरभि ? तुमने अचानक फोन क्यों काट दिया और तुम किस आशिक़ की बात कर रही थी , कही तुम फिर से किसी से झगड़ा तो नहीं कर रही ना ?”
“अरे था एक बहुत ही बद्तमीज लड़का एक तो रोंग साइड से आ रहा था ऊपर से मुझे ही गलत बोल रहा था। अच्छे से अकल ठिकाने लगायी है मैंने उसकी आज के बाद दोबारा कभी रोंग साइड में नहीं चलेगा”,सुरभि ने हँसते हुए कहा
“तुम ये सब मत किया करो सुरभि किसी दिन मुसीबत में पड़ जाओगी सब लड़के अच्छे नहीं होते,,,,,,,,,,किसी दिन किसी ने तुम्हे उलटा जवाब दे दिया तब क्या करोगी ?”,अवनि ने चिंतित स्वर में कहा
“मैं तुम्हारी तरह डरपोक नहीं हूँ मिस अवनि मलिक , अच्छा छोडो ये सब तुम मुझे ये बताओ क्या तुम्हे टिकट्स मिले मैंने तत्काल में टिकट करवाया है”,सुरभि ने कहा और उठकर स्टेशन पर चहलकदमी करने लगी
“हाँ ! थैंक्यू सो मच सुरभि,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“ओह्ह्ह्ह ! तो अब तुम मेरे साथ फॉर्मेलिटी कर रही हो,,,,,,,,,ये थैंक्यू मुझे नहीं अनुज सर से कहना उन्होंने ही इतनी जल्दी सब अरेंज करवाया है।
वे तुमसे मिलने घर आते लेकिन उनकी वाइफ की डिलीवरी होने वाली है तो वे हॉस्पिटल में है , उन्होंने अपनी गुड विशेस दी है तुम्हारे लिए और कहा है जल्दी ही वे सिरोही आकर तुम से मिलेंगे”,सुरभि एक साँस में सब कह गयी।
“हाँ मैं उनसे बात करुँगी , उन्होंने मुझे सपोर्ट किया है सुरभि , उनकी वजह से ही मैं इस मुकाम पर हूँ सच में वो बहुत टीचर है। अच्छा सुनो”,अवनि ने उदासी भरे स्वर में कहा
“हाँ कहो”,सुरभि ने कहा
“क्या कल सुबह तुम मुझे छोड़ने स्टेशन आओगी , मैं जानती हूँ घर से कोई नहीं जाएगा इसलिए क्या तुम ?”,कहते कहते अवनि उदास हो गयी
“अवनि ! तुम एक नयी जिंदगी शुरू करने जा रही हो इसलिए तुम्हे इतना सब सोचने की जरूरत नहीं है देखना एक वक्त के बाद ये सब तुम्हे माफ़ कर देंगे और तुम फिर से इन सबकी लाड़ली बन जाओगी , और हाँ कोई स्टेशन आये या ना आये मैं तुम्हे छोड़ने स्टेशन जरूर आउंगी”,सुरभि ने कहा
“थैंक्यू सुरभि,,,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा और आखिर में वह रो पड़ी
“अवनि ! तुम फिर रोने लगी , देखो अवनि मैं समझ सकती हूँ ये सब तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है पर तुम्हे अपने महादेव पर भरोसा है ना,,,,,,,,,देखना वो सब ठीक कर देंगे,,,,,,,अब ये रोना बंद करो और अपनी पैकिंग करो,,,,,,,,,,सुबह तुम्हे जल्दी निकलना होगा।”,सुरभि ने प्यार से कहा
अवनि ने अपने आँसू पोछे और फोन काट दिया। वह उठकर बाथरूम में आयी अपना मुंह धोया और फिर कबर्ड से कपडे निकालकर सामान जमाने लगी।
बैग जमाते हुए उसकी नजरे बार बार दरवाजे की तरफ चली जाती इस उम्मीद में कि क्या पता विश्वास जी आये और आकर उसे रोक ले या जाने से पहले उस से दो बात ही कर ले लेकिन कोई नहीं आया। कुछ देर बाद नितिन अवनि के लिए रात का खाना लेकर आया और इस बार अवनि ने बिना ना नुकर के खाने की थाली ले ली क्योकि वह जानती थी इस घर में उसका ये आखरी खाना था इसके बाद इस घर का खाना उसे कब नसीब होगा अवनि नहीं जानती थी।
पृथ्वी का घर , मुंबई
किचन में खड़ा पृथ्वी सब्जिया काट रहा था वह काफी थका हुआ था लेकिन फिर भी किचन में खड़े होकर लता के लिए पावभाजी बना रहा था क्योकि आज सुबह उसने उनसे वादा जो किया था। लता वहा आयी और कहा,”पृथ्वी अकेला क्या क्या करेगा ? ला ये सब मैं कर देती हूँ”
पृथ्वी ने पीछे से लता को कंधो से पकड़ा और बाहर ले जाकर डायनिंग टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर बैठाकर कहा,”आप यहाँ बैठिये मैं सब कर लूंगा , वैसे भी मैं नहीं चाहता मेरे हाथो से बनी पावभाजी खाकर पापा सारा क्रेडिट आपको दे दे”
लता को कुर्सी पर बैठाकर पृथ्वी वापस किचन में चला गया और काम करने लगा। गर्मी लगने की वजह से उसने टी-शर्ट निकाल दिया और अब वह बनियान और ट्राउजर में था। खाना बनाते हुए पृथ्वी बहुत ही प्यारा लग रहा था और लता डायनिंग टेबल पर अपनी कोहनी टिकाये बड़े प्यार से उसे देख रही थी। डोरबेल बजी तो हॉल में पढाई करते लक्षित ने उठकर दरवाजा खोला सामने नीलम भुआ को देखकर थोड़ा चौंका और थोड़ा खुश भी हुआ।
“क्या बात है लता आज तो बड़ी अच्छी खुशबु आ रही है ?”,नीलम भुआ ने अंदर आकर कहा
“आज दादा बावर्ची बने हुए है भुआ इसलिए”,लक्षित ने हँसते हुए कहा
किचन में खड़े पृथ्वी ने सुना तो एक मटर का दाना लक्षित को फेंककर मारा और कहा,”बावर्ची नहीं सैफ”
“हां तो दोनों का मतलब एक ही होता है,,,,,,,,देखिये ना भुआ ये दादा जब देखो तब मुझे मारते रहते है,,,,,,,,!!”,लक्षित ने नीलम से शिकायत करते हुए कहा
नीलम भुआ ने डायनिंग के पास पड़ी दूसरी कुर्सी खिसकाई और बैठते हुए कहा,”क्यों भई पृथ्वी अभी से किचन सम्हाल लिया , तुम्हारी बायको ( पत्नी ) तो बड़ी किस्मत वाली होगी बैठे बिठाये उसे इतना अच्छा बावर्ची जो मिल जाएगा”
कहते हुए भुआ ने लक्षित को हवा में हाई-फाइव दे दिया तो बदले में लक्षित ने भी भुआ को हाई-फाइव दिया पावभाजी तैयार थी तो पृथ्वी ने दो प्लेटो में पावभाजी और सलाद रखा और लेकर बाहर चला आया उसने नीलम और लता के लिए दोनों प्लेट रखकर कहा,“अपनी बायको के लिए बावर्ची बनने में कैसी शर्म भुआ ?”
नीलम ने सुना तो मुस्कुराते हुए पृथ्वी को देखने लगी और पृथ्वी हाथ मुंह धोने वाशबेसिन की तरफ चला गया।
( सिद्धार्थ और सुरभि की ये तकरार क्या कहानी में लेकर आएगी कोई नया ट्विस्ट या सिद्धार्थ की किस्मत में लिखा है अवनि का साथ ? क्या विश्वास जी अवनि को जाने से रोकेंगे या अड़े रहेंगे अपनी जिद पर ? आखिर कौन बनेगी पृथ्वी की बायको जिस पर लुटाने वाला है पृथ्वी अपना असीम प्यार ? जानने के लिए पढ़े “पसंदीदा औरत” )
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