Manmarjiyan Season 3 – 81
Manmarjiyan Season 3 – 81

गुप्ता जी के जाने के बाद मिश्रा जी अंदर चले आये , आदर्श फूफा मिश्रा जी के पास आये और कहा,”जे ससुरा गुड्डू इत्ता बड़ा कब से हो गवा जो आपका हाथ पकड़ लिया , अरे आपकी आँखों मा तो ऐसे देख रहा था जैसे बेटा न हो कोई दुश्मन हो,,,,,,हमरी आपसे लाख दुश्मनी सही पर आज गुड्डू का जे बर्ताव हमको बिल्कुल अच्छा नाही लगा,,,,,,,,,!!”
“इंसान की बुद्धि पर जब मिटटी पड़ती है तो उह सबसे पहिले अपने ही घर की नींव खोदना शुरू करता है , हम बात करेंगे उस से,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“का बात कारेंगे ? अरे खींच के दुइ कंटाप रखिये कान के नीचे जे लौंडे लोगन को इत्ता सर पर चढ़ाये की जरूरत नाही है मिश्रा जी वरना कल को आपके ही सर पर तांडव करेंगे,,,,,,,,,!!”,कहकर आदर्श फूफा वहा से चले गए।
मिश्रा जी तख्ते पर आ बैठे , उन्हें अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि गुड्डू ने उनका हाथ पकड़ा और गोलू के लिए इतनी गलत बात कही। उन्हें बेचैनी होने लगी और सीने में हल्का हल्का दर्द भी महसूस होने लगा। मिश्रा जी अपने सीने को सहलाते हुए गहरी सांसे लेने लगे।
शगुन गुड्डू से बात करने जा ही रही थी कि तभी उसकी नजर मिश्रा जी पर पड़ी तो वह जल्दी से उनके पास आयी और कहा,”पापा जी , पापा जी आप ठीक तो है न ?”
“हमहू ठीक है बिटिया,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
शगुन डायनिंग के पास आयी और गिलास में पानी लेकर मिश्रा जी के पास आकर उन्हें पिलाते हुए कहा,”पापा जी ! पानी पीजिये,,,,,,,,आप गुड्डू के बारे में सोचकर खुद को ठेस मत पहुँचाईये पापा जी , मैं जानती हूँ उन्होंने आज जो किया वो बहुत गलत था”
मिश्रा जी ने पानी पीया और गिलास शगुन की तरफ बढाकर कहा,”हमहू गुड्डू के बारे मा नाही सोच रहे शगुन , हमे तो गोलू की चिंता हो रही है कल रात से उह्ह घर नाही गया है। कही उह्ह अकेला कोनो मुसीबत मा नाही फंस जाए,,,,,,,,,,!!”
शगुन को गोलू की याद आयी तो उसे भी गोलू की चिंता होने लगी लेकिन अगले ही पल गुड्डू के कहे शब्द याद आते ही शगुन के चेहरे पर कठोर भाव आये और उसने कहा,”पापा जी ! गोलू जी कहा है ये मैं पता करके ही रहूंगी,,,,,,,,,!!”
मिश्रा जी शगुन को रोकते इस से पहले शगुन ऊपर अपने कमरे में चली आयी। शगुन कमरे में आयी तो देखा लवली शीशे के सामने खड़ा अपने कपड़ो को सही कर रहा है। शगुन ने लवली के कंधे पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ किया और गुस्से से कहा,”आपकी हिम्मत कैसे हुई पापा जी का हाथ पकड़ने की ? क्या हो गया है आपको गुड्डू जी आप ऐसा कैसे कर सकते है ? और गोलू जी , गोलू जी के लिए आप इतना बुरा कैसे बोल सकते है ? उन्हें तो आप अपना भाई अपना दोस्त मानते है ना फिर उनके लिए आपके दिल में इतनी नफरत कैसे आ गयी ?
पापा जी पहले से इतना परेशान है और आप उनकी परेशानिया और बढ़ा रहे है। आखिर आप ऐसा क्यों कर रहे है ? क्यों सबके साथ ऐसे पेश आ रहे है ?”
“क्योकि मैं गुड्डू नहीं हूँ,,,,,,,,,!!”,लवली ने गुस्से से कहा
शगुन ने जैसे ही सुना कि सामने खड़ा आदमी गुड्डू नहीं बल्कि उसका हमशक्ल है तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वह घबराई हुई सी लवली को देखने लगी। लवली भी शगुन को एकटक देखता रहा और फिर गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा,”मेरा नाम लवली है और मैं नफरत करता हूँ उस मिश्रा से,,,,,,,,,!!”
शगुन के लिए ये दुसरा झटका था आखिर गुड्डू जैसा दिखने वाला आदमी मिश्रा जी से नफरत क्यों करेगा ? उसने कांपते स्वर में कहा,”गुड्डू जी कहा है ? क्या किया तुमने उनके साथ ?”
शगुन को डरा हुआ देखकर लवली के दिमाग में एक विचार आया और उसने मुस्कुराकर कहा,”गुड्डू अभी तक तो ठीक है लेकिन अगर तुमने मेरा साथ नहीं दिया तो उसके साथ बहुत कुछ हो सकता है,,,,,,,,,,!!”
ये सुनकर शगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा फिर भी उसने हिम्मत करके कहा,”मैं सबको बता दूंगी तुम गुड्डू जी नहीं हो , उसके बाद देखना तुम्हारा क्या हाल होता है। गुड्डू जी के साथ गलत करना तो दूर तुमने अगर उन्हें एक खरोंच भी पहुंचाई ना तो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं”
शगुन बुरी तरह घबरा रही थी वह जैसे ही जाने लगी लवली ने उसकी बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी पीठ दिवार से लगाकर उसके करीब आया
और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तो जाओ जाकर बता दो सबको लेकिन तुम्हारी बात पर यकीन कौन करेगा ? जो लोग मुझे अभी तक गुड्डू समझ रहे है क्या वो सच में तुम्हारी बात मानेंगे ? और अगर तुम्हे बताया भी तो इसके बाद क्या नतीजा होगा वो जानती हो तुम ? सब बर्बाद हो जाएगा शगुन ,,, सब पूछेंगे तुमसे अगर मैं गुड्डू नहीं हु तो कौन हूँ ? और गुड्डू कहा है ? इन सब का जवाब है तुम्हारे पास,,,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन ने सुना तो उलझन में पड़ गयी नीचे जाकर वह सबको अगर बता भी देगी तो कौन यकीन करेगा क्योकि मिश्रा जी और मिश्राइन के साथ साथ सब घरवाले इसे ही गुड्डू समझ रहे है।
शगुन को सोच में डूबा देखकर लवली पीछे हटा और बिस्तर पर बैठकर सिगरेट जलाते हुए कहा,”लगता है तुम अपने गुड्डू से प्यार नहीं करती शगुन , अगर करती तो ऐसी बेवकूफी नहीं करती,,,,,,,,,,,मिश्रा अच्छे से जानता है मैं कौन हूँ लेकिन स्वीकार नहीं करेगा और अगर तुमने ज्यादा होशियार बनने की कोशिश की तो अपने गुड्डू से जिंदगी में कभी नहीं मिल पाओगी”
लवली की बाते सुनकर शगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा , उसे हिम्मत और दिमाग से काम लेना था इस वक्त लवली की बात मानने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था उसने लवली की तरफ देखा और कहा,”मैं नहीं जानती पापा जी के साथ तुम्हारी क्या दुश्मनी है लेकिन प्लीज इसका बदला तुम गुड्डू जी से मत लो , वो बहुत मासूम है उन्होंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। तुम कहोगे मैं करुँगी बस गुड्डू जी को कुछ मत करो,,,,,,,,,,!!”
“इस घर में मुझे एक तुम ही समझदार लगती हो शगुन , कितनी जल्दी तुम्हे मेरी बात समझ आ गयी,,,,,,!!”,लवली ने सिगरेट का कश लगाते हुए कहा
“लेकिन मेरी एक बात तुम्हे माननी होगी”,शगुन ने कठोरता से कहा
“कैसी बात ?”,लवली ने शगुन की तरफ देखकर कहा
“सिर्फ मैं जानती हूँ कि तुम गुड्डू जी नहीं हो और इसलिए इस घर में रहते हुए तुम मुझ पर कोई हक़ नहीं जताओगे ?”,शगुन ने लवली को घूरकर कहा
लवली मुस्कुराया और कहा,”शगुन मैं सिर्फ आदमी बुरा हूँ लेकिन मेरी नियत इतनी बुरी भी नहीं है कि मैं दुसरो की अमानत पर हाथ डालू , तुम पर हक़ जताना होता या तुम्हारे साथ कुछ गलत करना होता तो मैं कब का कर चुका होता , लेकिन मैंने हमेशा तुम्हे गुड्डू की अमानत के रूप में देखा है,,,,,,,,,,और मेरे लिए तुम वही रहोगी वैसे भी मुझे बदला मिश्रा से लेना है तुम से नहीं”
शगुन ने सुना तो हैरानी से लवली को देखने लगी वह समझ नहीं पा रही थी लवली अच्छा इंसान है या बुरा ,, शगुन वहा से जाने लगी तो लवली ने कहा,”शगुन !”
शगुन पलटी तो लवली उसके पास आया और हाथ में पकड़ा तौलिया उसकी तरफ बढाकर कहा,”अपना मुंह साफ कर लो डर और घबराहट से पसीने से लथपथ हो चुका है , ऐसे नीचे गयी तो तुम्हारे प्यारे पापाजी को और टेंशन हो जायेगी और मैं उन्हें इतनी आसानी से मरने नहीं दे सकता”
शगुन ने तौलिया लिया और मुँह पोछकर वहा से चली गयी
गुड्डू और गोलू को एक बार फिर लल्लन ने धर लिया लेकिन इस बार भी दोनों उसे और उसके आदमियों को चकमा देकर भाग गए। भागते भागते गोलू और गुड्डू किस्मत से सड़क किनारे आ पहुँचे। गोलू ने पलटकर देखा लल्लन और उसके आदमी दूर दूर तक कही नजर नहीं आ रहे थे उसने राहत की साँस लेकर कहा ,”हाह ! बच गए गुड्डू भैया , साला जो भागे है इत्ता अगर देश के लिए भागे होते तो अब तक दुइ चार मैडल मिल जाते हमको , जे साला लवली भी ना जाने कौन से जन्म का बदला ले रहा है हम लोगन से”
“बदला ले भी ले पर कौन बात का बदला जे भी तो पता चले,,,,,,,,,,जब से जिंदगी मा आया है बत्ती बना रखी है हमायी,,,,,,,,हिया कोनो गाड़ी वाले से लिफ्ट लेते है और सीधा चलते है कानपूर और घर जाकर पिताजी को सब बता देते है,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने हाँफते हुए कहा
“लिफ्ट छोडो गुड्डू भैया अगर हिया से पैदल चले तो कित्ता टाइम लग जाएगा ?”,गोलू ने पूछा
“तुमहू डाक्टर से अपने घुटने बदलवाने वाले हो ?”,गुड्डू ने गोलू की बात का जवाब ना देकर उलटा सवाल किया
“नाही ! हम काहे करवाएंगे घुटना चेंज ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“हिया से पैदल कानपूर गए ना तो बदलवाने पड़ जायेंगे,,,,,,,थोड़ी देर यही रुककर कोनो साधन का इंतजार करते है , का पता कुछो मिल ही जाए”,गुड्डू ने कहा और वही पास पड़े पत्थर पर आ बैठा।
गुड्डू को देखकर गोलू की हिम्मत भी जवाब दे गयी , वैसे भी कल से दोनों ने कुछ खाया नहीं था तो शरीर में इतनी जान भी नहीं थी। गोलू भी गुड्डू से कुछ दूर पड़े पत्थर पर आ बैठा और गाड़ी के आने का इतंजार करने लगा। गुड्डू घुटनो में सर झुकाये जमीन पर पड़े छोटे छोटे कंकड़ चुनचुन कर फेंक रहा था।
काफी देर इंतजार करने के बाद गुड्डू को दूर से एक गाडी आती दिखाई दी। गुड्डू उठा और गाडी को देखते हुए कहा,”ए गोलू गोलू गोलू चलो आओ , लगता है मदद मिल जाएगी”
कहकर गुड्डू आगे बढ़ा लेकिन ना गोलू से उसे कोई जवाब मिला ना ही गोलू उसके पीछे आया। गुड्डू ने पलटकर देखा तो गोलू गायब
परेशानी के भाव गुड्डू के चेहरे पर उभर आये उसने इधर उधर देखा लेकिन गोलू कही नजर नहीं आया उलटा जिस गाडी से गुड्डू मदद लेने वाला था वह भी उसके सामने से निकल गयी।
गुड्डू को चिंता होने लगी कही गोलू लल्लन और उसके आदमियों के हाथ तो नहीं लग गया।
“गोलू,,,,,,,,,गोलू कहा हो ?”,गुड्डू आवाज लगाते हुए उस पेड़ की तरफ आया जहा कुछ देर पहले वह गोलू के साथ बैठा था। गुड्डू ने एक बार फिर आवाज दी और जवाब में गोलू की आवाज आयी,”अरे गुड्डू भैया ! हम हिया है”
गुड्डू आवाज वाली दिशा में आया जैसे ही गोलू को देखा पलट गया और चिल्लाकर गुस्से से कहा,”अबे जे कोई टाइम है हगने का ?”
“गुड्डू भैया सबको पता है सुबह सुबह जे पिरोगराम होता है फिर इसमें टाइम का देखना,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा वह झाड़ियों के पीछे बैठा , आप समझ जाईये कौनसा प्रोग्राम कर रहा था।
“अबे कल से कुछो खाये तो हो नाही फिर जे सब कहा से आ रहा है ? साले तुम्हरे पिरोगराम के चक्कर मा गाडी चली गयी,,,,,,,,,,थोड़ी देर रोक लेते तो का बिगड़ जाता तुम्हरा ?”,गुड्डू ने बिफरते हुए कहा
“अरे भैया बताये तो है रूपा का नया अंडरवियर पहिने है खराब नहीं ना हो जाता,,,,,,!!”,गोलू चिल्लाया
“घर जाकर सबसे पहिले तुम्हरा जे रुपा का अंडरवियर ही फाड़ेंगे , साला ऐसी सिचुएशन में भी हगना मूतना नाही बंद नाही होय रहा तुम्हरा , अब जल्दी निपटाओ और निकलो हिया उह्ह लल्लन के आदमी किसी भी बख्त आ सकते है”,गुडू ने चिढ़ते हुए कहा और एक बार फिर पत्थर पर आ बैठा
2 मिनिट गुजरे और गुड्डू ने कहा,”गोलू हुआ ?”
“नहीं अभी प्रेशर नाही बना है थोड़ा इंतजार करो”,गोलू चिल्लाया
गुड्डू ने गुस्से से झाड़ियों की तरफ देखा और बगल में पड़ी लकड़ी उठाकर उस से सड़क खुरचने लगा। 5 मिनिट बीत गए लेकिन गोलू नहीं आया तो गुड्डू ने फिर कहा,”गोलू हुआ का ?”
“नाही,,,,,,,,,,थोड़ा टाइम लगेगा”,गोलू चिल्लाया
“अबे तो का उधर बैठ के कढ़ाई बुनाई कर रहे हो जो टाइम लगेगा , हो रहा है तो ठीक नहीं तो पेंट पहिनो और चलो”,गुड्डू ने झुंझलाकर कहा
“गुड्डू भैया ! आया आया आया आया , आ रहा है अभी निपटाय के आते है”,गोलू ख़ुशी से चिल्लाया
ना जाने क्यों ये सुनकर गुड्डू का मुंह बन गया। वह उठा और नजरे दौड़ाने लगा कि काश कोई गाडी आ जाये तो उसे लिफ्ट मिले और वह जल्दी से जल्दी कानपूर पहुंचे। गुड्डू गाडी देख ही रहा था कि तभी गोलू की आवाज उसके कानों में पड़ी,”गुड्डू भैया कर लिए है”
“हाँ तो हम का तुम्हायी अम्मा है जो आकर धुलवाए ?”,गुड्डू ने चिढ़कर कहा
“अरे आप काहे धुलवायेंगे ? बड़े हो गए है हमहू खुद धो लेंगे आप तो बस पानी दे दीजिये”,गोलू फिर चिल्लाया
“हमहू टंकी लेकर नाही बैठे है गोलू कि नल खोला और भर के दे देंगे , हिया पानी कहा से मिलेगा हमे सुनसान रस्ते पर”,गुड्डू ने कहा
“तो अब हम साफ कैसे करेंगे ?”,गोलू चिल्लाया
“एक ठो काम करो मिटटी के दुइ पहाड़ बनाओ और वहा अपनी तशरीफ़ टिका दो और ओह्ह से काम ना बने ना तो झाड़ से पत्ते तोड़ो और पोछ ल्यो बस सुबह सुबह हमाओ दिमाग खराब नाही करो तुम समझे,,,,,,,,,,,,एक तो साला तुम्हरे चक्कर में दुइ बार गाड़ी निकाल दिए है”,गुड्डू ने पहले गुस्से से और फिर हताश होकर कहा
खैर गोलू जैसे तैसे सब मामला निपटा कर गुड्डू के पास आया तो गुड्डू ने उस से दूर हटते हुए कहा,”ए ! दूर रहो हमसे पहिले घर चलकर नहाओ फिर हमरे पास आना समझे,,,,,,,,,,!!”
“आपकी तरह नहीं है कि पत्ता से पोछेंगे और मिटटी पे घिसेंगे ,, पानी से धोकर आये है समझे और हाथ भी,,,,,,,,,!!”,गोलू ने गीले हाथो को गुड्डू के सामने झटककर कहा
“पानी कहा मिला तुम्हे ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा
“वही पीछे पानी का टंकी है वही से,,,,,,,,,,अब चलो चलते है”,गोलू ने कहा
“चलेंगे तो तब न गोलू जब कोनो साधन मिलेगा”,गुड्डू ने उलझन भरे स्वर में कहा
तभी गोलू को दूर से साइकिल पर सवार एक आदमी आता दिखा तो गोलू ने गुड्डू को अपना प्लान बताया और जैसे ही साइकिल वाला आदमी आया गोलू पत्थर पर बैठकर जोर जोर से रोने लगा। आदमी ने साइकिल रोकी और उसके पास आकर कहा,”का हो भैया ? रो काहे रहे है ?”
“अरे हमरी बकरी का बच्चा नीचे गड्ढे मा गिर गवा , ओह्ह का निकालने मा कोनो हमरी मदद नाही कर रहा है , ए चचा ! तुमहू हमका भले आदमी दिखते हो हमरी बकरी का बच्चा निकाल दयो , का है कि हमायी भैसिया ओह्ह का देखे बिना दूध नाही देती है”,गोलू ने नौटंकी करते हुए कहा
“भैंसिया ? अभी तो तुमहू बकरी कहे”,आदमी ने पूछा
“अरे हमहू अपनी बकरी का नाम भैंसिया ही रखे है तुमहू इत्ता डीप मा काहे जा रहे हो का अपने बेटे का रिश्ता करवाओगे ओह्ह से ? हमरी मदद करो यार हमाये बच्चे दुआ देंगे तुमको”,गोलू ने कहा
गोलू को रोते देखकर बेचारा भोला आदमी गड्डे में उतर गया , वह जैसे ही गड्डे में उतरा गोलू वहा से भाग गया और गुड्डू के पास आकर कहा,”गुड्डू भैया ! जे रहा साधान इसी से निकल लेते है”
“गोलू यार उह्ह गड्डे मा फंसा है ओह्ह का बाहिर,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने आदमी पर दया दिखाते हुए कहा
“आपका साला लगता है उह्ह जो आपको इत्ती चिंता हो रही है , अरे चलिए जल्दी वरना हम फंस जायेंगे , चलिए बैठिये और साइकिल चलाइये”,गोलू ने गुड्डू को साइकिल की तरफ धकियाकर कहा
गुड्डू साइकिल पर आ बैठा और गोलू उसके पीछे और दोनों वहा से भाग गए।
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संजना किरोड़ीवाल