Pasandida Aurat – 13
Pasandida Aurat – 13

अवनि की बदतमीजी देखकर विश्वास जी ने उस पर हाथ उठा दिया लेकिन वह थप्पड़ अवनि को लगता उस से पहले ही विश्वास जी का हाथ हवा में रुक गया। अवनि की आँखों में बेबसी के भाव उतर आये , वह समझ नहीं पा रही थी आखिर उसकी गलती क्या थी ? एक गलत लड़के से शादी से इंकार कर देना या फिर
अपने घरवालों के गलत बर्ताव पर उन्हें जवाब देना ? अवनि एकटक विश्वास जी को देखती रही तो विश्वास जी ने कहा,”अपने कमरे में जाओ अवनि”
“लेकिन पापा मैंने कुछ,,,,,,,,,,!!”,अवनि इतना ही कह पायी कि विश्वास जी उस पर चिल्ला उठे,”मैंने कहा अपने कमरे में जाओ”
एक बार फिर अवनि का दिल टूट गया और वह रोते हुए वहा से चली गयी। हॉल में कौशल , सीमा , मयंक , मीनाक्षी और विश्वास जी मौजूद थे। दीपिका और सलोनी अपने कमरे में थी। कार्तिक और नितिन भी ऊपर अपने कमरे में थे घर के झगड़ो में बच्चो को आने की इजाजत नहीं थी जबकि कमरे में बैठे कार्तिक का चेहरा गुस्से से भरा जा रहा था
वह अवनि के साथ होता अन्याय नहीं देख पा रहा था लेकिन वह कुछ कर भी तो नहीं सकता था। बड़े पापा , पापा और चाचा के सामने बोलना उसे भी अवनि की जगह लेकर खड़ा कर देता। अंशु मीनाक्षी के कमरे में सो रही थी उसे घर में जो हो रहा था उस के बारे में कोई खबर नहीं थी। विश्वास जी ने सबको एक नजर देखा और सोफे पर आ बैठे।
मयंक विश्वास जी की तरफ पलटा और कहा,”देखा ! देखा आपने अवनि को छूट देने का नतीजा ,, आपके ही लाड प्यार ने उसे इतना सर चढ़ा लिया है भाईसाहब कि आज उसे मुझे अपना चाचा कहने में शर्म आ रही है। क्या यही दिन दिखाने के लिए आपने हमे इस घर में रखा था ? अरे भाभी तो बचपन में ही उसे छोड़कर चली गयी लेकिन सीमा भाभी ने उसे माँ की तरह पाल पोसकर बड़ा किया लेकिन अवनि ने तो इनकी भी लाज नहीं रखी”
“हाँ भाईसाहब ! आज तो अवनि ने हद ही कर दी ,, बाहर जाते वक्त जब मैंने उस से पूछा कहा जा रही हो तो उसने कहा कि ये पूछने का हक़ हम लोगो का नहीं है। अरे जब हमारा कोई हक़ ही नहीं बनता है तो हम लोग क्यों है इस घर में ? आपकी जिद की वजह से हम सब एक परिवार बनकर एक छत के नीचे रह रहे है क्या सिर्फ इसलिए कि इस घर के बच्चे छोटे बड़े का लिहाज भूल जाये ?”,सीमा ने मयंक की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा
सबको बोलते देखकर मीनाक्षी कहा पीछे रहने वाली थी उसने भी विश्वास जी के सामने सर का पल्लू ठीक करते हुए कहा,”बुरा ना मानियेगा भाईसाहब ! पर ज़रा सोचिये अगर अवनि का इस घर के लोगो के प्रति यही बर्ताव रहा तो कल को इस घर के बच्चे भी उसे देखकर वैसा ही करेंगे ,,अपनी शादी का मजाक तो वह बना ही चुकी है अब इस घर की इज्जत का भी मजाक बना रही है,,,,,,,,,अरे घर में 3 लड़किया और है कल को दीपिका सलोनी ने भी उसकी तरह अपनी शादियों से इंकार कर दिया तो क्या इज्जत रह जाएगी आपकी और इस घर की,,,,,,,,!!”
“बिन माँ की है अगर माँ होती तो थोड़े संस्कार देती अब अकेले बाप से भला कितनी उम्मीद करे,,,,,,,,,,!!”,सीमा ने कहा
“सीमा ! बस करो तुम लोग आखिर जाहिलपन की भी एक हद होती है। भाभी इस दुनिया में नहीं है लेकिन भाईसाहब ने अपनी बेटी को संस्कार देने में कोई कमी नहीं रखी। अरे उसने एक गलती क्या कर दी तुम सब पर कीचड़ उछालने लगे , उसे बुरा बताने लगे , मत भूलो इस घर की सबसे होनहार और सबसे काबिल बच्ची है वो लेकिन आज उसके लिए तुम तीनो इतना कड़वा बोल रहे हो,,,,,,,,,,,,!!”,कौशल ने दुखी स्वर में कहा ,
इस घर में एक वे ही थे जो अवनि की चिंता करते थे। कौशल की बात सुनकर मीनाक्षी , मयंक और सीमा खामोश हो गए। कौशल विश्वास जी की तरफ पलटा और कहा,”भाईसाहब ! मैं मानता हूँ अवनि से गलती हुई है लेकिन उस गलती की माफ़ी भी होती है ना , आप तो उसके पिता है क्या आप उसे माफ़ नहीं करेंगे ? आप इन लोगो की बातें मत सुनिए मैं जानता हूँ अवनि ने कुछ गलत नहीं किया ,, मुकुल के साथ जिंदगीभर रोने से अच्छा था उसने एक कठिन फैसला लेकर इस रिश्ते को तोड़ दिया।
ऐसे वक्त में उसकी हिम्मत बनने के बजाय , उसे सम्हालने के बजाय हम सब उसी को दोषी मान रहे है , उसका अपमान कर रहे है। ये कहा का न्याय है ?”
कौशल की बात सुनकर विश्वास जी ने कौशल को देखा और कहा,”अवनि ने कुछ गलत नहीं किया पर उसने सबके सामने मलिक खानदान की इज्जत को नीलाम कर दिया कौशल , उसने हमे घर , बाहर , रिश्तेदारी में कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।
जब भी घर से बाहर जाओ तो को ये नहीं कहता विश्वास मलिक जा रहा है , सब यही कहते है देखो देखो उस लड़की का बाप जा रहा है जो शादी के मंडप से उठ गयी थी। अरे सर उठा के फक्र से चलता था मैं लेकिन अवनि ने अपनी एक गलती की वजह से उसी सर को हमेशा के लिए झुका दिया। तुम माफ़ी की बात कह रहे हो ना ठीक है कर दूंगा मैं उसे माफ़ लेकिन तुम बताओ , तुम मुझे बताओ इसके बाद कौन करेगा इस शहर में उस से शादी ? कौन थामेगा उसका हाथ ? कौन स्वीकार करेगा उसके अतीत की ये गलती ? इसका जवाब है तुम्हारे पास ?”
विश्वास जी की बात सुनकर कौशल कुछ देर के लिए शांत हो गया। विश्वास जी ने कौशल को देखा और आगे कहने लगे,”हर बाप का सपना होता है वह अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करे , उसे दुल्हन के जोड़े में देखे , अपने हाथो से उसका कन्यादान करे और अपने बाप होने का फर्ज निभाए लेकिन अवनि ने तो एक झटके में मुझसे ये सब छीन लिया कौशल , तुम सबको क्या लगता है उसे इस हाल में देखकर मुझे तकलीफ नहीं हुई , उसकी शादी टूटने का मुझे दुःख नहीं है। अरे कौन बाप अपनी बेटी को इस हाल में देखना चाहेगा ?”
विश्वास जी को दुखी देखकर मयंक का दिल पसीजा और उसने उनके पास आकर कहा,”भाईसाहब ! भाईसाहब आप चिंता मत कीजिये , हम सब है ना हम सब मिलकर अवनि के लिए कोई अच्छा लड़का देख लेंगे। उसकी शादी हो जाएगी आप , आप परेशान मत होईये”
“लो बगल में छोरा और गाँव में ढिंढोरा”,मीनाक्षी ने आगे आकर कहा
“तुम कहना क्या चाहती हो मीनाक्षी ?”,कौशल ने पूछा
“अरे भाईसाहब ! मेरे कहने का मतलब है कि लड़का अपने घर में ही है और उसे अवनि पसंद भी है”,मीनाक्षी ने बातो को गोल गोल घुमाकर कहा
“साफ़ साफ़ कहो मीनाक्षी बात को जलेबी की तरह गोल गोल क्यों घुमा रही हो ?”,मयंक ने कहा
“मेरा भाई नीलेश , वह अपनी अवनि को पसंद भी करता है और अगर मैं उस बात करुँगी तो वह उस से शादी करने के लिए भी तैयार हो जाएगा”,मीनाक्षी ने कहा।
नीलेश का नाम सुनते ही विश्वास जी के चेहरे पर चिंता के भाव उभर आये। वे नीलेश और उसकी बुरी आदतों को अच्छे से जानते थे ऐसे लड़के से अपनी बेटी की शादी भला वे कैसे कर सकते है ? विश्वास जी को सोच में डूबा देखकर मयंक ने कहा,”हाँ भाईसाहब ! मीनाक्षी सही कह रही है , नीलेश घर का लड़का है घर की बात घर में ही रह जाएगी और अवनि का घर भी बस जाएगा।”
“लेकिन एक बार अवनि से तो पूछ लो मयंक कि वो नीलेश से शादी करना चाहती भी है या नहीं ?”,कौशल ने कहा
“इसमें अवनि से क्या पूछना ? अरे हम क्या उसका बुरा चाहते है। मैंने तो चौधरी साहब के यहाँ रिश्ता करते वक्त भी कहा था भाईसाहब से लेकिन तब इन्होने मेरी बात नहीं सुनी , सुनते तो आज ये दिन देखना नहीं पड़ता,,,,,,,,,,!!”,मीनाक्षी ने मुंह बनाकर कहा
“मीनाक्षी ! चुप रहो तुम , कब कौनसी बात कहनी होती है इसका होश नहीं है तुम्हे”,मयंक ने कहा और विश्वास जी के बगल में आ बैठा। उसने विश्वास जी के कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”भाईसाहब ! मेरी मानिये तो एक बार नीलेश से मिल लीजिये , इतना सब होने के बाद भी अगर वह अवनि को अपनाता है तो इसे उसका हम सब पर अहसान ही समझिये,,,,,,,,,घर का लड़का है तो उसे दबाकर रख सकते है और उसकी शादी में कोई डिमांड भी नहीं होगी। यकीन मानिये भाईसाहब अवनि के लिए इस से अच्छा लड़का नहीं मिलेगा”
कौशल इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं था लेकिन ये फैसला करने का हक़ भी उसे नहीं था। विश्वास जी कुछ देर खामोश रहे और सारी बाते सोचने के बाद कहा,”ठीक है कल शाम नीलेश और उसके घरवालों को बुला लो , उनसे मिलकर रिश्ता पक्का कर देते है”
विश्वास जी उठे और जाने लगे तो कौशल ने कहा,”भाईसाहब एक बार अवनि से तो,,,,,,,,,,,,,!!”
कौशल इतना ही कह पाया कि विश्वास जी पलटे और कठोर स्वर में कहा,”मैं अवनि का बाप हूँ कौशल उसका अच्छा बुरा अच्छे से समझता हूँ,,,,,,बेहतर होगा अवनि भी अब मेरे इस फैसले का सम्मान रखे”
विश्वास जी की बात सुनकर मयंक ने मीनाक्षी की तरफ देखा और दोनों मुस्कुरा उठे , वही सीमा को इस से कोई खास फर्क नहीं पड़ा और कौशल विश्वास जी की बात सुनकर मायूस हो गए। विश्वास जी वहा से चले गए और इसके बाद सभी अपने अपने कमरों की तरफ बढ़ गए।
मरुधर सोसायटी , मकान नंबर 154 , सिरोही , राजस्थान
सिद्धार्थ के घर फंक्शन खत्म हो चुका था , वह बाहर खड़ा टेंट का सामान पैक करवा रहा था। सिद्धार्थ की भुआ को गिरिजा ने आज रात यही रोक लिया। कुछ दूर के मेहमान भी रुक गए और घर के बाहर कुर्सियों पर बैठे बातें कर रहे थे। जगदीश जी भी उनके साथ बैठे थे। सबके मुंह से सिद्धार्थ की तारीफ सुनकर और उसे सब काम करते देखकर जगदीश जी भी सिद्धार्थ के प्रति अपना गुस्सा भूल गए थे। सिद्धार्थ ने सब सामान पैक करवाया और गाडी वहा से भेज दी।
गाडी भेजकर सिद्धार्थ अंदर जाने लगा तो उसका फोन बजा। सिद्धार्थ ने जेब से फोन निकालकर देखा , फोन उसके ऑफिस से था और उसके बॉस का था। सिद्धार्थ ने फोन उठाकर कान से लगाया तो दूसरी तरफ से आवाज आयी,”हेलो सिद्धार्थ”
“हेलो सर ! आपने इस वक्त फोन किया ? everything is fine ?”,सिद्धार्थ ने कहा
“नो सिद्धार्थ ! तुम्हे इसी वक्त ऑफिस आना होगा , एक जरुरी रिपोर्ट बनानी है और क्लाइंट के साथ मीटिंग भी अटेंड करनी है so plz come right now”,सिद्धार्थ के बॉस ने कहा
सिद्धार्थ ने सुना तो उसे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन उसने खुद को शांत रखा और कहा,”लेकिन सर मैंने आपको बताया था कि आज मैं लीव पर हूँ मेरे घर में फंक्शन है”
“ohh come on सिद्धार्थ मुझे ये excuse नहीं चाहिए , आधे घंटे में मुझे ऑफिस मेंचाहिए , Thats it”,कहकर बॉस ने फोन काट दिया
झुंझलाहट और चिढ सिद्धार्थ के चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी। आज के फंक्शन में वह इतना थक चुका था कि सोचा अब जाकर अपने कमरे में आराम करेगा लेकिन बॉस ने ऑफिस बुलाकर उसका ये सुकून भी छीन लिया। सिद्धार्थ अंदर चला गया कुछ देर बाद ऑफिस का बैग लेकर आया और अपनी गाडी लेकर निकल गया।
सिद्धार्थ को जाते देखकर जगदीश जी ने गिरिजा से पूछा,”सिद्धार्थ इस वक्त कहा गया है ?”
“उसके ऑफिस से फ़ोन आया था कोई जरुरी मीटिंग बता रहा था , कहा है सुबह आएगा। आप सब लग भी अंदर चलिए”,गिरिजा ने कहा
“देख जगदीश ! मैं तो कहूँगी अब तुम भी सिद्धार्थ के लिए कोई लड़की देख लो , अरे 31 साल का हो गया है एक बार शादी की उम्र निकल गयी तो फिर कोई लड़की नहीं देगा,,,,,,,,,,!!”,भुआजी ने कहा
“रिश्ते आ रहे है दीदी पर सिद्धार्थ को ही नहीं जमता तो कभी लड़की वाले मना कर देते है”,जगदीश जी ने कहा
“सिर्फ 31 का ही तो हुआ है दीदी , अभी कौनसी उम्र निकल गयी , इस साल ना सही तो अगले साल तक तो कर ही देंगे”,गिरिजा ने चिढ़े हुए स्वर में कहा
सभी उठकर अंदर चले आये , आज सिद्धार्थ घर में था नहीं इसलिए गिरिजा ने उसके कमरे में भुआजी और दूसरे मेहमानो का बिस्तर लगा दिया और देर रात खुद भी सोने चली गयी।
सिद्धार्थ अपने ऑफिस आया। बॉस के अलावा स्टाफ के कुछ लोग थे जो नाईट ड्यूटी पर थे। सिद्धार्थ अनमने मन से अपनी डेस्क पर चला आया और अपना लेपटॉप निकाल लिया। ऑफिस बॉय एक फाइल उसकी टेबल पर रखकर चला गया। मीटिंग की डिटेल्स बॉस ने उसे मेल कर दी और खुद थोड़ी देर में ऑफिस से निकल गया जिस से सिद्धार्थ और ज्यादा चिढ गया।
2 घंटे काम करने और रिपोर्ट बनाने के बाद सिद्धार्थ ने मीटिंग अटेंड की और रिपोर्ट बॉस को भेज दी।
बॉस सिद्धार्थ के काम से काफी खुश था। सिद्धार्थ ने सर पीछे झुका लिया और आँखे मूंद ली। थकान महसूस होने लगी और नींद की वजह से आँखे भी मूंदने लगी थी लेकिन सिद्धार्थ को अभी एक रिपोर्ट और तैयार करनी थी इसलिए उसने बेल बजायी लेकिन ऑफिस बॉय नहीं आया वह तो खुद कही सो रहा था। सिद्धार्थ ने देखा कोई नहीं आया है तो खुद ही उठा और खुद ही कैफेटेरिया की तरफ चला आया। सिद्धार्थ ने मग उठाया और उसमे अपने लिए कॉफी लेकर वही बगल में बने रेस्ट एरिया में चला आया।
कैफेटेरिया में दिवार की जगह शीशे की दिवार थी जिसके आर-पार दिखाई देता था। दिवार के उस पार ऑफिस का लॉन एरिया था। सिद्धार्थ ने देखा बाहर बारिश हो रही है। वह शीशे के पास चला आया
वह शीशे के पास खड़े होकर गरम कॉफी की चुस्किया लेते हुए बारिश को देखने लगा। बारिश को देखते हुए सहसा ही सिद्धार्थ को वह खूबसूरत लड़की नजर आने लगी जिसे उस दिन उसने सोशल मीडिआ पर देखा था।
कप सिद्धार्थ के हाथ में ही रह गया और वह एकटक शीशे के उस पार बारिश भीगती उस लड़की को देखता रहा जो बारिश की बूंदो के साथ खेल रही थी , इठला रही थी , हंस मुस्कुरा रही थी। सिद्धार्थ समझ ही नहीं पाया ये जो कुछ था वो सपना था या सच या उसका वहम,,,,,,,,,,,,,,वह बस खोया हुआ सा उस साये को देखता रहा और हाथ में पकड़ी कॉफी ठंडी होती रही।
सुख विलास , सेक्टर 14 , उदयपुर , राजस्थान
अपने कमरे की बालकनी में खड़ी अवनि आसमान की तरफ सर उठाये आँखे मूंदे खड़ी थी। इस वक्त जो दर्द और तकलीफ वह महसूस कर रही थी उसे सिर्फ वही समझ सकती थी। घर में सब उसे गलत समझ रहे थे पर अवनि जानती थी कि उसी इन सब में कोई गलती नहीं थी। अवनि आँखे मूँदे खड़ी उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर बह गए। ठंडी हवाएं चल रही थी और उसी के साथ बारिश होने लगी।
आंसुओ के साथ बारिश की बूंदो ने भी अवनि के चेहरे पर अपनी जगह बना ली और अब ये पता कर पाना मुश्किल था कि आँसू ज्यादा थे या पानी की बुँदे , अवनि वही खड़ी बारिश में भीगती रही। बारिश तेज होने लगी और अवनि पूरी तरह भीग चुकी थी इस बारिश में वह अपने अंदर भरे उस दर्द को हमेशा के लिए बहा देना चाहती थी जो कुछ देर पहले उसे उसके अपनों से मिला था।
आनन्दा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
लता से बात करने के बाद पृथ्वी अपने कमरे में चला आया और पेट के बल लेट गया लेकिन उसे नींद नहीं आयी। वह करवटें बदलता रहा लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी। पृथ्वी हैरान था कि दिनभर ऑफिस में काम करने और इतना थकने के बाद भी उसे नींद क्यों नहीं आ रही ? वह पीठ के बल लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा। जैसे ही उसने आँखे मुंदी बिजली की गड़गड़ाहट उसके कानो में पड़ी , बाहर बारिश हो रही है इसका अंदाजा लगाकर पृथ्वी उठा और कमरे से बाहर चला आया।
बालकनी में आकर पृथ्वी मुस्कुरा उठा उसका अंदाजा सही था बाहर बारिश हो रही थी। पृथ्वी को बारिश में भीगना बहुत पसंद था। वह बालकनी में आया और अपनी पीठ रेलिंग से लगाकर अपने हाथ फैलाकर रेलिंग पकड़ी और बालकनी से पीछे की तरफ झुककर बारिश की बूंदो को अपने चेहरे , सीने और गर्दन पर महसूस करने लगा। बारिश बहुत तेज हो रही थी और इसी के साथ उसे हल्की हल्की ठण्ड भी लग रही थी लेकिन उसे ये करने में मजा आ रहा था। पृथ्वी के फ्लेट की बालकनी हो , बारिश हो और वह अकेला हो तब एक अलग ही इंसान होता था।
एक ऐसा इंसान जिसे बारिश में भीगना बहुत पसंद है , जो खुद से बहुत प्यार करता है , जो बारिश में भीगते हुए बारिश की बूंदो से बात करता है , इस वक्त उसकी आँखों में एक अलग ही चमक और होंठो पर प्यारी सी मुस्कान होती थी। साफ शब्दों में कहे तो पृथ्वी इस वक्त सबसे ज्यादा खुश और जिंदादिल नजर आता था। उसने रेलिंग से अपनी पीठ हटाई और बालकनी की दिवार पर आ बैठा।
बारिश अभी भी हो रही थी उसने आसमान की तरफ अपना चेहरा उठाया और आँखे मूंदे अपने बालों में से दोनों हाथो की उंगलियों को निकालकर बड़बड़ाया,”क्या सच में मेरे लिए कोई ऐसी बनी है जो सिर्फ मेरी होगी ? जिसे मेरा इंतजार होगा ? अगर ऐसा हुआ तो यकीनन ये इस दुनिया की सबसे खूबसूरत कहानी होगी,,,,,,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल