Pasandida Aurat – 11
Pasandida Aurat – 11

मरुधर सोसायटी , मकान नंबर 154 , सिरोही , राजस्थान
सिद्धार्थ के घर आज “रुद्राभिषेक” था और वह सबके साथ पूजा में बैठा था। पडोसी , कुछ वही सिरोही में रहने वाले रिश्तेदार और सिद्धार्थ के कुछ जान पहचान वाले भी आये हुए थे। रुद्राभिषेक के साथ ही सभी के लिए खाने का प्रोग्राम भी था दरअसल सिद्धार्थ ने अपनी मेहनत से नयी जमीन खरीदी थी जिसका भूमि पूजन भी आज ही था। भूमि पूजन सुबह हो चुका था और अब रुद्राभिषेक चल रहा था। पंडित जी ने अच्छे से पूजा पाठ करवाया और सिद्धार्थ के साथ-साथ उसके घरवालों को भी आशीर्वाद दिया।
रुद्राभिषेक और पूजा-पाठ के बाद सभी खाना खाने घर के बाहर लगे टेंट में चले आये। कुछ अंदर घर में ही बैठकर बातें कर रहे थे। सिद्धार्थ भी अपने कजिन्स और जान पहचान वाले लोगो के साथ बैठा था। हर कोई सिद्धार्थ की तारीफ कर रहा था और करते भी क्यों नहीं इतनी कम उम्र में उसने इतनी तरक्की जो कर ली थी। सिद्धार्थ को अपने रिश्तेदारों से बहुत नफरत थी लेकिन जब वो सामने होते थे तो वह उनसे प्यार से बात करता था। सिद्धार्थ सबके मुंह से अपनी तारीफ सुनकर फुला नहीं समा रहा था।
सिद्धार्थ की भुआ उसके पास आयी और कहा,”अरे सिद्धार्थ ! जमीन , गाड़ी , अच्छी नौकरी तो तुझे मिल चुकी अब कोई अच्छी सी लड़की देखकर शादी भी कर लो तो तुम्हारा घर भी बस जाए और तुम्हारा परिवार बढे”
सिद्धार्थ ने सुना तो मुस्कुराया और कहा,”हाँ भुआजी ! बस कोई अच्छी लड़की तो मिले उसके बाद शादी भी कर लूंगा”
“अरे वो भाईसाहब के दोस्त की बेटी से बात चली थी ना तुम्हारी उसका क्या हुआ ? वो लड़की तो बिल्कुल तुम्हारे लायक थी,,,,,,,,,!!”,भुआ जी ने कहा
सिद्धार्थ कुछ कहता इस से पहले वहा बैठे उसके एक कजिन राहुल ने कहा,”लड़की इसके लायक होने से क्या होता है भुआ , लड़का भी तो उस लड़की के लायक होना चाहिए ,, श्रीवास्तव अंकल को अपनी बेटी के लिए पति चाहिए शो पीस नहीं,,,,,,,,,!!”
राहुल की बात सुनकर सिद्धार्थ अंदर ही अंदर गुस्से से उबल पड़ा लेकिन सबके सामने कुछ कहा नहीं और फीका सा मुस्कुरा दिया लेकिन बाकी सब हंस पड़े।
सिद्धार्थ का उतरा मुँह देखकर पंडित जी ने कहा,”अरे सिद्धार्थ बेटा ! ज़रा यहाँ आना”
सिद्धार्थ पंडित जी के पास आकर बैठ गया तो पंडित जी ने कहा,”गिरिजा ने मुझे तुम्हारी कुंडली देखने को कहा था , मैंने अभी देखी आने वाला साल तुम्हारे लिए बहुत शुभकारी है , ज़रा अपना हाथ दिखाना”
पंडित जी की बात सुनकर सिद्धार्थ ने अपना हाथ उनके सामने कर दिया
पंडित जी ने सिद्धार्थ का हाथ देखा और मुस्कुरा कर कहा,”इस साल के अंत में तुम्हारे जीवन में एक बहुत अच्छी लड़की आएगी और उसी के साथ और भाग्य से तुम आने वाले साल में बहुत तरक्की करने वाले हो। अगर वक्त मिले तो इस साल दीपावली के बाद एक बार बनारस जाकर “काशी विश्वनाथ” दर्शन करके आना , सब अच्छा होगा”
सिद्धार्थ ने सुना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा , अब एक अपने जीवन ने उसने जो परेशानिया देखी थी वे सब अब खत्म होने जा रही थी और सोने पर सुहागा ये कि उसकी जिंदगी में अब कोई लड़की भी आने वाली थी।
सिद्धार्थ ने जेब से 500 रूपये का एक नोट निकाला और पंडित जी को दे दिया। सिद्धार्थ ने उनसे खाना खाकर जाने को कहा और खुद उठकर अपने दोस्तों की तरफ चला गया। बाहर सभी खाने का लुफ्त उठा रहे थे और सिद्धार्थ सबके बीच घूमते हुए उनसे बाते कर रहा था , खाने के बारे में पूछ रहा था और सब उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे। यही तो चाहता था सिद्धार्थ , उसे लोगो से अपनी तारीफ़ सुनना बहुत पसंद था फिर चाहे वे तारीफे झूठी ही क्यों ना हो ?
सिद्धार्थ अपने दोस्तों के साथ खड़ा था तभी गिरिजा ने उसे आवाज देकर अपने पास बुलाया , सिद्धार्थ गिरिजा के पास आया तो देखा उसकी दूर की मौसी और एक औरत जिसे सिद्धार्थ नहीं जानता था भी वहा खड़ी थी।
“हाँ मम्मी”,सिद्धार्थ ने आकर कहा
“मम्मी के बच्चे कब तक मम्मी के आगे पीछे घूमता रहेगा”,मौसी ने कहा
“मतलब ?”,सिद्धार्थ ने कहा
“मतलब ये कि शादी वादी करने का कुछ इरादा है या नहीं , ये मेरी पड़ोसन है शीला जी , इनकी भांजी है अभी कॉलेज फाइनल ईयर में है मैंने गिरिजा को बताया लड़की के बारे में , अरे यही अपने सिरोही से है तुम कहो तो बात आगे बढ़ाये ?”,मौसी ने कहा
सिद्धार्थ ने जैसे ही शादी की बात सुनी उसका मन खराब हो गया। नंदिनी ने उसके साथ जो किया उस से सिद्धार्थ का दिल पहले ही टूट चुका था और उसके बाद सोनिया ने भी रिश्ते से इंकार करके सिद्धार्थ को और हर्ट कर दिया।
अब तो सिद्धार्थ को शादी के नाम से ही चिढ होने लगी थी उसने मौसी को देखा और सहजता से कहा,”नहीं मौसी ! मुझे अभी शादी नहीं करनी”
“अरे एक बार लड़की से मिल तो लो क्या पता देखकर मन बदल जाए”,मौसी ने हँसते हुए कहा
“मौसी मुझे शादी के लिए लड़की देखनी है पेंट शर्ट का कपड़ा नहीं खरीदना जो देखकर मन बदल जाये , आप लोग अपना ये शादी डॉट कॉम कही और चलाइये”,सिद्धार्थ ने इस बार गुस्से से कहा और वहा से चला गया
मेहमानो के साथ सिद्धार्थ का बर्ताव देखकर गिरिजा ने कहा,”माफ़ करना उसका वो मतलब नहीं था ,आजकल शादी का नाम सुनकर चिढ जाता है। उसकी भी क्या गलती है अब तक कितनी लड़कियों के रिश्ते आ चुके उसके लिए कभी उसे लड़की पसंद नहीं आती कभी लड़की वालो की कोई डिमांड निकल आती है
तो कभी लड़की वाले लास्ट मोमेंट पर मना कर देते है ,, मुझे तो अब डर लगने लगा है पता नहीं ये शादी करेगा भी या नहीं”
गिरिजा की बात सुनकर उसकी रिश्तेदार ने उसे सांत्वना देते हुए कहा,”चिंता मत करो , जिसके साथ लिखा है उसी का साथ मिलेगा तेरे बेटे को और रही इसके गुस्से की बात तो जिस दिन कोई अच्छी लड़की इसकी जिंदगी में आएगा ना इसका गुस्सा भी प्यार में बदल जाएगा”
गिरिजा ने सुना तो मुस्कुरा दी और फिर सबको साथ लेकर खाना खाने चली गयी।
मौर्या , Pvt Ltd. कम्पनी , नवी मुंबई
शाम का वक्त था और पृथ्वी अपने केबिन में अपनी डेस्क के पास खड़ा अपना सामान समेटकर बैग में रख रहा था। उसने बैग बंद किया और कंधे पर डालकर जैसे ही जाने लगा जयदीप वहा आ धमका और कहा,”तुम जा रहे हो ?”
“नहीं मैं अभी आया हूँ , आप इतनी ज्यादा सेलेरी देते है तो सोचा मुझे आपके लिए नाईट ड्यूटी भी शुरू कर देनी चाहिए”,पृथ्वी ने चिढ़कर कहा
“अह्ह्ह्ह ! गुस्सा हमेशा तुम्हारी नाक पर ही रहता है , I am your boss यार कभी तो मुझसे प्यार से बात किया करो”,जयदीप ने कहा
“यही तो प्रॉब्लम है कि आप मेरे बॉस है और मैं आपसे प्यार से बात नहीं कर सकता , आपने मुझे क्यों रोका है ?”,पृथ्वी ने कहा
“अरे हाँ ! मैं तुमसे ये पूछने आया था अगर इस साल हम अपने ऑफिस में गणपति जी बैठाये तो कैसा रहेगा ? वो क्या है इस बार गणपति पर मेरी वाइफ अपने मायके जा रही है और मैं तो ऑफिस को ही अपना घर समझता हूँ,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा
पृथ्वी वहा ज्यादा देर रुकना नहीं चाहता था इसलिए कहा,”वाओ ! what a great idea , आपको इस बार गणपति यही रखना चाहिए,,,,,,,,अब मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है”
कहकर पृथ्वी केबिन से निकल गया। जयदीप उसके पीछे आया और कहा,”तुम इतनी जल्दी में कहा जा रहे हो ? क्या आज तुम्हारी कोई डेट है ?”
पृथ्वी ने सुना तो रुका और पलटकर कहा,”मेरी लाइफ में लड़की के अलावा भी बहुत कुछ इम्पोर्टेन्ट है,,,,,,,!!”
जयदीप ने सुना तो अपने दोनों हाथ उठाकर पृथ्वी से जाने का इशारा कर दिया और पृथ्वी दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया।
ऑफिस से बाहर आकर पृथ्वी ने देखा नकुल बाइक लेकर सामने ही खड़ा है। पृथ्वी नकुल के पीछे आकर बैठा तो नकुल ने कहा,”पुरे 10 मिनिट लेट हो तुम , वहा सब लोग आ भी चुके है सिर्फ तेरा और मेरा इंतजार कर रहे है और ये क्या पहना है तुमने ? मैंने तुझसे कहा था न थोड़ा हेंडसम बनकर आना , रिया भी वहा आने वाली है,,,,,,,,,!!”
“वो तेरी गर्लफ्रेंड है मेरी नहीं,,,,,तुझे पता है मैं ऑफिस से आया हूँ , अब चल”,कहते हुए पीछे बैठे पृथ्वी ने अपनी बाजु फोल्ड किये , ऑफिस का आई डी कार्ड निकालकर बैग में रख लिया ,
शर्ट के ऊपर के दो बटन खोले और बाइक के शीशे में देखते हुए दो चार बार अपने बालों में से हाथ घुमाकर उन्हें सेट किया , जेब से रुमाल निकालकर चेहरा साफ किया और रुमाल जेब में रख लिया। बाइक चलाते हुए नकुल की नजर शीशे में नजर आते पृथ्वी पर पड़ी तो उसने कहा,” अच्छा लग रहा है यार”
पृथ्वी ने धीरे से उसके सर पर एक चपत मारी और कहा,”वो तो मैं हमेशा ही लगता हूँ बस देखने वाले पर डिपेंड करता है”
“वो देखने वाली जल्दी से तेरी जिंदगी में आ जाये बस,,,,,,,,!!”,नकुल ने मुस्कुराते हुए कहा
पृथ्वी ने सुना तो उसके चेहरे पर उदासी तैरने लगी और उसने बुझे स्वर में कहा,”नहीं यार अब कोई नहीं चाहिए मैं ऐसे ही ठीक हूँ,,,,,,,,वैसे भी उम्मीदे सिर्फ तकलीफ देती है और मैं अब किसी को ना उम्मीद देना चाहता हूँ ना ही किसी से उम्मीद रखना चाहता हूँ”
“पृथ्वी एक लड़की तुझे छोड़कर चली गयी तो क्या अब तू उसके लिए पूरी जिंदगी खुद को गलत समझकर अकेला रहेगा , हाह क्या बकवास है ? अरे मैं आज ही अपनी रिया से कहकर तेरा मामला उसकी बेस्ट फ्रैंड से सेट करवाता हूँ ?”,नकुल ने कहा
“तू ये दलालो वाले काम कब से करने लगा ?”,पृथ्वी ने बड़े ही अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“अरे भाई तेरे लिए दलाल भी बनना पड़ा ना तो वो भी बन जाऊंगा मैं लेकिन तुझे ऐसे उदास नहीं देख सकता यार मैं”,नकुल ने कहा
पृथ्वी ने सुना तो हंसा और कहा,”अच्छा ये बता जो कुछ हुआ उसके बाद तूने मुझे रुषाली के लिए रोते देखा ?”
“नहीं , एक बार भी नहीं,,,,,,,,!!”,नकुल ने कहा
“हाँ तो जिस दिन मैं तेरे सामने किसी लड़की के लिए रो दू तो समझना She is importent for me ,, रुषाली ने जो किया उस से दर्द तो हुआ पर आँखों में एक बार भी आँसू नहीं आये , इसका मतलब जानता है तू , इसका है हमारे बीच जो कुछ भी था वो बस एकतरफा था और एकतरफा फीलिंग्स पर उदास नहीं होते बल्कि ये सोचकर मुस्कुराते है कि किस्मत ने हमे बेहतर चुनने का एक और मौका दिया है”,पृथ्वी ने कहा
पृथ्वी की बात सुनकर नकुल कुछ देर के लिए खामोश हो गया , कभी कभी पृथ्वी की बाते इतनी गहरी और साधारण होती थी कि नकुल भी सोचने पर मजबूर हो जाता था।
दोनों एक आलिशान होटल के बाहर पहुंचे जहा दोनों के बाकि दोस्त और नकुल की गर्लफ्रेंड रिया खड़ी थी। रिया , नकुल , पृथ्वी और बाकि तीन दोस्त ज्योतिका , अभिनव और तरुण एक ही स्कूल में साथ साथ पढ़े थे और तब से इनका ग्रुप था जो आज भी वैसा ही था। साल में 6 बार सभी एक दूसरे के बर्थडे पर मिलते थे और साथ साथ वक्त बिताते थे। आज रिया का बर्थडे था और उसी ने सबको डिनर के लिए यहाँ इन्वाइट किया था।
पृथ्वी ने रिया को साइड हग किया और बर्थडे विश किया और बाकि सब से भी मिला। सभी अंदर चले आये।
होटल के लॉन में रिया ने पहले ही डिनर टेबल बुक करवा रखा था सब उसके इर्द गिर्द आ बैठे। रिया ने बहुत ही सुंदर ब्लैक वन पीस ड्रेस पहना था तो वही ज्योतिका ने ऑफ शोल्डर टॉप और डेनिम शॉर्ट्स पहना था जिसमे उसकी गोरी मांसल जाँघे साफ दिखाई दे रहे थी। ज्तोतिका का टॉप भी थोड़ा नीचे था जिस से उसका सीना भी बाहर झलक रहा था। मुंबई के मॉर्डन कल्चर में ये सब सामान्य था इसलिए बाकि दोस्तों ने कोई आपत्ति नहीं जताई और सब रिया का केक आने का इंतजार करने लगे।
पृथ्वी ज्योतिका के बिल्कुल सामने बैठा था और सामने देखने के बजाय इधर उधर देख रहा था। कुछ देर बाद केक आया , रिया ने केक कट किया और सबने उसको केक खिलाया , विश किया। इसके बाद खाना आया और सब बातें करते हुए खाने लगे। पृथ्वी आज सबसे कम बात कर रहा था उसके दिमाग में कल ऑफिस की मीटिंग के बारे में ख्याल चल रहे थे जहा उसे जयदीप के क्लाइंट “जोसेफ” से मिलकर पिछली गलती के लिए माफी मांगनी थी और डील डन करवानी थी।
पृथ्वी को जल्दी निकलना था लेकिन खाना खाने के रिया ने सबके लिए स्वीट डिश में ब्राउनी आर्डर कर दी और सब एक बार फिर बाते करते हुए इंतजार करने लगे।
पृथ्वी को बोरियत महसूस होने लगी उसने जैसे ही साइड में देखा उसकी नजर बगल वाली टेबल पर बैठे आदमी पर पड़ी जो अधेड़ उम्र का था और अपने दोस्तों के साथ बैठा था। उसके साथ बैठे बाकी लोग बातें कर रहे थे खाना खा रहे थे लेकिन उस आदमी की नजर पृथ्वी वाली टेबल पर थी। पृथ्वी ने ध्यान दिया तो समझ आया उसकी नजर ज्योतिका पर थी। वह कभी अपनी नजरे ज्योतिका के सीने पर गड़ाता तो कभी उसकी जांघो को देखकर होंठो को चबाता। पृथ्वी ने अपने दोस्तों को देखा सब बातों में बिजी थी।
पृथ्वी उठा और आदमी की तरफ बढ़ गया चलते चलते उसने अपनी पेंट से शर्ट को बाहर निकाल लिया और अपने शर्ट के बटन खोलते हुए ठीक आदमी के सामने जा खड़ा हुआ। शर्ट के पुरे बटन खुले थे और पृथ्वी का बदन दिख रहा था जिसमे जिम जाने की वजह से बॉडी कट्स भी साफ दिख रहे थे उस पर उसका सांवला रंग , आदमी ने पृथ्वी को इस तरह अपने सामने देखा तो कहा,”ये क्या बदतमीजी है ?”
“जो तुम देख रहे हो वो यहाँ भी है देखो”,पृथ्वी ने आदमी की आँखों में देखकर कठोरता से कहा तो आदमी अंदर ही अंदर घबरा गया लेकिन पृथ्वी वही खड़ा एकटक उसे देखता रहा।
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संजना किरोड़ीवाल
यही तो प्रॉब्लम है कि आप मेरे बॉस है और मैं आपसे प्यार से बात नहीं कर सकता , आपने मुझे क्यों रोका है ?”,पृथ्वी ने कहा
“अरे हाँ ! मैं तुमसे ये पूछने आया था अगर इस साल हम अपने ऑफिस में गणपति जी बैठाये तो कैसा रहेगा ? वो क्या है इस बार गणपति पर मेरी वाइफ अपने मायके जा रही है और मैं तो ऑफिस को ही अपना घर समझता हूँ,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा
पृथ्वी वहा ज्यादा देर रुकना नहीं चाहता था इसलिए कहा,”वाओ ! what a great idea , आपको इस बार गणपति यही रखना चाहिए,,,,,,,,अब मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है
यही तो प्रॉब्लम है कि आप मेरे बॉस है और मैं आपसे प्यार से बात नहीं कर सकता , आपने मुझे क्यों रोका है ?”,पृथ्वी ने कहा
“अरे हाँ ! मैं तुमसे ये पूछने आया था अगर इस साल हम अपने ऑफिस में गणपति जी बैठाये तो कैसा रहेगा ? वो क्या है इस बार गणपति पर मेरी वाइफ अपने मायके जा रही है और मैं तो ऑफिस को ही अपना घर समझता हूँ,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा
पृथ्वी वहा ज्यादा देर रुकना नहीं चाहता था इसलिए कहा,”वाओ ! what a great idea , आपको इस बार गणपति यही रखना चाहिए,,,,,,,,अब मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है