Manmarjiyan Season 3 – 79
Manmarjiyan Season 3 – 79

सुबह सुबह गुप्ता जी अपने घर के आँगन की सीढ़ियों पर बैठे दातुन से अपने दाँत घीस रहे थे। मंगल फूफा सुबह सुबह नहा धोकर , नए कपडे पहनकर तैयार होकर बाहर आये। मंगल गुप्ता जी के बगल में आकर सीढ़ियों पर रुका और आँखों पर काला चश्मा लगाकर जैसे ही आगे बढ़ा लड़खड़ा गया और गिरते गिरते बचा। गुप्ता जी ने मंगल को देखा तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया और हाथ में पकड़ा दातुन हाथ में रह गया।
पीले फूलों वाली चटख गुलाबी रंग की शर्ट , उसके नीचे सफ़ेद रंग की खुली खुली पेंट , सर पर जो चार बार बचे थे उन्हें भी चमेली का तेल से सर पर चिपका रखा था , चेहरे पर पाउडर इतना ज्यादा चुपड़ा हुआ था कि मंगल के हाथो और चेहरे का रंग मिलना मुश्किल था वही पाउडर उसने भर भर के गर्दन पर भी लगा लिया और शर्ट के ऊपर के दो बटन भी खुले छोड़ दिए। मंगल ने नाक पर आये चश्मे को ऊँगली से सही करके , टेढ़ी चाल चलते हुए गुप्ता जी के पास आकर कहा,”क्यों लग रहे है ना हिंदी फिलिम के हीरो ?”
गुप्ता जी ने उलटी करने जैसा मुंह बनाया और दातुन साइड में फेंककर कहा,”ऐसा लग रहा है जैसे नाली में लोटने के बाद सूअर होली खेलकर आया है,,,,,,,,,,जे का पहिने हो , का नौटंकी मा हिस्सा लिए हो ?”
“इह हमहू अपनी फूल को इम्प्रेस करने के लिए पहिने है”,मंगल ने शरमाते हुए कहा
“इम्प्रेस का पता नाही उह्ह अगर तुमको ऐसे देख ली ना तो डिप्रेस जरूर हो जायेगी”,गुप्ता जी ने कहा
मंगल ने सुना तो यादव के घर की तरफ देखते हुए कहा,”अरे डिप्रेस तो उह्ह बेचारी उह्ह यादववा के साथ है हमाये साथ तो ऐश करेगी,,,,,,,,!!”
“अहहहहह ऐश करेगी , साले तुम्हाये खुद के रहने खाने के ठिकाने नहीं है और तुमहू ओह्ह का ऐश करवाओगे , और सबेरे सबेरे तुमहू हिया का कर रहे हो ? का कहे थे हम कल कि सुबह होते ही अपने घर निकल जाना”,गुप्ता जी ने गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए कहा
मंगल कुछ कहता इस से पहले गुप्ताइन बाहर आयी और कहा,”एजी सुनिए ! जे सुबह सुबह गोलू कहा चला गवा ? अरे हमको उसे कुछो काम से बाहर भेजना था पर उह्ह कही नजर नहीं आ रहा , आपने कही भेजा है का ओह्ह को ?”
“हमहू कहा भेजेंगे ? अंदर अपने कमरा मा पड़ा सो रहा होगा जाकर उठाय ल्यो”,गुप्ता जी ने कहा
“माजी ! गोलू जी घर में तब होंगे न जब वो घर आएंगे , हमे लगा पापाजी उन्हें लेकर आ जायेंगे”,पिंकी ने आकर कहा
गुप्ता जी ने सुना तो पिंकी की तरफ देखकर कहा,”उह्ह का दुई साल का बच्चा है जिसको हम गोद मा उठाकर लाएंगे , जे गोलुआ के साथ रहकर तुम्हायी बुद्धि भी धीरे धीरे खराब हो रही है बिटिया,,,,,,,,,दूर रहो ओह्ह से”
“जे कैसी बाते कर रहे है आप ? अरे गोलू इह का पति है और जे छोड़िये जे बताईये है कहा उह्ह ?”,गुप्ताइन ने कहा
“जे पुरे कानपूर मा ओह्ह के दो ही ठिकाने है एक जे घर दूसरा मिश्रा जी का घर , 56 भोग खाने गए थे ना कल शाम मा मिश्रा जी के घर वही पड़े होंगे”,गुप्ता जी ने कहा
“बिटिया गुड्डू के घर फोन करो और गोलू को घर भेजने को कहो”,गुप्ताइन ने पिंकी से कहा
“रहने दो बिटिया ! उह्ह ऐसे ही ना आही है इह बार हमहू खुद जाते है मिश्रा जी के घर और ओह्ह को लेकर आते है,,,,,,,साला नाक मा नकेल डाल रखे है जे गोलुआ भी,,,,,,,जब देखो तब गुड्डू मा ऐसे घुसे रहते है जैसे खैनी मा चुना”,कहते हुए गुप्ता जी अंदर चले गए
गुप्ताइन ने पिंकी से अंदर चलने को कहा और खुद भी जाने के लिए जैसे ही पलटी नजर मंगल पर पड़ी जो कि यादव के घर की तरफ झाँक रहा था। गुप्ताइन ने देखा तो हैरानी से कहा,”ए मंगल फूफा ! जे यादव जी के घर की तरफ काहे झांक रहे है आप ?”
मंगल पलटा और कहा,”क क क क कुछो नाही , हमहू तो बस देख रहे थे कि उह्ह यादववा दूध मा पानी तो नाही मिलाता”
गुप्ताइन ने सुना तो हसने लगी और कहा,”हाहाहाहा का मंगल फूफा आप भी , अरे यादव जी के हिया दूध का बड़ा कारोबार है , काम करने के लिए 8-10 मजदुर लगे है ओह्ह के हिया उह्ह खुद दूध थोड़े बेचते है,,,,,,और जे का पहने है आप बिल्कुल सर्कस के जोकर लग रहे है। अंदर चलकर चाय नाश्ता कर लीजिये फिर आपको जाना भी होगा,,,,,,,देर हो जाही है , आ जाओ और आपके उह्ह लड़को का नाश्ता हमहू यही भिजवाते है”
कहकर गुप्ताइन अंदर चली गयी। मंगल ने जाने की बात सुनी तो टेंशन में आ गया , गुप्ता जी के सामने तो उसने चौड़ में बोल दिया कि फुलवारी को साथ लेकर ही जायेगा वरना इस घर से नहीं जाएगा लेकिन गुप्ताइन से कैसे कह दे ? बेचारा हताश होकर अंदर चला आया और पलटकर एक बार और यादव जी के घर की तरफ देखा लेकिन फुलवारी दिखाई नहीं दी।
मिश्रा जी का घर , कानपूर
सुबह के 8 बज रहे थे और लवली अभी तक सो रहा था। नीचे सब उठ चुके थे और अपने रोजमर्रा के कामो में लगे थे। मिश्रा जी को सांत्वना देने वालो का आना जाना अभी भी लगा था क्योकि उनकी अम्मा को गुजरे सिर्फ चार दिन हुए थे और ये पांचवा दिन था। मिश्रा जी सुबह जल्दी ही उठ गए या यू कहे गुड्डू और गोलू के बारे में सोचते हुए पूरी रात सोये नहीं थे। वे बाहर अपनी अम्मा की बैठक वाली जगह आ बैठे , शगुन उन्हें चाय देकर जाने लगी तो मिश्रा जी ने कहा,”शगुन बिटिया ! गुड्डू उठा के नाही ?”
“वो ऊपर अपने कमरे में सो रहे है पापाजी”,शगुन ने कहा
“जे ससुरे कबो ना सुधरे है,,,,,,,,,जाकर ओह्ह का उठाओ और नीचे भेजो हमे कुछो काम से बाहिर भेजना है ओह्ह का”,मिश्रा जी ने कहा
मिश्रा जी के कहने पर शगुन ऊपर चली आयी और कमरे में आयी तो देखा गुड्डू अभी तक सो रहा था जो कि असल में लवली था। उसे देखते ही शगुन को शाम वाली घटना याद आ गयी जब मिश्रा जी गुड्डू और गोलू पर गुस्सा कर रहे थे उन्हें डांट रहे थे। उसे गुड्डू पर दया आने लगी क्योकि शगुन जानती थी पिछले 4 दिन से घर में जो कुछ भी हो रहा था उसमे गुड्डू की कोई गलती नहीं थी।
“गुड्डू जी ! गुड्डू जी , उठ जाईये पापा जी आपको नीचे बुला रहे है”,कहते हुए शगुन बिस्तर की तरफ आयी लेकिन लवली ने कोई हरकत नहीं की। शगुन उसके पास आयी और जैसे ही उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाया लवली ने एकदम से आँखे खोली और उठकर पीछे हटते हुए कहा,”तुम सुबह सुबह हिया का कर रही हो ?”
शगुन ने सुना तो हैरानी से लवली को देखा और कहा,”क्या कर रही हूँ मतलब , मैं आपको उठाने आयी हूँ पापाजी ने आपको नीचे बुलाया है”
“हाँ तो ठीक है , तुम चलो हम आते है”,लवली ने शगुन से और दूर हटते हुए कहा ताकि शगुन गुड्डू समझकर उसे छू ना ले , लवली भले ही इस घर में गुड्डू की जगह लेना चाहता था पर शगुन को लेकर उसके मन में बहुत इज्जत थी वह किसी और की अमानत के साथ रहना तो दूर उसे छूना भी पाप समझता था। लवली को खुद से दूर भागते देखकर शगुन को अजीब लगा लेकिन वह ये अंदाजा नहीं लगा पायी कि सामने बैठा शख्स गुड्डू नहीं लवली है , उसने कहा,”ठीक है लेकिन आप मुझसे ऐसे दूर क्यों भाग रहे है ? मुझमे क्या काँटे लगे है ?”
“अरे नहीं नहीं उह्ह का है ना तुमहू सुबह सुबह नहा ली और हमहू अभी तक मंजन भी नाही किये , तुमको छूकर अशुद्ध काहे करेंगे तुमको पूजा पाठ करना होगा ना बस इहलीये,,,,,,,तुमहू चलो ना हम आते है”,लवली ने जो मन में आया शगुन से कह दिया
“क्या गुड्डू जी , आप भी ना कैसी बातें करते है , आप मुझे छुएंगे तो मैं अशुद्ध हो जाउंगी , सच में कभी कभी बहुत अजीब बाते करने लगते है आप”,शगुन ने कहा तभी मिश्राइन की आवाज उसके कानो में पड़ी और उसने उठते हुए कहा,”शायद माजी मुझे बुला रही है , आप नहाकर नीचे आ जाईये पापा जी ने कहा है , मैं जाती हूँ,,,,,,,,,,,!!”
शगुन इतना कहकर दरवाजे की तरफ बढ़ गयी , लवली ने चैन की साँस ली तभी शगुन वापस पलटी और कहा,”गुड्डू जी,,,,,,,,,!”
“हाँ , हाँ शगुन”,लवली ने कहा
“पापाजी ने कल जो कुछ भी किया , आप उसके बुरा मत मानना पापाजी बस थोड़ा परेशान थे और फिर आपके और गोलू जी के कारनामे सुनकर उन्हें और बुरा लग गया,,,,,,,,,आप प्लीज उन्हें माफ़ कर देना”,शगुन ने कहा
“हमे बुरा नाही लगा शगुन हमने और गोलू ने गलती भी तो की थी वैसे भी उह्ह हमाये पिताजी है और उनको पूरा हक़ है हम पर हाथ उठाने का,,,,,,,हमे बिल्कुल बुरा नाही लगा”,लवली ने अपना दिल कड़ा करके झूठ कहा जबकि मिश्रा जी को पिताजी कहते हुए उसके सीने में कोई फंस चुभ रही थी”
शगुन मुस्कुराई और वहा से चली गयी। लवली कमरे से बाहर आया वाशबेसिन के सामने आकर अपना मुंह धोया और शीशे में खुद को देखकर बड़बड़ाया,”अगर हम ऐसे ही शगुन से दूर भागते रहे तो शगुन को हम पर शक हो जाएगा,,,,,,लेकिन हम गुड्डू की पत्नी को कैसे छू सकते है ? इन सब में शगुन की का गलती है हमे ऐसा कुछो नाही करना है जिस से शगुन के मन को ठेस पहुंचे,,,,,,,,!!”
लवली काफी देर तक इन्ही बातो में उलझा रहा और वही खड़ा रहा तभी उसके कानो में सोनू भैया की आवाज पड़ी,”अरे का भाई गुड्डू ! और कितना निहारोगे खुद को शीशा मा ?”
सोनू भैया की आवाज से लवली की तंद्रा टूटी उसने साइड में अपने घर की बालकनी में खड़े सोनू भैया को देखा और मन ही मन खुद से कहा,”जे साला गुड्डू भी ना पूरा मोहल्ला से यारी दोस्ती करके बैठे है सबको इनका हाल जानना है , वहा चकिया मा साला किसी पडोसी की हिम्मत नाही होती थी हमसे कुछो पूछ ले पर हिया हर दुइ घर छोड़ के गुड्डू का कोई न कोई पहिचान वाला निकल आएगा,,,,,,,,,,अब जे चमन चप्पू को ही लेइ ल्यो जे का सब जानना होता है गुड्डू के बारे में , अरे नहीं बताना हमका कुछो , नहीं है हम गुड्डू की तरह सबके साथ हसने बोलने वाले,,,,,,,,,!!”
“अरे का हुआ गुड्डू ? कहा खो गए , तबियत तो ठीक है न तुम्हायी,,,,,,,,!!”,लवली को बड़बड़ाते देखकर सोनू भैया फिर चिल्लाये
लवली ने अपना हाथ सर से लगाया और कहा,”हाँ तबियत ठीक नाही है,,,,,,,हमहू नीचे जा रहे है दवा खाने , खाइयेगा ?”
“हाहाहाहा अरे नहीं , तुम्ही खाओ”,सोनू भैया ने हँसते हुए कहा
“तो फिर काहे हर 5-5 मिनिट मा हमायी भुआ बन जाते हो ? अपने काम से काम रखो ना”,लवली ने गुस्से से कहा
“अबे गुड्डू ! इत्ता बदतमीजी से काहे बात कर रहे हो बे का हुआ है तुमको ?”,सोनू भैया ने थोड़ा गंभीर होकर कहा
लवली उसकी तरफ आया और गुस्से से लेकिन थोड़ा दबी आवाज में कहा,”अभी तो बदतमीजी कर रहे है दोबारा हमे टोका ना तो वही आके मारेंगे समझे”
सोनू भैया ने सुना तो हैरानी से उनका मुँह खुला का खुला रह गया आज से पहले गुड्डू ने उनसे इतनी बदतमीजी से बात कभी नहीं की थी। सोनू भैया को चुप देखकर लवली वहा से चला गया। कमरे में आकर लवली ने कबर्ड से गुड्डू के कपडे निकाले और नहाने चला गया।
मिश्रा जी अपनी अम्मा की बैठक में बैठे थे तभी उनकी नजर घर के मेन गेट से अंदर आते गुप्ता जी पर पड़ी। सुबह सुबह गुप्ता जी को अपने घर आते देखकर मिश्रा जी उठे और आँगन की तरफ चले आये। गुप्ता जी मिश्रा जी के पास आये तो उन्होंने कहा,”का बात है गुप्ता जी आज सुबह सुबह हिया सब ठीक है ना ?”
“जोन औलाद आप और हम पैदा किये रहय मिश्रा जी ओह्ह के रहते कुछो ठीक कैसे हो सकता है ?”,गुप्ता जी ने बड़े ही अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“मतलब ?”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे कहो नाही ! उह्ह ज़रा गोलुआ को बुला दीजिये ओह्ह की अम्मा ने घर बुलाया है , उह्ह ससुरा जब हिया आता है वापस घर जाता ही नाही , ज़रा आवाज तो दीजिये”,गुप्ता जी ने कहा
मिश्रा जी ने सुना तो उन्हें हैरानी हुई और उन्होंने कहा,”लेकिन गोलू तो कल शाम ही वापस चला गया था , उह्ह हिया नाही है”
“पर उह्ह्ह तो कल शाम से घर ही नाही आया है”,गुप्ता जी ने कहा
“घर नहीं गया तो फिर कहा गया है ? कानपूर मा तो गुड्डू के अलावा उसका ऐसा कोनो दोस्त नाही है जहा उह्ह जाए”,मिश्रा जी ने कहा
“एक बार जरा गुड्डू को बुलाकर पूछ लीजिये का पता उसे पता हो”,गुप्ता जी ने कहा अब उन्हें गोलू की चिंता होने लगी थी। वे घर से इस उम्मीद में आये थे कि गोलू गुड्डू के घर ही होगा पर गोलू तो यहाँ नहीं था।
“अरे गुड्डू का बताएगा उह्ह्ह खुद मार खाकर ऊपर पड़ा है,,,,,,तुमको नाही पता है गज्जू कल का मारे है मिश्रा जी गुड्डू और गोलू को,,,,,,,,,,,ऐसा तो कोनो जानवर को भी नाही मारता”,मिश्रा जी से पहले आदर्श फूफा ने वहा आकर आग लगाते हुए कहा
अब चूँकि गज्जू गुप्ता मिश्रा जी के खास दोस्तों में से एक थे इसलिए फूफा की तरफ पलटे और कहा,”इह चाहे गोलू को मारे पीटे गरियाये चाहे तो ओह्ह की खाल मा भूंसा कर दे तुम्हाये पेट मा मरोड़ काहे उठ रही है ? मेहरारू लगते हो गोलुआ की ?”
“भलाई का जमाना ही नाही है,,,,,,,,,,!!!”,फूफा ने मुंह बनाकर कहा
“तुम्हरी भलाई देखे रहय हमहू , अपने ही ससुराल मा जो भलाई किये हो ना ओह्ह्ह की भरपाई बेचारे मिश्रा जी जीवन भर करी है,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने फूफा पर भड़काकर कहा तो मिश्रा जी ने उन्हें रोक लिया
गुप्ता जी मिश्रा जी तरफ पलटे और दबी आवाज में कहा,”अबे यार मिश्रा काहे झेल रहे हो बे इह दानव को , तिलक कर 50 की नोट देकर दफा करो हिया से,,,,,,,,काहे अपनी छाती से चिपकाय के बइठे हो”
“बहिन का मामला नाही होता तो यही पटक के पेलते अभी पर का करे घर मा है ना तो मजबूर है”,मिश्रा जी ने भी दबी आवाज में ही जवाब दिया
“कहो तो उठवाय ले”,गुप्ता जी ने मिश्रा जी के पास आकर कहा
उठवाने की बात पर ही मिश्रा जी को गोलू के किये कांड की याद आ गयी और वे गुप्ता जी को घूरने लगे
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संजना किरोड़ीवाल
गुप्ता जी मिश्रा जी तरफ पलटे और दबी आवाज में कहा,”अबे यार मिश्रा काहे झेल रहे हो बे इह दानव को , तिलक कर 50 की नोट देकर दफा करो हिया से,,,,,,,,,,,काहे अपनी छाती से चिपकाय के बइठे हो”
“बहिन का मामला नाही होता तो यही पटक के पेलते अभी पर का करे घर मा है ना तो मजबूर है”,मिश्रा जी ने भी दबी आवाज में ही जवाब दिया
“कहो तो उठवाय ले”,गुप्ता जी ने मिश्रा जी के पास आकर कहा
उठवाने की बात पर ही मिश्रा जी को गोलू के किये कांड की याद आ गयी और वे गुप्ता जी को घूरने लगे