Pasandida Aurat – 2

Pasandida Aurat – 2

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

 अब तक आपने पढ़ा कि मुंबई में रहने वाला पृथ्वी उपाध्याय आज फिर ऑफिस देर से पहुंचा था लेकिन अंदर जाने से पहले ही उसे एक फोन आया और पृथ्वी अपने खड़ूस बॉस को 10 मिनिट में आने का बोलकर वहा से चला गया , अब आगे,,,,,,,,,,,,,,)

ऑटो एक कैफे के बाहर आकर रुका। पृथ्वी ऑटो से नीचे उतरा और किराया देकर अपना ऑफिस बैग कंधे पर डालें कैफे की तरफ बढ़ गया। रुषाली उसे बाहर ही मिल गयी। पृथ्वी उसे देखकर मुस्कुराया और उसके पास आकर कहा,”तुमने मुझे इतनी जल्दी में क्यों बुलाया ?”
“पृथ्वी ! एक्चुअली मेरी अंदर एक मीटिंग है और ये दवाईया आई को देनी बहुत जरुरी है , मैं चली जाती लेकिन 5 मिनिट बाद मीटिंग शुरू हो जाएगी तो क्या तुम इन्हे आई तक पहुंचा सकते हो प्लीज ?”,रुषाली ने कहा


पृथ्वी ने घडी देखी , ऑफिस के लिए आज वह पहले ही लेट हो चुका था लेकिन रुषाली को ना भी नहीं बोल सकता था। वह कुछ कहता इस से पहले ही रुषाली ने अपनी स्कूटी की चाबी पृथ्वी की ओर बढ़ा दी और कहा,”तुम मेरी गाडी ले जाओ प्लीज”
“अह्ह्ह ठीक है अब इतना प्लीज भी मत करो , जा रहा हूँ मैं”,पृथ्वी ने चाबी और दवाईया लेकर कहा
रुषाली ख़ुशी से पृथ्वी के गले लगी और कहा,”थैंक्यू सो मच”
रुषाली वहा से चली गयी लेकिन पृथ्वी वही खड़ा रहा और जाती हुई रुषाली को तब तक देखता रहा जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गयी।

26 साल की रुषाली भार्गव दिखने में काफी बोल्ड , खूबसूरत और आकर्षक थी।  रुषाली एक आई टी कम्पनी में जॉब करती थी। पिछले 6 साल से पृथ्वी और रुषाली अच्छे दोस्त थे लेकिन ये रिश्ता दोस्ती से बढ़कर ही था। जहा रुषाली अपने हर छोटे छोटे काम के लिए भी पृथ्वी पर निर्भर थी वही पृथ्वी को उसके लिए ये सब करना अच्छा लगता था। रुषाली के घर में उसकी आई और छोटा भाई था इसलिए घर की सारी जिम्मेदारी रुषाली पर ही थी। रुषाली की आई भी पृथ्वी को पसंद करती थी और पृथ्वी अक्सर उनके घर आता जाता रहता था।

रुषाली भी पृथ्वी के घरवालों से मिल चुकी थी और पृथ्वी के बाकि दोस्तो की तरह वो भी पृथ्वी के घर बेझिझक आती रहती थी।
गाड़ी के हॉर्न से पृथ्वी की तंद्रा टूटी उसने पार्किंग से रुषाली की स्कूटी निकाली और उसके घर की तरफ निकल गया। पृथ्वी ने रुषाली की आई को दवाईया दी और वहा से सीधा अपने ऑफिस चला आया। पृथ्वी बॉस से नजर बचाकर दबे पाँव अपने केबिन की तरफ जा ही रहा था कि उसके बॉस जयदीप मौर्या की नजर उस पर पड़ गयी और उन्होंने कहा,”पृथ्वी अपना बैग केबिन में रखो और आकर मुझसे मिलो”


पृथ्वी ने सुना तो अपना सर पीटा और अपने केबिन की तरफ बढ़ गया।
“गुड मॉर्निंग सर”,पृथ्वी की जूनियर आयशा ने कहा जो कि उसके केबिन में उसके साथ ही काम करती थी , आयशा के अलावा इस केबिन में 4 लोग और थे जिनमे से एक लड़का पृथ्वी के साथ बाकि सब का सीनियर था।

पृथ्वी ने देखा सब केबिन में है और वही देर से पहुंचा है उसने अपने टेबल पर अपना बैग रखकर आयशा से कहा,”बॉस का लेक्चर सुने बिना मेरी मॉर्निंग गुड कैसे हो सकती है ?”
पृथ्वी की बात सुनकर बाकि जूनियर्स दबी सी हंसी हसने लगे तो पृथ्वी सबको घूरते हुए वहा से चला गया।

बॉस के केबिन की तरफ जाते हुए वह अपने शर्ट की बाजु फोल्ड करने लगा , पृथ्वी दूसरे हाथ की बाजू फोल्ड करते हुए अंदर आया उसे देखकर जयदीप ने कहा,”पृथ्वी ! क्या तुम कोई गुंडे मवाली हो ? या फिर कोई रोड साइड रोमियो,,,,,,,,!!”
पृथ्वी ने सुना तो उसे अपने स्कूल का आखरी साल याद आ गया जब उसने अपने सीनियर लड़को की पिटाई की थी और पीटने के बाद उनके सामने ऐसे ही बाजू फोल्ड की थी पृथ्वी मुस्कुरा उठा। उसे मुस्कुराते देखकर बॉस चिढ गया और कहा,”पृथ्वी ! मैं तुम से बात कर रहा हूँ”


“आई नो सर , आपने मुझे क्यों बुलाया है ? आप जानते है ना ऑफिस में सुबह सुबह कितना काम होता है,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा
“ये तुम मुझे बता रहे हो पृथ्वी , आज फिर तुम लेट हो वो भी पुरे 45 मिनिट,,,,,,!!”,जयदीप ने पृथ्वी को घूरकर कहा
“एक इमरजेंसी आ गयी थी सर,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा
“तुम्हारी ये इमरजेंसी हफ्ते में 4 दिन होती है आखिर ये कब तक चलेगा ?”,जयदीप ने अपने गुस्से को कंट्रोल करके कहा


“जब तक आप मेरी सेलेरी नहीं बढ़ा देते,,,,,!!”,पृथ्वी ने भी रुखा सा जवाब दिया
“मतलब अगर मैंने तुम्हारी सैलेरी नहीं बढ़ाई तो तुम ये कम्पनी छोड़ दोगे,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा
 “अगर किसी दूसरी कम्पनी ने मुझे यहाँ से ज्यादा सेलेरी ऑफर की तो पक्का मैं ऑफिस आना बंद कर दूंगा”,पृथ्वी ने जयदीप की आँखों में देखकर कहा
जयदीप ने एक गहरी साँस के साथ अपने गुस्से को निगला और कहा,”ओके फाइन ! मैं तुम्हारी सेलेरी बढ़ा दूंगा लेकिन उसके लिए तुम्हे रोज ऑफिस वक्त से आना होगा


“अभी मेरी सैलरी कितनी है सर ?”,पृथ्वी ने पूछा
“35 हजार”,जयदीप ने कहा
“इतनी काफी है,,,,,DR Group का डेटा मैंने आपको मेल कर दिया है और बाकी 3 प्रोजेक्स मैं आज शाम में सब्मिट कर दूंगा,,,,,,,,,,क्या मैं अब जा सकता हूँ ?”,पृथ्वी ने कहा उसका ऐटिटूड काफी पॉजिटिव था
जयदीप ने कुछ नहीं कहा बस अपना हाथ आगे कर उसे जाने का इशारा कर दिया और अपना धयान अपने लेपटॉप पर लगा लिया  

पृथ्वी अपने केबिन में आया अपनी कुर्सी खिसकाकर उस पर आ बैठा और अपना काम करने लगा। उसे कुछ प्रोजेक्ट्स देखने थे और कुछ रिपोर्ट्स तैयार करनी थी। पृथ्वी के इस केबिन में पृथ्वी के अलावा 2 लड़के और लड़किया थी जिनमे से 4 पृथ्वी के जूनियर थे। इस केबिन में बैठकर पृथ्वी अक्सर ऑफिस प्रोजेक्स या रिपोर्ट्स के बारे में ही डिस्कस किया करता था।

जूनियर लड़कियो ने कई बार उस से बात करने कोशिश की लेकिन पृथ्वी खुद को लेकर बहुत क्लियर था उसे ऑफिस में बस अपने काम से मतलब था और यही चीज उसे बाकी सब से अलग बनाती थी जिस वजह से जयदीप भी उस से अच्छा खासा इम्प्रेस था लेकिन दिन में एक बार उसकी और पृथ्वी की बहस हो ही जाया करती थी।

ऑफिस का बाकि स्टाफ जयदीप के साथ काफी फ्रेंक था बस पृथ्वी को छोड़कर या यू कह सकते है कि पृथ्वी ने अपनी बाउंड्री खुद सेट कर रखी थी। दिनभर काम के चलते पृथ्वी लंच करना भी भूल गया , दोपहर बाद जब उसे याद आया तो लौकी के बारे में सोचकर उसका मुंह वैसे ही बन गया। उसने डिब्बा खोला तक नहीं और चाय पीने उठकर बाहर चला आया। पृथ्वी ने ऑफिस के बाहर केंटीन से चाय ली और वही खड़े होकर पीने लगा तभी उसका फोन बजा।

चाय पीते हुए पृथ्वी ने फोन देखा स्क्रीन पर अनजान नंबर देखकर पृथ्वी ने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेल्लो ! पृथ्वी उपाध्याय स्पीकिंग”
“हाय ! मैं ऋचा बोल रही हूँ , आपकी आई ने मुझे आपका नंबर दिया था,,,,,,आज शाम हम मिलने वाले थे”,दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज कानो में पड़ी।
ये बात तो पृथ्वी भूल ही गया था उसने गुस्से से आसमान की तरफ देखा जैसे भगवान् से शिकायत कर रहा हो और मन मारकर कहा,”अहह जी हाँ ! लेकिन अभी तो मेरा ऑफिस है,,,,,,!!”


“ग्रेट ! लिस्टन मिस्टर उपाध्याय , आई नो आपकी आई ने आपको मुझसे मिलने के लिए कहा है पर क्या आप इसे स्किप कर सकते है ? आई मीन मै आपसे मिलना नहीं चाहती मैं ऑलरेडी किसी और को पसंद करती हूँ,,,,,,,,आई हॉप यू अंडरस्टेंड”,लड़की ने बड़े ही प्यार से कहा
पृथ्वी ने जैसे ही सुना उसने राहत की साँस ली और कहा,”थैंक्यू सो मच आपने मेरे फूलों के पैसे बचा लिए,,,,,,!!”
“व्हाट ?”,लड़की ने कहा


“अह्ह्ह नथिंग , हेव अ गुड डे बाय”,पृथ्वी ने कहा और फोन काट दिया।
पृथ्वी शादी के लिए लड़की से मिलना नहीं चाहता था और लड़की ने खुद सामने से मना कर दिया। ख़ुशी से पृथ्वी का चेहरा खिल उठा वह ख़ुशी ख़ुशी अपने केबिन में चला आया डिब्बा निकालकर खाना खाने लगा। आई के हाथो बनी लौकी चने की सब्जी भी उसे अब मटर पनीर का स्वाद दे रही थी।

उसी शाम , रवि उपाध्याय का घर
डायनिंग टेबल पर खाने के इंतजार में रवि और लक्षित बैठे थे और साथ ही लता का रेडिओ चालु था। वे किचन में खाना बनाती हुई बड़बड़ाती जा रही थी। लक्षित ने अपने पापा को देखा और भँवे उचकाई तो रवि जी ने अपने होंठो को बाहर निकालकर ना में गर्दन हिला दी , जैसे कहना चाह रहे हो कि उन्हें कुछ नहीं पता। गुस्से में बड़बड़ाते हुए लता हाथ में खाने के बर्तन लेकर आयी और डायनिंग पर रखने लगी।


“हाह ! पता नहीं ये लड़का चाहता क्या है ? सोसायटी में इसकी उम्र के सब लड़को की शादी हो चुकी , हिमांशु की शादी होकर घर में एक बिटिया भी आ चुकी और ये लाट साहब अभी तक लड़किया ही देख रहे है,,,,,, देख कहा रहे है रिजेक्ट कर रहे है”,लता खाना टेबल पर रखते हुए बड़बड़ाई और फिर एकदम से रवि की तरफ देखकर कहा,”आखिर कैसी लड़की पसंद आएगी इसे , इतनी लड़कियों से मिलवा दिया इसे ये हर बार लड़की को ना बोलकर आ जाता है , आज आप उस से पूछकर रहेंगे आखिर वो चाहता क्या है ? उसे शादी क्यों नहीं करनी ?”


“शांत हो जाओ लता , उसे आने दो मैं बात करता हूँ न उस से”,लता के गुस्से को देखते हुए रवि जी ने प्यार से कहा
लता कुछ कहती इस से पहले ही डोरबेल बजी। लता ने दरवाजे की तरफ देखा तो उनका बिगड़ा मूड देखकर लक्षित ने उठते हुए कहा,”मैं खोल देता हूँ”
लक्षित ने आकर दरवाजा खोला , सामने पृथ्वी खड़ा था।
“वोल्टेज आज काफी हाई है ! लगता है आज आपकी क्लास लगने वाली है , आल द बेस्ट”,लक्षित पृथ्वी के साथ अंदर आते हुए कहा


पृथ्वी अंदर आया अपना बैग रखा और अपने कमरे में चला गया। ट्राउजर टीशर्ट पहनकर आया और वाशबेसिन की तरफ बढ़ गया। हाथ मुंह धोकर डायनिंग की तरफ चला आया। उसने आँखों ही आँखों में आई के गुस्से की वजह जाननी चाही इतने में लता खुद ही वहा चली आयी और चपातीयो से भरी प्लेट टेबल पर पटककर कहा,”अब आज क्या बहाना बनाने वाले हो ? ये कहने वाले हो कि लड़की तुम से ज्यादा सुंदर है , या फिर ये कहने वाले हो कि लड़की की हाइट तुम से बहुत कम है या फिर आज तुम्हारे पास कोई नया बहाना है”    


पृथ्वी ने डायनिंग पर रखी उलटी प्लेट को सीधा करते हुए कहा,”इनमे से कुछ भी नहीं,,,,,,ना मैंने लड़की से ये सब कहा है न ही उसे रिजेक्ट किया है”
“तो क्या आज लड़की ने तुम्हे रिजेक्ट कर दिया ?”,रवि जी ने पृथ्वी की तरफ देखकर पूछा
पृथ्वी ने अपना निचला होंठ दबाया और हामी में गर्दन हिला दिया तो लक्षित ने एक्साइटेड होकर कहा,”वाह बाबा ये तो कमाल हो गया ना , हर बार दादा लड़कियों को रिजेक्ट करते है इस बार लड़की ने ही दादा को रिजेक्ट कर दिया”


“जास्त बोलू नका ( ज्यादा मत बोलो )”,पृथ्वी ने लक्षित के सर पर एक चपत लगाकर कहा और फिर लता की तरफ पलटकर प्यार से कहा,”आई ! क्यों टेंशन लेती है मुंबई में लड़कियों की कमी है क्या ?”
“अच्छा लता छोडो ये गुस्सा आओ बैठो सब साथ में खाना खाते है”,रवि ने लता का हाथ पकडकर कहा और पास पड़ी कुर्सी पर बैठा लिया। पृथ्वी भी कुर्सी पर आ बैठा और फिर सब बातें करते हुए खाना खाने लगे।

खाना खाने के बाद पृथ्वी कुछ देर रुका और फिर वहा से अपने फ्लेट में जाने के लिए घर से निकल गया। उसे बस एक सोसायटी से दूसरी सोसायटी में जाना था इसलिए पैदल ही चल पड़ा। चलते चलते पृथ्वी के दिमाग में कई बातें चल रही थी तभी एक हाथ आकर उसके कंधे पर लगा और कानो में आवाज पड़ी,”ए पृथ्वी ! इस सन्डे सोसायटी का मैच है तू आ रहा है ना ?”


“नकुल शर्मा” पृथ्वी का बचपन का दोस्त जो इसी सोसायटी में अपने परिवार के साथ रहता है। नकुल और पृथ्वी स्कूल से लेकर कॉलेज था , घर से लेकर बाहर तक हमेशा साथ साथ ही रहे है ऐसा कुछ नहीं था जो दोनों ने कभी एक दूसरे से छुपाया हो। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों की जिंदगी में एक दूसरे के अलावा दोस्त था ही नहीं
“कितने बजे है ?”,पृथ्वी ने उदासी भरे स्वर में कहा


“मैच तो 5 बजे है लेकिन ये बता तुझे क्या हुआ है ? तेरे खड़ूस बॉस ने तुझे नौकरी से निकाल दिया क्या ?”,नकुल ने कहा और फिर खुद ही अपने अपने मजाक पर हंस पड़ा लेकिन पृथ्वी को हंसी नहीं आयी वह बस खामोशी से नकुल को देखता रहा तो नकुल ने अपनी हंसी रोकी और कहा,”अच्छा सॉरी ! ये बता क्या हुआ ?”
“बैठकर बात करे”,पृथ्वी ने कहा तो नकुल समझ गया कि पृथ्वी क्या कहना चाहता है उसने पृथ्वी से रुकने का इशारा किया और चला गया। कुछ देर बाद बाइक आकर पृथ्वी के  बगल में रुकी और नकुल ने कहा,”चल आ बैठ”


पृथ्वी नकुल के पीछे आ बैठा। कुछ देर बाद दोनों सोसायटी से कुछ ही दूर अपनी फेवरेट चाय की दूकान पर चले आये जहा पृथ्वी और नकुल अक्सर आया करते थे। नकुल दो गिलास चाय ले आया , एक गिलास पृथ्वी को दिया और दूसरा खुद रख लिया दोनों वही दुकान के पास सड़क किनारे बने डिवाइडर पर आ बैठे और चाय पीने लगे।
“यार आई मेरी शादी के पीछे क्यों पड़ी है ?”,पृथ्वी ने नकुल की तरफ देखकर कहा


“इसमें गलत क्या है ? हिमांशु भैया की शादी हो चुकी उनके बाद घर में बड़ा तू ही है तो आंटी को तो टेंशन होगी न”,नकुल ने कहा
“तू माझी आई आहेस का ?”,पृथ्वी ने चिढ़कर गुस्से से कहा
“ए तुझे गुस्सा मराठी में आता है क्या ? अच्छा छोड़ मुझे ये बता तुझे शादी नहीं करनी ? क्या तुझे कोई पसंद है ?”,नकुल ने पूछा
नकुल की बात सुनकर पृथ्वी सामने खाली पड़ी सड़क को देखने लगा और उसकी आँखों के सामने रुषाली का चेहरा आ गया

क्या पृथ्वी के दिल में रुषाली को लेकर भावनाये थी जो दोस्ती से बढ़कर थी ? क्या नकुल इस मामले में पृथ्वी की मदद कर पायेगा ? क्या रुषाली को है पृथ्वी से मोहब्बत ? जानने के लिए पढ़े “पसंदीदा औरत”

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संजना किरोड़ीवाल  

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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“मैच तो 5 बजे है लेकिन ये बता तुझे क्या हुआ है ? तेरे खड़ूस बॉस ने तुझे नौकरी से निकाल दिया क्या ?”,नकुल ने कहा और फिर खुद ही अपने अपने मजाक पर हंस पड़ा लेकिन पृथ्वी को हंसी नहीं आयी वह बस खामोशी से नकुल को देखता रहा तो नकुल ने अपनी हंसी रोकी और कहा,”अच्छा सॉरी ! ये बता क्या हुआ ?”
“बैठकर बात करे”,पृथ्वी ने कहा तो नकुल समझ गया कि पृथ्वी क्या कहना चाहता है उसने पृथ्वी से रुकने का इशारा किया और चला गया। कुछ देर बाद बाइक आकर पृथ्वी के  बगल में रुकी और नकुल ने कहा,”चल आ बैठ”

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