Main Teri Heer Season 5 – 73

Main Teri Heer Season 5 – 73

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

वंश निशि को बाबा से पुछवाने लाया था और बाबा ने सबके सामने वंश और सुमन के रिश्ते की बात करके और गड़बड़ कर दी। निशि ने सुना तो वहा से चली गयी , वंश ने भी उसके पीछे जाना चाहा तो बाबा ने उसे अपने पास आकर बैठने को कहा। बेचारा वंश आकर बाबा के बगल में आकर बैठ गया।

बाबा की बात सुनकर नवीन-मेघना ने एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखा और फिर नवीन ने जैसे ही सारिका को देखा पाया कि सारिका भी उदास सी उसे ही देख रही है। निशि के जाने से मेघना और नवीन भी उसके पीछे पीछे चले गए।

शिवम्-सारिका और वंश को छोड़कर बाकी सबके चेहरों पर ख़ुशी के भाव थे। शिवम् की नजर सारिका पर पड़ी तो उसका उदास चेहरा देखकर वह समझ गया कि सारिका को बाबा का ये फैसला पसंद नहीं आया लेकिन उसने उस वक्त कुछ नहीं कहा। सारिका बहाना बनाकर वहा से चली गयी और गेस्ट रूम की तरफ चली आयी।

“निशि ये क्या कर रही हो तुम ? बेटा तुम अपना बैग पैक क्यों कर रही हो ?”,नवीन ने निशि से कहा  
“डेड ! आपने बाहर सुना ना वंश के बाबा ने क्या कहा ? उन्होंने वंश का रिश्ता तय कर दिया है और हमे पता तक नहीं है ,, सारिका आंटी ने हम सबसे ये बात क्यों छुपाई ?

अगर वंश की शादी पहले से किसी ओर के साथ तय है तो फिर सारिका आंटी ने मुंबई में आपसे मेरा हाथ क्यों मांगा ? क्यों मुझे झूठी उम्मीद दी क्यों मेरी फीलिंग्स से खेला उन्होंने ? और वंश उसने भी मुझे ये सब नहीं बताया , मुझे यहाँ नहीं रहना डेड मैं यहाँ से जाना चाहती हूँ,,,,,,,,,!!”,कहते कहते निशि रो पड़ी।


मेघना ने निशि को रोते देखा तो उदास हो गयी। नवीन ने आगे बढ़कर निशि को सीने से लगाया और कहा,”निशि ! पागल हो गयी हो क्या बेटा तुम इतना सब क्यों सोच रही हो ? बाबा ने जो कहा वो मेरे लिए भी शॉकिंग है लेकिन पहले एक बार मुझे सारिका मैडम से बात करनी होगी , आखिर पता तो चले उन्होंने ये सब क्यों किया ?”


“मुझे नहीं जानना डेड मुझे बस यहाँ से जाना है,,,,,,!!”,निशि ने बच्चो की तरह सुबकते हुए कहा
दरवाजे पर खड़ी सारिका सब सुन रही थी , निशि को रोते देखकर उसे दुःख हुआ वह अंदर आयी और कहा,”नवीन !”


सारिका को वहा देखकर नवीन ने मेघना से निशि को सम्हालने का इशारा किया और सारिका की तरफ पलटकर कहा,”मैडम , ये सब क्या है मैडम ? वंश का रिश्ता अगर पहले से तय था तो फिर आपने निशि का हाथ क्यों माँगा मैडम ?”
सारिका कुछ देर खामोश रही और फिर सहजता से कहने लगी,”नवीन वंश और निशि एक दूसरे को पसंद करते है और इसलिए हमने इस रिश्ते को शादी में  बदलने की बात की।

जैसे काशी और मुन्ना को अपना जीवनसाथी चुनने का हक़ था वैसे ही वंश को भी अपना जीवनसाथी चुनने का हक़ था लेकिन बाबा हमेशा से चाहते थे कि घर में किसी एक बच्चे की शादी उनकी पसंद से हो और मुन्ना की सगाई के बाद उन्होंने शिवम् जी से ये वचन ले लिया कि वंश की शादी वे अपनी पसंद की लड़की से करेंगे और शिवम् जी शायद ये बात नहीं जानते थे कि वंश की जिंदगी में पहले से कोई है और हम उनसे इस बारे में बात करते इस से पहले ही उन्होंने बाबा को वचन दे दिया और,,,,,,,,,,,,,,

हमने मुंबई में वंश और निशि के रिश्ते की बात इसलिए की थी ताकि बनारस आकर शिवम् जी को सब बता दे और बाबा वंश के लिए कोई लड़की पसंद करे इस से पहले निशि उनके सामने आ जाये लेकिन सब उलटा हो गया। बाबा ने कल हल्दी में ही अपने दोस्त की पोती को बुला लिया और ये सब,,,,,,,,,,,!!”


नवीन ने सारिका की सारी बाते ध्यान से सुनी और कहा,”मैडम मैं आपकी बात समझ रहा हूँ लेकिन वंश ने बाबा से हाँ क्यों कहा ? वो तो निशि से प्यार करता है ना फिर शादी किसी और से ?”


“यही बात तो हमे समझ नहीं आ रही नवीन , लेकिन आप परेशान मत हो होईये हम शिवम् जी और वंश से बात करते है”,सारिका ने परेशानी भरे स्वर में कहा
निशि ने खुद को सम्हाला और सारिका के सामने आयी और रोआँसा होकर कहा,”आंटी मैं वंश की शादी किसी और से होते नहीं देख सकती”


निशि को उदास देखकर सारिका उसके पास आयी और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर प्यार से कहा,”वंश की शादी तुम से ही होगी हमने तुम्हे वंश के लिए चुना है निशि हमारा चुनाव गलत नहीं हो सकता और हम वचन देते है इस घर की बहू तुम ही बनोगी वो भी बाबा की मंजूरी के साथ”

सारिका की बात सुनकर निशि के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली। नवीन और मेघना भी खुश हो गए। मेघना सारिका के पास आयी और कहा,”सारिका जी मुझे आप पर और आपके चुनाव पर पूरा भरोसा है,,,,,,,,वंश और निशि की मोहब्बत हम सबसे पहले आपने जो देखी थी”
“मेघना , अतीत की यादे बहुत कड़वी है और हम नहीं चाहते वंश और निशि की जिंदगी में किस्मत उस अतीत को फिर से दोहराये”,सारिका ने मेघना की बांह छूकर सहजता से कहा


“लेकिन शिवम् सर , उनका बाबा को दिया वचन क्या वो उस वचन को तोड़ पाएंगे ?”,नवीन ने पूछा
 सारिका ने नवीन की तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा,”नहीं शिवम् जी अपना वचन कभी नहीं तोड़ेंगे,,,,,,,,,,,!!”
सारिका की बात सुनकर निशि , नवीन और मेघना के चेहरे से ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी ये देखकर सारिका ने कहा,”लेकिन हमने जो वचन दिया है वो भी पूरा होगा , वंश निशि से शादी भी करेगा , शिवम् जी अपना वचन भी निभाएंगे और बाबा का सपना भी पूरा होगा”


“मैडम आप कह रही है तो जरूर ऐसा होगा , मुझे आप पर भरोसा है”,नवीन ने कहा
“निशि , आज शाम डांस में हमने तुम्हारे साथ अपना परफॉर्मेंस रखा है , हमारे साथ डांस करोगी ना तुम ?”,सारिका ने पूछा


“आपके साथ ?”,निशि ने हैरानी से पूछा
“हाँ हमारे साथ , चलो अब जल्दी से मुंह धोकर बाहर आ जाओ,,,,,,,,,,तुम्हे बहुत से लोगो से मिलवाना है”,सारिका ने कहा और मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी।


नवीन ने निशि की तरफ देखा और कहा,”अगर ऐसी सास हो तो बहुये कभी अपने मायके वालों को याद ही नहीं करेगी”
“पापा,,,,,,,,,!!”,कहते हुए निशि नवीन के सीने से आ लगी।  
सबके बीच बैठा वंश उदास था और शिवम् उसकी उदासी साफ़ देख पा रहा था। वंश की नजर जब शिवम् से मिली वंश को मुरारी की कही बात याद आयी और वह वहा से उठकर चला गया।


“लगता है अपनी शादी की बात से सरमा गवा , शिवा तुम का कहते हो मुन्ना की शादी के बाद रिश्ता पक्का कर दे सुमन से ?”,बाबा ने वंश को जाते देखकर कहा और फिर शिवम् से पूछा।
“बाबा वंश ने हाँ कह दिया है ना तो फिर अब जल्दी का है थोड़ा रुक जाते है।  हम ज़रा आते है”,कहते हुए शिवम् उठा और वंश के पीछे चला गया

घर में हर तरफ मेहमान थे इसलिए वंश पीछे आँगन में चला आया उसने कुछ समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ? निशि उस से नाराज थी , मुरारी की बातो में आकर उसने बाबा के सामने हाँ कर दी और अब बाबा उसकी शादी सुमन से करवाने पर तुले है लेकिन वंश तो निशि को चाहता था।

परेशान सा अपनी उंगलियों को चबाते हुए वंश यहाँ से वहा घूमने लगा तभी शिवम वहा आया और वंश रुक गया। शिवम् कुछ कहता इस से पहले वंश ने कहा,”पापा मैं सुमन से शादी नहीं करूंगा , आप से कह दीजिए मुझे शादी नहीं करनी”


“हम बाबा को वचन दे चुके है वंश “,शिवम् ने धीरे से कहा
वंश ने सुना तो हैरानी से शिवम् को देखा और कहा,”पर आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते है पापा ? अभी तो मैंने सीरीज में अपना करियर शुरू किया है और इतनी जल्दी शादी,,,,,,,,!!”
“वंश बाबा ने सिर्फ रिश्ते की बात की है शादी की नहीं,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा
“पापा आप समझ नहीं रहे है मैं,,,,,,,!!”,वंश ने उलझन भरे स्वर में कहा


“हम समझते है वंश लेकिन हम बाबा को वचन दे चुके है और अब हम इस से पीछे नहीं हट सकते”,शिवम् ने कहा
वंश ने शिवम् की तरफ देखा , उसकी आँखों में आँसू भर आये क्योकि वह अपने पापा को अच्छे से जानता था। शिवम् सब कर सकता है लेकिन अपना वचन कभी नहीं तोड़ेगा। उसने कुछ नहीं कहा और सर झुकाकर वहा से चला गया।

 वंश अंदर आया और सीधा सारिका के कमरे में चला आया। वंश सारिका के पास आया और चिढ़ते हुए कहा,”माँ ये सब क्या है ? मैं कोई शादी वादी नहीं करने वाला बाबा की पसंद की लड़की से ,, आप तो जानती है ना मैं निशि को पसंद करता हूँ और आपने खुद नवीन अंकल से मेरे लिए निशि का हाथ मांगा था फिर पापा बाबा को ऐसा वचन कैसे दे सकते है ?”


वंश की नाराजगी जायज थी सारिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर पर बैठाया और सारी बात बता दी तो वंश ने कहा,”ये पापा ने अच्छा नहीं किया माँ , और आपने पापा को सच क्यों नहीं बताया ?”
“हम बताना चाहते थे वंश लेकिन उस से पहले ही तुम्हारे पापा ने बाबा को वचन दे दिया”,सारिका ने मायूस होकर कहा


“लेकिन मैं ही क्यों माँ ? जैसे मुन्ना और काशी को अपना लाइफ पार्टनर चुनने का हक़ है तो मुझे क्यों नहीं ? आप पापा से जाकर कह दीजिये मुझे नहीं करनी शादी,,,,,,,,,,और मैं नहीं करूंगा किसी भी शर्त पर नहीं करूंगा , मैं निशि को धोखा नहीं दे सकता माँ,,,,,,,,,अगर पापा ने बाबा को वचन दिया है तो मैंने भी निशि से प्रॉमिस किया है कि मैं जब भी शादी करूंगा उसी से करूंगा,,,,,,,,,,,,आप , आप पापा को जाकर सब सच बता दीजिये”,वंश ने बच्चो की तरह जिद करके कहा।


“हम ऐसा नहीं कर सकते वंश , हम उनके खिलाफ नहीं जा सकते”,सारिका ने मायूसी भरे स्वर में कहा
वंश ने सुना तो उठा और चिढ़ते हुए कहा,”ओह्ह्ह तो पापा की तरह आपने भी बाबा को वचन दिया,,,,,,,,,,थैंक्यू माँ”
“वंश , वंश हमारी बात सुनो,,,,,,,वंश”,सारिका कहती ही रह गयी और वंश गुस्सा होकर चला गया।

वंश लगभग रोआँसा हो चुका था। उसके अपने ही माँ बाप उसकी भावनाये समझ नहीं रहे थे। वंश घर बाहर चला आया और बगीचे में पड़े तख्ते पर आकर बैठ गया। मौसम अच्छा था हल्की हल्की धुप थी लेकिन वंश को चुभन का अहसास हो रहा था। आई बाहर किसी काम से आयी उन्होंने जब वंश को अकेले बैठा देखा तो उसके पास चली आयी। आई के हाथ में काजू कतली का डिब्बा था उन्होंने वंश के बगल में बैठकर डिब्बा उसकी तरफ बढाकर कहा,”ल्यो काजू कतली खाओ”


“हमे नहीं खानी आई”,वंश ने बुझे स्वर में कहा
“घर मा मोढ़ा लोगन की जब शादी की बात चलती है तो उनका चेहरा चमकने लगता है पर तुम्हाये मुंह पर तो 12 बजे है ऐसा काहे ?”,आई ने कहा  


“सब जानते हुए माँ पापा मेरी बात नहीं समझ रहे तो आई क्या समझेगी ये भी अपने पति की साइड ही लेंगी,,,,,,,,लेकिन मैं इनसे सलाह तो ले ही सकता हूँ”,वंश ने मन ही मन खुद से कहा और आई की तरफ पलटकर बोला,”आई मुंबई में मेरा एक दोस्त है मैं उसके लिए परेशान हूँ”


“दोस्त ? का हुआ तुम्हाये दोस्त को ?”,आई ने पूछा
वंश ने डिब्बे से एक काजू कतली उठाई और खाते हुए कहने लगा,”आई मेरा दोस्त एक लड़की को पसंद करता है लेकिन उसके घरवालों ने उसका रिश्ता कही और कर दिया है और मेरे दोस्त ने किसी और के कहने पर उस रिश्ते के लिए अनजाने में हाँ भी कर दी ,, अब वो बेचारा परेशान है क्योकि वो उस लड़की को धोखा देना नहीं चाहता”
वंश ने अपनी ही कहानी दोस्त के बहाने आई को सुना दी।

वंश की बात सुनते हुए आई की नजर सामने फ़ोन पर बात करते सुमित पर पड़ी जो की परेशान घूम रहा था आई को लगा वंश उसी की बात कर रहा है तो उन्होंने कहा,”अच्छा इहलीये तुम्हरा उह्ह दोस्त हिया शादी मा चला आया”
वंश ने सुना तो सामने सुमित को देखकर अपना सर पीट लिया लेकिन आई की बात में हामी भरते हुए कहा,”हाँ आई वही लेकिन उसे बोलना मत आपको सब पता है , देख रही है ना आप बेचारा कितना परेशान है,,,,,,अब समझ नहीं आ रहा क्या करे ?”


“अरे करना का है सबसे पहिले तो उह आदमी को पकड़कर पेलो जिसकी बातो मा आकर तुम्हरा दोस्त हाँ किये है,,,,,,!!”,आई ने गुस्से से कहा
आई की बात सुनकर वंश को एकदम से मुरारी का ख्याल आया और गुस्से से उसका चेहरा कठोर हो गया। आई ने वंश को गुस्से में देखा और धीरे से कहा,”वंश्वा हमको तो कोनो दलाली का चक्कर लगता है , का पता तुम्हरे दोस्त का रिश्ता करवाने के बदले पैसा खाया हो उह्ह,,,,,,,,हमायी सलाह तो यही है जाकर धर ल्यो ओह्ह का और गुद्दी मा लगाओ दुइ कंटाप भड़भड़ाकर सब बक देही है उह्ह,,,,,,,,,!!”


वंश ने आई के मुँह को पकड़ा और उनके गाल पर किस करके कहा,”वाह आई क्या सॉलिड सोलुशन दिया है,,,,,,,!!”
वंश ने आई को छोड़ा और जाने लगा तो आई चिल्लाई,”अरे बिटवा अपने दोस्त को तो साथ लेइ जाओ”
“हाँ हाँ आई”,कहते हुए वंश सुमित की तरफ आया और उसे अपने साथ लेकर चला गया और बेचारा सुमित हक्का बक्का सा कभी वंश को देखता तो कभी आई को

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संजना किरोड़ीवाल  

अरे करना का है सबसे पहिले तो उह आदमी को पकड़कर पेलो जिसकी बातो मा आकर तुम्हरा दोस्त हाँ किये है,,,,,,!!”,आई ने गुस्से से कहा
आई की बात सुनकर वंश को एकदम से मुरारी का ख्याल आया और गुस्से से उसका चेहरा कठोर हो गया। आई ने वंश को गुस्से में देखा और धीरे से कहा,”वंश्वा हमको तो कोनो दलाली का चक्कर लगता है , का पता तुम्हरे दोस्त का रिश्ता करवाने के बदले पैसा खाया हो उह्ह,,,,,,,,हमायी सलाह तो यही है जाकर धर ल्यो ओह्ह का और गुद्दी मा लगाओ दुइ कंटाप भड़भड़ाकर सब बक देही है उह्ह,,,,,,,,,!!”

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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