Manmarjiyan Season 3 – 34

Manmarjiyan Season 3 – 34

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू ने गुड्डू को जो सेब खाने को दिया उसकी सच्चाई जानकर गुड्डू को उबकाई आ गयी और वह उलटी करने लगा। गोलू ने देखा तो कहा,”का हुआ ? सेब मीठा नाही है का ? हमाओ सेब तो बहुत मिठो है”
गुड्डू ने हाथ में पकड़ा सेब गोलू की तरफ फेंककर कहा,”ल्यो जे भी तुम ही खा लो”
गुड्डू का निशाना बहुत ही सटीक था सीधा जाकर लगा गोलू के मुंह पर जिस से गोलू की एक आँख काली हो गयी और मुंह लाल। पिंकी ने गुड्डू को उलटी करते देखा तो उसके पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”गुड्डू ! तुम ठीक हो ना ?”


गुड्डू का मन बहुत खराब हो रहा था , उसका जी मिचला रहा था , वह भूखा था और गोलू ने उसे सेब और खिला दिया। पिंकी ने गुड्डू को परेशान देखकर गोलू से कहा,”गोलू पानी लेकर आओ ना”
“हाँ हां लाते है”,गोलू ने कहा और पास ही की दुकान से पानी की बोतल ले आया। पिंकी ने पानी का बोतल गोलू से लेकर गुड्डू को दिया और उसे पीने को कहा। गुड्डू ने पानी पीया और मुंह धोया , उसे अब कुछ अच्छा लग रहा था। मुंह पोछने के लिए इधर उधर देखा तो पिंकी ने अपना दुपट्टा गुड्डू की ओर बढ़ा दिया ,

पहली बार गोलू को गुड्डू से मीठी सी जलन हुई लेकिन अगले ही पल पिंकी ने उसकी जलन पर पानी डाल दिया और कहा,”हम सबको घर चलना चाहिए अम्मा पिताजी परेशान हो रहे होंगे,,,,,,,,,गुड्डू ने उन्हें झूठ जो कहा है”
“कैसा झूठ ?”,गोलू ने पूछा
“घर से बाहर आने के लिए हमने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बनाया था , गुड्डू ने उनसे कहा कि तुम हॉस्पिटल में हमारा इंतजार कर रहे हो,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“का बात है पिंकिया तुमहू तो झूठ बोलने मा एक्सपर्ट हो गयी हो”,गोलू ने कहा


“जे पहिले से ही एक्सपर्ट थी,,,,,,,,तुमको अब समझ आया है”,गुड्डू ने पिंकी की तरफ देखकर चिढ़ते हुए कहा
पिंकी ने सुना तो गुड्डू के हाथ से अपने दुपट्टे का कोना खींचा और कहा,”तुम तो हमारी दया के लायक ही नहीं हो गुड्डू,,,,,,,,,,भाड़ में जाओ”
“तुमसे शादी हुई होती ना तो सच में भाड़ मा ही जाते”,गुड्डू ने भी चिढ़ते हुए कहा  
“शुक्र मनाओ गुड्डू तुमको शगुन जैसी समझदार बीवी मिली है वरना अकेले ही रहते”,पिंकी ने गुस्से से कहा
“गोलू समझाय ल्यो इह का”,गुड्डू ने गोलू से कहा


 गोलू पिंकी को समझाने आया लेकिन पिंकी ने गोलू को साइड किया और गुड्डू के सामने तनकर कहा,”वरना का कर लोगे ? तुमहू का हमको धमकी दे रहे हो ? ओह्ह्ह जल रहे होंगे ना हमे किसी और के साथ देख के”
“अरे जले हमायी जुत्ती , तुमसे जियादा खूबसूरत पत्नी है हमायी वैसे भी हमे इतनी फुर्सत नाही है कि उनको छोड़कर किसी और को देखे”,गुड्डू ने भी गुस्से से कहा गोलू गुड्डू को भी समझाने आया लेकिन गुड्डू ने उसे भी साइड कर दिया और गोलू नीचे जा गिरा।
गुड्डू और पिंकी को बहस करते देखकर गोलू को गुस्सा आ गया वह दोनों के बीच आया और चिल्लाकर कहा,”बसससससससस , चुप हो जाओ दोनों”


गोलू को गुस्से में देखकर गुड्डू और पिंकी शांत हो गए। गोलू ने दोनों को देखा और उतने ही गुस्से में कहा,”क्या है जे सब ? दुसरो से लड़ने के बजाय तुम दोनों आपस मा ही लड़ रहे हो,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू भैया आप , आपका मामला शगुन भाभी के साथ सेट है ना फिर काहे गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हो ? और पिंकिया तुम , तुमहू भी कुछो कम नाही हो ,, जले पर नमक छिड़कने में माहिर ,, जब गुड्डू भैया के साथ पुराना सब खत्म है तो फिर का अनारकली बन के गुड्डू सलीम का मुँह पोछने चल पड़ी अपने दुपट्टे से,,,,,,!!”


गुड्डू और पिंकी दोनों को अपनी गलती का अहसास हुआ , दोनों अपने अतीत की बातो को लेकर बेवजह एक दूसरे को नीचा दिखा रहे थे। गोलू आगे कहता इस से पहले कम्पाउडर उसे ढूंढते हुए बाहर आया और जब उसने गोलू को चीखते चिल्लाते देखा तो गुड्डू और पिंकी के पास आकर कहा,”देखा मैंने कहा था ना आप लोगो से कि इनकी मानसिक हालत ठीक नहीं है,,,,,,,,ये पागल है”


गोलू गुड्डू और पिंकी से उलझा हुआ था , कम्पाउडर की बात सुनकर वह अपना आपा खो बैठा और कम्पाउडर की गर्दन अपनी बांह में दबोच कर उसकी कोल में घुसे जड़ते हुए कहा,”हमरी मानसिक हालत की ढिंक क चिकि करने वाले , साले शक्ति कपूर ,, पचासो बार कह दिए हमहू पागल नाही है पर तुमको चैन नाही है , अब देखो तुमहू हमरा पागलपन”
कम्पाउडर चिल्लाने लगा तो गुड्डू ने गोलू से उसको छुड़ाते हुए कहा,”गोलू का कर रहे हो ? छोडो इसे”


गोलू ने जैसे ही कम्पाउडर को छोड़ा और कम्पाउडर अपनी जान बचाकर ऐसा भागा कि पलटकर भी नहीं देखा।
“साले दोबारा दिख ना जाना हमको,,,,,,,!!”,गोलू भागते कम्पाउडर को देखकर चिल्लाया
गुड्डू ने उसे शांत किया और कहा,”बस करो गोलू आज के लिए इत्ता काफी है अब घर चलो”
गोलू भी आज के ड्रामे से थक चुका था इसलिए हामी में गर्दन हिला दी। गुड्डू अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया , आगे गुड्डू , उसके पीछे गोलू और सबसे पीछे पिंकी आ बैठी।

रात के 10 बज रहे थे गुड्डू , गोलू और पिंकी को साथ लेकर घर जा रहा था। जैसे ही बाइक जे.के. मंदिर के सामने से निकले गोलू ने अपना गला साफ़ करते हुए  कहा,”अहममम अहमम गुड्डू भैया हमहू जे कह रहे थे,,,,,,,,,,भूख बहुते लगी है एक ठो प्लेट पाव् भाजी खा लेते है”
गोलू की बात सुनकर गुड्डू ने बाइक रोकी और गर्दन घुमाई तो गोलू ने हड़बड़ाकर कहा,”अरे हमहू तो आपके लिए कह रहे है , इत्ती रात हो गयी है हमका ढूंढने मा इत्ती मेहनत की है एनर्जी तो लो हुई होगी ना,,,,,,,,,,,अगर आप नहीं खाना चाहते तो,,,,,,,,,!!”


“चलो उतरो,,,,,,,,,दिनभर काण्ड करो और फिर हमरे सामने मासूम बन जाओ,,,,,,,चलकर तीन प्लेट आर्डर करो हमहू बाइक पार्किंग मा लगाकर आते है”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने खुश होकर गुड्डू से चिपकते हुए कहा,”आई लब यू गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,साला हिया आकर तुमहू दिल जीत लेते हो कसम से,,,,,,,,,,हमहू अपने लिए एक ठो चाउमीन भी आर्डर कर दे का ?”


“अस्पताल से इत्ता ठूस के आये हो , जे सब कहा ठूसोगे ?”,गुड्डू ने कहा
“का गुड्डू भैया अस्पताल की दुइ कचौरी से हमरा का ही होगा , तुमहू बाइक लगाकर आओ हमहू आर्डर देते है”,कहकर गोलू पिंकी के साथ ठेले की तरफ बढ़ गया

“अरे कौनसा अस्पताल बताया था गुड्डू ने तुमका ? पिछले एक घंटे से यहाँ वहा घूम रहे है पर पिंकी और गोलू का कुछो पता नाही,,,,,,,,,,,ऊपर से साला जे हमरे फोन को भी अभी बंद होना था,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गुप्ताइन जे साथ क्लिनिक से बाहर आते हुए कहा

“गुड्डू बहुते जल्दी मा था हमहू पूछना ही भूल गए कि उह पिंकी को लेकर कोन अस्पताल जा रहा है”,गुप्ताइन ने कहा
“बहुत बढ़िया गोलू की अम्मा , अब कानपूर हमरे पिताजी का तो है नाही जो हमको कोना कोना पता हो , ना ही हमरे पैरो मा लगे है टायर जो हमहू पूरा शहर घूमकर एक एक अस्पताल में जाए और आपके सुपुत्र गोलू महाराज को ढूंढे,,,,,,,,अरे उह दोनों तो बेअक़ल है तुमहू भी अपनी अकल पर घूँघट डाल दी हो का ? गुड्डू बहु को लेकर जा रहा था तब पूछना था ना कौनसे अस्पताल जा रहे है,,,,,,,अब कहा ढूँढे ?”,गुप्ता जी ने पहले बहुत ही प्यार से कहा और फिर एकदम से चिल्ला दिए


“ए गोलू के पिताजी ऐसी चिल्लाओ ना हम पे , घई घई मा पूछना भूल गए,,,,,,,,,हो सकता है उह जे.के. मंदिर के बगल वाले सरकारी अस्पताल गए हो”,गुप्ताइन ने कहा तो गुप्ता जी ने उनकी तरफ देखा और कहा,”और अगर हुआ नहीं हुए तो,,,,,,,,,!!”


“गोलू ना बहुते सही कहता है आपके बारे में,,,,,,,,कतई नेगेटिव इंसान हो आप , अरे चलकर देखो तो सही का पता हुआ हो,,,,,,,,,,और अगर नहीं हुए ना तो वहा से घर चल देंगे , का पता गोलू बहु को लेकर घर चला गवा हो”,गुप्ताइन ने कहा
“ठीक है चलो,,,,,,,,और नेगेटिव नाही है दूर की सोच रखने वाले इंसान है,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने सामने से गुजरते रिक्शा को रोककर कहा और दोनों उसमे आ बैठे।

गुड्डू बाइक पार्किंग में लगाकर आया तब तक गोलू ने अपने पिंकी और गुड्डू के लिए पाव भाजी और अपने लिए चाउमीन आर्डर कर दी। पिंकी बेंच पर बैठी थी और गुड्डू गोलू ठेले के पास खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करने लगे। गोलू ने पहले एक प्लेट लेजाकर पिंकी के सामने रखी और फिर ठेले के पास आकर गुड्डू के साथ खड़े होकर पाव भाजी खाने लगा। जैसे ही पहला निवाला गोलू के मुंह में गया सुकून और ख़ुशी के जो भाव उसके चेहरे पर थे बया नहीं कर सकते।


गुड्डू को भी भूख लगी थी इसलिए उसने भी पाव भाजी खाकर खत्म की और गोलू की चाउमीन को अपनी तरफ खिसका लिया। गोलू ने देखा तो कहा,”अरे जे हमाओ है गुड्डू भैया,,,,!!”
“ठीक है फिर बिल तुम दे देना हमहू चलते है ,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा और जैसे ही जाने को हुआ गोलू ने रोकते हुए कहा,”अरे हमहू कह रहे जे हमाओ है पर आप का सकते है , आपसे शेयर किये बिना कुछो खाया है का आज तक ?”


गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया और गोलू की आर्डर की चाउमीन खाने लगा। गोलू को पाव भाजी और खानी थी लेकिन प्लेट में भाजी तो थी पर पाव नहीं इसलिए उसने अपने प्लेट में नजरे गड़ाए प्याज के टुकड़े इकट्ठा करते हुए कहा,”दुइ एक्सट्रा पाव और लगाय दयो बटर के साथ”
“कौनसा बटर उह जो गाय के दूध से बनता है या उह जो तुमहू दुनिया को लगाए फिरते हो”,गुप्ता जी की कड़क आवाज गोलू के कानो में पड़ी

गोलू मुस्कुराया और प्लेट में बची भाजी में ऊँगली घुमाते हुए अपने बगल में खड़े गुड्डू की बांह पर दूसरे हाथ से मारकर कहा,”ए गुड्डू भैया ! देखो ना साला हमरी जिंदगी मा इतनी भसड़ है कि हमको ठेले वाले की आवाज भी गज्जू गुप्ता जइसन लग रही है”
“हमरे नाम के आगे गुप्ता लगाने की का जरूरत है बेटा सीधा गज्जू कहकर बुलाओ का है कि हम तुमरे बाप थोड़े है हम तो तुम्हायी गोद में खेले है”,गुप्ता जी ने बहुत ही आराम से कहा


“ए गुड्डू भैया ! अब यार तुमहू भी उनके जैसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पि पि पि पि पि पि”,गोलू ने कहते हुए जैसे ही बगल में खड़े गुड्डू को देखा तो पाया वहा गुड्डू नहीं बल्कि उसके पिताजी खड़े थे और उन्हें देखकर गोलू के मुंह से पिताजी नहीं बस सिर्फ पि पि पि ही निकला क्योकि इस हरकत के बाद गुप्ता जी के हाथो गोलू की पीपटी बजना तो तय था।  

गुड्डू ने गुप्ता जी को पहले ही देख लिया था इसलिए चुपचाप वहा से खिसक गया और पार्किंग में चला आया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। बाइक चलाते हुए गुड्डू खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”साला अच्छा हुआ हमहू सही बख्त पर गुप्ता जी को आते देख लिए वरना गोलू के साथ साथ हम भी पेले जाते ,, एक तो वैसे भी जहा गोलू हो वह मुसीबत पूछकर नहीं आती। सीधे सीधे घर जा रहे थे तीनो पर नाही इनको तो पाव भाजी खानी थी अब गुप्ता जी से लात-भाजी खाएंगे और रोयेंगे फिर हमाये सामने,,,,,,गोलू की रंगबाजी आजकल कुछो जियादा ही बढ़ती जा रही है ,

जे के चलते उह कब कौनसी मुसीबत मा पड़ जाए पता नहीं , अरे पहिले हम साथ रहते थे तो थोड़ा सम्हाल लेते थे इत्ता सब नहीं होता था पर अब तो गोलू अकेला हीरो बनने निकल जाता है,,,,,,,तभी ना कभी किसी की मय्यत में तो पागलखाने में मिलता है,,,,,,,,,,,कल घर बुलाकर समझाते है इह कि , एक बख्त के बाद जे रंगबाजी ,

गुंडई सब छोड़नी पड़ती है भैया , हमहू भी तो छोड़े है और हम का पिताजी भी छोड़े रहे अपने बख्त मा,,,,,,,,,,एक ठो काम करते है पिताजी से कहकर ही गोलू को समझाते है ,, उनकी बात गोलू कभी नहीं टालता,,,,,,,,,,,,काफी लेट हो गवा जे सब के चक्कर मा , शगुन घर पर हमरा इंतजार कर रही होगी”


गुड्डू खुद से बाते किये हुए बाइक चला रहा था तभी अचानक से एक कुत्ता की बाइक के सामने आ गया। गुड्डू का बेलेंस बिगड़ा और वह बाइक के साथ ही नीचे आ गिरा। गनीमत था गुड्डू को चोट नहीं लगी थी लेकिन उसका पैर बाइक के नीचे आ गया और दर्द भी कर रहा था।
गुड्डू ने उठने की कोशिश की लेकिन बाइक इतनी भारी थी कि नीचे गिरा गुड्डू उसे उठा नहीं पाया तभी लंबा काला कोट पहने गुड्डू जैसा हट्टा कट्टा लड़का उसकी तरफ आया।

रौशनी कम होने की वजह से गुड्डू उसका चेहरा नहीं देख पाया। आदमी ने बाइक उठाकर खड़ी की और फिर अपना हाथ गुड्डू की तरफ बढ़ा दिया। गुड्डू ने जैसे ही आदमी का हाथ थामा उसे हल्का करंट जैसा महसूस हुआ , लगा जैसे उसका कोई अपना है। गुड्डू उठ खड़ा हुआ वह आदमी से कुछ कहता इस से पहले आदमी वहा से चला गया।
गुड्डू बाइक पर आ बैठा और गर्दन घुमाकर जाते हुए आदमी को देखकर खुद से कहा,”अजीब आदमी था हमरी मदद की और कुछो कहे बिना ही चला गया”


गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और घर के लिए निकल गया। गुड्डू घर पहुंचा जैसा कि उसने सोचा था शगुन अंदर घर की सीढ़ियों पर खड़ी गुड्डू का ही इंतजार कर  थी। गुड्डू ने अंदर आकर बाइक साइड में लगाई तो शगुन ने उसके पास आकर कहा,”आपने आने में इतनी देर कर दी , सब ठीक है न ?”
“हाँ,,,,,!!”,गुड्डू ने खोये हुए स्वर में कहा दरअसल वह अभी भी उसी आदमी के बारे में सोच रहा था जिसका हाथ थामकर गुड्डू को अपनापण महसूस हुआ था


“आप हाथ मुंह धो लीजिये मैं आपके लिए खाना लगा देती हूँ”,शगुन ने कहा
“अह्ह्ह्ह रहने दो , हमहू बाहर से खाकर आये है,,,,,,,,हम कपडे बदल कर आते है”,कहकर गुड्डू अंदर चला गया और शगुन सोच में पड़ गयी। उसके मन में शक पैदा करने के लिए गुड्डू के ये शब्द काफी थे

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संजना किरोड़ीवाल

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गुड्डू ने गुप्ता जी को पहले ही देख लिया था इसलिए चुपचाप वहा से खिसक गया और पार्किंग में चला आया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। बाइक चलाते हुए गुड्डू खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”साला अच्छा हुआ हमहू सही बख्त पर गुप्ता जी को आते देख लिए वरना गोलू के साथ साथ हम भी पेले जाते ,, एक तो वैसे भी जहा गोलू हो वह मुसीबत पूछकर नहीं आती। सीधे सीधे घर जा रहे थे तीनो पर नाही इनको तो पाव भाजी खानी थी अब गुप्ता जी से लात-भाजी खाएंगे और रोयेंगे फिर हमाये सामने,,,,,,गोलू की रंगबाजी आजकल कुछो जियादा ही बढ़ती जा रही है ,

गुड्डू ने गुप्ता जी को पहले ही देख लिया था इसलिए चुपचाप वहा से खिसक गया और पार्किंग में चला आया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। बाइक चलाते हुए गुड्डू खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”साला अच्छा हुआ हमहू सही बख्त पर गुप्ता जी को आते देख लिए वरना गोलू के साथ साथ हम भी पेले जाते ,, एक तो वैसे भी जहा गोलू हो वह मुसीबत पूछकर नहीं आती। सीधे सीधे घर जा रहे थे तीनो पर नाही इनको तो पाव भाजी खानी थी अब गुप्ता जी से लात-भाजी खाएंगे और रोयेंगे फिर हमाये सामने,,,,,,गोलू की रंगबाजी आजकल कुछो जियादा ही बढ़ती जा रही है ,

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