Manmarjiyan Season 3 – 33

Manmarjiyan Season 3 – 33

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू की बाते सुनकर पिंकी का मन भारी हो गया , गुड्डू की एक एक बात सही थी और उसे गुड्डू के लिए बुरा भी लग रहा था कि उसने गुड्डू को गलत कहा। गोलू ने सुना तो उसे भी अपनी गलतियों का अहसास हुआ , उसे समझ आया कि अब तक उसके साथ जो कुछ भी हुआ है उसमे कही ना कही गलती उसी की थी। गोलू कुछ देर शांत रहा और फिर कहा,”हमका माफ़ करी दयो गुड्डू भैया , उह्ह भसड़ इतना मचा न कि कुछो समझ ही नाही आया। हम जानते है हमने बहुत सी गलतिया की है और हमको अहसास भी है पर का करे हमहू करने अच्छा जाते है और होता हमेशा उलटा और हमहू फंस जाते है।”


“गोलू हम जानते है लेकिन पहिले हमारी जिंदगी जैसी थी हमने एडजस्ट किया पर अब हमरी जिंदगियों में हमारी पत्नी और होने वाले बच्चे भी जुड़ चुके है ,, अपने लिए तो हम लोग कबो ना सुधर पाए पर कम से कम जे लोगो के लिए तो खुद को थोड़ा बदल सकते है ना,,,,,,,हमरे लिए शगुन हो चाहे तुम्हरे लिए पिंकी अब इन लोगन की जिम्मेदारी हमरे ऊपर है,,,,,,,,,,,,,जे बात को समझो गोलू”,गुड्डू ने थोड़ा सामान्य होकर कहा
“समझ गए भैया ! आइंदा से हमहू किसी भी काण्ड में पैर ना रखी है,,,,,,,,अपने काम से काम रखी है”,गोलू ने कहा


“वो सब ठीक है गोलू लेकिन अब तुमको यहा से लेकर कैसे जाए ? उह कम्पाउडर ने तो तुमको पागल घोषित कर दिया है। जे लोग इत्ती आसानी से तो तुमको जाने नाही देंगे”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“तो अब हम का करेंगे गुड्डू ?”,पिंकी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“पिंकिया तुमहू हॉस्पिटल से बाहर चलो हम और गुड्डू भैया तुमको वही मिलते है , और गुड्डू भैया तुमहू हमका रिसेप्शन पर मिलो हम बस दो मिनिट मा आते है”,गोलू ने बिस्तर से उतरकर कहा


वार्ड बॉय ने गोलू को बिस्तर से उतरते देखा तो कहा,”ए कहा जा रहे हो ?”
“अब मूतने भी ना जाए,,,,,,,,हमरी अम्मा डायपर नाही पहनाई है हमका”,गोलू ने वार्ड बॉय से कहा तो वार्ड बॉय ने गोलू से जाने का इशारा कर दिया। गोलू ने गुड्डू और पिंकी से जाने का इशारा किया और खुद बाथरूम की तरफ चला गया। चलते चलते उसने बगल वाले बेड के टोकरे से दो सेब उठा ली और आगे बढ़ गया। कॉमन एरिया में मेल और फीमेल्स के लिए बाथरूम बने थे गोलू महिलाओ वाले में घुस गया।

गोलू के कहने पर पिंकी हॉस्पिटल से बाहर गुड्डू की बाइक के पास चली आयी और गुड्डू रिसेप्शन पर रुक गया। कुछ देर बाद साड़ी में लिपटी एक अजीबोगरीब औरत गुड्डू के बगल में आकर खड़ी हुई और कहा,”आप यहाँ क्यों खड़े है ? चलिए ना”
गुड्डू ने हैरानी से उस औरत को देखा जिसने घूँघट किया हुआ था , एक अनजान औरत उसे साथ चलने को कह रही है सोचकर गुड्डू ने जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला वहा खड़े कम्पाउडर ने कहा,”ये कौन है ?”


गुड्डू से पहले औरत ने कहा,”हम इनकी मेहरारू गोली देवी,,,,,,,कहो तो तुम्हे भी दे दू ?”
“क्या ?”,कम्पाउडर ने घबराकर पिछते हटते हुए कहा
“गोली और क्या ? नॉटी,,,,,,,,,,कुछ भी सोचते हो”,महिला ने कहा
गुड्डू की नजर जब महिला के साड़ी के नीचे पहने जूतो पर पड़ी तो गुड्डू को समझते देर नहीं लगी कि साड़ी में लिपटी अजीबोगरीब औरत कोई और बल्कि गोलू है। उसने गोलू का हाथ पकड़ा और कहा,”हाँ चलो घर चलो , पराये मर्दो से मुंह लगने की तुम्हरी आदत छूटी नाही , घर चलो तुम्हरा इलाज तो हम करते है”


“ए ए ऐसे कैसे ? ये है कौन ?”,कम्पाउडर को गोलू की हरकतों से कुछ शक हुआ तो उसने गुड्डू और गोलू को रोककर कहा
“जे हमाई औरत है , तुमको कोनो दिक्कत है ?”,गुड्डू ने कम्पाउडर को घूरकर देखते हुए कहा
“और जे हमरा मर्द,,,,,,!!”,गोलू ने गुड्डू से चिपकते हुए कहा तो गुड्डू ने एक चपेड़ गोलू के गाल पर रखते हुए कहा,”पब्लिक मा जियादा चिपका चिपकी नहीं , चुपचाप चलो हिया से,,,,,!!”


गुड्डू से थप्पड़ खाकर गोलू आगे बढ़ गया अब जितना अजीब उसका उसका भेष था उस से भी ज्यादा अजीब थी उसकी चाल , कम्पाउडर ने गोलू को जाते देखा और गुड्डू से कहा,”बड़ी मर्दाना औरत है आपकी”
गुड्डू ने गोलू को जाते देखा और कहा,”हाँ बचपन से बाप भाई के बीच रही है ना तो थोड़ा मर्दानापन आ गवा है”
गुड्डू वहा से निकल गया और कम्पाउडर अपने काम में लग गया

गुप्ता जी घर , कानपूर
गोलू की अम्मा के फोन करने से गुप्ता जी तुरंत घर चले आये और गुप्ताइन के पास आकर कहा,”का हुआ बहू को और कहा है उह ?”
“अरे हमहू तो तुलसी को दिया करने बाहर आये थे कि पिंकिया चक्कर खाकर नीचे गिर पड़ी , गुड्डू हिया आया तो उसी के साथ अस्पताल भेजे है बहू को,,,,,,आप जल्दी चलिए ना पता नहीं पिंकिया कैसी होगी ? कही अकेले घबरा ना जाए”,गुप्ताइन ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“इत्ता सब हो गवा और तुमहू अब बता रही हो , अरे उसी बख्त फोन काहे नाही किया ? घर को ताला लगाओ और चलो हमरे साथ,,,,,,,,,कौनसे हॉस्पिटल गए है ?”,गुप्ता जी ने अपने स्कूटर को स्टेण्ड से उतारते हुए कहा
“ए जी गोलू के पिताजी हमहू जे कह रहे कि पिंकिया के घरवालों को भी खबर कर दे का ?”,गुप्ताइन ने घर को ताला जड़ते हुए कहा
गुप्ता जी पलटे और कहा,”घरवालों को काहे ? उनके मोहल्ले वालो को , पड़ोसियों को , रिश्तदारों को भी फोन कर दो,,,,,,,,,,पंजीरी बंट रही है ना वहा”


गुप्ता जी ने पहले बहुत ही प्यार से कहा और आखरी शब्द थोड़ी ऊँची आवाज में बेचारी गुप्ताइन ने तो आगे कुछ कहा ही नहीं चुपचाप आकर स्कूटर पर उनके पीछे बैठ गयी। गुप्ता जी ने स्कूटर स्टार्ट किया और वहा से निकल गए। आप लोंगो को लगता है सिर्फ गुड्डू और गोलू की किस्मत ख़राब है नहीं बल्कि गज्जू गुप्ता की किस्मत इन दोनों से भी ज्यादा बुरी थी। अभी उनका स्कूटर मोहल्ले से बाहर निकला ही था कि बंद पड़ गया।

गुप्ता जी ने गुप्ताइन को स्कूटर से नीचे उतरने को कहा और खुद भी नीचे चले आये। उन्होंने कई बार स्कूटर को चालू करने की कोशिश की लेकिन स्कूटर चालू नहीं हुआ। गुप्ता जी पिंकी को लेकर पहले ही परेशान थे ऊपर से स्कूटर खराब हो गया। गुस्से में आकर गुप्ता जी ने स्कूटर को एक जोर की लात मारी और बेचारा स्कूटर सीधा नाली में जा गिरा।
“जे का कर रहे है ? स्कूटर को काहे गिरा दिए अब अस्पताल कैसे जाही है ?”,गुप्ताइन ने कहा


“हमका एक ठो बात बताओ गोलू की अम्मा तुम्हरे पैरो में का मेहँदी लगी है ?”,गुप्ता जी ने बड़े प्यार से पूछा
“नाही तो,,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा
“तो फिर पैदल चलो हमरे साथ,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने थोड़ा गुस्से से कहा और आगे बढ़ गए
गुप्ताइन ने आसमान की तरफ देखा और बड़बड़ाई,”जे ही मिला था हमरी किस्मत मा लिखने के लिए,,,,,,,,!!”
“अरे गोलू की अम्मा तुमहू आय रही हो कि हमहू अकेले जाये ?”,गुप्ता जी ने आगे बढ़ते हुए कहा
“आ रहे है,,,,,,,,!!”,गोलू की अम्मा ने कहा और गुप्ता जी के पीछे पैदल ही चल पड़ी

मिश्रा जी का घर , कानपूर
घर के आँगन में घूमती शगुन घर की सीढ़ियों के पास आकर बार बार गली में देखती और वापस चली जाती। शगुन गुड्डू का इंतजार कर रही थी लेकिन गुड्डू अभी तक नहीं आया था। शगुन ने घडी में वक्त देखा जो कि रात के 9 बजा रही थी। शगुन एक बार फिर सीढ़ियों की तरफ आयी और गली की तरफ देखा लेकिन गुड्डू इस बार भी नजर नहीं आया। शगुन ने हाथ में पकड़ा अपना फोन देखा और बड़बड़ाई,”गुड्डू जी को फोन करके पूछे क्या ? इतना वक्त हो गया वो अभी तक आये नहीं ,, आखिर ऐसा तो क्या काम होगा पिंकी को ? कही पिंकी की तबियत तो खराब नहीं हो गयी ,,,,,,,,,,,,!!”


शगुन अपने ही ख्यालो में उलझती जा रही थी और फिर बड़बड़ाई,”नहीं मुझे इंतजार करना चाहिए हो सकता है गुड्डू जी रस्ते में ही हो , उन्हें फोन किया तो वो परेशान हो जायेंगे,,,,,,,,!!”
बड़बड़ाते हुए शगुन जैसे ही पलटी सामने से आते फूफाजी को देखकर रुक गयी।

फूफाजी ने शगुन को सीढ़ियों के पास देखा तो कहा,”अरे बहु ! इत्ती रात मा  का कर रही हो ? अच्छा अच्छा गुड्डू का इंतजार कर रही हो , हमहू तो पहले ही कहे रहे कि गुड्डू अपने प्रेमिका से मिलने गवा है इत्ती जल्दी तो वापस नाही आएगा , पुराने गीले शिकवे जो दूर करने है , हो सकता है अब तो सुबह ही आये”


फूफाजी जी का कहा एक एक शब्द शगुन के सीने में किसी तीर की भांति चुभ रहा था लेकिन वे रिश्ते में शगुन से बड़े थे और घर के दामाद भी तो शगुन ने कुछ नहीं कहा और जैसे ही जाने लगी फूफाजी ने कहा,”वैसे पत्नी को अपने पति को कन्ट्रोल में रखना आना चाहिए वरना पति को बाहिर मुँह मारते बख्त नाही लगता”


पहले फूफाजी ने शगुन से जो कहा वो शगुन ने चुपचाप सुन लिया लेकिन इस बार वह खुद को रोक नहीं पायी और कठोरता से कहा,”काश भुआजी ने भी आपको थोड़ा कंट्रोल में रखा होता तो आपको भी दुसरो के घर-कारोबार पर मुंह मारने की जरूरत नहीं पड़ती,,,,,,,पर आपको क्या दोष दे फूफा जी जब भुआ जी ही पापा जी के आस्तीन का सांप बनी बैठी है।”
“शगुन ! तुम्हायी जे हिम्मत , राजकुमारी के लिए ऐसी नीच बात कह रही हो तुम , लाज शर्म भूल गयी हो का ?”,फूफाजी ने शगुन को आँखे दिखाकर गुस्से से कहा लेकिन शगुन डरने वालो में से नहीं थी। व

ह बड़ो की इज्जत करना जानती थी लेकिन शगुन ये भी अच्छे से जानती थी कि फूफाजी जैसे लोगो को इज्जत आसानी से रास नहीं आती है इसलिए उसने उसी कठोरता से कहा,”मैंने तो सिर्फ बात नीच की फूफाजी पर आपने और भुआजी ने तो मिलकर नीच हरकत करने में भी शरम नहीं की,,,,,,,,और हिम्मत तो अभी आपने देखी कहा है , आप पापाजी और माजी को अपनी बातो से दबा सकते है मुझे नहीं ,

इसलिए आपकी इज्जत इसी में है कि आइंदा से मेरे मुंह ना लगे ,,, और रही बात गुड्डू जी को कंट्रोल करने की तो वो कोई भेड़ बकरी नहीं है जिन्हे कंट्रोल में रखा जाए , वे सही गलती अच्छे से जानते है”


शगुन की बाते सुनकर फूफाजी का मुंह बंद हो गया वे आगे कुछ बोल ही नहीं पाए और शगुन वहा से चली गयी।   फूफाजी को सुनकर शगुन सीधा किचन में आयी और जग से पानी गिलास में उड़ेलकर एक साँस में पी गयी। शगुन का दिल धड़क रहा था और उसे पसीने आ रहे थे , वह गहरी सांसे ले रही थी। दरअसल शगुन ने आज से पहले किसी को इस तरह जवाब नहीं दिया था लेकिन फूफाजी की बढ़ती बदतमीजियां देखकर शगुन को आख़िरकार बोलना ही पड़ा। शगुन अभी भी हाथ में खाली गिलास पकडे सांसे ले रही थी तभी किसी ने पीछे से आकर शगुन के कंधे पर हाथ रखा।

शगुन घबराकर पलटी तो देखा मिश्राइन खड़ी थी। शगुन को पसीने से तरबतर देखकर मिश्राइन ने कहा,”शगुन का हुआ बिटिया ? तुमहू हिया का कर रही हो और इत्ता पसीना काहे आ रहा है तुम्हे ?”
शगुन ने खुद को सामान्य किया और कहा,”मैं ठीक हु माजी बस पानी पीने आयी थी,,,,,,,,,,!!”
“हालत देखो अपनी और पानी नहीं चलकर खाना खाओ,,,,,,,वक्त से खाओगी नहीं तो जे सब ही होगा ना”,मिश्राइन ने अपनी साड़ी के पल्लू से शगुन के चेहरे पर आये पसीने को पोछते हुए कहा


अपने लिए मिश्राइन का प्यार और परवाह देखकर शगुन का दिल ख़ुशी से भर गया और उसने मिश्राइन को रोकते हुए कहा,”माजी मैं बाद में खा लुंगी , अभी गुड्डू जी ने भी नहीं खाया है वे आ जाये”
“अरे गुड्डू का कोनो भरोसा है का कब आये ? तुम जे पत्नीधर्म बाद में निभाना अभी चलकर खाना खाओ , अपने बारे में ना सही जे नन्ही जान के बारे मा तो सोचो , चलो आओ”,मिश्राइन ने कहा
“लेकिन माजी,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा


मिश्राइन ने पलटकर देखा और कहा,”मिश्रा जी को बुलाये का ? का है कि हमरी बात तो तुमहू सुनोगी नाही”
“आप मेरी माँ है आपकी बात भला कैसे टाल सकती हूँ मैं , चलिए मुझे सच में बहुत भूख लगी है”,शगुन ने मिश्राइन की बांह थामकर प्यार से कहा। मिश्राइन मुस्कुराई और शगुन का गाल थपथपा दिया।
फूफाजी शगुन की शिकायत करने मिश्राइन के पास आये थे लेकिन मिश्राइन और शगुन को साथ खुश देखकर फूफाजी के अरमानो पर पानी फिर गया

पिंकी बाहर गुड्डू की बाइक के पास खड़ी गोलू और गुड्डू का इंतजार कर रही थी। तभी साड़ी में लिपटा  , घूँघट निकाले गोलू पिंकी के पास आया और कहा,”पिंकिया”
“कौन हो तुम ?”,पिंकी ने घबराकर पीछे हटते हुए कहा
“अरे हम है गोलू,,,,,,,,!!”,गोलू ने घूँघट हटाकर कहा
पिंकी ने गोलू को इस रूप में देखा तो हैरानी से उसका हाथ अपने मुंह पर चला गया और उसने कहा,”ये सब क्या है गोलू ?”


“जे सब छोडो हमका जे बताओ तुमहू ठीक हो ना ? इत्ती रात मा हिया चली आयी , हमरे लिए काहे इत्ता परेशान काहे हुयी ? हमहू आ जाते ना घर अपने आप”,गोलू ने कहा
“मम्मी ने जब बताया कि उन्होंने तुम्हे पागलखाने भेज दिया है तो हम बहुत डर गए थे गोलू,,,,,,,,,तुम ठीक तो हो ना इन लोगो ने तुम्हरे साथ कुछो गलत तो नाही किया ना ?”,पिंकी ने गोलू के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा


गोलू कुछ कहता इस से पहले गुड्डू ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ किया और एक घुसा उसके मुंह पर मारकर कहा,”साले अंदर का बकवास कर रहे थे , तुमहू हमायी औरत हो,,,,,,,,,,,,,का नौटंकी मा हिस्सा लिए हो का ? साले मुंह तोड़ देंगे हम तुम्हारा,,,,,,!!”
 
गोलू उठा और खुद को झाड़ते हुए कहा,”अरे गुड्डू भैया उह बख्त और कोनो आइडिआ नहीं आया दिमाग में तो जे सब कह दिया , हमहू आपको अपना मर्द काहे रखेंगे ? हमहू तो खुद मर्द है,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो खिजते हुए हुए कहा,”मर्द नाही गोलू तुमहू सरदर्द हो हमरे लिए,,,,,,,,,कान खोलकर सुन लो गोलू आइंदा से ऐसे काण्ड में फसे ना तो हमहू ना निकाली है तोह का”


गोलू मायूस हो गया और रोनी सी सूरत बनाकर कहा,”बस का गुड्डू भैया , तुमहू तो ऐसे कह रहे है जैसे हमहू जान बूझकर किये हो,,,,,,,,अरे हमने भी बहुते काण्ड सम्हाले है तुम्हाये पर कबो ऐसे गुस्सा नाही किये तोह पे,,,,,,,,,,,,पर सही है आप ठहरे मिश्रा जी के लौंडे हम पर हाथ साफ करना तो आपका लीगल राईट है,,,,,,,,,,,!!”
गोलू की बात सुनकर गुड्डू को अहसास हुआ कि उसे गोलू पर इस तरह गुस्सा नहीं करना चाहिए था।

गुड्डू खुद भी मायूस हो गया और कहा,”गुस्सा नाही कर रहे है यार गोलू , 2 दिन कित्ता परेशान है देखे नाही का तुम , अब तुमहू भी जे सब हरकते करी हो तो हमहू का करेंगे बताओ ? साला दोपहर से कुछो खाये भी नाही है भूख भी लगी है,,,,,,,,,,,!!”
“का गुड्डू भैया पहिले बताना था भूख लगी है,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलु गुड्डू के बगल में आया और एक सेब उसकी तरफ बढ़ा दिया


गुड्डू ने सामने देखते हुए सेब का एक टुकड़ा खाया और कहा,”थैंक्यू गोलू ! जे कहा से आया तुम्हरे पास ?”
गुड्डू के सवाल पर गोलू खामोश रहा तो गुड्डू ने अपनी बगल में खड़े गोलू को देखा जिसका सीना एक तरफ से उभरा हुआ था और दूसरा चपटा था , गुड्डू कुछ समझ पाता इस से पहले गोलू ने अपने ब्लाउज में हाथ डाला और दुसरा सेब निकालकर उसका एक निवाला खाते हुए कहा,”साला भूख तो हमका भी बहुते लगी है”
गुड्डू ने जैसे ही देखा उसके हाथ में पकड़ा सेब गोलू के ब्लाउज से निकला है तो उसे उलटी जैसा महसूस हुआ और वह उबकाई करते हुए साइड में चला गया

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संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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