Manmarjiyan – 22

Manmarjiyan – 22

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू भुआ जी को लेकर घर पहुंचा , कुछ देर बाद मिश्रा जी भी फूफा के साथ घर चले आये। फूफा को मिश्रा जी के साथ घर आते देखकर मिश्राइन के दिल को तसल्ली मिली तो वही भुआ भी खुश हो गयी कि दोनों जीजा साले में बात सुलझ गयी है।  शगुन की तबियत अब ठीक थी , वह भी आँगन में चली आयी और  वेदी के पास आकर खड़ी हो गयी दरअसल शगुन फूफा जी की नाराजगी की वजह जानना चाहती थी। अंदर आँगन में आकर मिश्रा जी ने कहा,”ज़रा चाय भिजवाय दयो”
“हम अभी बनवा देते है”,मिश्राइन ने कहा


“हमहू बहू के हाथ की चाह पी है , सुना है गुड्डू की दुल्हनिया चाय बहुते अच्छी बनाती है”,फूफाजी ने कहा तो मिश्राइन रुक गयी
गुड्डू ने सुना तो उसने घूरकर फूफा को देखा ,  फूफा की नियत और कारनामो से गुड्डू अनजान तो नहीं था लेकिन मिश्रा जी के सामने कुछ कहा नहीं बस चुपचाप खड़ा रहा
“बहू की तबियत ज़रा खराब है , चाय वेदी बिटिया बना देगी”,मिश्रा जी ने कहा
फूफा ने वही आँगन में खड़ी शगुन को एक नजर देखा और कहा,”देख के तो नाही लग रहा कि तबियत खराब है,,,,,,,,!!”


“बहु गर्भवती है , सुबह से जी मिचला रहा है,,,,,,,ऐसे में रसोई का काम ना कर सकी है,,,,,,,,वेदी बिटिया जाओ जाकर फूफा के लिए चाय तुम बनाय लाओ”,मिश्रा जी ने खुद को शांत रखते हुए कहा
“अरे गर्भवती है कौनसा अभी बच्चा जन रही है , एक ठो चाह बनाने में जे कैसे बहाने ?”,फूफा ने बेशर्मी से कहा
गुड्डू ने सुना तो गुस्से से उसके हाथ की मुट्ठी बंध गयी , वही मिश्रा जी का भी खून खोल उठा लेकिन अभी कुछ देर पहले ही उन्होंने फूफा से समझौता किया था और वे बात ख़राब करना नहीं चाहते थे। शगुन ने सुना तो उसे भी बहुत बुरा लगा।


लेकिन बड़ो के बीच में बोलना उसने सही नहीं समझा। मिश्राइन का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उन्होंने आगे आकर कहा,”जे कैसी बाते कर रहे है आप आदर्श बाबू , कोनो लाज शर्म है की नाही ? शगुन इह घर की बहू है गुड्डू की पत्नी है , इह के बारे में ऐसी अपमानजनक बाते करना आपको शोभा नाही देता है”
“हमने का गलत कहा ? एक ठो चाह ही तो मांगी है ,, आप तो ऐसे बिगड़ रही है जैसे इह बहू नाही इह घर की मालकिन हो”,फूफा ने मुंह बनाकर कहा


गुड्डू अब खुद को रोक नहीं पाया और उनकी तरफ आकर कहा,”ए फूफा ! तुम्हरा जे नाटक ना कुछो जियादा हो रहा है अब , शगुन मालकिन हो या ना हो उह चाह नहीं बनाएगी”
“ठीक है फिर हमहू चले जाते है हिया से,,,,,,,,!!”,फूफा ने उठते हुए कहा , मिश्रा जी ख़ामोश बैठे बस जमीन ताक रहे थे बेबसी उनके चेहरे से साफ़ झलक रही थी जिसे सिर्फ शगुन देख पा रही थी। भुआ अब तक खामोश खड़ी थी पर जब देखा फूफा कुछ ज्यादा ही ड्रामे कर रहा है तो उनके पास आयी और दबी आवाज में कहा,”जे सब का तमाशा है ? अरे बहु की तबियत खराब है जरुरी है आपके लिए चाह उही बनाये हम बना देते है”


फूफा ने भुआ को देखा और कहा,”तुम चुप रहो , ज्यादा तफरदारी ना करो अपने मायके वालो की,,,,,,,,,,कहो तो तुमका भी परमानेंट हिया छोड़ जाए ?”
फूफा की बात सुनकर भुआ हैरानी से उन्हें देखने लगी। कुछ देर पहले जो आदमी जेल में भीगी बिल्ली बना हुआ था वह अब शेर बनकर सबके सामने गुर्रा रहा था। फूफाजी ने एक नजर सबको देखा और जैसे ही जाने लगे शगुन ने कहा,”ठहरिये”


मिश्रा जी को छोड़कर सबकी गर्दन शगुन की ओर घूम गयी। फूफा ने शगुन को देखा तो शगुन ने पलकें झुकाकर कहा,”आप बैठिये मैं आपके लिए चाय बना देती हूँ,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो उसे बहुत बुरा लगा वह शगुन के पास आया और गुस्से से दबी आवाज में कहा,”तुम ऐसा नहीं करोगी”


“गुड्डू जी बात को समझिये,,,,,,,,,मैं बना देती हूँ मुझे फर्क नहीं पडेगा”,शगुन ने प्यार से कहा
“पर हमे फर्क पड़ता है शगुन , फूफा जान बुझकर सबके सामने जे सब तमाशा कर रहे है। तुम्हे उनकी बात मानने की कोई जरूरत नहीं है”,गुड्डू ने कहा

शगुन ने खामोश बैठे मिश्रा जी को देखा और कहा,”मैं बस पापाजी के लिए कर रही हूँ गुड्डू जी,,,,,,,!!”
गुड्डू शगुन से कुछ कहता इस से पहले शगुन ने फूफाजी जी से कहा,”आप बैठिये मैं चाय लेकर आती हूँ”
फूफा तख्ते पर आ बैठे , फूफा की इस बेशर्मी पर मिश्राइन गुस्सा होकर अंदर चली गयी , भुआ और वेदी भी वहा से चली गयी। गुड्डू को शगुन का ये फैसला अच्छा नहीं लगा तो वह गुस्सा होकर सीढ़ियों की तरफ चला आया।

 सबके जाने के बाद मिश्रा जी ने फूफा से कहा,”जे सब का है आदर्श बाबू एक ठो चाह के लिए बहु को परेशान काहे किये ?”
“उह जो तुम्हरा लौंडा है ना गुड्डू ओह्ह की अकड़ निकालने के लिए,,,,,,,,!”,फूफा ने कहा
“आदर्श बाबू जे मामला आपका और हमरा है जे सब मा गुड्डू को काहे घसीट रहे है ?”,मिश्रा जी ने कहा
“का है कि कॉलर पकड़ने का बहुते शौक है इह का , इह की रंगबाजी तो हमहू निकालेंगे”,फूफा ने कहा और सीढ़ियों के पास बैठे गुड्डू को घूरने लगे।

गुड्डू ने एक नजर उनको देखा और मन ही मन कहा,”अगर बात पिताजी के सम्मान की नहीं ना होती तो अभी यही सबके सामने पटक के मारते तुमको फूफा,,,,,साला हमरे सामने हमरी पत्नी को आर्डर दिए तुमहू,,,,,,,,तुमसे नीच आदमी नाही देखे कानपूर मा हम”

पुलिस स्टेशन से लौटते हुए मिश्रा जी ने गोलू को घर आने को कहा था। गोलू उनकी बात टाल नहीं सकता था इसलिए बेचारा स्टेशन से सीधा मिश्रा जी के घर चला आया। गोलू अच्छा लड़का है लेकिन पिछले दो दिन से जैसे उसकी किस्मत को ग्रहण लग गया हो , ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू की बूढ़ा गोलू की अच्छी किस्मत अपने साथ लेकर ही चली गयी

बिना कोई हड़बड़ाहट और जल्दबाज़ी के गोलू बहुत ही शांति से गुड्डू के घर में दाखिल हुआ लेकिन बेचारा अभी भी मिश्रा जी के खौफ में था। चलते हुए नीचे गिरा केले का छिलका नहीं दिखा और गोलू का पैर उस पर आ पड़ा। गोलू फिसला और सीधा सामने से आती भुआ की बांहो में आ गिरा। गनीमत था भुआ ने गोलू को नीचे गिरने से बचा लिया और गोलू भुआ को देखने लगा तभी उसका फोन बजा। अब जैसा गोलू था उसके फोन की रिंग भी उतनी ही अजीब थी।


“देखा है पहली बार , साजन की आँखों में प्यार
अब जाके आया मेरे बैचैन दिल को करार”
सीढ़ियों पर बैठा गुड्डू हक्का बक्का सा दोनों को देख रहा था। मिश्रा जी के पास बैठे फूफा की नजर जैसे ही भुआ और गोलु पर पड़ी तो वे चिल्लाये,”अबे गोलू,,,,,,,,,,हमयी प्रॉपर्टी पर हाथ डालते हो तुम्हरी ऐसी की,,,,,,,!!”
फूफा की आवाज जैसे ही भुआ के कानों में पड़ी भुआ ने गोलू को छोड़ दिया और गोलू सीधा धरती पर होश तब आया जब कूल्हे की हड्डी में दर्द उठा।


फूफा ने आकर उसे उठाया और घूरते हुए कहा,”जे अपनी गिद्ध जैसी नजरो का जादू हमरी राजकुमारी पर चलाना बंद करो , साले एक हाथ के नहीं हो यही जमीन में गाड़ देंगे,,,,,,,!!”
“अरे हमहू कुछो नहीं किये है फूफा उह तो बस हमरा पैर फिसल गवा,,,,,,,भुआ की कसम”,गोलू ने कहा
मिश्रा जी क्या ही कहते वो तो जानते थे कि मुसीबत गोलू के पास नहीं आती गोलू खुद सज धजकर , लाली लिपस्टिक लगाकर मुसीबत के पास जाता है वे वही तख्ते पर बैठे रहे।


गोलू को भुआ की कसम खाते देखकर फूफा ने कहा,”भुआ की कसम खाकर भरी जवानी में हमको रंडवा करना चाहते हो,,,,,,,,,,उधर जाके मरो”,फूफा ने गोलू को सीढ़ियों की तरफ फेंककर कहा और भुआ का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले जाते हुए कहा,”और तुमहू का जे उम्र मा हुस्न परी बनकर बाहिर जा रही हो , अंदर चलो और जे गोलू से दूर रहो समझी”
फूफा ने गोलू को जो फेंका तो गोलू इस बार गुड्डू की गोद में आकर गिरा लेकिन गुड्डू उस से कुछ कहता इस से पहले गोलू का फोन फिर से बजा


“देखा है पहली बार , साजन की आँखों में प्यार
अब जाके आया मेरे बैचैन दिल को करार”
गोलू ने मुस्कुराते हुए प्यार से गुड्डू के गाल को छुआ तो गुड्डू ने उसके गाल पर एक चांटा मारकर उसे अपने से दूर करके कहा,”का है बे ? और सबसे पहिले तो जे फोन बंद करो,,,,,,,,,,,कोनो और रिंग नाही मिली तोह का ?”
गोलू ने फोन बंद किया तो गुड्डू ने उसकी गुद्दी पकड़ी और दबी आवाज में गुस्से से कहा,”और साले वहा भुआ के साथ का गुल खिला रहे थे ? गोलू कही तुमहू भुआ के साथ चक्कर चलाने का तो नाही सोच रहे ?”

गोलू ने सुना तो उसका बुरा सा मुंह बन गया और उसने गुड्डू से दूर हटकर कहा,”गुड्डू भैया कैसी बात कर रहे हो ? अरे माथा ख़राब नहीं हुआ है हमरा जो भुआ के लिए इतना गंदा सोच रखेंगे,,,,,,अरे जैसे तुम्हरे पिताजी हमरे पिताजी , तुम्हरी अम्मा हमरी अम्मा , तुम्हरी बहिन हमरी बहन वैसे ही तुम्हरी भुआ मतलब हमरी भुआ,,,,,,,का कुछ भी बोलते हो ?”


“तो फिर उनकी बाँहो में झूला काहे झूल रहे थे ? कभी तारीफ करना , कभी रोने के लिए उनको कंधा देना,,,,,,हम सब समझ रहे है गोलू , साले पिंकिया को पता चला ना तो बहुते बुरा होगा तुम्हरे साथ याद रखना जे”,गुड्डू ने गुस्से से कहा


गुड्डू गोलू की बात सुनने को तैयार ही नहीं था ये देखकर गोलू ने सीढ़ी से उठकर चिढ़ते हुए कहा,”हाँ तो एक ठो काम करो पोस्टर लगाय दयो हमाये नाम के , पुरे कानपूर मा पर्चे बटवाय दयो का है कि हमरी कुंडली के असली सनी तो तुम्ही हो ना,,,,,,,,,अरे कह रहे है जैसा आप सोच रहे वैसा कुछो नहीं है आप सुन ही नहीं रहे,,,,,,,,अरे मोहल्ले की सबसे सुंदर लड़की से हमहू सादी किये रहय हमहू भुआ में इंट्रेस्ट काहे लेंगे ? वजन देखा है उनका हमको मरना थोड़े है उनके नीचे दबकर,,,,,,,,,!!”


गोलू को चिढ़ते देखकर गुड्डू को समझ आया कि फूफा का गुस्सा उसने बेवजह गोलू पर उतार दिया। वह खामोशी से गोलू को देखने लगा तो गोलू का गुस्सा भी कुछ हुआ और वह आकर गुड्डू के बगल में बैठ गया। दोनों खामोश थे और दोनों के मन में बहुत कुछ चल रहा था। दो दिन में जो भसड़ गोलू ने फैलाई थी उसके बाद उसका खामोश होना तो बनता था वही गुड्डू फूफा को लेकर परेशान था कि आखिर मिश्रा जी फूफा के सामने कुछ बोल क्यों नहीं रहे ?  लेकिन उनका गुस्सा गोलू पर निकालना गलत था इस बात का अहसास होने पर गुड्डू ने गोलू से कहा,”सॉरी,,,,,,,,,!!”,


गोलू ने सुना तो गुड्डू की तरफ देखकर दाँत दिखाने लगा। गोलू को दाँत दिखाते देखकर गुड्डू फिर चिढ गया और कहा,”साले दाँत ना दिखाओ मुंह तोड़ देंगे तुम्हारा,,,,,,,,जे बताओ हमरे जाने के बाद थाने में का बात हुई ? पिताजी फूफा के सामने इतना शांत कैसे है ?”


गोलू ने गर्दन घुमाकर तख्ते पर बैठ फूफा और मिश्रा जी को एक नजर देखा और फिर गुड्डू से कहा,” दोनों के बीच का बात हुई इह तो हमका नाही पता पर पक्का जे फूफा ने ना मिश्रा जी को किसी बात में फंसाया है वरना मिश्रा जी इतना शांत हो जाए पॉसिबल ही नाही है,,,,,,,,,,,,!!”
“वही तो हमे नहीं समझ आ रहा गोलू कि आखिर ऐसी का बात है जिह की वजह से पिताजी फूफा की हर बदतमीजी बर्दास्त कर रहे है,,,,,,,,और शगुन भी इह मा पूरा साथ दे रही है”,गुड्डू ने चिढ़कर कहा
“अब भाभी ने का किया ?”,गोलू ने पूछा


“गोलू तुम सुनोगे ना तो तुमको भी गुस्सा आएगा,,,,,,सबके सामने फूफा कहे रहे कि उनके लिए चाह शगुन ही बनाएगी,,,,,,,हमहू साला विरोध किये तो फूफा चल पड़े यहाँ से लेकिन उह हमरी मेहरारू दया की देवी,,,,,,,,उन्होंने फूफा को रोक लिया और चली गयी उनके लिए चाय बनाने,,,,,,,!!”,गुड्डू ने बढ़ा चढ़ाकर कहा , शगुन से वह अभी तक नाराज था।
गोलू ने सुना तो उसे भी बुरा लगा और उसने फूफा को देखकर मुंह बनाते हुए कहा,”हम सबकी जिंदगी मा आधी पिरोब्लम तो साला जे फूफा ही है,,,,,,,,,,फूफा को निपटाय दे का ?”


गोलू जो कि बिना सोचे समझे कुछ भी बोलता था उसकी बात सुनकर गुड्डू ने उसे घुरा और कहा,”फूफा को उठाने का सोचे तो तुमहू अर्थी तक पहुँच गए , अभी निपटाने की बात कर रहे हो साले यह बार सीधा चिता पर लेटे मिलोगे,,,,,,,और आग भी फूफा ही दे रहे होंगे”
गोलू होश में आया और कहा,”अरे भैया हम तो बस मजाक कर रहे थे,,,,,,,,!!”
“जिंदगी हमरे साथ मजाक कर रही है उह कम है का ?”,गुड्डू ने कहा


“अरे गुड्डू भैया ! काहे परेशान हो रहे है एक बार ददिया के के दिन पुरे हो जाये जे फुफा की अकड़ भी निकाल देंगे”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस खामोश हो गया। गोलू ने गुड्डू को देखा और खुद भी सर झुकाकर बैठ गया।

शगुन फूफा के लिए चाय लेकर आयी और फूफा की तरफ बढ़ा दी। फूफा ने देखा चाय स्टील के बहुत ही पुराने और घिसे हुए गिलास में रखी है तो उन्होंने शगुन को देखकर कहा,”जे का ? हमरे लिए चाय जे मा ?”


फूफा फिर से कुछ बकवास ना करे सोचकर गुड्डू भी उस तरफ चला आया और पीछे पीछे गोलू भी। मिश्रा जी ने देखा शगुन फूफा के लिए उस गिलास में चाय लेकर आयी थी जो घर के लोगो के लिए इस्तेमाल नहीं होता था बल्कि बाहर से कोई मजदुर या मांगने वाला होता था उनके लिए रखा जाता था और ये बात फूफा भी जानते थे। शगुन ने फूफा को देखा और बहुत ही सहजता से कहा,”जी ! इस घर में बाहर के लोगो के लिए यही इस्तेमाल होता है,,,,,,,,,!!”


फूफा ने सुना तो आग बबूला हो उठा और मिश्रा जी से कहा,”बाहरवाला ? हमहू बाहरवाले है जे तमीज है इह घर की बहू की , जे है इह घर मा हमायी इज्जत ?”
मिश्रा जी ने शगुन को देखा तो शगुन ने कठोरता से लेकिन धीमे स्वर मे कहा,”तमीज से माँगिएगा तो सब मिलेगा चाय भी और इज्जत भी,,,,,,,,,,,!!”


शगुन की बात सुनकर मिश्रा जी मन ही मन मुस्कुरा उठे। गुड्डू हालाँकि शगुन से नाराज था लेकिन उसने फूफा को जो जवाब दिया वो सुनकर तो उसे भी शगुन पर प्यार आने लगा लेकिन चेहरे पर आने नहीं दिया। वही गोलू ने तो अपने दोनों हाथो से शगुन की बलाये लेकर कहा,”लिख के लेइ ल्यो गुड्डू भैया , तुम्हरे फूफा की फू फा तो अब शगुन भाभी ही निकालेगी,,,,,,,,,,,!!!”
शगुन के जवाब से फूफा अवाक् रह गए और मिश्रा जी की तरफ देखा तो मिश्रा जी ने उठते हुए कहा,”चाय पी लीजिये ठंडी हो जाएगी,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल  

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शगुन की बात सुनकर मिश्रा जी मन ही मन मुस्कुरा उठे। गुड्डू हालाँकि शगुन से नाराज था लेकिन उसने फूफा को जो जवाब दिया वो सुनकर तो उसे भी शगुन पर प्यार आने लगा लेकिन चेहरे पर आने नहीं दिया। वही गोलू ने तो अपने दोनों हाथो से शगुन की बलाये लेकर कहा,”लिख के लेइ ल्यो गुड्डू भैया , तुम्हरे फूफा की फू फा तो अब शगुन भाभी ही निकालेगी,,,,,,,,,,!!!”
शगुन के जवाब से फूफा अवाक् रह गए और मिश्रा जी की तरफ देखा तो मिश्रा जी ने उठते हुए कहा,”चाय पी लीजिये ठंडी हो जाएगी,,,,,,,,!!”

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