Manmarjiyan – 4
Manmarjiyan – 4

सोनू भैया की मदद करके और बदले में डबल चीज पिज्जा खाकर गोलू की आत्मा तृप्त हो गयी और पेट भर गया। पिज्जा उसके गले तक आ चुका था और आता भी क्यों नहीं पूरा लार्ज पिज्जा उसने अकेले जो गटकाया था। गोलू सोनू भैया की दुकान से ख़ुशी ख़ुशी बाहर आया और गुड्डू की बाइक पर आ बैठा। उसने बाइक में चाबी लगाई और एक नजर शीशे पर डाली और खुद को देखकर कहा,”वैसे बिना बालों के लग तो स्मार्ट रहे है,,,,,,,अरे मिश्रा जी इंतजार कर रहे होंगे हमारा जल्दी चलते है शाबासी भी तो लेनी है उनसे और गुड्डू भैया से,,,,,,!!”
गोलू वहा से निकल गया और कुछ ही देर में गुड्डू के घर के सामने पहुंचा। उसने बाइक बाहर रोकी और चाबी ऊँगली में घुमाते हुए अंदर चला आया। गोलू के चेहरे से ख़ुशी तो ऐसे झलक रही थी जैसे उसे कोई बहुत बड़ा मैडल मिलने वाला हो। चलते चलते गोलू मुस्कुराया क्योकि मिश्रा जी सामने ही खड़े थे बरामदे की
सीढ़ियों पर और नीचे खड़ा था गुड्डू,,,,,,,,!!
“पिताजी ज़रा आराम से,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने अपनी उंगलिया चबाते हुए धीमे स्वर में कहा
मिश्रा जी ने गुड्डू के सामने हाथ करके उसे आगे बोलने से रोक दिया। गुड्डू बेचारा चुप हो गया और मन ही मन गोलू के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगा।
गोलू मिश्रा जी के सामने आकर खड़ा हो गया। मिश्रा जी सीढिया उतरकर नीचे आये तो गोलू ने कहा,”चचा सामान सब ठीक है ना , वो गुड्डू भैया कहे कि आप बुलाये रहे , का कोनो काम था का हमसे ? वैसे हमसे नहीं होगा तो किस से होगा , अब ददिया के जाने के बाद गुड्डू भैया तो इत्ते सेन्स मा नाही है कि बाहर जाकर काम देख सके , और इनके बाद हम ही ठहरे सबसे जिम्मेदार और ईमानदार,,,,,,,,सही कहे ना ?”
हालाँकि अम्मा के गुजर जाने से मिश्रा जी उदास थे लेकिन गोलू ने जो किया उसके बाद वे कुछ देर के लिए घर का माहौल भूल गए और गोलू के पास आकर कहा,”हाँ बात तो सही कहे तुम गोलू , और शादी के बाद जिम्मेदार भी कुछो जियादा हो गए हो,,,,,,,,,,सामान भी सब ठीक लाये हो पर हमका जे बताओ,,,,,,,,,,,!!
“,कहते हुए मिश्रा जी थोड़ा झुके और अपने पैर से बाटा की चप्पल निकालते हुए उठे और गोलू की पीठ पर छाप छोड़ते हुए कहा,”जे हल्दी का बैनर हमहू कहा लगाए तुमरे सर पर ? एक काम दिए रहय गुड्डू तुमको , उह भी ढंग से ना किये,,,,,,,,,,,दो दिन बाद हमरी अम्मा की तिये की बैठक है , उनका हल्दी मेहँदी का फंक्शन नहीं जो जे ताम झाम उठा लाये हो,,,,,,,,!!
“जे कैसे हो सकता है ? हमहू खुद लड़के से कहकर सामान रखवाए थे गाड़ी मा”,गोलू ने अपनी पीठ सीधी करते हुए कहा
“जैसा राजा वैसी प्रजा , अभी के अभी जे सारा सामान समेटे और लेकर जाओ हिया से वरना अम्मा की बैठक बाद में पहिले तुम्हारी रखेंगे,,,,,,,,,,,का समझे ?”,मिश्रा जी ने गुस्से से कहा
“समझ गए चचा , हमहू कितने भी कर्म करने जाए बदलेंगे उह सब कांड में ही,,,,,,,,,,उह दूसरी चप्पल काहे पहनी है , उह भी छाप दयो हमाये पीठ पर,,,,,,,,,,का है कि परमानेंट तबला समझ लिए हो आप सब हमको,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
मिश्रा जी ने हाथ में पकड़ी चप्पल को जमीन पर फेंका और कहा,”एक ही थाली के बैंगन हो दोनों,,,,,,,!!”
मिश्रा जी के जाने के बाद गोलू दहाड़े मार मार कर रोने लगा का है कि मिश्रा जी की बाटा की चप्पल थी नयी और गोलू को पड़ी भी बहुत जोर से थी। गुड्डू ने गोलू चुप करवाने की कोशिश की तो वह मुँह फाड् फाड़ कर रोने लगा। गुड्डू अभी गोलू को चुप करवा ही रहा था कि तभी सामने से शगुन के पापा , और चाचा-चाची घर के अंदर आये। शगुन के पापा ने जब गोलू को ऐसे रोते हुए देखा तो गुड्डू के पास आकर कहा,”क्या बात है बेटा जी ? ये गोलू जी ऐसे क्यों रो रहे है,,,,,,,,,,!!”
“पापा वो,,,,,,,!!”,गुड्डू ने इतना ही कहा कि शगुन के चाचा आगे आये और गुप्ता जी के कानो में फुसफुसाते हुए कहा,”लगता है , ददिया से गोलू का रिश्ता थोड़ा ज्यादा गहरा था,,,,,,,,!!”
“नाम मत लेना ददिया का साला उन्ही के चक्कर में पेले गए है,,,,,,,,,,,हाय कित्ती जोर से मारा है”,ददिया का नाम सुनकर गोलू एकदम से भड़क गया
गोलू की बात उन तीनो में से किसी को समझ नहीं आयी , गोलू उनके सामने और तमाशा करे इस से पहले गुड्डू ने उन्हें अंदर चलने को कहा। उनके जाने के बाद गुड्डू ने गोलू को धरा और दबी आवाज में कहा,”अबे गोलू ! भांड हो का साले , शगुन के घरवालों के सामने का अंट शंट बक रहे थे,,,,!!”
“हाँ हाँ भैया तुमहू तो ससुराल वालो का ही सोचोगे , हिया हम तुम्हरे सामने कुटे गए तुमहू रोके तक नहीं मिश्रा जी को,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने रोते हुए कहा
“तुम्हु जो किये उसके लिए पिताजी से पहले साले हम कूटने वाले थे तुमको , एक ठो काम ढंग से नहीं कर सकते ऊपर से सोनू भैया की दुकान पर बैठकर पिज्जा ठूस रहे थे तब शर्म नहीं आयी तुमको,,,,,,,,,,तब तुमहू सोचे भाई के बारे में,,,,,,,,,,,और जे जे का है बेचलर पार्टी,,,,,,,,,,,बौड़म आदमी इतना होश नहीं है तुमको कि तिये की बैठक और बेचलर पार्टी में अंतर् होता है,,,,,,,,,,कसम से गोलू मेहमान नहीं ना होते घर में अभी पटक के मारते तुमको हम , तुम्हरी वजह से पिताजी पहले ही हमको डोज दे चुके थे उस पर तुम चाहते हो उनके बीच में बोलकर हम सोये सेर को जगाये”,गुड्डू ने गुस्से से एक साँस में कहा
गोलू को समझ आया उसने गलती तो की है इसलिए वह खामोश हो गया
“अब जे सब समेटो और लेकर जल्दी निकलो हिया से,,,,,,,,,,,हम अंदर जाते है और गोलू हाथ जोड़कर बिनती है तुमसे इह बार कोनो गलती ना करना वरना बूढ़ा के साथ साथ हमारी तुम्हारी बैठक भी लगेगी,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा और अंदर चला गया
गोलू ने सामने पड़े शादी के टेंट और हल्दी-मेहँदी के सामान को देखा और लड़को से गाड़ी में लादने को कहा
गोलू वही खड़े होकर सामान डलवा रहा था तभी गुड्डू के फूफाजी वहा आये और गोलू को देखकर उसके टकले पर थप्पड़ मारकर कहा,”और भई गोलू कैसे हो ?”
“कैसे हो पूछने के लिए सर पर मारने की का जरूरत थी ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे भई खाली दिखा तो मार दिए,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा
गोलू मिश्रा जी की मार से पहले ही बौखलाया हुआ था फूफाजी की बात ने तो आग में घी डालने का काम किया गोलू ने गुस्से से कहा,”चिता खाली दिखेगी तो लेट जाओगे ?”
बेचारे फूफाजी ने सुना तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया वे गोलू से कुछ कहते इस से पहले भुआजी वहा आयी और फूफाजी से कहा,”जे कोई बख्त है आने का हमरी अम्मा तो अब तक स्वर्ग भी पहुँच गयी होगी”
“अरे तो का उड़ के आते , ट्रेन जैसे चलेगी वैसे ना आएगे,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा
“अब आ गए है तो खड़े खड़े हिया का कर रहे है ? अंदर चलिए,,,,,,,,,!!”,भुआजी ने कहा
“वो तो हम ऐसे ही जरा गोलू से बतिया रहे थे,,,,,!!”, फूफाजी ने कहा
“अरे गोलुआ को छोडो अंदर आओ,,,,,!”,कहते हुए भुआजी ने गोलू को धक्का देकर साइड किया और फूफाजी को लेकर चली गयी।
भुआजी के एक धक्के से गोलू सामने रखे टेंट के सामान में जा गिरा और उसका सर हल्दी नाम के थर्माकोल शीट के आर पार निकल गया और गोलू के गले में अटक गया। गोलू वही जमीन पर पसर गया और भोचक्का सा जाती हुई भुआ को देखकर कहा,”जे औरत किसी दिन हमका मार के दम लेगी”
“गोलू भैया जे मेहँदी का सामान कहा रखे ?”,एक लड़के ने आकर गोलू से पूछा
गोलू धरती पर हाथ पैर पसारे तो बैठा ही था चिढ़कर कहा,”ल्यो हमे लगाय दयो , जे हाथ , पैर , घुटना जहा जगह दिखे लगाय दयो और बच जाए तो हमाई छाती पर मल दयो,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू की बात सुनकर लड़का हैरानी से उसे देखने लगा तो गोलू ने गले में फंसे थर्माकोल को फाड़कर उठते हुए कहा,”अबे करना का है गाड़ी में भरो और निकलो हिया से,,,,,,,,आज के लिए इत्ता इंटरटेनमेंट काफी है,,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू सब सामान गाड़ी में भरवा कर वहा से निकल गया
शगुन अपने घरवालों से मिली और फिर गुड्डू के पास आकर कहा,”गुड्डू जी,,,,,,,,,,,गोलू जी ने फिर कुछ किया क्या ? मैंने देखा पापा जी उन पर गुस्सा कर रहे थे,,,,,,,,,,!!”
“पिताजी का गुस्सा सही था शगुन , हम पिताजी की जगह होते ना तो हम भी वही करते , जे गोलू ने सबके सामने शर्मिन्दा कर दिया,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“ऐसा क्या किया उन्होंने ?”,शगुन ने पूछा
“बूढ़ा की बैठक का सामान लाने को कहे थे दुकान से जे हल्दी मेहँदी के डेकोरेशन का सामान उठा लाये,,,,,,,,,,,उह तो अच्छा हुआ घर में लगा नहीं वरना लोग का सोचते बारे में,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
गुप्ता जी का घर , कानपूर
गोलू के पिताजी ने जो फॉर्चूनर वाली बात गोलू से कही थी वो एक मजाक था लेकिन पिंकी को लगा सच में गोलू के पिताजी उसकी और गोलू की शादी से खुश नहीं है , क्योकि उन्हें दहेज़ में फॉर्चूनर नहीं मिली। यही सब सोचते हुए वह अपने कमरे में परेशान सी यहाँ से वहा घूमने लगी। उलझन का जब कोई हल नहीं मिला तो पिंकी बिस्तर पर आ बैठी उसकी नजर अपने फोन पर पड़ी तो उसने अपना फोन उठाया और अपने पापा का नंबर मिला दिया।
“हेलो ! हाँ पिंकी बेटा , कैसी हो ? और घर में सब कैसे है ? हमने सुना मिश्रा जी की अम्मा नहीं रही,,,,,!!”,शर्मा जी ने फ़ोन उठाते ही सवालो की झड़ी लगा दी
“प्रणाम पापा ! हम ठीक है , घर में भी सब ठीक है,,,,,,,हाँ मिश्रा अंकल की अम्मा नहीं रही सुबह से उन्ही के घर थे थोड़ी देर पहले ही आये है,,,,,!!”,पिंकी ने बुझे स्वर में कहा
पिंकी को उदास देखकर गुप्ता जी ने कहा,”क्या बात है पिंकी तुम ठीक हो ना ?”
“पापा हमे ये बताईये आपने हमारी शादी में हमे दहेज़ क्यों नहीं दिया ?”,पिंकी ने एकदम से कहा
“हम तो देने वाले थे बेटा लेकिन गोलू जी ने मना कर दिया कहा तुम्हारे सिवा उन्हें और कुछ नहीं चाहिए , और तुम आज अचानक ये क्यों पूछ रही हो ? गोलू जी ने कुछ कहा क्या ?”,शर्मा जी ने पूछा
“पापा हमे ना आज के आज एक फॉर्चूनर चाहिए अभी,,,,,,,,,,,वो भी नया मॉडल”,पिंकी ने चिढ़ते हुए कहा
“फॉर्चूनर चाहिए,,,,,,,,,,,लेकिन बेटा हुआ क्या ? हमे बताओ हम बात करते है गुप्ता जी से,,,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा
“उन्होंने ही तो फॉर्चूनर का ताना मारा है आज गोलू को,,,,,,,,,,,,,,पता है कितना बुरा लगा हमे जब उन्होंने कहा कि तुम्हारे ससुर ने दहेज़ में कौनसा फॉर्चूनर दी है,,,,,,,,,,,और गोलू वो तो उनसे कभी कुछ कहता भी नहीं,,,,,,,,,,,,हमे आज ही एक फॉर्चूनर चाहिए पापा”,पिंकी
ने कहा
पिंकी की बात सुनकर शर्मा जी हसने लगे। उन्हें हँसता पाकर पिंकी ने हैरानी से कहा,”आप हंस रहे है पापा”
“अरे हँसे नहीं तो और क्या करे बताओ ? ये गोलू के पिताजी और गोलू के बीच का प्यार है , गुप्ता जी जब तक गोलू जी की टाँग ना खींचे उन्हें चैन कहा पड़ता है ,, फॉर्चूनर वाली बात भी उन्होंने मजाक में ही कही होगी तुम खामखा ज्यादा सोच रही हो,,,,,,,,,,,अगर दहेज ही चाहिए होता तो गुप्ता जी शगुन में एक लाख की जगह एक सिक्का ना लेते,,,,,,,,ये सब मत सोचो”,शर्मा जी ने पिंकी को समझाते हुए कहा
“बहु,,,,,,ए बेटा पिंकिया , हिया आओ तो,,,,,,,,,,,!!”,कमरे के बाहर खड़े गुप्ता जी ने पिंकी को आवाज दी
“अच्छा पापा हम रखते है,,,,,,,,,प्रणाम”,पिंकी ने जल्दी जल्दी कहा और फोन काट दिया
पिंकी बाहर आयी तो सामने मुस्कुराते हुए गोलू के पिताजी खड़े थे। उनके हाथ में एक दोना था जो कि दूसरे दोने से ढका हुआ था। पिंकी कुछ कहती इस से पहले गुप्ता जी ने दोना पिंकी की तरफ बढाकर कहा,”उह बाहर गली मा चाट वाला था तो ओह से लेकर आये है तुम्हरे लिए , तुमहू पेट से हो इह बख्त मा नवा नवा खाने का मन करता है इहलीये ले आये,,,,,,,,,,,तुमहू खाय ल्यो और आराम करो”
कहकर गोलू की पिताजी वहा से चले गए लेकिन जाते जाते पिंकी की आँखों में आँसू छोड़ गए , ये पश्चाताप के आंसू थे
गुड्डू शगुन से बात कर ही रहा था तभी उसके कानों में फूफाजी और अपने पिताजी की आवाज पड़ी। गुड्डू शगुन के साथ घर के आँगन में चला आया। फूफाजी किसी बात पर मिश्रा जी से बहस कर रहे थे तभी मिश्रा जी ने कहा,”गुड्डू के सामने जे सब,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे तो गुड्डू कौनसा आपका सगा,,,,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी इतना ही कह पाए कि मिश्रा जी हवा में हाथ उठाकर चिल्लाये,”आदर्श बाबू,,,,,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू और शगुन कुछ समझ नहीं पाए लेकिन फूफाजी के कहे आखरी शब्द गुड्डू के कानों में गूंजे
“अरे तो गुड्डू कौनसा आपका,,,,,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल


पिंकी बाहर आयी तो सामने मुस्कुराते हुए गोलू के पिताजी खड़े थे। उनके हाथ में एक दोना था जो कि दूसरे दोने से ढका हुआ था। पिंकी कुछ कहती इस से पहले गुप्ता जी ने दोना पिंकी की तरफ बढाकर कहा,”उह बाहर गली मा चाट वाला था तो ओह से लेकर आये है तुम्हरे लिए , तुमहू पेट से हो इह बख्त मा नवा नवा खाने का मन करता है इहलीये ले आये,,,,,,,,,,,तुमहू खाय ल्यो और आराम करो”
कहकर गोलू की पिताजी वहा से चले गए लेकिन जाते जाते पिंकी की आँखों में आँसू छोड़ गए , ये पश्चाताप के आंसू थे
पिंकी बाहर आयी तो सामने मुस्कुराते हुए गोलू के पिताजी खड़े थे। उनके हाथ में एक दोना था जो कि दूसरे दोने से ढका हुआ था। पिंकी कुछ कहती इस से पहले गुप्ता जी ने दोना पिंकी की तरफ बढाकर कहा,”उह बाहर गली मा चाट वाला था तो ओह से लेकर आये है तुम्हरे लिए , तुमहू पेट से हो इह बख्त मा नवा नवा खाने का मन करता है इहलीये ले आये,,,,,,,,,,,तुमहू खाय ल्यो और आराम करो”
कहकर गोलू की पिताजी वहा से चले गए लेकिन जाते जाते पिंकी की आँखों में आँसू छोड़ गए , ये पश्चाताप के आंसू थे
पिंकी बाहर आयी तो सामने मुस्कुराते हुए गोलू के पिताजी खड़े थे। उनके हाथ में एक दोना था जो कि दूसरे दोने से ढका हुआ था। पिंकी कुछ कहती इस से पहले गुप्ता जी ने दोना पिंकी की तरफ बढाकर कहा,”उह बाहर गली मा चाट वाला था तो ओह से लेकर आये है तुम्हरे लिए , तुमहू पेट से हो इह बख्त मा नवा नवा खाने का मन करता है इहलीये ले आये,,,,,,,,,,,तुमहू खाय ल्यो और आराम करो”
कहकर गोलू की पिताजी वहा से चले गए लेकिन जाते जाते पिंकी की आँखों में आँसू छोड़ गए , ये पश्चाताप के आंसू थे
पिंकी बाहर आयी तो सामने मुस्कुराते हुए गोलू के पिताजी खड़े थे। उनके हाथ में एक दोना था जो कि दूसरे दोने से ढका हुआ था। पिंकी कुछ कहती इस से पहले गुप्ता जी ने दोना पिंकी की तरफ बढाकर कहा,”उह बाहर गली मा चाट वाला था तो ओह से लेकर आये है तुम्हरे लिए , तुमहू पेट से हो इह बख्त मा नवा नवा खाने का मन करता है इहलीये ले आये,,,,,,,,,,,तुमहू खाय ल्यो और आराम करो”
कहकर गोलू की पिताजी वहा से चले गए लेकिन जाते जाते पिंकी की आँखों में आँसू छोड़ गए , ये पश्चाताप के आंसू थे
Ab yeh kon sa raaz hai…kya Guddu Mishra ji ka apna beta nhi hai…yeh to next m pta chalega…par sach m yeh Golu na…sach m bahot zyada mazedaar character hai…udaas ho hai aap aur golu ki baat sun lo na to aapka mood thik ho jayega…
Kya Guddu Mishra ji ka Beta nahi hai…Gollu ne jo galti ki usse uski saza mil gayi aur ab usse galti ko sudar raha hai aur uske wajahse Mishra ji ne Guddu ko bi sunaya ..Pinky ki duvida uske pita se baat karke dur ho gayi aur usse samajh agaya ki usne Gupta ji ko galat samjha aur voh usse apni beti ki tarah hi khayal rakh rahe hai…interesting part Maam♥♥♥♥