Love You जिंदगी 43
Love You Zindagi – 43

अपने मुंह में वड़ा पाव दबाये रुचिका हैरानी से अपने सामने बैठे मोंटी को देख रही थी। रुचिका को चुप देखकर मोंटी ने कहा,”क्या हुआ कुछ तो बोलो,,,!!”
रुचिका ने मुंह में भरा पाव निगला और खांसने लगी। मोंटी ने पानी का गिलास उठाकर रुचिका की तरफ बढा दिया। रुचिका ने पानी पिया और कहा,”मोंटी , क्या तुम सच में ऐसा करने वाले हो ?”
मोंटी उठा और रुचिका के बगल में बैठते हुए कहा,”हाँ रूचि ! मैं भला ऐसा मजाक क्यों करूँगा ?”
“ओहके ठीक है लेकिन तुम कोई और बिजनेस भी तो कर सकते हो,,,,,,,,,,वड़ा पाव का ठेला लगाना इट्स नॉट वर्थ इट”,रुचिका ने कहा
“पर मुझे लगता है ये मेरे लिए बेस्ट बिजनेस है,,,,,,,मैं एक फूडी हूँ और मैं जानता हूँ कि एक फूडी को कैसा टेस्ट पसंद आता है , जब तुम यहाँ नहीं थी तब मैं सुबह शाम वडा पाव ही खा रहा था,,,,,,,,,,एंड ट्रस्ट मी सब बस ओके ओके थे कोई टेस्ट नहीं कोई क्वालिटी नहीं फिर भी हर कार्ट पर भीड़ लगी रहती है,,,,,,,,,,और मैं तो लोगो को टेस्ट और क्वालिटी दोनों देने वाला हूँ,,,,,,,,,,,मुझे पूरा यकीन है लोग इसे पसंद करेंगे”,मोंटी ने अपने मन की बात रुचिका के सामने रखते हुए कहा
रुचिका ने सुना उसे मोंटी की बात में पॉइंट लगा लेकिन वह मोंटी को वडा पाव के ठेले के साथ इमेजिन नहीं कर पा रही थी। वह मोंटी की तरफ पलटी और कहा,”आई अंडरस्टेंड मोंटी लेकिन एक बड़ी कम्पनी के मैनेजर से सीधा वडा पाव वाला,,,,,,,,,,,,लोग क्या कहेंगे ? तुम्हारे कुलीग्स क्या कहेंगे ? तुम्हारे दोस्त , रिश्तेदार और मम्मी पापा उन्हें पता चला तो उनका क्या रिएक्शन होगा ?”
रुचिका की बात सुनकर मोंटी उठा और रुचिका के सामने आकर कहा,”जिसको जो सोचना है सोच सकता है , मैं कोई चोरी नहीं कर रहा , मैं कोई डाका नहीं डाल रहा बल्कि मेहनत करने की बात कर रहा हूँ,,,,,,,,,
और रही बात दोस्तों की कुलीग्स की और रिश्तेदारों की तो एक महान देवी ने कहा था रिश्तेदारों का तो काम ही होता है आपको आसमान से खींचकर जमीन पर पटकने का,,,,,,,,उनकी सुनोगे तो जिंदगी में कभी तरक्की नहीं कर पाओगे”
“और वो महान देवी नैना बजाज होंगी”,रुचिका ने मोंटी की तरफ देखकर कहा तो मोंटी ने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी।
मोंटी मुस्कुराते हुए रुचिका के पास आया और उसके कंधो पर अपनी बाँह रखकर उसे अपने करीब करके कहा,”रूचि नैना के साथ इतना वक्त बिताने के बाद भी तुम उसके सोचने का तरिका नहीं समझ पायी , नैना की बाते पहले पहले अजीब लगती है लेकिन धीरे धीरे समझ आता है कि वो सही थी , वो सही कहती थी अगर दुसरो के हाथ में अपनी जिंदगी का पेन पकड़ाओगे तो वह अपने हिसाब से आपकी जिंदगी की कहानी लिखेगा इसलिए अपनी जिंदगी का पेन अपने हाथ में लो और जब कुछ पसंद ना आये तो पन्ना पलट दो”
धीरे धीरे रुचिका को मोंटी की बात समझ आ रही थी लेकिन समाज का डर कही ना कही रुचिका के अंदर समाया हुआ था। रुचिका कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”तुम कैफे या कोई रेस्टोरेंट स्टार्ट क्यों नहीं करते ? ये थोड़ा अच्छा भी लगेगा और लोग तुम्हे जज भी नहीं करेंगे,,,,,,,,,,!!”
“रूचि ! कैफे या रेस्टोरेंट शुरू करने के लिए अच्छा फायनेंस जरुरी और अभी मेरे हालात ऐसे है कि मैं इस फ्लेट का रेंट भी नहीं भर पा रहा,,,,,,,,लोग मुझे जज कर भी ले तो मुझे फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन तुमने किया तो जरूर फर्क पडेगा,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी की बात सुनकर रुचिका ने उसकी तरफ देखा और कहा,”मैं तुम्हे कभी जज नहीं करुँगी , तुम्हे जो करना है तुम वो करो तुम्हारे साथ हूँ ,, तुम अपना काम शुरू करो मैं भी अपना जॉब शुरू कर दूंगी,,,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने रूचि को गले लगाया और कहा,”ओह्ह्ह्ह रूचि थैंक्यू सो मच , देखना एक दिन तुम्हे अपने इस वडा पाव वाले पर बहुत प्राउड फील होगा,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन उसके लिए तुम्हे मुझे रोज फ्री में वड़ा पाव खिलाना पडेगा वो भी एक्स्ट्रा ग्रीन चटनी के साथ”
“अरे अपने हाथो से खिलाऊंगा”,मोंटी ने रुचिका से दूर होकर ख़ुशी भरे स्वर में कहा
“तो फिर चलो”,रुचिका ने उठते हुए कहा
“कहा ?”,मोंटी ने पूछा
“तुम्हारे नए बिजनेस का सेटअप खरीदने”,रुचिका ने कहा
मोंटी उठा और रुचिका को साथ लेकर वहा से चला गया
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
सार्थक शीतल के साथ अपने फ्लेट में चला आया। शीतल अपने कमरे में आयी और ड्रॉवर से नए घर के पेपर निकालने लगी। सार्थक भी कमरे में चला आया। शीतल ने पेपर निकालकर सार्थक को थमा दिए। सार्थक ने पेपर देखे और कहा,”आज सन्डे है माथुर जी से मिलकर घर का काम करवा लेता हूँ ताकि अगले महीने हम सब नए घर में शिफ्ट हो सके,,,,,,,,,,,,,!!”
“सार्थक तुमने मम्मी पापा को इस नए घर के बारे में क्यों नहीं बताया ?”,शीतल ने पूछा
“शीतल बचपन से ही मैंने मम्मी पापा को किराये के घर बदलते और परेशान होते देखा है। पापा के पास नौकरी थी लेकिन वो कभी खुद का घर नहीं बना पाए , ये घर मैं उन्हें गिफ्ट करना चाहता हूँ , मैंने घर के पेपर भी मम्मी पापा के नाम से ही बनवाये है,,,,,,,,,जैसे ही घर तैयार हो जाएगा मैं उन्हें सरप्राइज दूंगा,,,,,,,,,,!!”,सार्थक ने खुश होकर कहा
शीतल ने सुना तो मुस्कुरा उठी , सार्थक अपने मम्मी पापा से बहुत प्यार करता था और उनका सपना पूरा करने के लिए ही वह दिन रात मेहनत कर रहा था। शीतल ने सार्थक के हाथो को थामा और कहा,”मम्मी पापा बहुत खुश हो जायेंगे,,,,,,!!”
“हाँ लेकिन तुम ये क्या कर रही हो ? तुमने मम्मी को सोसायटी इलेक्शन में हिस्सा लेने को क्यों कहा ? वैसे भी अगले महीने हम लोग यहाँ से नए घर में शिफ्ट हो जायेंगे मम्मी लीडर बनकर क्या करेंगी ?”,सार्थक ने कहा
“तुम नहीं समझोगे सार्थक , मिसेज आहूजा ने हर बात पर मम्मी को बहुत नीचा दिखाया है भले ही हम सब एक महीने बाद यहाँ से चले जाये लेकिन जाने से पहले मैं चाहती हूँ सोसायटी वाले मम्मी की अच्छाइयो के बारे में जाने,,,,,,,,और जब उनकी बहू उनके साथ है तो उन्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है”,शीतल ने आखरी शब्द थोड़ा इतराकर कहे तो सार्थक मुस्कुरा उठा और कहा,” तुम्हारी अवि भाई या नैना से बात हुई ?”
“हाँ अवि का मैसेज आया था वह नैना के साथ है , आज से नैना की कीमोथेरपी शुरू है,,,,,,,,!!”,शीतल ने उदासी भरे स्वर में कहा
” हमारी नैना बहुत स्ट्रांग है वो इन सब से लड़ लेगी,,,,,,,,,,,,चिंता मत करो हम सब जल्दी ही उस से मिलेंगे , मुझे देर हो रही है मैं निकलता हूँ,,,,,,अपना ख्याल रखना”,कहते हुए सार्थक ने शीतल का गाल थपथपाया और वहा से चला गया
शीतल भी घर के कामो में लग गयी। शीतल किचन में चली आयी और दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी। धुले हुए बर्तन रेंक में जमाते हुए शीतल को सहसा ही बिट्टू की याद आयी और वह मन ही मन खुद से कहने लगी,”राज बिट्टू की बर्थडे पार्टी में क्यों आया था ? वह तो दिल्ली में किसी को जानता तक नहीं है ना यहाँ उसका कोई रिश्तेदार है फिर मिसेज आहूजा ने उसे इन्वाइट क्यों किया ? और बिट्टू , क्या अब राज उसे अपना शिकार बनाने वाला है ? नहीं मैं राज को ऐसा करने नहीं दे सकती , मैं उसे अब किसी और लड़की की जिंदगी बर्बाद करने नहीं दे सकती , मुझे बिट्टू को सब सच बताना होगा,,,,,,,,,,,,!!”
सोचते हुए शीतल ने सभी बर्तन रेंक में जमाये और हॉल में रखे लेडलाइन से मैसज आहूजा के घर का नंबर डॉयल किया। शीतल की किस्मत अच्छी थी कि फोन बिट्टू ने ही उठाया था लेकिन जैसे ही उसने हेलो कहा फोन मिसेज आहूजा ने उसके हाथ से लेकर अपने कान से लगा लिया और ख़ामोशी से शीतल के बोलने का इंतजार करने लगी। डरी सहमी बिट्टू मिसेज आहूजा के बगल में ही खड़ी थी।
दूसरी तरफ से शीतल ने कहा,”हेलो बिट्टू ! मैं शीतल भाभी बात कर रही हूँ , तुम राज के बारे में मुझसे बात कर रही थी , मुझे तुम्हे कुछ बताना है क्या तुम गार्डन के पास आकर मुझसे अभी मिल सकती हो,,,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म्म”,मिसेज आहूजा ने कहा और शीतल इतनी जल्दी में थी कि फोन पर मिसेज आहूजा की आवाज पहचान नहीं पायी और फोन रख दिया। मिसेज आहूजा ने रिसीवर रखा और बिट्टू को घूरते हुए कहा,”तुम से तो मैं बाद में बात करुँगी , पहले उस शीतल भाभी से निपट लू , बहुत हमदर्दी हो रही है उसे तुम से”
“मम्मा इसमें शीतल भाभी की कोई गलती नहीं है मैंने ही उनसे,,,,,,,,,,,,प्लीज मम्मा उनसे कुछ मत कहिये प्लीज,,,,,,,,,,!!”,बिट्टू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा लेकिन मिसेज आहूजा गुस्से में तमतमाते हुए वहा से चली गयी।
बेचारी बिट्टू डर गयी उसकी वजह से कही मिसेज आहूजा शीतल को गलत ना समझ ले ,, उसने शीतल को वापस फोन करने का सोचा लेकिन उसके पास ना शीतल का नंबर था ना मिसेज शर्मा के घर का,,,,,,,,,,,,,,बिट्टू सोफे पर आ बैठी और शीतल की फ़िक्र करने लगी , वह खुद को दोष देने लगी कि क्यों उसने शीतल से मदद मांगी , ना वो ऐसा करती और ना मिसेज आहूजा गुस्सा होती।
मिसेज आहूजा गुस्से में दनदनाते हुए नीचे आयी और गार्डन एरिया के पास पहुंची। शीतल वहा पहले से मौजूद थी , उसे देखकर मिसेज आहूजा का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने शीतल के सामने आकर कहा,”तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को भड़काने की,,,,,,,,,,,,उसे भी तुमने खुद जैसा समझ रखा है क्या ?”
मिसेज आहूजा को वहा देखकर शीतल परेशान हो गयी उसने तो बिट्टू को बुलाया था फिर मिसेज आहूजा यहाँ कैसे ? उस पर मिसेज आहूजा की बात सुनकर शीतल को बुरा लगा और उसने कठोरता से कहा,”मुझे जैसा समझ रखा से आपका क्या मतलब है ?”
“तुम जैसी मतलब बेशर्म और बदनाम,,,,,,,,मिसेज शर्मा के घर की बहु बन गयी तो क्या हुआ सोसायटी के लोगो से तुम्हारे कारनामे छुपे नहीं है और अब तुम मेरी बेटी को भी इन सब में शामिल करने चली हो,,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने ऊँची आवाज में कहा तो आस पास की औरते वहा चली आयी।
“जबान सम्हालकर बात कीजिये मिसेज आहूजा , मैंने बिट्टू को कोई गलत एडवाइज नहीं दी है उलटा वही मुझसे हेल्प के लिए कह रही थी,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने गुस्से से कहा
“ओह्ह्ह्ह तो तुम्हारे ही आशिक के लिए वो तुम से मदद क्यों मांगेगी,,,,,,,,,,,,,हाँ तुम्हारा पुराना आशिक राज , उसे तो तुम जानती हो होगी”,मिसेज आहूजा ने कहा तो आस पास खड़ी औरते आपस में खुसर फुसर करने लगी।
मेन गेट से अंदर आती मिसेज शर्मा को देखकर मिसेज आहूजा ने कहा,”मिसेज शर्मा ! आईये यहाँ और देखिये अपनी प्यारी बहू के कारनामे”
मिसेज शर्मा ने सुना तो वे उस तरफ चली आयी और शीतल को वहा देखकर कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो शीतल ? और क्या बात है मिसेज आहूजा ये भीड़ क्यों लगा रखी है आपने ?”
“मिसेज शर्मा , आपकी बहू अपने आशिक़ के साथ मिलकर मेरी बेटी को फंसाना चाहती है,,,,,,,,,,,,,और जब मैंने इसकी चोरी पकड़ ली तो ये सबके सामने मासूम बन रही है”,मिसेज आहूजा ने झूठ कहा
शीतल ने सुना तो मिसेज शर्मा की तरफ देखा और घबराये हुए स्वर में कहा,”नहीं मम्मी ! ये झूठ बोल रही है मैंने ऐसा कुछ नहीं किया बिट्टू ही मुझसे बात करना चाहती थी,,,,,,,,,,मिसेज आहूजा झूठ बोल रही है।”
“मैं झूठ बोल रही हूँ , मिसेज शर्मा आप ही बताईये मैं राज को मेरी पार्टी में क्यों इन्वाइट करुँगी ? बल्कि कल बिट्टू की बर्थडे पार्टी में वो यहाँ आया था और बिट्टू के लिए गिफ्ट भी लेकर आया था , और आज मैंने खुद सुना शीतल फोन करके बिट्टू को नीचे बुलाया ताकि दोनों उस से मिलने जा सके,,,,,,,आपकी पीठ पीछे क्या चल रहा है आपको पता तक नहीं है,,,,,,,,,,,,,शादी हुई तो क्या हुआ पुराना प्यार इतनी आसानी से थोड़े भुलाया जाता है।”,मिसेज आहूजा ने आग में घी डालते हुए कहा
मिसेज शर्मा ने शीतल का चेहरा उसकी आँखो से साफ़ पता चल रहा था कि वह निर्दोष है। मिसेज शर्मा वहा सबके सामने कोई तमाशा करना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने कहा,”आपकी बेटी भी तो कुछ कम नहीं है मिसेज आहूजा , अपने से दुगुनी उम्र के लड़के से दोस्ती रखते उसे भी तो शर्म नहीं आयी,,,,,,,,मेरी बहू पर इल्जाम लगाने से पहले अपनी बेटी को सम्हालिए , चलो शीतल”
मिसेज आहूजा ने सुना और जैसे ही कुछ बोलने को हुई मिसेज शर्मा ने जलती आँखों से उन्हें देखा और कहा,”वो लड़का शीतल का अतीत था अब ये मेरे बेटे सार्थक की पत्नी है और मेरे घर की बहू है , अगर इसके लिए एक और शब्द गलत कहा तो भरी सोसायटी में आपकी इज्जत की धज्जिया उड़ाने में मुझे जरा भी देर नहीं लगेगी समझी आप,,,,,,,,,,,!!”
मिसेज शर्मा को गुस्से में देखकर मिसेज आहूजा खामोश हो गयी और मिसेज आहूजा शीतल को वहा से लेकर चली गयी।
कैंसर हॉस्पिटल , चंडीगढ़
विहान ने अपनी सीनियर टीम के साथ मिलकर नैना का ट्रीटमेंट शुरू किया। जगह जगह से नैना शरीर की नसों को छेद दिया गया जिस से नैना को भयंकर दर्द से गुजरना पड़ा। वह रो नहीं सकती थी बस उस दर्द को महसूस कर सकती थी। ट्रीटमेंट काफी घंटे चला और फिर नैना को आराम करने के लिए शिफ्ट कर दिया गया। उसके हाथ में ड्रिप लगी थी जो कि कन्टीन्यूए चल रही थी। दर्द की वजह से वह होश में नहीं थी , उसे आराम मिले इसलिए विहान ने उसे रेस्ट करने को कहा। चौधरी साहब और अवि विहान के पास आये।
अवि की सवालिया नजरो को देखकर विहान समझ गया कि वह क्या जानना चाहता है इसलिए अवि के पूछने से पहले ही उसने कहा,”1st कीमो हो चुकी है और इसका रिजल्ट 18-24 घंटे बाद पता चलेगा , उसके बाद ही 2nd डोज दिया जा सकता है। अभी वो ठीक है बस थोड़ा दर्द में है और उसे आराम की सख्त जरूरत है ,, वह जितना ज्यादा आराम करेगी और स्ट्रेस फ्री रहेगी उतनी जल्दी रिकवर करेगी,,,,,,,,,,,,,मैं तुम से बाद में मिलता हूँ”
कहकर विहान वहा से चला गया।
चौधरी साहब अवि के साथ नैना से मिलने कमरे में चले आये। नैना जाग रही थी चौधरी साहब उसके पास आये और उसका हाल चाल पूछा। नैना ने उन्हें अपने ठीक होने के बारे में बताया तो चौधरी साहब को तसल्ली मिली। उन्होंने अवि की तरफ देखा और उसे नैना के पास रुकने का कहकर खुद बाहर चले गए। अवि नैना के पास आया। अवि को देखते ही नैना की आँखों में आँसू भर आये और उसने कहा,”पडोसी ! मुझे घर जाना है,,,,,,,,,,,!”
अवि नैना के बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठा और कहा,”हाँ नैना हम जल्दी ही घर जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना की आँखों में भरे आँसू बह गए और उसने रोते हुए कहा,”मैंने स्ट्रांग रहने की बहुत कोशिश की , लेकिन मैं नहीं रह पायी,,,,,,,,मुझे बहुत दर्द हो रहा है , मैं ये नहीं सह पाऊँगी,,,,,,,,,,,मैं मर जाउंगी”
नैना को दर्द में रोते देखकर अवि की आँखों में भी आँसू आ गयी उसने नैना के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसे अपने होंठो से लगाकर कहा,”बस कुछ दिन की बात है नैना फिर मैं तुम्हे यहाँ से ले जाऊंगा”
“तुम वहा नहीं थे तो मैं डर गयी थी , ये सब बहुत दर्दभरा है,,,,,,!!”,नैना ने रोते हुए कहा
“शशशशश बात मत करो,,,,,,,,मैं हूँ ना , मैं तुम्हारे साथ हूँ नैना”,अवि ने सुबकते हुए कहा
“तुम मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे ना ?”,नैना ने कहा
“मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा , मैं यही हूँ नैना तुम्हारे पास”,अवि ने कहा तो नैना ने आँखे मूंद ली। अवि ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और नैना के आँसू पोछकर उसका सर सहलाने लगा , नैना का दर्द से भरा चेहरा देखकर अवि को अहसास हुआ कि ये सब नैना के लिए बहुत मुश्किल होने वाला है,,,,,,,,,,,,,,,,!!
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संजना किरोड़ीवाल

