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Love You Zindagi – 34

Love You Zindagi – 34

Love You Zindagi - 1 Season 3
Love You जिंदगी – 1 Season 3

रुचिका के मुंह से नैना का नाम सुनकर मोंटी का दिल धड़कने लगा। उसने रुचिका की बाँहो को थामकर कहा,”रूचि ! क्या हुआ नैना को ? क्या तुम्हारी उस से कोई बात हुई ? रूचि बताओ मुझे नैना को क्या हुआ है ?”
“वो नैना , नैना हॉस्पिटल में है ,, शीतल ने अभी अभी मुझे बताया कि नैना को कैंसर है,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने रोते हुए कहा


मोंटी ने सुना तो उसका दिल धक से रह गया। नैना को कैंसर था और नैना ने किसी को बताया तक नहीं , मोंटी बदहवास आ रुचिका को देखता रहा तो रुचिका ने रोते हुए कहा,”हमे नैना से मिलना चाहिए मोंटी ,, पता नहीं ये सब जानने के बाद उसने खुद को कैसे सम्हाला होगा ? मुझे नैना से मिलना है,,,,,,,,,,!!”
“दी जीजू क्या हुआ आप दोनों को ?”,कुकू ने मोंटी और रुचिका को परेशान देखकर कहा


मोंटी कुकू को नैना के बारे में बताकर परेशान करना नहीं चाहता था इसलिए खुद को नार्मल करके कहा,”कुछ नहीं कुकू बस रूचि थोड़ा इमोशनल हो गयी”
“पर दी रो क्यों रही है ?”,कुकू ने पूछा
“मैंने ही इसे रुला दिया चलो घर चलते है,,,,,,,!!”,मोंटी ने कहा और रुचिका कुकू के साथ वहा से चला गया। चलते चलते मोंटी ने रुचिका से नार्मल रहने को कहा और तीनो घर चले आये।


मोंटी और रुचिका के मम्मी पापा भी मंदिर से लौट चुके थे। सबने साथ मिलकर दोपहर का खाना खाया और उसके बाद मोंटी और रुचिका बीकानेर जाने का बहाना बनाकर चले गए जबकि उन्हें जल्द से जल्द नैना के पास पहुंचना था।
उसी शाम मोंटी के मम्मी पापा भी चित्रकूट के लिए निकल गए।  

चंडीगढ़ अवि का घर
चौधरी साहब नैना से मिलने हॉस्पिटल गए हुए थे। शीतल घर में अकेली थी इसलिए सार्थक उसके साथ घर में रुक गया। निबी के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला था। आज नैना घर आने वाली थी इसलिए दोनों हॉल में बैठकर उसके आने का इंतजार कर रहे थे। कुछ देर बाद घर की डोरबेल बजी भोला एक बड़े  गिफ्ट के साथ अंदर आया। भोला के हाथ में गिफ्ट देखकर सार्थक ने कहा,”ये किसने भेजा है ?”


“ये चित्रकूट से आया है किसी मोंटी ने भेजा है,,,,,,!!”,भोला ने गिफ्ट सार्थक की तरफ बढ़ाकर कहा और वहा से चला गया
सार्थक ने गिफ्ट देखा ये नैना का बर्थडे गिफ्ट था जो मोंटी ने एक बहुत ही प्यारे सॉरी नोट के साथ भेजा था। सार्थक ने गिफ्ट साइड टेबल पर रख दिया और शीतल की तरफ पलटकर कहा,”तुम्हारी रुचिका या मोंटी से बात हुई ?”


“हाँ आज दोपहर ही मेरी रुचिका से बात हुई थी मैंने उसे नैना के बारे में बताया तो वह काफी परेशान हो गयी,,,,,,,,,,शायद मुझे उसे सच नहीं बताना चाहिए था , पर मुझे लगा जैसे नैना के सब चाहनेवालो को उसके पास होना चाहिए,,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने बुझे स्वर में कहा
“आज नहीं तो कल उन दोनों को नैना के बारे में पता चलता ही , अच्छा हुआ तुमने बता दिया,,,,,,,,,,मोंटी नैना का बचपन का दोस्त है वो नैना से मिलने जरूर आएगा”,सार्थक ने कहा


“क्या तुम्हारी माँ से दोबारा बात हुई ? उन्हें शक तो नहीं हुआ न कि हम मनाली में नहीं है”,शीतल ने कहा
“शीतल ! तुम उनकी चिंता मत करो उन्हें मैं सम्हाल लूंगा ,, फ़िलहाल इस घर में सब उलझ चुका है , जब तक सब सुलझ नहीं जाता और पहले जैसा नहीं हो जाता हमे यहाँ रुकना चाहिए,,,,,,,,,!!”,सार्थक ने कहा तो शीतल ने हामी में सर हिला दिया और दोनों वही बैठकर नैना के घर आने का इंतजार करने लगे।

उसी शाम विहान ने नैना के डिस्चार्ज पेपर बनाये और उसे ढेर सारी नसीहते देकर घर जाने की परमिशन दे दी। अगले दिन से नैना की कीमोथेरेपी शुरू होनी थी इसलिए विहान ने उसे याद से अवि के साथ वापस हॉस्पिटल आने को कहा। नैना ने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी।
 आराधना ने नैना की दवाईया और फाइल ले ली। विपिन जी के हाथो में बाकि का सामान था। चौधरी साहब ने नैना को सम्हाला और उसका हाथ थाम लिया। ये देखकर विपिन जी के दिल को एक सुकून मिला कि उनके बाद भी नैना को सम्हालने वाले इतने लोग है।

नैना ने इधर उधर देखा उसकी नजरें अवि को ढूंढ रही थी लेकिन अवि वहा नहीं था। चौधरी साहब नैना की बेचैनी को भांप गए और कहा,”अवि ने बताया कि वो अपने एक क्लाइंट के साथ बिजी है इसलिए हॉस्पिटल नहीं आ पायेगा”
“हाँ उसने मुझे बताया था डेड,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने मायूसी से कहा लेकिन मन ही मन वह अवि को बहुत मिस कर रही थी।
“चले नैना ?”,नैना को खोया देखकर चौधरी साहब ने कहा


“हम्म्म्म !”,नैना ने कहा और पलटकर अपने मम्मी पापा को देखा जो उसके ठीक पीछे खड़े थे।
“आईये भाईसाहब”,चौधरी साहब ने नैना के डेड से कहा और नैना को साथ लेकर आगे बढ़ गए।
हॉस्पिटल से बाहर आकर सभी गाड़ी में बैठे और ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। नैना ने देखा अवि नहीं आया लेकिन सौंदर्या भी वहा मौजूद नहीं थी इसलिए उसने कहा,”मॉम कहा है ? मैंने कल रात से ही उन्हें नहीं देखा है और आज वो मुझसे मिलने भी नहीं आयी,,,,,,,,!!”


आगे बैठे चौधरी साहब ने सुना तो पलटकर नैना को देखा और कहा,”वो घर पर तुम्हारा इंतजार कर रही है नैना,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह हाँ !! आपने शायद उन्हें मेरे घर आने के बारे में पहले ही बता दिया होगा,,,,,,,!!”,नैना ने कहा और फिर अपना सर आराधना के कंधे से लगा दिया।

दिल्ली , अनुराग का घर
दिल्ली पहुँचते पहुँचते अवि को शाम हो चुकी थी। सौंदर्या और अवि अनुराग के घर के सामने पहुंचे। अवि का दिल धड़क रहा था तो वही सौंदर्या के चेहरे पर परेशानी के भाव थे। अवि ने सौंदर्या को देखा उनके साथ घर के अंदर चला आया। अनुराग के घर मातम का माहौल था और वहा काफी लोग आये हुए थे। अवि अंदर आया तो दरवाजे पर ही उसके कदम रुक गए। हॉल में टेबल पर अनुराग की बड़ी सी तस्वीर रखी थी जिस पर हार चढ़ा हुआ था और अनुराग के घरवाले वहा मौजूद थे।

अवि ने देखा हॉल के कोने में सफ़ेद सूट पहने निबी बैठी थी। रोने से उसकी आँखे सूज चुकी थी और चेहरा मुरझा चुका था। अनुराग के पापा ने अवि को वहा देखा तो गुस्से से उसकी तरफ आये और कहा,”मेरे बेटे की जान तो तुम सब ले ही चुके हो अब यहाँ क्या लेने आये हो ?”

वहा मौजूद लोगो के सामने अवि किसी तरह का तमाशा नहीं चाहता था इसलिए शांत लहजे में कहा,”मैं यहाँ सिर्फ अपनी बहन को लेने आया हूँ”
“तो लेकर जाओ उसे , जब मेरा बेटा ही इस दुनिया में नहीं रहा तो उस लड़की का इस घर में क्या काम है ? उसकी वजह से आज अनुराग हमारे बीच नहीं है ,,, मनहूस है वो लड़की मैं कहता हूँ उसे यहाँ से ले जाओ,,,,,,,,,,!!”,अनुराग के पापा ने गुस्से से कहा इतने में अनुराग के बाकी घरवाले भी वहा चले आये।


अवि अपनी बहन के लिए ऐसी बाते नहीं सुन सकता था इसलिए उसने थोड़ा गुस्से से कहा,”ये जानते हुए भी कि आपका बेटा गलत था आप मेरी बहन को उसकी मौत का जिम्मेदार मान रहे है , शादीशुदा होकर उसने निबी से शादी की और उसे धोखा दिया,,,,,,,,,!!”
“बेटा ! बेटा अपनी बहन को यहाँ से लेकर जाओ , हम लोग नहीं जानते अनुराग ने क्या किया और क्या नहीं लेकिन अब वो हमारे बीच नहीं है।”,अनुराग की भुआ ने कहा


“मैं उसे लेने ही आया हूँ ,, जो कुछ हुआ वो बहुत गलत हुआ लेकिन इन सब में मेरी बहन की कोई गलती नहीं है,,,,,,,,,,सच्चाई सामने आने के बाद अनुराग उस रात घर से चला गया था और उसके बाद एक एक्सीडेंट में उसकी जान चली गयी,,,,,,,,,,,लेकिन अंकल मेरी कोई बात मानने को तैयार ही नहीं है,,,,,,,,,,इन्हे लगता है अनुराग के साथ जो हुआ उसके लिए हम सब जिम्मेदार है लेकिन उसने जो किया अपनी वाइफ के साथ , निबी के साथ ये सब उसकी सजा है”,अवि ने गुस्से से कहा


अवि की बात सुनकर अनुराग के पापा का गुस्सा और बढ़ गया उन्होंने अवि को घूरते हुए कहा,”सजा तो तुम्हारे बाप को दिलाऊंगा मैं वो भी कानून से , उसने अनुराग को मारने की धमकी दी थी और आज अनुराग हमारे बीच नहीं है,,,,,,,,और वो नैना वो सब जानती थी , वो अनुराग को पहले से जानती थी लेकिन उसने भी अनुराग के लिए कोई स्टेण्ड नहीं लिया मेरे बेटे की मौत की जिम्मेदार वो नैना बजाज भी है,,,,,,,,,,,,!!”


अनुराग के पापा के आखरी शब्द निबी के कानों में पड़े और उसने नम आँखों से अनुराग की तस्वीर को देखा और वापस अपना सर झुका लिया
अवि सब सुन सकता था लेकिन किसी के मुंह से अपने पापा और नैना के लिए गलत नहीं सुन सकता था,,,,,,,,,,,,उसने अनुराग के पापा की कॉलर पकड़ ली और गुस्से से कहा,”एक और गलत शब्द कहा तो मैं भूल जाऊंगा आप उम्र में मुझसे बड़े है,,,,,,,,,,!!”


“अवि ! छोडो इन्हे ये क्या कर रहे हो तुम ?”,सौंदर्या ने अवि को अनुराग के पापा से दूर करते हुए कहा।  
अवि उनसे दूर हुआ और गुस्से से कहा,”लेकिन ये नैना के बारे में ऐसा कैसे कह सकते है ? बिना उसे जाने कोई भी उसके लिए गलत कैसे बोल सकता है ?”


“भाईसाहब ! अनुराग के साथ जो हुआ उसका दुःख हमे भी है लेकिन इसमें अवि के डेड या नैना की कोई गलती नहीं है,,,,,,,,,,,आप तो सच्चाई जानते है फिर आप क्यों ऐसा कर रहे है ? हम यहाँ आपके दुःख को बढ़ाने या कोई तमाशा करने नहीं आये है , हम बस निबी को लेने आये है,,,,,,,,आप सबकी तरह उसे भी ये एक्सेप्ट करने में वक्त लगेगा कि अनुराग अब इस दुनिया में नहीं रहा,,,,,,,,,,,,,,प्लीज मैं आपके सामने हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सौंदर्या ने अनुराग के पापा के सामने अपने हाथ जोड़ दिए वह आगे कुछ बोल पाती इस से पहले अवि ने उनके हाथो को थामकर कहा,”मॉम ये आप क्या कर रही है ?”


“अवि निबी को लेकर आओ”,सौंदर्या ने कहा तो अनुराग के पापा साइड हो गए और अवि को जाने का रास्ता दे दिया , वे खुद चाहते थे कि निबी यहाँ से चली जाये लेकिन जब से निबी यहाँ आयी थी खुद को अनुराग की पत्नी बताकर रोये जा रही थी और अनुराग के पापा अनुराग की वजह से अपनी इज्जत की धज्जिया उड़ते नहीं देख सकते थे।

अवि निबी के पास आया और कहा,”निबी ! चलो यहाँ से”
निबी बुत बनी बैठी रही अवि की बात पर उसने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। अवि ने देखा तो उसने निबी के कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”निबी चलो यहाँ से , मैं तुम्हे लेने आया हूँ , चलो घर चलो,,,,,,,,,,,!!”
“अनुराग अब इस दुनिया में नहीं रहा भाई,,,,,,,,,,,,,!!”,निबी ने अवि की तरफ देखकर रोते हुए कहा
 निबी को ऐसे रोते देखकर अवि का दिल दुःख से भर गया उसने खुद को मजबूत रखा और निबी का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा,”घर चलो निबी”


निबी रोते हुए अनुराग की तस्वीर को देखते रही और अवि उसे वहा से ले गया। सौंदर्या ने हाथ जोड़कर सबको नमस्ते किया और वहा से चली गयी।
सभी लोग वापस जा बैठे बस अनुराग के पापा वही खड़े अवि , निबी और सौंदर्या को जाते हुए देखते रहे तभी अनुराग की पत्नी की आवाज उनके कानो में पड़ी,”क्या आप ये सब जानते थे पापा ?”


अनुराग के पापा ने अनुराग की पत्नी को देखा और मायूसी से हामी में गर्दन हिला दी। उसने आगे कुछ नहीं कहा और अपनी बेटी को लेकर वहा से चली गयी। अनुराग के पापा उदास चेहरा लिए अनुराग की तस्वीर को देखने लगे। एक अनुराग की वजह से दो हँसते खेलते परिवार उजड़ चुके थे।

 चौधरी साहब नैना , विपिन जी और आराधना के साथ घर पहुंचे। शीतल ने जैसे ही नैना को देखा वह उठकर उसके पास आयी और उसके गले लगते हुए कहा,”तुम अब ठीक हो ना नैना ?”
शीतल नैना से दूर हटी तो नैना ने हामी में गर्दन हिला दी। सार्थक आकर नैना से मिला लेकिन नैना की नजरें घर में फिर किसी को ढूंढ रही थी। उसने चारो तरफ देखा और कहा,”डेड ! आपने कहा था मॉम घर पर लेकिन वो तो कही नजर नहीं आ रही,,,,,,,,,!!”


चौधरी साहब ने सुना तो अपने सामने खड़े शीतल और सार्थक को देखने लगे।
“अरे नैना ! आंटी हम लोगो के साथ तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी लेकिन अभी थोड़ी देर पहले ही उनके क्लिनिक से फोन आया और उन्हें अर्जेन्ट में जाना पड़ा
वो आजायेगी तुम खड़ी क्यों हो ? तुम अभी अभी हॉस्पिटल से आयी हो तुम्हे आराम की जरूरत है।”,सार्थक ने बात सम्हालते हुए कहा


“सार्थक सही कह रहा है बेटा ,, आराधना जी आप नैना को इसके कमरे में लेकर जाईये , शीतल बेटा तुम इनकी मदद कर दो”,चौधरी साहब ने कहा
“जी अंकल,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने कहा और नैना को सम्हालकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। पीछे पीछे आराधना नैना की दवाईया और बाकि सामान लेकर चल पड़ी। चौधरी साहब विपिन जी के साथ हॉल में आ बैठे। पूरा दिन हॉस्पिटल में रहने की वजह से विपिन जी भी थका हुआ महसूस कर रहे थे। भोला उनके लिए चाय ले आया।

चौधरी साहब विपिन जी से इधर उधर की बाते करते हुए चाय पीने लगे लेकिन मन ही मन निबी को लेकर चिंतित भी थे,,,,,,,,,,,,,,,,!!

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उसी शाम विहान ने नैना के डिस्चार्ज पेपर बनाये और उसे ढेर सारी नसीहते देकर घर जाने की परमिशन दे दी। अगले दिन से नैना की कीमोथेरेपी शुरू होनी थी इसलिए विहान ने उसे याद से अवि के साथ वापस हॉस्पिटल आने को कहा। नैना ने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी।
 आराधना ने नैना की दवाईया और फाइल ले ली। विपिन जी के हाथो में बाकि का सामान था। चौधरी साहब ने नैना को सम्हाला और उसका हाथ थाम लिया। ये देखकर विपिन जी के दिल को एक सुकून मिला कि उनके बाद भी नैना को सम्हालने वाले इतने लोग है।

उसी शाम विहान ने नैना के डिस्चार्ज पेपर बनाये और उसे ढेर सारी नसीहते देकर घर जाने की परमिशन दे दी। अगले दिन से नैना की कीमोथेरेपी शुरू होनी थी इसलिए विहान ने उसे याद से अवि के साथ वापस हॉस्पिटल आने को कहा। नैना ने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी।
 आराधना ने नैना की दवाईया और फाइल ले ली। विपिन जी के हाथो में बाकि का सामान था। चौधरी साहब ने नैना को सम्हाला और उसका हाथ थाम लिया। ये देखकर विपिन जी के दिल को एक सुकून मिला कि उनके बाद भी नैना को सम्हालने वाले इतने लोग है।

उसी शाम विहान ने नैना के डिस्चार्ज पेपर बनाये और उसे ढेर सारी नसीहते देकर घर जाने की परमिशन दे दी। अगले दिन से नैना की कीमोथेरेपी शुरू होनी थी इसलिए विहान ने उसे याद से अवि के साथ वापस हॉस्पिटल आने को कहा। नैना ने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी।
 आराधना ने नैना की दवाईया और फाइल ले ली। विपिन जी के हाथो में बाकि का सामान था। चौधरी साहब ने नैना को सम्हाला और उसका हाथ थाम लिया। ये देखकर विपिन जी के दिल को एक सुकून मिला कि उनके बाद भी नैना को सम्हालने वाले इतने लोग है।

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