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Main Teri Heer – 73

Main Teri Heer – 73

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

DIG सर के केबिन में उनके सामने बैठा शक्ति एकटक उन्हें देख रहा था। शक्ति की ख़ामोशी DIG सर को परेशान कर रही थी उन्होंने कुछ देर बाद कहा,”इंस्पेक्टर शक्ति ! ये सब क्या है ? तुम्हारी जानकारी के मुताबिक उस दिन आसिफ तुम्हारी हिरासत से फरार हो चुका था फिर आज उसकी लाश का तुम्हारे घर में मिलना , इस से तो यही साबित होता है शक्ति कि ये खून,,,,,,,,,,,,!!”
“आप कहना चाहते है कि ये खून हमने किया है ?”,शक्ति ने गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा


“नहीं,,,,,,,,,,,मेरा ये मतलब नहीं है शक्ति लेकिन आशिफ का तुम्हारे घर में मिलना,,,,,,,,,वो भी इस हालत में ,,क़त्ल का पहला शक तुम पर ही जाता है। तुम DCP हो इसलिए तुम्हे सीधे गिरफ्तार करने के बजाय मैंने पहले तुम्हे यहाँ बुलाया है ताकि मैं जान सकू सच क्या है ?”,DIG सर ने गंभीरता से कहा
शक्ति ने DIG सर की आँखों में देखा और कठोरता से कहा,”सच ये है कि आप “विक्रम अरोड़ा” के लिए बिक चुके है”


“शक्ति,,,,,,,!!”,DIG सर ने चिल्लाकर कहा
“चिल्लाइये मत सर,,,,,,,,,,,,,,जब से हमने कबीर अरोड़ा को शक के बिनाह पर अरेस्ट वारंट जारी किया है तब से ही विक्रम अरोड़ा हमारे पीछे पड़ा है। उसके कहने पर पहले आपने हमे ड्रग्स केस से हटा दिया , उसके बाद हमे एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया और अब आप आसिफ के क़त्ल का इल्जाम लगाकर हमे हमेशा हमेशा के लिए इस से दूर करना चाहते है ताकि हम कभी इस राज से पर्दा ना उठा सके”‘,शक्ति ने गुस्से से कहा


DIG सर ने सुना तो थोड़ा परेशान हो गए और थोड़ा नम्र स्वर में कहा,”ऐसा नहीं है शक्ति मैं मजबूर हूँ ,, मैं बस ऊपर से आये ऑर्डर्स को फॉलो कर रहा हूँ”
शक्ति टेबल की तरफ आया और अपने दोनों हाथो को टेबल पर रखकर DIG सर की आँखों में देखकर गुस्से से कहा,”हमे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे इन सब में आप भी शामिल है,,,,,,,,,,,!!”
शक्ति की बात सुनते ही DIG सर के माथे पर पसीने की बुँदे झिलमिलाने लगी। उन्होंने शक्ति से कुछ नहीं कहा और जेब से रूमाल निकालकर अपना पसीना पोछने लगे।

शक्ति ने टेबल पर रखा पानी का गिलास उठाया और DIG सर की तरफ बढाकर कहा,”पानी पी लीजिये , अभी आपको बहुत से सवालो का जवाब देना है सर”
DIG सर ने पानी का गिलास लिया और एक साँस में पीकर गिलास वापस रख दिया। उन्होंने शक्ति की तरफ देखा और कहा,”शक्ति मत भूलो मैं तुम्हारा सीनियर हूँ , तुम अपने सीनियर ऑफिसर से ऐसे बात नहीं कर सकते समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आसिफ का कत्ल हुआ है और उसकी लाश तुम्हारे घर में पायी गयी है , शक के बिनाह पर मुझे तुम्हारे खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करना पडेगा,,,,,,,!!”

शक्ति ने सुना तो वह मुस्कुराया , उसकी मुस्कराहट ने DIG सर को और उलझन में डाल दिया। शक्ति उनकी तरफ आया और कहा,”आपके पास क्या सबूत है कि आसिफ का कत्ल हमने किया है ? क्या आपको वो खंजर मिला जिस से आसिफ के गले पर वार हुआ है ?”


DIG सर ने सुना तो खामोश हो गए , बिना किसी सबूत के ना वे शक्ति को गिरफ्तार कर सकते थे ना ही उस से पूछताछ कर सकते थे। DIG सर को खामोश देखकर शक्ति ने कहा,”हमारे सस्पेंड टाइम को खत्म होने में 48 घंटे बचे है और हम वादा करते है सर कि 48 घंटो में ये सब खत्म कर देंगे ,, हमारी रिजॉइनिंग के साथ असली गुनहगार सलाखों के पीछे होंगे,,,,,,,,,,,,,,,,और ये हमारा वादा है आपसे”
कहकर शक्ति वहा से चला गया।

DIG सर के केबिन से निकलते हुए शक्ति की नजर केबिन के बाहर खड़े पंकज पर पड़ी , जो कि बाहर खड़ा अंदर की बाते सुनने की नाकाम कोशिश कर रहा था। शक्ति ने एक नजर पंकज को देखा और वहा से चला गया। शक्ति के जाने के बाद पंकज DIG सर के केबिन में आया और कहा,”सर आपने शक्ति को ऐसे ही जाने क्यों दिया ? उसे गिरफ्तार करने का ये सबसे अच्छा मौका था”


“शक्ति एक DCP है उसे गिरफ्तार करना कोई मामूली बात नहीं है , आसिफ की लाश शक्ति के घर में मिली है शक्ति को गिरफ्तार करने के लिए ये वजह काफी नहीं है , उसके लिए कोई ठोस सबूत चाहिए। शक्ति के घर जाओ और पूरा घर छान मारो मुझे सबूत चाहिए,,,,,,,,,,,,,वरना मैं शक्ति के खिलाफ कुछ नहीं कर पाऊंगा और तुम सब फंसोगे”,DIG सर ने कहा
“ठीक है सर मैं , मैं अभी टीम के साथ उनके घर जाता हूँ,,,,,,,,,,!!”,पंकज ने हडबडबाते हुए कहा और वहा से चला गया

DIG सर अपनी कुर्सी पर आ बैठे और अपने फोन से किसी का नंबर डॉयल किया। कुछ देर बाद किसी ने फोन उठाया और DIG सर ने कहा,
”ये सब क्या है विक्रम ? मैंने तुमसे कहा था शक्ति से दूर रहना उसे मैं सम्हाल लूंगा लेकिन तुमने,,,,,,,,,,,,,,,तुमने अपने आदमी शक्ति के घर क्यों भेजे ?”
“उसके पास एक पेन ड्राइव था जो उसने क्लब से लिया था मुझे बस वो पेन ड्राइव चाहिए था,,,,,,,,,,!!”,विक्रम ने बहुत ही आराम से कहा जैसे उसे कोई खास फर्क ना पड़ा हो।


“आशिफ मारा जा चूका है”,DIG सर ने भी ठंडे स्वर में कहा
“व्हाट ? कब और कैसे ?”,विक्रम ने हैरानी से कहा
“आज सुबह DCP शक्ति के घर में उसकी लाश मिली है”,DIG सर ने फिर ठंडे स्वर में कहा
“तो क्या शक्ति ने उसे,,,,,,,,,,,,!!”,विक्रम ने परेशानी भरे स्वर में कहा  
“नहीं शक्ति ने उसे नहीं मारा , शक्ति के लिए आसिफ इस केस की सबसे बड़ी कड़ी था , शक्ति उसे नहीं मार सकता,,,,,,,,,,!!”,DIG सर ने गंभीरता से कहा


“अगर शक्ति ने नहीं तो फिर किसने किया है ?”,विक्रम ने पूछा
“समझ में नहीं आ रहा आखिर कौन है जो हम सबके साथ खेलने की कोशिश कर रहा है ? जल्दी जी इसका पता लगाना होगा विक्रम वरना हम सब फंस जायेंगे”,DIG सर ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“DIG तुम किस लिए हो ? वो शक्ति कुछ करे इस से पहले उसका तबादला कर दो,,,,,,,,,,आगे मैं सम्हाल लूंगा”,विक्रम ने कहा


“तुम जितना समझ रहे हो उतना आसान नहीं है विक्रम,,,,,,,,,,,,मेरे हाथ में फ़िलहाल कुछ नहीं है।”,DIG सर ने मायूसी से कहा
“तो फिर मुझे ही कुछ करना होगा , मुझे चौहान से मिलना होगा वही है जो शक्ति को रोक सकता है।”,विक्रम ने कहा और फोन काट दिया।  

गौरी के घर खाना खाने के बाद सभी हॉल में आ बैठे। नंदिता और उनके भाई ने शिवम् , मुरारी , सारिका , अनु , वंश , मुन्ना और काशी को तोहफे दिए। सभी खुश थे मुन्ना की नजरे बार बार गौरी पर चली जाती , आज गौरी कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी।
“काशी , शक्ति कहा है बेटा ? मैंने आज उसे भी खाने पर इन्वाइट किया था लेकिन वो आया ही नहीं,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा


“आंटी आप जानती है ना शक्ति इस दुनिया का सबसे व्यस्त इंसान है उसके पास इतना वक्त कहा की वो यहाँ आये,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“काशी ! ये क्या बात हुई बेटा ? तुम्हे शक्ति के लिए ऐसे बात नहीं करनी चाहिए”,सारिका ने कहा
“सारिका आंटी , काशी ने गलत क्या कहा ? सच में शक्ति कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया है इतना कि उसके पास आप लोगो के लिए भी वक्त नहीं है”,इस बार गौरी ने कहा


सारिका गौरी के पास आयी और कहा,”आंटी नहीं बड़ी माँ,,,,,,,,,,,,मुन्ना हमे हमेशा बड़ी माँ ही कहकर बुलाता है,,,,,,,,,,,,और शक्ति एक पुलिसवाला है , जिम्मेदारियां उस पर हम सब से ज्यादा है तो हमे उसके लिए बिल्कुल बुरा नहीं लगा”


गौरी मुस्कुराई और काशी के पास आकर फुसफुसाते हुए कहा,”तुम्हारी मॉम तो शक्ति की कुछ ज्यादा ही तरफदारी कर रही है काशी , ध्यान दो अपने बन्दे पर कही ड्यूटी के चक्कर में तुम्हे ही न भूल जाये,,,,,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह शट अप गौरी ऐसा कुछ भी नहीं है”,काशी ने भी धीरे से फुसफुसाते हुए कहा

वंश निशि मुन्ना एक तरफ खड़े थे और सामने खड़ा जय मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से निशि को देख रहा था। वंश अपने फ़ोन में बिजी था लेकिन मुन्ना की नजर जय पर चली गयी। उसने जय को मुस्कुराते देखा तो अपनी भँवे उचकाई। जय ने तुरंत निशि से नजरें हटा ली और मुन्ना की तरफ देखकर ना में गर्दन हिला दी। ,मुन्ना ने बगल में खड़ी निशि को देखा तो समझ गया जय उसे ही देख रहा है। मुन्ना ने निशि को अपनी जगह आने को कहा और खुद जय के ठीक सामने खड़ा हो गया , आखिर वह अपने छोटे भाई की अमानत को ऐसे कैसे किसी और के लिए छोड़ सकता था।  

नंदिता ने सबको तोहफे दिए और आखिर में एक तोहफा लेकर वह निशि के सामने आयी और कहा,”निशि बेटा ! ये तुम्हारे लिए , तुम यहाँ आयी बहुत अच्छा लगा”
“अरे आंटी लेकिन मुझे क्यों ? ये रहने दीजिये प्लीज,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने झिझकते हुए कहा
वंश ने सुना तो निशि की तरफ पलटकर कहा,”अरे क्यों रहने दो ? सबको मिला है तो तुम्हे भी मिलना चाहिए ना और फिर अभी थोड़ी देर पहले पापा ने कहा था ना कि तुम भी हमारी फॅमिली का हिस्सा हो,,,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए वंश ने जैसे ही सामने देखा पाया शिवम् , सारिका , मुरारी और अनु के साथ साथ बाकि सब लोग भी उसे ही देख रहे थे। ये देखकर वंश झेंप गया और कहा,”मेरा मतलब निशि भी,,,,,,,,,,,,!!”


“हाँ हाँ निशि भी इस फेमिली का हिस्सा है”,शिवम् को छोड़कर बाकि सबने एक साथ कहा क्योकि शिवम् की नजरे अब सिर्फ वंश पर थी। वह वंश के चेहरे से ही भाँप गया कि वंश के दिमाग में क्या चल रहा है ? शिवम् को अपनी और देखते पाकर वंश थोड़ा डर गया उसने सारिका की तरफ आते हुए कहा,”अह्ह्ह माँ मैंने सामान गाडी में रखवा देता हूँ , ए जय ! मेरी मदद के लिए आओ”


जय ने सुना तो पैर पटकते हुए वहा से चला गया। जय को गुस्सा आ रहा था वह निशि से बात करना चाहता था लेकिन बात करना तो दूर वंश तो उसे निशि के पास तक नहीं जाने दे रहा था।  

वंश वहा से चला गया तो मुरारी ने शिवम् के पास आकर धीमे स्वर में कहा,”भैया ! आप भी वही देख रहे है का जो हम देख रहे है ? जे वंश्वा हमका कुछो बदला बदला नजर आ रहा है।”
शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”हम वंश के बाप है वो क्या सोचता है और क्या करता है जे हमसे छुपा नहीं है , भतीजा तो चाचा से भी दो कदम आगे निकला मुरारी,,,,,,,,,!!”


मुरारी ने सुना तो झेंप गया और साइड में देखकर बड़बड़ाया,”साला जे सब बाते घूम फिरकर हमरे ऊपर काहे आ जाती है ?”
नंदिता ने निशि को तोहफा दिया और सब उनसे और गौरी के घरवालों से विदा लेकर घर से बाहर चले आये। सबसे पीछे चल रहे थे मुन्ना , निशि और गौरी


निशि उन दोनों को अकेले छोड़कर सबके साथ आगे बढ़ गयी। मुन्ना आगे बढ़ने लगा तो गौरी उसका हाथ पकड़कर उसे साइड में ले आयी और अपने सामने लाकर बड़े प्यार से उसे देखने लगी।
 गौरी की आँखों में अपने लिए असीम प्यार देखकर मुन्ना का दिल धड़कने लगा उसने धीरे से गर्दन उचकाई तो गौरी थोड़ा ऊपर उठी और मुन्ना के गाल को अपने होंठो से छूकर कहा,”मैं आज शाम तुम्हारा इंतजार करुँगी,,,,,,,!!”


गौरी ऐसी हरकत करे और मुन्ना की धड़कने काबू में रहे ऐसा भला कैसे हो सकता था ? उसने धड़कते दिल के साथ गौरी को देखा , उसकी नजरे गौरी के सुर्ख होंठो पर जाकर ठहर गयी उसका दिल किया कि वह अपने होंठो से गौरी के होंठो को छू ले लेकिन उसने खुद को रोक लिया और कहा,”हम शाम में मिलते है”
गौरी ने हामी में गर्दन हिला दी तो मुन्ना ने कहा,”तो हम चले ?”


“हम्म्म्म,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने प्यार से मुन्ना को देखते हुए कहा
मुन्ना अपनी भावनाओ को रोकने की नाकाम कोशिश कर रहा था उसने ठन्डे स्वर में कहा,”तो फिर हम चलते है”
“हम्म्म्म,,,,,!!”,गौरी ने कहा और वैसे ही मुन्ना को देखते रही


मुन्ना की नजरे फिर गौरी के होंठो पर चली गयी और इस बार मुन्ना खुद को नहीं रोक पाया और उसने आगे बढ़कर गौरी के होंठो को अपने होंठो से छुआ , वो कुछ सेकेंड्स गौरी और मुन्ना के लिए एक खूबसूरत पल था। मुन्ना दूर हटा और गौरी से नजरे चुराते हुए कहा,”लगता है अब जाना ही पडेगा , बाय”
मुन्ना वहा से चला गया और गौरी मुस्कुराने लगी ,, उसने अपनी आँखे मूंद ली और उस चंद सेकेण्ड के अहसास को महसूस करने लगी,,,,,,,,,,,,!!

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संजना किरोड़ीवाल  

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