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“मैं तेरी हीर” – 88

Main Teri Heer – 88

Main Teri Heer
Main Teri Heer

शिवम् ने वंश की भावनाओ को समझते हुए आख़िरकार उसे मुंबई जाने की परमिशन दे दी। अपने लिए अपने पापा का प्यार देखकर वंश खुद को रोक नहीं पाया और नम आँखों के साथ अपना सर उनके कंधे से लगा दिया। शिवम् ने भी उसके कंधे को थपथपाते हुए उसे ये अहसास दिलाया की हर पिता उतना कठोर नहीं होता जितना वह खुद को दिखाता है।
“चलो नीचे चलते है यहाँ ठण्ड बहुत है तुम बीमार पड़ जाओगे”,शिवम् ने कहा तो वंश अपनी नम आँखों को पोछा और शिवम् का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”देखियेगा पापा एक दिन मैं आपको और माँ को बहुत प्राउड फील करवाऊंगा”
“हमे तुम पर भरोसा है , तुम हमारे बेटे हो बस अपने गुस्से को कभी अपने सपनो के आड़े मत आने देना बेटा,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने वंश के गाल को प्यार से छूकर कहा। वंश ने नम आँखों के साथ मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी। मुन्ना काफी पहले वहा से नीचे जा चुका था। शिवम् वंश के साथ नीचे चला आया , वंश के कमरे के सामने आकर शिवम् ने कहा”,अपने कमरे में जाओ और हाथ मुंह धोकर नीचे आ जाओ फिर साथ में खाना खाते है”
“ठीक है पापा”,वंश ने कहा तो शिवम् नीचे चला गया
वंश ख़ुशी ख़ुशी कमरे में आया जैसे ही वह बाथरूम की तरफ बढ़ा उसके कानो में मुन्ना की आवाज पड़ी,”हां तो वंश बाबू गुप्ता जी माने की नहीं ?”
मुन्ना की आवाज सुनकर वंश जल्दी से पलटा देखा मुन्ना उसके बेड पर लेटे , दोनों हाथ पीछे सर से लगाए , अपने दाये पैर को बांये घुटने पर रखकर हिला रहा था।
“कमीने ! ये सब तूने किया ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब पापा को तूने मनाया”,वंश ने ख़ुशी और हैरानी मिश्रित भावो के साथ कहा
“हमने कुछ नहीं किया , डायरेक्टर को तेरी ये सूरत इतनी पसंद आयी की उसने तुझे ऑडिशन के लिए मुंबई बुला लिया”,मुन्ना ने उठकर बैठते हुए कहा
वंश आकर उसके बगल में बैठा और उसकी तरफ देखकर प्यार से कहा,”ये सब तूने किया ना ?”
“ह्म्म्मम्म”,मुन्ना ने गर्दन झुकाकर धीरे से कहा
“क्यों ?”,वंश ने फिर पूछा
“बचपन से एक ही तो सपना देखा है तुमने अब अगर वो भी पूरा न हो मजा नहीं आएगा। माफ़ करना लेकिन हमने उस दिन कबर्ड से तुम्हारे सारे फोटोज चुरा लिए थे , उसके बाद हमने उन्हें डायरेक्टर को भेजा , तुम्हे याद है उस दिन तुमने वो ऑडिशन के ऐड का पेपर देखा था और बाद में उसे फेंक दिया,,,,,,उस दिन हमने तुम्हारी आँखों में एक चमक देखी थी,,,,,,,,,,,,उस दिन हमे अहसास हुआ की तुम्हारा सपना तुम्हारे लिए बहुत मायने रखता है। बस उसी दिन से लग गए तुम्हारे काम में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारा सपना हमारा सपना”,मुन्ना ने कहा
वंश की आँखे फिर नम हो गयी उसने नीचे देखते हुए अपना हाथ मुन्ना के हाथ पर रखा और कहा,”मुझे समझने के लिए तुम्हारा शुक्रिया,,,,,,,,,,,,,,आज के ज़माने में जहा भाई एक दूसरे का गला काटने से नहीं हिचकिचाते वहा तूने मेरे सपनो को अपना बना लिया,,,,,,,,,,,,,,तू बहुत ग्रेट है”
“बस कर अब तू मुझे इमोशनल कर रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,हम बाकि सब अपनी फीलिंग्स शो कर देते है चाहे हम खुश रहे , दुखी रहे लेकिन एक तू है जो अपनी हंसी के पीछे सब छुपा लेता है ,, तू तेरे हिस्से की खुशिया डिजर्व करता है,,,,,,,,,,,,,,,,,अब ज्यादा मत सोच और मुंबई जाने की तैयारी कर”,मुन्ना ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वंश ने उसे गले लगाया और कहा,”ये सारी दुनिया भी अगर मेरे खिलाफ हो ना तो तू मेरी साइड होगा ये भरोसा है मुझे”
मुन्ना ने सूना तो उसकी पीठ थपथपाने लगा

“तुम दोनों का भरत मिलाप हो गया हो तो खाना खाने नीचे आओगे ?”,सारिका ने अंदर आते हुए कहा
“बड़ी माँ,,,,,,,,,,,,हम दोनों बस आ ही रहे थे”,मुन्ना ने उठते हुए कहा
“मैं हाथ मुंह धोकर आया”,कहकर वंश बाथरूम की तरफ चला गया
“अच्छा हुआ तुम आये , वरना आज ये पूरा दिन कमरे में ही था,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे बड़े पापा क्या कहा मुन्ना ?”,सारिका ने कहा
मुन्ना मुस्कुराया और कहा,”बड़े पापा ने वंश को मुंबई जाने की परमिशन दे दी है , अब बस वंश मुंबई में सब अच्छे से सम्हाल ले”
“उसकी चिंता तुम मत करो , मुंबई में हमारे काफी अच्छे दोस्त है हम उनसे कहेंगे वंश का ख्याल रखे,,,,,,,,,,,,,,,,हम तो ये सुनकर ही खुश है की शिवम् जी ने उसकी भावनाओ को समझा”,सारिका ने खुश होकर कहा
मुन्ना ने सूना तो मुस्कुरा उठा। कुछ देर बाद वंश आया और तीनो नीचे चले आये। सारिका ने मुन्ना से भी खाना खाकर जाने को कहा। मुन्ना भी सबके साथ बैठकर खाना खाने लगा। खाने के बाद मुन्ना घर के लिए निकल गया और वंश ऊपर अपने कमरे में चला आया। आज वंश बहुत खुश था उसने उस लिफाफे को खोला और उसमे रखा कॉल लेटर और फ्लाइट का टिकट देखा। वंश मुस्कुराने लगा लेकिन अगले ही पल उसकी मुस्कराहट उदासी में बदल गयी जब उसे याद आया की वह अब इंदौर नहीं जा पायेगा। उसे इंदौर और मुंबई में से किसी एक को चुनना था अब जैसा की वंश था उसने अपने सपने को फर्स्ट प्रायोरिटी रखा और अपने हाथ पर में पहने गौरी के बेंड को देखकर कहा,”मैं बहुत जल्द तुमसे मिलने आऊंगा गौरी बस अभी के लिए मेरा मुंबई जाना जरुरी है”
वंश स्टडी टेबल पर आ बैठा और लेपटॉप ऑन करके अपना काम करने लगा।
अगली सुबह वंश जल्दी उठा और मुंबई जाने के लिए अपना सामान पैक करने लगा। पहली बार वह इतनी दूर जा रहा था। सारिका , आई और बाबा सब पैकिंग में उसकी मदद कर रहे थे। सारिका ने कुछ गर्म कपडे वंश के सूटकेस में रखते हुए कहा,”मुंबई में इस वक्त काफी ठण्ड होंगी इसलिए ये गर्म कपड़े पहन लेना और हां ज्यादा बाहर मत घूमना”
“माँ मैं सिर्फ ऑडिशन के लिए जा रहा हूँ , अभी सेलेक्ट नहीं हुआ हूँ”,वंश ने कहा
“अरे सिलेक्ट भी हो जाएगा , महादेव का आशीर्वाद है तुम्हे और तू तो दिखता भी हीरो जैसा है,,,,,,,,,,,क्या तू टीवी पर आएगा ?”,आई ने पूछा
“हाँ आई लेकिन अभी नहीं बाद में , पहले मैं ऑडिशन पास कर लू उसके बाद,,,,,,,,,,,,मुन्ना आया क्या ?”,वंश ने दरवाजे की तरफ देखते हुए कहा
“वो आ जायेगा , मुंबई में तुम कहा रुकने वाले हो ?”,शिवम् ने आते हुए कहा
“वो मैं अपने दोस्त,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतना ही कहा की सारिका ने बीच में ही उसकी बात काटते हुए कहा,”मुंबई एयरपोर्ट पर नवीन इसे लेंने आ जाएगा , हमने उस से बात कर ली है वंश उन्ही के घर रुकेगा”
“माँ लेकिन उनके घर क्यों ?”,वंश ने कहा क्योकि उसे अपने दोस्तों के साथ मुंबई घूमना भी था।
“सरु सही कह रही है , तुम उन्ही के घर रुकोगे”,शिवम् ने कहा
बेचारा वंश उसे मुंबई जाने की परमिशन जरूर मिली थी लेकिन वहा भी वो पाबंदियों में रहने वाला था। वह कुछ और बहस करता इस से पहले ही मुन्ना अपनी जीप लेकर आ चुका था। उसने हॉर्न बजाया तो वंश अपना बैग पीठ पर टाँगे और सूटकेस हाथ में लिए बाहर चला आया। उसने अपने बैग्स पीछे रखे और सबसे मिलकर मुन्ना के बगल में आ बैठा
“अपना ख्याल रखना और हाँ पहुँचते ही फोन कर देना”,सारिका ने कहा
“हाँ माँ आप सब भी”,वंश ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर मुन्ना वंश के साथ वहा से निकल गया।
“मुझे लगा तू भी मेरे साथ जाएगा”,वंश ने अपने हुडी का केप पहनते हुए पूछा
“हमे किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में बनारस से बाहर जाना होगा इसलिए हम नहीं जा पाएंगे , लेकिन जब तुम सफल होकर आओगे तो हम तुम्हे यही मिलेंगे तुम्हारे स्वागत में”,मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा
“जब तक तू मेरे साथ है आई ऍम आलवेज विन , मैं जल्दी वापस आऊंगा”,वंश ने मुन्ना के कंधे पर हाथ रखकर कहा
मुन्ना वंश को रास्तेभर जरुरी बातें बताता रहा और दोनों एयरपोर्ट पहुंचे। वंश को ऑनलाइन चीजों की काफी अच्छी जानकारी थी इसलिए वह काउंटर की तरफ आया और अपना टिकट दिखाकर बोर्डिंग पास लेकर मुन्ना के पास चला आया। फ्लाइट आधे घंटे बाद थी , वंश ने अपना सामान जमा करवाया तब तक मुन्ना उसके और अपने लिए कॉफी ले आया। मुन्ना ने एक कप वंश की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”वहा किसी से झगड़ा मत करना”
“ठीक है नहीं करूँगा”,वंश ने कॉफी पीते हुए बेपरवाही से कहा
“ऐसे नहीं हमसे वादा करो”,मुन्ना ने अपना हाथ आगे करके कहा तो वंश कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया और फिर अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर कहा,”वादा”
वंश ने वादा किया क्योकि उसे पता था मुंबई में उस से झगड़ा कौन करेगा भला ? बातो बातो में फ्लाइट का टाइम हो गया और वंश को निकलना पड़ा। मुन्ना ने हाथ हिलाकर उसे अलविदा कहा और बाहर चला आया। मुन्ना जीप की सीट पर आ बैठा और जीप स्टार्ट कर वहा से घर के लिए निकल गया। वंश का सपना पूरा होने वाला है सोचकर मुन्ना काफी खुश था। वह घर चला आया। अपने कमरे में आकर मुन्ना ने सूटकेस में अपने कुछ कपडे रखे , अपना लेपटॉप रखा , अपने डाक्यूमेंट्स और कुछ फाइल्स रखकर उसे बंद करके साइड में रख दिया। उसे शाम की फ्लाइट से इंदौर के लिए निकलना था। मुन्ना कबर्ड से अपने लिए कपडे निकालने लगा तो नजर वहा रखी गौरी की झाँझर पर चली गयी। मुन्ना को कुछ याद आया और वह तैयार होकर नीचे चला आया। मुरारी ने मुन्ना को देखा तो कहा,”अरे मुन्ना , तुम कही जा रहे हो क्या ?”
“पापा हम किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में इंदौर जा रहे है , कुछ दिन वही रुकेंगे नानाजी के पास और वापसी में काशी भी हमारे साथ ही आएगी”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा , लेकिन बेटा हमे एक बात बताओ जब तुम्हरे पास जे सब सुख सुविधा है तो फिर जे नौकरी किसलिए ?”,मुरारी ने पूछा
“हमे पॉलिटिक्स में कोई इंट्रेस्ट नहीं है पापा , और हम इंदौर अपने एक्सपीरियंस के लिए जा रहे है”,मुन्ना ने कहा
“जे राजनीती के नाम पर तुम्हारी भँवे काहे चढ़ जाती है ? खैर चले जाओ इंदौर हम नहीं रोकेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,पर पक्का काम से ही जा रहे हो या कुछो और,,,,,,,,,,,,,!”,मुरारी ने पूछा उसे अचानक से याद आया की गौरी भी इंदौर में ही रहती है
“हम चलते है,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और वहा से चला गया। कुछ घंटों बाद मुन्ना वापस आया उसके हाथ में एक बैग था। मुन्ना ने उस बैग का सामान भी सूटकेस में रख दिया। वह बिस्तर पर आ बैठा और गौरी के बारे में सोचने लगा। गौरी के बारे में सोचते हुए उसके होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गयी।
शाम में मुन्ना अपना बैग लिए इंदौर जाने के लिए निकल गया। वंश और मुन्ना दोनों ने आज अपनी अपनी मंजिल की और बढ़ रहे थे।

इंदौर , रात 9 बजे
गौरी अपनी किसी कॉलेज फ्रेंड की पार्टी से वापस घर आ रही थी। मौसम अच्छा था इसलिए वह पैदल ही चल रही थी। उसने गहरे लाल रंग का लॉन्ग स्कर्ट और उस पर सफ़ेद शर्ट पहन रखा था। बाल खुले थे , आँखों में काजल , होंठो पर लाल रंग की लिपस्टिक , कंधे पर्स का फीता झूल रहा था। गौरी अपने फोन को हाथ में लिए धीमी चाल से कॉलोनी की खाली पड़ी सुनसान सड़क पर चली जा रही थी। ठंडी हवा से उसे हलकी सिहरन हो रही थी लेकिन उसे अच्छा लग रहा था , साथ ही हवा की वजह से उसके बाल भी उड़ रहे थे। ऐसे मौसम में गौरी मुन्ना को काफी मिस कर रही थी। आज सुबह से ही मुन्ना का फोन नॉट रिचेबल आ रहा था। गौरी चलते रुकी , अपने निचले होंठ को बाहर निकालते हुए आसमान में देखकर मन ही मन कहा,”क्या महादेव अपने उस भक्त को कहो ना मुझसे मिलने आये”
बारिश की एक बूंद आकर गौरी के गाल पर गिरी तो गौरी मुस्कुरा उठी और धीमी चाल से फिर आगे बढ़ गयी। गौरी से कुछ ही दूर उसका पीछा करते हुए एक शख्स चला आ रहा था। वो भी धीमी चाल चल रहा था ताकि गौरी को उस पर शक न हो लेकिन गौरी मस्त मौला लड़की वो अपनी ही धुन में चली जा रही थी। अगले ही पल उसका फोन बजा। गौरी ने बेमन से फोन की स्क्रीन को अपने सामने किया लेकिन मुन्ना का फोन आते देखकर उसका चेहरा खिल उठा। उसने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”हे सुबह से कहा गायब हो तूम ? पता है मैंने तुम्हे कितने फोन और मैसेज किये लेकिन रिप्लाई नहीं,,,,,,,,,,,,,तुम ठीक तो हो ना ?”
कहते हुए गौरी पलटी तो उसके पीछे आ रहे शख्स को भी पलटना पड़ा। गौरी कुछ कदम उलटा चली और फिर वापस सही दिशा में चल पड़ी। उसके पीछे चल रहे शख्स ने भी फोन कान से लगाया हुआ था इसलिए वह भी पलटा और साथ ही अपना सर भी पीट लिया।
“वो हम सुबह एयरपोर्ट गए थे वंश को छोड़ने , उसके बाद थोड़ा काम किया , फिर थोड़ी शॉपिंग भी की , अब फ्री हुए तुम्हे फोन किया,,,,,,,तुम बताओ तुमने क्या किया ?”,मुन्ना ने पूछा
“मैं दिनभर सो रही थी और अब फ्रेंड की बर्थडे पार्टी से वापस आ रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,वो भी अकेले , इतना अच्छा मौसम है लेकिन कोई मेरे साथ नहीं है”,गौरी ने उदास होकर कहा
“वैसे इंदौर का मौसम कैसा है ?”,मुन्ना ने एकदम से पूछा
“बहुत ज्यादा खूबसूरत,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन वेस्ट है”,गौरी ने कहा
“वेस्ट क्यो ?”,मुन्ना ने सवाल किया
“क्योकि तुम मेरे साथ नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,,पता है मैं इस वक्त तुम्हे बहुत बहुत बहुत ज्यादा मिस कर रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुमसे ये सब कहने का कोई फायदा नहीं है तुम फिर कहोगे की तुम्हारे पास टाइम नहीं है , और मैं फिर नाराज होकर फोन काट दूंगी और फिर तुम मुझे मनाओगे भी नहीं”,गौरी ने आपबीती सुनाई तो मुन्ना हसने लगा
“देखा तूम हंस रहे हो , तुम्हे मैं कार्टून लगती हूँ क्या ?”,गौरी ने चिढ़ते हुए कहा
“हमने ऐसा कब कहा ?”,मुन्ना ने अपनी हंसी को रोकते हुए कहा
“हम्म्म्म , खैर तुमने पूछा था ना इंदौर का मौसम कैसा है ? इस वक्त इंदौर का मौसम इतना खूबसूरत है की तुम यहाँ होते तो खुश हो जाते और फिर मैं तुम्हे प्यार भरी नजरो से देखती , तुम्हारा हाथ थामकर इस सुनसान सड़क पर चलती और तुम मेरी बकबक सुनते रहते”,गौरी ने कहा
“हमे तुम्हारी बकबक पसंद है”,मुन्ना ने कहा
“पर इन सब बातो में सबसे सेड बात ये है की तुम यहाँ नहीं हो”,गौरी ने कहा और चलते चलते रुक गयी।
मुन्ना ने सूना तो कुछ देर खामोश रहा और फिर धीरे से कहा,”जरा पीछे पलटो”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,क्या ?”,गौरी जैसे नींद से जागी
“हमने कहा पीछे पलटो”,गौरी जैसे ही पीछे पलटी उसकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी , उस से कुछ ही दूर मुन्ना खड़ा था उसने एक हाथ से फोन कान से लगाया हुआ था और दूसरे हाथ जैकेट के जेब में था। गौरी ने देखा तो दौड़कर मुन्ना के सामने आयी , वह मुन्ना को हैरानी से देखे जा रही थी और फिर कहा,”मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे तुम सच में मेरे सामने हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा पहले भी कई बार हुआ और जब मैंने तुम्हे छुआ तो तुम गायब हो गए। ऐसा नहीं हो सकता तुम इंदौर में कैसे हो सकते हो ? शायद ये मेरा भरम हो , लेकिन इस जैकेट में तुम कितने क्यूट लग रहे हो ? क्या मैं तुम्हे छूकर देखू ?,,,,,,,,,,,,नहीं ऐसा किया तो तुम फिर गायब हो जाओगे,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्हह ऐसे तो मैं पागल हो जाउंगी,,,,,,,,,,,शायद मुझे घर जाना चाहिए”
कहकर गौरी जैसे ही जाने के लिए मुड़ी मुन्ना ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और गले से लगाते हुए कहा,”ये हम है मानवेन्द्र , हम सच में है तुम कोई सपना नहीं देख रही”
गौरी ने जैसे ही सूना उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुन्ना के सीने से लगे हुए उसने अपना हाथ धीरे से उसके सीने के बांयी तरफ रखा तो महसूस किया की मुन्ना का दिल बहुत जोरो से धड़क रहा है। गौरी ने उस से चिपकते हुए कहा,”ओह्ह्ह ये सच में तुम हो , थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू यहाँ आने के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं बहुत खुश हूँ”
गौरी को बच्चो की तरह खिलखिलाते देखकर मुन्ना मुस्कुराने लगा। उसने गौरी को गले लगाए रखा और उसके बालों को सहलाने लगा।

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मुंबई ने अपने गुस्से को कंट्रोल कर पायेगा वंश या तोड़ देगा मुन्ना की दी कसम ? क्या मुन्ना कहेगा गौरी से अपने दिल की बात ? आखिर इंदौर में मुन्ना के साथ क्या धमाल मचाने वाली है गौरी ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “मैं तेरी हीर”

क्रमश – Main Teri Heer – 89

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