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मैं तेरी हीर – 4

Main Teri Heer – 4

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 4

मुरारी कुमार मिश्रा मुन्ना की बाइक लेकर अनु के लिए गजरा लेने बनारस की गलियों में निकल पड़ा। सफ़ेद रंग के कुर्ते पाजामे में मुरारी आज भी किसी विधायक से कम नहीं लग रहा था। हाथ की ऊँगली में सोने की अंगूठी चमक रही थी। ये वही अंगूठी थी जिसे शादी के समय अनु ने मुरारी को पहनाई थी। मुरारी और अनु के प्यार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि शादी के इतने साल बाद भी मुरारी ने उस अंगूठी को सम्हाल कर रखा था।

आँखों पर चश्मा लगाए गुनगुनाते हुए मुरारी चला जा रहा था कि तभी उसकी नजर सामने से गुजरती औरत पर पड़ी। अब देखो आदमी कितना भी अच्छा हो एक बार तो सामने से गुजर रही महिला को देख ही लेता है यही हाल हमारे मुरारी भैया का हुआ। 35-40 साला वह औरत देखने में 25 साल की लड़की लग रही थी। काले रंग की चमकती साड़ी में लिपटी उसकी पतली दूधिया कमर पर ना जाने कितनो की नजर टिकी थी। घने बालो की बनी लम्बी चोटी जिस पर परांदा लटका हुआ था चलते हुए उसकी पतली कमर पर झूल रहा था।

आँखों में गहरा काजल और आँखे इतनी गहरी कि समंदर भी उनके सामने क्या ही लगे ? होंठो पर गहरे लाल रंग की लाली और उनके बीच सफ़ेद मोती जैसे दाँत जो उसके हसने पर साफ दिखाई दे रहे थे। वह धीमी चाल से अदा के साथ सड़क पार कर रही थी और उसे देखने के लिए सब जहा थे वही रुक गए। मुरारी मिश्रा की बाइक की स्पीड भी धीमी हो गयी और जैसे ही उस से नजरे मिली वह औरत मुरारी को देखकर हल्का सा मुस्कुरायी और आगे बढ़ गयी।


एक पल के लिए मुरारी भूल गया कि वह शादी शुदा है और उस बला को देखते ही रह गया और इसी चक्कर में उसकी बाइक का बेलेंस भी बिगड़ा और वह फुटपाथ पर बैठे सब्जी वाले को जा लगी। हालाँकि सब्जी वाले को जरा सी खरोच भी नहीं आयी थी लेकिन बेचारे की दूधी और करेले यहाँ वहा बिखर गए। मुरारी का भी बेलेंस बिगड़ा और वह सीधा नीचे ठीक सब्जी वाले के सामने जा गिरा। अब गिरे है तो बेइज्जती कैसे होने दे इसलिए तुरंत खुद सम्हालकर बैठते हुए मुरारी ने कहा,”का चचा सड़क के बीचो बीच बैठकर सब्जी बेच रहे है और कोनो जगह ना मिली ?”


“अरे मुरारी भैया ! हम तो सही बैठे है आप ही अपनी फटफटिया के साथ हिया पधारे , वैसे एक ठो बात कहे इह उमर मा जे बाइक वाइक ना चलानी चाहिए आपको।”,सब्जी वाले ने कहा
“उमर से का मतलब है बे तुमरा ? हम का सठिया गए है जो ऐसी बातें कर रहे हो। अरे जे तो हमरा स्टाइल था बाइक से उतरने का,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने उठकर कपडे झाड़ते हुए कहा और जाने लगा
“ऐसा तो पहली बार देखे है हम,,,,,,,,,,,जे गजब का स्टाइल है भैया।”,सब्जीवाले ने मुरारी की फिरकी लेते हुए कहा


अब मुरारी की कोई फिरकी ले ऐसा भला कैसे हो सकता था इसलिए वह पलटा और कहा,”वैसे का बेचते हो तुमहू अपने ठेले पे ?”
“दूधी और करेला,,,,,!!”,सब्जी वाले ने कहा
“तभी जबान इतनी कड़वी है तुमरी कुछो मीठा विठा बेचो तो भला हो तुम्हरा भी और खरीदने वालो का भी,,,,,,,,,,,चलते है।”,कहकर मुरारी ने अपनी बाइक को सीधा किया और वहा से चला गया लेकिन आँखों के समन अभी भी उस बला का चेहरा घूम रहा था जिसे मुरारी ने पहले कभी बनारस में नहीं देखा था।


“का हुआ भैया ? जे पूर्व विधायक आप पर काहे गरमाय रहे थे ?”,दूसरे ठेलेवाले ने पूछा
“अरे कुछो नहीं भैया हम ही उनको थोड़ा परेशान कर दिए , वैसे हमारे मुरारी भैया में विधायक बनने से पहले भी कोई बदलाव नहीं था और अब विधायक रहने के बाद भी कोई बदलाव नहीं है।”,सब्जी वाले ने अपनी बिखरी हुई दूधी और करेलो को जमाते हुए कहा
“हाँ जे बात तो सही कही भैया तुमने , हमारे मुरारी भैया की बात ही अलग है। वैसे उह फुलझड़िया कौन थी जो अभी अभी हिया से गुजरी थी ?”,दूसरे ठेलेवाले ने धीमे स्वर में पूछा


“अरे हम नहीं जानते भैया , लगता है बनारस में नयी आयी है कोई ,, का पता घूमने आयी हो वैसे भी हिया तो आने जाने वालो का मेला लगा रहता है हम किस किस का ध्यान रखी है ?”,सब्जीवाले ने कहा
“सही कहा पर अच्छा ही हो उह सिर्फ हिया घूमने आयी हो अगर गलती से भी बनारस में रहने आ गयी तो बवाल मच जायेगा।”,दूसरे सब्जीवाले ने कहा और अपने काम में लग गया।

मुंबई , नवीन का घर ( शाम का समय )
“आंटी निशि कहा है ?”,निशि की दोस्त पूर्वी ने घर आते ही महिमा से पूछा
“वो अपने कमरे में है , तुम चलकर बैठो मैं तुम दोनों के लिए कॉफी लेकर आती हूँ।”,महिमा ने कहा
“थैंक्यू आंटी , क्या आप कॉफी के साथ कुछ खाने का भी भिजवा देंगी प्लीज,,,,,,,,!”,पूर्वी ने बड़े ही प्यार से रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“स्योर बेटा,,,,,!”,महिमा ने पूर्वी के गाल को छूकर कहा


महिमा से मिलकर पूर्वी सीधा ऊपर निशि के कमरे में चली आयी। पूर्वी ने देखा निशि खोयी हुई सी खिड़की के पास खड़ी बाहर देख रही है। पूर्वी दबे पाँव निशि के पास आयी और उसे डराते हुए कहा,”थप्पा !!”
“हाह ! तुम हो , तुमने तो मुझे डरा ही दिया।”,निशि ने घबराकर पीछे हटते हुए कहा
“जी हाँ मैडम मैं हु , बनारस से वापस आ गयी और मुझे बताया भी नहीं और तो और मेरा फोन भी नहीं उठा रही हो , कहा बिजी हो ?”,पूर्वी ने शिकायती लहजे में कहा


“फोन शायद साइलेंट पर है। मैं आज सुबह ही वापस आयी हूँ कल से क्लासेज के लिए जाना है न।”,निशि ने कहा
“हाँ वैसे कैसा लगा बनारस ?”,पूर्वी ने बिस्तर पर निशि के सामने बैठते हुए कहा
बनारस का नाम सुनते ही निशि की आँखों के सामने वंश का चेहरा आ गया और वह सोच में डूब गयी। पूर्वी ने देखा निशि ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो उसने निशि के सामने चुटकी बजाकर कहा,”ओह्ह्ह हेलो कहा खोयी हो ? मैंने तुम से कुछ पूछा , कैसा लगा बनारस ?”


“अच्छा है,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“और वहा के लोग ?”,पूर्वी ने फिर पूछा
“अहम्म्म्म दिलकश,,,,,,!”,निशि ने वंश के बारे में सोचते हुए कहा
पूर्वी ने सूना तो खुश होकर कहा,”अह्ह्ह फिर तो सही है अगर बनारस और वहा के लोग तुम्हे पसंद आ गए। तुम वहा इतने दिन रुकी इसका मतलब तुम्हारी उस लड़के से भी दोस्ती हो गयी होगी जो लास्ट टाइम तुम्हारे घर रहने आया था और जिसे रोमांटिक सीरीज में काम करने का मौका मिला है तो क्या तुम अब उस से कहोगी कि वो अपने डायरेक्टर से बात करके मुझे उस सीरीज में कोई रोल दिला दे,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज प्लीज प्लीज”


कहते हुए पूर्वी ने निशि के दोनों हाथो को थाम लिया और उस से रिक्वेस्ट करने लगी।
निशि ने सुना तो उसके चेहरे पर गुस्से और चिढ के भाव उभर आये और उसने अपने हाथ छुड़ाकर उठते हुए कहा,”हरगिज नहीं ! मैं उस चिरकुट से रिक्वेस्ट बिल्कुल नहीं करुँगी।”
पूर्वी ने सूना तो उसे हैरानी हुई और उसने मायूसी से कहा,”लेकिन क्यों ? तुमने कहा तो तुम मेरे लिए उस से बात करोगी।”
“मैं बहुत बढ़ी गधी थी जो ऐसा कहा , वो इंसान किसी की रिक्वेस्ट के लायक नहीं है।

तुम्हे पता है वो कितना बद्तमीज , अकड़ू और रुड है और अजीब तो इतना है कि पूछो मत एक पल में किसी बात से खुश होगा और दूसरे पल में उसी बात से चिढ जाएगा। मैंने आज तक अपनी जिंदगी उसके जैसा इंसान नहीं देखा,,,,,,,,,,सच में वो बहुत बड़ा पागल है।”,गुस्से में आकर निशि ने वंश के बारे में जो मुंह में आया बोल दिया
“क्या हो गया तू बेचारे उस मासूम लड़के पर इतना गुस्सा क्यों हो रही है ?”,पूर्वी ने कहा
“मासूम और वो ? वो एक नंबर का चिरकुट है उसे खुद पता नहीं है उसे अपनी लाइफ में चाहिए क्या ?

अह्ह्ह्ह वो एक कन्फ्यूजड लड़का है जिसे सिर्फ सोने और विडिओ गेम खेलने के अलावा कोई दुसरा काम नहीं है।”,निशि ने पूर्वी के करीब आकर गुस्से से कहा
“पर उसने किया क्या ?”,इस बार पूर्वी भी उठ खड़ी हुई
“वो लास्ट के दो दिन मेरे साथ बहुत अच्छे से रहा , मुझसे झगड़ा भी नहीं किया ना मुझे परेशान किया और जब मैं मुंबई वापस आ रही थी तो वो एयरपोर्ट मुझे बाय बोलने भी नहीं आया।”,गुस्से में कहते कहते निशि एकदम से उदास हो गयी।


पूर्वी को समझते देर नहीं लगी कि वंश का नाम सुनते ही निशि को इतना गुस्सा क्यों आया ? वह निशि के पास आयी और कहा,”ओह्ह्ह तो ये बात है तू इसलिए गुस्सा हो रही है क्योकि वो तुझे बाय बोलने नहीं आया।”
“ऐसा कुछ नहीं है , ना आये वो मेरी बला से मुझे फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,!!”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा
पूर्वी उसके चेहरे पर आते जाते भावो को बहुत ध्यान से देख रही थी। पूर्वी ने उसको हग किया और कहा,”अच्छा बाबा ठीक है अब छोडो उसे और शांत हो जाओ , मैं यहाँ तुम्हारा गुस्सा देखने तो बिल्कुल,,,,,,,,,,,,!!”


“पूर्वी बेटा कॉफी के साथ मैंने तुम दोनों के लिए ये कटलेट्स बनाये है,,,,,,,,,,,,,,,कुछ और चाहिए तो मुझसे कह देना।”,महिमा ने अंदर आते हुए कहा
“ओह्ह थैंक्यू आंटी ये काफी है,,,,,,,,,,,,!!”,पूर्वी ने उनके हाथो से ट्रे लेते हुए कहा।
महिमा दोनों सहेलियों को अकेला छोड़कर वापस नीचे चली गयी। पूर्वी ट्रे लेकर टेबल की तरफ आयी और रखते हुए कहा,”चलो आ जाओ कॉफी पीते है और गरमा गर्म कटलेट्स का मजा लेते है।”


निशि खुद नहीं समझ पा रही थी कि आखिर उसे वंश पर गुस्सा क्यों आ रहा है। गुस्सा करने के बाद अब उसे उतना ही बुरा भी लग रहा था। वह मायूस होकर पूर्वी के पास आयी और उसके बगल में बैठते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी मैंने कुछ ज्यादा ही रिएक्ट कर दिया।”
“हम्म्म ये लो कॉफी पिओ , आंटी ने बहुत अच्छी कॉफी बनाई है एंड रिलेक्स मेरे सामने तुम अपनी फ्रस्ट्रेशन नहीं निकालोगी तो किसके सामने निकालोगी। मैं थोड़ी और मेहनत कर लुंगी तुम्हे उस लड़के से मेरी शिफारिश करने की भी जरूरत नहीं है।”,पूर्वी ने कॉफी पीते हुए कहा


“हम्म्म्म थैंक्यू मुझे समझने के लिये,,,,,,,,,,,!!!”,निशि ने कॉफी पीते हुए कहा
“वैसे क्या हम दोनों मरीन ड्राइव चले ? इस से तुम्हारा मूड भी ठीक हो जायेगा।”पूर्वी ने कटलेट्स उठाते हुए कहा
“नहीं यार मेरा मन नहीं है और मैं काफी थक भी गयी हूँ मुझे थोड़ा रेस्ट चाहिए और फिर कल से मेरे क्लासेज भी शुरू हो जायेंगे।”,निशि ने भी कटलेट उठाते हुए कहा और खाने लगी


“ओह्ह्ह कोई बात नहीं मुझे भी जाकर एक नए इंटरव्यू के लिए प्रेक्टिस करनी है , मैं चलती हूँ अपना ख्याल रखना।”,पूर्वी ने अपनी कॉफी ख़त्म कर उठते हुए कहा
“ठीक है कल मिलते है।”,निशि ने कहा और पूर्वी को छोड़ने नीचे तक चली आयी।
पूर्वी के जाने के बाद निशि दरवाजा बंद करके अंदर आयी तो महिमा ने कहा,”निशि बेटा ज़रा यहाँ आना।”
“हाँ मम्मा क्या हुआ ?”,निशि ने किचन में आकर पूछा


“बेटा सिंक में रखे वो बर्तन धो दोगी प्लीज मुझे अभी किसी अर्जेन्ट काम से नीलू आंटी के साथ हॉस्पिटल जाना है उनकी तबियत बहुत खराब है और साथ जाने वाला कोई नहीं है।”,महिमा ने जल्दी जल्दी अपने हाथो को धोकर पोछते हुए कहा
“ठीक है मैं कर दूंगी , ध्यान से जाना और अपना ख्याल रखना।”निशि ने सिंक की तरफ आते हुए कहा
“ठीक है “,कहकर महिमा वहा से चली गयी।


निशि एक एक करके बर्तन धोने लगी। पतीले पर स्क्रब घिसते हुए निशि को वंश की याद आ गयी और उसके हाथ धीमे पड़ गए वह खुद में ही बड़बड़ाने लगी,”कितना अजीब लड़का है , वहा मेरे पीछे पीछे घूम रहा था और जब मैं वापस आयी तब मुझे एयरपोर्ट तक छोड़ने नहीं आया। उसने मुझे बाय तक नहीं बोला वो सच में कितना रुड है।”
वंश के ख्यालों में खोयी निशि ने सारे बर्तन धो दिए और हाथ पोछकर ऊपर अपने कमरे में चली आयी। बिस्तर पर पड़ा निशि का फोन एकदम से बजा। सहसा ही उसके मन में फिर वंश का ख्याल आया।

फोन वंश का है सोचकर निशि जल्दी से बिस्तर की तरफ भागी लेकिन बेचारी की बुरी किस्मत कार्पेट में उलझकर गिर पड़ी और सर हल्का सा फर्श से जा टकराया। निशि ने अपना फोन उठाया और देखा वो एक स्पेम कॉल था। मायूस होकर निशि ने फोन वापस बिस्तर पर फेंक दिया और पेट के बल बिस्तर पर आ गिरी। उसने अपने दोनों हाथो को बांधकर तकिये पर रखा और अपना चेहरा उस पर टिका लिया। उसने एक नजर फोन को देखा और कहा,”शायद वो मुझे भूल गया है , यहाँ आने के बाद उसने मुझे एक फोन तक नहीं किया,,,,,,,,,,,,,,,वो कितना सेल्फिश है मैं उस से कभी बात नहीं करुँगी,,,,,,,,,,,,,,,कभी नहीं।”

बनारस , शिवम् का घर  ( शाम का समय )
अपने कमरे के बिस्तर पर पेट के बल लेटा वंश बार बार अपने फोन को देखता और खीजकर वापस नीचे रख देता। पिछले काफी देर से यही चल रहा था।  शाम का वक्त था और वंश अपने कमरे में आराम फरमा रहा था। 2 दिन बाद उसे मुंबई जाना था और इसके लिए उसे पैकिंग भी करनी थी लेकिन पैकिंग का  सामान पुरे कमरे में यहाँ वहा पड़ा था और वंश बस बार बार अपने फोन को देख रहा था।


वंश ने एक बार फिर अपने फोन की स्क्रीन को देखा और बड़बड़ाया,”हाह इतना ऐटिटूड , जाने के बाद कॉल तो दूर एक मैसेज तक नहीं किया,,,,,,,,,,,,,,यहाँ तो कितना प्यार दिखा रही थी , परवाह कर रही थी और मुंबई जाते ही रंग बदल गए मैडम के,,,,,,,,,दिखाए ऐटिटूड मेरी बला से उसे लग रहा होगा मैंने उसे मिस करूंगा,,,,,,,,,,,,बिल्कुल नहीं मैं उसे बिल्कुल मिस नहीं कर रहा,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर वंश कुछ देर खामोश रहा और फिर एकदम से कहने लगा,”लेकिन उसे कम से कम एक मैसेज तो कर देना चाहिए था न कि वह सही सलामत अपने घर पहुँच चुकी है,,,,,,,,,,,,,,,,

वैसे मैं उस छिपकली की इतनी परवाह क्यों कर रहा हूँ ? वो मुंबई ना ही पहुंचकर रास्ते में ही कही रह जाये तो कितना अच्छा हो हां हां हां हां फिर तो मैं आराम से मुंबई में नवीन अंकल के घर पर रहूंगा बिना किसी टेंशन के,,,,,,,,,,,,,,उस छिपकली को तो पता भी नहीं होगा उस से मिलने मैं एयरपोर्ट भी आया था , अब इसमें मेरी क्या गलती है जो वो वहा से चली गयी।”
कहते हुए वंश के चेहरे पर उदासी आ गयी और उसने अपना चेहरा तकिये पर टिका लिया।

इंदौर, गौरी का घर
किचन में खड़ी गौरी अपना फोन हाथ में पकडे बुत बनी खड़ी थी। कुछ देर पहले फ़ोन पर मुन्ना समझकर गौरी ने जो ढेर सारे चुम्बन दिए थे वो सब चुम्बन उसके होने वाले ससुर मुरारी को मिले है जानकर ही गौरी को शर्म महसूस हो रही थी। उसे अपनी इस बेवकूफी पर बहुत खीज हो रही थी और साथ ही वह मुन्ना के गुस्से के बारे में सोचकर भी परेशान हो रही थी। अपनी सोच में खोयी गौरी को ध्यान भी नहीं रहा कि गैस पर चढ़ाई गयी चाय उफनकर नीचे गिर रही थी।


“मैं जानती ही थी कि तुम जरूर कुछ गड़बड़ करोगी , अरे ध्यान कहा है तुम्हारा ? देखो सारी चाय उफनकर गिर चुकी है।”,नंदिता ने गैस बंद करते हुए कहा
नंदिता की आवाज से गौरी की तंद्रा टूटी और उसने हड़बड़ाते हुए बची हुई चाय भी नीचे गिरा दी,”मैं मैं मैं कर देती हूँ मॉम,,,,,,,,,,,,,ऊप्स आई ऍम सॉरी,,,,,,,,,,,,मैं दूसरी बना देती हूँ।”
“अभी के अभी मेरे किचन से बाहर निकलो तुम,,,,,,,,,,,,,,दफा हो जाओ।”,नंदिता ने गुस्सा होकर कहा क्योकि गौरी के कारण लगभग किचन ख़राब हो चूका था।


गौरी खिंसियाती हुई सी किसान से बाहर चली आयी। अम्बिका और अधिराज जी के कानों में अब तक नंदिता की आवाज पड़ चुकी थी इसलिए उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर गौरी को देखने लगे। उन दोनों को अपनी ओर देखता पाकर गौरी ने झेंपते हुए कहा,”वो मम्मा आप लोगो के लिए चाय लेकर आ रही है , काशी कही दिखाई नहीं दे रही मैं उसे बुलाकर लाती हूँ।”
जल्दी जल्दी में वहा से जाते हुए गौरी सोफे से टकराई ये देखकर अम्बिका ने धीरे से अधिराज जी से कहा,”महादेव हमारे मुन्ना की रक्षा करे।”


“कैसी बातें कर रही हो अम्बिका ? गौरी में अभी थोड़ा बचपना है देखना शादी के बाद वो भी अनु की तरह समझदार और गंभीर हो जाएगी।”,अधिराज जी ने कहा
“उसके लिए लड़का छोटे दामाद जी जैसा होना चाहिए लेकिन हमारा मुन्ना तो बहुत सीधा है।”,अम्बिका ने कहा
“तो फिर गौरी मुन्ना को चंचल बना देगी,,,,,,,,,,,,!”,कहकर अधिराज जी खुद ही अपनी बात पर हसने लगे
“माफ़ करना वो थोड़ी देर लगी , आप लोग चाय लीजिये।”,नंदिता ने आकर ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा
अधिराज जी और अम्बिका ने अपनी बातों को विराम दिया और नंदिता के साथ मिलकर चाय पीने लगे।

“काशी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी के सामने आकर गौरी ने अपने नाख़ून चबाते हुए मासूमियत से कहा
“तुमने फिर कोई गड़बड़ की क्या ?”,काशी ने एकदम से पूछा। वह गौरी की शक्ल देखकर ही समझ गयी थी कि जरूर कुछ हुआ है
“तुम्हे क्या लगता है मैं हमेशा गड़बड़ ही करती रहती हूँ ?”,गौरी ने नाराज होते हुए कहा
“नहीं मतलब तुम्हारी शक्ल पर ऐसे 12 तभी बजे होते है जब तुम कोई गड़बड़ करती हो। अब बताओ क्या हुआ ?”,काशी ने पूछा


“वो दरअसल बात ये है कि,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं वो , अह्ह्ह्ह मैं तुम्हे कैसे बताऊ ?”,गौरी ने बात को थोड़ा उलझाते हुए कहा
“अब बोलो भी ऐसा क्या किया तुमने,,,,,,,,?”,काशी ने पूछा
“वो मुझे तुम्हारे भाई की बहुत याद आ रही थी और मैंने उसे कॉल करके 15-20 किस दे दिए लेकिन वो किस मान को नहीं मिले।”,गौरी ने कहा और अपना निचला होंठ दाँतो तले दबा लिया।
“मुन्ना भैया को नहीं मिले मतलब ?”,काशी को समझ नहीं आया तो उसने पूछा


“फोन मान के पापा ने उठाया था,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी फिर अपना नाख़ून चबाने लगी
काशी ने सूना तो हैरानी से गौरी को देखने लगी और फिर एकदम से कहा,”और तुम इसे गड़बड़ बता रही थी , ये गड़बड़ नहीं है गौरी शर्मा ये तो कांड है कांड,,,,,,,,,अब मुन्ना भैया से तुम्हे महादेव ही बचाये।”
“हर हर महादेव !”,गौरी ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
“हर हर महादेव !”,काशी ने कहा और हँसते हुए वहा से चली गयी।

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