Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी -12

Shah Umair Ki Pari -12

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Shah Umair Ki Pari

Shah Umair Ki Pari -12

शहर धनबाद में :-
”परी तुम अभी तक रेडी नहीं हुई? आज ऑफिस से छुट्टी ली है क्या ? चल आ नास्ता कर ले !” परी की मम्मी नादिया जी कहती है !
”जी हाँ मम्मी आज थोड़ी तबीयत अच्छी नहीं लग रही इसलिए छुट्टी ली है, आप चलो मैं आती हु !” परी रुपयों से भरा बैग अपनी मम्मी से छुपाती हुई कहती है !
परी अपने ख्यालों में उलझी हुई बैठी ख़ामोशी से नास्ता करने लगती है! तभी परी के मम्मी पापा एक दूसरे को इशारा करते है


”आप पूछो।” नादिया जी कहती है
”नहीं तुम पूछो !” हसन जी कहते है !
”क्या आप दोनों ने पूछो-पूछो लगा रखा? क्या पूछना है आप दोनों को?! हाँ! मैं ऑफिस नहीं जा रही क्योंकि मैंने वो जॉब छोड़ दी। लात मार दी है ऐसी जॉब को जिसमें मेरी इज्जत ना हो! अब मैं खुद का कुछ करना चाहती हूँ !” परी थोड़ा चिढ़ कर बोलती है!


‘’यह तुम क्या बोल रही हो बेटा ? तुमने जॉब छोड़ दी? मगर क्यों ? हम तो कुछ और कहना चाह रहे थे तुमसे मगर ।” हसन जी परी की तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए कहते है !
“बस ऐसे ही पापा, वहा बहुत ज्यादा काम था इसलिए। लड़की होने पर ज्यादा काम करने पर भी इज्जत ना मिलना ! आप हटाइये उन बातों को। आप अपनी बात बताओ पापा, आप क्या पूछना चाहते हो ?”परी कहती है!


”अरे परी बेटा यह क्या बात हुई के काम ज्यादा था इसलिए जॉब छोड़ दी? और बेटा लड़के जलते ही हैं, क्यों तारीफ करेंगे? तुम ज्यादा काम करो, अच्छा काम भी पर वो इज्जत नही दे पाते औरत जात को। ये तो समझती हो फिर भी तुमने इतना बड़ा कदम उठा लिया, अब घर कैसे चलेगा बेटा? तुम जाओ ऑफिस, चलो ऐसे अचानक काम नहीं छोड़ते बेटा !” परी की मम्मी नदिया जी परेशान होते हुए कहती है !


”मम्मी आप क्यों परेशान हो रही हैं? घर चलाने की जिम्मेदारी मेरी है, मैं कर लूँगी सब ! आप फ़िलहाल परेशान ना हो, न मुझे कुछ समझाए!” परी समझाते हुए कहती है ,
‘’अब आप ही समझाए इसे, मेरी बातें तो इसे समझ आएगी नहीं।’’ नदिया जी हसन जी से कहती है! मगर वो कुछ देर खामोश रहते है फिर कहते है!


’’ परी बेटा मैं जॉब छोड़ने की असल वजह जानना चाहता हूँ ! मुझे ऐसा लगता है कि तुम हम दोनो से कुछ छुपा रही हो ! तुम्हे तो सही से झूठ भी बोलना नहीं आता बेटा। इतनी परेशानी, इतना दुख क्यों अकेले सहना चाहती हो? जो भी बात है तुम बे झिझक हमसे कहो। बताओ मन की बात बेटा।”


परी बेचारी ! उसको समझ नहीं आ रहा कि वो अपने बॉस का उसे गन्दी नियत से छूना अपने मम्मी पापा को कैसे बताये ! थोड़ी देर सर पर हाथ रखे वो बैठी रहती है ! आंखे बंद करती है तो उमैर का चेहरा उसे सामने नजर आता है। ” मैं हूँ ना, अब कोई परेशानी नहीं होने दूंगा।” परी में कुछ हिम्मत सी आ गई हो जैसे उसने आंखे खोली, फिर सर उठा कर एक-एक कर के सारी बातें अपने पापा और मम्मी को बता दी ! परी की आंखों से आंसू झलक उठे।


”परी बेटा तुमने बिलकुल सही किया जॉब छोड़ कर! इंसान के लिए पैसों से ज्यादा उसकी इज्जत मायने रखनी चाहिए ! मुझे तुम पे नाज़ है बेटा और ये यक़ीन भी के तुम अपनी ज़िन्दगी में कुछ ना कुछ जरूर कर लोगी। आंसू पोछो, बहादुर बच्चे रोते नही!” हसन जी परी के सर पर हाथ फेरते हुए कहते है !
”मेरी बात मानो तो रफ़ीक़ भाई की बात मान लो और परी और आसिफ की शादी करवा दो जल्द से जल्द। कुछ भी कहो, पर है तो लड़की ही जहां भी जाएगी लोग फायदा ही उठाने की फिराख में रहेंगे हमेशा ही!” नदिया जी कहती है


”मम्मी क्या कह रही हो आप? आप का दिमाग तो सही है? मैं शादी नहीं करने वाली उस आशिक मिज़ाज़ आसिफ से। आसिफ सिर्फ मेरा दोस्त है, उससे ज्यादा कुछ नहीं !” परी गुस्से में कहती है
”बेटा कल मैच देखते वक़्त रफ़ीक़ भाई ने कहा है, अगर तुम्हारी और आसिफ की शादी हो जाती है, तो वो हमसे किराया नहीं लेंगे। हम सब हमेशा इस घर में एक साथ रहेंगे एक परिवार की तरह ! मैंने उनसे कहा है कि तुमसे बात कर के जवाब दूंगा !” हसन जी नरमी से कहते है


”मगर पापा मैं अभी आसिफ से क्या, बल्कि मै किसी से भी शादी नहीं करना चाहती हूँ ! और पापा ये क्या बात हुई? घर किराए के बदले बेटी? रफ़ीक़ चाचा को अपने घर का किराया ही चाहिए ना? वो है मेरे पास, मैं अभी देकर आती हु !” कहती हुई परी अपने कमरे में जाती है और बैग से रूपए निकाल कर रफ़ीक़ चाचा के दरवाज़े का बेल बजाती है, तो आसिफ दरवाज़ा खोलता है !
कहा है तुम्हारे पापा ? कुछ जरूरी काम है चाचा से।”परी पूछती है


“आओ, वो अंदर ही है। मगर परी, क्या हुआ तुम इतने गुस्से में क्यों हो ?”आसिफ कहता है
बात को सुनकर अनसुना करती परी अंदर जाकर रफ़ीक़ चाचा के पास खड़ी हो कर कहती है !” “यह लीजिए आप के पिछले दो माह और इस माह का किराया। अब खुश आप? आप ने क्या सोचा के किराया नहीं दे पाऊँगी तो आप अपने निकम्मे और आवारा बेटे को मेरे साथ बांध देंगे ? चाचा वक़्त खराब चल रहा है मेरा, मगर इतना भी नहीं के आप के बेटे से शादी कर लूँ!”


“और तुम! तुम मेरे सुख दुख में साथ देते थे। अच्छे दोस्त थे पर तुमने अपनी इन हरकतों से अपनी दोस्ती भी खराब कर ली है आसिफ !” परी आसिफ की तरफ पलट कर कहती है !
”तुम मुझे बार बार निकम्मा क्यों कहती हो? अच्छी जॉब आज नही तो कल मिल जाएगी मुझे! कल ही इंटरव्यू देकर आया हूँ और शादी के लिए ही तो पूछा है। कौन सा गुनाह कर दिया परी ? गलत क्या है इसमें? ” आसिफ पूछता है।


“किसी की मज़बूरी का फायदा उठा कर रिश्ते नहीं बनाये जाते आसिफ !” परी कहती है और अपने घर वापस लौट आती है।
“देखा कितनी बद्तमीज़ लड़की है और तुझे इससे शादी करनी है ! रफ़ीक़ अपने बेटे को गुस्से से घूरते हुए बोलते है !
‘’इसकी यही अदा तो पसंद है पापा मुझे। ऐसी बहु आप को दुनिया में कंही नहीं मिलेगी दबंग टाइप , और मन की साफ़ ! चाहे जो भी हो पापा मुझे परी चाहिए। मैं उसे अपना बनाना चाहता हूँ।” आसिफ इश्क में डूबा हुआ कहता है !


“बेटा मैंने जिस तरह कल इसके बाप को समझाया है तुम देखना वो लोग इससे हाँ बुलवा कर ही रहेंगे। पर जब हो जाये शादी तो लगाम सम्भाल लेना। बहुत तेज है लड़की।” रफ़ीक़ मुस्कुराते हुए, कहते है !
”मैंने रफ़ीक़ चाचा को तीन महीने का किराया दे दिया है ! मम्मी और पापा उम्मीद है, आप लोग मुझे इसके बाद आसिफ से शादी करने के लिए नहीं कहेंगे और हाँ, मैं खुद का कोई काम शुरू करुँगी अब! उम्मीद है आप लोग सपोर्ट करेंगे !” परी कहती है।


”हाँ बेटा जरूर करेंगे सपोर्ट, यह भी कोई बोलने वाली बात है !” हसन जी कहते है। परी अपने कमरे में आ जाती है।
परी परेशान होकर अपने कमरे में इधर उधर टहलती रहती है, उसे समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करे ? एक तरफ आसिफ, और दूसरा कोई काम ! तभी उसे अपने कानो में किसी की आवाज़ सुनाई देती है!
”परी मैं तुम्हे किसी और का कभी नहीं होने दूंगा तुम सिर्फ मेरी हो ! तुम दुनिया वालों को दिखाने के लिए कोई भी काम शुरू करो। रुपयों से माला-माल मैं तुम्हे कर दूंगा यक़ीन रखो मुझ पे मैं तुम्हारा मुहाफ़िज़ हूँ !’’


परी अपने कानो में उमैर की आवाज़ सुन कर घबरा जाती है ! तभी उसके मोबाइल पे उसकी दोस्त संगीता का कॉल आता है !
‘’हाय संगीता कैसी हो आज अचानक इतने दिनों बाद याद किया तुमने !” परी कॉल रिसीव कर के कहती है !
‘’अरे यार बात ही ऐसी है। सब कुछ जल्दबाजी में तय हुआ और मैं तुझे बताना भूल गयी। अगले हफ्ते मेरी शादी है और तुझे हर हाल में आना होगा। मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी तेरा !” संगीता कहती है


‘’अच्छा ठीक है मैं आउंगी और बता सब कुछ कैसा चल रहा?” इस तरह घंटों परी संगीता से बात करती रहती है फिर कॉल रख कर बेड पे आराम करने के लिए लेट जाती है !
हज़ारों उलझने है उसके साथ मगर फिर भी उसका मन सुलझा हुआ और सुकून से भरा रहता है ! और इस सकून की वजह वो तलाश कर रही होती है !

दुसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला :
”हनीफ भाई आये है आप से मिलने उमैर भाई।” अमाइरा दरवाज़ा खोलते हुए कहती है !
”ओह शुक्र है खुदा का अब्बा नहीं है ! आजा हनीफ अंदर !” उमैर पसीने पोछते हुए कहता है !
हनीफ अंदर आता है तो सामने खड़ी नफिशा दिखती है जो उसे देख कर मुस्कुरा रही होती है! फिर कहती है!
”बहुत दिन बाद नज़र आ रहे हो आप मुझे तो लगा के आप मुझे भूल गए हो!”


”अपनी मोहब्बत को भी भला कोई भूलता है क्या? बस यह समझ लो फुर्सत ही नहीं मिलती है कंही भी जाने की। उमैर की तरह मेरे अब्बा ने भी मुझे कामों में उलझा रखा है, अपनी निगरानी में !” हनीफ कहता है !
‘’क्या बातें हो रही है आप दोनों के बीच में ?” अमाइरा सवालिया नज़रों से घूरती हुई कहती है !
“कुछ नहीं आपी मैं बस ऐसे ही हाल चाल ले रही थी ! उमैर भाई अपने कमरे में है !” नफिशा हनीफ से कहते हुए चली जाती है !
अमाइरा दोनों के नज़रों के खेल से दिल का हाल समझ लेती है मगर वो उस वक़्त खामोश रहना बहतर समझती है


‘’और उमैर, कल की मिठाई कैसी लगी तुम्हे?’’ हनीफ उमैर को छेड़ते हुए कहता है !
‘’उड़ा लो, तुम भी मज़ाक मेरा ! तू दोस्त नहीं दुश्मन है मेरा। जो मुझे मिला उसे मिठाई नहीं पिटाई कहते हैं। जा मैं तुझसे बात नहीं करता !’’ उमैर नाराज़ होते हुए कहता है !
‘’अरे मेरे भाई! मैं तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था ! मैं तुझे ये बताने के लिए आया हूँ कि तुझे शहजादी मरयम याद कर रही !’’ हनीफ कहता है


‘’मेरा दिल नहीं चाहता है भाई अब महल में जाने का और वो शहजादी मरयम एक नंबर की नकचढ़ी चुड़ैल है! जब देखो हुक्म देती रहती है !’’ उमैर कहता है
‘’ऐसी बातें उनके खिलाफ नहीं बोलना चाहिए तुम्हे। खैर अब जो भी हो, बुलाया है उन्होंने तो तुम्हे जाना ही पड़ेगा ! तुम तो खुश नसीब हो उमैर कि शहशांह जिनात की बेटी के साथ वक़्त गुज़ारने का मौका मिल रहा तुम्हे! मुझे तो ऐसा लगता है कि वो शायद तुम्हे पसंद करती है !’’ हनीफ मज़े लेकर कहता है !


‘’ मैं उस शहजादी को कभी भी पसंद ना करू! अब मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता वो शहजादी हो या कोई आम जिन जादी मुझे तो मेरी परी मिल गयी है !” उमैर मुस्कुराते हुए कहता है!
“मुझे भी मिला भाई कौन सी परी मिली है तुझे ? कौन है वो ?”हनीफ कहता है !
‘’आज नहीं। कभी और बाद में बताऊंगा। पहले मेरा एक काम कर दे महल में जाकर बोल दे कि मेरी तबीयत सही नहीं है। मैं कल आऊंगा !’’ उमैर कहता है


‘’अच्छा यानि बहाना बना रहे हो तुम। दिख तो भले चंगे रहे हो।खैर कोई बात नहीं मेरा जो काम है। मैंने कर दिया है अब मुझे इजाजत दो !’’ कहता हुआ हनीफ उससे इजाजत लेकर चला जाता है !
कमरे में टहलती हुई परी को आईने में देख उमैर सारी परेशानी भांप लेता है ! ‘’वो उसके कानो में धीमे से कुछ कह कर अपनी मौजूदगी उसपे ज़ाहिर करने की कोशिश करता है, मगर परी अगले ही लम्हे फ़ोन पर बातों में व्यस्त हो जाती है ! परी फ़ोन रख कर अपने बेड पे लेट जाती है !


परी को नींद के आगोश में जाता देख उमैर एक बार फिर उसके ख्वाबों की दुनिया में उससे मिलने चला जाता है!
सब्ज खेतो में लेटी खूबसूरत लिबास पहने परी के पहलु में जाकर उमैर भी लेट जाता है और कहता है !
” परी आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ बोलो दोगी?”
”फिर आ गये उमैर तुम? इधर ही बैठ के मुझसे मिलने का इंतज़ार करते रहते हो क्या ?” परी कहती है।


“नहीं-नहीं इधर तो नहीं बैठा रहता हूँ। मगर हाँ तुम्हारा इंतज़ार सालों से कर रहा हु ! यह इंतज़ार तब तक अधूरा रहेगा जब तक हम एक ना हो जाए !”उमैर कहता है !
“मगर तुम हो कौन? मैं जब भी सोती हो तुम ख्वाब में आ जाते हो , आखिर कैसे? परी सवाल करती है।
“कहा तो है कि तुम्हारा दोस्त हु , अब कितनी बार समझाऊ? अच्छा चलो यह बताओ कि क्या तुम उस आसिफ से शादी… मेरा मतलब है कि तुम शादी का तो नहीं सोच रही हो ना ? ” उमैर कहता है


“अभी क्या, कभी नहीं करनी मुझे शादी। आसिफ़, वो तो मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है।” परी कहती है।
“परी, मैं… मेरा मतलब है कि.. मैं वो पूछ रहा था कि… मैं तुम्हें कैसा लगता हु?” उमैर परी की तरफ करवट लेते हुए, शर्माते हुए कहता है !
“पहले ये बताओ कि तुम क्या मांगना चाहते हो मुझसे ?” परी बैठते हुए कहती है उसके बालों में छोटे- छोटे घांसों के फूल लग जाते है !


“अपनी शकल तो देखो पहले परी !” उमैर हँसते हुए अपनी हथेली उसके चेहरे के सामने करते हुए कहता है ! जिसमे परी का चेहरे साफ़ दिखता है
“अच्छी तो लग रही हूँ। इसमें हँसने वाली कौन सी बात है ?” परी थोड़ा नारजगी से कहती है तो उमैर खामोश हो जाता है। फिर अपने हाथों से एक एक कर सारे फूल परी के बालों से निकाल देता है!


उमैर मोहब्बत से उसके चेहरे को अपने हाथों में लिए कहता है !
” जितना ज्यादा तुम्हारे ये रुखसार हसीन है उससे ज्यादा तुम अंदर से खूबसूरत हो बहुत मासूम हो तुम। तुम्हारा दिल मोम की तरह मुलायम है! जिसमे बस अपनों की फिक्र बसी है ! बस इतना तुम्हारा साथ मांगना चाहता हु ता कयामत तक का ! बोलो दोगी मेरा साथ?’’


“उमैर… मैं… कैसे?? अभी तो कुछ ही दिन हुए है मुझे तुमसे मिले हुए। एक दिन में दोस्त और महबूब दोनों ही बनाना आसान नहीं है। जल्दबाजी, क्यों किस बात की है तुम्हे ? थोड़ा वक़्त दो , तुम्हे जानने का भला खवाबों में कौन आकर इज़हार करता है?”‘ परी कहती है
“मैंने तो तुम्हे हकीकत में गुलाब देकर इज़हार किया था, याद करो तुमने आईने के पास से एक गुलाब नहीं उठाया था?” उमैर उसे याद दिलाते हुए कहता है !


”अच्छा! तो वो तुम थे मैं आसिफ पे चिल्ला आयी थी !” परी कहती है।
“बोलो ना ,मैं तुम्हे पसंद हूँ या नहीं? खुदा के लिए बोलो !” उमैर कहता है।
“तुम तो ख्वाब में हो, उमैर।
मेरी हर बात तो जान लेते हो
अब ये भी जान लो कि तुम पसन्द हो या नही?” परी शर्माती हुई कहती है।


“ये जानना मुश्किल हो रहा है मेरे लिए। तुम कह दोगी तो आसानी रहेगी परी। बता भी दो। क्या मैं तुम्हें पंसद हूँ?” उमैर एक टक देखते हुए परी से कहता है।
“नहीं , नहीं बिलकुल भी नहीं !” परी हँसते हुए उठ कर दौड़ते हुए कहती है और उमैर की नज़रों से गायब हो जाती है !

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”यह फूलों के बाग़ ,वो आसमान में रौशन आफताब,
सब तेरे मुन्तज़िर रहते है , एक हम ही नहीं आशिक़ है तेरे ,
तुझसे तो यह हवाएं भी वफ़ा करते है !”

SHAMA KHAN

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