साक़ीनामा – 7
Sakinama – 7

Sakinama – 7
मैं जिंदगी के एक नए सफर पर थी जिसमे ख़ुशी थी , अपनापन था , एक दूसरे की परवाह थी , छोटे छोटे सपने थे और खूबसूरत अहसास जिस से हर लड़की अपनी जिंदगी में एक बार तो जरूर गुजरती है। राघव शादी में बिजी था और शायद कुछ ज्यादा ही बिजी था कि उसकी तरफ से ना तो कोई मैसेज था और ना ही कोई कॉल। उसने बताया कि 9 तारीख को शादी है और 11 को वह वापस गुजरात चला जाएगा।
जिया मुझसे बार बार कह रही थी कि जाने से पहले मुझे राघव से एक बार मिल लेना चाहिए उसके बाद पता नहीं उसका वापस कब आना हो लेकिन राघव ने तो अब तक अपनी तरफ से ऐसा कुछ नहीं कहा था। मैं पहल नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने जिया को ना कह दिया।
दूसरी वजह ये भी थी कि घरवाले क्या सोचेंगे ?
मेरी तरफ से कोई पहल ना देखकर जिया ने मम्मी से कहा। पता नहीं अचानक से मेरी मम्मी इतनी फ्रेंक कब से हो गयी उन्होंने मुझसे आकर कहा,”राघव से मिलना हो तो मिलकर आओ या दोनों साथ में किसी अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाकर आओ।”
“आपकी तबियत ठीक है ?”,मैंने उनका सर छूकर देखते हुए कहा
“हाँ और क्या तू तो मुझे ऐसे ही समझती है। आजकल ये सब नार्मल है चली जाओ बेचारा इतनी दूर से आया है बाद में पता नहीं कब आएगा ?”,मम्मी ने किचन में जाते हुए कहा
जिया वही थी इसलिए पहले मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अपनी आँखे मटकाई और फिर मम्मी से कहा,”क्या बात है मम्मी मुझे तो कभी नहीं कहा ऐसे बाहर जाने को ?”
“जब तेरी शादी होगी तब तू भी चली जाना”,मम्मी ने कहा
मैं उन दोनों की बातों का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी इसलिए अपने कमरे में चली आयी। राघव से मिलने का मन तो मेरा भी था लेकिन वो तो भाव खा रहा था उसके पास तो मुझसे बात करने तक का टाइम नहीं था। मेरी नजर दिवार पर लगे कैलेंडर पर चली गयी। आज 10 तारीख थी और कल 11 मतलब राघव कल वापस चला जायेगा। मैं उसके बारे में सोच ही रही थी कि उसका मैसेज आया “Hii”
“हेलो !!” मैंने बेमन से लिखकर भेज दिया क्योकि कही न कही मैं उस से नाराज थी
“आप तो याद ही नहीं करती है”,राघव ने मेरे साथ वो किया ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’ लाटसाहब 3 दिन से खुद बिजी थे और अब मुझसे शिकायते कर रहे थे मैंने भी लिखकर भेज दिया “आपने कौनसा याद किया ?”
“हम्म्म लगता है आप नाराज हो। वैसे कल क्या कर रहे हो ?” राघव ने भेजा
“वही 10-6 से ऑफिस” मैंने भेजा
“हम्म्म ओके” राघव का जवाब आया जिसे देखकर मेरा मन उदास हो गया मुझे लगा वो मुझे मिलने के लिए कहेगा लेकिन उसने नहीं कहा।
कुछ देर मैसेज में बातें हुयी और फिर उसने भेजा “मैं खाना खा लेता हूँ आप भी खा लो।”
“ठीक है जाईये” मैंने उदास मन से लिखकर भेज दिया और उठकर कमरे से बाहर चली गयी।
खाना खाकर मैं कुछ देर बाहर घूमती रही और फिर सोने चली आयी। बिस्तर पर आकर मैंने एक बार फिर अपना फोन देखा। राघव ऑनलाइन ही था कुछ देर बाद उसका मैसेज आया “क्या बात है आज आपका मूड ठीक नहीं है ?”
“नहीं ऐसा कुछ नहीं है” मैंने लिख भेजा जबकि मेरा मन उदास था
“वैसे कल सुबह मैं चला जाऊंगा” राघव ने भेजा
“हाँ मुझे पता है” मैंने भी लिख भेजा
“आप तो ऑफिस जाएँगी” राघव ने भेजा
“आप सीधा सीधा क्यों नहीं कहते कि आपको मुझसे मिलना है ?” मैंने लिख भेजा मैंने महसूस किया इस वक्त राघव और मैं एक ही फीलिंग से गुजर रहे थे।
“मुझे लगा आपको अच्छा नहीं लगेगा” राघव ने भेजा
“ऐसा कुछ भी नहीं है” मैंने भेजा
“तो क्या हम कल बाहर कही मिल सकते है ?” इस बार राघव ने सीधे सीधे ही पूछ लिया
“ठीक है आप बताईये कब मिलना है ?” मैंने लिख भेजा
“लेकिन कल तो आपका ऑफिस होगा ना” राघव ने भेजा
“मैं हाफ डे कर लुंगी , आप बताये कब मिलना है ?” मैंने भेजा
“कल सुबह मैं आपके शहर आ जाऊंगा , तो सुबह ही बता दूंगा। आप चाहो तो एक बार अपनी मम्मी से पूछ लेना , अगर वो परमिशन दे तो ठीक है वरना कोई बात नहीं” राघव ने एक लम्बा चौड़ा मैसेज भेजा
वो ये नहीं जानता था कि मेरी मम्मी तो खुद मुझे उस से मिलने को कह रही थी। खैर राघव को हाँ बोलकर मैं सोने चली गयी।
सुबह मैं जल्दी उठ गयी। राघव से मिलना था इसलिए ऑफिस में भी हाफ डे के लिए फोन कर दिया। लगभग 8 बजे राघव का फोन आया।
“हेलो ! गुड मॉर्निंग”,मैंने कहा
“गुड मॉर्निंग”,राघव ने कहा
“आप कब तक आएंगे ?”,मैंने पूछा
“एक छोटी सी प्रॉब्लम हो गयी है”,राघव ने थोड़ा उदास होकर कहा
“क्या हुआ ? सब ठीक है ?”,मैंने थोड़ी चिंता जताते हुए पूछा
“हाँ सब ठीक है ! दरअसल पहले आज शाम में गुजरात जाने की बात हुयी थी लेकिन भाभी और उनके बच्चे भी साथ जा रहे है तो मुझे दोपहर में ही गाड़ी लेकर निकलना पडेगा”,राघव ने अपनी परेशानी बताई
“कोई बात नहीं आप जाईये , अगली बार आये तब मिल लेना”,मैंने भी उसकी परेशानी समझते हुए कहा
“नहीं मैं आजाऊंगा , ज्यादा टाइम नहीं रुकूंगा बस 20 मिनिट रुक सकता हूँ”,राघव ने कहा
“इट्स ओके 20 मिनिट के लिए आप इतनी दूर आएंगे ! आप परेशान मत होईये”, मैंने कहा मुझे उसे परेशानी में देखकर अच्छा नहीं लग रहा था क्योकि राघव को गांव से मेरे शहर आने में डेढ़ घंटा लगता और वापस जाने में भी इतना ही टाइम लगता।
“वो मैं देख लूंगा , आप बताओ मैं आउ या नहीं ?”,राघव ने पूछा
“आपका मन है तो आ जाईये”,मैंने उलझन भरे स्वर में कहा
“क्यों आपका मन नहीं है ?”,राघव ने पूछा
“हाँ है लेकिन आपको इस तरह परेशान करना अच्छा नहीं लग रहा”,मैंने कहा
“ठीक है मैं आ रहा हूँ , आपके शहर आकर आपको फोन करता हूँ”,राघव ने कहा और फोन काट दिया
फोन में गाने लगाकर मैं अपने कमरे की सफाई करने लगी। म्यूजिक सुनना मुझे बहुत पसंद है और मैं अक्सर कुछ न कुछ सुनते रहती थी। फोन में बहुत ही प्यारा गाना चल रहा था जिसे सुनकर मुझे एकदम से राघव की याद आ गयी। वो गाना मेरी सिचुएशन पर सूट भी कर रहा था
“तो अटक गया है , ये मन अटक गया है , कुछ चटक गया है,,,,,,,,,,,,ये मन अटक गया है।”
जब आप नए नए किसी रिश्ते में आते है तो ऐसे गाने अच्छे लगने लगते है ये मेरा एक्सपीरियंस था,,,,,,,,,,,,,,,हमेशा बंगाली और इंग्लिश गाने ज्यादा सुनने वाली
लड़की आज हिंदी लव सांग सुन रही थी वो भी पूरी फीलिंग के साथ।
साफ़ सफाई करते हुए 9 बज चुके थे। मैं जल्दी से नहाकर आयी और कमरे में आकर अलमारी में कपडे खगालने लगी। पहली बार राघव से मिलने बाहर जा रही थी इसलिए कुछ अच्छा पहनना था।
अब तक मैं राघव से 2 बार मिल चुकी थी और दोनों ही बार एकदम सीधी साधी सिंपल लड़की की तरह मिली थी। उसने अब तक मेरा बोल्ड लुक नहीं देखा था। उसने कहा था कि उसे मेरी सादगी ज्यादा पसंद है इसलिए इस बार भी मैंने उसके सामने ऐसे ही जाना डिसाइड किया। मैंने अलमीरा से अपनी ब्लू जींस और साथ में पीले रंग का चिकन का बोट नेक वाला लॉन्ग कुर्ता निकाला। ये ड्रेस मुझ पर काफी अच्छा लग रहा था और मेरा फेवरेट भी था।
बालों को खुला छोड़ दिया , कानों में छोटे झुमके पहने , होंठो पर डार्क ब्राउन लिपस्टिक लगाकर एक नजर खुद को शीशे में देखा। मैं अच्छी लग रही थी। मेरी आँखे कमजोर और मुझे -4 का चश्मा भी था तो मैंने वो भी लगा लिया। मैं अभी ठीक से खुद को शीशे में निहार भी नहीं पायी की राघव का फोन आ गया और उसने कहा,”मैं आपके शहर में हूँ , कहा आना है ?”
“आप कहा है ? मैं आपको लेने आ जाती हूँ आपके लिए ये शहर नया है”,मैंने कहा तो राघव ने अपनी लोकेशन भेज दी जो कि मेरे स्कूल के पास की थी।
मैंने 10 मिनिट में आने का बोलकर फोन रख दिया। मैंने अपना बैग उठाया और जिया को बताकर घर से निकल गयी। राघव ने एक बार मुझे बताया था कि उसे “गुलाबजामुन” बहुत पसंद है। घर से स्कूल के रास्ते में हमारे शहर का बहुत ही अच्छा रेस्टोरेंट था मैंने वहा से उसके लिए 4 गुलाबजामुन पैक करवाए। वहा खड़े नजर फ्रीजर में रखी चॉकलेट्स पर चली गयी। मैंने साथ में एक बड़ी चॉकलेट भी खरीद ली। मुझे अपने करीबी लोगो को गिफ्ट्स देना बहुत पसंद था और फिर राघव तो अपना था।
स्कूल के पास आकर मुझे राघव को ढूंढने में ज्यादा टाइम नहीं लगा क्योकि गेट के बाहर ही उसकी खड़ी थी
जिसकी नंबर प्लेट गुजरात की थी। मुझे वहा देखकर उसने मेरे लिए गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और मैं अंदर आ बैठी। मन में एक बेचैनी थी पहली बार किसी लड़के से मिलने ऐसे अकेले आयी थी। मैंने एक नजर राघव को देखा उसका ध्यान सामने था। लाइट दाढ़ी में वो क्यूट लग रहा था। मैं मुस्कुरा उठी और सामने देखने लगी।
“कहा जाना है ?”,राघव ने गाडी को आगे बढ़ाते हुए कहा
राघव के सवाल ने मुझे थोड़ा उलझन में डाल दिया क्योकि मैं अपने शहर को जानती जरूर थी लेकिन कभी रेस्त्रो या कैफे में नहीं गयी।
हालाँकि मेरे शहर में 200 से ज्यादा रेस्त्रो और कैफे है लेकिन राघव ने कहा कि उसे शांत जगह जाना है जहा बैठकर वो मुझसे बात कर सके। टाइम कम था इसलिए मैंने उसे चलने को कहा। रास्तेभर हमारे बीच कोई बात नहीं हुई दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कहा से शुरुआत करे। बीच में राघव के फोन पर कुछ कॉल्स आये। गुजराती बोलते हुए कितना प्यारा लग रहा था वो , उस पर उसकी वो दिलकश आवाज। मैं बस मुस्कुराते हुए सुन रही थी। कुछ देर बाद ही हम दोनों एक ग्रीन वेल्ली रेस्त्रो में पहुंचे।
इस रेस्त्रो की खास बात ये थी कि ये नेचर से रिलेटेड था और आस पास काफी हरियाली थी साथ ही मेन शहर से एक किलोमीटर बाहर था इसलिए यहाँ ज्यादा भीड़ भाड़ भी नहीं थी। सुबह के 10 बज रहे थे और रेस्त्रो पूरा खाली था। राघव और मैं अंदर चले आये और शीशे के पास वाले सोफो पर आमने सामने आ बैठे। राघव को वो जगह बहुत पसंद आयी। राघव बिल्कुल मेरे सामने बैठा था ऐसे में बार बार नजर उस पर जा रही थी। आज पहली बार मैंने उसे गौर से देखा।
उसकी आँखे बहुत छोटी छोटी थी और बिल्कुल भूरी , जब वह किसी बात पर मुस्कुराता तो उसकी आँखे बंद हो जाती और ये चीज उसे बहुत क्यूट बना रही थी। मैंने ये भी नोटिस किया कि उसकी मुस्कुराहट बहुत प्यारी थी। उसने ग्रे और ब्लू मिक्स शर्ट पहना था साथ में फॉर्मल पेंट। उसके एक हाथ में बहुत सारे धार्मिक धागे बंधे थे और साथ ही एक चाँदी से बना उसके नाम का ब्रेसलेट था। दूसरे हाथ में स्मार्ट वाच थी। गले में छोटे रुद्राक्ष से बनी सिल्वर की एक माला थी। सलीके से बनी दाढ़ी मुछे जच रही थी उस पर।
राघव मेरी ही तरह थोड़ा हेल्थी था इसलिए उसके हाथ भी भारी थे और हाथो की उंगलिया भी,,,,,,बांये हाथ की आखरी ऊँगली में एक चाँदी की एक रिंग थी जो कि थोड़ी टाइट थी।
अपने सामने बैठे एक इंसान को पहली बार में मैंने इतना ऑब्जर्व कर लिया ये जानकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन क्या करू राइटर हूँ न तो ऑब्जर्व करना मेरा काम है। वैसे अपने ही बन्दे को ऑब्जर्व करना गलत नहीं है।
अभी मैं उसे या वो मुझे ठीक से देख पाता इस से पहले ही वेटर आ गया। राघव ने मुझसे आर्डर करने को कहा।
राघव कॉफी पीता था और मैं चाय , अब यहाँ ये हो सकता था कि या तो दोनों चाय पिये या फिर कॉफी लेकिन झुके कौन ? फोन पर बातें करते हुए राघव ने कई बार मुझसे कहा कि वो मेरी चाय छुड़वाकर मुझे कॉफी पीना सीखा देना। वह सामने बैठा मुस्कुराते हुए इसी इंतजार में था कि मैं क्या आर्डर करती हूँ ?
अब मृणाल तो ठहरी मृणाल जो कुछ चीजे शायद कभी अपने लिए भी नहीं बदलती थी।
“एक कोल्ड कॉफी और एक कप चाय”,मैंने वेटर से कहा तो मुस्कुराकर वहा से चला गया
“आपको कॉफी ट्राय करनी चाहिए थी”,राघव ने मेरी तरफ देखकर कहा
“हम चाय प्रेमी है कॉफी को मुंह तक नहीं लगाते”,मैंने भी मुस्कुराकर कहा
“एक दिन आपको कॉफी जरूर पिलाऊंगा”,राघव ने कहा
“देखते है”,मैंने कहा
कुछ देर बाद वेटर चाय और कॉफी ले आया। उसने कॉफी राघव के सामने रखी और चाय का कप मेरे सामने रखकर चला गया। राघव अपने फोन में कुछ देर रहा था उसे बिजी देखकर मैंने चुपके से उसकी एक तस्वीर ले ली जिसके बारे में उसे पता नहीं चला। राघव ने अपना फोन साइड में रखा और कॉफी पीने लगा। मैंने भी अपनी चाय उठा ली और पीने लगी। कुछ देर बातें की और के जाने का वक्त हो गया। राघव का जाने का मन नहीं था लेकिन उसे आज ही वापस गुजरात जाना था। हम दोनों बाहर चले आये राघव ने मुझे चलकर गाड़ी में बैठने को कहा और खुद काउंटर की तरफ चला गया।
बिल चुकाकर राघव वापस आया और ड्राइवर सीट पर आ बैठा। उसने गाड़ी वाली मोड़ दी और कहा,”आपको कहा छोड़ना है ? आपके ऑफिस या घर ?”
“मेरा ऑफिस रास्ते में ही पडेगा तो आप मुझे वहा छोड़ दीजियेगा”,मैंने कहा
“ठीक है !”,राघव ने कहा और सीट बेल्ट पहन लिया। वक्त बहुत जल्दी गुजर गया। राघव सिर्फ 20 मिनिट का बोलकर आया था और कब 45 मिनिट हो चुके थे पता ही नहीं चला।
राघव सामने देखते हुए गाड़ी चला रहा था और मैं उसके बगल में खामोश बैठी थी। राघव ने जैसे ही हाथ बढ़ाया मुझे मरियम की कही बात एकदम से याद आ गयी “लड़के बहुत स्मार्ट होते है देखना हाथ तो जरूर पकड़ेगा वो तेरा”
ये सोचकर की राघव भी शायद मेरा हाथ थामेगा मेरी धड़कने एकदम से बढ़ गयी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसने हाथ सिर्फ़ गेयर बदलने के लिए बढ़ाया था। वैसा कुछ नहीं हुआ जैसा मरियम ने कहा था।
मैंने राहत की साँस ली। गाड़ी मेरे ऑफिस से कुछ दूर आकर रुकी तो मैंने राघव से कहा,”क्या मैं आपको हाई वे तक छोड़कर आउ ?”
“आपको ऑफिस आने में देर नहीं होगी ?”,राघव ने कहा
“नहीं मैंने आज हाफ डे लिया है”,मैंने झिझकते हुए कहा क्योकि मैं जो कहना चाहती थी वो साफ नहीं कह पा रही थी।
मेरी शक्ल देखकर राघव समझ गया कि मैं उसके साथ कुछ वक्त और बिताना चाहती हूँ तो उसने हामी भर दी और गाड़ी आगे बढ़ा दी। ऑफिस से हाई वे 10 मिनिट की दूरी पर था। राघव को अपने गांव उसी रास्ते से होकर जाना था और मेरे लिए ये 10 मिनिट काफी थे।
अभी कुछ दूर ही चले थे कि राघव का फोन बजा। फोन उसके पापा का था वो शायद उनसे पूछ रहे थे कि कहा हो ?
राघव ने झूठ कहा उसने कहा कि वह बस घर ही आ रहा है।
“आपने उनसे झूठ क्यों कहा ?”,मैंने फोन रखने के बाद उस से पूछ लिया
“वो मैंने घर में किसी को बताया नहीं है कि मैं आपसे मिलने आया हूँ”,राघव ने कहा
“क्यों ? बता देना चाहिए था , वो मना थोड़ी करते आने से”,मैंने राघव की तरफ देखकर कहा
“मना नहीं करते मुझे छेड़ते”,राघव ने मुस्कुरा कर कहा तो मैं उसकी हालत पर मुस्कुरा उठी।
“ये आपके लिए”,मैंने डिब्बा राघव की तरफ बढाकर कहा
“ये क्या है ?”,उसने पूछा
“घर जाकर देख लीजियेगा , आपके फेवरेट है”,मैंने मुस्कुरा कर कहा।
“ठीक है”,राघव ने डिब्बा साइड में रखते हुए कहा
“और ये भी”,मैंने चॉकलेट भी राघव की तरफ बढ़ा दी तो उसने उसे ड्रॉवर में रखते हुए कहा,”ये मैं अकेला खाने वाला हूँ”
“अकेले क्यों आप सब के साथ शेयर भी कर सकते है”,मैंने कहा
“ये मेरे लिए स्पेशल आया है तो मैं ही खाऊंगा”,राघव ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा मैं फिर मुस्कुरा उठी।
बाते करते हुए गाड़ी हाई-वे पहुंची। राघव ने साइड में गाड़ी रोक दी और खुद गाड़ी से उतरते हुए कहा,”आप बैठो मैं अभी आता हूँ”
कुछ देर बाद राघव आया उसके हाथ में एक कैरी बैग था उसने वह मेरी तरफ बढ़ा दिया। उसमे कुछ चॉकलेट्स थे। मैंने उन्हें अपने पर्स में रखा और राघव की तरफ देखकर कहा,”तो मैं जाऊ ?”
राघव ने कुछ नहीं कहा बस सामने देखते हुए मुस्कुराने लगा शायद मुझे अलविदा कहने का उसका मन नहीं था।
उसे चुप देखकर मैंने कहा,”मैं चलती हूँ और आपको भी जाना चाहिए देर हो जाएगी”
“हम्म्म ठीक है ध्यान से जाना”,राघव ने कहा
“ठीक है”,कहते हुए मैं गाड़ी से उतर गयी और पास ही खड़े ऑटो वाले को ऑफिस का एड्रेस बताकर उसमे बैठ गयी। ऑटोवाले ने यू टर्न लिया और आगे बढ़ा दिया।
ऑटो के साइड में लगे शीशे पर जब मेरी नजर पड़ी तो पाया कि राघव की गाड़ी अभी भी वही खड़ी है और वह अपनी गाड़ी के बाहर लगे शीशे में जाते हुए ऑटो को देख रहा है। मैं मुस्कुराते हुए सामने देखने लगी। आज का दिन मेरे लिए काफी अच्छा था। राघव के साथ गुजारे उस 1 घंटे में मैंने महसूस किया की राघव सच में एक अच्छा इंसान है। ऑटो में बैठी मैं राघव के बारे में ही सोच रही थी।
मुस्कुराहट मेरे होंठो से हटने का नाम नहीं ले रही थी। हवा से उड़कर मेरे बाल बार बार मेरे चेहरे पर आ रहे थे लेकिन आज मुझे खीज होने के बजाय अच्छा लग रहा था। मौसम भी काफी अच्छा था आज से पहले मुझे ये शहर इतना खूबसूरत और दिलकश कभी नहीं लगा था। मैं मुस्कुराते हुए गुजरती दुकानों और सड़को को देखे जा रही थी।
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संजना किरोड़ीवाल
Raghav apne city wapas janne se pehle Mrunal se milna chahata aur Mrunal bi yahi chahati uski mummy ne bi usse permission bi deti dono bahar mile aur saath ne kuch waqt bitaya jisse ki dono kush hai aur phir dono apne apne raste chale gaye…nice part Maam♥♥♥
hi mam mai aapki likhi hui kahaniya pichale 3 sal se padh aur sun rahi hu mai aapki bahut badi fan hu……. maine apki “Aur pyar ho Gaya” story sabase pahale Pocket Fm par suni thi mujhe vahi se aap acchi lagane lagi Fir maine 2 story kitani mohabbat hai ise chuna sunane ke liye aur vah mere life mai ek turnning point tha pyar ko samjhane ke liye mai bhi chahati thi ki koi akshad jaisa aaye mere life mai jo mujhe bhi vaise hi na sahi toda sa pyar kare……….. aur vo aaye bhi mere husband……….. ji aaj maine aapki sakinama story ka last part padha use padh kar esa laga jaise ki aap ne jo kaha vah sach hai ………….. mai bhi pehale nidar , swabhimani, khud ko imporatance dene vali, ek independent ladki thi par aaj mai sirf apne husaband ki wife ban chuki hu………. jaise vo chahate hai vaise chal rahi hu……… jaise ghar vale kahate bas sun rahi hu…………… par mujhe yakin hai……….. aapki stories se mujhe prerana milati hai mai un characters ki tarah apni soch ko karna chahati hu shant, sulazi hui, aur sabase pyar se rahe ne wali, taki meri life kisi bhi tarah se spoil na ho………… aap yese hi stories likh ti rahiye jisase hame motivation milata rahe………….. in 3 salon main………. main pahlibar kuch comment kar rahi hu………… maine aapko utube par bhi follow kar rakha hai aur mai apko bahut jada manati hu……… apki banaras ko lekar jo soch hai usase pata chalata hai aap dharmik swabhav ki hai……. aap ki vajah se jab koi banaras ho ya koi bhi esi jagah ho jiska nam sun kar dil ko tasalli mile to mai apko yad kar leti hu banras to maine nahi dekha par aapki kahaniyome jaise kaha vaise mene bhi sukun ki kalpna ki hai…………… thaks mam to change my thoughts…………… mujhe sahan shakti dene ke liye kyonki jab mai tuti thi ke ab mujhase yeh nahi honga mai shadi ke 1 sal bad hi thak gai thi rishta nibha ne se par us vakt aap mere sath thi isliye mai aapko intana jada admire karti hu……… love you mam……………dil se………….
Thankyou so Much and so sweet of you ! Lots of Love