Pasandida Aurat – 41
Pasandida Aurat – 41

अवनि सिद्धार्थ से बाते करने में इतना खो गयी कि उसे बैंक जाने का ख्याल भी नहीं रहा। सिद्धार्थ से बात करते हुए वह जैसे ही पलटी उसकी नजर घडी पर पड़ी और अवनि ने घबराहट भरे स्वर में कहा,”ओह्ह्ह शिट ! आपसे बाते करते हुए मुझे वक्त का ख्याल ही नहीं रहा,,,,,,,,मुझे तैयार होकर बैंक जाना है हम बाद में बात करे,,,,,,!!”
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,,,अच्छा अवनि”,सिद्धार्थ ने कहा
“जी कहिये”,अवनि ने पूछा
“तैयार होकर क्या तुम मुझे अपनी एक तस्वीर भेजोगी ? if you don’t mind”,सिद्धार्थ ने सधे हुए स्वर में कहा
अवनि ने सुना तो कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”मैं , मैं रखती हूँ”
“हम्म ठीक है बाय , अपना ख्याल रखना”,सिद्धार्थ ने कहा और फोन काट दिया।
अवनि ने फोन टेबल पर रखा और शीशे के सामने आकर अपने बालों की चोटी बनाने लगी। सिद्धार्थ के कहे आखरी शब्द “अपना ख्याल रखना” उसके कानो में गूंज रहे थे।
अवनि ने कभी सोचा नहीं था उसकी जिंदगी में कोई ऐसा भी आएगा जो उसकी इतनी परवाह करेगा। वह मुस्कुरा उठी , उसने चोटी बनायीं , आँखों में काजल लगाया और होंठो पर हल्की लिपस्टिक लगाकर ललाट पर छोटी काली बिंदी लगा ली। अवनि ने एक नजर खुद को शीशे में देखा बाकि दिनों के बजाय वह आज थोड़ी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
उसने टेबल पर पड़ी डायरी को बंद करके दराज में रखा , अपना बैग उठया और फोन उठाकर जैसे ही जाने लगी सिद्धार्थ की कही बात उसे याद आयी “तैयार होकर क्या तुम मुझे अपनी एक तस्वीर भेजोगी ? if you don’t mind”
अवनि कुछ देर सोच मे पड़ गयी और फिर उसने अपनी एक प्यारी सी तस्वीर खींचकर सिद्धार्थ को भेज दी। उसने अपना फोन बैग में रखा और कमरे से बाहर निकल गयी।
सिद्धार्थ अपने कमरे की बालकनी में खड़ा चाय पी रहा था तभी उसके फोन की मेसेज रिंग बजी। सिद्धार्थ चाय पीते हुए फ़ोन की तरफ आया अपना फोन उठाया। स्क्रीन पर अवनि का नाम देखकर ही सिद्धार्थ के होंठो पर एक मुस्कान तैर गयी उसने मैसेज खोलकर देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं। वह एकटक अवनि की तस्वीर को देखता रहा।
अवनि की खूबसूरती और उसकी सादगी सिद्धार्थ की आँखों में उतरती जा रही थी। अवनि को वह पहले दिन से ही पसंद करने लगा था और अब अवनि के लिए उसकी भावनाये और बढ़ने लगी थी। सिद्धार्थ ने लिखकर भेजा “Beautiful ! सादगी में भी कोई इतना खूबसूरत लग सकता है , ये मैं पहली बार देख रहा हूँ”
सिद्धार्थ अवनि की तस्वीर को जी भरकर देख पाता इस से पहले ही जगदीश जी ने आकर कहा,”सिद्धार्थ , तैयार हो जाओ हमे भाईसाहब के घर जाना है , आज उनके यहाँ पूजा है और खाने का प्रोग्राम भी है,,,,,,मैंने भाईसाहब से कहा है कि तुम भी हमारे साथ आ रहे हो”
“आपने उन्हें मेरे बारे में क्यों कहा ? मैं कही नहीं जा रहा वैसे भी मुझे बहुत काम है,,,,,,,,,,,और आप लोगो को जाना है तो मैं आप लोगो के लिए ओला बुक कर दूंगा आप और मम्मी उस से चले जाईये”,सिद्धार्थ ने कहा
“तुम्हे वहा जाने में क्या परेशानी है ? सिर्फ जाना है खाना खाना है और वापस आ जाना है अब क्या इतना भी नहीं कर सकते तुम ? और फॅमिली से बड़ा कौनसा
काम हो गया ?”,जगदीश जी ने थोड़ा गुस्से से कहा इतने में गिरिजा वहा आ पहुंची और कहा,”अरे क्या हुआ आप दोनों किस बात पर झगड़ रहे है ?”
“जरा पूछो अपने बेटे से इसे अब भाईसाहब के यहाँ जाने में क्या परेशानी है ?”,जगदीश जी ने कहा
“सिद्दू क्या हुआ है तुम्हे ? वैसे भी थोड़ी देर का फंक्शन है चलो ना,,,,,,,,!!”,गिरिजा ने प्यार से कहा
“मम्मी आप समझती क्यों नहीं है ? मैं वहा गया और ताऊजी ने फिर वही शादी वाला ताना मारा तो मैं कह रहा हूँ मैं इस बार चुप नहीं रहूंगा , बड़े है इसका मतलब ये नहीं है कि वे कुछ भी कहे और मैं चुपचाप सुनता रहू”,सिद्धार्थ ने चिढ़कर कहा
“कोई कुछ नहीं कहेगा , तुम तैयार हो जाओ मैं और पापा बाहर इंतजार कर रहे है , चलिए आप भी”,कहकर गिरिजी जगदीश जी को भी अपने साथ लेकर सिद्धार्थ के कमरे से बाहर चली गयी।
“हाह ! कहा मैं आज शाम अवनि के बैंक जाकर उसे सरप्राइज देने वाला था और कहा इन लोगो ने मेरे प्लान पर पानी फेर दिया,,,,,,,,,,!”,सिद्धार्थ बड़बड़ाया और फिर फंक्शन में जाने के लिए तैयार होने लगा।
सुख विलास , उदयपुर
“वकील साहब ! मैंने जो जो आपसे कहा वो सब आपने वसीहत में लिखा ना ?”,अपने कमरे में बैठे विश्वास जी ने अपने सामने बैठे फॅमिली वकील से कहा
“हाँ विश्वास जी ! ये घर , बैंक में आपकी सेविंग्स और 200 अकड़ की बाहरी जमीन आपकी बेटी ‘अवनि मलिक’ के नाम लिख दी है। आपके जाने के बाद इन सब पर अवनि का हक़ होगा लेकिन आपने अपनी FD के चार हिस्से अपने भाईयो के बच्चो के नाम क्यों लिखवाये है ? माफ़ करना विश्वास जी मुझे आपके पारिवारिक मामलो में बोलने का हक़ तो नहीं है पर जैसा आपके भाईयो का आपके साथ बर्ताव है आपको ये नहीं करना चाहिए। ये पैसे भी अवनि के काम आ सकते थे”,वकील ने चिन्ताभरे स्वर में कहा
विश्वास जी मुस्कुराये और कहने लगे,”अपने भाईयो और उनकी बुरी नियत से मैं अनजान नहीं हु वकील साहब , बड़ा भाई होने के नाते मेरा ये फर्ज बनता है कि मैं अपने परिवार को टूटने ना दू और सबको साथ लेकर चलू। मेरे दोनों भाईयो के जो हालात है उसमे उनकी स्वार्थ पूर्ति तो मैं नहीं कर सकता लेकिन हाँ उनके बच्चो के भविष्य के लिए अपनी जमा पूंजी का कुछ हिस्सा दे सकता हूँ। इस घर के बच्चे मुझे उतने ही अजीज है जितनी मेरी अपनी बेटी अवनि”
“तो फिर आपने अवनि को घर से क्यों निकाल दिया ?”,वकील साहब ने जिज्ञाशाभरे स्वर में पूछा
विश्वास जी ने सुना तो शांत हो गए और आँखों में नमी तैर गयी। उन्होंने वकील साहब की तरफ देखा और कहने लगे,”मैं मजबूर था वकील साहब ! अगर मैं अवनि को इस घर से ना निकालता तो इस घर के लोग उसे जीने नहीं देते। उसकी गलती को लेकर उसके मन में इतनी हीन भावना भर देते कि वह इस घर में एक ज़िंदा लाश बनकर रह जाती और मैं ये नहीं देख सकता था।
मैंने जान बूझकर उसे इस घर से खुद से दूर किया ताकि वह अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जी सके , अपने सपनो को पूरा कर सके और अपने लिए एक बेहतर इंसान चुन सके। मैं उसे इस घर में जिल्लत भरी जिंदगी जीते नहीं देख सकता था , दिन रात नौकरो की तरह सबकी सेवा करते , माँ जैसी चाचियों की जली कटी बाते सुनते नहीं देख सकता था इसलिए अपने सीने पर पत्थर रखकर उसे जाने को कह दिया। उसे जाते देखकर मुझे कितनी तकलीफ हुई ये सिर्फ मैं जानता हूँ।
मैं अगर उसे ये सब वजह बताकर जाने को कहता तो वह मुझे छोड़कर कभी नहीं जाती इसलिए जितना बुरा बर्ताव मैं उसके साथ कर सकता था मैंने किया और वो चली गयी,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते विश्वास जी का गला भर आया और वे रुक गए। वकील साहब ने सुना तो उनकी आँखों में भी नमी उभर आयी क्योकि वे बचपन से अवनि को इस घर में देखते आ रहे थे। उन्होंने विश्वास जी के हाथ पर अपना हाथ रखा और अपनेपन से कहा,”फिर आप अवनि के साथ क्यों नहीं चले गए ?”
विश्वास जी ने आँखों के किनारे साफ किये और कहा,”मजबूर था वकील साहब ! इन सबका बड़ा भाई होने के नाते अपने पिताजी को उनके आखरी वक्त में ये वचन दिया था कि इस घर को कभी बिखरने नहीं दूंगा। मैं इस घर से नहीं जा सकता और अवनि इस घर में नहीं रह सकती,,,,,,,!!”
“हम्म्म्म ! आपकी स्तिथि काफी तकलीफदेह है विश्वास जी पर भरोसा रखिये सब ठीक हो जाएगा और अवनि भी ख़ुशी ख़ुशी इस घर में वापस आएगी”,वकील साहब ने उदासीभरे स्वर में कहा
“मरने से पहले इस परिवार को पहले जैसा देखना चाहता हूँ वकील साहब , जहा भाईयो के मन में मेरे लिए सम्मान और प्यार रहे , बहुओ के मन में अवनि के लिए ममता रहे , घर के बच्चे आपस में एक दूसरे की ख़ुशी की वजह बने और अवनि , अवनि अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहे बस,,,,,,,,,!!”,विश्वास जी ने अपना सर आराम कुर्सी पर झुकाकर कहा।
विश्वास जी का दर्द और भावनाये वकील साहब समझ रहे थे। वे कुछ देर रुके और फिर सभी फाइल और कागज समेटकर उठते हुए कहा,”अच्छा विश्वास जी अब मैं चलता हूँ। दो चार दिन में वसीहतनामा बन जाएगा तब मैं आपको फोन करता हूँ। आप कोर्ट आ सकते है तो ठीक वरना मैं घर आ जाऊंगा”
“आप परेशान मत होईये वकील साहब मैं कोर्ट ही आ जाऊंगा वैसे भी अगले महीने रिटायरमेंट है तो अब वक्त ही वक्त है”,विश्वास जी ने कहा
“जी जैसा आपको ठीक लगे,,,,,,,,,,चलता हूँ , राम राम”,वकील साहब ने कहा और वहा से निकल गए लेकिन कमरे के बाहर दरवाजे से कान लगाए खड़ी मीनाक्षी को देखकर ठिठके तो मीनाक्षी जल्दी से दूर हटी और घबराकर कहा,”अह्ह्ह वो मैं तो आप लोगो से चाय के लिए पूछने आयी थी , वैसे मैंने कुछ नहीं सुना”
मीनाक्षी की बात सुनकर वकील साहब मुस्कुराये और उसे साइड में लाकर कहा,”आपने नहीं सुना पर आप चाहे तो मैं आपको बता सकता हूँ अंदर क्या बात चल रही थी”
“हाँ ! तो बताईये ना , जरूर भाईसाहब ने सब बेच-बाच कर यहाँ से भागने का मन बना लिया है”,मीनाक्षी ने कहा
वकील साहब ने अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ा और कहा,”देखिये मैं वकील हूँ बिना फीस लिए मैं एडवाइज भी नहीं देता”
मीनाक्षी ने सुना तो वकील साहब से रुकने को कहा और कुछ देर बाद वापस चली आयी उसने हाथ में पकड़ा 500 का नोट वकील साहब की तरफ बढ़ाया और दबी आवाज में कहा,”अब बताईये भाईसाहब ने आपको क्यों बुलाया है ?”
वकील ने खुश होकर 500 का नोट अपनी जेब में रखा और कहा,”विश्वास जी ने मुझसे वसीहतनामा बनवाया है , वो कह रहे थे कि अगर आने वाले 6 महीनो में इस घर के लोगो का बर्ताव उनके साथ अच्छा रहा तो वे ये घर दोनों भाईयो के नाम कर देंगे।”
मीनाक्षी से सुना तो हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी और ख़ुशी से दिल धड़कने लगा इतना बड़ा घर विश्वास जी दोनों भाईयो के नाम कर देंगे यही तो वे लोग चाहते थे। मीनाक्षी ने ख़ुशी से भरकर कहा,”ए वकील साहब आप झूठ तो नहीं कर रहे है ना ? भाईसाहब ने तो ये घर पहले ही अवनि के नाम कर दिया है फिर अवनि ये घर हमारे नाम क्यों करने देगी ?”
“बिल्कुल करने देगी जब वह देखेगी विश्वास जी इस घर में खुश है और आप लोग उनका ख्याल रख रहे है तो अवनि को भला इस बात से क्या परेशानी होगी। मेरी बात मानिये मीनाक्षी जी सिर्फ 6 महीने की ही तो बात है , एक बार घर आप सबके नाम हो जाये उसके बाद आप जो चाहे करे ना अवनि कुछ कर पायेगी ना विश्वास जी,,,,,,,,,,,अब मैं चलता हूँ”,कहकर वकील साहब आगे बढ़ गए
मीनाक्षी वकील साहब की बातो में आ गयी और खुश होकर दिन में ही सपने देखने लगी। वकील साहब ने जाते जाते पलटकर मीनाक्षी को देखा और बड़बड़ाये,”विश्वास जी इस परिवार को पहले जैसा बनाने में थोड़ा योगदान तो मेरा भी रहेगा आखिर अवनि मेरी बेटी जैसी ही तो है”
वकील साहब वहा से चले गए और मीनाक्षी ख़ुशी से मुस्कुराती आँखे चमकाती हॉल में खड़ी खुश हो रही थी तभी मयंक उसके पास आया और कहा,”मैं खाने का इंतजार कर रहा हूँ और तुम यहाँ खड़ी हो , चलकर मेरे लिए खाना लगाओ फिर मुझे वापस जाकर बैंक मैनेजर से भी मिलना है”
“भाईसाहब ने अभी तक खाना नहीं खाया”,मीनाक्षी ने मयंक की तरफ पलटकर कहा
“तो ?”,मयंक ने चिढ़े हुए स्वर में कहा
“वो घर के बड़े है पहले उन्हें खिलाकर आती हूँ तब तक आप हाथ मुंह धोकर आईये”,कहकर मीनाक्षी किचन की तरफ बढ़ गयी। मयंक ने सुना तो हैरानी से जाती हुई मीनाक्षी को देखता रहा और कहा,”इसे क्या हो गया है ?”
मीनाक्षी ने किचन में आकर थाली उठायी , उसमे विश्वास जी के लिए गर्मागर्म खाना परोसा और डायनिंग टेबल पर लाकर रख दिया और खुद विश्वास जी को खाने के लिए बुलाने उनके कमरे में चली गयी।
आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद पृथ्वी शाम में घर आया। वह काफी थका हुआ था इसलिए उसने गुनगुने पानी का एक शॉवर लिया और ट्राउजर टीशर्ट पहनकर किचन में चला आया
पृथ्वी ने अपने लिए चाय बनायीं और लेकर बालकनी में चला आया। सूरज ढल रहा रहा और ढलने के साथ ही आसमान में अपनी लालिमा बिखेरे हुए था। शाम के समय अपनी बालकनी में खड़े होकर खाली आसमान और ऊँची इमारते देखना पृथ्वी को बहुत पसंद था।
वह चाय पीते हुए अवनि के बारे में सोचने लगा , अभी तक उसने अवनि की सिर्फ एक तस्वीर देखी थी और कुछ कहानिया पढ़ी थी। अवनि की लिखी कहानियो का ख्याल आते ही पृथ्वी बड़बड़ाया,”जो लड़की इतनी खूबसूरत प्रेम कहानिया लिखती है वो असल में किसी से मोहब्बत करेगी तो कैसी होगी ? आई थिंक सबसे अलग , क्योकि जो एक काल्पनिक कहानी में इतने इमोशन डाल सकता है वो खुद कितना इमोशनल होगा,,,,,,,,,अवनि मलिक , कुछ तो बात है इसमें वरना मुझ जैसा इंसान इसकी लिखी किताबे क्यों पढता,,,,,,,,,
नकुल ने कहा था कि वो इसे सोशल मीडिआ पर ढूंढने वाला है। इतनी बड़ी राइटर है तो ऑफकोर्स फेसबुक इंस्टाग्राम पर इसका प्रोफाइल होगा , मुझे देखना चाहिए,,,,,,,,देखना क्या चाहिए मुझे इस से बात करनी चाहिए,,,,,,,हाह ! पर क्या वो मुझसे बात करेगी ? आई मीन मुझ जैसे कितने ही लोग उसे मैसेज करते होंगे , फॉलो करते होंगे हो सकता है वो मेरे मैसेज पर ध्यान भी ना दे,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह कम ऑन पृथ्वी तुम्हारी डिक्शनरी में “हार” शब्द ही नहीं है , तुमने बस जीतना सीखा है,,,,,,,,,,,,,एंड रिमेम्बर “Never Give Up”
चाय पीते हुए पृथ्वी खुद से ही बाते किये जा रहा था। उसने एक हाथ में चाय का कप थामे दूसरे हाथ से अपना फोन निकाला और सबसे पहले इंस्टाग्राम खोला , सर्च बॉक्स में जाकर “अवनि मलिक” लिखा और अवनि का नाम लिखते हुए हर लेटर के साथ उसके दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी। पृथ्वी ने सर्च किया और अगले ही पल अवनि का इंस्टाग्राम प्रोफाइल पृथ्वी के सामने था। प्रोफाइल पिक्चर में अवनि की एक और नयी तस्वीर जो बनारस के किसी घाट की थी। साथ ही बायो में कुछ अवनि के बारे में लिखा था।
कुछ हाइलाइट्स थे जिनमे अवनि ने अपनी कई तस्वीरें शेयर की थी और उसके बाद थी नीचे अवनि की लिखी कविताये , शायरी और तस्वीरें,,,,,,,,,,पृथ्वी ने अवनि की लिखी कुछ कविताएं देखी , कुछ कोट्स पढ़े और फिर एकाएक उसकी नजर प्रोफाइल पिक्चर पर घूमते गोले पर पड़ी जिसका मतलब होता है कि यूजर ने कोई नयी स्टोरी पोस्ट की है। पृथ्वी ने उसे खोलकर देखा तो पाया कि वह एक “QNA” पोस्ट था जिसे अवनि ने अपने पाठकों और चाहने वालो के लिए पोस्ट किया था
जहा सब अवनि से अपना सवाल कर सकते थे या उसे कुछ कह सकते थे। पृथ्वी को वो काफी इंट्रेस्टिंग लगा। चाय पीते हुए पृथ्वी अवनि के दिए जवाबो को पढ़ने लगा। बीच बीच में वह मुस्कुरा उठता , कभी तो जोर से हंस पड़ता तो कभी अवनि के जवाबो से हैरान ,, पृथ्वी ने महसूस किया कि अवनि सिर्फ कहानिया ही अच्छी नहीं लिखती थी बल्कि उसका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी काफी अच्छा था , वह खुशमिजाज और काफी पॉजिटिव इंसान भी है।
पृथ्वी ने अपनी चाय खत्म की और इसके साथ ही उसके जहन में ये ख्याल आया कि अगर मैं अवनि को मैसेज ना करके बाकि सबकी तरह उस से सवाल पुछु तो क्या वह जवाब देगी ? इसी के साथ पृथ्वी ने तुरंत QNA में लिखकर भेज दिया “अगर किसी को प्यार हो जाये तो उसे कैसे समझ आएगा ?”
पृथ्वी ने लिखकर तो भेज दिया पर अब उसका दिल बेचैनी से घिरा हुआ था , वह बार बार अवनि की स्टोरी चेक करता लेकिन अवनि का कोई जवाब नहीं आया। पृथ्वी खाना खाने घर के लिए निकल गया। वहा भी वह बार बार अपना फोन देख रहा था और उसे ऐसा करते हुए लता , रवि और लक्षित लेकिन तीनो ने कुछ नहीं कहा
पृथ्वी ने खाना खाया और अपने फ्लेट पर चला आया , उसे अभी भी अवनि के जवाब का इंतजार था लेकिन अवनि ने कोई जवाब नहीं दिया। पृथ्वी समझ गया कि अवनि का जवाब नहीं आएगा इसलिए सोने चला गया लेकिन नींद आँखो से कोसो दूर और उस पर अनचाहे ख्याल , पृथ्वी ने एक आखरी उम्मीद में फोन उठाया इनबॉक्स में अवनि का जवाब था जिसे पढ़कर पृथ्वी का दिल धड़क उठा
“गलत इंसान से पूछ रहे हो , उस से पूछो जो इन सब में विश्वास रखता हो”
अवनि का जवाब पढ़कर पृथ्वी की सारी एक्साइटमेंट ही ख़त्म हो गयी। उसने फोन बंद किया और साइड में रखकर खुद से कहा,”हाह ! ये तो बहुत गुस्से वाली लड़की है पृथ्वी , आई थिंक तुम्हे इस से दूर रहना चाहिए”
और आज के इस आखरी ख्याल के साथ पृथ्वी ने आँखे मूँद ली और नींद के आगोश में चला गया।
( क्या अवनि का दिल जीतने के लिए सिद्धार्थ करेगा उसके लिए कुछ ख़ास ? क्या विश्वास जी का फैसला जोड़ पायेगा इस घर की डोर ? क्या पृथ्वी सच में हो जाएगा अवनि से दूर हो भूल जाएगा उसे ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल


Mujhe to esa laga ki jaise Prithvi Avni nhi, balki Sanjana ji k bare m baat kar raha hai, sab kuch to Avni ka Sanjana ji match ho Raha hai, bas ek nature ko chod kar… Avni shant hai aur hamari writer Sahiba uske bilkul ulat…but jaise bhi hai, hume bahot azeez hai…lakin yaha to Avni ne Prithvi ka dil tod diya…but Prithvi bhi haar nhi manega…but yaha to Avni Siddarth pe dil haar chuki hai…tabhi to usko apni photo bhej dee…ohhhaaaa yeh Avni aur Siddarth ki love story suru ho chuki hai mere hisab se to