Pasandida Aurat – 10

Pasandida Aurat – 10

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सुरभि के कहने पर अवनि ने सफ़ेद रंग वाला सूट पहन लिया , मेकअप के नाम पर ललाट पर छोटी काली बिंदी लगा ली और होंठो पर हल्की सी लिप ग्लॉस लगाकर बालों की सीधी मांग निकालकर चोटी गूँथ ली। दुप्पट्टा अपने गले में डाला और आज पुरे एक हफ्ते बाद अवनि शीशे में खुद को देखकर हल्का सा मुस्कुराई।

अपनी माँ की तस्वीर के सामने आकर खड़ी हो गयी उनकी तस्वीर हाथो में उठाकर कहा,”माँ ! आज मेरा रिजल्ट आया है और अब मैं एक सरकारी अफसर बन गयी हूँ,,,,,,,,पापा ने मुझ पर जो भरोसा किया था वो मैंने पूरा किया माँ , आज पापा ये बात सुनेंगे तो हो सकता है मुझे माफ़ कर दे,,,,,,,अभी मैं सुरभि के साथ मंदिर जा रही हूँ महादेव का शुक्रिया अदा करने,,,,,,चलती हूँ”
अवनि ने तस्वीर को पोछा और टेबल पर वापस रख दिया। उसने अपना फोन और पर्स लिया और कमरे से बाहर निकल गयी। अवनि नीचे आयी तो देखा


दीपिका हॉल में बैठकर अपनी पढाई कर रही थी। नितिन और अंशु भी वही बैठकर अपना होमवर्क कर रहे थे। सीमा मंदिर की सफाई कर रही थी और मीनाक्षी रसोई में रात के खाने की तैयारी कर रही थी। कौशल और मयंक अपने अपने ऑफिस गए हुए थे और विश्वास जी किसी काम से बाहर , आज उनकी ऑफिस की छुट्टी थी। दिनभर घर में ही थे इसलिए शाम में टहलने बाहर चले गए। सलोनी अभी अपनी कोचिंग से घर नहीं आयी थी और कार्तिक अपने जिम गया हुआ था।

अवनि हॉल में आयी उसे देखकर दीपिका हल्का सा मुस्कुरा दी , अवनि ने नितिन का सर सहलाया तो उसने सर उठाकर अवनि को देखा और मुस्कुरा दिया। अंशु ने अवनि को देखा तो उसके पास आयी और कहा,”अवनि दीदी ! आप बाहर जा रहे हो ?”
“हाँ,,,,,,,,,,!”,अवनि ने कहा
मंदिर में सफाई करती सीमा ने सुना तो पलटकर ख़ामोशी से अवनि को देखा और फिर वापस अपने काम में लग गयी।


“तो क्या आप मेरे लिए नया पेन लेकर आएंगी प्लीज , ये नितिन भैया मुझे अपना पेन नहीं दे रहे”,अंशु ने मासूमियत से कहा
“पेन बड़ी क्लास के बच्चो के लिए होता है तुम अभी छोटी हो तुम्हे पेन्सिल से ही लिखना चाहिए,,,,,,,,,है ना अवनि दीदी ?”,नितिन ने अंशु से कहा और फिर अवनि की तरफ देखने लगा
“बात तो भैया सही कह रहे है पर कोई बात नहीं मैं तुम्हारे लिए एक नया पेन ले आउंगी”,अवनि ने अंशु का गाल छूकर कहा


“कोई जरूरत नहीं है,,,,,,,!!”,मीनाक्षी ने अंशु की बाँह पकड़कर उसे अवनि से दूर करके कहा
अवनि ने सुना तो उसे मीनाक्षी के इस बर्ताव पर बहुत हैरानी हुई और उसने कहा,”लेकिन चाची इसने सिर्फ मुझसे एक पेन ही तो मांगा है”
“हाँ जानती हु और तुम्हे इस पर ये अहसान करने की कोई जरूरत नहीं है , दूर रहो मेरे बच्चो से तुम्हारे साथ रहेगी तो ये भी तुम्हारे जैसी बन जाएगी”,मीनाक्षी ने नफरत भरे स्वर में कहा


उसका कहा एक एक शब्द अवनि के सीने में किसी फ़ांस की तरह चुभ रहा था , उसकी आँखों में आँसू भर आये और उसने कहा,”मेरे जैसी बन जाएगी से आपका क्या मतलब है चाची और इतनी छोटी बच्ची को मैं क्या ही गलत सीखा दूंगी ? आखिर आप मुझसे इतनी नफरत क्यों करती है मैंने तो कभी आपसे ऊँची आवाज में बात तक नहीं की , न कभी आपकी कोई बात टाली फिर मेरे प्रति आपका ये बर्ताव क्यों ?”
“रहने दो अवनि अभी मैंने सच कहा तो सुन नहीं पाओगी , तुमने अपने पापा की इज्जत की परवाह नहीं की तुम्हे हम लोगो की क्या ही परवाह होगी,,,,,,,!!”,मीनाक्षी ने नफरत भरे स्वर में कहा


“मैंने कुछ गलत नहीं किया है ये आप लोग भी जानते है और पापा भी इसके बाद भी आप लोग इन सब के लिए मुझे जिम्मेदार क्यों मान रहे है ? एक शादी ही तो टूटी है ना वो भी ऐसे इंसान से जो मेरे लायक नहीं था ,, मुझे अपनी शादी टूटने का जरा भी अफ़सोस नहीं है चाची और ना ही ऐसे घटिया लोगो से रिश्ता तोड़ने का अफ़सोस मुझे कभी होगा”,आज अवनि ने पहली बार मीनाक्षी के सामने गुस्से से थोड़ा ऊँचे स्वर में कहा


मीनाक्षी ने सुना तो उसके सीने पर साँप लौट गए और उसने कहा,”हाँ हाँ तुम्हे अफ़सोस क्यों होगा ? इज्जत तो इस घर की गयी है ना , अरे अब कौन करेगा तुम से शादी ये सोचा है तुमने ? पहले पढाई के बहाने भाईसाहब ने शादी नहीं करवाई और अब जब शादी करने की बारी आयी तो तुमने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली,,,,,,,,तुम जैसी लड़कियों के घर कभी नहीं बसते अवनि”


मीनाक्षी को जहर उगलते देखकर सीमा उठी और उसकी तरफ आकर उसे फटकार लगाते हुए कहा,”मीनाक्षी ! बच्चो के सामने ये कैसी बाते कर रही हो तुम ? और अवनि से ये सब कहने वाली तुम कौन होती हो ? ठीक है हो गयी उस से गलती तो अब क्या जान ले लोगी उसकी,,,,,,,!!!”
अपने जेठानी की फटकार सुनकर मीनाक्षी खामोश हो गयी लेकिन अवनि के लिए उसकी आँखों से नफरत अभी भी झलक रही थी। मीनाक्षी ने अपने दोनों बच्चो का हाथ पकड़ा और अवनि के सामने से ले जाते हुए कहा,”तो फिर आप भी कह दीजिये इस से कि मेरे बच्चो से ये दूर रहे,,,,,,,,,,!!”

अवनि ने सुना तो उसकी आँखों में आँसू भर आये और उसने सीमा की तरफ देखकर कहा,”चाची क्या आपको भी लगता है मुझसे गलती हुई है ?”
कौशल की तरह सीमा के दिल में भी अवनि के लिए थोड़ी हमदर्दी थी वह बस मीनाक्षी और मयंक की वजह से कभी कभी अवनि को खरी खोटी सुना दिया करती थी।

उसने अवनि को देखा और कहा,”देखो अवनि ! गलती तो तुमसे हुई है , उस रात लोगो ने ये नहीं देखा कि तुमने शादी क्यों तोड़ी उन्होंने बस ये देखा कि एक लड़की अपनी शादी के मंडप से उठ गयी। जान पहचान वालो में , मोहल्ले में भाईसाहब और इस घर की कितनी बदनामी हुई है तुम नहीं जानती , तुम अपनी जगह सही थी लेकिन हम लोगो का मुंह तो नहीं पकड़ सकते ना अवनि वे लोग तो कुछ न कुछ बात बनाएंगे ही,,,,,,,,,,जबसे ये सब हुआ है दीपिका और सलोनी का बाहर जाना बंद हो चुका है ,,

पुरे एक हफ्ते बाद सलोनी आज अपने कोचिंग गयी है वरना तो दोनों बहने बाहर निकलने से भी डरती कि कही कोई पडोसी या पहचान वाला आकर इनसे तुम्हारे बारे ना पूछने लगे”
अवनि ख़ामोशी से सब सुनती रही उसने महसूस किया कि सीमा और मीनाक्षी की बातो में कोई फर्क नहीं है मीनाक्षी ने जो चुभती बातें गुस्से से कही , सीमा ने वही बातें प्यार से कहकर अवनि को ये अहसास दिला दिया कि घर में जो भी माहौल खराब है उसकी वजह अवनि है। अवनि ने नम आँखों से सीमा की तरफ देखा और कहा,”आप और मीनाक्षी चाची यही चाहती है ना कि मैं आपके बच्चो से दूर रहूँ तो अब से ऐसा ही होगा चाची”


सीमा ने सुना तो ख़ामोशी से दीपिका की तरफ देखा , लेकिन दीपिका के चेहरे पर गुस्से और आँखों में शिकायत के भाव थे , क्योकि वह आज भी अवनि की तरफ थी बस खुलकर कभी उसके सामने नहीं आ पायी।
सीमा की ख़ामोशी ने अवनि को जवाब दे दिया इसलिए उसने अपनी आँखों के किनारे साफ़ किये और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी।
“इस वक्त तुम कहा जा रही हो ?”,सीमा ने पूछा
अवनि रुकी और बिना पलटे ही जवाब दिया,”ये पूछने का हक़ आज से आपको नहीं है चाची”


अवनि का जवाब सुनकर सीमा आगे कुछ बोल ही नहीं पायी और वही खड़ी अवनि को जाते देखती रही। अवनि के जाने के बाद दीपिका उठी और सीमा के पास आकर कहा,”आप इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती है मम्मी ? अवनि दी की जगह अगर ये हादसा मेरे या सलोनी के साथ हुआ होता तब भी क्या आप ऐसे ही पेश आती ? आपकी सोच कितनी छोटी है मम्मी,,,,,,,अवनि दी का दिल दुखाकर आप सब लोग अच्छा नहीं कर रहे”
अपनी बेटी के मुंह से ऐसी बात सुनकर सीमा को चुभन का अहसास हुआ लेकिन दीपिका की बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था वह बिना कुछ कहे चुपचाप रसोई की तरफ चली गयी। 

घर से बाहर आकर अवनि सुरभि का इन्तजार करने लगी। उसे घर के लेटर बॉक्स में एक खत मिला अवनि ने उसे निकाला वह खत अवनि के लिए ही था। उसके ऑफिस से आया था जिसमे शादी की मुबारकबाद लिखी थी अवनि ने उसे पढ़ा और गुस्से से फाड़कर उसके टुकड़े टुकड़े करने लगी , ये गुस्सा उस मुबारकबाद का नहीं बल्कि अंदर मीनाक्षी और सीमा ने जो कहा उसका था। उसकी आँखों में आँसू थे और चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। वह उस खत को तब तक फाड़ती रही जब तक उस खत के कई सारे टुकड़े नहीं हो गए।


सुरभि ने अपनी स्कूटी अवनि के बगल में रोकी और कहा,”अरे अरे अरे भाई इतना गुस्सा किस बात पर ? और ये तुम क्या फाड् रही हो ?”
सुरभि को वहा देखकर अवनि ने हाथ में पकडे टुकड़ो को मुट्ठी में दबाकर पीछे छुपा लिया और कहा,”कुछ नहीं,,,,,,,,,,कुछ भी नहीं”
“ठीक है पर तुम्हे क्या हुआ है ? तुम्हारा चेहरा इतना लाल और आँखों में ये आँसू किसलिए ?”,सुरभि ने पूछा जो अवनि का चेहरा देखकर ही उसके दिल का हाल जान जाया करती थी।


“वो मीनाक्षी चाची और सीमा चाची वो अभी भी मुझे ही गलत समझ रही है,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर लुढ़क आये
“वो दोनों हमेशा तुम्हारे पीछे क्यों पड़ी रहती है ? खैर छोडो और ये बताओ क्या तुम्हे इस दुनिया में सब लोग पसंद है ?”,सुरभि ने पूछा
“नहीं,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा


“बिल्कुल वैसे ही जरुरी नहीं है ना अवनि इस दुनिया में सब हमे पसंद करे,,,,,कुछ लोग तुम्हे पसंद नहीं करते इसका मतलब ये नहीं है कि तुम अच्छी लड़की नहीं हो , बल्की तुम्हे तो उन पर ध्यान देना चाहिए जो तुम्हे पसंद करते है और मैडम तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू तुम्हे पसंद करने वालो की लाइन में मैं सबसे आगे हूँ”,सुरभि ने कहा


अवनि ने सुना तो मुस्कुरा उठी , उसे मुस्कुराते देखकर सुरभि ने कहा,”चलो अब बैठो वरना वापस आने में देर हो जाएगी”
अवनि सुरभि के पीछे आ बैठी और दोनों सहेलिया मंदिर के लिए निकल गयी।

महाकालेश्वर महादेव मंदिर , उदयपुर
राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो फतेह सागर झील के पास है और भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर अपने शांत वातावरण, प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक शांति के लिए जाना जाता है। सुरभि की स्कूटी मंदिर के बाहर आकर रुकी। अवनि नीचे उतर गयी और सुरभि स्कूटी साइड में लगाकर अवनि के पास चली आयी। दोनों अंदर चली आयी। अवनि और सुरभि ने हाथ पैर धोये और सुरभि ने गले में डाला अपना स्कार्फ और अवनि ने अपने सूट का दुपट्टा अपने सर पर ओढ़ लिया। सीढिया चढ़कर दोनों आगे बढ़ी।

पूरा मंदिर संगमरमर के सफेद पत्थरो से बना था। सीढ़ियों के दांयी और बांयी तरफ दो चबूतरे थे जिन पर सफ़ेद पत्थर से बनी हाथी की मुर्तिया थी जिन्हे देखकर लगता जैसे दोनों मंदिर में आने वाले लोगो का स्वागत कर रहे हो। इस मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर से बना बहुत बड़ा शिवलिंग था जो बिल्कुल उज्जैन मंदिर के महाकाल जैसा दिखता था और उदयपुर के लोग इसे महाकालेश्वर के नाम से ही जानते थे। अवनि और सुरभि ने आकर दर्शन किये और दोनों हाथ जोड़कर महादेव से प्रार्थना करने लगी।

सुरभि तो 10 सेकेंड में ही पंडित जी की तरफ बढ़ गयी लेकिन अवनि अभी भी अपनी जगह खड़ी अपने महादेव से प्रार्थना कर रही थी। कुछ देर बाद अवनि भी पंडित जी की तरफ आयी तो उन्होंने थाली में रखे गुलाल से अवनि के ललाट पर अंगूठा लगाया और प्रशाद देकर कहा,”बहुत भाग्यशाली हो बिटिया , महादेव ने बहुत बड़े संकट से बचाया है तुम्हे,,,,,,!!”
पंडित जी की बात सुनकर अवनि और सुरभि ने हैरानी से एक दूसरे को देखा , सुरभि ने पंडित जी को देखा और कहा,”ये तो बिल्कुल सही कहा आपने पंडित जी,,,,,,,!!”


पंडित जी ने सुना तो मुस्कुराये और अवनि के सर पर हाथ रखकर कहा,”जाओ खुश रहो बहुत जल्दी तुम्हारी जिंदगी में एक सही इंसान आएगा , महादेव का आशीर्वाद तुम पर बना रहे,,,,,,,,,,हर हर महादेव”
“हर हर महादेव पंडित जी”,सुरभि ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा और अवनि को लेकर आगे बढ़ गयी
अवनि ने पलटकर पंडित जी से कहा,”हर हर महादेव पंडित जी”
पंडित जी अवनि को देखकर मुस्कुराये और अंदर चले गए।


दोनों मंदिर से बाहर आयी और आकर मंदिर के साइड में बनी सुन्दर सी सीढ़ियों पर आ बैठी। पंडित जी की बात से अवनि अभी भी सोच में डूबी थी ये देखकर सुरभि ने कहा,”हाह ! मुझे तो अब तुम्हारी जिंदगी में आने वाले उस सही इंसान का इंतजार है , आई विश कि वो तुम से ऐसे ही किसी शहर में टकरा जाये और उसे तुम से प्यार हो जाये। आखिर तुम इतनी खूबसूरत हो तुम्हारी एक लव स्टोरी तो बनती है अवनि”
“ऐसा कुछ नहीं है सुरभि , पढाई और किताबे लिखने में हमेशा खुद को व्यस्त रखा है मेरा मन इन सब में नहीं लगता।”,अवनि ने कहा


“हाँ हाँ तुम्हारा मन तो तुम्हारे महादेव में लगता है,,,,,,,,वैसे इतनी देर तक क्या मांग रही थी उनसे ?”,सुरभि ने कहा
“मांग नहीं रहे थे प्रार्थना कर रहे थे,,,,,,!!”,अवनि ने प्यार से कहा
“तुम प्रार्थनाओ में बहुत विश्वास करती हो ना अवनि ?”,सुरभि ने पूछा
“हम्म्म्म , क्योकि मुझे लगता है सिर्फ वही है जो हमे सब दे सकते है वो भी जो हमारे नसीब में है और वो भी जो हमारे नसीब में नहीं है”,अवनि ने खोये हुए स्वर में कहा


“अगर ऐसा है तो फिर तुम अपने महादेव से एक प्रार्थना और करो कि वो उस सही इंसान को जल्दी से तुम्हारी जिंदगी में भेज दे,,,,,सच अवनि जब वो तुम्हारी जिंदगी में आएगा ना देखना तुम्हारी ये बोरिंग जिंदगी कितनी अच्छी हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,बस वो तुम्हारी तरह ये मंदिरो में घूमने वाला बोरिंग इंसान ना हो”
“अच्छा तो तुम्हारा मतलब है मंदिर आने वाले लोग बोरिंग होते है ?”,अवनि ने सुरभि को घूरकर कहा


“हाँ और नहीं तो क्या ? अरे ये उम्र पार्टी करने की , बर्फ वाले पहाड़ो में घूमने की , अच्छा अच्छा खाना खाने की है मंदिर आकर भजन करने की नहीं”,सुरभि ने कहा अवनि ने मुँह बनाया और कहा,”इसका मतलब मैं बोरिंग हूँ ?”
“हाँ थोड़ी सी,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने शरारत से कहा और वहा से भाग गयी और अवनि उसे मारने उसे पीछे दौड़ पड़ी।

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संजना किरोड़ीवाल 

राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो फतेह सागर झील के पास है और भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर अपने शांत वातावरण, प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक शांति के लिए जाना जाता है। सुरभि की स्कूटी मंदिर के बाहर आकर रुकी। अवनि नीचे उतर गयी और सुरभि स्कूटी साइड में लगाकर अवनि के पास चली आयी। दोनों अंदर चली आयी। अवनि और सुरभि ने हाथ पैर धोये और सुरभि ने गले में डाला अपना स्कार्फ और अवनि ने अपने सूट का दुपट्टा अपने सर पर ओढ़ लिया। सीढिया चढ़कर दोनों आगे बढ़ी।

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