पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 7
Pakizah – 7
Pakizah – 7
रूद्र को वहा देखकर पाकीजा ने अपना चेहरा घुमा लिया l रूद्र पाकीजा के पास ना आकर सीधा महेश के पास चला गया l पाकीजा आकर वापस बेंच पर बैठ गयी और सामने दूर तक फैली हरी घास को देखने लगी l उसे देखकर पाकीजा की आंखों को कुछ ठंडक मिली वह शून्य में ताकती हुई बैठी रही l महेश से मिलकर कुछ देर बाद बेंच की तरफ आया उसके हाथ मे चाय के दो कप थे उसने एक कप पाकीजा की तक़र्फ़ बढ़ाकर कहा – लीजिए चाय पीजिए
“क्या आपको सच मे बुरा नही लगता या फिर आप बुरा न लगने का नाटक कर रहे है”,पाकीजा ने रुद्र की तरफ देखकर दुखी स्वर में कहा
“बुरा किस बात का , ओह्ह तुमने यहां आने से मना किया और मैं फिर भी चला आया बेशर्मो की तरह यही न l डोंट वरी आज मैं तुमसे तुम्हारी कहानी जानने के लिए नही आया हु”,रुद्र ने कहा
“तो फिर ?”,पाकीजा ने हैरान होकर पुछा
“लीजिए पहले चाय पीजिए फिर बताता हूं”,कहते हुए रुद्र ने चाय का कप पाकीजा की तरफ बढ़ा दिया l
पाकीजा ने रुद्र के हाथ से कप लिया तो सहसा ही उसकी उंगलिया रुद्र के हाथ को छू गयी l
एक जाना पहचाना सा अहसास था उस छुअन में पाकीजा को यकीन नही हुआ ऐसा कैसे हो सकता है ये अहसास वह सालो पहले “उसकी” छुअन से कर चुकी है l फिर वही अहसास किसी ओर को छूने से कैसे हो सकता है l
दो अलग अलग लोगो की छुअन का अहसास एक जैसा कैसे हो सकता है भला ?
पाकीजा ने चाय का कप साइड में रखा और रुद्र का हाथ दोनो हाथों में पकड़ कर वह छुअन महसूस करने लगी हा ये वही अहसास था पर ये कैसे मुमकिन है l
पाकीजा की आंखे नम हो गयी रुद्र को कुछ समझ नही आया वह बस खामोश बैठा पाकीजा के चेहरे की बेचैनी को देखता रहा l
“क्या हम दोनों पहले भी कभी मिल चुके है”,पाकीजा ने बेचैनी से रुद्र की आंखों में देखते हुए पूछा
“नही !!”,रुद्र ने धीरे से कहा
“माफ कीजियेगा मुझे इस तरह आपका हाथ नही पकड़ना चाहिए था”,पाकीजा ने रुद्र का हाथ छोड़कर दूसरी तरफ देखते हुए कहा
“कोई बात नही !”,रुद्र ने कहा और चाय का कप पाकीजा की तरफ बढ़ा दिया l
दोनो चुपचाप बैठकर चाय पीते रहे l कुछ देर बाद रुद्र ने कहा – तुम्हारे नाम का मतलब पता है तुम्हे ?
पाकीजा – पाकीजा मतलब पवित्र
रुद्र – बिल्कुल सही
पाकीजा – पर मैं अपने नाम के अनुरूप हु नही
रुद्र – मतलब ?
पाकीजा – कुछ नही ! आप यहां कैसे ?
रुद्र – किसी काम से आया था सोचा तुमसे मिलता चलू
पाकीजा – मुझसे इतनी करीबियां मत बनाइये सर
रुद्र – पाकीजा , क्या तुम्हें सच मे लगता है मैं यहां सिर्फ तुमसे करीबियां बढ़ाने आया हु
पाकीजा खामोश रहती है कुछ देर बाद रुद्र कहता है – मेरे मन मे तुम्हे लेकर कुछ भी नही है हमदर्दी भी नही अगर कुछ है तो वो है एक भरोसा तुम्हे मजबूत बनाने का l ओर मुझे पूरा यकीन है ये एक दिन जरूर होगा l
पाकीजा – आप एक राख के ढेर से रोशनी करने की बात कर रहे है सर
रुद्र – आग जलाने के लिए कभी कभी एक चिंगारी ही काफी होती है पाकीजा
पाकीजा – बाहर खुले घूम रहे मुजरिमो को छोड़कर आप चार दिवारी में कैद लोगो के साथ अपना वक्त क्यों जाया कर रहे है
रुद्र – ताकि बाहर घूम रहे मुजरिमो को अंदर डाल सकू l ओर बेगुनाह को आजाद कर सकू
पाकीजा – आजादी के मायने भी जानते है आप ?
रुद्र ने पाकीजा की आंखों में देखा और एक गहरी सांस भरते हुए कहा – खुले आसमान के नीचे पिंजरे में कैद पक्षी के खुले आसमान में उड़ने की चाहत है आजादी , तुम्हारी आँखों मे कैद सपनो की हकीकत है आजादी , ये जो अपनी जुल्फों को कैद कर रखा है हवा से उड़ते बिखरते इनका तुम्हारे चेहरे को छूना है आजादी , तुम्हारे रोकने टोकने के बाद भी मेरा बार बार यहां आना है आजादी ,,
पाकीजा एक पल के लिए रुद्र की आवाज में जैसे खोकर रह गयी l
“आप शायरी भी करते है ?”,पाकीजा ने धीरे से पूछा
“नही ! आज से पहले मैंने ऐसा ना कुछ कहा ना कुछ लिखा !! पर तुम्हे देखकर अपने आप मुंह से निकल गया”,रुद्र ने झेंपते हुए कहा
पाकीजा – चंद शब्दो मे आपने आजादी के मायने समझा दिए !
रुद्र – अगर बात दिल से निकले तो चंद शब्द ही काफी है पाकीजा ,, खैर अम्मी अब्बू कहा है तुम्हारे ?
पाकीजा – जौनपुर में है !
रुद्र – उन्हें पता है तुम यहाँ हो ?
पाकीजा – पता हो तब भी क्या फर्क पड़ता है , उनके कंधों से एक बोझ कम हुआ
रुद्र – उन्होंने कभी तुम्हारी खोज खबर भी नही की ?
पाकीजा – छोड़िए ना सर ! बीती बातों को याद करने से सिर्फ तकलीफ होती है हल नही निकलता
रुद्र – हम्ममम्म अच्छा एक बात पुछु ?
पाकीजा – जी पूछिये
रुद्र – तुम सबसे ज्यादा खुश कब होती हो ?
पाकीजा – जब बड़े से तालाब में कमल के फूलों को तैरते हुए देखती हूं ! तब वो बहुत खूबसूरत लगते है ,, दिवाली के दिन जब सेकड़ो दियो की रोशनी से ये शहर जगमगाता है तो कितना सुकूनभरा पल होता है , समंदर किनारे बैठकर डूबते सूरज को देखना मन में भी लालिमा भर देता है l
पाकीजा कहती जा रही थी और रुद्र प्यार से उसके चेहरे को देखे जा रहा था l कुछ देर बाद बेल बजी पाकीजा उठकर जाने लगी रुद्र भी खड़ा हो गया तभी पाकीजा रुद्र से कुछ कहने के लिए पलटी ओर रुद्र से टकरा गई l रुद्र उसकी गहरी काली आंखों में देखने लगा हवा से पाकीजा के बाल उड़कर चेहरे पर आने लगे नजारा इतना खूबसूरत था कि रुद्र का दिल धड़के बिना ना रह सका l
पाकीजा भूल गयी उसे रुद्र से क्या कहना था वह धीरे से पलटी ओर फिर अपने सेल की तरफ बढ़ गयी l
रुद्र के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गयी
रुद्र वहां से निकलकर घर चला गया l घर आकर बिस्तर पर लेट गया पर आंखों के सामने बार बार पाकीजा का चेहरा आने लगा ओर सोचते सोचते रुद्र नींद की बांहों में चला गया l
प्रवीण , असलम ओर रागिनी तीनो अपने अपने कामो में लगे रहे और हर बात की जानकारी रुद्र को देते रहे l पर जिन सवालों के जवाब रुद्र चाहता था वह उसे अभी तक नही मिले थे दिन गुजरते रहे रुद्र अपना अधिकतर समय घर मे ही बिताता अब तक वह अपनी सभी पसंदीदा किताबे इत्मीनान से पढ चुका था जिन्हें वह अपनी ड्यूटी के कारण अब तक पढ़ नही पा रहा था l
हर शाम वह सेंट्रल जेल पाकीजा से मिलने भी जाया करता l एक बेनाम रिश्ता बन चुका था दोनो के बीच पाकीजा को भी अब रुद्र से अपनापन महसूस होने लगा था l
रुद्र ने अभी तक पाकीजा को अपने ससपेंड के बारे में नही बताया था l लेकिन वह पाकीजा के लिए कुछ करना चाहता था उसे यहां से बाहर निकालना चाहता था l
एक शाम रुद्र किसी उपन्यास को पढ़ने में बिजी था तभी उसके फोन की रिंग बजी रुद्र ने फोन उठाया किसी अनजान नम्बर से फोन था
“सर आप कहा है ? प्लीज़ जल्दी से आ जाईये i need your help”,दूसरी तरफ से घबराई हुई रागिनी ने कहा l
“ठीक है मैं अभी आता हूं तुम कहा हो इस वक्त ?”,रुद्र ने कहा
रागिनी ने रुद्र को एडरेस बताया ओर जल्दी आने का कहकर फोन काट दिया
रुद्र रागिनी के बताए पते पर पहुचा घर के बिल्कुल सामने पहुंचकर रुद्र ने उस नम्बर पर फोन किया रागिनी ने उसे अंदर चले आने को कहा l
अंधेरे में दरवाजा धकेल कर रुद्र जैसे ही अंदर आया एकदम से लाईटे जल उठी और रागिनी , प्रवीण , असलम ओर बाकी कुछ लोग हैप्पी बर्थडे टू यू गाते हुए बाहर आ गए
रुद्र ये सब देखकर हैरान रह गया
“मेनी हैपी रिटर्न ऑफ द डे सर”,रागिनी ने रुद्र के सामने आकर कहा
“तुमने तो मुझे डरा ही दिया रागिनी”,रुद्र अभी भी हैरान था
“अरे सर , सरप्राईज से भी भला कोई डरता है”,प्रवीण ने कहा
प्रवीण की बात सुनकर सभी हसने लगे l
“पर तुम लोगो को कैसे पता चला आज मेरा बर्थडे है”,रुद्र ने कहा
“सर आपने कहा था ना , सबके रिकार्ड्स चेक करने के लिए l तो मैंने सबसे पहले आपका ही रिकॉर्ड चेक कर लिया l”,रागिनी ने अपने दोनो कान पकड़ते हुए कहा
रागिनी की मासूमियत देखकर रुद्र मुस्कुरा दिया l
सभी केक काटने के लिए जमा हो गए l बर्थडे सेलेब्रेट होने के बाद बाकी सभी अपने घर चले गए l चुकी घर प्रवीण का था इसलिए उसने रुद्र , रागिनी ओर असलम को थोड़ी देर ओर रुकने के लिए कहा l चारो बालकनी में आ गए प्रवीण सबके लिए ड्रिंक ले आया
“पागल हो गए हो प्रवीण , मैं ड्रिंक नही करता “,रुद्र ने कहा
“सर आज तो स्पेशल डे है , आज कोई बहाना नही चलेगा”,असलम ने कहा
तीनो ने मिलकर रुद्र को ड्रिंक पिला दी l दिमाग जैसे झन्ना उठा l रुद्र को हल्का सा नशा होने लगा पर बालकनी से आती ठंडी हवा के झोंके से उसे सुकून मिला और अब उसे अच्छा महसूस हो रहा था l रागिनी रुद्र के सामने खड़ी धीरे धीरे अपने ग्लास से सॉफ्ट ड्रिंक पी रही थी l
असलम ओर प्रवीण ने भी एक एक शार्ट पेग अपने ग्लास में डाला हुआ था l चारो साथ बैठकर इस स्पेशल मोमेंट को एंजॉय कर रहे थे l
प्रवीण के घर से कॉल आने के कारण वह अपना ग्लास बिना पूरा पिये वही रखकर अंदर चला गया रागिनी को ध्यान नही रहा उसने गलती से प्रवीण वाला ग्लास उठाया और एक सांस में पी गयी l
रागिनी को चढ़ गई रुद्र होश में जरूर था पर जब उसने रागिनी को देखा तो ना जाने क्यों उसे उसके चेहरे में पाकीजा का चेहरा नजर आने लगा l रुद्र मुस्कुरा दिया रागिनी को तो रुद्र पहले दिन से पसन्द था वह सामने बैठकर बड़े प्यार से रुद्र को देखने लगी l रागिनी का मन किया उठकर रुद्र के पास जॉए ओर उसे अपनी बांहों में ले ले l
रुद्र ने घड़ी में देखा रात बहुत हो चुकी थी उसने असलम से घर जाने का कहा l
“चलिए सर मैं छोड़ देता हूं”,कहकर असलम बालकनी से बाहर चला गया l
रुद्र जैसे ही जाने लगा रागिनी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया l रुद्र कुछ समझ पाता इस से पहले रागिनी उसके सामने आई और रुद्र के चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा,”i like you सर , पहले दिन से ! पहले दिन से आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो i love you”
कहते हुए रागिनी ने रुद्र के गाल पर किस किया और वहां से चली गयी l रुद्र जिसने पी रखी थी रागिनी की बात सुनते ही सारी की सारी एक झटके में उतर गयी l रुद्र ने देखा रागिनी लड़खड़ाते हुए चल रही है l
“सर आइए चलते है”,असलम ने आकर कहा
“असलम i m ok मैं चला जाऊंगा तुम एक काम करो रागिनी को उसके घर तक छोड़ दो”,रुद्र ने असलम से कहा
“ok सर “,असलम ने कहा और मन ही मन रुद्र को thanks कहा रागिनी के साथ वक्त बिताने देने के लिए
असलम रागिनी को लेकर वहां से चला गया l
कुछ देर बाद रुद्र ने भी प्रवीण को गुड़ नाईट कहा और वहां से निकल गया l रुद्र गाड़ी लेकर आया था उसने गाड़ी स्टार्ट की ओर सड़क पर दौड़ा दी l गाड़ी जितना तेज सड़क पर दौड़ रही थी उस से चार गुना ज्यादा तेज रुद्र के दिमाग मे रागिनी दौड़ रही थी l
रागिनी का किस करना और नशे की हालत में रुद्र को परपॉज करना रुद्र को उलझन में डाले हुए था l कही कोई अनहोनी ना हो जॉए ये सोचकर रुद्र ने गाड़ी एक किनारे रोक दी और आंखे बंद करके सर सीट से लगा लिया l रागिनी का व्यवहार उसे बहुत खल रहा था l इस सब ख्यालो से बाहर निकलने के लिए रुद्र ने गाड़ी स्टार्ट की ओर म्यूजिक सिस्टम ऑन किया गाना बजने लगा
“बेनाम वो बेचैन करता जो , हो ना सके जो बयान दरमियाँ l
दरमियान दरमियान कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान l”
जैसे ही गाने के बोल रुद्र के कानो में पड़े पाकीजा का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया l एक प्यारा सा अहसास उसे होने लगा साथ ही धड़कने लगा उसका दिल l ये कैसा खिंचाव था उसकी तरफ रुद्र नही जान पाया बस गाने में खोया हुआ गाड़ी चलाता रहा l l पाकीजा के ख्याल ने रागिनी के ख्याल पर पानी फेर दिया l
अगली दिन शाम को पाकीजा अपने रोजमर्रा के कामो से निपट कर बेंच पर बैठी थी कि सामने पड़े अखबार के टुकड़े पर उसकी नजर गयी l पाकीजा ने उसे उठाया और धूल झाड़कर देखने लगी l जैसे ही उसने खबर पढ़ी उसका दिल धक से रह गया l कागज पर रुद्र की तस्वीर के साथ लिखा था
“लापरवाही के चलते acp रुद्र को 1 महीने के लिए सस्पेंड किया गया”
पाकीजा ने जब ये पढ़ा तो उसे धक्का सा लगा l वह वही पास रखी बेंच पर बैठ गयी l रुद्र ने उसे क्यों नही बताया ? इन सब के लिए वो खुद को जिम्मेदार मानने लगी l उसी की वजह से रुद्र पर इतनी मुसीबते आ रही थी l पाकीजा सर झुकाकर वही बैठी रही उसकी आँखों से दो बूंद अखबार के उस टुकड़े पर आ गिरी l
कुछ देर बाद रोजाना की तरह रुद्र वहां आया लेकिन पाकीजा बिना उस से कोई बात किये उठकर वहां से चली गयी वह नही चाहती थी उसकी वजह से अब रुद्र पर कोई और मुसीबत आये l रुद्र पाकीजा के पीछे पीछे आया जेलर पाकीजा की सेल के बाहर ही खड़ा था l रुद्र ने पाकीजा से बात करनी चाही तो पाकीजा ने सख्त आवाज में कहा
“जेलर साहब इनसे कह दीजिये यहां से चले जॉए”
रुद्र – पर क्यों ? मुझे तुमसे कुछ बात करनी है पाकीजा
पाकीजा – मुझे आपसे कोई बात नही करनी है , चले जाइये यहां से प्लीज़
रुद्र – लेकिन पाकीजा मैं सिर्फ………………..!!!
पाकीजा – हमे आपका कोई अहसान नही चाहिए जाईये आप यहां से (हाथ जोड़ते हुए)
रुद्र को कुछ समझ नही आया उसने हैरानी से जेलर महेश की तरफ देखा और कहा – सर ये अचानक क्या हो गया है इसे ?
जेलर – पता नही रुद्र मैं अभी अभी यहां आया हु
“पाकीजा एक बार मुझसे बात तो करो प्लीज़ , क्या हुआ बताओ तो सही ?”, रुद्र ने पाकीजा की तरफ देखते हुए कहा
“सर प्लीज़ ! मुझे आपसे कोई बात नही करनी है जाईये यहां से ओर अब फिर कभी मत आईयेगा यहा “,पाकीजा ने नम आंखों से रुद्र की तरफ देखते हुए कहा l
रुद्र – क्यों ना आउ मैं , मैं आऊंगा जब तक तुम बात नही कर लेती मैं रोज आऊंगा
“सर इनसे कह दीजिये अगर आज के बाद ये यहां आये तो मेरा मरा मुंह देखेंगे”,पाकीजा ने जेलर की तरफ देखकर कहा और पीठ घुमा ली
रुद्र ने जब सुना तो उसे बहुत दुख हुआ वह बिना कुछ बोले वहां से चला गया l पाकीजा की आंखों से आंसू बहने लगे सिर्फ वही जानती थी कितनी मुश्किल से उसने अपना दिल मजबूत करके रुद्र से ये शब्द कहे थे l
रुद्र के जाने के बाद जेलर ने पाकीजा से कहा – तुमने ऐसा क्यों किया पाकीजा ? आखिर उसकी गलती क्या है ?
पाकीजा – उनकी गलती है कि वो मेरा भला चाहते है और मेरी भलाई करने के कारण उन्हें ये मिला “,कहते हुए पाकीजा ने अखबार का वह टुकड़ा जेलर की तरफ बढा दिया l
जेलर ने वह अखबार का टुकड़ा लिया ओर पढ़ने के बाद कहा – ये सब सीनियर ऑफिसर्स की आपसी रंजिश के चलते हुआ है पाकीजा इसमें तुम्हारा कोई दोष नही है
पाकीजा – नही सर ये सब इसलिए क्योंकि उन्होंने पाकीजा को चुना मुझे चुना ओर मैं उनकी नच्ची खासी जिंदगी में मुसीबतों का घर बन गयी ये सब मुसीबते उन पर मेरी वजह से आई है सर
जेलर – तुम गलत समझ रही हो पाकीजा रुद्र के बारे में अभी तुम कुछ नही जानती , उसके जैसा दिल इस दुनिया मे तुम्हे किसी का नही मिलेगा l उसकी आँखों मे हमेशा तुम्हारे लिए दर्द देखा है मैंने ओर बातों में संम्मान वो इंसान तुम्हे तकलीफ पहुचाने की कभी सोच भी नही सकता है l अपने दिल पर हाथ रखकर सोचो क्या कभी भी उसने तुमसे अनजाने में भी ऐसा कुछ कहा हो जिससे तुम्हे दुख पहुचे या तकलीफ हो “
पाकीजा चुपचाप जेलर की बात सुनती रही जेलर काफी देर वही खड़ा पाकीजा को समझाता रहा और आखिर में कहा – रुद्र को समझो पाकीजा !
जेलर वहां से चला गया l पाकीजा रुद्र के बारे में सोचती हुई वही घुमनो में सर छुपाए बैठ गयी
एक हफ्ते बाद शाम को रुद्र के घर की डोरबेल बजी रुद्र ने आकर दरवाजा ख़ोला तो सामने जेलर महेश खड़ा था उसके हाथ मे बड़ा सा पार्सल जैसा कुछ था l रुद्र ने उसे अंदर आने को कहा तो जेलर ने मना कर दिया और पार्सल रुद्र को थमाकर वहां से चला गया l
रुद्र पार्सल लिए अंदर आ गया l उसने पार्सल ख़ोला उसमे एक बड़ी सी फ़ाइल थी जिसमे ढेर सारे सेंकडो पन्ने लगे हुए थे l उन सभी पन्नो को तह में लगाकर एक डायरी का रूप दिया हुआ था फ़ाइल के ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था
“पाकीजा – एक नापाक जिंदगी”
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Sanjana Kirodiwal