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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 48

Pakizah – 48

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 48

“आज पता चला सर , इस मुस्कराहट के पीछे कितना दर्द छुपा है !”,पाकीजा ने रूद्र की आँखों में देखते हुए कहा l

रूद्र की आँखों में नमी तैर गयी वह पाकीजा को देखने लगा और फिर कहा,”आओ बैठो !

रूद्र थोड़ा सा साइड में खिसक गया l पाकीजा आकर उसकी बगल में बैठ गयी कुछ देर की ख़ामोशी के बाद पाकीजा ने कहा,”आपसे एक बात पुछु ?
रूद्र – हम्म्म
पाकीजा – आप अपने पापा से बहुत प्यार करते है ना
रूद्र – हम्म
पाकीजा – और इसलिए आप उनके कहने पर भावना से सगाई कर रहे है ?
रूद्र – मैं भावना से सगाई पापा के कहने पर नहीं कर रहा


पाकीजा – लेकिन आंटी जी ने तो ये ही कहा………………..!!
रूद्र – माँ सच नहीं जानती है
पाकीजा – तो फिर सच क्या है ?
रूद्र – क्या तुम सच में जानना चाहती हो ? (आँखों में देखते हुए)
पाकीजा – अगर आप बताना चाहे तो मैं ना नहीं कहूँगी l


रूद्र – भावना से पहले मेरी सगाई टूट चुकी है l वह किसी और को चाहती थी सगाई वाले दिन उसने मुझे इस बारे में बताया और कहा की मैं खुद इस रिश्ते से इंकार कर दू l मैंने सगाई वाले दिन ही सबके सामने भावना से सगाई करने से इंकार कर दिया l मेरी वजह से सबको हर्ट हुआ लेकिन किसी ने उस वक्त कुछ नहीं कहा l घर आकर पापा ने सगाई तोड़ने की वजह जाननी चाही लेकिन मैंने नहीं बताई मैं नहीं चाहता था की भावना के सम्मान पर कोई आंच आये l उस रात मैं सो नहीं पाया पहली बार मैंने पापा से कोई बात छुपाई थी और ये बात मुझे सारी रात परेशान करती रही l

पापा मेरे बहुत करीब थे माँ से भी ज्यादा l बचपन से लेकर आज तक हमेशा उन्होंने मेरा साथ दिया l उस रात जब सो नहीं पाया तो फैसला किया सुबह उनसे जाकर माफ़ी मांग लूंगा पर सुबह मेरे लिए पहले से ज्यादा बड़ा दर्द लेकर आयी थी l किसी ने मुझे लेकर आपत्तिजनक खबर अख़बार में छपने को दे दी l पापा ने देखा तो उनका सर शर्म से झुक गया l पहली बार मेरी वजह से उन्हें सर झुकाना पड़ा l वो पल मेरे लिए मर जाने जैसा था l

वो खबर झूठी थी लेकिन पापा को मैं कुछ समझा पाता इस से पहले ही वो मेरे पास आये l जिस बेटे से उन्होंने कभी गुस्से में भी कुछ नहीं कहा था उस पर पहली बार उन्होंने हाथ उठाया l उनके थप्पड़ मारने का दुःख नहीं था लेकिन वो थप्पड़ गाल पर नहीं बल्कि सीधा यहाँ लगा (हाथ सीने पर बांयी तरफ रखकर कहता है)
उसके बाद से पापा मुझसे दूर होते गए l घर में होते हुए भी मैं उनके लिए अजनबी था l मैं अपना अधिकतर समय ऑफिस में ही बिताने लगा l

घरवालो और दुनिया के लिए मैं एक पुलिस वाला था लेकिन मेरा सच सिर्फ तुम जानती हो l एक छत के निचे रहते हुए भी मैं सबसे अजनबी हो चूका था और फिर काम में खुद को इतना बिजी कर लिया की खुद के लिए भी वक्त नहीं रहता था l पापा के साथ को बहुत मिस करता था लेकिन उन्होंने कभी मुझे माफ़ करने की कोशिश ही नहीं की l और फिर एक हादसा हुआ जिसकी वजह से भावना फिर से मेरी जिंदगी में आयी l भावना की वजह से पापा फिर से मुझसे बात करने लगे , मेरे साथ वक्त बिताने लगे l

हा वो पहले जितनी बात नहीं करते लेकिन उनके मुंह से बेटा सुनना भी मेरे लिए काफी होता था l कुछ वक्त बाद उन्होंने एक बार भावना के साथ ही मेरी सगाई तय कर दी उस वक्त उनके चेहरे पर बहुत ख़ुशी थी मैं उनसे वो ख़ुशी फिर से नही छीनना चाहता था l मैंने भावना से सगाई के लिए हाँ कह दी लेकिन भावना को लेकर मेरे दिल में अब कुछ नहीं था l जो फीलिंग्स भावना को लेकर थी वो अचानक से बदल गयी और कल भावना के साथ मेरी सगाई है

इतना कहकर रूद्र चुप हो जाता है l आँखों में नमी और होंठो पर फीकी सी मुस्कराहट लेकर सामने शून्य में ताकने लगता है l

रूद्र का अतीत जानकर पाकीजा को बहुत दुःख होता है अब तक उसे लगता था की रूद्र दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान है जो हमेशा खुश रहता है l लेकिन आज पाकीजा की आँखों में रूद्र के लिए इज्जत और प्यार और बढ़ गया था उसने आँखों के किनारे आये आंसुओ को साफ किया और कहां ,”आप बहुत अच्छे है सर ! एक लड़की का सम्मान बचाने के लिए आपने सगाई तोड़ने का झूठा इल्जाम खुद पर ले लिया और एक पिता की ख़ुशी के लिए आज फिर उसी लड़की से रिश्ता जोड़ रहे है आज आपकी इज्जत मेरी नजरो में और बढ़ गयी है l लेकिन एक सवाल बार बार जहन में घूम रहा है”


“कैसा सवाल ?”,रूद्र ने पाकीजा की तरफ देखकर भारी आवाज में कहा
“पुछने का हक़ है मुझे ?”,पाकीजा रूद्र की आँखों में झाँकने लगी
“तुम्हे सब जानने का हक़ है “,रूद्र ने विश्वास से भरकर कहा
“क्या आप इस रिश्ते से खुश है ?”,पाकीजा की आवाज में दर्द उभर आया
रूद्र एक पल के लिए खामोश हो गया और पाकीजा के चेहरे को देखने लगा l पाकीजा अपलक उसे देखे जा रही थी रूद्र ने पलके झुका ली और सामने देखते हुए कहा,”सब खुश है न पाकीजा”


पाकीजा – मैं सबकी नहीं आपकी बात कर रही हु , क्या आपको भावना पसंद है ?
रूद्र – पाकीजा भावना अच्छी लड़की है , बस थोड़ी सी जिद्दी है l पसंद नापसंद से क्या फर्क पड़ता है जब दो लोग साथ वक्त बिताने लगते है तो एक दूसरे को पसंद आ ही जाते है और एक वक्त के बाद प्यार भी हो ही जाता है l कुछ सालो बाद जिंदगी आसानी से कट जाती है”


पाकीजा ने अपना हाथ रूद्र के हाथ पर रखा l एक सुखद अहसास रूद्र को हुआ वह पाकीजा की तरफ देखने लगा l लेकिन पाकीजा सामने देख रही थी l रूद्र को पाकीजा का यु खुद से उसका हाथ पकड़ना अच्छा लग रहा था l पाकिजा ने रूद्र की तरफ देखा और कहने लगी ,”सर ! जिंदगी वो नहीं होती जो कटती है जिंदगी वो होती है जो जी जाती है , महसूस की जाती है , जिसे देखकर जीने की हसरत और बढ़ जाती है l “


पाकीजा ने बहुत बड़ी बात इतनी आसानी से कह दी l
रूद्र मुस्कुराया और कहने लगा,”ये फीलिंग्स भी अजीब होती है पाकीजा जिसके लिए होती है वो समझ नहीं पाता जो साथ है उसके लिए होती नहीं है l दिल जिसे सही कहता है दिमाग उसे गलत ठहरा देता है , जब दिमाग रोकना चाहे तो दिल सोचने पर मजबूर कर देता है l दिल और दिमाग कभी एक जैसा नहीं सोचते बस हमेशा एक दूसरे पर हावी रहते है l जंग इन दोनों की होती है जीते कोई भी लेकिन हम हार जाते है l


पाकीजा ने रूद्र की उंगलियों पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा,”तो जब दिल और दिमाग एक न हो जाये तब इंतजार कीजिए l आपका एक फैसला तय करेगा आपको जिंदगी जीनी है या काटनी है l दिमाग कितना भी दौड़े दिल की धड़कने आगे निकल ही जाती है l दिमाग से लिए फैसलों में फायदा हो सकता है पर समझौतों के साथ l वही दिल किसी की नही सुनता वो ना किसी समझौते को मानता है न बंदिशों में बांधता है बस जिंदगी जीना सिखाता है


पाकीजा की बात सुनकर रूद्र उसकी आँखों में देखने लगा आज उन आँखों में कुछ और ही था l एक कशिश एक अपनापन और बेइंतहा प्यार जो रूद्र को अपनी और खींच रहा था l अचानक रूद्र की आँख में कुछ गिरा और उसके होंठो से आह निकल गयी l पाकीजा उसके करीब आयी और कहा,”लाईये मुझे दिखाईये !!”
पाकीजा रूद्र के करीब आयी और उसकी आँख में झाँकने लगी उसने होंठो से हलके से रूद्र की आँख में फूंक मारी और गंभीर होकर कहा,”अतीत की यादें भी इन किरचो की तरह होती है , कोई अपना अगर इन्हे फूंक मारकर ना निकाले तो वक्त बेवक्त चुभती है l”


रूद्र की आँख से एक आंसू छलककर पाकीजा की हथेली में आ गिरा l
“ये आंसू बहुत अनमोल है सर , इन्हे ऐसे बर्बाद मत कीजिये l जिसमे आपकी ख़ुशी नहीं वो मत कीजिये “,पाकीजा ने कहा
“तुम्हे अपने बारे में एक बात पता है ?”,रूद्र ने आंसू पोछते हुए कहा
“यही ना की मैं बहुत अलग हु”,पाकीजा ने मुस्कुराकर कहा l
“तुम हर बात बिना कहे कैसे जान लेती हो ?”,रूद्र ने हैरानी से कहा l


“क्योकि मैं आपका चेहरा पढ़ सकती हु सर , आपकी इस मुस्कराहट के पीछे का दर्द महसूस कर सकती हु , आपकी आँखों में जो ख़ामोशी पसरी है वो सुन सकती हु l सच कहु तो अब ऐसा लगता है जैसे कही न कही आपसे जुड़ चुकी हु सर l’,पाकीजा ने खोये हुए अंदाज में कहा
रूद्र एक बार फिर उसके चेहरे में खो गया l उसका दिल धड़क उठा लगा जैसे पाकीजा से फिर से प्यार हो जाएगा
रूद्र को खामोश देखकर पाकीजा ने माहौल बदलने के लिए कहा,”अच्छा ये बताईये आप खुश होते है तब क्या करते है ?


“म्यूजिक सुनता हु”,रूद्र ने मुस्कुरा कर कहा
“और खुश कब होते हो ?”,पाकीजा ने कहा
“जब बारिश होती है”,रूद्र ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा l
पाकीजा अपनी जगह से उठी और रूद्र के सामने घूमकर देखा और हाथ फैलाकर कहा,”लेकिन यहाँ तो बारिश नहीं है आपको खुश करने का कोई और तरिका ?


“बस तुम ऐसे ही हमेशा मेरे सामने रहो तो मैं जिंदगीभर यु ही मुस्कुराता रहूंगा”,रूद्र ने मन ही मन खुद से कहा l
“तो क्या अब आपको नाचकर दिखाए ? बताईये ना ?”,पाकीजा ने कहा
“तुम्हे नाचना भी आता है ?”,रूद्र ने कहा
“बिल्कुल !! दिखाए लेकिन आपको भी हमारा साथ देना होगा”,पाकीजा ने कहां
“बताओ क्या करना होगा ?”,रूद्र उठकर पाकीजा के सामने आ खड़ा हुआ l


“आपका फोन दीजिये गाना चलाते है उसमे और फिर हमारे साथ डांस करना होगा आपको”, ने रूद्र के हाथ से फोन ले लिया
पाकीजा ने गाना प्ले किया और रूद्र की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया l मौसम अच्छा था ठंडी हवाएं चल रही थी l रूद्र खुश था क्योकि पाकीजा उसके साथ थी l पाकीजा ने रूद्र का एक हाथ अपने हाथ में थामा उसका दूसरा हाथ लेकर अपनी कमर से लगा दिया l वह रूद्र के बहुत करीब थी रूद्र का दिल तेजी से धड़कने लगा l पाकीजा उसकी आँखों में देखे जा रही थी पर आज उन आँखों में बेचैनी ना होकर सुकून था l

गाने ने भी आज रूद्र और पाकीजा का पूरा पूरा साथ दिया l फोन में गाना बजने लगा
“राज आँखे तेरी , सब बयान कर रही
सुन रहा दिल तेरी ! खामोशियाँ !!
कुछ कहो , ना सुनो , पास मेरे रहो
इश्क़ की कैसी है ये ! गहराईयाँ !!
साया भी जिस्म से होता है क्या जुदा
जितनी भी जोर की हो आँधिया
राज आँखे तेरी सब बयां कर रही
सुन रहा दिल तेरी ! खामोशियाँ !! “

चांदनी रात उस पर दो धड़कते दिलो का साथ ! रूद्र गाने के एक एक लफ्ज को महसूस कर रहा था उसकी आँखे पाकीजा के चेहरे पर ठहर गयी l रूद्र इस पल को यही रोक लेना चाहता था l पाकीजा इतने अच्छे से कदम से कदम मिलाकर उसका साथ निभा रही थी l पाकीजा से मिलने के बाद रूद्र की जिंदगी का ये सबसे खूबसूरत लम्हात था l

अचानक बिजली कड़की और पाकीजा डरकर उसके सीने में छुप गयी l रूद्र ने आँख मूंद ली और हाथो को हवा में फैला दिया l बिजली कड़कने लगी मौसम अचानक से बदल गया और बारिश की हल्की हल्की बुँदे आकर रूद्र के चेहरे पर गिरी l पाकीजा को अहसास हुआ की वह रूद्र के करीब है तो उस से दूर हुयी और जाने लगी लेकिन रूद्र ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया l पाकीजा खामोश खड़ी रही l उसकी ख़ामोशी रूद्र की बेचैनी बढ़ाने लगी उसने पाकीजा को अपनी और खींचा और उसकी आँखों में खुद को तलाशने लगा l


रूद्र जो महसूस कर रहा था इस वक्त पाकीजा भी उसी दौर से गुजर रही थी l रूद्र की छुअन उसे अपनेपन का अहसास दिला रही थी l लगा जैसे पहले भी कोई उसे इस तरह से अपने करीब ला चूका है l वो अहसास पाकीजा पहले भी महसूस कर चुकी थी l बैचैन सी वह रूद्र की आँखों मे देखने लगी l रूद्र का दिल तेजी से धड़कने लगा उसने अपने होंठो से जैसे ही पाकीजा के होंठो को छूने लगा अचानक उसे कुछ याद आया उसने पाकीजा को खुद से दूर किया और कहा,”पाकीजा प्लीज़ यहाँ से जाओ !!”


रूद्र पाकीजा की तरफ पिठ करके खड़ा हो गया उसकी आँखो में आंसू तैर गए l
पाकीजा कुछ देर वहा रुकी और फिर चली गयी l रूद्र की आँख से बहकर आंसू बारिश के पानी में मिल गए l

पाकीजा जब निचे आयी तो देखा हॉल में रूद्र की मम्मी , भावना , काव्या , और भावना की मम्मी बैठकर मेहँदी लगवा रही थी
“पाकीजा बेटा आओ , तुम भी मेहँदी लगवा लो”,रूद्र की मम्मी ने प्यार से कहा l

पाकीजा आकर उनके पास बैठ गयी l मेहँदी वाली ने उसके दोनों गोरे हाथो में मेहँदी लगा दी l पाकीजा के हाथो में मेहँदी बहुत खिल रही थी l मेहँदी लगवाकर पाकीजा अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l वह आकर बेड के एक कोने पर बैठ गयी उसकी आँखों के आगे कुछ देर पहले घटित पल आने लगे l ये कैसा अहसास था जो पाकीजा को बार बार हो रहा था l बेचैनी बढ़ने लगी तो वह कमरे में यहाँ से वहा चक्कर लगाने लगी l

कुछ देर बाद पाकीजा खिड़की के सामने आकर खड़ी हो गयी और खिड़की से बाहर देखते हुए सोचने लगी
“ये कैसा अहसास है l क्यों बार बार मेरी किस्मत मुझे रूद्र जी के करीब ले आती है l जब भी वो सामने होते है , मेरे साथ होते है , मेरे करीब होते है तो क्यों वो अहसास मुझे जाना पहचाना लगता है l शिवेन जी के जाने के बाद ये दिल किसी को देखकर धड़कना भूल चूका था फिर क्यों रूद्र जी को देखकर ये उसी लय में धड़कता है जैसे शिवेन जी के लिए धड़कता था l

क्यों उनकी आंखे हर वक्त मेरा पीछा करती है ? रूद्र जी के साथ रहकर कभी महसुस ही नहीं हुआ की वो कोई गैर है……………….ये सब मैं क्या सोचने लगी ? रूद्र जी का ख्याल में अपने दिल में कैसे ला सकती हु वो किसी और की अमानत है l कल भावना के साथ उनकी सगाई होने वाली है और कल के बाद मैं भी यहाँ से हमेशा हमेशा के लिए चली जाउंगी l इन खूबसूरत यादो को अपने साथ समेटकर l मैं कभी रूद्र जी को भूल नहीं पाउंगी , भूलूंगी भी कैसे ? उनके इतने अहसान जो है मुझपर !! “


सोचते सोचते पाकीजा की आँखों में आंसू आ गए l
ये आंसू रूद्र से दूर जाने की वजह से थे या उसे हमेशा हमेशा के लिए खो देने की वजह से …. इसका फैसला पाकीजा नहीं कर पायी l

“क्या मैं अंदर आ जाऊ ?”,दरवाजे पर खड़ी भावना ने कहा l
पाकीजा ने पलटकर देखा , भावना को वहा देखकर पाकीजा को हैरानी हुई l भावना मुस्कुराते हुए अंदर आयी उसने हाथ में एक पैकेट लिया हुआ था l वह आकर पाकीजा के सामने खड़ी हो गयी और कहने लगी


“i am sorry पाकीजा , मैंने तुम्हे समझने में भूल की l तुम्हे इतना कुछ बुरा भला कहा , इंसल्ट किया , हर्ट किया लेकिन इसके बावजूद भी तुम्हारे चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं आई l सच में तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है पाकीजा प्लीज़ मुझ माफ़ कर दो “
“कोई बात नहीं भावना जी , मुझे आपकी किसी बात का बुरा नहीं लगा”,पाकीजा ने सहजता से कहा l


“हाउ स्वीट ! मैंने तुम्हारे साथ इतना गलत व्यवहार किया उसके बाद भी तुम ये कह रही हो l तुम बहुत अच्छी हो पाकीजा”,भावना ने पाकीजा के गले लगते हुए कहा l
पाकीजा मुस्कुरा दी l
“अच्छा सुनो आज से हम दोस्त ! कल मेरी सगाई है और मैं चाहती हु कल तुम सबसे अच्छी दिखो , मुझसे भी आखिर रूद्र की दोस्त हो l इसलिए मैंने तुम्हारे लिए कुछ ख़रीदा है”,कहकर भावना ने पैकेट पाकीजा की तरफ बढ़ा दिया l


“मैं ये कैसे रख सकती हु”,पाकीजा ने कहा
“मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी , तुम कल यही साड़ी पहनोगी बस मैंने और रूद्र ने इसे खास तुम्हारे लिए ही पसंद किया है l मेरे कहने पर ना सही रूद्र के लिए पहन लो वरना उन्हें बुरा लगेगा”,भावना ने उदास होकर कहा
“आप उदास मत होईये ! हम पहन लेंगे”,कहकर पाकीजा ने साड़ी का पैकेट बेड पर रख दिया l
“थैंक्यू पाकीजा !!”,भावना ने मुस्कुराकर कहा और वहा से जाने लगी

जाते जाते वह रुकी और पाकीजा की और पलटकर कहा

“कल का दिन तुम्हारे लिए सबसे यादगार दिन होगा l , पाकीजा !”

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Continue With Part Pakizah – 49

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