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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 46

Pakizah – 46

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 46

राजीव ने जैसे ही पाकीजा को भाभी कहा वहा मौजूद सभी लोग चौंक गए l भावना एक तो पहले से उस से चिढ़ी हुयी थी राजीव की बात सुनकर और ज्यादा चिढ गयी l वह राजीव के सामने आयी और कहा ,”रूद्र की शादी इस से नहीं मुझसे होने वाली है “
“ओह्ह्ह आई ऍम सो सॉरी ! मुझे लगा इनसे…………. खैर वैसे आप भी कुछ कम नहीं लग रही है”,राजीव ने भावना से कहा l


“थैंक्यू !!”,भावना ने इतरा कर कहा और जाकर रूद्र की बांह पकड़ कर खड़ी हो गयी l वह दिखाना चाहती थी की रूद्र सिर्फ उसका है l
राजीव पाकीजा की और पलटा और कहा,”एंड सॉरी फॉर यू ! मुझे ऐसे आपको हग नहीं करना चाहिए था”
“अनजाने में हुयी गलती के लिए माफ़ी मत मांगिये”,पाकीजा ने सहजता से कहा l
राजीव मुस्कुरा उठा l उसे भावना से ज्यादा पाकीजा पसंद आयी ,

पाकीजा में एक ठहराव था , सलीका था वही भावना में गुस्सा और घमंड कूट कूट के भरा था l
“अरे ! आते आते ही तुमने सबको सॉरी बोलना शुरू कर दिया “,रूद्र की मम्मी ने राजीव के पास आकर कहा
राजीव ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए और कहां,”क्या करू आंटी डॉक्टर हु ना तो सॉरी बोलने की आदत पड़ चुकी है”
“मम्मा नाश्ता लग चूका है , आजाईये सब”,काव्या ने डायनिंग टेबल पर बैठे बैठे कहा l


सभी नाश्ते के लिए आकर बैठ गए l रूद्र पाकीजा के बिलकुल सामने बैठा था l राजीव आकर पाकीजा की बगल में बैठ गया पाकीजा के दूसरी तरफ काव्या बैठी थी l रूद्र के मम्मी पापा भी थे l सब नाश्ता करने लगे ख़ामोशी से अपना नाश्ता कर रही थी रूद्र की नजर बार बार उस पर चली जाती l राजीव अपने मुंबई शिफ्ट होने के बाद के किस्से सुनाकर हँसाने लगा l
पाकीजा को खामोश देखकर रूद्र ने खांसने का नाटक किया l सभी डर गए पाकीजा ने पास रखा पानी का ग्लास उसकी और बढ़ाते हुए कहा,”सर पानी !”


रूद्र को पाकीजा का इस तरह परवाह करना बहुत अच्छा लग रहा था l उसने पानी लिया और पि लिया l राजीव की पारखी नजरे अब रूद्र पर ही थी वह एक पल मे उसका नाटक समझ गया लेकिन कुछ कहा नहीं l वह बस रूद्र के चेहरे पर आने जाने वाले भावो को पढ़ने लगा l पाकीजा को देखते हुए रूद्र के चेहरे पर जो चमक थी वो राजीव की आँखों से छुपी ना रह सकी l
नाश्ते के बाद पाकीजा अपने कमरे की तरफ चली गयी l

भावना काव्या को लेकर अपने कमरे में चली गयी l रूद्र के पापा सगाई के फंक्शन के अरेंजमेंट के लिए फोन पर किसी से बतियाने लगे l रूद्र की मम्मी भी उठकर चली l
“सो मिस्टर रूद्र क्या चल रहा है ?”,राजीव ने रूद्र की तरफ देखकर कहा
“क्या , क्या क चल रहा है ?”,रूद्र ने उठते हुए कहा और हॉल की तरफ निकल गया


राजीव उसके पीछे पीछे आया और उसका हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बैठाते हुए कहा,”ज्यादा बनो मत , अभी कुछ देर पहले साफ साफ दिख रहा था सब”
“देखो राजीव मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है”,रूद्र ने कहा
“अच्छा समझ नहीं आ रहा ! खांसने की नौटंकी , उनका तुम्हे पानी पिलाना , आपका उनको प्यार भरी नजरो से देखना क्या है ये सब ?”,राजीव ने कहा


रूद्र चुप हो गया और राजीव से नजरे चुराने लगा और फिर कहा,”अच्छा ये बताओ भावना कैसी लगी तुम्हे ?
“मुझे पाकीजा बहुत पसंद आयी”,राजीव ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा
रूद्र राजीव को घूरने लगा तो राजीव ने कहा,”अच्छा बाबा सॉरी , भावना भी अच्छी पर सच कहु तो वो तेरे साथ बिल्कुल अच्छी नहीं लगती l”
“तो फिर कौन लगती है ?”,रूद्र ने बेचैनी से पूछा


“पा…………………………. पता नहीं”,राजीव आज रूद्र के मजे लेने के मूड में था
“बता ना”,रूद्र की बेचैनी बरक़रार थी l
“वक्त आने पर बता दूंगा l पहले तू बता तेरा और पाकीजा का की सीन है”,राजीव ने कहा
“कोई सीन नहीं है”,कहकर रूद्र उठा और वहा से चला गया l
“तुम बताओ या ना बताओ मैं पता लगा लूंगा”,राजीव ने कहा और मुस्कुराने लगाए

कुछ देर बाद रूद्र की मम्मी ने सबको बुलाया और सगाई की खरीदारी के लिए मार्किट चलने को कहा l रूद्र का जाने का मन नहीं था लेकिन जब काव्या ने बताया की पाकीजा भी जा रही है तो रूद्र झट से तैयार हो गया उसने राजीव को भी साथ चलने को कहा l सभी तैयार होकर बाहर आये
“अंकल ! आप , आंटी , भावना और रूद्र एक गाड़ी में चलिए l मैं काव्या और पाकीजा के साथ दूसरी गाड़ी में चलता हु”,राजीव ने रूद्र के पापा से कहा l


“ठीक है बेटा , गाड़ी ध्यान से चलाना”,रूद्र के पापा ने कहा
“डोंट वरी अंकल , जरुरत पड़ने पर प्लेन भी चला लेता हु”,कहकर राजीव हसने लगा तो बाकि सब भी हंस पड़े
रूद्र के मम्मी पापा भावना और रूद्र के साथ गाड़ी में जा बैठे l पापा ने जैसे ही गाड़ी स्टार्ट की रूद्र गाड़ी से उतरा और दरवाजा वापस बंद करके कहा,”आप लोग चलिए पापा ! मैं राजीव के साथ आ जाऊंगा”
“ठीक है”,रूद्र के पापा ने कहा l भावना को रूद्र का जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा वह उसे रोकती इस से पहले ही गाड़ी तेजी से आगे बढ़ गयी l

रूद्र राजीव की गाड़ी की तरफ बढ़ा राजीव ने पहले से गाड़ी का दरवाजा रूद्र के लिए खोलकर रखा था l रूद्र अंदर आ बैठा l राजीव ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया l गाड़ी में गहरी ख़ामोशी थी ,रूद्र किसी ना किसी बहाने से बार बार पीछे देखता ताकि पाकीजा को देख सके l पर रूद्र की भावनाओ से बेखबर पाकीजा खिड़की से बाहर देख रही थी l

राजीव ने गाड़ी के अंदर लगे शीशे को पाकीजा के चेहरे पर सेट कर दिया और रूद्र से सामने देखने को कहा l रूद्र ने सामने देखा तो मुस्कुरा उठा अब वह पाकीजा को जीभरके देख सकता था l
“राजीव भैया मैंने सुना है आप बहुत अच्छा गाते है , कुछ सुनाईये ना”,काव्या ने गाड़ी में पसरी ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा
“हां , हां बिल्कुल ! कॉलेज में जब मैं जब गाता था तब कितनी ही लड़किया अपन दिल थाम लेती थी”,राजीव ने कहा


“कुछ भी…………… मैंने तो तुम्हे कभी गाते हुए नहीं सूना ! “,रूद्र ने कहा
“तुम कब मेरे साथ पढ़े थे जो सुनते l “,राजीव ने कहा
“रूद्र भैया राजीव भैया बहस बाद में पहले गाना”,काव्या ने बिच में पड़ते हुए कहा
“ओके काव्या सिर्फ तेरे कहने पर !”, राजीव ने कहा और गाने लगा

“ऐसे भोले बनकर है बैठे , जैसे कोई बात नहीं
सबकुछ नजर आ रहा है , दिन है ये रात नहीं
क्या है ? कुछ भी नहीं है अगर
होंठो पे है ख़ामोशी मगर


बातें कर रही है , बातें कर रही है नजर चुपके चुपके
दो दिल मिल रहे है मगर चुपके चुपके , सबको हो रही है , हाँ सबको हो रही है
खबर चुपके चुपके हो ओह्ह “

राजीव ने जो गाया वह उस वक्त पाकिजा और रूद्र को लेकर था l रूद्र ने सामने आईने में देखा पाकीजा भी उसी तरफ देख रही थी दोनों की नजरे आईने के जरिये एक दूसरे से मिली और फिर झुक गयी l
“इट्स ऑसम राजीव भैया , आप कितने कूल डॉक्टर हो l आपके मरीज तो आपका गाना सुनकर ही ठीक हो जाते होंगे”,काव्या ने चहकते हुए कहा


“अरे कहा ! एक बार मैंने अपनी एक फीमेल पेशेंट को गाना सुनाया तो अगले दिन अपने रेसलर भाई को ले आयी , दो दिन पुरे दो दिन मैं हॉस्पिटल से अंडरग्राउंड रहा”,राजीव ने कहा
काव्या जोर जोर से हसने लगी l पाकीजा भी मुस्कुरा उठी
पाकीजा को मुस्कुराते हुए देखकर राजीव ने कहा,”पाकीजा जी एक बात कहु आपसे ?
“जी कहिये !”,पाकीजा ने सहजता से कहा


“आप मुस्कुराती हुयी बहुत प्यारी लगती हो ! हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते रहा करो पड़ोसियों का भी दिल लगा रहेगा”,राजीव ने रूद्र की और देखते हुए कहा
रूद्र जो की पाकीजा को ही देख रहा था झेंप गया और खिड़की से बाहर देखने लगा l
“हम भी आपसे एक बात कहे ?”,पाकीजा ने कहा
“अरे ! बिल्कुल कहिये”,राजीव ने कहा


“आप बहुत अच्छी बातें करते है , लगता नहीं की आप डॉक्टर भी है”,पाकीजा ने कहा
“क्यों डॉक्टर अच्छी बातें नहीं करते है ?”,राजीव ने पूछा
“ऐसी बात नहीं है , पर हर डॉक्टर आप जितना जिंदादिल नहीं होता”,पाकीजा ने कहा
“दिल का डॉक्टर हु तो जिंदादिल तो होना ही पड़ेगा ना”,राजीव ने कहा और हसने लगा l

बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर मंजिल पर पहुंचने तक जारी रहा l रूद्र ने देखा पाकीजा धीरे धीरे राजीव और काव्या से खुलने लगी थी l पाकीजा भी उनके साथ मुस्कुरा रही थी l रूद्र बस ख़ामोशी से उसे देखे जा रहा था l बिच बिच में हां हु में जवाब भी दे देता l सभी मार्किट पहुंचे रूद्र के मम्मी पापा और भावना वहा पहले ही पहुँच चुके थे सभी साथ साथ शोरूम में गए l रूद्र की मम्मी भावना और काव्या के साथ बैठकर साडिया देखने लगी l पाकीजा दूर से उन देख रही थी


“अरे ! बेटा तुम वहा क्यों खड़ी हो ? यहाँ आओ मेरे पास आकर बैठो”,रूद्र की मम्मी ने पाकीजा से कहा l
पाकीजा आकर उनके पास बैठ गयी l
भावना ने कितनी ही साडिया देखी पर उसे कुछ पसंद नहीं आया आखिर में उसने हलके गुलाबी रंग की साड़ी अनमने ढंग से पसंद कर ली l रूद्र की मम्मी को भावना के लिए लाल रंग की एक साड़ी पसंद आयी उन्होंने दुकान वाले से उसे भी पैक करने को कह दिया l काव्या ने भी अपने लिए कुछ कपडे पैक करवा लिए l


रूद्र दूर से खड़ा खड़ा सब देख रहा था l वह चलकर उनकी तरफ आया और बिखरी हुयी साड़ियों में से एक नीले रंग की साड़ी उठाकर अपनी मम्मी की तरफ बढ़ा दी और पाकीजा को देने का इशारा किया l रूद्र की मम्मी के चेहरे पर स्माइल आ गयी l वे खुद पाकीजा के लिए कुछ खरीदना चाहती थी लेकिन क्या ले समझ नहीं आ रहा था l पाकीजा का रंग दूध सा सफ़ेद था उस पर हर रंग अच्छा लगेगा सोचकर ही वो कुछ चुन नहीं पा रही थी पर रूद्र ने उनकी मदद कर दी l


रूद्र की मम्मी ने साड़ी पाकिजा को दिखाते हुए कहा,”ये रंग तुम पर बहुत अच्छा लगेगा l
पाकीजा ने रूद्र की तरफ देखा तो उसने पलके झपकाकर साड़ी रखने का इशारा कर दिया l पाकीजा ने मुस्कुराकर साड़ी रख ली l कपड़ो के बाद सब लोग शोरूम के चौथे माले बाकि शॉपिंग के लिए चले गए l काव्या निचे ही रुक गयी और अपने लिए और चीजे देखने लगी राजीव उसकी हेल्प के लिए निचे ही रुक गया l

ऊपर आकर रूद्र की मम्मी भावना को लेकर ज्वेलरी शॉप में चली गयी रूद्र के पापा वहा किसी अपने परिचित के साथ बिजी हो गए l
पाकीजा और रूद्र साथ साथ खड़े थे l भावना अपनी पसंद के गहने देखने में बिजी थी रूद्र की मम्मी की नजर दुकान से बाहर खडे रूद्र और पाकीजा पर गयी l एक पल को नजर उन दोनों पर ठहर गयी l दोनों साथ कितने अच्छे लग रहे थे


“मम्मी जी ये कैसा लग रहा है ?”,भावना ने नेकलेस रूद्र की मम्मी को दिखाते हुए कहा
उनकी तंद्रा टूटी उन्होंने नेकलेस को देखे बिना ही प्यार से कहा,”तुम्हे जो अच्छा लगे तुम ले लो !!”
भावना ख़ुशी ख़ुशी दूसरी चीजे देखने लगी l रूद्र की मम्मी ने एक बार फिर रूद्र को देखा और फिर भावना के साथ गहने देखने लगी l

“शुक्रिया !”,पाकीजा ने रूद्र से कहा
“किसलिए ?”,रूद्र ने अनजान बनते हुए कहा l
“साड़ी के लिए”,पाकीजा ने कहा l
“अच्छा वो ! वो तो मम्मी ने तुम्हारे लिए पसंद की थी l थैंक्यू बोलना है उन्हें बोलो !”,रूद्र ने कहा


“हम जानते है वो आपने ही पसंद करके आंटी को दी थी मुझे देने के लिए और ये भी जानते है की वो आपका पसंदीदा रंग है”,पाकीजा ने रूद्र की तरफ देखते हुए कहा l
रूद्र मुस्कुराने लगा और कहा,”वो रंग तुम पर अच्छा लगेगा !!”
“एक बार शुक्रिया और कहे ?”,पाकीजा ने मासूमियत से कहा
“वो किसलिए ?”,रूद्र ने हैरान होकर कहा


“आपकी वजह से मुझे इन सबका प्यार मिल रहा है , अंकल , आंटी , काव्या और राजीव जी सभी बहुत अच्छे है l इनके साथ रहकर लगता ही नहीं की ये सब अजनबी है l इसके लिए मैं आपका जितनी बार शुक्रिया अदा करू कम है”,पाकीजा ने कहा l
“तुम में एक खास बात है जानती हो क्या ? वो ये की तुम दुनिया को बहुत अलग नजरिये से देखती हो और तुम्हारी यही खूबी तुम्हे सबसे अलग बनाती है”,रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा


“मुझ जैसी लड़की को आपने इतनी इज्जत दी , परवाह की , प्यार दिया , ख़ुशी दी मैं चाहकर भी इस अहसान को चुका नहीं सकती सर”,पाकीजा ने आँखे नम करते हुए कहा
“पाकीजा वो सब तुम्हारा अतीत था उसे बुरा सपना समझकर भूल जाओ और मुस्कुराकर अपनी नई जिंदगी में आगे बढ़ो”,रूद्र ने कहा


“दर्द भूलकर मुस्कुराना इतना आसान नहीं होता सर ! आप हमेशा मुस्कुराते रहते है इसलिए आपको इसका अहसास नहीं है”,कहकर पाकीजा वहा से रूद्र की मम्मी की तरफ चली गयी
रूद्र के होंठो पर दर्दभरी मुस्कान फ़ैल गयी और उसने कहा,”काश तुम इस मुस्कराहट के पीछे का दर्द देख पाती !!”

रूद्र वहा से निचे चला आया l पाकीजा भावना के साथ वाशरूम की तरफ गयी भावना बाहर ही रुक गयी l पाकीजा के अंदर जाते ही भावना वहा से चली गयी और रूद्र की मम्मी के पास आकर चलने को कहा
“पर बेटा पाकीजा कहा है ?”,रूद्र की मम्मी ने इधर उधर देखते हुए कहा l


“मम्मी जी वो तो पहले ही निचे चली गयी”,भावना ने झूठ कहा
“अच्छा ! ठीक है हम लोग भी चलते है”,कहकर रूद्र की मम्मी भावना के साथ सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी l

पाकीजा बाथरूम से बाहर आयी तो भावना को वहा ना पाकर घबरा गयी l उसने इधर उधर देखा लेकिन कहा जाना है उसे कुछ समझ नहीं आया l उसकी आँखों में नमी तैर गयी l दिल घबराने लगा वह बार बार अपने खुदा को याद करने लगी l

रूद्र की मम्मी और भावना निचे आये थे रूद्र को पाकीजा नजर नहीं आयी l
“मॉम पाकीजा कहा है ?”,रूद्र ने बेचैनी से पूछा
“वो निचे नहीं आयी ? पर भावना ने तो मुझसे कहा था की वो निचे आ गयी है “,रूद्र की मम्मी ने सामने से सवाल कर डाला


“मैंने ऐसा कब कहा मम्मी जी मैंने तो कहा था यहाँ नहीं है तो निचे होगी”,भावना ने अपने बचाव में कहा
“आप सब लोग चलकर गाड़ी में बैठिये मैं उसे लेकर आता हु”,कहकर रूद्र वहा से चला गया l
भावना को खुद पर गुस्सा आ रहा था उसकी ये बेवकूफी पाकिजा और रूद्र को और करीब ला देगी l पैर पटकती हुयी भावना वहा से सबके साथ बाहर चली आई l

रूद्र तेजी से भागता हुआ सीढिया चढ़कर ऊपर पहुंचा l वह हाफने लगा था उसने चारो और देखा पर पाकीजा कही नजर नहीं आयी l रूद्र को भावना पर गुस्सा आ रहा था उसी ने पाकीजा के साथ ऐसा किया होगा l पाकीजा को ढूंढता हुआ रूद्र यहाँ से वहा , वहा से यहाँ देखने लगा और आखिरकार पाकीजा उसे मिल गयी l रूद्र भागकर उसके पास गया और हांफते हुए कहा “अच्छा हुआ तुम मिल गयी”


पाकीजा डरी हुई सी एक कोने में खड़ी थी उसकी आँखों में आंसू थे जैसे ही रूद्र की आवाज उसके कानो में पड़ी वह तेजी से पलटी रूद्र को सामने देखकर उसकी आँखो में ठहरे आंसू बह गए l वह रूद्र के गले लग गयी और उसे कसकर पकड़ लिया l रूद्र ने सोचा नहीं था ऐसा कुछ होगा l पाकीजा इतना डर जाएगी ये उसने भी नहीं सोचा था l उसने पाकीजा को गले लगाए रखा l
“हमे लगा सबकी तरह आप भी हमे छोड़कर चले गए , हम बहुत डर गए थे “,पाकीजा ने रोते हुए कहा l


रूद्र ने उसे चुप कराया और उसके आंसू पोछते हुए कहा,”मैं तुम्हे छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा”
रूद्र ने पास शॉप से पानी की बोतल ली और पाकीजा को पिलाई l पाकीजा के शांत होने के बाद रूद्र उसे लेकर लिफ्ट की तरफ बढ़ गया l लिफ्ट बिल्कुल खाली थी रूद्र पाकीजा से कुछ दूरी बनाकर खड़ा हो गया l लिफ्ट बंद होने से पहले ही उसमे कुछ लोग आ गए और फिर एक के बाद एक आते ही गए l भीड़ की वजह से पाकीजा रूद्र के करीब आती गयी l

वह बिल्कुल उसके सामने थी l पाकीजा को परेशान देखकर रूद्र ने उसके चारो तरफ अपने दोनों हाथो को मिलाकर एक घेरा बना लिया जिस से कोई पाकीजा को ना छुए और न ही वह खुद उसे छुए l पाकीजा की परेशानी कुछ कम थी लिफ्ट धीरे धीरे निचे जाने लगी l पहली बार वो रूद्र के इतना करीब थी l रूद्र का दिल तेजी से धड़कने लगा l उसने चेहरा घुमा लिया पाकीजा को देखता तो उसकी गहरी काली आँखों में डूब जाता और इस वक्त उसका होश में रहना बहुत जरुरी था l

भीड़ को देखकर पाकीजा का दम घुटने लगा वह रूद्र के और करीब आयी और अपना माथा उसके कंधे पर टिका दिया l उसने आँखे मूंद ली l रूद्र को लगा जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी उसका दिल सामान्य से भी तेज धड़कने लगा l हलकी गुलाबी सर्दी में भी उसे पसीने आने लगे l उसने अपना सर लिफ्ट की दिवार से लगा लिया l लिफ्ट में मौजूद लोग रूद्र को देखकर मुस्कुरा रहे थे l


रूद्र के कंधे पर सर रखे रखे जैसे ही पाकीजा ने अपना हाथ रूद्र के सीने पर रखा दिल की धड़कने अचानक सामान्य गयी l
क्योकि रूद्र के सीने में धड़कने वाला शिवेन का दिल उस छुअन को आज भी पहचानता था l

“पाकीजा आँखे बंद किये रूद्र के करीब खड़ी रही l रूद्र की बांहे उसके लिए दुनिया की सबसे महफूज जगह थी”

Continue With Part Pakizah – 47

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