Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 13

Pakizah – 13

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 13


सुख विलास , दुसरी मंजिल
फ्लैट नम्बर 301

शाम 7 बजे दरवाजे की घंटी लगातार बजती है l शिवेन उठकर दरवाजा खोलता है सामने मयंक ओर राघव खड़े है
“दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगा दी जनाब ?”,मयंक ने अंदर आते हुए कहा
“वो मैं किचन में था”,शिवेन ने कहा
“अरे वाह आज लौंडा किचन में कैसे ? काम वाली बाई नही आई आज”,राघव ने सोफे पर पसरते हुए कहा l


“नही आज मेरा मन था बनाने का”,कहते हुए शिवेन ने दरवाजा बंद किया और आकार उन दोनों के पास बैठ गया
मयंक – वैसे तूने बनाया क्या है ? टेस्ट तो करा
शिवेन – रुको अभी लेकर आता हूं

कुछ देर बाद शिवेन 2 कटोरी आलू का हलवा ले आया और दोनो की तरफ बढा दिया
मयंक – क्या बात है ! वाह ! क्या गजब बनाया है
राघव – सच मे बहुत टेस्टी है यार कहा से सीखा ?
शिवेन – माँ से ! बचपन मे हमेशा उनको किचन में बनाते देखा है बस सिख गया l तुम लोग खाओ
मयंक – मस्त बना है


राघव – वैट वैट वैट , तुमने मिठा बनाया है और कुकिंग तू तभी करता है जब या तो बहुत खुश होता है या कोई खुशी की बात होती है
मयंक – ओह्ह तेरी ! मतलब इसलिए तूने आज खुद से बनाया , चल बता क्या बात है ?
शिवेन – अबे सालो कोई बात नही है , मन किया तो बना लिया ! तुम लोग भी ना यार


राघव – अच्छा जी ! हमसे कुछ ना छूपा , चल बता आज ये किस खुशी में ,
मयंक – अंकल ने घर बुलाया है क्या ?
शिवेन – तुझे लगता है डेड ऐसा करेंगे ( खीजकर कहता है )
राघव – तो फिर तू ही बता दे क्या हुआ ?


मयंक – अबे कोई लॉटरी लगी है क्या ?
राघव – भाई अब बता भी दे इतना फुटेज क्यों खा रहा है ?

शिवेन मुस्कुराने लगता है ओर कहता है – आज जब मैं स्टेशन पर बेंच से अपना बैग उठा रहा था ना टैब मुझे कुछ मिला
“क्या मिला ? “,मयंक ओर राघव दोनो ने एक साथ पूछा
शिवेन ने जेब से कान की बाली निकाली और टेबल पर रख दी l


राघव ने उसे उठाया और गौर से देखकर कहा ,”ये तो किसी लड़की के कान की बाली लगती है”
मयंक – हा , ओर इसमें इतना ख़ुश होने वाली बात कोनसी है ?
शिवेन – तुम दोनों नही समझोगे ,सोचो इतने लोगो की भीड़ में ये बाली मुझे ही क्यों मिली ?
मयंक – क्योंकि तुझे आदत है फालतू चीजे उठाने की ( हसने लगता है )


राघव – ओर वैसे भी तुझे क्या पता ये किसी लड़की की ही है , किसी आंटी या भुआ की भी हो सकती है
राघव के कहते ही मयंक ओर जोर से हसने लगा
शिवेन – गाइज ! लाओ इधर दो इसे ये एक मेरे पास है मतलब दूसरी उसके पास होगी जिसकी ये बाली है मुझे अब उसे ढूंढना है गाइज


राघव – तू पागल हो गया है क्या ? इस एक बाली के जरिये तू उसे कई ढूंढेगा ? तेरा ना ये घटिया रोमांटिक नावेल पढ़ पढ़ कर दिमाग खराब हो गया है l बाबू किताबो ओर फिल्मों में जो कुछ होता है वो असल जिंदगी में नही होता समझे !
शिवेन – अगर मेरी फीलिंग्स सही है तो मैं उसे ढूंढ कर रहूंगा
मयंक – कैसी फीलिंग्स बे ?


शिवेन – नही पता पर फीलिंग्स है जिनका कोई नाम नही है l इस बाली को देखकर एक पॉजिटिव फीलिंग आती है यार
राघव – ख्वाबो की दुनिया से बाहर आओ सहजादे ओर ये बताओ इस साल का रिपोर्ट कार्ड साईन करवाया
शिवेन – नही , भूल गया
मयंक – क्या ? भूल गए l तुम्हें पता है ना कल कार्ड साईन करवाकर वापस कॉलेज में देना है वरना प्रिंसिपल सबको पनिश करेगा


राघव – ओर तू तो जानता ही है हमारे प्रिंसिपल को कितना खडूस है वो
शिवेन – तो अब क्या करे ?
मयंक – करना क्या है ? तेरे घर चलते है और कार्ड पर साइन करवाकर ले आते है वरना इस साल फाइनल के एग्जाम में तो बिल्कुल बैठने नही दिया जाएगा


राघव – मयंक बिल्कुल सही कह रहा है इस बार प्रिंसिपल ने बहुत स्ट्रिक्ट रुल्स बनाये है
शिवेन – लेकिन डेड ?
राघव – तुम्हे सिर्फ रिपोर्ट कार्ड साईन करवाना है और तुरन्त वापस आ जाएंगे
शिवेन – ठीक है मैं अभी आता हूं

शिवेन उठकर अंदर चला गया तब तक राघव ओर मयंक दोनो अपना अपना हलवा खत्म करने लगे l कुछ देर बाद हाथ मे छोटा सा टिफिन पकड़े शिवेन आया तो मयंक ने कहा – ये हाथ मे क्या है ?
“माँ के लिए है उन्हें हलवा बहुत पसंद है”,शिवेन ने मुस्कुरा कर कहा l

तीनो फ्लेट से बाहर आये और बाइक से शिवेन के घर की तरफ निकल गए l रात के 8 बीज रहे थे शिवेन ने धड़कते दिल के साथ अपने घर की बेल बजायी दरवाजा घर के नोकर ने ख़ोला तीनो अंदर आ गए l
अंदर आकर शिवेन ने देखा उसके डेड अरविंद सिंघल ओर माँ करुणा डायनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे है l करुणा की नजर जैसे ही शिवेन पर पड़ी वो खुशी से भरकर बोल पड़ी ,”शिव आओ बेटा ! खाना लगा दु तुम्हारे लिए भी ?


“नो माँ मैं खाना खा चुका”,शिवेन ने कहा
“इतनी रात को तुम यहाँ ?”,अरविंद ने पूछा
“डेड ये घर मेरा भी है , मैं यहां जब चाहे तब आ सकता हु आई थिंक”,शिवेन ने थोड़ा सख्त लहजे में कहा l
“थैंक गॉड ! तुम इसे अपना घर समझते तो हो”,अरविंद ने टोंड मारते हुए कहा
“क्या आप भी वो इतने दिनों बाद घर आया है , उसे बैठने तो दीजिये”,करुणा ने कहा


“करुणा ये यहां सिर्फ अपने काम से आया है , पैसे खत्म हो गए तो बता दिया होता मैं ट्रांसफर कर देता”,अरविंद ने शिवेन की तरफ देखते हुए कहा
“जी थैंक यू , पर मैं यहां पेसो के लिए नही बल्कि अपना रिपोर्ट कार्ड साइन करवाने आया हु”,शिवेन ने लगभग अरविंद को घूरते हुए कहा
अरविंद उठा वाशबेसिन में अपने हाथ धोकर शिवेन के पास आया और रिपोर्ट कार्ड लेकर देखने लगा

इस साल शिवेन की अटेंडेंस बहुत कम थी मुश्किल से सिर्फ इतनी की उसे एग्जाम में बैठने दिया जॉए अरविंद ने रिपोर्ट कार्ड देखा और फिर शिवेन की तरफ देखकर कहा ,”ये अटेंडेंस इतनी कम क्यों है ?
“वो मैं कुछ दिन…………..!!'”,कहते कहते शिवेन रुक गया


“दिनभर अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमोगे तो अटेंडेंस कहा से पूरी होगी ?”,कहते हुए अरविंद ने शिवेन से कुछ दूर पीछे खड़े उसके दोस्तों को देखते हुए कहा l
“डेड ! मेरे दोस्तों को कुछ मत कहिए”,शिवेन ने कहा
“तुम इन दोनों के साथ सिर्फ अपना टाइम वेस्ट कर रहे हो”,अरविंद ने शिवेन की आंखों में घूरकर देखते हुए कहा l


“वो इसलिए क्योंकि आपके पास कभी मेरे लिए वक्त नही रहा”,शिवेन ने भी आंखों में देखते हुए कहा
“क्या नही दिया मैंने तुम्हें ? पैसा , नाम , गाड़ी घर हर फैसिलिटी दी है”,इस बार अरविन्द चिल्ला पड़े
“चिल्लाईये मत डेड ! हा ये सब दिया है आपने लेकिन जो मुझे चाहिए था वो मुझे आपसे कभी नही मिला ओर वो था आपका प्यार आपका वक्त”,शिवेन ने धीरे से कहा l


“दफा हो जाओ यहां से”,अरविंद ने रिपोर्ट कार्ड पर अपने साईन करके उसे शिवेन के मुंह पर फेंकते हुए कहा l
“रुकना भी कौन चाहता है”,शिवेन ने भी अकड़ कर कहा l
अरविंद वहां से चला गया l शिवेन वही खड़ा उनको जाते हुए देखता रहा l करुणा मयंक ओर राघव चुपचाप ये नजारा देख रहे थे l करुणा शिवेन के पास आई और कहा ,” अपने पापा की बात का बुरा मत मानना बेटा , चल आ खाना खा ले”


“नही माँ पेट भर गया”,शिवेन ने आंखों में आंसू भरकर कहा
“तुम बाप बेटे के झगड़े में हमेशा मैं पिसती हु , आखिर ये सब कब खत्म होगा बेटा ?”,करुणा ने दर्दभरी आवाज में कहा
“आप जानती है मैं डेड के साथ यहां नही रह सकता , वो मुझे कभी नही समझेंगे माँ , ये आपके लिए हलवा लाया था आप खा लेना मैं चलता हूं”,शिवेन ने हाथ मे पकड़ा डिब्बा करुणा के हाथ मे थमा दिया ll


“शिव………!”,करुणा ने कहा
लेकिन शिवेन मयंक ओर राघव के साथ वहां से निकल गया l
करुणा की आंखों से आंसू बहने लगे उसने बिना खाये ही डिब्बा डायनिंग टेबल पर रख दिया और अपने कमरे में चली गयी l

“तुझे अंकल से ऐसे बात नही करनी चाहिए थी”,राघव ने शिवेन से कहा
शिवेन – उन्होंने तुम दोनों के साथ बदतमीजी की
मयंक – तो क्या हुआ ? हमे बुरा नही लगा
शिवेन – पर मुझे लगता है गाइज जब डेड तुम लोगो को भला बुरा कहते है वो नही जानते कि उनकी गैर मौजूदगी में तुम लोगो ने ही मुझे सम्हाला है


मयंक – आई नो लेकिन फिर भी वो तुम्हारे डेड है
राघव – मयंक सही कह रहा है
शिवेन – ये सब छोड़ो यार , बहुत भूख लगी है चलो कुछ खाते है l
मयंक – भूख तो मुझे भी लगी है यार
राघव – मुझे तो प्यास लगी है भाई


शिवेन – तो फिर चलो l
राघव ने बाइक स्टार्ट की ओर तीनो महमूद के ढाबे पर पहुंचे l मयंक ने अपने ओर शिवेन के लिए खाना आर्डर किया और राघव के लिए बियर l
तीनो का आर्डर आ गया l राघव ने बियर का ढक्कन ख़ोला ओर पीने लगा ।
“इतना पियेगा ना तो एक दिन ये लिवर सड़ जाएगा”,शिवेन ने कहा


“कुछ नही होगा बे”,राघव ने एक घूंट पीते हुए कहा l
“शिवेन तू इसके लिए परेशान न हो इसका रोज का है तू खाना खा”,मयंक ने खाते हुए कहा
“फिर भी यार इतना कौन पिता है ?”,शिवेन ने राघव के हाथ से बोतल छीनते हुए कहा
“शिवेन तू न यार ये सब बाते ना कर उतर जाएगी मेरी”,राघव ने बोतल वापस छीनकर कहा


“ऐसे पियेगा तो कौन बाप तुझे अपनी लड़की देगा”,शिवेन ने गुस्से से कहा
“डोंट वरी मैं अपने लिए कोई पियक्कड़ लड़की ढूंढ लूंगा “,राघव ने कहा और हंसने लगा
“फिर तो दोनो साथ बैठकर पीना”,मयंक ने कहा
“बिल्कुल नही तेरे लिए ऐसी लड़की ढूंढूंगा जो तुझे बिल्कुल न पीने दे और तेरी वाट लगा दे”,शिवेन ने कहा


“मेरे लिए बाद में ढूंढना , पहले अपने लिए तो देख”,राघव ने कहा
“मेरे लिए है ना वो बाली वाली लड़की ,, “,शिवेन ने खोए हुए अंदाज में कहा
“अबे कौन बाली वाली , उसे जानता नही पहचानता नही यहां तक के अभी तक उसे देखा भी नही तूने”,मयंक बीच मे बोल पड़ा
“जानता नही फिर भी जानी पहचानी सी लगती है , उसे देखा नही पर ना जाने क्यों दिल कहता है कि वो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की होगी”,शिवेन के चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी


“ये तो भैया मजनू हो गया है , अब इसकी लैला कहा होगी भगवान जाने”,राघव ने कहा
“लैला या फिर लैला की खाला”,मयंक ने कहा तो दोनो जोर जोर से हसने लगे
“हंस लो बेटा जिस दिन वो मिलेगी न उस दिन तुम दोनों को मेरी किस्मत से जलन होगी”,शिवेन ने कहा
“ऐसा कुछ नही है शिवेन बाबु , कोई लड़की नही है हो सकता है किसी की बाली गिर गयी हो ओर उस जगह आ गयी हो”,मयंक ने समझाते हुए कहा


“अगर ऐसा है तो फिर वो तुम्हे ओर राघव को क्यों नही दिखी , मुझे ही क्यों मिली ? क्योंकि किस्मत चाहती है ऐसा हो ओर मैं उस लड़की की तलाश करू ओर क्या पता मेरी तलाश उस पर खत्म हो जॉए”,शिवेन ने मयंक की आंखों में देखते हुए कहा l


“अरे यार बंद करो तुम दोनों ओर खाना खाओ चुपचाप”,राघव ने खीजकर कहा
दोनो चुपचाप खाना खाने लगे l
शिवेन खाते हुए उसी बाली के बारे में सोच रहा था ओर फिर धीरे से कहा – ना जाने कब मुलाकात होगी तुमसे ?

2 दिन बाद , सुबह का समय
जीबी रोड , अम्माजी का कोठा –

मुरली अंदर आया तो अम्माजी ने कहा – क्यों मुरली काम हुआ ?
मुरली – हाँ अम्माजी हो गया
कहकर मुरली ने पाकीजा की सारी जानकारी अम्माजी को दे दी l मुरली जैसे जैसे बोलता जा रहा था अम्माजी के होंठो पर एक मुस्कान आती जा रही थी अम्माजी ने नोटो की गड्डी मुरली की तरफ फेंकी ओर से जाने का इशारा किया l

अम्माजी के शातिर दिमाग में अब कोनसी चाल चल रही थी ये तो वही जानती थी l कुछ देर बाद उसने पास खड़ी लड़की से सोनाली को बुला लाने को कहा l सोनांली आयी तो अम्माजी ने कहा – सोनाली आज रात तुझे अपनी 5 लड़कियों के साथ आई मैक्स डांस बार जाना है , बार के मालिक से मेरी बात हो चुकी है
सोनाली – ठीक है (जाने लगती है)


अम्माजी – अभी मेरी बात पूरी नही हुई है ! 5 लड़कियों में 4 नीलम , रानी , कुसुम ओर माफिया होगी
सोनाली – ओर पांचवी लड़की ?
अम्माजी – पांचवी लड़की वो क्या नाम है उसका ? हां पाकीजा…………..उसे लेकर जाना है
सोनाली – लेकिन अभी वो इन सबके लिए तैयार………..!!! सोनाली ने बात अधूरी छोड़ दी l


अम्माजी – वहां सिर्फ नाचना है कोई रात नही बितानी ओर इतने हाथ पांव तो वह लड़की हिला ही सकती है और अगर ना कर सके तो तू सीखा पर आज शाम को उसे जाना ही है”
सोनाली कुछ कहती इस से पहले ही पीछे खड़ी पाकीजा बोल पड़ी – हम कही नही जाएंगे
“देख लड़की जाना तो तुझे पड़ेगा ही ! तेरे शहर , तेरे घर , तेरे माँ बाप ओर तेरी वो दो छोटी छोटी बहने क्या नाम है उनका ? सलमा ओर नजमा !


अगर तू चाहती है कि वो दोनो सही सलामत रहे तो तुझे वो सब करना होगा जो मैं कहूंगी , वरना उन दोनों को भी नंगा करके यहां बैठा दूंगी”,अम्माजी ने पाकीजा को घूरते हुए कहा
पाकीजा ने जब सुना तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई l अपनी बहनो के बारे में जानकर उसे डर लगने लगा कही अम्माजी उनके साथ भी कोई बुरा सलूक न कर बैठे , नही नही वह ऐसा कुछ नही होने देगी वह अपनी बहनो की जिंदगी बर्बाद नही होने देगी


पाकीजा को सोच में डूबा देखकर अम्माजी ने कहा – मानेगी मेरी हर बात या ले आउ तेरी बहनो को भी इधर “
“मैं आपकी हर बात मानूँगी अम्माजी जी , बस मेरी बहनो के साथ कुछ मत करना “,पाकीजा ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा l
अम्माजी के होंठो पर कुटिल मुस्कान तैर गयी l उसने सोनाली की तरफ देखकर कहा ,”इसे शाम के लिए तैयार कर ओर सीखा”


सोनाली अम्माजी को कोसती हुई पाकीजा के साथ अंदर चली गयी l
अन्दर आकर पाकीजा की आंखों से आंसुओ का बांध टूट पड़ा वो बिस्तर के किनारे बैठी आंसू बहाने लगी सोनाली से देखा नही गया वह पाकीजा के पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”चुप हो जा पाकीजा , इस नीच अम्माजी को मैं बहुत अच्छे से जानती हूं अपने मतलब के लिए ये किसी भी हद तक जा सकती है !”,


“लेकिन मेरी बहने ?”,पाकीजा ने रोते हुए कहा
“जब तक तू यहां है ये तुम्हारी बहनो को कुछ नही करेगी”,सोनाली ने पाकीजा को समझाते हुए कहा l
“मैं अपनी बहनो को बचाने के लिए अम्माजी की हर बात मानूँगी बाजी , मेरी बहने अभी बहुत छोटी है उन्हें मैं यहां नही देख पाऊंगी बाजी”,कहते हुए पाकीजा सोनाली से लिपट जाती है और जोर जोर से रोने लगती है l


सोनाली उसे चुप कराते हुए उसके बालो को सहलाने लगती है और खुद से कहती है

“ये कैसी विडम्बना है भगवान जहां एक लड़की की जिंदगी में इतने सारे दर्द एक साथ लिख दिए तूने”

Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13

Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13 Pakizah – 13

Continue with part Pakizah – 14

Read Previous Part Here – पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 12

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal
pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!