Manmarjiyan Season 3 – 51
Manmarjiyan Season 3 – 51

गुप्ता जी का घर , कानपूर
यादव जी सही सलामत गोलू के सामने खड़े थे और सफ़ेद चादर से ढके गुप्ता जी फर्श पर पड़े थे , जिन्हे गोलू ने मरा हुआ समझ लिया और चिल्लाते हुए अपनी अम्मा की तरफ भागा। गोलू गुप्ताइन के सामने आ बैठा ,
एक पैर सीधा पसार लिया और दुसरा पैर मोड़कर उसके घुटने पर अपना हाथ रखा और सर पीटते हुए कहने लगा,”अरे अम्मा ! जे का हुई गवा ? हमहू सोचे नाही थे पिताजी ऐसे धोखा देइ है , अरे पता होता तो रात मा उनको हिया छोड़कर नाही जाते अपने साथ ही ले जाते रे अम्मा,,,,,,,,,,ए पिताजी ! अब हमका बात बात पर कौन टोके है ? कौन हमको गोलू महाराज कह के बुलाय है रे ? अरे कौन हमाये काण्ड सुनकर हमका गरियाये रे पिताजी ?”
पिंकी ने पहले गोलू को रोते देखा और फिर सफ़ेद चद्दर से ढके गुप्ता जी को और अपने हाथो को पटककर रोने लगी,”ए पापाजी,,,,,,,,,!!”
गोलू ने देखा तो पिंकी को रोका और रोते हुए कहा,”अरे तुमहू काहे अपनी चुडिया तोड़ रही हो पिंकिया हमहू ज़िंदा है , चुडिया तो अम्मा तोड़ी है,,,,,,,,,!!”
गुप्ताइन ने सुना तो रोते रोते रुक गयी और हैरानी से गोलू को देखने लगी , गुप्ताइन को चुप देखकर गोलू ने पिंकी से कहा,”बेचारी पिछले हफ्ते ही शबनम के हिया से नयी चुडिया लायी थी इह का का पतो जे दिन देखी का पड़ी ? सदमा बैठ गवो तबही ना चुप है , ए अम्मा , अरे तुमहू बोल काहे नाही रही ? अरे अब होनी को कोन टाल सकता है ? आने वालो को तो एक दिन जाना ही है,,,,,,,,!!”
उधर घर में रोना धोना सुनकर गुप्ता जी की नींद खुली वे उठकर बैठ गए। उधर गोलू चुप होने का नाम नहीं ले रहा था उसने अपनी छाती पीटते हुए कहा,”अरे इत्ती जल्दी काहे किये पिताजी अभी तो हमायी औलाद को गोद मा खिलाना था ओह्ह का बियाह देखना था ओह्ह से मिले बिना ही चले गए,,,,,,,!!”
गुप्ताइन को अब समझ आया कि गोलू क्यों रो रहा है ? जैसे ही उन्हें समझ आया उन्होंने अपने हाथो को जोर से मारा गोलू की पीठ पर और रोते हुए कहा,”अरे जे का हो गवा हमरे साथ ? गोलू के पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने सुना तो उन लोगो के सामने आये और गुप्ताइन से कहा,”का हुआ ? काहे रो रहे हो ?”
“अरे एक तो हमाओ आदमी मर गवो और मोहल्ला के लोग हमका रोन भी ना देही है”,गुप्ताइन ने अपनी साड़ी का पल्लू मुंह में दबाकर रोते हुए कहा
गुप्ता जी ने सुना तो हैरानी से कहा,”तुम्हे आदमी ? याने हम , अरे हमहू ज़िंदा है गोलुआ की अम्मा , का पगला गयी हो का ?”
गोलू ने सर उठाकर देखा तो उछलकर गुप्ताइन की गोद में जा गिरा और कहा,”अम्मा पिताजी तो भूत बन गए,,,,,,,,,!!”
गुप्ताइन ने गोलू को साइड फेंका और उठकर गुप्ता जी के सामने आकर कहा,”आप ज़िंदा है ?”
“कौन ससुर का नाती तुमहू से कहे रहे कि हमहू मर गए है ?”,गुप्ता जी ने दाँत पीसकर कहा
“हमसे तो गोलू ने कहा”,गुप्ताइन ने कहा
“गोलू ,बाबू हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने बहुत ही प्यार से कहा
गोलू उनके सामने आया और कहा,”जी पिताजी”
गुप्ता जी ने उसकी गुद्दी पकड़ी और दो तीन घुसे उसकी पीठ पर मारकर कहा,”अपने ही बाप की मौत की झूठी खबर फैलाते तुमको शर्म नाही आती,,,,,,,,,,तुम्हरा बस चले ना तो साला ज़िंदा बनारस पहुंचाय दयो हमका”
“अरे पिताजी लेकिन आप ही हुआ सफ़ेद चादर ओढ़ाकर सो रहे थे”,गोलू ने मिमियाते हुए कहा
“तो का हर सफ़ेद चादर ओढ़ाकर सोने वाला लाश है , जे हिसाब से तो रात की ट्रेन मा सवारी नाही लाशे जाती है। अबे मंदबुद्धि पहिले पता तो कर लेबो की हुआ का है कि मुंह फाड़कर रोना शुरू कर दयो,,,,,,,और तुम्हाये साथ साथ जे दोनो भी राग अलाप दी,,,,,,,,,,,,सुबह सुबह घर मा गायत्री मंत्र सुनने को मिले है , जगदीश की आरती सुनने को मिले है पर हिया तो हमाये मरने पर रोना सुनने को मिल रहा,,,,,,,,,और जे सब ना तुम्हायी वजह से हुआ है”,कहते हुए गुप्ता जी ने गोलू को सुबह सुबह परसादी दे दी।
गुप्ताइन ने देखा तो गोलू को गुप्ता जी से छुड़ाया। गोलू लुटा पीटा सा खम्बे के पास जाकर उकडू बैठ गया और बड़ी बड़ी आँखों से गुप्ता जी को देखने लगा।
“तुमहू सर पे चढ़ा ली हो जे मुर्ख लठैत को”,गुप्ता जी ने गुप्ताइन से कहा
“गोलुआ की आड़ मा अपने काण्ड पर पर्दा डालन की कोशिश नाही करो आप , अरे हमहू सब जानते है”,गुप्ताइन ने अकड़कर कहा
“का जानती हो ? और का कांड किये हमहू ? कुछ भी बोले जा रही हो तुमहू,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने चिढ़कर कहा
“कुछ भी नाही बोल रहे है खुद अपनी आँखों से देखे है कल रात मा , उह्ह्ह बिलोटिया के साथ जो इश्क़ लड़ाय रहे ना हमायी नजरो से ना छुपा है उह गोलू के पिताजी , अरे हमहू सोचे नाही थे जे उम्र मा आप,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने गुस्से से कहा
“पिताजी बिलोटिया के साथ इश्क़,,,,,,,,,,इत्ता गिर गवा है आपका स्टेंडर्ड”,खम्बे के पास बैठे गोलू ने कहा
गुप्ता जी ने पास पड़ी चप्पल उठायी और गोलू की तरफ फेंककर कहा,”तुमहू अपना मुंह बंद रखो”
गुप्ता जी गुप्ताइन की तरफ पलटे उनकी नजर पिंकी पर पड़ी तो उन्होंने कहा,”बिटिया तुमहू अंदर जाओ,,,,,,,!!”
“काहे अंदर जाए ? हमायी घरवाली काहे अंदर जाए पिताजी ? अरे जे भी इह घर की सदस्य है इह का भी पूरा हक़ है घर मा जो हो रहा है उह जानने का,,,,,,,,,,,,पिंकिया बाबू तुमहू कही ना जाही हो , आपको जो कहना है कहिये”,गोलू उठकर गुप्ता जी की तरफ चला आया
गुप्ता जी ने गोलू की तरफ देखा और कहा,”ऐसा है ना तो फिर तुम और तुम्हायी बाबू भी सुनो सब,,,,,,,,,,,,ए गुप्ताइन तुमहू जैसा समझ रही हो ना वैसा कुछो नाही है रे ,, अरे हमहू कैसे समझाए तुमका ?”
“कैसे का समझाए हो ? कुछो होगा बोलने को तो कहोगे ना गोलू के पिताजी ? हमका बहुते पहिले से सक था और कल रंगे हाथ पकड़ भी लिए हमहू आपको”,गुप्ताइन ने कहा
“अरे हमहू हाथ जोड़ते है हमायी बात का यकीं करो,,,,,,,,,,,,कल ससुरा जे गोलुआ के चक्कर मा यादव को डिब्बा मार दिये और उह्ह्ह हिया आ गिरा , हमको लगा मर गवा तो ओह्ह का अंदर लिटाए दिए , अभी ओह्ह का ढूंढते हुए फुलवारी हिया आ पहुंची और तुमहू गलत समझ ली,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“अच्छा हमहू गलत समझ लिहे , यादव जी को लेने आयी तो लेकर काहे नाही गयी हमका देखते ही भाग काहे गयी ?”,गुप्ताइन ने कहा
“अरे हमहू खुद कहे रहे ओह्ह से कि जाओ हिया से इत्ती रात मा किसी ने देखा तो सही नहीं रहेगा”,गुप्ता जी गुप्ता जी ने थोड़ा नरम स्वर में कहा
गुप्ताइन कुछ कहती इस से पहले गोलू ने उछलते हुए कहा,”देट्स आल माय लार्ड , पिताजी खुद ही अपने मुंह जे कुबूल कर लिए है कि जे खुद ही फुलवारी को हिया से भेजे रहे”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू की ओर पलटे और एक थप्पड़ उसके गाल पर मारकर दाँत पीसते हुए कहा,”हमहू हिया का कचहरी लगाए है जो तुमहू वकील बने हो , चुपचाप खड़े रहो वरना मुंह खोंच देंगे समझे”
“अरे पिताजी लेकिन हमहू तो आपकी ही मदद कर रहे थे”,गोलू ने अपना हाथ गाल से लगाकर कहा
गुप्ता जी ने गोलू के सामने अपने हाथो को जोड़ा और कहा,”तुम्हायी मदद लेकर हमे और चरस नाही बोनी है अपने जीवन मा गोलू महाराज , साला किसी के घर मा आग लगे और तुमको बुझाये का कहे ना तो तुमहू पानी की जगह पेट्रोल डालकर पूरा गाँव ही जलाय दिए हो,,,,,!!”
पिंकी ने देखा मामला गंभीर है तो उसने गोलू को पीछे खींचा और दबी आवाज में कहा,”चुप रहो ना गोलू , हमे लगता है जे माजी पिताजी का निजी मामला है , तुम बीच में ना पड़ो,,,,,,,!!”
पिंकी ने जो कहा वो गुप्ता जी को सुन गया तो उन्होंने गोलू को ताना मारते हुए कहा,”देखा , सीखो कुछो बहू से दुसरो के निजी मामलों में बोलना नाही होता,,,,,,,!!”
“निजी कहा से हुआ हिया तो आपकी और फुलवारी चचिया की बात होय रही है”,गोलू ने तुनककर कहा
गुप्ता जी ने गोलू को नजरअंदाज किया और गुप्ताइन को समझाने की कोशिश करते हुए कहा,”हमायी बात सुनो गुप्ताइन हमहू सच कह रहे है हमरा उनसे कोनो रिश्ता नाही है,,,,,,,,,,,अरे आज तक तुम्हाये अलावा किसी को नजर भर कर देखे तक नाही है”
“तो अब देख लयो,,,,,,,,,और देख का लयो अब तो आज शाम आपको हमाये मंगल फूफा ही देखी है,,,,,,,,आन दयो ओह्ह का जे सारी सफाई ओह्ह के सामने ही देना”,कहकर गुप्ताइन वहा से चली गयी।
गुप्ता जी ने मायूसी से जाती हुई गुप्ताइन को देखा पिंकी भी वहा से चली गयी। गोलू गुप्ता जी के पास आया और कहा,”पिताजी एक ठो बात पूछे ?”
“पूछो”,गुप्ता जी ने मायूसी भरे स्वर में कहा
“इश्क़ लड़ाने के लिए आपको जे यादववा की मेहरारू ही मिली,,,,,,,!!”,गोलू ने बहुत ही गंभीरता से पूछा
गुप्ता जी ने खा जाने वाली नजरो से गोलू को देखा और कहा,”हमहू भी तुमसे एक ठो सवाल पूछे गोलू ?”
“अरे पूछिए ना पिताजी,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“बिना मार खाये चले जाओगे हिया से या फिर से नमूना दिखाए”,गुप्ता जी ने कहा तो गोलू अगले ही पल वहा से 9 2 11 हो गया। बेचारे गुप्ता जी बैठे बैठे एक नयी मुसीबत में पड़ चुके थे।
बनारस , उत्तर प्रदेश
मिश्रा जी , मिश्राइन , वेदी और फूफा बनारस पहुंचे। अम्मा की अस्थिया विसर्जन करने के बाद मिश्रा जी वही घाट पर चले आये। पंडित जी ने पूजा करवाई और सब खत्म होते होते 8 बज चुके थे। भूख के मारे फूफा के पेट में चूहे दौड़ने लगे। शगुन के पापा विनोद चाचा और अमन वही घाट पर उन सबसे मिलने आये। अब मिश्रा जी अपनी अम्मा अस्थिया विसर्जन करने आये थे इसलिए किसी के घर नहीं जा सकते थे।
गुप्ता जी ने बहुत कहा लेकिन मिश्रा जी ने साफ मना कर दिया। सभी वही घाट पर बैठकर चाय पीने लगे। वेदी , मिश्राइन और अमन एक तरफ बैठे थे। मिश्रा जी गुप्ता जी और विनोद के साथ बैठे थे। फूफा अकेला ही सामने घूम रहा था। जब उन्होंने देखा सब बातो में व्यस्त है तो सबसे नजरे चुराकर चाय की टपरी से चाय और बिस्कुट लिया और टपरी के पीछे उकडू बैठकर जल्दी जल्दी निपटाने लगे।
मिश्राइन अमन से बाते कर रही थी और उनके पीछे बैठी वेदी अमन को देखकर खुश हो रही थी। अमन ने सोचा वेदी से बात करेगा लेकिन सबके सामने वेदी से क्या बात करे ? वह भी बस मिश्राइन से बात करते हुए बीच बीच में वेदी को देख लेता।
चाय आयी सब चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद विनोद ने कहा,”अरे ए अमन ! अब मिश्रा जी घर तो जा नाही रहे तो एक ठो काम करो ऊपर जाकर कुछो नाश्ता पानी यही ले आओ”,विनोद ने कहा
“हाँ अभी ले आते है”,अमन ने उठकर कहा
“अरे विनोद जी रहने दीजिये ना अभी 12 बजे की ट्रेन है तो स्टेशन पर खाय लेंगे और वही से निकल जाही है हम लोग,,,,,,काहे तकलीफ कर रहे है ?”,मिश्रा जी ने कहा
“इसमें तकलीफ कैसी ? आप लोग समधी है हमारे अब आपको ऐसे जाने देंगे तो हमे अच्छा नहीं लगा,,,,,,,,,अमन तुम जाओ बेटा , और जे पैसे पकड़ो”,गुप्ता जी ने 500 का नोट निकालकर अमन की तरफ बढ़ा दिया।
अमन जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”अरे उह्ह्ह बिचारा अकेले सब कैसे लाये है ? हमहू ओह्ह के साथ चले जाते है”
“आप कहा जाएगी , वेदी बिटिया तुमहू जाओ अमन के साथ मा ओह्ह की मदद हो जाही है”,मिश्रा जी ने कहा
वेदी को और क्या चाहिए था ? उसने ख़ुशी ख़ुशी हामी में सर हिलाया और अमन के साथ चल पड़ी। मिश्रा जी ने देखा फूफा कही नजर नहीं आ रहे तो मिश्राइन से कहा,”आदर्श बाबू कही नजर नाही आ रहे ?”
“हमहू हिया है , जो भी मंगवा रहे हो हमाये लिए दो मंगवाना”,चाय की टपरी के पास बैठे फूफा ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा
पहले वाली चाय और बिस्किट तो वह कबका निपटा चुके थे ये तो दूसरी चाय थी।
गुप्ता जी और विनोद के सामने मिश्रा जी अब फूफा से क्या कहते लेकिन उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि फूफा फिर पिटने वाले है। गुप्ता जी किसी विषय पर मिश्रा जी से बात करने लगे तो मिश्रा जी का ध्यान हटा।
मिश्रा जी का घर , कानपूर
लवली और गुड्डू एक ही कमरे में सो रहे थे। लवली बेहोश गुड्डू को घर से बाहर ले जाना चाहता था लेकिन आँगन में गोलू को सोया देखकर वह अपने मकसद में कामयाब ना हो सका। सुबह सबके उठने से पहले लवली गुड्डू को लेकर घर से चला जाएगा और फिर वापस आकर गुड्डू की जगह ले लेगा सोचकर लवली बिस्तर पर सो गया। पहली बार लवली इतने मुलायम और गद्देदार बिस्तर पर सोया था। उसकी आँख लग गयी और इसके बाद जो गहरी नींद लवली को आयी है सुबह तक उसकी आँख नहीं खुली।
चद्दर में लिपटा लवली बिस्तर पर सो रहा था। उसे देखकर समझ नहीं आये कि वो कौन था। नीचे बिस्तर के बगल में गिरे गुड्डू को होश आया तो वह उठा और अधखुली आँखों से बिस्तर की तरफ देखा लगा। गुड्डू को लगा बिस्तर पर गोलू सो रहा है तो वह कमरे से बाहर निकल गया। गुड्डू आँखे मसलते हुए नीचे आया। बीती रात जो हुआ गुड्डू को वह याद नहीं था। गुड्डू आकर मिश्रा जी के तख्ते पर बैठा और शगुन को आवाज दी लेकिन शगुन पीछे आँगन में थी।
गुड्डू उठकर खुद ही किचन की तरफ आया तो देखा भुआ वहा है तो उसने कहा,”भुआ ! एक ठो कप चाय देइ दयो हमका , सर बहुते भारी भारी होय रहा है”
“हमहू ना देही है गुडडुआ वरना कल रात के जइसन फिर कहे हो कि भुआ ने हमका चाय दी ही ना,,,,,,,,,,जे रहा गैस जे रहा दूध खुद ही बनाय लयो”,भुआ ने कहा और वहा से चली गयी
“अब इनको का हो गवा है , अम्मा और पिताजी वापस आ जाये बस,,,,,,,,!!”,कहकर गुड्डू भी किचन से बाहर चला आया और शगुन को बुलाने आँगन की तरफ चला गया
गुप्ता जी और गुप्ताइन के झगडे से बचने के लिए गोलू वापस गुड्डू के घर के लिए निकल गया।
लवली की आँख खुली तो वह चौंककर उठा और बिस्तर के बगल में देखा गुड्डू वहा नहीं था ये देखकर लवली के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। वह जल्दी से बिस्तर से नीचे आया और कमरे से बाहर निकला। छुपते छुपाते लवली कुछ सीढिया उतरकर नीचे आया देखा गुड्डू नीचे था। ये देखकर लवली ने अपनी पीठ दिवार से चिपका ली ताकि कोई उसे देख ना ले।
गुड्डू तो वहा से चला गया लेकिन उसी वक्त गोलू वहा आया उसने गुड्डू को तो नहीं देखा लेकिन सीढ़ियों पर चिपके लवली पर जब उसकी नजर पड़ी तो वह उसके पास आया और कहा,”अरे गुड्डू भैया ! जे दिवार पर छिपकली बन के काहे चिपके हो ?”
गोलू को अचानक वहा देखकर लवली गिरते गिरते बचा। गोलू नीचे रहा और गुड्डू से मिला तो कही लवली का राज सामने ना आ जाये इसलिए उसने गोलू को खींचकर ऊपर ले जाते हुए कहा,”अरे गोलू तुम , चलो ना ऊपर चलकर बात करते है”
“गोलू आया है का ? हमहू अभी उसकी आवाज सुने”,शगुन के साथ किचन में जाते गुड्डू ने कहा
“गोलू जी तो सुबह जल्दी चले गए , उनके घर से फोन आया था”,शगुन ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा और बाहर चला आया
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संजना किरोड़ीवाल

