Manmarjiyan Season 3 – 40

Manmarjiyan Season 3 – 40

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

भुआ ने सुना तो खींचकर गोलू को एक थप्पड़ मारा और कहा,”मरे नाही है उह्ह , लोटा आकर लगा सर पे तो गिर गए है,,,,,,,,,,हटो परे , ए कोमलिया के पापा तुमहू ठीक तो हो ना”
भुआ के एक थप्पड़ से ही गोलू का पूरा सर झन्ना गया  

वेदी ने पानी लाकर भुआ को दिया तो भुआ ने नीचे गिरे फूफा को उठाया और पानी पिलाते हुए कहा,”पता नहीं कौन मनहूस उह लोटा को फेंकी है,,,,,,,,!!”
“लोटा तो हमने,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू बड़बड़ाते हुए भुआ की तरफ बढ़ा लेकिन अगले ही पल वापस पलट गया क्योकि बेचारे को याद आया उसके फेंके लोटे की वजह से ही फूफा को लगी थी।


“हमहू ठीक है राजकुमारी तुमहू अम्मा का बक्सा खुलवाओ,,,,,,,,!!”,फूफा ने अपने ललाट पर आये फोड़े को सहलाते हुए कहा
मिश्राइन ने सुना तो बड़बड़ाई,”कितने बेशर्म है ये लोग,,,,,,ऐसी हालत मा भी इनको अम्मा के बक्से की पड़ी है,,,,,,,!!”


“अम्मा भुआ को बूढ़ा के बक्से की चाबी देइ दयो,,,,कही बक्से की माला जपते जपते फूफा का दम ना निकल जाए”,गुड्डू ने कहा
“ए गुडडुआ जियादा ना होंको समझे,,,,इत्ती जल्दी ना मरे है हमहू,,,,,!!”,फूफा ने गुड्डू को देखकर कहा
“गुड्डू तुम शांत रहो , जीजी इह लयो चाबी और खोल लेओ बक्सा,,!!”,मिश्राइन ने चाबी भुआ जी को देकर कहा।

भुआ ने ख़ुशी ख़ुशी चाबी ली और अम्मा के बक्से की तरफ बढ़ गयी जो कि आँगन में ही रखा था। सबकी नजरे उस बक्से पर थी। गोलू तो अभी तक भुआ से मिले थप्पड़ के सदमे में ही था। बुआ से बक्से का ताला नहीं खुला तो उसने बुलाया भी गोलू को ही क्योकि अब भुआ और फुफा को घरवालो से ज्यादा गोलू पर विश्वास था। गोलू भुआ के पास आया और कहा,”अब का है तब तो परसादी के जइसन थप्पड़ हमाये गाल पर चिपका दी अब काहे बुला रही हो ?”


“माफ़ करना गोलू ! तुमहू बात ही ऐसी किये कि हमको गुस्सा आ गवा , बाकि तुम्हरे लिए हमरे दिल मा बहुते इज्जत है,,,,,,,,,,ज़रा इह ताला खोल दयो हमसे खुल नाही रहा है”,भुआ ने गोलू को बहलाते हुए कहा
“हमरी बात का बुरा लग गवा और खुद जो बात बात पर फूफा के नाम से अपनी चूडिया तोड़ने को तैयार रहती थी तब सही था,,,,,,,,,कसम से भुआ उम्र का लिहाज कर लिए वरना आप हमको जानती नहीं है गुंडई का दुसरा नाम है गोलू”,गोलू ने अम्मा के बक्से का ताला खोलते हुए कहा


“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”


“उह्ह्ह जल्दी जल्दी मा 3 की जगह 4 बन गयी , एक काम करो ना फूफा के साथ भुआ को भी ले जाओ बनारस,,,,,,,,,,फूफा बेचारे अकेले बोर हो जायेंगे”,गोलू ने खिंसियाते हुए कहा  
“तुम्हायी राय नाही मांगे है , ना ही हमका तुम्हरी राय चाहिए,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा
“काहे ?”,गोलू ने नंगी तलवार के सामने अपनी गर्दन करके कहा


मिश्रा जी ने गोलू को देखा और कहा,”का है ना बेटा कि फ़टे दूध की चाय और गुप्ता के लौंडे की राय दोनों बेकार है,,,,,,,एक पेट तो दूसरी जिंदगी खराब कर देती है,,,,,,,,,भाग जाओ यहाँ से वरना कूट देंगे”
गोलू ने वहा से भागने में ही अपनी भलाई समझी , वैसे भी उसे आज मिश्रा जी से की डांट से ज्यादा अम्मा के बक्से में दिलचस्पी थी। वह एक बार फिर आँगन में आया तब तक भुआ अम्मा का बक्सा खोल चुकी थी जो कि सामान से पूरा भरा पड़ा था

भुआ ने सबके सामने अच्छा बनने का दिखावा करते हुए कहा,”अम्मा के बक्से से हमहू कुछो ले ओह्ह से पहिले हमहू चाहते है शगुन , वेदी , कोमलिया और भाभी आप लोग अपनी अपनी पसंद का कुछो ले ले,,,,,,,,,ताकि बाद में कोनो हमसे जे ना कहे कि हमने सब अकेले हड़प लिया”


“लगता है जे राजकुमारी पगला गयी है , सबको पहले लेने को बोल रही है। अरे उह शगुन वेदी बहुते चालाक है सब महंगा महंगा सामान खुद उठा लेगी और सरिता जी उह तो इन दोनों से भी तेज है देखना उह कुछो छोड़ेगी ही नहीं बक्से मा,,,,,,,,,,,,जे राजकुमारी को आखिर हो का गवा है ?”,फूफा बड़बड़ाये तभी उनके बगल में खड़े गोलू ने कहा,”सठिया गयी है आपकी राजकुमारी,,,,!!”


फूफा ने बगल में खड़े गोलू को देखा और कहा,”ए गोलू जियादा बकवास ना करो हमायी राजकुमारी के बारे मा कुछो ना कहना समझे,,,,,अभी भी उह 30-35 की लगती है , उह्ह तो अम्मा के जाने के गम मा थोड़ी दुबला गयी है वरना ओह्ह के चेहरे की रंगत नाही देखे तुमहू,,,,,,,,,!!”


“हमको कबाड़ देखने का कोनो सोक नाही फूफा और सुनो हमायी बात लोमड़ी को कितना भी मोर पंख चिपकाय दयो रही है उह लोमड़ी ही,,,,,,,,,,और तुमहू का हिया बक्से का हिस्सा देख रहे हो अरे बनारस जाना है कि नाही तुमका ? जाकर मिश्रा जी से टिकट का पूछो,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो फूफा उसे डांटते डांटते रह गये और वहा से चले गए।

गोलू ने देखा भुआ कुछ ज्यादा ही दिलदार बन गयी है और सबको पहले बक्से में से अपनी पसंद का कुछो लेने को बोल रही है तो गोलू भी उनके पास आया और कहा,”ए भुआ ! हमहू का कह रहे थे कि हमायी ना मिश्रा जी से बात हुई थी ,, हमहू गुड्डू भैया के खासमखास दोस्त है और थोड़े से मिश्रा खानदान के सदस्य भी,,,,,,,,,,ददिया को पुरे मन से श्रद्धांजलि भी दिए है और ओह्ह के लिए छाती फाड़कर रोये भी है तो हम जे कह रहे हे कि जे बक्से मा थोड़ा सा हिस्सा तो हमरा भी बनता है,,,,,,,,,,,,,लेकिन सिर्फ आप हाँ कहेगी तब,,,,,,,,,तो हमहू ले ले कुछो ?”


गोलू ने भुआ को अमूल वाला मक्खन लगाया और भुआ पिघल गयी उन्होंने सर हिलाकर गोलू से भी कुछ उसकी पसंद का लेने का इशारा कर दिया।
सबसे पहले कोमल गयी उसने अम्मा के बक्से में रखा बहुत सुन्दर बैग उठाया जो अम्मा ने अपने हाथ से बुना था , बैग दिखने में बहुत ही सुन्दर था कोमल ने उसे उठाया और चहकते हुए कहा,”हमहू तो जे लेइ है , कालेज मा लेकर जायेंगे तो बहुते अच्छा लगेगा हम पर,,,,,,,,,,!!”


“लेइ लयो बिटिया,,,,,,,,,भाभी तुमहू भी ले लेओ कुछो बाद में ना कहना हमने कुछो लेने नाही दिया”,भुआ ने मिश्राइन को देखकर मुंह बनाते हुए कहा
मिश्राइन को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन सबके सामने उन्होंने खुद को रोक लिया और बक्से की तरफ बढ़ते हुए कहा,”उह तो हमहू लेंगे ही जीजी , जब अम्मा की अपनी औलाद इतना गिर सकती है तो हमहू तो फिर जे घर की बहू है,,,,,,,,हम काहे नाही लेंगे ? हमहू भी लेंगे”


मिश्राइन बक्से के पास आयी और उसमे सामान इधर उधर करके देखने लगी , बक्से में बहुत कुछ था लेकिन मिश्राइन ने अम्मा की शादी की साड़ी निकाली जिसे अम्मा ने अब तक सम्हाल के रखा था और सबको दिखाते हुए कहा,”हमहू बस जे लेंगे,,,,,,,,,,अम्मा की निशानी के रूप में बाकि सब तुमहू रखो जीजी”
भुआ ने देखा मिश्राइन ने सिर्फ अम्मा की एक साड़ी ली है तो उन्हें अपने किये का अफ़सोस होने लगा लेकिन वे चुप रही।

वेदी बक्से की तरफ बढ़ी और उसमे रखा अम्मा का पुराने ज़माने वाला श्रृंगारदान उठाया जिसे बचपन में वेदी बहुत पसंद करती थी और खेलने के लिए अम्मा से मांगती थी लेकिन अम्मा उसे कभी देती नहीं थी अम्मा तो अब रही नहीं थी इसलिए वेदी ने उनकी याद के तौर पर वो पुराना श्रृंगारदान उठाया और लेकर मिश्राइन के पास चली आयी अब बची शगुन मिश्राइन ने शगुन से जाने को कहा तो शगुन ने मना करते हुए कहा,”रहने दीजिये माजी मुझे दादी के बक्से से कुछ नहीं चाहिए”


“अरे लेइ ल्यो बहु वरना तुम्हायी सास कही है हमने ना लेने दिया,,,,,,,,,जो तुम्हरा दिल करे ले लो , अब इत्ता बड़ा दिल करके सबसे लेने को कह दिए है तो तुमहू भी लेइ ल्यो”,भुआ ने कहा
शगुन ने सुना और मिश्राइन की तरफ देखा तो मिश्राइन ने जाने का इशारा किया। शगुन बक्से के पास आयी और काफी देर तक उसमे सामान यहाँ वहा किया , ये देखकर भुआ को घबराहट होने लगी उन्हें लगा शगुन अम्मा के गहने ढूंढ रही है। गुड्डू और गोलू की नजर भी शगुन पर ही थी कि आखिर शगुन अम्मा के बक्से में ऐसा क्या ही ढूंढ रही है ?

कुछ देर बाद शगुन हाथो में कुछ धार्मिक किताबे उठाये पलटी और मिश्राइन की तरफ चली आयी। मिश्राइन ने शगुन के हाथो में किताबे देखी तो मुस्कुरा उठी , उन्हें शगुन पर गर्व महसूस हो रहा था। गुड्डू भी शगुन की समझदारी पर फ़िदा हो गया और पास खड़े गोलू के कंधे पर कोहनी टीकाकार ऊँगली होठो से लगाकर कहा,”हमाये वाली मास्टरनी है न तो किताबे ही उठाएगी”


“हाँ हमाये वाली होती तो सीधा पैसो पर हाथ साफ करती,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“ऐसा काहे ?”,गुड्डू ने पूछा
गोलू गुड्डू की तरफ पलटा और कहा,”अरे उह गाना नाही सुने मुंबई की ना दिल्ली वालो की , पिंकी है पैसे वालो की,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो गोलू के सर पर एक चपत लगाकर कहा,”भक्क साला कुछ भी बोलते हो,,,,,,,!!”


गोलू हसने लगा और फिर भुआ के पास आकर कहा,”ए भुआ हमहू भी हाथ साफ,,,,,,,,,,,,,हमरा मतलब अम्मा के बक्से से कुछो लेइ ले”
“अरे हाँ हाँ गोलू जो तुमको अच्छा लगे ले लो,,,,,,,,!!”,भुआ ने खुश होकर कहा
“सोच लो भुआ बाद में आना कानी ना करना , देने से मना ना करना,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने वहा मौजूद लोगो को सुनाते हुए कहा


“अरे जाओ गोलू इत्तो छोटो दिल भी ना है हमाओ , जाओ ले लो जो लेना है नहीं करेंगे मना,,,,,,,वचन देते है”,भुआ ने कहा
गोलू ने भुआ के हाथ से बक्से का ताला चाबी लिया और कहा,”हाँ तो फिर हमको जे बक्सा ही चाहिए उह भी सामान के साथ,,,,,,,,,,!!”
भुआ ने सुना तो हक्की बक्की रह गयी गोलू ने  बक्से को ताला लगाया और चाबी जेब में डालते हुए कहा,”भुआ देखो अब गुस्सा ना करना तुमहू वचन दी हो हमका”


भुआ गोलू की बातो में फंस चुकी थी , उन्होंने इधर उधर देखा फूफा भी वहा नहीं थे जो भुआ की साइड लेते गोलू ने जान बुझकर पहले ही उन्हें वहा से भेज दिया था। भुआ खिंसिया कर गोलू को देखने लगी तो गोलू भी मुस्कुराया और बाकि सब से कहा,”आप सब लोग का देख रहे है अपने अपने घर जाईये अम्मा का बक्सा खुल चुका और बंट चुका,,,,,,,,,,भुआ का पैक अप”


सभी इधर उधर चले गए और भुआ जीतकर भी सब हार गई वो भी गोलू के चक्कर में , उन्होंने मिश्राइन को देखा और पैर पटकते हुए वहा से चली गयी। गोलू चाबी लेकर मिश्राइन के पास आया और चाबी उनकी तरफ बढाकर कहा,”इह लयो चाची घर की अमानत घर की लक्ष्मी के हाथ मा रहे तो ही अच्छी लगती है”
शगुन , वेदी और मिश्राइन के साथ आज गुड्डू भी गोलू को देखता ही रह गया।

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संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

“ओह्ह्ह कानपूर के गुंडे हिया आवा ज़रा,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी की आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो गोलू ने ताला चाबी भुआ को दिया और मिश्रा जी की तरफ आकर कहा,”हाँ चचा ! टिकट मिला ना आपको ?”
मिश्रा जी ने गोलू को सर से लेकर पाँव तक देखा और कहा,”टिकट तो मिल गवा पर हमको जरा इह बताओ कि बनारस जाने वाले तो सिर्फ तीन लोग है फिर जे चौथी टिकट किसके लिए करवाए हो , तुम्हाये ससुर के लिए या तुमको लेकर जाए,,,,,,,,,,एक काम बताओ उह ढंग से नाही होता है तुमसे,,,,,,,,,,,जवाब काहे नाही देते , मुंह मा दही जमा लिए हो ?”

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