Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

मनमर्जियाँ – S92

Manmarjiyan – S92

Manmarjiyan Season 2

Manmarjiyan – S92

शगुन बनारस में थी और गुड्डू कानपूर , दोनों एक दूसरे से अलग , दोनों एक दूसरे से दूर। शगुन जहा गुड्डू से दूर होकर दुखी थी परेशान थी वही गुड्डू को भी शगुन की कमी का अहसास था और उस अहसास को कम करने के लिए वह दिन भर सोया रहा। शाम में भी वह बिना खाना खाये ही सो गया। मिश्रा जी गुड्डू से बात करना चाहते थे पर देर से आने की वजह से गुड्डू सो गया था और उन्होने उसे नहीं उठाया।
सुबह गुड्डू उठा , चेहरा उदासी से घिरा हुआ था और आँखों में खालीपन पसरा हुआ था। गुड्डू कमरे से बाहर आया और नीचे चला आया। वाशबेसिन के सामने आकर हाथ मुंह धोये , कुल्ला किया और फिर आकर आँगन की सीढ़ियों पर बैठ गया। मिश्रा जी नहाकर आ चुके थे देखा गुड्डू सीढ़ियों पर बैठा है तो उन्होंने मिश्राइन से गुड्डू को चाय देने का इशारा किया और खुद पूजा पाठ करने चले गए। मिश्राइन ने चाय का कप लिया गुड्डू की तरफ चली आयी। उन्होंने चाय का कप गुड्डू की तरफ बढाकर कहा,”गुड्डू जे चाय पि लो , कल से तुमहू कुछो खाये नहीं हो कुछो बनाय दे तुम्हाये लिए ?”
“नहीं अम्मा अभी चाय दे दो बाद में खा लेंगे”,गुड्डू ने उदासी भरे स्वर में कहा
“ठीक है तुम चाय पीओ तब तक तुम्हाये नहाने के लिए पानी गर्म कर देते है फिर नहाय ल्यो , थोड़ा अच्छा लगेगा तुम्हे”,मिश्राइन ने कहा
“हम्म्म”,गुड्डू ने चाय ली और पीने लगा। मिश्राइन वहा से चली गयी। गुड्डू चाय पीने लगा नजर सामने गली में खेलते बच्चो पर चली गयी , गुड्डू को अपना बचपन याद आने लगा। कितना खुश रहता था गुड्डू , तब ना कोई टेंशन थी ना ही कोई परेशानी बस दिनभर मस्ती करता था अपने दोस्तों के साथ और जब बड़ा हुआ तो कितनी ही परेशानिया उसकी जिंदगी में आ गयी , आज ना कोई दोस्त उसके साथ था ना ही उसके चेहरे पर ख़ुशी थी। गुड्डू चाय पीते हुए ये सब सोच ही रहा था की तभी घर के दरवाजे के सामने एक गाड़ी आकर रुकी। उसमे से एक आदमी और एक सजी धजी लड़की उतरी गुड्डू को लड़की जानी पहचानी लगी। लड़की लड़के के साथ जैसे ही अंदर आयी गुड्डू को देखते ही उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और उसने कहा,”अरे गुड्डू भैया कइसे हो ? सब खैरियत ?”
“लाजो,,,,,,,,,,,,,,,कहा चली गयी थी तुम ?”,लड़की की आवाज से गुड्डू ने उसे पहचान लिया
“अरे का बताये गुड्डू भैया , चाचा चाची बुलाय रहे गाँव और फिर इनके साथ ब्याह तय कर दियो हमाओ ,, तबसे बस घर ग्रहस्थी में बिजी हो गए ,, आप बताओ आप कैसे हो ? जरा दुबला गए हो पहिले से खाते वाते नहीं हो का ?”,लाजो ने बोलना शुरू किया तो नॉनस्टॉप बोलते ही चली गयी।
“हम ठीक है बाहर काहे खड़ी हो अंदर आओ”,गुड्डू ने उठते हुए कहा
“अरे बिल्कुल आप सबसे ही तो मिलने आये है कानपूर”,लाजो ने कहा और अपने पति के साथ अंदर चली आयी। लाजो ने देखा कुछ भी नहीं बदला था इस घर में। फर्नीचर से लेकर घर के पौधे तक वही थी। अंदर आकर उसने एक राहत की साँस ली आखिर इस घर में कितना वक्त गुजरा है उसका। मिश्राइन ने देखा तो हैरानी से कहा,”अरे लाजो का शादी कर ली तुमने और हमे बताया तक नहीं”
“पाँय लागू चाची , अब का बताये सब इति जल्दी जल्दी में हुआ की कुछो समझ ही नहीं आया”,लाजो ने कहा
“खुश रहो बिटिया , दामाद जी भी आये है बैठो बेटा,,,,,,,,,,,,वेदी सुनो जरा”,मिश्राइन ने लाजो और उसके पति को बैठाकर वेदी को आवाज लगाई। वेदी बाहर आयी उसने लाजो को देखा तो खुश हो गयी और कहा,”इतने दिन कहा थी तुम और शादी भी कर ली ?”
“जे लो हमायी शादी ना हो गयी बवाल हो गया , सबको हैरानी हो रही है”,लाजो ने हसंते हुए कहा तो वेदी हसने लगी। मिश्राइन ने वेदी से लाजो और उसके पति के लिए चाय नाश्ता बनाने को कहा और खुद वहा उनके पास बैठकर बतियाने लगी। लाजो ने देखा घर में सब है पर शगुन कही दिखाई नहीं दे रही है उसने इधर उधर नजर दौड़ाई और कहा,”अच्छा चाची शगुन भाभी नजर नहीं आ रही है , कहा है उह ?”
गुड्डू ने लाजो के मुंह से शगुन का नाम सूना तो उसे शगुन की याद आ गयी साथ ही वो सब भी जब उसने शगुन को घर से निकाला था। गुड्डु वहा से उठकर चला गया मिश्राइन समझ गयी इसलिए गुड्डू को नहीं रोका और लाजो से कहा,”शगुन मायके गयी है उसकी बहन की शादी है ना इसलिए”
“आप सब नहीं गए ?”,लाजो ने पूछा
“हम सब भी जायेंगे लेकिन शादी वाले दिन”,मिश्राइन ने कहा
“अरे जे जानी पहचानी आवाज किसकी लग रही है हमे कौन आया है ?”,अम्मा ने कमरे से बाहर आते हुए कहा
“अरे अम्मा हम है लाजो,,,,,,,,,,,,,!!!”,लाजो ने कहा
“अरे बिटिया तुमहू तो ऐसी गयी की दोबारा शक्ल ही ना दिखाई अपनी , कैसी हो ?”,अम्मा ने वहा पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा
“हम एकदम चकाचक अम्मा , आपके घुटनो का दर्द कैसा है ?”,लाजो ने पूछा
“अभी थोड़ा ठीक है”,अम्मा ने कहा वेदी सबके लिए चाय नाश्ता ले आयी। कुछ देर बाद मिश्रा जी भी चले आये उन्होंने बैठकर लाजो और उसके पति से बात की।

शगुन का नाम सुनकर गुड्डू थोड़ा अपसेट हो गया। उसने शगुन को घर से निकाल दिया इस बात का उसे अब थोड़ा थोड़ा दुःख हो रहा था। परेशान सा वह अपने कमरे में आया लेकिन कमरे में आते ही उसे फिर शगुन का ख्याल आने लगा। जो अच्छे पल उसने शगुन के साथ गुजारे थे वो एक एक करके उसकी आँखो के सामने आने लगे और इन सब से उकताकर गुड्डू वापस नीचे चला आया। मिश्रा जी गुड्डू से बात करना चाहते थे लेकिन गुड्डू ने बाइक निकाली और वहा से निकल गया। मिश्रा जी लाजो और उसके पति के सामने गुड्डू को रोक नहीं पाए। गुड्डू घर से निकला , गलियों से होते हुए सड़क पर पहुंचा। वह कहा जा रहा था कुछ नहीं जानता था बस चला जा रहा था। दो दिन में ही गुड्डू का हुलिया चेंज हो गया। आँखों में बेचैनी और चेहरे पर उदासी थी। बाइक आकर मोती झील के सामने वाली सड़क पर आकर रुकी।
गुड्डू ने बाइक को साइड में लगाया और अंदर चला आया। ख़ामोशी से चलते हुए गुड्डू के मन में इस वक्त कई सवाल थे जिनका जवाब उसके पास नहीं था। गुड्डू झील किनारे आने पत्थर पर बैठ गया। दिमाग उलझा हुआ था और मन दुःख से भरा हुआ इस वक्त उसके पास कोई नहीं था जिस से वह अपने मन की बात कह सके। गुड्डू का मन भारी होने लगा। गुस्से में आकर उसने जो फैसले लिए वो सब अब उसे गलत लग रहे थे।

उसे शगुन के साथ किया बर्ताव याद आने लगा और वह खुद से ही कहने लगा,”जे सब का कर दिया तुमने गुड्डू , ऐसे तो ना थे तुम। शगुन ने झूठ बोला तुमसे बातें छुपाई उसके लिए उस से नाराज होना ठीक है पर इस तरह उसे घर से बाहर निकाल देना जे हक़ तुमको किसने दिया ? शगुन के साथ ठीक नहीं किया तुमने। शगुन ने हमेशा हमारा साथ दिया हम सही थे तब भी गलत थे तब भी,,,,,,,,पर हमने एक बार उसकी बात तक नहीं सुनी। सही कहती थी शगुन की हमारा गुस्सा हमारा दुशमन है। हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है की हम का करे ? जिस इंसान को अपना दोस्त माना , जिसे भाई का दर्जा दिया उसने इतनी बड़ी बात छुपाई ,, तकलीफ उसके बात छुपाने से नहीं है पर जे एक बात छुपाने के लिए उसने हमसे कितने झूठ बोले तकलीफ उस बात से थी। शगुन पहली लड़की होगी हमायी जिंदगी में जिसके इतना करीब गए हम , जिसे पसंद करने लगे , जिस से हमे प्यार हुआ ,, उसने भी हमसे ये सब छुपाया भले इसके पीछे कोई भी वजह रही हो पर हमसे जे बर्दास्त काहे नहीं हुआ ? अगर हमे पाने के लिए शगुन ने ये सच छुपाया है तब भी गलत किया। कितना मानते थे हम उसको , उसकी कही हर बात मानने का दिल करता था हमारा , हमे लगता था की एक सिर्फ वो है जो हमे समझ सकती है हमारे जज्बातो को समझ सकती है पर उसने भी वही किया जो बाकि सब ने किया हमारा दिल तोड़ दिया। पिताजी ने शगुन के लिए हमे थप्पड़ मारे हमे उसका कोई दुःख नहीं है पर उन्होंने ये नहीं पूछा की हमने ऐसा काहे किया ? क्यों पूछेंगे हमेशा से उनको अपने फैसले हम पर थोपने की आदत जो है। सबको लगता है गुड्डू ने गलत किया पर साला कोई जे ना देखता की इन सब में सबसे ज्यादा दिल भी हमारा टुटा , हमे कितनी तकलीफ हुई वो किसी को ना दिखी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हम कर भी क्या सकते है यहाँ बैठकर अपना दुःख खुद को सूना सकते है बस ?’
कहकर गुड्डू चुप हो गया उसकी आँखों में आये आंसू बहने लगे। झूठ कहते है लोग की लड़के रोते नहीं है , वो रोते है जब वो अपनी भावनाओ को शब्द नहीं दे पाते , वो रोते है जब वो अपने मन की पीड़ा किसी को समझा नहीं पाते , वो रोते है जब किसी को पाने से पहले खो देते है , लड़के भी रोते है बस कोई कंधा देने वाला चाहिए।
गुड्डू वहा बैठकर ख़ामोशी से रोता रहा , इस वक्त उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह सही गलत के बीच फंसकर रह चुका था और इस वक्त उसे सही गलत में फर्क समझाने वाली शगुन उसके पास नहीं थी , उसे गले लगाकर उसका दुःख कम करने वाला उसका दोस्त गोलू उसके साथ नहीं था , प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे हिम्मत देने वाले उसके पिताजी भी उसके पास नहीं थे। सबको गोलू की शादी की चिंता थी , शगुन के आंसुओ का ख्याल था पर बेचारे गुड्डू का क्या ? यादास्त जाने के पहले और बाद में उसने भी अपनी जिंदगी में कभी सुकून के पल नहीं देखे थे। गुड्डू ने हाथ की बाजु से अपने आंसू पोछे और सामने शांत बहते पानी को देखने लगा। उस पानी को निहारते हुए गुड्डू खुद को कुछ महीने पीछे ले गया।
वो वक्त जिसमे गुड्डू खुश रहता था , जिसमे गोलू उसके साथ होता था , वह वक्त जब वह मिश्राइन से कहकर अपनी पंसद का खाना बनवाया करता था , रौशनी से झगड़ते हुए कई बार उसके बाल खींचता था , जब मिश्रा जी उसे आवाज देते थे तो कैसे उसे अपने किये सारे काण्ड याद आ जाते थे। कॉलेज में रामभरोसे टीचर से रोज ताने सुनना , कॉलेज की केंटीन में बैठकर चाय समोसा खाना , अपनी बाइक पर घूमना , दोस्तों के साथ शाम में चाय की टपरी पर बैठना गुड्डू को वो सब याद आ रहा था और फिर एकदम से वह खुद से कहने लगा,”सबको लगता है हम बदल गए है और कभी कभी हमे भी लगता है पर जे कोई ना जानता की कई बार हमारे साथ ये होता था की लगता था जैसे जे सब पहिले हो चुका है। शगुन हमाये लिए एक अनजान लड़की थी लेकिन जब हमाये करीब होती थी तो हमारा दिल धड़क उठता था पर एक सुकून भी था ,, उसके साथ रह के कभी महसूस नहीं हुआ की वो अजनबी है ,, गोलू की शादी देखते हुए लगा की जैसे हम ये कर चुके है ,, धुंधली सी यादें धुंधले से चेहरे , कुछ समझ नहीं आता हमारे साथ ऐसा क्यों होता है ? किसी से कहते नहीं क्योकि कहेंगे तो सब हमे पागल समझेंगे। शगुन के घर सबने हमें ऐसे सम्मान दिया जैसे हम कोई बहुत बड़े इंसान हो। आज लाजो ने भी शगुन को ना जाने क्यों भाभी कहकर पुकारा,,,,,,,,,,,,,,,जे सब बातें अंदर ही अंदर हमे खाये जा रही है लेकिन हम किसी से का कहे ? हमाये सवालो का जवाब खुद हमाये पास भी नहीं है।
शगुन को घर से हमने ही निकाला और अब यहाँ बैठकर उसके बारे में हम ही सोच रहे है ? उसे याद कर रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत याद कर रहे है। हम बहुत उलझे हुए है शगुन हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है कभी कभी तो लगता है जैसे हमारा दिमाग फट जाएगा। तुमने हमारा गुस्सा देखा हमायी नाराजगी देखी लेकिन उस वक्त जे सब करते हुए हमे कितनी तकलीफ हो रही थी काश तुमहू वो भी देख पाती,,,,,,,,,,,,,,,उस वक्त तुमसे जाने को कहा क्योकि हम नहीं चाहते थे की हमारा गुस्सा तुम्हाये लिए नफरत में बदल जाये। तुम हमाये सामने रहती तो हमे बार बार वही सब याद आता। हमाये मन में तुम्हाये लिए कुछो गलत भावना नहीं है शगुन हम जो किये वो बहुते गलत था , उस वक्त कुछो समझ नहीं आ रहा था हमे और हमाये इसी गुस्से की वजह से हमने तुम्हे पाने से पहले ही खो दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,किस मुंह से तुमसे माफ़ी मांगेंगे”
कहते हुए गुड्डू चुप हो गया और दूर बैठे एक प्रेमी जोड़े पर उसकी नजर चली गयी। दोनों हाथो में हाथ डाले बैठे थे लड़की का सर लड़के के कंधे पर था और वह मुस्कुराते हुए लड़के को देखे जा रही थी। गुड्डू वही लेट गया हाथो को सर के नीचे लगा लिया और खाली पड़े आसमान को निहारने लगा। दो दिन से गुड्डू ने कुछ खाया नहीं था भूख का अहसास हुआ तो वह उठा और चला गया। दिनभर गुड्डू यहाँ से वहा बाइक लेकर घूमता रहा घर जाने का मन नहीं था क्योकि घर में घुसते ही उसे फिर शगुन की याद आने लगती और उसकी यादो से बचने के लिए ही गुड्डू घर से बाहर था !

बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह सुबह घर में प्रीति की हल्दी की तैयारियां चल रही थी। शगुन अपने कमरे में बैठी गुड्डू के बारे में सोच रही थी। प्रीति कमरे में आयी उसने शगुन का बैग उठाया और हल्दी में पहनने के लिए उसके लिए कपडे निकालने लगी लेकिन जब उसने बैग में शगुन के रोजाना वाले कपडे देखे तो कहा,”ये क्या दी मेरी शादी में आप ये सब पहनने वाली है ?”
शगुन की तंद्रा टूटी तो उसने कहा,”प्रीति शायद मैं गलती से ये बैग ले आयी , कपड़ो वाला सूटकेस वो लेकर आएंगे”
प्रीति को शगुन की बातो में कुछ गड़बड़ लगी तो वह उसके पास आयी और कहा,”दी कही आप मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रही है ना ?”
“तू कुछ ज्यादा ही सोचने लगी है , गुड्डू जी ने कहा की मैं अपने साथ ज्यादा सामान लेकर ना जाऊ जब वो आएंगे तब ले आएंगे। इसलिए मैं ये बैग ले आयी वो भी गलती से,,,,,,,,,,,वैसे भी मेरी शादी के टाइम जो कपडे मैंने खरीदे थे उन्हें एक बार ही तो पहन पाई थी मैं वो कब काम आएंगे ?”,शगुन ने प्रीति के सर पर चपत लगाते हुए कहा
“सॉरी मैं सच में बहुत सोचने लगी हूँ पर हाये मेरे जीजू कितने केयरिंग है आपको तकलीफ ना हो इसलिए कहा खुद ले आएंगे,,,,,,,,,,,,,पर आज मेरी हल्दी है तो आज तो आपको उसके अकॉर्डिंग ही पहनना होगा ना , एक मिनिट,,,,,!!”,कहते हुए प्रीति कबर्ड की तरफ आयी और उसमे से एक पीले रंग का सूट निकालकर शगुन को दिखाते हुए कहा,”ये मैंने अपने लिए लिया था पर इसे आज आप पहन लो , आप पर बहुत अच्छा लगेगा इसके साथ पिंक दुपट्टा भी है”
“प्रीति मैं ये नहीं पहनूंगी,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा जिसका बिल्कुल मन नहीं था लोगो के बीच जाने में
“क्यों नहीं पहनेंगी आप ? क्या आप इस शादी से खुश नहीं है दी ?”,प्रीति ने उदास होकर पूछा
“ये कैसी बाते कर रही हो तुम ? मैं बहुत खुश हूँ पागल”,शगुन ने कहा
“अगर खुश हो तो फिर उठो और ये पहनकर नीचे आ जाओ , मुझे सब नीचे बुला रहे है मैं जाती हूँ”,कहकर प्रीति ने शूट शगुन की बगल में रखा और चली गयी। शगुन बहुत उदास थी पर प्रीति की ख़ुशी के लिए उसे अपनी उदासी छुपानी पड़ी और तैयार होकर वह नीचे चली आयी। निचे सभी मेहमान जमा थे प्रीति की हल्दी के लिए। शगुन कुछ देर के लिए अपना सारा दर्द और तकलीफ भूलकर सबसे हँसते मुस्कुराते मिलने लगी। पारस भी अपनी पत्नी सोनिया और अपने घरवालों के साथ प्रीति की हल्दी में आया था हालाँकि वह शगुन से नाराज था लेकिन उसे देखते ही उसका गुस्सा गायब हो गया। वह आकर शगुन से मिला शगुन ने उसे शादी की बधाई दी। पारस ने जब गुड्डू के बारे में पूछा तो शगुन ने झूठ बोल दिया जैसे अब तक वह सबसे बोलती आ रही थी। शादी के बाद सोनिया और भी प्यारी लगने लगी थी शगुन उसे अपने साथ ले गयी और दोनों हल्दी की थाली लेकर आँगन में चली आयी जहा चौकी पर बैठी प्रीति को सब हल्दी लगा रहे थे। शगुन ने भी अपनी बहन को हल्दी लगाईं तो प्रीति ने कहा,”कितना अच्छा होता ना दी अगर आप और जीजू मुझे साथ साथ हल्दी लगाते”
प्रीति का इतना ही कहना था की शगुन ने अब तक जिन आंसुओ को रोक रखा था वो आँखों में भर आये। शगुन वहा से निकलकर सीढ़ियों की तरफ चली गयी। किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन पारस ने देख लिया। उसने सोनिया के साथ प्रीति को हल्दी लगाईं और वहा से निकलकर शगुन के पीछे चला आया। शगुन अपने कमरे में आयी वह जल्दी जल्दी उस कमरे में कुछ ढूंढने लगी , कभी कबर्ड तो कभी टेबल की दराजे। आखरी दराज में उसे एक डायरी दिखी शगुन ने उसे निकाला और उसके पन्नो के बीच रखी गुड्डू की तस्वीर को निकालकर देखने लगी। आँख में रुके आंसू बहकर उस तस्वीर पर गिरने लगे। शगुन खुद को नहीं सम्हाल पा रही थी। सबसे झूठ बोलते बोलते वह थक चुकी थी। गुड्डू की तस्वीर को देखते हुए शगुन की आँखों के सामने गुड्डू के साथ बिताये पल आने लगे। खिड़की के बाहर नीचे गली में दुकान पर गाना बज रहा था जो की शगुन की मनोस्तिथि को बयां कर रहा था
“आंसुओ की धूप में , कोई चल रहा इधर
कहकशो की चाह में , कोई चल रहा उधर
कोई किसी से है गुम हुआ कोई किसी को मिल गया
कोई किसी से है गुम हुआ कोई किसी को मिल गया
हमसफर तो है मगर , मंजिले है जुदा जुदा”
song Credit – राहत फ़तेह अली खान और सचिन गुप्ता (स्टोरी को फील करने के लिए इसे यूट्यूब पर सुन सकते है )
इस गाने ने शगुन के दर्द को और बढ़ा दिया उसने अपनी उंगलियों को गुड्डू की तस्वीर पर छूआ तो आँखों के आंसू निकलकर फिर फोटो पर आ गिरे। पारस शगुन के पीछे आया लेकिन शगुन के हाथ में फोटो और उसका उदास चेहरा देखकर वह दरवाजे पर ही रुक गया।

Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92Manmarjiyan – S92

क्रमश – Manmarjiyan – S93

Read More – मनमर्जियाँ – S91

Follow Me On – facebook | yourquote

Follow Me On – instagram | youtube

संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan Season 2

36 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!