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मनमर्जियाँ – S47

Manmarjiyan – S47

Manmarjiyan

मनमर्जियाँ – S47

बनारस , उत्तर-प्रदेश
शगुन आँखे मूंदे , हाथ जोड़े , मन ही मन गुड्डू के लिए प्रार्थना कर रही थी। वही गुड्डू एकदम उसकी बगल में आ खड़ा हुआ लेकिन दोनों ने ही एक दूसरे को नहीं देखा। शगुन का दिल एकदम से धड़कने लगा उसे लगा जैसे गुड्डू उसके आस पास ही है। गुड्डू का मन एकदम शांत था लगा जैसे वह फिर से किसी जानी पहचानी जगह आ गया है। घाट पर महाआरती चल रही थी सभी महादेव की भक्ति में लीन थे। वेदी , अमन और प्रीति शगुन से अलग थे वह चौकी के बिल्कुल करीब जाकर खड़े हो गए थे।
आरती खत्म हुई। शगुन ने आँखे खोली और जैसे ही पलटी अपनी बगल में गुड्डू को खड़ा देखकर उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ। कुछ देर पहले जिसके बारे में सोचकर वह महादेव से प्रार्थना कर रही थी वह उसके सामने खड़ा था।
“आ आप यहाँ ? क्या आप सच में है ?”,शगुन के मुंह से मुश्किल से ये शब्द निकले
गुड्डू के कानो में शगुन की आवाज पड़ी तो उसने झट से अपनी आँखे खोली देखा शगुन उसके सामने खड़ी है। ख़ुशी तो बहुत हुयी लेकिन गुड्डू शगुन के सामने अपनी ख़ुशी जाहिर नहीं करना चाहता था इसलिए बिना किसी भाव के कहा,”हां हम ही है”
शगुन ने सूना तो ख़ुशी से मन खिल उठा , कितने दिनों बाद वह गुड्डू को देख रही थी , उसकी आवाज सुन रही थी। उसकी ख़ुशी उस से छुपाये नहीं छुप रही थी आँखों से होंठो से साफ झलक रही थी। प्यार भरी आँखों से शगुन बस गुड्डू को देखते रही तो गुड्डू ने कहा,”अब इतना भी मत देखो हमे नजर लग जाएगी”
शगुन ने सूना तो नजरे गुड्डू से हटा ली। क्या कहे क्या ना कहे ? कुछ समझ नहीं आ रहा था बस मन ही मन महादेव् का शुक्रिया अदा कर रही थी। गुड्डू का भी यही हाल था की शगुन से क्या कहे ? दोनों की भावनाये इस वक्त ऐसी थी जैसे किसी प्रेमी-प्रेमिका का पहली बार मिलना। दोनों इस उलझन में ही थे की प्रीति , वेदी और अमन शगुन की तरफ चले आये। गुड्डू को वहा देखकर प्रीति ख़ुशी से गुड्डू के पास आयी और कहा,”जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
लेकिन अगले ही पल उसे याद आ गया की गुड्डू को कुछ याद नहीं है तो उसने गुड्डू से मुड़कर शगुन की तरफ आकर कहा,”दी यहाँ क्या कर रही हो आप घर चलो ?”
ये कहते हुए प्रीति की आवाज में ख़ुशी की खनक साफ सुनाई दे रही थी।
“भैया आप कब आये ? आप भी प्रीति की सगाई में आये हो ? पिताजी मान गए आपको यहाँ भेजने के लिए ?”,वेदी ने गुड्डू से पूछा
“हम किसी की सगाई में नहीं आये है हम तो गोलू के साथ आये है उसके काम से”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखते हुए कहा जैसे कहना चाह रहा हो की उसके लिए भी आया है।
“हाँ तो फिर मेरी सगाई में भी आ जाईयेगा इनको (शगुन की तरफ इशारा करके) तो आप जानते ही होंगे मैं हूँ इनकी छोटी बहन प्रीति , कल मेरी ही सगाई है और आपको आना पडेगा ,, वेदी भी हमारे ही घर में रुकी है तो आप भी वही रुक जाना”,प्रीति एक साँस में सब बोल गयी अमन को ये सब अजीब लगा उसने जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुंह खोला प्रीति ने अपना पैर उसके पैर पर दे मारा।
“आह्ह”,अमन चिल्लाया तो सबका ध्यान उसकी तरफ गया लेकिन प्रीति ने उसे सम्हाल लिया और कहा,”वेदी खड़ी क्यों हो अपने भैया को लेकर घर चलो ना , दी को भी ले जाओ मैं और अमन आते है”
“चलिए भैया”,वेदी ने कहा तो गुड्डू उसके साथ साथ चल पड़ा शगुन भी चली गयी। प्रीति ने अमन को सारी बाते समझायी तो उसे समझ आया की उसे गुड्डू को सिर्फ वेदी का भाई समझना है और कुछ नहीं। दोनों घाट से बाहर आये। गुड्डू वेदी शगुन जा चुके थे , अपनी गाड़ी के पास गोलू खड़ा था प्रीति ने देखा तो दौड़कर गोलू के पास आयी और गले लगते हुए कहा,”वाह गुप्ता जी कमाल कर दिए तुम तो गुड्डू जीजू को डायरेक्ट बनारस में ही ले आये”
प्रीति को वहा देखकर गोलू ने कहा,”अरे ये गुड्डू भैया कहा है ?”
“जीजू तो घर गए”,प्रीति ने कहा
“जे का किया तुमने ? अरे यार हम उन्हें तुम्हायी सगाई के अरेजमेंट के बहाने ही तो यहाँ लेकर आये थे , घर जाकर तो हमारा सारा प्लान चौपट हो जाएगा”,गोलू ने कहा
“यार तुम ना गधे हो एक नंबर के , यहाँ आने से पहले सब प्लान बताना था ना ,, अब खड़े खड़े मेरी शक्ल क्या देख रहे हो चलो”,प्रीति ने गाड़ी का खोलकर अंदर बैठते हुए कहा तो गोलू उसकी तरफ आया और दरवाजा खोलकर कहा,”गाड़ी बंद पड़ चुकी है , पैदल जाना पडेगा”
गोलू की वजह से प्रीती को अब उस पर गुस्सा आ रहा था उसने पहले अपने माथे पर हाथ मारा और फिर गाड़ी से उतरकर अमन से कहा,”अमन तुम गोलू जी की गाड़ी को ठीक करवाकर घर ले आना हम लोग पैदल ही जा रहे है”
प्रीति और गोलू वहा से निकल गए और दोनों रस्ते में आगे की प्लानिंग करते हुए जा रहे थे , जिसमे प्लानिंग कम और बहस ज्यादा थी।

शगुन , वेदी और गुड्डू शगुन के घर पहुंचे। चाचा ने जैसे ही गुड्डू को देखा उसके पास आये और कहा,”अरे दामाद जी आप , बड़ी देर से आये हमे लगा इकलौती साली की सगाई है एक हफ्ते पहले आएंगे आप , खैर कोई बात नहीं आईये अंदर आईये ना”
एक अनजान आदमी के मुंह से अपने लिए दामाद जी शब्द सुनकर गुड्डू को थोड़ा अजीब लगा उसने जैसे ही विनोद से कुछ कहना चाहा शगुन बीच में बोल पड़ी और विनोद से कहा,”अरे चाचा जी वो कल के लिए हलवाई ने जो लिस्ट दी थी वो देख लीजिये आप , सुबह सुबह भाग दौड़ में भूल जायेंगे सब”
“हां बेटा अच्छा याद दिलाया मैं अभी जाकर उनसे मिलता हूँ , तुम इन्हे अंदर लेकर जाओ मैं आता हूँ”,कहकर विनोद वहा से चला गया। गुड्डू तो अभी भी उलझन में था की ये हो क्या रहा है वह जैसे ही जानने के लिए शगुन की तरफ पलटा शगुन ने कहा,”चलिए”
“पहिले इह बताओ उह कौन था और हमे दामाद काहे कह रहा था ? हमायी तो अभी तक शादी भी नाही हुई है”,गुड्डू ने कहा
अब बेचारी शगुन क्या समझाती गुड्डू को इसलिए उसने वेदी की तरफ देखा और कहा,”वेदी तुम समझाओ अपने भैया को मैं ज़रा आती हूँ”
कहकर शगुन वहा से रफू-चक्कर हो गयी फंस गयी वेदी। गुड्डू ने वेदी की तरफ देखा तो वेदी खिंसियाकर मुस्कुराने लगी और फिर गुड्डू से पीछा छुड़ाने के लिए कहा,”अरे वाह पिताजी भी आये है”
पिताजी का नाम सुनकर गुड्डू ने पीछे देखा लेकिन वहा कोई नहीं था। गुड्डू वापस वेदी की तरफ पलटा वेदी भी गायब थी , गुड्डू इन सब से झल्ला गया वह घर से बाहर चला आया और गोलू का इंतजार करने लगा। घर में आते जाते सारे लोग गुड्डू को नमस्ते कर रहे थे और गुड्डू उन्हें जवाब भी दे रहा था। कुछ देर बाद गोलू प्रीति के साथ आया गोलू को देखते ही गुड्डू उसके पास आया और उसे साइड ले जाकर कहा,”सबसे पहले तो हमे जे बाताओ की हम शगुन के घर मा का कर रहे है ? और यहाँ जिसे देखो वो हमे नमस्ते कह रहा है , उसके घरवाले हमे दामाद जी कह रहे है जे सब चल का रहा है गोलू ?”
“भैंस की आँख,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू बड़बड़ाया जो नहीं होना था वही हुआ। गोलू को बड़बड़ाते देखकर गुड्डू ने कहा,”हमे यहाँ नहीं रुकना चलो यहाँ से अभी के अभी”
अपना प्लान फ़ैल होता देखकर गोलू ने कहा,”अरे भैया सॉरी हम ना बताना भूल गए थे , जो आर्डर हमने लिया है ना वो इनकी ही सगाई का है (कहते हुए कुछ दूर खड़ी प्रीति की तरफ इशारा करता है जो की गुड्डू को देखकर मुस्कुरा देती है) जे तो हमें भी हिया आकर पता चला की ये शगुन जी की बहन है ,, वैसे अच्छा है फैमिली वाला माहौल रहेगा”
“पुरे बनारस में तुमको जे ही घर मिला था ?”,गुड्डू ने थोड़ा गुस्से से कहा
“हमको एक ठो बताओ परेशानी अपने काम से है या शगुन जी को देखकर बैचैन हो ?”,गोलू ने बात का रुख मोड़ते हुए कहा। शगुन के नाम से गुड्डू हिचकिचा गया और कहा,”हम हम काहे परेशान होंगे उनको देखकर , उह तो सब हमे दामाद दामाद बोल रहे है इसलिए अजीब लग रहा है हमे”
“का पता शगुन के घरवालों को आप पसंद आ गए हो और उन्होंने आपको दामाद बनाने का सोच लिया हो”,गोलू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“हम ना मुंह तोड़ देंगे तुम्हारा”,गुड्डू ने गोलू को घूरते हुए कहा
“का यार गुड्डू भैया मजाक कर रहे है , एक तो ऐसे ही बहुते गर्मी है उस पर तुमहू और गरमाय रहे हो ,, चलो चलकर कुछो ठंडा खिलाते है”,कहते हुए गोलू गुड्डू को खींचकर वहा से ले गया।
गुड्डू के आने से प्रीति जहा बहुत खुश थी वही शगुन उतनी ही परेशान वह नहीं चाहती थी किसी भी बात की वजह से गुड्डू के दिमाग पर प्रेशर पड़े और वह परेशानी में आये। बेचैनी से शगुन अपने कमरे के बाहर छत पर यहाँ से वहा घूम रही थी तभी प्रीति आयी और उसे पीछे से हग करते हुए कहा,”मैं बहुत खुश हूँ गुड्डू जीजू यहाँ आये है , मेरी सगाई में”
शगुन परेशान सी प्रीति की तरफ पलटी और कहा,”उन्हें यहाँ किसने बुलाया ?”
“ये कैसा सवाल है ? वो इस घर के बड़े दामाद है क्यों नहीं आ सकते ?”,प्रीति ने शगुन को घूरते हुए कहा
“प्रीति गुड्डू जी इस घर के दामाद है ये बात हमे पता है लेकिन गुड्डू जी को नहीं , बार बार वो यहाँ सबके मुंह से ऐसी बाते सुनेंगे तो परेशान हो जायेंगे ऐसे में कही,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते शगुन रुक गयी तो प्रीति ने उसके दोनों कंधो पर हाथ रखते हुए कहा,”रिलेक्स दी ऐसा कुछ नहीं होगा हो सकता है इस माहौल में रहकर गुड्डू जीजू को सब याद आ जाये और इस बार वो हमेशा के लिए आपको अपने साथ ले जाये”
“लेकिन पापा जी को पता चला तो वे गुड्डू जी से गुस्सा होंगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा तभी पीछे से गोलू ने आते हुए कहा,”मिश्रा जी ने ही हमे हिया भेजा है भाभी , उनके कहने पर ही हमने गुड्डू भैया से झूठ कहा की हमे बनारस में डेकोरेटिंग का आर्डर मिला है और उन्हें यहाँ ले आये। इस घर के दामाद है गुड्डू भैया अब वो यहाँ नहीं होंगे तो अच्छा नहीं लगेगा ना”
“कल घर में सब मेहमान आएंगे , उनके बीच गुड्डू जी रहेंगे तो उन्हें शक हो जाएगा कही ऐसा न हो बात बनने के बजाय और ज्यादा बिगड़ जाये”,शगुन ने कहा
“अरे दी आप ना कुछ ज्यादा ही टेंशन ले रही हो , हम सब है ना हम लोग गुड्डू जीजू को मेहमानो के पास जाने ही नहीं देंगे , सम्हाल लेंगे क्यों गोलू जी ?”,कहते हुए प्रीति गोलू की तरफ देखती है लेकिन गोलू किसी और ही सोच में डूबा हुआ था। प्रीति ने उसे कोहनी मारते हुए कहा,”है ना गोलू जी ?”
“हां हाँ हां हां भाभी हम सम्हाल लेंगे आप टेंशन मत लो”,गोलू ने जैसे नींद से जागते हुए कहा। शगुन का दिल फिर भी नहीं मान रहा था वह वहा से चली गयी। प्रीति गोलू की तरफ पलटी और कहा,”अब क्या करेंगे गोलू जी ? दी तो जीजू के आने से और ज्यादा परेशान हो गयी है”
“वही हम सोच रहे है खैर हम करते है कुछो जुगाड़ बस तुमहू ना अपनी जबान को थोड़ा आराम दो जे गुड्डू भैया के सामने बार बार जीजू जीजू कहना बंद करो नहीं तो पक्का उनको शक हो जाएगा”,गोलू कहा और चला गया। प्रीति मुस्कुरा उठी कुछ देर बाद उसका फोन बजा और वह रोहन से बातें करती हुयी साइड में चली गयी। गुप्ता जी ने जब गुड्डू को देखा तो ख़ुशी से फुले नहीं समाये , जैसे ही वे गुड्डू की ओर जाने लगे शगुन ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और समझा दिया की गुड्डू के सामने सच नहीं आना चाहिए। गुप्ता जी नॉर्मली जाकर गुड्डू से मिले और उसके बाद चले गए। घर के हाल में खड़ा गुड्डू कोल्ड ड्रिंक पि रहा था , उसने देखा की सारा अरेजमेंट पहले ही हो चुका है उसने सामने से आते गोलू को पकड़ा और कहा,”अबे गोलू तुमहू कहे थे हम हिया अरेजमेंट के लिए आये है , पर यहाँ तो पहले से सब हुआ पड़ा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम का खिचड़ी पका रहे हो जे बाताओ ?”
गोलू फिर फंस गया लेकिन तिकड़मबाज ठहरा इसलिए तुरंत झूठ बोल गया,”अरे भैया वो यहाँ आने से पहले ही हमने लड़को से कहकर सारा अरेजमेंट करवा दिया था , हमारा मेंन काम कल रहेगा ना”
गुड्डू ने गोलू को देखा और कहा,”गोलू हमे ऐसे काहे लग रहा है की तुम्हायी लंका लगने वाली है ?”
“वो तो जबसे पैदा हुए है तब से लग रही है”,मन ही मन कहते हुए गोलू ने गुड्डू को देखा और मुस्कुरा दिया

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