मनमर्जियाँ – S43
Manmarjiyan – S43
मनमर्जियाँ – S43
एक लम्बे इंतजार के बाद आखिर पारस ने सोनिया के प्यार को स्वीकार कर ही लिया। पारस ये मान चुका था की शगुन उसका अतीत था और सोनिया उसका वर्तमान। जब पारस ने कम शब्दों में अपनी भावनाये व्यक्त की तो सोनिया ने मारे ख़ुशी के उसे गले लगा लिया। कुछ देर बाद सोनिया पारस से दूर हटी और कहा,”आज मैं बहुत खुश हूँ , ये शहर मुझे वापस सिर्फ आपके लिए लेकर आया था आज इस शहर को बांहो में भरने का मन कर रहा है”
सोनिया की चमचमाती आँखे देखकर पारस को बहुत सुकून मिल रहा था। उसने सोनिया के हाथो को थामा और कहा,”तो फिर कब कर रही है शादी ?”
“इतनी जल्दी भी नहीं करनी है , अभी तो आपके साथ वक्त बिताना है , बनारस घूमना है , वो सब करना है जो रिलेशनशिप में होता है ,, जब प्यार हुआ ही है तो क्यों ना शादी भी लव मैरिज हो”,सोनिया ने कहा
“कभी कभी आप भी बच्ची बन जाती है”,पारस ने कहा
“उम्र कितनी भी बढे दिल हमेशा बच्चे जैसा ही रहना चाहिए तभी जिंदगी जीने का मजा आता है”,सोनिया ने कहा तो पारस मुस्कुराने लगा और फिर कहा,”वो तस्वीर वाली लड़की मेरी बहुत अच्छी दोस्त है , शगुन नाम है उसका कॉलेज में हम दोनों साथ ही थे ,, मैं नहीं जानता मेरे और उसके बीच ऐसा क्या है जिस से मैं उसे खुद से दूर नहीं कर पा रहा ,, आज भी उसकी आँखों में आंसू देखता हूँ तो परेशान हो जाता हूँ। मेरे मन में उसके लिए कोई गलत भावना नही है बस वो जहा भी रहे खुश रहे मैं खुश हूँ”
“फिर तो मुझे भी उनसे मिलना है जिसकी आप इतनी तारीफ कर रहे है”,सोनिया ने कहा
“हम्म्म जल्दी ही मिलवा दूंगा , शगुन की बहन की सगाई है तब वो बनारस आएगी तब मिल लेना , जब उसे पता चलेगा की मैं शादी करने के लिए तैयार हूँ तो वो बहुत खुश होगी”,पारस ने कहा सोनिया सिर्फ उसकी आँखों में देख रही थी जिनमे शगुन के लिए आज भी इज्जत और प्यार था , पर ये प्यार दोस्ती वाला था सोनिया ये समझ चुकी थी उसने पारस के करीब आकर कहा,”आपके और शगुन के बीच जो रिश्ता है उसे किसी को समझाने की जरूरत नहीं है , मेरी ख़ुशी आप में है अगर आपकी ख़ुशी शगुन में है तो मुझे आपके साथ साथ वो भी स्वीकार है एक दोस्त के रूप में”
“आप बहुत समझदार है सोनिया जी”,पारस ने सोनिया की आँखों में देखते हुए कहा
“आज से ये सोनिया जी कहना बंद करो और ये आप आप तो बिल्कुल नहीं सुनना मुझे”,सोनिया ने कहा
“तो फिर क्या कहकर बुलाये आपको,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब तुम्हे ?”,पारस ने उसे अपनी बांहो में भरते हुए कहा
“जो आपको अच्छा लगे”,सोनिया ने शर्माते हुए कहा
“ठीक है फिर आज से मैं आपको “सोना” कहकर बुलाऊंगा”,पारस ने कहा तो सोनिया मुस्कुरा उठी। कुछ देर बाद पारस घर के लिए निकल गया। आज पारस भी बहुत खुश था सोनिया जैसी अच्छी और समझदार हमसफर पाकर वह खुद को बहुत खुशनसीब समझ रहा था। उसने खाना खाया और अपने कमरे में चला आया। बारिश का मौसम होने लगा और हवाएं चलने लगी पारस ने अपने कमरे की खिड़की खोल दी। हल्की बूंदा बांदी हो रही थी जिसकी महक कमरे में चारो और फ़ैल गयी। पारस कुछ देर खिड़की पर खड़ा रहा और उस महक को महसूस करता रहा उसके बाद अपनी स्टडी टेबल की तरफ चला आया उसने वहा रखी किताब उठाई और उसे खोलकर शगुन की तस्वीर उठाते हुए कहा,”तुम सही कहती थी शगुन जब हमारी जिंदगी में कोई सही इंसान आता है तो हमे उस से अपनेआप प्यार हो जाता है। सोनिया बहुत अच्छी लड़की है , बहुत समझदार भी है वह मुझे सम्हाल लेगी। वो तुमसे मिलना चाहती है और मैं भी चाहता हूँ की मैं तुम्हे सबसे पहले सोनिया से मिलवाऊं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम हमेशा मेरे मन में रहोगी शगुन एक अच्छी दोस्त बनकर”
पारस ने उस तस्वीर को वापस किताब में रखा और बंद करके उस किताब को हमेशा हमेशा के लिए स्टडी टेबल की दराज में रख दिया।
अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी शगुन खाली आँखों से सामने फैले अस्सी घाट को देख रही थी। क्या से क्या हो चुकी थी उसकी जिंदगी , वहा खड़ी शगुन की आँखों के सामने एक एक करके वो सारे पल आने लगे जो गुड्डू के साथ बिताये थे। गुड्डू से उसकी पहली मुलाकात , गुड्डू का उसके सामने अपने बालो में हाथ घुमाना , चूहे के डर से शगुन के चिपक जाना , नोक-झोक , नजदीकियां , गुड्डू का शगुन को बचाना , उसका एक्सीडेंट सब एक एक करके शगुन के सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगे और आखिर में आकर रुके आखरी बार की मुलाकात पर जब गुड्डे ने नींद से उठकर शगुन को देखा और उस से मुंह फेर लिया। शगुन को पहली बार कुछ चुभा , गुड्डू भले भूल चुका था लेकिन शगुन के मन तो आज भी वही भावनाये थी। उसकी आँखों में कब आंसू भर आये उसे खुद पता नहीं चला। कमरे में उस वक्त कोई भी नहीं था सिर्फ शगुन थी जब बारिश की बुँदे उस पर आकर गिरी तो वह अपने ख्यालो से बाहर आयी। अचानक उसे कुछ याद और वह अपनी टेबल के पास आयी जिसके ड्रावर में शगुन की डायरी रखी थी शगुन ने उसे निकाला और खोला , आँखों में आंसू थे फिर भी शगुन के होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी। उसकी डायरी में गुड्डू की तस्वीर रखी थी। शगुन ने अपना हाथ उस तस्वीर पर घुमाया गुड्डू आज भी उतना ही मासूम लग रहा था जितना पहली मुलाकात में लगा था। शगुन गुड्डू की तस्वीर को निहारती रही और फिर मन ही मन कहने लगी,”क्या कभी आपको भी इस बात का अहसास होगा की कोई है जो आपको आपसे भी ज्यादा चाहता है। मेरी किस्मत में क्या लिखा है ये तो मैं भी नहीं जानती गुड्डू जी बस इतना जानती हूँ की अब नहीं बर्दास्त होता मुझसे ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे सामने होकर भी मैं आपसे बात नहीं कर पाती , अपनी भावनाये जाहिर नहीं कर पाती ,, क्या आपको कुछ भी याद नहीं ?,,,,,,,,,,,,,,,,हमारी शादी , हमारी लड़ाई-झगडे , क्या कुछ भी याद नहीं है आपको ?,,,,,,,,,,,एक लड़की के शादी के बाद कितने सपने होते है , कितने अरमान होते है आपको तो अहसास तक नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे महादेव मेरी और कितनी परीक्षाएं लेंगे मैं नहीं जानती पर आपके साथ रहना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,आपके पास रहना चाहती हूँ हमेशा , जिंदगीभर। आप में बहुत बचपना है लेकिन उस बचपने से कब मुझे प्यार हो गया पता ही नहीं चला,,,,,,,,,,,इंसान अपनी जिंदगी में कई लोगो से प्यार करता है लेकिन उसका का जिसे दो बार एक ही इंसान से प्यार हो जाये। जो प्यार कुछ महीनो पहले आपसे हुआ था वो अब और गहरा हो चुका है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपके और मेरे बीच जो रिश्ता था वो और मजबुत हो चूका है। आपसे कितना भी नाराज रहू , गुस्सा रहू लेकिन जब आपको नहीं देखती हूँ तो कुछ चुभता है मन ही मन में ,, लगता है जैसे कुछ खाली खाली सा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर मैं सिर्फ इंतजार कर सकती हूँ और ये इंतजार कितना लंबा होगा मैं खुद भी नहीं जानती”
शगुन गुड्डू की तस्वीर देखते हुए मन ही मन खुद से बाते किये जा रही थी की तभी प्रीति और वेदी बाते करते हुए कमरे में दाखिल हुई। उनकी आहट सुनकर शगुन ने जल्दी से डायरी बंद करके टेबल पर रख दी और अपनी आँखों के किनारे पोछते हुए कहा,”आ गयी तुम दोनों”
“अरे यार दी पूछो मत थक गए दोनों , कुछ पसंद ही नहीं आ रहा था ना मुझे ना वेदी को , ऊपर से बारिश शुरू हो गयी बचते बचाते आये है दोनों”,प्रीति ने हाथ में पकडे बैग बेड पर रखकर अपना स्कार्फ गले से निकलते हुए कहा
“हां तो पागल हो ना तुम दोनों इस वक्त जाने की क्या जरूरत थी ?”,शगुन ने रेंक से तौलिया उठाकर वेदी को दे दिया। वेदी ने अपने हाथ और मुंह पोछा और कहा,”भाभी लेकिन रात में घूमने का ना मजा ही कुछ और है वहा कानपूर में तो पिताजी हमे बाहर जाने नहीं देते लेकिन आज प्रीति ने हमारी ये विश भी पूरी कर दी”
“चलो अच्छा हुआ अब दोनों कपडे बदल लो और खाना खा लो”,शगुन ने कहा तो प्रीति और वेदी एक दूसरे की तरफ देखने लगी ये देखकर शगुन ने कहा,”समझ गयी बाहर से खाकर आयी हो दोनों है ना ?”
“अरे दी क्या मस्त मोमोज थे पूछो मत बस उन्ही से हम दोनों का पेट भर गया”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने मुस्कुरा कर कहा,”कोई बात नहीं तुम दोनों बैठो मैं नीचे जा रही हूँ पापा के पास”,शगुन ने कहा
“ठीक है दी”,प्रीति ने कहा और उसके बाद वेदी के साथ मिलकर बैग्स से सामान निकालकर देखने लगी। शगुन नीचे आयी खाना बच गया था क्योकि वेदी और प्रीति दोनों ने ही नहीं खाया था। शगुन जब किचन से बाहर आयी तो घर के दरवाजे पर खड़ा एक आदमी दिखा शगुन उसके पास आयी तो उसने कहा,”दीदी बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दो , दो दिन से कुछ नहीं खाया है”
“आप यही रुको भैया मैं लेकर आती हूँ”,कहकर शगुन वापस अंदर चली आयी और जो खाना बचा हुआ था वह लाकर उस आदमी को दे दिया आदमी ख़ुशी ख़ुशी वह खाना लेकर वहा से चला गया। शगुन भी वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़ी उसकी नजर अपने चाचा के घर के बाहर खड़े अमन पर चली गयी। अमन शगुन और प्रीति का इकलौता भाई था क्योकि शगुन के पापा को सिर्फ दो बेटिया थी बेटा नहीं था। शगुन और अमन दोनों खामोश खड़े कुछ देर एक दूसरे को देखते रहे और फिर एकदम से शगुन के पास चला आया और कहा,”कैसी हो दी ?”
“मैं ठीक हूँ तूम कैसे हो ?”,शगुन ने पूछा
“ठीक हूँ आज सुबह ही हॉस्टल से वापस आया हूँ , मेरे जाने के बाद बहुत कुछ हो गया आज ही पता चला मुझे ,, मम्मी पापा ने बड़े पापा और आप लोगो के साथ अच्छा नहीं किया दी , उस पर आपके साथ जो हुआ सोचकर ही बहुत बुरा लग रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो शर्म आती है अपने माँ बाप पर की वो इतना कैसे गिर सकते है ?”,अमन ने नफरत से कहा
“अमन वो तुम्हारे माँ-बाप है उनके लिए ऐसी बातें मत करो। मेरे साथ जो हुआ जो मेरी किस्मत है उसमे उनका कोई दोष नहीं है पापा के साथ जो हुआ वो गलत था चाचा चाची को बस वो नहीं करना चाहिए था। पापा ने या मैंने हमेशा उन्हें अपना समझा लेकिन उन्होंने नहीं”,शगुन ने उदास होकर कहा
“नहीं दी उन्होंने भले ना समझा हो लेकिन मैं आज भी आपको और प्रीति को अपनी बहन मानता हूँ और हमेशा अपने भाई होने का फर्ज निभाउंगा”,अमन ने कहा तो शगुन ने उसके गाल को छूकर कहा,”तुमने इतना कह दिया यही काफी है अमन , अब तुम जाओ अगर चाची ने तुम्हे यहाँ देखा तो नाराज होगी”
“ठीक है दी अपना ख्याल रखना और हां कभी भी इस भाई की जरूरत पड़े तो कहना मैं हाजिर हो जाऊंगा”,कहते हुए अमन ने शगुन के पैर छुए और वहा से चला गया !
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू ने थोड़ा सा खाना खाया और ऊपर अपने कमरे में चला आया। शीशे के सामने आकर गुड्डू की नजरे जब खुद से मिली तो एक कसक उसके मन में उठी और उसने खुद से कहा,”अब काहे इतना परेशान हो रहे हो ? जब उह बात करने आयी थी तुमसे तब तो की नहीं ऐटिटूड दिखा रहे थे , अब जब वो हिया नहीं है तो काहे बौराय रहे हो ? कही प्यार व्यार तो नहीं हो गया उनसे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,छःह का कुछ भी सोच रहे हो तुम ऐसा कुछ भी नहीं है”
गुड्डू ने खुद को ही दुत्कारते हुए कहा और बालो में हाथ घुमाते हुए आकर बिस्तर पर बैठ गया लेकिन यहाँ भी उसकी आँखों से सामने शगुन आ रही थी। गुड्डू उलझन में डूबा हुआ सा अपने हाथ की उंगलियों को तोड़ने मरोड़ने लगा की उसकी नजर अपने बांये हाथ की ऊँगली में पहनी अंगूठी पर पड़ी। गुड्डू ने उसे ऊँगली से निकाला घुमाते हुए कहने,”जे हमने कब खरीदी ? और खरीदी भी है तो पहनी काहे है ? जे लड़कियों वाले शौक हमको कबसे लग गए ? साला बहुते बवाल है जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
अचानक अंगूठी गुड्डू के हाथ से छूटकर नीचे जा गिरी और लुढ़कते हुए बिस्तर के नीचे चली गयी
गुड्डू उठा और उसे ढूंढने लगा लेकिन कमरे में उसे कही भी अंगूठी नहीं मिली !
“शायद बिस्तर के नीचे चली गयी”,कहते हुए गुड्डू झुका और अपना हाथ बिस्तर के नीचे डालकर अंगूठी ढूंढने लगा लेकिन वह नहीं मिल रही थी। ऐसा करते हुए एक दो बार उसका हाथ बिस्तर के निचे पड़े गोलू के फोन को भी छू गया और उसने कहा,”पता नहीं का का कचरा भरा पड़ा है”
जैसे ही गुड्डू का हाथ फोन पर लगा और उसने उसे निकालने का सोचा तभी उसके कानो में मिश्राइन की आवाज पड़ी और गुड्डू ने अपना हाथ बाहर निकालते हुए कहा,”हां अम्मा कहो”
बिस्तर के नीचे जिस फोन पर गुड्डू का हाथ लगा था दरअसल वो गोलू का ही फोन था जो उस रात गोलू की जेब से गिरकर बिस्तर के नीचे चला गया। जिसमें गुड्डू का विडिओ था लेकिन गुड्डू की किस्मत में शायद कुछ और ही लिखा था की सच्चाई के इतना करीब आकर भी वह एक बार फिर दूर चला गया। गुड्डू उठा और मिश्राइन के पास आया तो उन्होने कहा,”गुड्डू जरा छत से चददरे ले आ मौसम ख़राब हो रहा है का पता कोनसे बख्त बारिश हो जाये”
“ठीक है जाते है”,कहते हुए गुड्डू कमरे से निकलकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। ऊपर छत पर आया और तार पर सुख रहे चददर उतारने लगा चददर उतारकर गुड्डू जैसे ही जाने लगा उसकी नजर दो मकान छोड़कर वंदना आंटी की छत पर गयी जहा दीपक किसी लड़की के साथ खड़ा था। गुड्डू ने दीपक को किसी और के साथ देखा तो उसके जहन में एकदम से वेदी का ख्याल आया। वेदी ने गुड्डू को दीपक के बारे में बताया था। गुड्डू ने दीपक को किसी और लड़की के साथ देखा तो उसका पारा चढ़ गया उसने हाथ में उठायी बेडशीट फेंकी और छत से बगल वाली छत पर सीधा ही कूद गया।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S44
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संजना किरोड़ीवाल
ekdum mst part di lekin itna bada bada suspense kyu h yaha …………..kbhi kbhi to mn krta h ki aapke pas aake puri story sun lu lekin afsos aisa ho nhi skta…………..khair jo bhi h kl gap mt kijiyega please
anshi…………
ba bhai hone ka farz nibhayega hamara guddu..or us dipak ki bajayega band..bichari vedi
high suspense..
Are yaar mil jata phone Lekin koi nahi
Bhut hi pyaara part tha saath m emotional bhi
Nice
Kya such me vedi ka dil tut jayega kya deepak ki shadi ho gyi hai.. Aisa nai hona chahiye…
Ab guddu koie kand karenge kya….🤔🤔🤔
Waise aaj ka part shagun aur guddu … 😍😍😍😍
Very nice part or us dipak ko to chhodna hi nhi baat chahe jo bhi y koi bhi majburi ho dipak ko ek bar such batana chahiye tha bt nhi usne nhi kiya y kahi hum hi galat n smjh rhe ho kuchh smjh nhi aa rha h
nice part…
Very beautiful
Ab is deepak ki khair nhi…
ओ भाईसाहब… अब तो गुड्डू बवाल करेगा… आखिर उसकी बहन का प्यार किसी ओर लड़की के साथ जो था…लेकिन जब सबको सच्चाई पता चलेगी कि दीपक की शादी हो चुकी है, तब तो वेदी का दिल टूट ही गया…हे महादेव गुड्डू और शगुन को भी एक कीजिए ना
मैम उधर अमन अपने भाई होने का फर्ज निभाने को कह गया…और इधर गुड्डू भईया अपना फर्ज निभायेंगे वेदी के लिऐ… दीपक का सच अब तो सामने आयेगा… पर गुड्डू वेदी से डायरेक्ट ना कह पायेगा… शगुन की मदद लेगा वो अब😊 superb part👌👌👌👌👌
Le beta ab to deepak babu kutenge bdiya trike se guddu k hatho😏😏 deserve bhi krta hh😏😏 i think vedi ki jodii aman k sath bnegii muje bdii strong feeling aa ri hh 😍😍😍😍
Guddu aj phone tk phuch hi jata agr anty ni bulatii to🤔🤔🤔
Paras ko romantic hote hue dekha hh…soniya ne akhir paras ka dil jeet hi liya😍😍😍
deepak ne shadi krli shayd mujhe ye lg rha h vedi ka dil tut jayega
Bade wala suspence hai ye to lgta h kuch bda kand hone ko hai
Best part of story
Superb
Happy Birthday diii
superb part mam. bechari vedi
क्या कमाल की बात है कि अपना कुछ काम का याद नहीं गुड्डू महराज को और चल पड़े वेदी की लाइन बनाने, बवाल तो होना ही है, पर देखें कुछ कमाल भी कर सकते हैं गुड्डू भैया कि नहीं 😆😆😊
Superb amazing😍😍😍😍 part👌👌👌👌👌
Mam aj ki part…..
Suparb
mam ajj ka part ap kyun ni dali
mam aj ka part ayega ki nhi
pls reply krke bata dijiye