मनमर्जियाँ – S41
Manmarjiyan – S41
Manmarjiyan – S41
शगुन और गुड्डू के बीच नाराजगी बढ़ती ही जा रही थी। शगुन की बहन की सगाई थी इसलिए मिश्रा जी ने शगुन को चार दिन पहले ही चले जाने को कहा , वेदी भी शगुन के साथ जाने को तैयार हो गयी। मिश्रा जी ने शोरूम से ड्राइवर को अगली सुबह गाड़ी लेकर घर आने को कहा। अगली सुबह शगुन और वेदी अपने अपने बैग के साथ बनारस जाने को तैयार थी। गाड़ी भी आ चुकी थी शगुन की नजरे तो बस गुड्डू को ढूंढ रही थी आज गुड्डू नीचे ही नहीं आया। जाने से पहले शगुन उस से मिलना चाहती थी उस से बात करना चाहती थी उसे देखना चाहती थी लेकिन गुड्डू वो ऊपर अपने कमरे में सो रहा था
“बिटिया गाड़ी आ गयी है हमने ड्राइवर को सब समझा दिया है , तुम दोनों अपना ख्याल रखना और हाँ पहुँचते ही फ़ोन कर देना”,मिश्रा जी ने शगुन से कहा तो उसने हाँ में सर हिला दिया।
वेदी ने अपना और शगुन का बैग पीछे डिग्गी में रख दिया और गाडी में आकर बैठ गयी। शगुन ने जाते जाते पलटकर सीढ़ियों की तरफ देखा लेकिन वहा गुड्डू नहीं था। शगुन का दिल नहीं माना तो उसने मिश्राइन से कहा,”माजी मैं उनसे मिलकर आती हूँ”
“ठीक है जाओ पर जल्दी आना”,मिश्राइन ने मुस्कुरा कर कहा तो शगुन सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। वह ऊपर आयी गुड्डू के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था शगुन सीधा अंदर चली आयी। गुड्डू शगुन की तरफ पीठ किये सो रहा था। शगुन उसके पास आयी और प्यार से उसे देखने लगी , गुड्डू के बिखरे बाल आँखों पर आ रहे थे। सोया हुआ वह किसी मासूम बच्चे सा लग रहा था। शगुन कुछ सेकेंड्स उसे देखते रही और फिर धीरे से उसे थपथपाया। गुड्डू नींद से उठा , उसने अपनी आँखे खोली और गर्दन घुमाकर शगुन को देखा।
“मैं जा रही हूँ”,शगुन ने धीरे से कहा लेकिन गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया वह बस एकटक शगुन को देखता रहा और कुछ देर बाद फिर से गर्दन घुमाकर सो गया। गुड्डू का इस तरह नजरअंदाज करना शगुन को अच्छा नहीं लगा। वह कमरे से बाहर चली आई , उसे मन ही मन में एक चुभन का अहसास हो रहा था , गुड्डू उस से इतना नाराज है पर क्यों ? शगुन नहीं जानती थी लेकिन गुड्डू के इस बर्ताव पर शगुन को अच्छा नहीं लगा वह सीधा नीचे चली आयी और आकर गाड़ी में बैठ गयी। ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी शगुन का दिल किया पलटकर देख ले शायद बालकनी में गुड्डू खड़ा हो लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और अपने मन को सख्त बना लिया। गलियों से दौड़ते हुए गाड़ी मेन सड़क पर आ गयी वेदी तो बहुत ज्यादा खुश थी कितने दिनों बाद उसे ऐसे घूमने का मौका मिल रहा था।
“ये क्या हो गया है मुझे ? मैं ऐसे 16 साल की लड़की की तरह बिहेव क्यों कर रही हूँ ? गुड्डू जी ने बात नहीं की तो मुझे गुस्सा क्यों आ रहा है और तो और मैंने पलटकर भी नहीं देखा क्या पता वो बालकनी में ही खड़े हो ,,,,,,,,,,,,,,,,तू भी ना शगुन , जानती है गुड्डू जी किन हालातो से गुजर रहे है ऐसे में तुम्हे तो उन्हें समझना चाहिए था पर नहीं तुम तो मुंह फुला कर चली आयी,,,,,,,,,,,,सगाई में भी वो नहीं आएंगे , अब तो ना जाने कब मिलना होगा उनसे ?”,शगुन ने मन ही मन खुद पर झुंझलाते हुए कहा
“भाभी,,,,,,,,,,,,,भाभी”,वेदी ने शगुन का कंधा हिलाते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,!!”,शगुन ने अपनी सोच से बाहर आकर कहा
“का हुआ कहा खो गयी आप ?”,वेदी ने पूछा
“कही नहीं वो तुम्हारे भैया साथ नहीं आये ना बस इसलिए थोड़ा सा अच्छा नहीं लग रहा”,शगुन ने कहा
“अरे भाभी हमारे गुड्डू भैया ना बड़े भोले है देखना जो कुछ हुआ है सब भूल जायेंगे और जब आप घर में नहीं दिखोगे ना तो देखना कैसे पीछे पीछे आएंगे बनारस”,वेदी ने शगुन का हाथ थामते हुए कहा
“हम्म्म”,शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा
घर की बालकनी में खड़ा गुड्डू जाती हुयी गाड़ी को देखकर मन ही मन कहने लगा,”देखा एक बार पलटकर तक नहीं देखी हमको , ठीक है हम नाराज है तो मना भी तो सकती थी पर नहीं इनको तो लगता है हर बार हम ही इनके सामने कान पकड़ेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जाने दो हमे का हम कोनसा उनके बिना मरे जा रहे है ?”
कहते हुए गुड्डू अपने कमरे में चला आया और वापस बिस्तर पर लेट गया लेकिन अब नींद नहीं आ रही थी। आँखे मसलता हुआ वह उठा और नीचे चला आया लेकिन नीचे आते ही उसे शगुन का ख्याल आने लगा। घर के हर कोने में शगुन उसे यहाँ वहा दिख जाती थी पर आज नहीं गुड्डू आकर बारमदे की सीढ़ियों पर बैठ गया। उसका मन अंदर से शांत नहीं था , अजीब महसूस हो रहा था। गुड्डू अभी सोच में डूबा हुआ था की मिश्राइन ने आकर कहा,”ए गुड्डू जरा ये डिब्बा वंदना के घर दे आओ”
“पर वो तो यहाँ है ही नहीं”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“कल रात में ही वापस आयी है तू जा ना बहुत सवाल करता है , चल जा”,कहते मिश्राइन ने गुड्डू को डिब्बा थमा दिया और चली गयी। गुड्डू उठा और डिब्बा लिए वंदना आंटी के घर की तरफ चला गया। गुड्डू को वंदना बिल्कुल पसंद नहीं थी , मोहल्ले के आधे से ज्यादा लड़को के पास वंदना के नंबर सब उसके एक इशारे पर दौड़े चले आते थे लेकिन गुड्डू इन सब से दूर था। वह वंदना के घर के बाहर आकर रुक गया , अंदर जाने में भी उसे सोचना पड़ रहा था कुछ देर बाद वंदना के पति ने देखा तो कहा,”अरे गुड्डू बाहर क्यों खड़े हो अंदर आ जाओ ?”
गुड्डू ने सूना तो उसे अंदर आना पड़ा। अंदर आकर उसने वंदना के पति से कहा,”जे अम्मा ने भिजवाया है आंटी को देने के लिए”
“वंदना अंदर ही है जाओ तुम खुद ही दे आओ”,उन्होंने ब्रश करते हुए कहा
“हम्म्म”,कहकर गुड्डू अंदर चला आया। वंदना किचन में काम कर रही थी उसके साथ एक लड़की और खड़ी थी जिसे देखकर लग रहा था की उसकी अभी कुछ दिनों में ही शादी हुई है। गुड्डू ने ध्यान नहीं दिया और कहा,”आंटी जे अम्मा ने डिब्बा भिजवाया है आपके लिए कहा रखे ?”
“अरे गुड्डू तुम , आओ आओ अंदर आओ , तुम तो कभी घर आते ही नहीं,,,,,,,,,,,,ये डिब्बा ना वह टेबल पर रख दो , बताओ क्या बनाये तुम्हारे लिए चाय कॉफी जूस ?”,वंदना ने गुड्डू को देखते हुए कहा
“हमे कुछो नहीं पीना बस जे देने आये थे जा रहे है”,गुड्डू ने थोड़ा सा सख्त आवाज में कहा और डिब्बा रखकर वहा से बाहर निकल गया। सामने से आते दीपक की नजर गुड्डू पर पड़ी तो उसने कहा,”और गुड्डू कैसे हो ?”
“बस बढ़िया”,कहते हुए गुड्डू की नजर दीपक के हाथो पर चली गयी जिनमें मेहँदी लगी थी पर गुड्डू ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वहा से चला गया।
बनारस , उत्तर-प्रदेश
सोनिया जहा रहती थी वही बगल में एक छोटा सा शिवजी का मंदिर था रोज सुबह वह नहा-धोकर मंदिर में महादेव् के दर्शन करने जाया करती थी। आज पारस की मम्मी भी किसी काम से उस तरफ आयी हुई थी मंदिर के सामने से गुजरी तो दर्शन करने के लिए अंदर चली आयी और आकर बिल्कुल सोनिया के बगल में ही खड़ी हो गयी। सोनिया दर्शन करके जैसे ही जाने लगी तो पारस की मम्मी को देखकर थोड़ा हैरान हो गयी क्योकि जबसे वह बनारस आयी थी तबसे एक बार भी वह पारस के घरवालों से नहीं मिली थी। पारस की मम्मी ने पंडित जी से प्रशाद लिया और जैसे ही जाने लगी नजर सोनिया पर पड़ी तो मुस्कुराते हुए कहा,”अरे तुम यहाँ ?”
“मैं तो पिछले एक महीने से यही हूँ , दरअसल मेरा ट्रांसफर यहाँ के कॉलेज में हुआ है”,सोनिया ने कहा
“कौनसे कॉलेज में ?”,पारस की मम्मी ने पूछा
“यही बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में”,सोनिया ने प्रशाद लेते हुए कहा और दोनों साथ साथ मंदिर से बाहर चली आयी। सोनिया की बात सुनकर पारस की माँ ने कहा,”अरे तो पारस भी तो उसी कॉलेज में काम करता है”
“हां मैं उनके साथ ही काम करती हूँ , उन्होंने बताया नहीं आपको”,सोनिया ने थोड़ा हैरानी से कहा
“वो लड़का पागल है सच में इतने दिनों से तुम यहाँ हो और उसके साथ काम करती हो उसने हमे बताया तक नहीं”,पारस की मम्मी ने कहा
“अब वो तो वही बता सकते है”,सोनिया ने कहा
“चलो फिर चलकर उसी से पूछते है”,पारस की मम्मी ने सोनिया का हाथ पकड़कर उसे साथ ले जाते हुए कहा
“नहीं नहीं आंटी मैं फिर कभी आउंगी”,सोनिया ने कहां
“बहाने मत बनाओ मैं एक भी सुनने वाली नहीं हूँ , घर चलो मेरे साथ उसके साथ रहकर तुम भी उसके जैसी हो गयी हो”,कहते हुए पारस की मम्मी सोनिया को अपने साथ लेकर चली गयी।
रिक्शा एक घर के सामने आकर रुका। पारस की मम्मी सोनिया को लेकर अंदर घर में आयी। पारस और उसके पापा घर में ही थे। पारस के पापा ने जैसे ही सोनिया को देखा ख़ुशी से उसकी ओर आकर कहा,”अरे बेटा तुम यहाँ ? मम्मी पापा भी आये है क्या ?”
“नमस्ते अंकल वो नहीं आये आंटी मुझे अपने साथ यहाँ ले आयी”,सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा
“और नहीं तो क्या करती ? अपने बेटे को तो आप जानते ही है आजकल कोई बात नहीं बताता वो किसी को , पिछले एक महीने से दोनों एक ही कॉलेज में साथ काम कर रहे है लेकिन उसने घर में कभी इस बात का जिक्र तक नहीं किया , सोनिया तुम बैठो बेटा मैं अभी तुम्हारे लिए गर्मागर्म चाय नाश्ता लेकर आती हूँ”,पारस की मम्मी ने प्रशाद को घर के मंदिर में रखते हुए कहा
“अरे नहीं आंटी इसकी जरूरत नहीं है”,सोनिया ने कहा वह मन ही मन थोड़ा परेशान भी हो रही थी कही पारस को उसका इस तरह अचानक घर आना बुरा ना लग जाये।
“क्यों जरूरत नहीं है ? पहली बार घर आयी हो ,, उस दिन तो वैसे भी तुमसे ठीक से बात नहीं हो पायी थी आज बैठकर अच्छे से बात करेंगे दोनों , अरे आप खड़े खड़े देख क्या रहे है ? बैठाइये ना इसे”,कहते हुए पारस की मम्मी किचन की तरफ चली गयी।
“बैठो बेटा इनके सामने तो हमारी भी नहीं चलती”,पारस के पापा ने हँसते हुए कहा तो सोनिया वहा पड़े सोफे पर आकर बैठ गयी। बगल में पड़े सिंगल सोफे पर आकर पारस के पापा बैठ गए और सोनिया से बाते करने लगे उनसे बाते करते हुए सोनिया काफी कम्फर्ट थी। पारस के पापा उसे बहुत अच्छे लगे। पारस अपने कमरे से बाहर आया सोनिया को अपने घर में देखकर चौंक गया और कहा,”अरे आप यहाँ ?”
“गुड मॉर्निंग”,सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा
“गुड़ मॉर्निंग , आपको घर का पता किसने दिया ?”,पारस ने सोनिया के सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा
“मैंने दिया”,कहते हुए पारस की मम्मी हाथो में ट्रे उठाये किचन से बाहर आयी और लाकर टेबल पर रखकर पारस से कहा,”क्यों तुमने तो बताना भी जरुरी नहीं समझा है ना , ये इतने दिनों से हमारे बनारस में है और आज घर आ रही है”
“माँ वो मैं बताने वाला ही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,पारस ने कहा लेकिन उसकी मम्मी ने उसकी बात बीच में काटकर चाय सोनिया की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”वो तो आज सुबह हम दोनों की मंदिर में मुलाकात हो गयी इसलिए मैं इसे यहाँ ले आयी , वरना तुम तो कभी नहीं बताते”
पारस ने सोनिया की तरफ देखा तो उसने आँखों ही आँखों सॉरी वाला भाव दिया। सोनिया का घर पर आना पारस को अच्छा लगा इसलिए उसने सहमति में गर्दन हिला दी। सोनिया ने चैन की साँस ली क्योकि पिछली रात घाट पर उन दोनों के बीच जो बात हुई उसके बाद सोनिया को लगा था पारस उस से बात ही नहीं करेगा लेकिन ऐसा नहीं था। सबने चाय पी और साथ बैठकर बाते करने लगे। कुछ देर बाद पारस की मम्मी ने उठते हुए कहा,”पारस तू इसे अपना घर दिखा तब तक मैं सबके लिए नाश्ता बना देती हूँ”
“अरे नहीं आंटी कॉलेज भी तो जाना है”,सोनिया ने कहा
“सोनिया जी कॉलेज आज बंद है , आपको मैसेज नहीं मिला ?”,पारस ने कहा
“नहीं शायद मेरे फोन का नेट बंद होगा , पर कॉलेज क्यों बंद है ?”,सोनिया ने पूछा
“वो कोई इंस्पेक्शन का काम चल रहा है तो उसी वजह से आज और कल दो दिन कॉलेज बंद रहेगा”,पारस ने कहा
“अच्छा हुआ आपने बता दिया वरना मैं तो आज कॉलेज जाने वाली थी”,सोनिया ने कहा
“चलो ये अच्छा हुआ अब तुम आराम से नाश्ता करके ही वापस जाना , तब तक घर देखो,,,,,,,,,,,,,,,,आप वहा बच्चो के बीच क्या कर रहे है ? यहाँ आकर मेरी हेल्प कीजिये”,पारस की मम्मी ने कहा तो सोनिया मुस्कुरा उठी। पारस के पापा उठकर चले गए तो सोनिया ने कहा,”आपके मम्मी पापा बहुत अच्छे है”
“हां परफेक्ट है दोनों एक दूसरे के लिए”,पारस ने अपने मम्मी पापा को देखते हुए कहा जो की किचन में काम करते हुए किसी बात पर खिलखिलाकर हंस रहे थे। कुछ देर बाद पारस सोनिया के साथ वहा से चला गया।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू का घर में मन नहीं लगा दिनभर वह सोता रहा और फिर शाम में अपनी बाइक उठायी और घर से निकल गया। गुड्डू सीधा गोलू के घर आया वहा पूछने पर पता चला की गोलू तो अपनी दुकान पर है। गुड्डू सोच में पड़ गया गोलू की कोनसी दुकान है , उसने गोलू की अम्मा से दुकान का पता पूछा और निकल गया। कुछ देर बाद ही गुड्डू अपनी ही दुकान के सामने आकर रुका जो की उसके हिसाब से गोलू की थी। गोलू अंदर बैठा किसी काम में लगा
हुआ था गुड्डू ने बाइक साइड में लगाई और अंदर आकर ताली पीटते हुए कहा,”वाह गोलू वाह दुकान खोल ली हमे बताया तक नहीं , का इसी दिन के लिए दोस्ती किये थे हमसे ?”
गुड्डू को वहा देखकर गोलू झट से उठा और उसके पास चला आया सिचुएशन बिगड़े इस से पहले ही गोलू ने उसे सम्हाल लिया और कहा,”अरे यार भैया हमहू तुम्हे सरप्राइज देना चाहते थे तुमहू पहिले ही चले आये”
“कैसा सरप्राइज बे ?”,गुड्डू भी गोलू की बातो में आ गया
“हिया बइठो बताते है”,गोलू ने गुड्डू को सोफे पर बैठाते हुए कहा और खिड़की से गर्दन बाहर निकालकर चिल्लाते हुए कहा,”चचा दो चाय भिजवाय दयो कड़क”
“ठीक है गोलू”,पास ही चायवाले ने पतीले में करछी घुमाते हुए कहा
गोलू वापस गुड्डू के पास आकर बैठा और अपनी बनायीं कोई नयी कहानी उसे सुनाने लगा,”तुमहू हमाये दूर के मामा को जानते हो ?”
“कौन दूर के मामा ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे वही जो विमल खाते है और कही भी थूकते रहते है”,गोलू ने कहा
“अबे यार तुम्हारा पूरा खानदान विमल खाता है तुमहू सीधा सीधा बताओ ना”,गुड्डू ने झुंझलाते हुए कहा
“अच्छा सीधा सीधा बताते है हमाये एक दूर के मामा है , उन्होंने वेडिंग प्लानर का काम शुरू किया था पर उनके शहर में चला नहीं तो उन्होंने जे काम हमे सौंप दिया और कहा,”कानपूर में तो शादी होती रहती है तो तुमहू सम्हाल ल्यो जे काम , और कॉलेज खत्म होने के बाद हमे भी कुछ न कुछ तो करना ही था तो हमने भी जे काम हाथ में ले लिया और हम बताय रहे है गुड्डू भैया बहुते ही मजा आने वाला है जे काम में”,गोलू ने कहा
गुड्डू को कुछ कुछ उसकी बाते समझ आयी और कुछ मे झोल लगा तो उसने कहा,”जे सब तो ठीक है पर तुमने नाम “मिश्रा वेडिंग प्लानर” काहे रखा ?”
“भैया आपकी चाय”,लड़के ने चाय गोलू की ओर बढ़ाते हुए कहा तो गोलू ने एक कप खुद लिया दुसरा गुड्डू को देते हुए कहा,”यार तुमहू भी क़माल करते हो अब तुम्हाये पिताजी को हम मानते है अपनी इंस्पिरेशन तो सोचा उन्ही के नाम पर रख देते है”
“अरे वाह गोलू पिताजी देखंगे तो खुश हो जायेंगे नहीं”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा
“उनकी ख़ुशी का पता नहीं तुम्हाये चक्कर में हम एक नंबर के झूठे जरूर बन गए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माफ़ कर देना महादेव”,गोलू ने चाय पीते हुए मन ही मन कहा
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क्रमश – Manmarjiyan – S42
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संजना किरोड़ीवाल
Haye ram y kya ho gya deepak n shadi krli.. kyu kb or kese ? Feeling sad for vedi..
लो जी दीपक ने शादी कर ली और अब टूटेगा वेदी का दिल, जब उसे दीपक की शादी का पता चलेगा… ये दीपक मुझे शुरू से गड़बड लगा है.और अब काम…खैर गोलू महाराज भी कतई समझदार है…झूठ पे झूठ बोल बोलकर पीएचडी कर ली है झूठ बोलने में
Nice
nice
मैम बाकि सब तो ठीक हैं…लेकिन दीपक के हाथ में मेंहदी… और वहां एक लड़की का होना…दीपक बेवफा निकला… वेदी का क्या होगा अब…गोलू बेचारा इतना झूठ बोलेगा तो phd की डिग्री तो मिल ही जायेगी उसे झूठ बोलने में😊 shandaar part👌👌👌👌👌
Wow superb part bt kya dipak n sadi kr li or vedi ko batana bhi jaruri nhi smjha had h or dipak bhi bina kisi hichak k guddu a baat bhi ki 👍
mujhe to dipak phle se kuch gadbad lag raha tha..isliye usne vedi ka phone nhi utha raha tha..ab sidha shaadi krke aya h..or besharmo jaise baat bhi kr raha h guddu se..or golu bichara jhut itna bol raha h ki ka batayein ji…sahi h bhai
Very beautiful
Ye Deepak ne shadi kr li 😫😫😫 hm hmaru vedi ka to dil hi tut Jayega 😔😔
🙄🙄😳😳 दीपक ne to shadi kar li
Kitna badmash nikla ye to
Haeee ise to sabse sidha samajha tha mene 😈😤
Deepak n shaadi kr li vedi ko btaya bhi nhi usko jb pta chlega uska dil to toot hi jaayega
nyc
Story m new twist aa gya deepk ki shadi ka
Nyc good luck
Guddu ji ki yaaddasht kab lautegi ……itane dino se wo apne kamre me hai kya wo kabhi guddu ji ko milega…..bechari Shagun please mam ab In dono ki dooriyaan khatam kijiye golu pinki ko bhi to abhi milna hai
Wow superb part👌👌👌👌👌