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मनमर्जियाँ – S36

Manmarjiyan – S36

Manmarjiyan - S36

मनमर्जियाँ – S36

शगुन और गुड्डू जगह ढूंढते ढूंढते थक गए पर ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहा वे रुक सके उलटा दोनों जंगल में काफी आगे निकल आये थे . कुछ देर बाद गुड्डू की एक हल्की सी पीली रोशनी दिखाई दी तो उसने शगुन से कहा,”हमे लगता है वहा कोई जगह मिल जाएगी , चलो”
शगुन गुड्डू के साथ उस पीली सी रौशनी की तरफ चल पड़ी। दोनों उस जगह पहुंचे वो कोई खंडर नुमा जगह थी लेकिन बारिश से बचने के लिए एक अच्छी जगह थी। गुड्डू शगुन के साथ अंदर चला आया। वहा एक तरफ आग जली पड़ी थी जो की लगभग अब बुझने वाली थी। कुछ ही दूर घास फुस पड़ा था। गुड्डू ने देखा तो कहा,”लगता है कुछ देर पहले ही कोई यहाँ से गया है”
“हां शायद ये आग भी उन्होंने ही जलाई हो”,शगुन ने कहा
“तुमहू एक ठो काम करो ये आग बुझने से पहले वहा पड़ी लकडिया इसमें और डाल दो तब तक हम बैठने का बंदोबस्त करते है”,कहते हुए गुड्डू सूखे घास की तरफ चला गया। शगुन आकर उस आग को सही करने लगी और गुड्डू घास लाकर उस आग से कुछ दूर रखने लगा। उसने उस घास से एक बिस्तर सा बना दिया और आकर बैठ गया तब तक शगुन भी आग जला चुकी थी। वह गुड्डू से कुछ दूरी बनाकर बैठ गयी और अपने हाथ तपने लगी। जुलाई का महीना था लेकिन बारिश की वजह से मौसम में ठण्ड थी और फिर शगुन गुड्डू भीग भी चुके थे ऐसे में सर्दी लगना लाजमी था।
आग की रौशनी में शगुन का चेहरा सोने सा दमक रहा था गुड्डू एकटक उसे देखता रहा जैसे ही शगुन ने उसकी तरफ देखा गुड्डू ने नजरे हटाते हुए कहा,”अच्छा तुम उन आदमियों के साथ का कर रही थी ?”
“मैं क्या कर रही थी उल्टा वो लोग ही मुझे उठाकर ले जा रहे थे”,शगुन ने चिढ़ते हुए कहा
“काश की ले जाते कम से कम हम यहाँ तो नहीं फंसते”,गुड्डू ने तिनके आगे में फेंकते हुए कहा
“अच्छा तो मतलब आप यहाँ है इसमें मेरी गलती है”,शगुन ने गुड्डू को घूरते हुए कहा
“नहीं मतलब तुम वहा गयी क्यों ?”,गुड्डू ने कहा
“वो गोलू जी ने ही हमे कहा था की आपने बुलाया है”,शगुन ने कहा
“अबे जे गोलू फसाद की जड़ है , अच्छी खासी पार्टी चल रही थी सब सत्यानाश कर दिया”,गुड्डू ने मुंह बनाकर कहा
“मुझे लगा आप मुसीबत में है इसलिए मैं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने जैसे ही कहा गुड्डू ने उसकी बात काटते हुए कहा,”और तुमहू आ गयी हमे बचाने , हमे एक बात बताओ शगुन गुप्ता मुसीबत तुम्हाये पास आती है या तुमहू खुद मुसीबत के पास जाती हो ?”
शगुन ने सूना तो मुंह फेर लिया और बड़बड़ाने लगी,”इनसे तो बात करना ही बेकार है एक तो इनकी वजह से मुसीबत में फंसे है ऊपर से ये कभी सीधी बाते नहीं करते , मैं मैं बात ही करुँगी इनसे”
“लगता है चिढ गयी”,कहते हुए गुड्डू उठा और दूसरी तरफ जाकर उसने अपना शर्ट उतारा और उसे निचोड़ने लगा , शर्ट गीला था इसलिए गुड्डू ने उसे सूखा दिया। बारिश फिर शुरू हो चुकी थी , गुड्डू वही खड़ा शगुन की तरफ पीठ करके बारिश को देखता रहा। शगुन ने जब गुड्डू की तरफ देखा तो उसे बिना शर्ट देखकर उसका दिल धड़का , शगुन ने पहली बार गुड्डू को ऐसे देखा था , उसने तुरंत नजरे घुमा ली लेकिन आज उसकी आँखों ने उसका साथ नहीं दिया वे फिर से गुड्डू की ओर चली गयी , आग की रौशनी में गुड्डू की पीठ शगुन को साफ दिखाई दे रही थी , उसकी लम्बी गर्दन , पतली कमर , पीठ के कट साफ साफ झलक रहे थे।
शगुन वही पड़ी घास पर लेट गयी उसने गुड्डू की तरफ पीठ कर ली और अपनी आंखे मूंद ली। अपनी भावनाओ पर काबू रखना शगुन अब तक सीख चुकी थीं। कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी थी। गुड्डू जब आया तो देखा शगुन सो चुकी है। गुड्डू भी शगुन से कुछ दूरी बनाकर लेट गया उसने एक नजर शगुन को देखा शगुन का पीठ करके सोना पता नहीं उसे क्यों खल रहा था ? गुड्डू बेचैनी से करवट बदलता रहा , आज उसे नींद नहीं आ रही थी तभी शगुन नींद तरफ पलटी और गुड्डू के सीने से आ लगी। गुड्डू का दिल धड़क उठा। शगुन के चेहरे पर उस वक्त एक अलग ही सुकून था। गुड्डू मन ही मन खुद से कहने लगा,”जे सब का हो रहा है हमाये साथ ? इनके इतना करीब आकर भी हम सहज कैसे है ? का रिश्ता है हमारा इनसे ?”
गुड्डू शगुन के चेहरे को देखता रहा और आग की रौशनी धीरे धीरे कम होने लगी !
कुछ देर बाद गुड्डू को नींद आ गई। देर रात जब ठंड का अहसास हुआ तो शगुन गुड्डू में सिमट गई। नींद में गुड्डू को भी ध्यान नहीं रहा उसका हाथ शगुन के कंधे से होते हुए उसकी पीठ से जा लगा। बेपरवाह से दोनों सोये हुए थे। सुबह शोर सुनकर गुड्डू की नींद खुली उसने देखा तीन लोग वहा खड़े थे ये वही तीन थे जो रात में गुड्डू और शगुन का पीछा कर रहे थे। उन्हें देखकर गुड्डू की नींद एकदम से उड़ गयी उसने शगुन को उठाते हुए कहा,”शगुन , शगुन , शगुन उठो”
शगुन नींद से जगी जब उसने खुद को गुड्डू के करीब देखा तो जल्दी से उस से दूर हटी और कहा,”ये लोग कौन है ?”
“वही जिनको रात में पीटा था हमने गुड्डू ने उठते हुए कहा
“रात में बड़ा हीरो बन रहे थे तुम , अब निकालते है तुम्हारी हीरो गिरी”,आदमियों में से एक ने कहा। गुड्डू फंस चुका था सुबह सुबह उसमे हिम्मत भी नहीं थी उन सबसे लड़ने की इसलिए उसने नौटंकी करते हुए कहा,”अरे यार हमहू तुम लोगो को मारना नहीं चाहते थे , वैसे भी सब उनकी वजह से हुआ है”
“ये लड़की कौन है ?”,आदमी ने पूछा
“सच बोलेंगे तो फिर फंस जायेंगे , एक काम करते है हमहू इनको बातो से टहलाते है”,गुड्डू ने मन ही मन कहा उसे चुप देखकर दूसरे आदमी ने कहा,”दादा हमे तो लगता है दोनों घर से भागकर आये है”
“अरे नहीं जे पत्नी है हमायी”,गुड्डू ने जैसे ही कहा शगुन ने हैरानी से गुड्डू को देखा। शगुन को अपनी तरफ देखता पाकर गुड्डू ने आगे कहा,”पत्नी है हमायी इनको मनाने ही आये थे की आप लोग चल दिए कंधे पर उठाकर , अब ऐसे में हमारा तो फर्ज बनता है ना हमहू उनको बचाये”
गुड्डू की बातें सुनकर तीनो एक दूसरे को देखने लगे और फिर एक ने कहा,”मैं कैसे मान लू की तुम दोनों पति पत्नी हो ?”
गुड्डू फिर फंस गया वह उस आदमी के पास आया और कहा,”जे हमायी शक्ल देखकर समझ नहीं आ रहा हम शादीसुदा है , ऐसी शक्ल के लौंडे सादी के बाद ही देखने को मिलते है , बहुते परेशान है इनसे दिन रात परेशान करती है”
“मैंने क्या किया ?”,गुड्डू बात को जमा ही रहा था की शगुन ने बीच में बोलकर गड़बड़ कर दी अब तो गुड्डू को गुस्सा आ गया वह शगुन की तरफ पलटा और कहा,”सब ना तुम्हायी गलती है शगुन गुप्ता ना तुमहु बाहर आती , ना जे लोग तुमको देखते , ना हमारा झगड़ा होता और ना ही हम हिया फंसते”
“अच्छा मतलब आपने कुछ नहीं किया ? किसने कहा था इनसे झगड़ा करने को ? आराम से भी बात कर सकते थे ना पर जब तक मार पीट नहीं करेंगे आपका खाना हजम नहीं होगा”,शगुन को भी गुड्डू पर गुस्सा आ गया
“अरे हम मारे पीटे कुछ भी करे तुमहू होती कौन हो हमे समझाने वाली ?”,गुड्डू ने कहा
“मुझे कोई शौक नहीं है आपको समझाने का वैसे भी आप किसी की सुनते कहा है ?”,शगुन ने कहा
बेचारे तीनो आदमी ख़ामोशी से कभी शगुन तो कभी गुड्डू को देख रहे थे वो दोनों बच्चो की तरह झगड़ रहे थे
“हां तो नहीं सुनेंगे , और तुम्हारी तो हम सुने भी क्यों शगुन गुप्ता ? जब जब हमने तुम्हायी सुनी है हम तब तब मुसीबत में पड़े है”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा मेरी वजह , गुड्डू मुसीबत आपके पास नहीं आती है आप खुद मुसीबत के पास जाते है ,, और जब कुछ गड़बड़ होती है तो सामने वाले को सुनाना शुरू कर देते है”,शगुन ने कहा
“तुम ना यार हमसे बात ही मत करो”,गुड्डू ने मुंह बनाते हुए कहा
“हां तो मुझे भी कोई शौक नहीं है आपसे बात करने का”,कहते हुए शगुन ने भी मुंह बना लिया
उन दोनों को झगड़ा करते देखकर एक आदमी दूसरे के पास आया और फुसफुसाते हुए कहा,”ये लड़का सही बोल है जिस तरह से दोनों लड़ रहे है , देखकर यही लगता है दोनों पति पत्नी है ,, एक काम करते है इनके पास जो गहने और सामान है लेकर चलते है”
“हम्म्म ठीक है”,आदमी ने कहा और फिर गुड्डू से कहा,”चलो जो कुछ तुम दोनों के पास है निकालो”
“का है हमाये पास ? कुछो नहीं है रात में भागने के चक्कर में ऐक ठो पर्स था वो भी ना जाने कहा गिर गया”,गुड्डू ने मायूस होकर कहा तो आदमी की नजर गुड्डू के हाथ पर गयी जिसमे शगुन का दिया चाँदी का कड़ा था। आदमी ने गुड्डू का हाथ पकड़कर कहा,”आये है तो कुछ लेकर जायेंगे चले इसे निकालो”
“ये नहीं निकलेगा हमाये हाथ में फंसा हुआ है”,गुड्डू ने कहा
“ऐसे कैसे नहीं निकलेगा ? मैं निकालता हूँ”,कहकर आदमी ने गुड्डू के हाथ से जबरदस्ती वो कडा निकालने की कोशिश की लेकिन जैसा की गुड्डू ने कहा था वो फंस चुका था। गुड्डू को दर्द हो रहा था और ये उसके चेहरे से साफ दिखाई दे रहा था। तीनो गुड्डू को घेरकर खड़े थे तभी शगुन की नजर आदमी की नजर पास पड़ी लकड़ी पर पड़ी उसने चुपके से उठायी और एक आदमी के सर पर मार दी , वह अपना सर पकडे वही बैठ गया। गुड्डू ने देखा तो हैरान था की शगुन में इतनी हिम्मत कहा से आयी ? शगुन ने बाकी दोनों को डराते हुए कहा,”छोड़ दो उन्हें वरना मैं मारूंगी”
दोनों आदमियों में से एक ने नीचे गिरे हुए को सम्हाला और दूसरा शगुन की तरफ बढ़ा लेकिन तब तक गुड्डू ने उसे पैर बीच में गिरा दिया। वह शगुन के पास आया और उसका हाथ पकड़कर वहा से भाग गया। तीनो आदमी उठे और उनका पीछा करने लगे। शगुन गुड्डू भी नहीं जानते की वे कहा जा रहे है वे दोनों बस उस जंगल में यहाँ वहा भाग रहे थे। कुछ दूर निकल आने के बाद शगुन थक गयी वह रुकी और अपनी कमर पकड़कर हाँफते हुए कहा,”मुझसे और नहीं भागा जाएगा”
“शगुन चलो का पता आगे कोई रास्ता मिल जाये”,गुड्डू ने कहा
“नहीं गुड्डू जी मैं अब और नहीं चल सकती थोड़ी देर यही रुकते है”,शगुन ने वही पड़े पत्थर पर बैठते हुए कहा
“शगुन यहाँ रुके तो वो लोग फिर से आ जायेंगे”,गुड्डू ने दूर तक नजर दौड़ाते हुए कहा लेकिन कोई आता दिखाई नहीं दिया
“उन्हें आना होता तो अब तक आ चुके होते , हमारी तरह वे लोग भी जंगल में खो गए है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसके पास चला आया और बगल में बैठते हुए कहा,”हम्म तुम सही कह रही हो , थोड़ी देर रुकते है”
शगुन चुपचाप बैठकर अपनी उखड़ी हुई सांसो को सामान्य कर रही थी की गुड्डू ने उसकी ओर पलटकर कहा,”तुमहू तो हमसे ऐसे झगड़ रही थी जैसे सच में हमारी पत्नी हो”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन को थोड़ी देर पहले वाला झगड़ा याद आ गया और उसके चेहरे पर गुस्से वाले भाव आ गए। शगुन के चेहरे पर गुस्सा देखकर गुड्डू ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”जिस से तुम्हायी शादी होगी ना उह बिचारा तो गया काम से”
शगुन ने कुछ नहीं कहा बस गुड्डू को देखते रही।

गोलू और पिंकी रात में लोकेशन पर रुके थे और उस रात वो हो गया जो नहीं होना था। पिंकी गोलू की बांहो में सो रही थी , गोलू की जब आँख खुली तो पिंकी और खुद को इस हालत में देखकर उसका सर घूम गया। वह उठा और खुद को सही किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे और क्या नहीं ? अपना सर पकडे गोलू वही बैठ गया। पिंकी की जब आँख खुली तो रात में शराब पीने की वजह उसका सर दर्द से फटा जा रहा था।
वह अपना सर सहलाते हुए उठी। उसने महसूस किया की उसके कपडे अव्यवस्तिथ थे पिंकी ने उन्हें सही किया। उसने गोलू को परेशान देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”क्या हुआ गोलू तुम इतनी टेंशन में क्यो हो ?”
“हमे माफ़ कर दो पिंकी हम ऐसा कुछो नहीं करना चाहते थे , सब अनजाने में,,,,,,,,,,,,,,हम बहुत बुरे इंसान है यार हमे जे सब”,गोलू ने परेशानी भरे स्वर में कहा तो पिंकी को कुछ कुछ याद आया। वह गोलू के सामने आयी और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा,”गोलू तुम खुद को दोष क्यों दे रहे हो ये सब हम दोनों की मर्जी से हुआ है ,, हम एक दूसरे से प्यार करते है”
“पिंकिया शादी से पहिले जे सब,,,,,,,,,,,,,,,हमे ना बहुते बुरा फील हो रहा है पिंकी सॉरी , हम ऐसा कुछो नहीं चाहते थे हम तुम्हायी बहुत रिस्पेक्ट करते है यार”,कहते हुए गोलू की आँखों में आंसू आ गए।
“गोलू पागल हो गये हो क्या ? हम जानते है ये सब अनजाने में हुआ है तुम्हे माफ़ी मांगने की जरूरत भी नहीं है। प्लीज तुम ज्यादा मत सोचो भूल जाओ वो सब और घर चलो”,पिंकी ने कहा तो गोलू को थोड़ी हिम्मत मिली वह उठा और पिंकी के साथ घर के लिए निकल गया। उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर पिंकी ने मजबूती से उसका हाथ थामते हुए कहा,”हमने कुछ गलत नहीं किया गोलू , हम दूसरे से प्यार करते है शादी करने वाले है और फिर शादी के बाद भी ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम ज्यादा मत सोचो और हाँ किसी से इसका जिक्र मत करना”
कहकर पिंकी अपने घर चली गयी।
लोगो की जिंदगी में प्रॉब्लम आती है पर हमारे गोलू ने तो इस बार प्रॉब्लम में खुद पैर मारा था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर देखते है आगे क्या होता है ?

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संजना किरोड़ीवाल

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