मनमर्जियाँ – S31
Manmarjiyan – S31
मनमर्जियाँ – S31
शगुन और गुड्डू की जिंदगी में पहले से इतनी परेशानिया थी गोलू ने और बढ़ा दी। शगुन ने अब तक गुड्डू से जो बाते छुपा कर रखी थी गोलू ने गुड्डू के सामने उन्ही बातो का जिक्र कर दिया। प्रीति की सगाई की बात सुनकर शगुन परेशान हो गयी। खैर शगुन के साथ रहते हुए गुड्डू एक बार फिर उसकी तरफ आकर्षित होने लगा था , वह खुद नहीं जानता था की उसके साथ ये सब क्यों हो रहा है ? लेकिन जब भी वह शगुन के सामने होता एक पल के लिए सब भूल जाता था और उसकी आँखों में खो जाता। शादी के जिस बंधन में गुड्डू और शगुन बंधे थे ये उसी बंधन का असर था की गुड्डू ना चाहते हुए भी शगुन की तरफ खींचा चला आता था। शगुन के बारे में सोचकर गुड्डू पहले से परेशान था की गोलू ने उसे उटपटांग बाते बोलकर और परेशान कर दिया। गोलू के पीछे भागते हुए गुड्डू शगुन के सामने आ रुका। गोलू तो निकल गया लेकिन शगुन और गुड्डू को एक दूसरे में उलझा हुआ छोड़ गया। गुड्डू शगुन की आँखों में देखता रहा और शगुन उसकी आँखों में , कुछ तो था जो दोनों को बांधे हुए था। शगुन को होश आया तो वह साइड से जाने लगी लेकिन गुड्डू भी उसी तरफ से जाने लगा , शगुन ने फिर दूसरी साइड से निकलने की कोशिश की लेकिन एक बार फिर गुड्डू के सामने आ गया। शगुन ने उसे हाथ से रुकने का इशारा किया और वापस पीछे चली गयी। गुड्डू झुंझलाया और फिर वहा से चला गया। गोलू को देखा लेकिन गोलू घर जा चुका था। गुड्डू पहले से उलझन में था गोलू ने उसे और उलझा दिया।
रात के खाने के बाद शगुन ने मिश्रा जी के सामने बेसन के लड्डू लाकर रखे तो ख़ुशी से उनका चेहरा खिल उठा और उन्होंने शगुन की तरफ देखकर कहा,”जे तुमने बनाया है”
“जी , आपको बेसन के लड्डू बहुत पसंद है ना इसलिए”,शगुन ने कहा गुड्डू भी वही बैठकर खाना खा रहा था। मिश्रा जी ने लड्डू उठाया और चखते हुए कहा
“भई वाह शगुन लड्डू तो बहुत ही स्वादिष्ट बने है , गुड्डू को भी खिलाओ”,मिश्रा जी ने कहा और दुसरा लड्डू उठा लिया।
“हमे नहीं खाना कभी लड्डू कभी पकोड़े हमाये लिए तो कभी नहीं बनाया किसी ने कुछ”,गुड्डू ने मुंह बनाते हुए कहा
“ए गुड्डू अमा यार गुस्साते बड़ा जल्दी हो तुम , खाकर तो देखा कितना अच्छा लड्डू है”,मिश्रा जी ने गुड्डू की प्लेट में रखते हुए कहा तो गुड्डू ने खा लिया। लड्डू सच में अच्छा बना था गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा और कहा,”अच्छा बना है”
शगुन को और क्या चाहिए था उनके गुड्डू जी ने उनकी तारीफ कर दी थी।
खाना खाकर मिश्रा जी टहलने निकल गए। मिश्राइन अम्मा के कमरे में चली गयी। वेदी को मौका मिल गया दीपक से बात करने का इसलिए वह अपना फोन लेकर ऊपर छत पर चली आयी। गुड्डू हॉल में बैठा टीवी देख रहा था। चैनल चेंज करते हुए उसने एक चैनल रोक दिया जिसमे कोई फिल्म चल रही थी जिसमे एक लड़की अपनी माँ से कह रही थी – लेकिन माँ सुनील को मनाने के लिए मैं क्या करू ?”
“सुनील को मनाने से अच्छा है तुम उसके माँ बाप को मनाओ , उनकी नजरो में अच्छी बन जाओ। अगर वो मान गये तो सुनील को मनाना कौनसी बड़ी बात है ?”,फिल्म में लड़की की माँ ने कहा
“हां माँ मैं यही करती हूँ कल से ही सुनील के घर चली जाती हूँ और उसके घरवालो को मना लेती हूँ”,लड़की ने कहा
ये सब देखकर गुड्डू ने टीवी बंद कर दिया और खुद में ही बड़बड़ाबने लगा,”अच्छा तो इसलिए पिताजी को लड्डू खिलाये जा रहे है , जे शगुन कही सच में तो हमाये घर में बहू बनकर नहीं आना चाह रही ? अम्मा तो ऑलरेडी इनसे इम्प्रेस है पिताजी भी हो ही जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ सोच गुड्डू कुछ सोच”
“अकेले में किस से बात कर रहे है आप ?”,शगुन ने वहा आकर दूध से भरा ग्लास गुड्डू के सामने रखते हुए कहां
“शैतान का नाम लिया और शैतान हाजिर”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और फिर शगुन की तरफ गर्दन करके कहा,”तुमहू इति रात में हिया का कर रही हो ?”
“आपको ये दूध का ग्लास देने आये थे”,शगुन ने कहा और जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने मन ही मन सोचा,”अम्मा के लिए पकौड़े , पिताजी के लिए लड्डू , कही हमाये लिए दूध में कुछ मिलाकर तो नहीं लायी,,,,,,,,,,,,,,,का पता बस में करना चाह रही हो हमे”
“अच्छा सुनो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन वापस पलटी और कहा,”जी कहिये”
“हिया बइठो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उसके सामने आकर बैठ गयी। गुड्डू ने दूध का ग्लास उठाया और शगुन की तरफ बढाकर कहा,”पीओ”
“मैं दूध नहीं पीती”,शगुन ने कहा
“देखा हमहू ठीक सोचे थे जरूर दूध में कुछो मिलाया है तबही नहीं पी रही है लेकिन हमारा नाम भी गुड्डू है हमहू जे तुमको पीला के रहेंगे”,गुड्डू ने मन ही मन खुद से कहा और फिर शगुन से कहा,”लेकिन जे तो पीना पडेगा”
“जिद मत कीजिये मैं कभी दूध नहीं पीती , मुझे अलेर्जी है”,शगुन ने अपनी मज़बूरी जताई तो गुड्डू ने मन ही मन कहा,”वाह बहाने पहिले से तैयार करके लायी है” उसने दूध का ग्लास शगुन की तरफ बढ़ाया और कहा,”हमायी कसम है पीओ”
शगुन धर्म संकट में फंस गयी आज से पहले गुड्डू ने कभी उसे अपनी कसम नहीं दी थी और ना ही शगुन ने आज से पहले दूध पीया था उसे दूध हजम नहीं होता था। गुड्डू बस ये देख रहा था की शगुन दूध पीती है या नहीं उसकी बेवकूफी कहे या शगुन का प्यार उसने गुड्डू के कसम देने के बाद वह दूध पि लिया और ग्लास गुड्डू के सामने रख दिया तो गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”जे तो पूरा पि गयी और इनको कुछो हुआ भी नहीं ,, हमहू खामखा गलत समझ रहे थे”
गुड्डू ये सब सोच ही रहा था की शगुन वहा से उठी और घर के गेट की तरफ चली आयी , दूध पीने से उसका जी मिचला रहा था। कुछ देर बाद ही शगुन को उलटी होने लगी थी गुड्डू ने देखा तो उठकर शगुन की तरफ आया लेकिन वह कुछ कहता या करता इस से पहले ही मिश्रा जी बाहर से आये उन्होंने शगुन को देखा तो तुरंत उसके पास आये और मिश्राइन को आवाज लगाई। मिश्राइन जल्दी से आयी और शगुन को सम्हाला , उल्टी से उसका बुरा हाल हो चूका था , उसकी आँखों में आंसू आ गए थे , चेहरा लाल हो चुका था और सांसे उखड़ चुकी थी। मिश्राइन पानी ले आयी उन्होंने शगुन को मुंह धोने को कहा और पानी पीने को कहा। ये सब देखकर गुड्डू को बहुत बुरा लग रहा था , शगुन के मना करने के बाद भी उसने उसे जानबूझकर दूध पिलाया था। गुड्डू चुपचाप खड़ा शगुन को देख रहा था शगुन की ये हालत देखकर उसे तकलीफ होने लगी थी और ऐसा क्यों हो रहा था वह भी नहीं जानता था ? गुड्डू को खामोश खड़ा देखकर मिश्रा जी ने कहा,”गुड्डू खड़े खड़े का देख रहे हो डॉक्टर को फोन करो”
गुड्डू ने घर के फोन से डॉक्टर को फोन लगाया। मिश्राइन शगुन को सम्हाल कर अंदर ले आयी। वेदी के कमरे में आकर शगुन को सुला दिया , गर्मी की वजह से उसे पसीने आ रहे थे मिश्राइन ने कमरे का ऎसी चालू कर दिया। गुड्डू की हिम्मत नहीं थी अंदर जाकर शगुन को देख सके।
कुछ देर बाद डॉक्टर आया जब तक डॉक्टर शगुन को देखता रहा गुड्डू बेचैनी से हॉल में घूमता रहा। शगुन को इंजेक्शन लगाकर डॉक्टर मिश्रा जी के साथ बाहर चला आया। गुड्डू के सामने से गुजरते हुए डॉक्टर ने कहा,”शायद उसे दूध से एलर्जी है उसी को पीने की वजह से उसे ये उल्टियां शुरू हो गयी है , मैंने इंजेक्शन दे दिया हैं सुबह तक आराम आ जाएगा”
“शुक्रिया डॉक्टर साहब”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे वो तो अच्छा हुआ गुड्डू ने फोन कर दिया मैं आपके घर की पास वाली गली से ही गुजर रहा था तो चला आया , अब मैं चलता हूँ ध्यान रखियेगा”,कहते हुए डॉक्टर वहा से चला गया। मिश्रा जी अंदर आये और गुड्डू के पास आकर कहा,”अच्छा हुआ सही वक्त पर डॉक्टर आ गए , शगुन की हालत देखकर एक बार को तो हमहू भी घबरा गए , तुमहू जाकर सो जाओ बेटा” कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए
गुड्डू ऊपर अपने कमरे में चला आया शगुन के बारे में सोचकर उसे बहुत बुरा लग रहा था उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। कमरे में आकर गुड्डू बिस्तर पर लेट गया आँखों के सामने शगुन के साथ बिताये अच्छे पल आने लगे उन सबके बारे में सोचते हुए गुड्डू देर रात तक जागता रहा। नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी गुड्डू ने सोने की नाकाम कोशिश की पर नहीं सो पाया। घडी में रात के 2 बज रहे थे गुड्डू कमरे से निकल कर बाहर बालकनी में आ गया और खड़े होकर नीचे गली में देखने लगा। एक कुत्ते के अलावा वहा कोई नजर नहीं आया। गुड्डू का मन बहुत बैचैन हो रहा था क्या करे ? कहा जाये कुछ समझ नहीं आ रहा था। कुछ देर परेशान होने के बाद गुड्डू फिर से अपने कमरे में चला आया और शीशे के सामने खड़े होकर खुद से कहने लगा,”जे हमने सही नहीं किया हमे कीसी को भी ऐसे नुकसान पहुँचाने का कोई हक़ नहीं है ,, अगर उन्हें कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता ? सुबह जाकर उनसे माफ़ी मांग लेंगे , कह देंगे हमारा इरादा उन्हें तकलीफ पहुंचाने का नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर का उह हमे माफ़ करेगी ?,,,,,,,,,,,,,,अरे जरूर करेगी जैसे उह हमायी परवाह करती है हमे पूरा यकीन है उह हमे माफ़ कर देगी।”
माफ़ी के बारे में सोचने के बाद गुड्डू का मन कुछ हल्का हुआ तो वह जाकर बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी।
सुबह शगुन उठी तो उसकी तबियत में सुधार था। नहाकर उसने हमेशा की तरह फ्रॉक वाला चूड़ीदार सूट पहन लिया और कमरे से बाहर चली आई उसे देखते ही मिश्रा जी ने कहा,”अब कैसी तबियत है बिटिया ?”
“मैं ठीक हूँ”,शगुन ने कहा
“तुम्हे पता था की दूध सही नहीं है तुम्हाये लिए फिर काहे पि ?”,मिश्राइन ने शगुन के पास आकर कहा , शगुन की नजर सीढ़ियों के पास खड़े गुड्डू पर चली गयी गुड्डू को लगा शगुन सब सच बोल देगी। शगुन कुछ देर गुड्डू को देखते रही और फिर मिश्राइन की ओर देखकर कहा,”वो क्या है ना मैंने कुछ तीखा खा लिया था मुंह जल रहा था पानी दिखा नहीं टेबल पर दूध का ग्लास पड़ा था और मैं जल्दबाजी में उसे पी गयी। उसके बाद याद आया की मुझे दूध से एलर्जी है”
गुड्डू ने सूना की शगुन झूठ बोल रही है तो उसने एक नजर शगुन को देखा दोनों की नजर मिली तो गुड्डू का दिल धड़क उठा और वह दूसरे तरफ देखने लगा
“पगली कही की , आईन्दा से ख्याल रखना”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन मुस्कुरा दी
“हमहू जे कह रहे थे शोरूम पर कुछ सामान आया है तो जो पैसे हमहू रखने को दिए थे वो देइ दयो जरा”,मिश्रा जी ने कहा और फिर अपने कमरे की ओर चले गए , मिश्राइन भी उनके पीछे पीछे चली आयी। शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और जाने लगी गुड्डू एकदम से शगुन की तरफ आया और कहा,”शगुन”
गुड्डू की आवाज सुनकर शगुन रुक गयी बस गुड्डू की तरफ नहीं पलटी तो गुड्डू ने कहा,”तुमहू पिताजी के सामने झूठ काहे बोली ? हमारा मतलब हम ही ने तुम्हे वो दूध पीने की जिद की और तुम्हाये साथ ये सब हुआ फिर झूठ बोलकर हमे बचाया काहे ?”
“अगर मैं सच कहती तो वो आपसे नाराज होते और आपको सब बर्दास्त है पर अपने पिताजी की नाराजगी नहीं”,कहकर शगुन जाने लगी तो गुड्डू उसके एकदम से उसके सामने आया और कहने लगा,”हमहू जानते है की कल रात जो कुछ भी हुआ उसमे हमायी गलती है हमे तुमसे जिद नहीं करनी चाहिए थी , हमे माफ कर दो
शगुन आज गुड्डू से नाराज थी और उसकी नाराजगी की वजह गुड्डू की जिद नहीं बल्कि कोई और वजह थी जो शगुन को चुभ गयी थी। गुड्डू के माफ़ी मांगने के बाद भी शगुन ने उसे माफ़ नहीं किया और वहा से चली गयी। गुड्डू को अच्छा नहीं लग रहा था। दिनभर उसके साथ घूमने वाली , उसे बात बात पर छेड़ने वाली शगुन आज चुप थी। दिनभर शगुन या तो मिश्राइन के साथ रही या फिर वेदी के साथ उसने गुड्डू को एक बार भी मौका नहीं दिया की गुड्डू आकर उस से बात कर सके। दिनभर गुड्डू इस वजह से उदास रहा , ना शगुन उसकी तरफ देख रही थी न उसकी किसी बात का जवाब दे रही थी। शाम में शगुन किसी काम से ऊपर आयी। गुड्डू भी उस वक्त अपने कमरे में ही था शगुन को अकेला देखकर गुड्डू उसके पास आया लेकिन शगुन उसे नजरअंदाज करके जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा शगुन गुड्डू के करीब आ गयी उसका एक हाथ गुड्डू के सीने पर था और दुसरा गुड्डू के हाथ में जो गुड्डू ने कस कर पकड़ा हुआ था। गुड्डू गुस्से से शगुन को देख रहा था , उसके दिल की धड़कने तेज थी ये शगुन को महसूस हो रहा था। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”जे सब का लगा रखा है ? बात काहे नहीं कर रही हो हो हमसे ? अरे यार हमहू सुबह से तुमसे बात करने की कोशिश कर रहे है तुमहू हो के देख तक नहीं रही हो,,,,,,,,,,,,,,ठीक है हो गयी गलती हमसे माफ़ी मांग रहे है तुमहू हो के कुछो सुन ही नहीं रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,का समझती का हो अपने आप को तुमहू जो करोगी सब सही है ?”
शगुन ने सूना तो गुड्डू को पीछे धकियाकर जाने लगी तो गुड्डू ने एक बार फिर उसे अपनी ओर खिंच लिया लेकिन इस बार शगुन को गुस्सा आ गया और उसने कहा,”और आप क्या समझते है खुद को आपका जब मन करेगा आप किसी को भी अपनी कसम देंगे , कसम देने का मतलब भी जानते है आप”
कहते हुए शगुन की आँखों में नमी तैर गयी जिसे देखकर गुड्डू बैचैन हो गया , अब उसे समझ आया की शगुन नाराज किस बात पर थी। ना जाने क्यों शगुन की आँखों के आंसुओ ने गुड्डू को परेशान कर दिया उसने शगुन का हाथ छोड़ दिया शगुन जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”तुमहू एक थो बात गलत बोली थी हमे पिताजी की नाराजगी से नहीं तुम्हायी नाराजगी से भी फर्क पड़ता है”
गुड्डू की ये बात सुनकर शगुन का दिल पिघल गया वह जैसे ही पलटी उसकी आँखो में भरे आंसू गालो पर आ गए उसने देखा गुड्डू एक हाथ से अपना कान पकड़ रखा है और उठक बैठक निकाल रहा है
क्रमश – मनमर्जियाँ – S32
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संजना किरोड़ीवाल
bhut pyara part
Very interesting and emotional part 👍👌👌👌👌
Nice story and I m big fan of yours writing skills and concepts is also very nice enough that I couldn’t resist to wait for new parts
Bhut hi khoobsurat part tha
वाह आज कितने दिनों के बाद गुड्डू-शगुन के प्यार और तकरार वाले पल पढ़ने को मिले…
Nice
👌👌
superb part.. ek baar phir guddu shagun ke liye utak batak kar raha hai
लेयो भाई, बड़े दिनों बाद ही सही गुड्डू भैया सुधर रहे हैं 😀😀😀😀😁😁😁😁
O..so sweet
Nice
Superb 👌👌👌👌👌👌👌
How sweet
मैम ये प्यारी सी नोकझोंक तो ही गुड्डू शगुन को और करीब लायेंगी😊 awesome part👌👌👌👌👌
Bahut hi khubsurat tha
Hamesha ki tarah bahut hi khoobsurat part tha.
part bht acha h mam
Wow wow wow😍😍😍😍😍😍
Bhut din bad guddu or shagun ko sath dekh k acha lga❤️❤️
Bahut sundar part
सारे पार्ट मस्त जबरदस्त है बस गुड्डू की यादें जल्दी से वापस आ जाए फिर तो इनके रोमांस में और मजा आ जाना है दोनो शर्मीले जो ठहरे….
Nice part as usual
Daily upload kiya kijiye plz
Nice part
OMG…Shagun ko gussa bhi aata hai…jo bhii hai maza aa gaya…eagerly waiting for the next update…❤️❤️
👌👌👌👌
Ye to pehle jaisa hi ho rha hai,😀
Emotional ho gye hum to kasm se…