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मनमर्जियाँ – S30

Manmarjiyan – S30

Manmarjiyan - S30

मनमर्जियाँ – S30

गोलू और पिंकी एक दूसरे का हाथ थामे झील किनारे बैठे थे। गोलू को किसी से इतना प्यार हो जाएगा उसने कभी सोचा नहीं था। पिंकी का हाथ अपने हाथो में थामे वह झील के बहते पानी को देखे जा रहा था और फिर एकदम से पिंकी की ओर पलटकर कहने लगा,”हमाये पिताजी नहीं चाहते हमायी शादी तुमसे हो”
“तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे ?”,पिंकी की आँखों में गोलू को खो देने वाले भाव एकदम से आ गए गोलू मुस्कुराया और कहा,”छोड़ने के लिए प्यार नहीं किये है पिंकिया , जैसे तुम्हाये पापा मान गए है हमाये वाले भी मान ही जायेंगे किसी दिन”
“हमे सिर्फ तुम चाहिए गोलू बाकी हमे कुछ नहीं चाहिए , तुम जितना कहोगे हम उतना इंतजार कर लेंगे बस हमयी जगह किसी और को मत देना”,पिंकी ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा
“मान लो दे दी तो ?”,गोलू ने ऐसे ही मजाक में कहा
“तो वो झील देख रहे हो ना लेजाकर धक्का दे देंगे उसमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो भी तुमको”,पिंकी ने थोड़ा चिढ़कर कहा
“अरे दादा हमहु सोचे तुमहू कूदोगी”,गोलू ने कहा
“हम वो गर्लफ्रेंड नहीं है ना गोलू जो तुम्हाये धोखा देने पर खुद को नुकसान पहुंचाएंगे उल्टा तुम्हायी जिंदगी में चरस बो देंगे”,पिंकी ने गोलू को घूरते हुए कहा
“अरे हमायी जिंदगी में पहिले से इतनी चरस हो बो चुके है सब मिलके तुमहू तो रहम करो यार , और वादा है हमारा तुमसे तुम्हायी जगह हमायी जिंदगी में कोई नहीं ले सकता , ना कभी लेगा ,,, थोड़ा वक्त लगेगा पर सब सही हो जाएगा बस भरोसा रखो हम पर”,गोलू ने पिंकी के हाथो को थामकर कहा
“पता है गोलू जिंदगी में पहली बार प्यार हुआ है और चाहते है की ये अधूरा ना रहे , हम अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहते है चाहे तुम जैसे भी रखो जिस हाल में रखो बस अपने साथ रखो”,पिंकी ने गोलू की आँखों में देखते हुए कहा तो गोलू उसकी आँखों में खुद को देखने लगा।
कुछ देर दोनों वही बैठकर आने वाली जिंदगी के हसीन सपने देखने लगे

गुड्डू दिनभर अपने कमरे में रहा। आज शगुन ने साड़ी पहनी हुयी थी और गुड्डू का ध्यान बार बार उस पर जा रहा था। उसका ध्यान ना भटके सोचकर गुड्डू अपने कमरे में रहा। शाम में शगुन किचन में थी उसने साड़ी के पल्लू को लेकर कमर में खोंसा हुआ था और अपनी एड़िया उठाकर वह कोई सामान उतारने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके हाथ वहा तक पहुँच नहीं रहे थे। गुड्डू का फोन खो चुका था सुबह से उसे वेदी का फोन भी नहीं मिल रहा था शायद वेदी ने चुपके से ले लिया हो। गुड्डू को गोलू से बात करनी थी और इसी सोच में उलझा वह अपना गाल खुजाते हुए कमरे से बाहर आया। जैसे ही किचन के सामने से गुजरा नजर ऑटोमेटिक किचन में खड़ी शगुन पर चली गयी। साड़ी में उसका फिगर और भी अच्छा लग रहा था उस पर उसकी गोरी पतली कमर गुड्डू की नजर तो बस वही जाकर ठहर गयी। जब देखा की शगुन ऊपर रखे डिब्बे तक पहुँच नहीं पा रही है तो गुड्डू की कदम उसकी तरफ बढ़ गए। गुड्डू किचन में आया उसने शगुन को देखा जो की डिब्बा उतारने की कोशिश कर रही थी। चेहरे से नजर हटकर एक बार फिर शगुन की कमर पर चली गयी। शगुन ने गुड्डू को वहा देखा तो अपने पैर जमीन पर टिकाते हुए कहा,”अरे आप यहाँ कुछ चाहिए आपको ?” कहते हुए शगुन ने अपनी कमर में खोंसा हुआ पल्लू निकाला और साड़ी सही करने लगी जिससे से शगुन की कमर और नाभि गुड्डू को ओर भी पास से नजर आ रही थी।
“पहिले अपनी कमर को ढको यार तुम”,गुड्डू ने अपने हाथ से शगुन के पल्लू को साइड करते हुए कहा
शगुन ने हैरानी से गुड्डू को देखा तो उसने शगुन से नजरे चुराते हुए कहा,”हमारा ध्यान बार बार एक ही जगह पर जा रहा है इसलिए बोल रहे है , वरना तुम्हे लगेगा हमारी नजर खराब है”
गुड्डू की मासूमियत भरी बाते सुनकर शगुन मन ही मन मुस्कुराने लगी।
“का कर रही हो यहाँ ?’,गुड्डू ने अनजान बनते हुए कहा
“वो डिब्बा उतारने की कोशिश कर रहे है लेकिन हाथ नहीं पहुँच रहा वहा तक”,शगुन ने कहा
गुड्डू ने अपने कंधे से शगुन के कंधे को नापते हुए कहा,”हाइट देखी है अपनी कैसे जाएगा हाथ रुको हम उतार देते है” कहकर गुड्डू ने अपने एक हाथ से डिब्बा उतारा और शगुन को थमा दिया अब चूँकि गुड्डू की हाइट अच्छी थी इसलिए उसने आसानी से उतारकर रख दिया।
“थैंक्यू”,शगुन ने डिब्बा लेकर उसे खोलते हुए कहा
“वैसे तुमने हमाये सवाल का जवाब नहीं दिया , कर का रही हो हिया ?”,गुड्डू ने कहा
“बेसन के लड्डू बना रही हूँ पा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अंकल जी को बहुत पसंद है ना इसलिए उनके लिए “,शगुन ने कहा
“हमाये पिताजी की पसंद तुमको कैसे पता ?”,गुड्डू ने बचकाना सा सवाल किया
“आपके पिताजी की क्या मुझे तो आपकी भी पसंद के बारे में पता है”,शगुन ने बेसन को एक बर्तन में निकालते हुए कहा
“अच्छा बताओ फिर हमे सबसे ज्यादा का पसंद है खाने में ?”,गुड्डू ने सवाल किया
“आलू का भरता , गोभी के पराठे , मटर पनीर और रसमलाई”,शगुन ने गुड्डू की तरफ पलटकर कहा
गुड्डू ने सूना तो थोड़ा हैरान रह गया और फिर एकदम से कहा,”तुम्हे कोई जादू वादु आता है क्या ?”
“नहीं,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“फिर तुमको जे कैसे पता ?”,गुड्डू ने कहा
“बस पता है”,शगुन ने मुस्कुराकर कहा
“लगता है हमाये बारे में पूरी कुंडली निकाली जा रही है इनके जरिये”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और फिर बात बदलते हुए कहा,”जे तो सबको पता है , वैसे तुमको लड्डू बनाने भी आते है या ऐसे ही बाते बना रही हो ?”
“बैठकर खुद ही देख लीजिये”,शगुन ने गैस ऑन करते हुए कहा। गुड्डू वही शगुन के बगल में प्लेटफॉर्म पर बैठ गया। शगुन कड़ाही में बेसन सेकने लगी। मिश्राइन किचन की तरफ आयी थी लेकिन शगुन और गुड्डू को साथ देखकर वापस चली गयी। वे तो खुद चाहती थी की शगुन और गुड्डू एक दूसरे के करीब आ जाये। शगुन मन लगाकर अपना काम कर रही थी। गुड्डू कभी उसे तो कभी कड़ाही में सिकते बेसन को देख रहा था। उसने पास रखे टोकरे में से संतरा उठायी और छिलने लगा। छीलकर एक टुकड़ा खाया। शगुन अपने काम में लगी थी गुड्डू एक के बाद एक टुकड़े खाते जा रहा था अचानक उसे ख्याल आया की शगुन भी वहा है तो उसने कहा,” शशशशशश श्श्श्शश”

शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा तो गुड्डू ने एक टुकड़ा शगुन की तरफ बढ़ा दिया। शगुन के दोनों हाथ इस वक्त बेसन और घी से लथपथ थे। उसने गुड्डू को दिखाए तो गुड्डू समझ गया वह थोड़ा सा शगुन की तरफ खिसका और टुकड़े को शगुन के होंठो की तरफ बढ़ा दिया। शगुन ने जैसे ही खाने के लिए मुंह खोला गुड्डू ने शरारत की और उसे खिलाने के बजाय खुद खा गया। शगुन ने मुंह बंद कर लिया गुड्डू ने देखा तो हसने लगा। हँसते हुए वह इतना प्यारा लग रहा था की शगुन बस उसकी आँखों में खो सी गयी। उसके बालों की लटे कान के पीछे से निकल कर गालो पर झूलने लगी। गुड्डू ने देखा तो उन्हें हटाने के लिए अपना हाथ शगुन की तरफ बढ़ा दिया। जैसे ही उसने शगुन के बालो की लट को कान के पीछे किया उसे कुछ याद आया और उसने खुद से मन ही मन कहा,”जे का कर रहे हो गुड्डू ? तुम्हे जे सब नहीं करना है , जे मेहमान है इस घर में जे सब नहीं करना है ,, एक ठो काम करो निकलो यहाँ से”
गुड्डू जल्दी से नीचे उतरा और शगुन से कहा,”हमे ना कुछो काम याद आ गया हमे जाना होगा”
गुड्डू वहा से चला गया शगुन के लिए तो इतना ही काफी था की गुड्डू ने उसके साथ इतना वक्त बिताया। मुस्कुराते हुए वह अपना ध्यान लड्डू में लगाने लगी। किचन से निकलकर गुड्डू बाहर आया तो सामने से वेदी आती दिखाई दी।
“ए वेदी जरा फोन देना अपना”,गुड्डू ने कहा
वेदी ने गुड्डू को अपना फोन दे दिया तो गुड्डू ने गोलू का नंबर निकाला और उसे फोन लगाया। एक दो रिंग गयी और गोलू ने फोन उठाते हुए कहा,”कौन बोल रहा है बे ?”
“तुम्हाये बाप बोल रहे है , साले जहा कही भी हो 10 मिनिट में हिया पहुंचो नहीं तो तुम्हे छोड़ेंगे नहीं गोलू”,गुड्डू ने गुस्से से कहा
“अरे भैया तुमहू हो , गर्माओ नहीं यार अभी पहुंचते है 10 मिनिट का 8 मिनिट में तुम्हाये घर के सामने होंगे”,गोलू ने कहा
“पहिले तुम इह बताओ हो कहा ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे वो हम पिंकी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,जल्दबाजी में गोलू के मुंह से निकल गया
“पिंकी ?,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने शकभरे स्वर में पूछा
“अरे भैया पिंकी पिंका पोंकी फादर हेज अ डोंकी,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुते बढ़िया गेम है भैया हिया बच्चो के साथ खेल रहे है”,गोलू ने अपनी बात बदलते हुए कहा पास खड़ी पिंकी ने सुना तो मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगी।
“का बक रहे हो गोलू ? तुमहू न घर पहुंचो अभी”,गुड्डू ने कहा
“बस अभी आते है”,कहकर गोलू ने फोन काट दिया और पिंकी से कहा,”जाना होगा पिंकिया”
“गुड्डू का फोन था ?”,पिंकी ने पूछा
“हम्म्म , मिलते है बाद में अपना ध्यान रखना”,कहकर गोलू वहा से चला गया। शाम हो चुकी थी और सूरज ढलने वाला था पिंकी भी घर जाने के लिए निकल गयी।

गोलू 10 मिनिट में ही गुड्डू के घर के सामने था , स्कूटी साइड लगाकर गोलू अंदर आया तो गुड्डू उसकी और लपका और लात मारते हुए कहा,”साले सांप शर्म नहीं आती हमे यहाँ जंजाल में डालकर खुद अकेले बनारस घूमने चले गए , पता है हमारा कितना मन था वहा जाने का”
“हां तो चलेंगे ना प्रीति की सगाई में”,गोलू एक के बाद एक गड़बड़ करता जा रहा था
“कौन प्रीति ?”,गुड्डू ने कहा उसी वक्त शगुन का भी वहा आना हुआ। शगुन को देखकर गोलू के दिमाग की बत्ती गुल हो गयी और उसने शगुन की तरफ आते हुए कहा,”प्रीति कौन ? अरे प्रीति इनकी छोटी बहन और कौन उन्ही की सगाई में चलेंगे बनारस”
शगुन ने सूना तो अपना सर पीट लिया , गुड्डू ने सूना तो उसे अजीब लगा क्योकि शगुन ने तो उसके सामने अपनी किसी भी बहन का जिक्र नहीं किया था। वह शगुन और गोलू की तरफ आया और कहा,”इनकी बहिन को तुम कैसे जानते हो ?”
अब गोलू फंस गया लेकिन एक झूठ को छुपाने के लिए उसने दूसरा झूठ बोल दिया और कहा,”अरे जानेंगे कैसे नहीं ? इनकी बहिन की जिन से सगाई हो रही है वो लड़का हमारा दोस्त है,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों भाभी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब शगुन जी , सही कह रहे है ना ?”,गुड्डू से कहते हुए गोलू ने शगुन की तरफ देखा जबान फिसली मगर सम्हाल लिया।
“गोलू जहा तक हम जानते है पुरे कानपूर में तो का पूरी दुनिया में तुम्हारा एक ही दोस्त है और वो है हम , जे नया दोस्त कहा से आया बताओ हमे ?”,गुड्डू ने कहा तो गोलू की सिट्टी पिट्टी गुम। अब दूसरा झूठ छुपाने के लिए उसने तीसरा झूठ पुरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा,”अरे फेसबुक पर बना था यार तुमहू भी ना का हमायी बीवी हो जो इतने सवाल जवाब कर रहे हो ? हमे इति जल्दी में काहे बुलाये ?”
“हमे न तुमसे कुछो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गुड्डू की नजर शगुन पर चली गयी देखा शगुन वही खड़ी है तो उसने शगुन से कहा,”गोलू इतने दिन बाद घर आया है चाय वाय पिलाओ इनको”
शगुन समझ गयी गुड्डू उसे वहा से भगाना चाहता है इसलिए वह वहा चली गयी। गुड्डू गोलू का हाथ पकड़कर उसे साइड में लेकर आया और बैठने का इशारा किया। गोलू बैठ गया तो गुड्डू भी उसकी बगल में आ बैठा।
“अब बताओगे भी हुआ का है ?”,गोलू ने कहा
“गोलू हमारे फोन से जब हम तुम्हे फोन मिला रहे थे तो उसमे हमने शगुन का नंबर देखा , और उस नंबर पर बहुत बार फोन भी किया हुआ था। जे नंबर हमाये फोन में कैसे आया हम जान पाते इस से पहिले ही एक ठो चोर हमारा फोन लेकर भाग गया।”,गुड्डू ने एकदम सस्पेंस से भरकर गोलू को बताया
“तो तुम का चाहते हो हमहू जाकर उस चोर को ढूंढे , तुमहू भी ना यार गुड्डू भैया मतलब एक फोन के लिए हमे इतनी जल्दी बुलाये , इतना इम्पोर्टेन्ट काम कर रहे थे ना हम”,गोलू ने अफ़सोस जताते हुए कहा
“अबे उलटी खोपड़ी के पहिले हमायी बात को समझो , हम जे कहना चाह रहे की हमाये फोन में शगुन का नंबर कहा से आया ? उह तो अभी कुछ दिन पहिले हमाये घर में आयी है और हमहू तो उस से पहिले कभी मिले भी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर हमाये फोन में इनका नंबर कैसे ?”,गुड्डू ने कहा

गुड्डू की बात सुनकर गोलू फिर उलझन में पड़ गया और बड़बड़ाने लगा,”अबे जे फोन इनके हाथ ही लगना था , हो गया ना एक और पंगा अब हमहू अकेले का का सम्हाले ? का करे का कहे ? जे गुड्डू भैया भी ना जो याद आना चाहिए उह तो याद आ नहीं रहा है उल्टा और जियादा रायता फैलाये है”
“अबे खुद से का बाते कर रहे हो ?”,गुड्डू ने गोलू को झंझोड़ते हुए कहा
“अरे भैया आपको वो शगुन याद है कॉलेज वाली जो आपको रोज डे वाली दिन गुलाब दी थी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपने ही मन से कोई नयी कहानी बनाते हुए कहा गुड्डू सोचने लगा और कहा,”पर उसका नाम शगुन नहीं था”
“शगुन नहीं था उसका नाम शालिनी,,,,,,,,,,,,,,शालिनी था ,, अब का है आजकल आप घर वाली शगुन पर जियादा ध्यान दे रहे हो ना इसलिए हर जगह आपको शगुन ही सुनाई दे रहा है”,गोलू ने कहा
गुड्डू को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे सोच में डूबा देखकर गोलू ने कहा,”अरे भैया जियादा ना सोचो इह वो शगुन नहीं है जिसके बारे में आप सोच रहे हों , वैसे आज जे शगुन भी कमाल लग रही है साड़ी में” गोलू ने सामने से चाय लेकर आती शगुन को देखकर कहा
गुड्डू ने देखा तो पाया की एक बार फिर शगुन की कमर नजर आ रही है , गुड्डू ने तुरंत गोलू की तरफ देखा तो पाया की वह भी शगुन को देख रहा है गुड्डू को ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगा तो उसने गोलू की आँखों पर हाथ रखते हुए कहा,”अबे तुम ना देखो”
“क्या देखना है ?”,शगुन ने पास आकर कहा तो गोलू ने गुड्डू का हाथ अपनी आँखों से हटाकर शगुन से कहा,”साड़ी में बहुत अच्छी लग रही है आप ऐसा गुड्डू भैया कह रहे है” गोलू ने गुड्डू को फंसा दिया। शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा तो गुड्डू का दिल धड़कने लगा उसने शगुन की तरफ देखकर कहा,”जे ऐसे ही बकवास कर रहा है तुम जाओ”
“अरे नहीं हम सच कह रहे है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने उसका मुंह बंद करते हुए कहा,”तुमको ना शायद अम्मा बुलाय रही है तुमहू जाओ”
शगुन के जाते ही गुड्डू ने गोलू का मुंह छोड़ते हुए कहा,”साले काहे हमायी बत्ती लगा रहे हो ?”
“अरे भैया कितना अच्छा हो अगर जे हमायी भाभी बनकर इस घर में हमेशा के लिए आ जाये”,गोलू ने जाती हुई शगुन को देखकर कहा
“तुमहू साले पीट जाओगे हमसे जो फालतू बात की तो”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा छोडो जे बताओ अच्छी लगती है की नहीं ?”,गोलू ने कहा
“बकवास ना करो समझे”,गुड्डू ने परेशान होकर कहा
“अरे यार बता दो हम दोस्त है हमे तो बता सकते हो , अच्छी लगती है के नहीं ?”,गोलू ने कहा
“हां लगती है अच्छी पर जो तुम समझ रहे हो ना वैसा कुछो नहीं है गोलू”,गुड्डू ने चाय उठाते हुए कहा
“समझना का है हमहू तो अभी से तुमको शेरवानी में इमेजिन कर रहे है”,कहते हुए गोलू ने शरारत से गुड्डू को देखा और वहा से भाग गया। गुड्डू ने भी कप रखा और गोलू को पकड़ने उसके पीछे आया। भागते हुए गोलू शगुन के सामने आया और शगुन को एकदम से गुड्डू के सामने कर दिया। शगुन को देखते ही गुड्डू रुक गया गुड्डू के कानो में गोलू की कही बात गूंजने लगी,”अरे यार बता दो अच्छी लगती है की नहीं ?”

क्रमश – मनमर्जियाँ – S31

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संजना किरोड़ीवाल

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